Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी - Page 4 - SexBaba
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Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी

मेरे सीने पर सर रखे भारती आँसू बहाते बहाते सो गयी. उसके चेहरे पे एक शूकून था .. उसके आँसुओं ने उसके अंदर के सारे दुख दर्द धो डाले थे ..अब वो अकेली नहीं थी ... मैं जानता था सिर्फ़ यह अहसास उसके लिए कितना बड़ा सहारा था ..और मेरे लिए इसे क़ायम रखना कितना मुश्किल और ज़िम्मेदारी वाली बात थी..क्या मैं इसे निभा सकूँगा..??

मैं उसे देखता रहा ..और फिर उसके होंठ चूम लिए , उसे बाहों में ले कर कहा "भारती ..आइ लव यू ..ओह मेरी जान मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ ..."

भारती की आँखें खूल गयीं ..उसके चेहरे पे एक शरारती मुस्कान थी...उस ने कहा " तुम ने कुछ कहा ..?? "

"हां ..भारती ..मैने कुछ कहा ... फिर से सुन ना चाहोगी ..?? "

"फिर से ..?? मेरा वश चले तो मैं सारी जिंदगी गुज़ार दूं प्रीतू तुम्हारी बातें सूनते सूनते ..बोलो ना जानू क्या बोल रहे थे ..प्ल्ज़्ज़ बोलो ना..??"

मैने उसके चेहरे को अपनी हथेली से थाम लिया , उसकी आँखों मे एक टक देखते हुए कहा

"भारती ..आइ लव यू ...मैं तुम्हें बहोत प्यार करता हूँ .."" और मैं उसके चेहरे को और करीब ले आया , उसके होंठ चूमता जाता ..और कहता जाता "भारती आइ लव यू ..आइ लव यू .....ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भारती ..मेरी भारती .."

"बस ..बस जानू ...बस अब और कहने सुन ने की ज़रूरत नहीं ... " और उस ने अपनी आँखें बंद कर लीं ... और कहना जारी रखा " मैं महसूस कर रही हूँ मेरी जान ... मैं यह तीन लफ्ज़ रोज़ ही सूनती हूँ ... पर कितने खोखले होते हैं औरों के मुँह से यह शब्द ... पर आज तुम्हारे मुँह से इन्ही शब्दो ने मुझे छू लिया है ...यह शब्द मेरे सूखे जीवन में अमृत के समान हैं मेरे राजा ...मेरा तो जीवन सफल हो गया ...एक बात बोलूं ..??'"

"ह्म्‍म्म्म .बोलो ना .."

" " मैं तो कब से जानती हूँ ... "

" पर कैसे .." मैने हैरान होते हुए पूछा

"तुम्हारे लौडे का हर धक्का चीख चीख के कहता है प्रीतू ..तुम मुझ से कितना प्यार करते हो .. लौडे के धक्के में मेरे लिए कितना प्यार होता है मैं ही महसूस कर सकती हूँ , और कोई नहीं .. और आज तुम ने अपने मुँह से भी यह बात कह दी .... मैं बहोत किस्मत वाली हूँ प्रीतू ...मैं तुम्हें प्यार ही नहीं मेरे राजा मैं तुम्हें पूजती हूँ ...तुम मेरे भगवान हो ...मेरे भगवान मेरी पूजा में कोई कमी होगी तो मुझे माफ़ कर देना ... मैं गँवार हूँ ना .. बेवक़ूफ़ हूँ .."

"हां .. भारती यह तो है ..पर तुम भी तो अपने आप को पूरे का पूरा मेरे हवाले कर देती हो ना ..तुम्हें चोदने में मुझे ऐसा महसूस होता है भारती के मैं सिर्फ़ तुम्हारी चूत ही नहीं ..बल्कि अपनी भारती को चोद रहा हूँ , तुम पूरी तरेह से , अपनी पूरी आत्मा से मुझ से चुदवाती हो ...ऊहह तभी तो मैं कितनी जल्दी झाड़ जाता हूँ तुम्हारे साथ ..."

"जानते हो प्रीतू ..?? " उस ने मेरे लंड पर हाथ रखते हुए कहा , जो अब तक इतनी प्यार भरी बातों से कुछ फूल गया था ..अकड़ रहा था ..अपना सर उठा रहा था ..

"क्या मेरी रानी .." मैने सिहरते हुए कहा...

