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7.
उस दिन शीतल रात के 10 बजे घर आई उसने जीन्स-टॉप पहना हुआ था जबकि सुबह जाते समय उसने सलवार सूट-पहना हुआ था। शीतल बहुत थकी हुई थी,वो बाथरूम में कपड़े बदलने के लिए जाने लगी।
शीतल मुझे तुमसे बात करनी है,राज ने शीतल से कहा।
शीतल ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और बाथरूम में चली गयी। जैसे ही वो बाथरूम से कपड़े बदल कर बाहर निकली तुरंत ही राज ने फिर कहा-“शीतल मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। ”
“सुबह करना अभी मैं थक गयी हूँ,” शीतल ने कहा और वो लेट गयी।
“पर मुझे अभी बात करनी है,” राज ने गुस्से में कहा।
“अभी नही सुबह।”
“मुझे अभी इसी वक्त तुमसे बात करनी है,” राज ने चिल्लाते हुए कहा।
शीतल भी पीछे नही रहने वाली थी,वो उठ खड़ी हुई और चीखती हुई बोली-“तुम्हे तभी क्यों बात करनी होती है जब मुझे नही करनी होती है……यही पूछना है की मैं कहाँ गयी थी………सुबह सब कुछ बता दूँगी। ”उसके बाद वो फिर से लेट गयी। राज से कुछ भी बोलते नही बना,वो लैपटॉप चलाने लगा।
शीतल लेटे हुए करवटें बदल रही थी उसकी आँखों में नींद नही थी। अचानक उसे क्या सूझा की राज से पूछी-“तुमने खाना खाया है? ”
राज कुछ भी नही बोला ना ही उसकी ओर देखा उसने ऐसे जताया जैसे उसने उसकी बात सुनी ही नही।
शीतल ने फिर पूछा। पर जब राज से कोई जवाब नही मिला तो वो उठी और बर्तन देखने लगी,शाम को उसने कुछ भी नही बनाया था। वो राज के लिए खाना बनाने लगी। उसने कई बार राज से बात करने की कोशिश की लेकिन राज कुछ भी नही बोला। खाना बनाने के बाद उसने राज को खाना खाने के लिए दिया,राज ने खाने की ओर देखा भी नही। शीतल ने उससे बड़ा मासूम-सा चेहरा बनाते हुए प्यार से कहा-“खाना खा लो,मुझ पर बाद में गुस्सा हो लेना।”
राज ना तो कुछ बोला ना ही उसने खाना खाया।
शीतल खाना उसके बगल में रख कर फिर लेट गयी। वो बीच-बीच में चुपके से आँख खोल कर देखती की राज ने खाना खाया या नही पर राज ने खाने को हाथ भी नही लगाया। 15 मिनट बाद उसने लेटे हुए ही कहा-“खाना खा लो फिर लैपटॉप चलाना। ”
इस बार राज ने शीतल की ओर देखा और फिर लैपटॉप में काम करने लगा। शीतल को राज पर गुस्सा भी आ रहा था और उसे भूखा भी नही देखा जा रहा था। वो फिर बोली-“खाना खा लो…………”कहते-कहते वो भावुक हो गयी और आगे के शब्द कह नही पाई। इस बार फिर राज शीतल की ओर देखे बिना नही रह पाया, उसने शीतल की रोनी सूरत देखी तो खाना खाने लगा पर शीतल से कुछ बोला नही। शीतल की आँख से आँसू बहने लगे। राज खाना खाने के बाद फिर से लैपटॉप चलाने लगा।
“तुम मुझे इतना रुलाते क्यों हो?” शीतल ने कहा।
राज ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और लैपटॉप में इंटरनेट चलाने लगा। शीतल उसके बगल में बैठ गयी पर राज ने उसकी ओर देखा भी नही। शीतल ने लैपटॉप बंद करके एक किनारे रख दिया,राज फिर भी कुछ नही बोला और वहीं लेट गया।
“मुझे माफ़ कर दो,” शीतल ने राज से कहा।
“सुबह बात करेंगे,” राज ने कहा।
राज लेट कर सो गया पर शीतल की आखों में नींद कहाँ थी वो देर रात तक जागती रही,उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि क्यों उसने राज पर चीखा?