"देखो ना ..तुम्हारा लॉडा काफ़ी लोगों से लंबा और मोटा है ..पर जब तुम इसे मेरी चूत में डालते हो ना ..तो मुझे यह कभी महसूस नहीं होता के तुम मुझ पर हावी होना चाहते हो..अपने मोटे लौडे का ज़ोर दीखाना चाहते हो .. मुझे ऐसा महसूस होता है तुम मुझे इसका मज़ा देना चाहते हो..मज़ा लेना चाहते हो ...चुदाई में एक दूसरे को नीचा दीखने वाली बात नहीं होती ..बल्कि एक दूसरे को ज़्यादे से ज़्यादा मज़ा देनेवाली बात आ जाती है ..बोलो ना अगर हम प्यार नहीं करते तो ऐसी बात कभी नहीं आती ...है ना..??" और उस ने मेरे लंड को अपने हथेली से बड़े प्यार से भींचते हुए चूमने लगी "देखो ना मेला प्याला प्याला मुन्ना ..मेरा बच्चा कैसा फुदक रहा है ..मेरे हाथों में .." और उसके चूसने और जीभ फिराने में और तेज़ी और उतावलापन आ गया था..

मैं सीहर उठा ..कांप उठा उसकी इन हरकतों से ...मेरे लौडे से प्री-कम निकलते जा रहे थे ,,और वो उन्हें चूस्ति जा रही थी ..

"प्रीतू ..?? मैं तुम्हें अपनी शरीर के अलावा तो कुछ और क्या दे सकती हूँ ..देखो मैं जो आज तुम्हें दूँगी ...उसे ले लेना मेरे राजा ..मना मत करना ...और मैने आज तक इसे किसी को नहीं दिया ..लगता है भगवान ने इसे तुम्हारे लिए ही आज तक बचा रखा था ..और आगे भी इस पर सिर्फ़ तुम्हारा हक़ रहेगा .."

मैं सोच में पड़ गया ..आख़िर भारती के पास ऐसी क्या चीज़ है ...एक कॉल गर्ल जिसके शरीर के हर अंग को लोग नोचते खसोटते हैं ...निचोड़ लेते हैं बेरहमी से ..पर आज तक उस ने उनकी गंदी नज़रों से इसे बचा कर रखा ..??
 
मैने हैरान होते हुए कहा ..." अच्छा ...आख़िर मैं भी तो सूनू वो कौन सी चीज़ है मेरी रानी..??'

"पर तुम मना नहीं करोगे ... प्रॉमिस..??"

" अरे बाबा तुम्हारी हर चीज़ मुझे कितनी प्यारी है भारती ..प्रॉमिस ..प्रॉमिस ..प्रॉमिस ..अब जल्दी बता भी दो ना ""

भारती मेरी ओर पीठ कर के अपनी उपरवाली टाँग को उठा लिया ...जिस से उसके चूतड़ पूरी तरेह खूल गये और गान्ड दीखने लगी ....उस ने अपने दोनों हाथों से चूतड़ो को थामते हुए और फैला दिया और अपनी एक उंगली से गान्ड के टाइट होल को दबाते हुए कहा ..

" इसे ..इसे ...मेरी जान मेरी गान्ड ,,जो आज तक कुँवारी है ..किसी मादरचोद की हिम्मत नहीं हुई मेरी मर्ज़ी के खिलाफ इसे छूने की..मैने इसे संभाल के रखा था ..उस शक्श को देने के लिए जो मेरा मन जीतेगा ..प्रीतू आज मुझे वो शक्श मिल गया ..मेरे प्रीतू ..ले लो ..फाड़ तो , चोद डालो ..जैसे मन करे इसे .मार डालो ..जो करना है कर डालो ..मैं चिल्लाऊंगी..चीखूँगी ..... रोऊँगी ..पर तुम रूकना मत मेरे राजा ..रूकना मत ....बोलो ना लोगे ना राजा ..??"

उसकी बातें सून कर मैं सन्न रह गया ....इतना लगाव..इतना प्यार ...इतना अपनापन ... वो भी एक कॉल गर्ल से ..?? जो कभी किसी की नहीं होती ...

मैं पागल हो उठा ..." भारती ..भारती ...ऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भारती क्या तुम मुझ से इतना प्यार करती हो ..?? मैं कैसे मना कर सकता हूँ ..मेरे लिए भी यह एक नायाब तोहफा है मेरी जान ... नायाब ..मेरी सब से प्यारी अमानत "

और मैं उसे खींचता हुआ पलंग के एक छोर पर ले आया ...मैं फर्श पर बैठ गया ..उसकी टाँगें उपर कर दीं ...उसने अपने हाथों से उसे थामते हुए अपने सीने की ओर खींच लिया ..उसकी गान्ड बिल्कुल मेरे सामने थी ...मैने उसके चूतड़ो को अपनी हथेली से अलग किया ..उसकी गान्ड का छेद ..अयाया ..क्या नज़ारा था ... काला काला चमकता होल ...टाइट ...साँवले चूतड़ो के बीच काला होल ...मैने अपनी जीभ वहाँ ले जाते हुए चाटना शूरू कर दिया ...भारती सीहर उठी उसके चूतड़ उपर उछल रहे थे और मैं अपनी जीभ कड़ा करते हुए उसकी गान्ड चाट रहा था ....... लॅप..लॅप ..लॅप......
 
भारती की कुँवारी गान्ड की चटाई का अलग ही आलम था ...उसके चूतड़ ज़्यादा मोटे नहीं थे ...बस बिल्कुल इतने कि हाथ में ले लूँ तो उन्हें दबाने में लगे कि हाथों में कुछ गुदाज ..कुछ मुलायम और मांसल चीज़ है ..पूरे हाथों में आ जाता ..अयाया उन्हें दबोचने का अलग ही मज़ा था ..मैने दोनों हाथों से एक एक चूतड़ मसलता जाता था ...और उसकी गान्ड की होल ख़ूलती जाती और मैं होल में जीभ लॅप लापाता .. चाट ता जाता ..भारती कराह रही थी ... उसका सर झटके खा रहा था मस्ती में .....उसके चूतड़ो की दीवार ज़्यादा मोटी ना होने की वाज़ेह से गान्ड का छेद भी काफ़ी बाहर था ..इसलिए चाटने में उसके चूतड़ो की दीवार भी मेरी जीभ में आती ...अया ..मैं बयान नहीं कर सकता ..उसके चूतड़ो की दीवार एक दम सपाट ..चिकनी ...थी ..जीभ उनमें होती हुई गान्ड की होल तक जाती थी ... वहाँ की सुगंध भी एक अजीब सुगंध थी ...

फिर मुझे एक आइडिया आया ..मैं उठा और किचन से बियर की एक बॉटल ले आया ... उसे भारती की चूत के उपर रखते हुए धीरे धीरे ठंडी बियर चूत में डालने लगा ..वहाँ से बहते हुए गान्ड की होल तक पहून्च गयी बियर ..पूरी चूत और गान्ड के होल में बियर चिप चिपि हो गयी ...भारती मज़े ले कर मेरी हरकतें देख रही थी ..फिर मैने दुबारा पोज़िशन ली ...और गान्ड से चालू करता हुआ उसकी चूत तक जीभ ले जाना शूर्रू कर दिया ...चाट ने लगा बियर उसकी गान्ड और चूत से ..भारती पागल हो रही थी ... सिसकारियाँ ले रही थी

.."आआआआआआआआआओ ..उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई माँ ...हाआन्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण ..बस चाटो . चाटो ..चूसो ..मेरे राजा ..सब कुछ तुम्हारा है ...जो जी आए करो .....आआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .."

मैने अपनी नाक भी उसकी गान्ड में घूसा दी ..बियर ने उसकी गान्ड की सुगंध और स्वाद को और भी मादक बना दिया था ...मैं सूंघटा और चाट ता .....उफफफफ्फ़ ...मैं मस्ती में था

मैने अब भारती को उसके पेट के बल लीटा दिया ....उसके चूतड़ फिर से अपने हाथों से अलग किए और वहाँ फिर से बियर डाल दी ..इस बार वहाँ कुछ बियर चूतड़ की दरार और गान्ड के बीच जमा हो गयी .. मैने अपने होंठ वहाँ ले जाते हुए पूरे का पूरा चूस लिया ..अया बियर का भी टेस्ट कुछ अलग ही था..भारती आँखें बंद किए मेरे इशारों पर अपने शरीर को छोड़ दिया था... अपने आप को मेरी मर्ज़ी पर छोड़ दिया था ..सौंप दिया था .....

"हां प्रीतू ..मुझे कुछ भी करो ..उठाओ ..बैठाओ ..लीटाओ ....मैं तुम्हारी हूँ ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,,,जो मर्ज़ी आए करो ..गान्ड ज़रूर मारो ..मेरे राजा ..मेरी गान्ड फॅट भी जाए फिर भी मत रूकना ...." और वो अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरे मुँह पर डाल देती "लो राजा ..और लो ..चाटो ना जानू ..चूसो ना ..खा जाओ ...अयाया ... "

मेरा तो बूरा हाल था मेरा लॉडा तन्ना रहा था ...