उसे रात में कब नींद आ गयी उसे पता भी नही चला। सुबह जब वो उठी तो देखा की राज घर में नही था। शीतल ने खाना नही बनाया और अपने ऑफिस चली गयी। शाम को 7बजे ऑफिस से वापस आई तब भी राज नही आया था। राज रात के 11बजे आया।
“कहाँ गये थे?” शीतल ने पूछा।
“काम ढूढ़ने।”
शीतल कुछ नही बोली और उसे खाना निकालकर दे दिया। खाना खाने के बाद राज लैपटॉप चलाने लगा।
“तुम हर समय लैपटॉप में क्या करते हो?”शीतल ने पूछा।
“कुछ नही।”
“कुछ नही क्या……? कुछ तो करते ही होगे।”
“मैं इस शहर की लैपटॉप और कंप्यूटर की बड़ी दुकानों के बारे में पता करता हूँ,” राज ने कहा।
“क्यों?”
“मैं पता कर रहा हूँ की ऐसा कौन सा शोरुम है जिसकी सबसे कम कमाई होती है और लागत ज़्यादा है। मैं उन शोरुम से एक डील करूँगा,” राज ने कहा।
“कैसी?”
“तुम ज़्यादा कुछ मत पूछो,बस इतना समझ लो की अब हमारे पास पैसों की कोई कमी नही होगी,”राज ने कहा।
शीतल राज के सहारे उसके बगल में बैठ गयी,कुछ देर बाद राज ने लैपटॉप बंद कर दिया।
“मैं कल जय के साथ पार्टी में गयी थी,”शीतल ने कहा।
“तुम बता कर भी जा सकती थी,” राज ने कहा।
“मुझे खुद नही मालूम था की वो मुझे पार्टी में लेकर जाएगा,वैसे भी मैं बता कर गयी थी कि मैं जय के साथ जा रही हूँ,” शीतल ने कहा।
राज ने उससे कुछ नही कहा और सो गया। कुछ देर बाद शीतल भी सो गयी। राज हर रोज़ काम की वजह से बाहर जाने लगा था। वो पैसा भी अच्छा कमाने लगा था पर वो जितना कमाता था वो सारा फिर से उसी बिजनेस में लगा देता था।
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उस दिन शीतल रात के 10 बजे घर आई उसने जीन्स-टॉप पहना हुआ था जबकि सुबह जाते समय उसने सलवार सूट-पहना हुआ था। शीतल बहुत थकी हुई थी,वो बाथरूम में कपड़े बदलने के लिए जाने लगी।
शीतल मुझे तुमसे बात करनी है,राज ने शीतल से कहा।
शीतल ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और बाथरूम में चली गयी। जैसे ही वो बाथरूम से कपड़े बदल कर बाहर निकली तुरंत ही राज ने फिर कहा-“शीतल मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। ”
“सुबह करना अभी मैं थक गयी हूँ,” शीतल ने कहा और वो लेट गयी।
“पर मुझे अभी बात करनी है,” राज ने गुस्से में कहा।
“अभी नही सुबह।”
“मुझे अभी इसी वक्त तुमसे बात करनी है,” राज ने चिल्लाते हुए कहा।
शीतल भी पीछे नही रहने वाली थी,वो उठ खड़ी हुई और चीखती हुई बोली-“तुम्हे तभी क्यों बात करनी होती है जब मुझे नही करनी होती है……यही पूछना है की मैं कहाँ गयी थी………सुबह सब कुछ बता दूँगी। ”उसके बाद वो फिर से लेट गयी। राज से कुछ भी बोलते नही बना,वो लैपटॉप चलाने लगा।
शीतल लेटे हुए करवटें बदल रही थी उसकी आँखों में नींद नही थी। अचानक उसे क्या सूझा की राज से पूछी-“तुमने खाना खाया है? ”
राज कुछ भी नही बोला ना ही उसकी ओर देखा उसने ऐसे जताया जैसे उसने उसकी बात सुनी ही नही।
शीतल ने फिर पूछा। पर जब राज से कोई जवाब नही मिला तो वो उठी और बर्तन देखने लगी,शाम को उसने कुछ भी नही बनाया था। वो राज के लिए खाना बनाने लगी। उसने कई बार राज से बात करने की कोशिश की लेकिन राज कुछ भी नही बोला। खाना बनाने के बाद उसने राज को खाना खाने के लिए दिया,राज ने खाने की ओर देखा भी नही। शीतल ने उससे बड़ा मासूम-सा चेहरा बनाते हुए प्यार से कहा-“खाना खा लो,मुझ पर बाद में गुस्सा हो लेना।”