मैं अब भारती की पीठ पर लेट गया ..लॉडा उसके चूतड़ से घीसने लगा ..उसकी चूचियाँ जाकड़ लीं मैने ...और वो अपना मुँह घूमाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी ....

हम दोनों एक दूसरे को मज़े दे रहे थे और मज़े ले रहे थे ....

" अब और मत तडपाओ राजा ..आओ ना गान्ड में डालो ना प्रीतू ..डाल दो अब .."

मैं भी बेचैन हो रहा था ..

उसकी गान्ड का होल भी इतनी चुसाइ और जीभ के चाट ने काफ़ी मुलायम हो गया था ..और बियर भी थोड़ी बहोत अंदर थी ...लॉडा अंदर जाने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी

मैं उसकी पीठ से हट गया ...भारती घुटनो के बल लेट गयी और पीठ को झूका दिया चूतड़ पूरी तरह उपर आ गये .. मेरे सामने ..मानो यह कह रहा हो " आओ ..आओ ..बस आ जाओ .."

मैने उसकी कमर पकड़ते हुए अपने लंड को उसकी गान्ड के होल पर टिकाया और हल्के से उसे दबाया ..भारती ने अपने हाथ पीछे किए लौडे को पकड़ उसे अंदर की ओर खींच रही थे ..लॉडा थोड़ा अंदर गया ...काफ़ी टाइट था अंदर

मैं रुक गया ..भारती ने गान्ड से लौडे को चूसना चालू कर दिया ... "आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..'".यह भी एक अजीब ही तजुर्बा था गान्ड के होल से चूसवाना ..इस से लौडे में और भी कडपन आया ...मैने फिर हल्के से धक्का दिया और इस बार आधे से ज़्यादा लॉडा अंदर था .......मैं बयान नहीं कर सकता ..अंदर गर्म था . टाइट था ...मुझे लगा जैसे किसी ने लौडे को ज़ोर से दबाए रखा हो और साथ में गान्ड के अंदर की सॉफ्टनेस भी थी ...मेरा लॉडा गन गॅना गया था ..भारती आँखें बंद किए और होंटो को भींचते हुए कराह रही थी ... "आआआआआआह ऊवू ..हां हां ..रूको मत प्रीतू ..प्ल्ज़्ज़ रूको मत ..मेरी परवाह मत करो बस अब घूसेड दो राजा ..पेल दो ....अयाया ...."
 
और मैने आखरी धक्के में पूरा लॉडा अंदर डाल दिया ..भारती की पीठ अकड़ गये ..चूतड़ कांप रहे थे ...मैने उसकी कमर को जाकड़ रखा था .... "हां ..हां ...मत रूको मत रूको ..."

और मैने लॉडा बाहर निकाला और फिर अंदर डाल दिया ...इस बार आराम से पूरे का पूरा लॉडा अंदर चला गया ..लगता था बियर ने अंदर जा कर कुछ गीला पन ला दिया था..

अब जोरों से मैं चालू हो गया .....मेरा लॉडा इतना कड़ा कभी नहीं हुआ था ..कुछ तो भारती की बातों से और कुछ उसकी गान्ड के अंदर की टाइटनेस , सॉफ्टनेस और उसकी मादक सुगंध का मिला जूला असर ..

तप ठप ..मेरी जंघें उसकी चूतड़ो से टकराती अओर लॉडा गान्ड के अंदर होता ..आअहह गान्ड मारने का भी एक अलग ही मज़ा है ..अलग ही ताजूर्बा है ... हर धक्के में भारती कराहती चीखती .. अब उसे भी मज़ा आ रहा था

मैं अपने एक हाथ से उसकी चूत भी सहला रहा था ..उसकी चूत तो बस गंगा जमुना बनी थी ..लगातार पानी टपक रहा था ...गान्ड का धक्का चूत में भी महसूस हो रहा था ...चूत फड़क रही थे ...गान्ड थरथरा रही थी और मैं अब तबाद तोड़ लॉडा पेले जा रहा था उसकी गान्ड में ...

भारती चिल्लाए जा रही थी " ओओओओह ,,,,,गान्ड मरवाने में इतना मज़ा ..आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैने कभी नहीं सोचा था .....यह गान्ड अब तुम्हारी है जानू ....सिर्फ़ तुम्हारी ..कोई मदर्चोद दूसरा इसे छू नहीं सकता ..मेरे राजा ..मारो ..मारो और ज़ोर से ..हां ..मेरे राजा ..ज़ोर से ... मारो ..फाड़ दो ..ऊऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .."

औरे मैं मारे जा रहा था ..धक्के लगाए जा रहा था ..उसके चूतड़ से मेरी जाँघो से टकराते और मेरे बॉल्स उसकी चूत से मेरा लॉडा जड़ तक ठोक रहा था ...

फिर मैने देखा भारती ने अपनी कमर उछालनी शूरू कर दी जोरों से .. मैं समझ गया उसका पानी निकलने वाला है ..मैने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी .... 'आआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भारती ..मेरी जान ...अया ...मैं तो गया " ......भारती ने अपनी गान्ड के होल को फिर से टाइट कर लिया ..मैं इसे झेल नहीं सका और झड़ने लगा ,,उसकी गान्ड में ..मेरे वीर्य की गर्मी और उसकी पिचकारी अंदर जाते ही भारती भी चूतड़ उछाल उछाल कर झड़ने लगी ...मेरे लॉडा उसकी गान्ड में ही पूरे का पूरा खाली हो गया ...

भारती सिथिल हो कर पेट के बल लेटी थी . हाथ फैलाए ..और मैं उसकी पीठ पर अपनी जांघे उसकी चूतड़ो से चिपकाए उसके उपर लेटा था ..आँखें बंद किए ..हांफता हुआ ... लंबी लंबी साँसें लेता हुआ ....
 
मैं कब तक सोता रहा , मुझे होश ही नही था ...मुझे मेरे होंठों पे कुछ गीला और गर्म सा महसूस हुआ ..मेरी आँख खूल गयी ..देखा तो भारती मेरे होंठ चूम रही थी , सुबेह सुबेह उठाने का नायाब तरीका ..

" अरे बाबा ..उठो ना ....""

मैं अंगड़ाइया लेते हुए , उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसे भी जवाबी किस करना शूरू कर दिया ..

"उफफफफफफ्फ़ ...तुम प्रीतू ... सारी रात मेरी चूत और गान्ड का बजा बजा दिया तुम ने ..अब भी कुछ बाकी है क्या ..?? "

"मेरी जान ..बाकी बहोत कुछ है .... "

"ठीक है ..ठीक है ..बाकी बाद के लिए भी रहने दो ... " भारती ने अपने को छुड़ाते हुए कहा ....

"भारती ..बाद किस ने देखा है ..?? कल हम रहें ना रहें ..???''

यह सुन ते ही उस ने मेरी ओर गुस्से की निगाहों से देखते हुए कहा" ऐसा मत बोलना फिर कभी .. ना बोलना ना सोचना ....मेरी सूखी जिंदगी में तुम ने अपने प्यार से जो हरे भरे पौधे लगाए हैं ...उन्हें मुझे भी तो बड़ा करना है..ना ..अपने प्यार से ...ऐसी अशुभ बात मत करो..चलो उठो ..तुमें भी तो अपने ऑफीस जाना है या नहीं ..?? "

और ऑफीस का नाम सुन ते ही मैने घड़ी देखी ... और हड़बड़ाता हुआ उठा ..."अरे बाबा रे बाबा तुम तो बिल्कुल मेरी बीबी बन गयी यार ....वो भी मुझे ऐसे ही उठती है..अरे बाबा ऑफीस तो जाना ही है ,आज तो एक ज़रूरी मीटिंग भी है.."

मैं उठा , हाथ मुँह धो कर कपड़े पहने , भारती को गले लगाया और फिर फ़र्राटे के साथ कार दौड़ाते हुए घर पहून्चा .

इसी तरेह हमारे दिन गुजर रहे थे ..यह एक ऐसा पड़ाव था मेरी जिंदगी का ..जहाँ प्यार की घनी छाँव थी ... सेक्स का कल्कल करता झरना था ..शीतल ..स्वच्छता और प्यास बूझाने वाली ..मैं बहोत खुश था ..भारती खुश थी ...उसकी जिंदगी ही बदल गयी थी...उस ने अपने धंधे को बहोत ही कम कर दिया था ..बस कुछ ही गिने चूने कस्टमर्स को ही बुलाती ..उस का इरादा कुछ दिनो बाद इसे पूरी तरेह बंद करने का था ...बस उसे उस दिन का इंतेज़ार था जब गोपाल का बिज़्नेस अच्छी तरेह चल निकले ..