राज ना तो कुछ बोला ना ही उसने खाना खाया।
शीतल खाना उसके बगल में रख कर फिर लेट गयी। वो बीच-बीच में चुपके से आँख खोल कर देखती की राज ने खाना खाया या नही पर राज ने खाने को हाथ भी नही लगाया। 15 मिनट बाद उसने लेटे हुए ही कहा-“खाना खा लो फिर लैपटॉप चलाना। ”
इस बार राज ने शीतल की ओर देखा और फिर लैपटॉप में काम करने लगा। शीतल को राज पर गुस्सा भी आ रहा था और उसे भूखा भी नही देखा जा रहा था। वो फिर बोली-“खाना खा लो…………”कहते-कहते वो भावुक हो गयी और आगे के शब्द कह नही पाई। इस बार फिर राज शीतल की ओर देखे बिना नही रह पाया, उसने शीतल की रोनी सूरत देखी तो खाना खाने लगा पर शीतल से कुछ बोला नही। शीतल की आँख से आँसू बहने लगे। राज खाना खाने के बाद फिर से लैपटॉप चलाने लगा।
“तुम मुझे इतना रुलाते क्यों हो?” शीतल ने कहा।
राज ने उसकी बात पर कोई ध्यान नही दिया और लैपटॉप में इंटरनेट चलाने लगा। शीतल उसके बगल में बैठ गयी पर राज ने उसकी ओर देखा भी नही। शीतल ने लैपटॉप बंद करके एक किनारे रख दिया,राज फिर भी कुछ नही बोला और वहीं लेट गया।
“मुझे माफ़ कर दो,” शीतल ने राज से कहा।
“सुबह बात करेंगे,” राज ने कहा।
राज लेट कर सो गया पर शीतल की आखों में नींद कहाँ थी वो देर रात तक जागती रही,उसे अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि क्यों उसने राज पर चीखा?
उसे रात में कब नींद आ गयी उसे पता भी नही चला। सुबह जब वो उठी तो देखा की राज घर में नही था। शीतल ने खाना नही बनाया और अपने ऑफिस चली गयी। शाम को 7बजे ऑफिस से वापस आई तब भी राज नही आया था। राज रात के 11बजे आया।
“कहाँ गये थे?” शीतल ने पूछा।
“काम ढूढ़ने।”
शीतल कुछ नही बोली और उसे खाना निकालकर दे दिया। खाना खाने के बाद राज लैपटॉप चलाने लगा।
“तुम हर समय लैपटॉप में क्या करते हो?”शीतल ने पूछा।
“कुछ नही।”
“कुछ नही क्या……? कुछ तो करते ही होगे।”
“मैं इस शहर की लैपटॉप और कंप्यूटर की बड़ी दुकानों के बारे में पता करता हूँ,” राज ने कहा।
“क्यों?”
“मैं पता कर रहा हूँ की ऐसा कौन सा शोरुम है जिसकी सबसे कम कमाई होती है और लागत ज़्यादा है। मैं उन शोरुम से एक डील करूँगा,” राज ने कहा।
“कैसी?”
“तुम ज़्यादा कुछ मत पूछो,बस इतना समझ लो की अब हमारे पास पैसों की कोई कमी नही होगी,”राज ने कहा।
शीतल राज के सहारे उसके बगल में बैठ गयी,कुछ देर बाद राज ने लैपटॉप बंद कर दिया।
“मैं कल जय के साथ पार्टी में गयी थी,”शीतल ने कहा।
“तुम बता कर भी जा सकती थी,” राज ने कहा।
“मुझे खुद नही मालूम था की वो मुझे पार्टी में लेकर जाएगा,वैसे भी मैं बता कर गयी थी कि मैं जय के साथ जा रही हूँ,” शीतल ने कहा।
राज ने उससे कुछ नही कहा और सो गया। कुछ देर बाद शीतल भी सो गयी। राज हर रोज़ काम की वजह से बाहर जाने लगा था। वो पैसा भी अच्छा कमाने लगा था पर वो जितना कमाता था वो सारा फिर से उसी बिजनेस में लगा देता था।
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