गोपाल भी यही चाहता था ..
 
3 साल बाद :


समय बीत ते देर नहीं लगती ....उस पोस्टिंग में मेरे तीन साल पूरे हो गये थे ..और मेरे और भारती के संबंध के भी..इन तीन सालों में जितना प्यार मुझे भारती से मिला ..मुझे अपनी सारी जिंदगी में नहीं मिला ... अब तो मैं अपना ज़्यादा समय उसी के यहाँ बिताता ... भारती के दो पति थे गोपाल और मैं ..गोपाल ने भी इस रिश्ते को क़बूल कर लिया था..मैने उसे पैसों से काफ़ी मदद की ..उसका बिज़्नेस चल पड़ा था और भारती ने भी अपना धंधा छोड़ दिया था ..अब वो पूरी तरेह एक ग्रहिणी थी ..अपने दोनों पतियों और एक बेटे की दुनियाँ में खोई ...


पर मैं परेशान था .... मेरे ट्रान्स्फर की तलवार हवा में लटक रही थी ... तीन साल से ज़्यादा हमारी कंपनी में कोई भी एक जगेह नहीं रहता ...भारती से बिछूड़ने के ख़याल से ही मैं तड़प उठ ता ...सोचते ही मेरी रग रग कांप उठ ती ..और सब से बड़ी बात भारती को कैसे बताऊँगा ..क्या वो इसे झेल पाएगी ... ??

पर होनी को आज तक किस ने रोका है..?? शायद हमारी मुलाक़ात इतने दिनों तक का ही थी ....शायद भगवान ने मुझे भारती को इस दल दल से निकालने का ज़रिया बनाया ..?? इस बात से मुझे काफ़ी राहत मिली....

और कुछ दिनों बाद जिस का डर था वो हो ही गया...मेरे हाथ में ट्रान्स्फर ऑर्डर था . मुझे 15 दिनों के अंदर दूसरी जगेह चार्ज लेना था ....कोशिश करता तो शायद एक साल और रह सकता था ..पर उस के बाद फिर वोही ...और शायद उस समय और तकलीफ़ होती ...मैने सोच लिया ..मन बना लिया ...भारती और मेरे संबंध शायद इतने दिनों के लिए ही थे ..हर अच्छी चीज़ कभी ना कभी ख़तम होती ही है ..किसी ने कितना सही कहा है...


उस दिन शाम को ऑफीस से पहले अपने घर गया ..हाथ मुँह धो कर फ्रेश हुआ ..चाइ पी और भारती के यहाँ पहून्च गया .

भारती बाहर ही बैठी थी ...गोपाल शायद किसी काम से बाहर गया था . मैने आते ही एक कुर्सी खींची और उस के बगल बैठ गया . मेरा चेहरा कुछ उतरा हुआ था .

" क्या बात है जानू ..?? कुछ उदास दीख रहे हो..रोज तो चहेकते हुए आते हो ..आज क्या हो गया प्रीतू ..??"

" अरे कुछ नहीं यार ..बस ऐसे थोड़ा सर में दर्द है..काम कुछ ज़्यादा था ..अभी ठीक हो जाएगा .."

"प्रीतू .." उस ने बड़े प्यार से कहा .."क्या तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं ..सर दर्द का बहाना बना रहे हो..? मैं जानती हूँ तुम कुछ छुपा रहे हो ... मैने इतने दिनों से तुम्हें इतने करीब से देखा है ...प्ल्ज़्ज़ बताओ...क्या तुम्हारे घर से कुछ बूरी खबर आई है..??"

"नहीं भारती ऐसा कुछ नहीं है ... "

"तो फिर क्या है बताओ ना ..प्ल्ज़्ज़.. कुछ भी हो..अच्छी या बूरी ..बता दो मुझे ..प्ल्ज़्ज़ डरो मत जानू ..मैं अब कोई बच्ची नहीं ..मैने एक से एक मुसीबत झेली है ..प्ल्ज़्ज़ ..भगवान के लिए ..."उस की बातों से लग रहा था कि वो बहोत चींतित थी..ना जाने क्या बात है...
 
मैं एक टक उसकी ओर देखता रहा एक टक....उसकी आँखें भी मेरी ओर टक टॅकी लगाए थीं..जैसे कह रही हो "क्यूँ तडपा रहे हो ..??"

"भारती ... " मैं थोड़ी देर रूका ..फिर कहा "मेरा ट्रान्स्फर हो गया है ..मुझे यहाँ से अब जाना पड़ेगा ..""

फिर मैं एक दम से चूप हो गया ...भारती भी चूप थी ...इस खबर के झटके से..हम दोनों बस एक दूसरे की ओर देख रहे थे ....

फिर मैने देखा भारती की आँखों से आँसू टपकने लगे ...लगातार ... वो कुछ बोल ही नहीं रही थी ....जैसे इस खबर से वो सकते में आ गयी थी ..

फिर उस ने मेरे कंधे पे सर रख हिचकियाँ ले ले कर रोती और कहती जाती .." मैं जानती थी ...जानू ,,यह तो होना ही था ,,पर क्या करूँ ...मेरी जिंदगी में हमेशा ऐसा ही होता है ... एक झटके से निकलती हूँ ..दूसरा आ जाता है... जाने अब क्या होगा ..मैं किस के भरोसे रहूंगी..तुम ने मेरी जिंदगी बदल दी ..और अब मेरी जिंदगी से चले जाओगे.... चले जाओ ..चले जाओ ..सब चले जाओ...."

उसकी बातों से मैं भी अपने आप को रोक नहीं सका ..मैं भी फूट फूट के रोने लगा .... थोड़ी देर बाद मैने अपने आप को संभाला और उसके सर पर हाथ फेरता हुआ कहा ..वो अभी भी सिसक रही थी

"भारती ...भगवान को शायद यही मंजूर था ... हमें एक दूसरे से मिलाया ... लगता है कोई अधूरा सपना पूरा करना था .. अधूरा काम पूरा करना था ..शायद काम पूरा हो गया ..हमारी मोहलत ख़त्म हो गयी ... पर जिंदगी भर याद तो रहेगी ना हमें ... इन्हीं यादों को सहारा बना लेंगे ना भारती .. " मैं चूप था पर मेरा दिल फटा जा रहा था , मेरा गला रूंधा था ...

फिर भारती ने अपने आप को अलग किया अपने आँसू पोंछे और मेरी ओर देखते हुए कहा ..

"हां प्रीतू ...अधूरा काम ..मुझे इस दल दल से निकालना ...लगता है भगवान ने यह सारा खेल मेरी मुक्ति के लिए किया..तुम नहीं होते तो मैं आज भी वोही रंडी बनी रहती ..भगवान का ..तुम्हारा ..बड़ा अहेसान है मेरे उपर ... पर क्या करूँ दिल नहीं मानता ना ..तुम्हारे बिना जिंदगी पहाड़ बन जाएगी जानू ... "
 
मेरा गला रूंधा हुआ था ..मुझ से कुछ बोला नहीं जा रहा था ... मेरी आँखों से भी लगातार आँसू टपक रहे थे ...पर भारती चूप थी और उस ने मेरी ओर देखते हुए अपने कदम आगे बढ़ाए ,,मेरे सर को अपनी छाती से लगा लिया ...मेरा सर सहलाते हुए कहा " मत रो प्रीतू , मत रो .. मैं मर जाऊंगी ...मत रो ... भगवान को शायद यह नहीं मालूम हम हमेशा प्यार कर सकते हैं ..दूख में भी ... मैं तुम्हें और क्या दे सकती हूँ ..आओ हम ऐसे प्यार करें एक दूसरे को के हमेशा याद रहे ..जिंदगी भर ....आओ राजा ..आज मैं तुम्हें इतना प्यार दूँगी ..हम दोनों के लिए जिंदगी भर की यादगार बन जाएगी ..."

और उस ने मुझे अपने से चिपका लिया , चूमने लगी पागलों की तरेह , और खींचते हुए बेड रूम की ओर ले चली.

मुझे खींचते हुए भारती ने पलंग पर लीटा दिया ...और एक झटके में अपने सारे कपड़े उतार दिए ..फिर मेरे बगल में आ कर मेरे भी कपड़े उतार दिए ..और साथ में कहती जाती ...

."आज आखरी बार है ..मेरे राजा ..मैं तुम्हें अपने आप में समाँ लूँगी ..जानू....तुम्हे हमेशा के लिए अंदर ले लूँगी ..तुम्हारा स्वाद ..तुम्हारा सब कूछ ...सब कुछ पी जाउन्गि ...हां मेरे राजा ..मेरे प्रीतू ..."

मेरे उपर भारती भूखिशेरनी की तरेह टूट पड़ी..मुझे चूम रही थी ,,चाट रही थे चूस रही थे ..कभी मेरे निपल्स ..कभी मेरे होंठ ..और उस ने अपनी चूत मेरे मुँह की तरफ कर दी ...और कहा "चूसो राजा ..आज तुम भी चूसो ..मेरी चूत तुम्हें अच्छी लगती है ना जानू..आज चूस लो ..पेट भर लो मेरी रस से ...इतना चूसो के मेरा सारा पानी अंदर चला जाए ..चूसो ना ..चूसो..."

और उस ने मेरे मुँह के दोनों ओर अपनी टाँगें फैलाते हुए अपनी चूत मेरे मुँह के बिल्कुल करीब कर दिया अपने मुँह में मेरा मुरझाया लॉडा ले लिया ...और चूसने लगी जैसे कोई भूखा बच्चा अपनी माँ के स्तन से दूध चूस्ता है..अपने हाथों से मेरे बॉल्स भी सहालती जाती ...और लॉडा चूस्ति जाती ..चूस्ति जाती ....पागलों की तरेह ..मैं भी उसकी चूत चाट रहा था ..उसकी जंघें चाट रहा था ...और उसकी चूत से लगातार पानी रिसता जा रहा था ..मैं पूरे का पूरा अंदर ले लेता .....मेरा भी पानी लगातार छूट रहा था और भारती उसे चाट ती जाती ..पीती जाती ....हम दोनों एक दूसरे का टेस्ट , रस , और एक एक अंग चाट चाट कर अपने अंदर समा लेना चाह रहे थे ... पागल थे ..मैं झटके देता उसकी मुँह में झाड़ गया ..उस ने पूरे का पूरा अंदर ले लिया ...

उस रात जाने कितनी बार मैं झाड़ा और हर बार उस ने मेरा पूरा वीर्य अंदर ले लिया ..फिर लौडे के बाहर का भी रस चूस जाती ..और फिर से मुँह में ले कर चूस्ति ..चूस्ति जाती .....रात भर मेरा लॉडा उसकी मुँह में था ... उसकी चूत मेरे मुँह में ..

चुसते चूस्ते थक कर उम दोनों कब सो गये पता नहीं ...

सुबेह जब नींद खूली तो देखा भारती के मुँह से मेरा लॉडा अभी भी सटा हुआ था ..होठों से छूता हुआ सिकूड गया था ..और मेरा मुँह उसकी चूत से सटा था ..दोनों अगल बगल .आमने सामने लेटे थे.

भारती की चूत के पानी का टेस्ट मेरे मुँह में इस कदर समा गया था शायद जिंदगी भर नहीं निकल पाए ..और शायद यही हाल भारती का भी होगा ..मेरे वीर्य के टेस्ट से ..

मैने उसकी चूत चाट ते हुए उसे जगाया और उस ने भी मेरे लौडे को चाट ते हुए पूरा साफ कर दिया और उठ बैठी ..उसके होठों पर मेरा वीर्य फैला था ..मैने उन्हें अच्छी तरेह चाट ते हुए साफ कर दिया ..बाहर कोई निशानी नहीं थी ..पर अंदर हम दोनों एक दूसरे में समाए थे ... भरे थे ..शायद कभी भी नहीं जानेवाले स्वाद के रूप में. भारती की याद ... भारती का अनोखा अंदाज़ ...आज भी मेरे अंदर है.....

भरे मन से मैने कपड़े पहने ...भारती वैसे ही लेटी थी ....आँखें खूली थीं और वो मुझे एक टक देखे जा रही थी ....बातें कुछ नहीं हो रही थी , पर अंदर तूफान था..


मैं चूप चाप घर वापस आ गया ....दूसरे दिन मेरी बीबी भी आ गयी ..मैने उसे पॅकिंग वग़ैरह करने के लिए बूला लिया था ....और फिर हम भारती को ..उसकी सुनेहरी यादों को ..उन यादगार घड़ियों को , पीछे छोड़ते हुए चल पड़े अपने नये मुकाम की ओर..

पर क्या कभी भारती की याद जाएगी ?? ..उसकी बातें ख़तम होंगी ??.....कभी नहीं !!...जब तक मैं जिंदा हूँ भारती मेरे अंदर है ,उसका स्वाद ..उसका रस उसकी खूशबू .....हमेशा रहेगी ...


भारती आइ लव यू ....आइ लव यू भारती.........!!!!!!!!!

समाप्त
 
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