hotaks444
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दीनू सबको राज से मिलवाने लगा. उधर रवि जो अभी सिर्फ़ *** साल का था. वो अपनी खेलने का आदत को छोड़ नही पाया था. और जब सभी बातें कर रहे थे. रवि एक मजदूर के लड़के के पास चला गया. वो राज से काफ़ी दूर था. वो उस लड़के के साथ खेलने लगा. तभी रवि को किसी ने आवाज़ दे. अर्रे ओ रवि ज़रा इधर तो आ.
जब रवि ने घूम कर देखा. तो सामने के बाज़रे के खेतों मे रज़िया काम कर रही थी. रज़िया खेतों मे काम करने वाले मजदूर असलम की बीवी थी. रवि उसके पास जाने से कतराता है , पर वो फिर से उसे आवाज़ देती है. और रवि ना चाहते हुए भी उसके पास चला जाता है. अब रवि और रज़िया और बाकी खड़े लोग के बीच मे बाजरे के खेत थे. जिसके कारण उन्हे कोई देख नही पा रहा था.
रवि: (रज़िया के पास पहुँच कर) हां बताओ क्यों बुला रही हो.
रज़िया: ( रवि के हाथ को पकड़ कर उसके खेत के और अंदर लेजाती है) अर्रे इधर तो आ कहाँ भागा जा रहा है.
रवि: जो पूछना है यहीं पूछ लो. बाबू जी मुझ ढूँढ रहे होंगे.
रज़िया: (काफ़ी आगे जाकर रुक जाती है) अर्रे मे तो यहीं पूछना चाहती थी. कि ये बाबू जी कॉन हैं.
रवि: तुम्हें नही पता. जिनके खेतों मे काम करती हो. उन्हें ही नही जानती.
रज़िया: अच्छा तो ये राज बाबू जी हैं.
रवि: और नही तो क्या.
रज़िया: अच्छा ये बता बाबू जी कब आए सहर से. और कॉन-2 साथ मे आया हैं.
रवि: कल आए थे. अपनी छोटी बेहन के साथ उनका बेटा है साथ मे.
रज़िया: अच्छा इसीलिए तू भाव खा रहा है. आज कल बाबू जी का खास हो गया है तू. और बाबू जी की बेहन तो बहुत खूबसूरत हो गी ना. उसे ही देखता रहा होगा तू. जो कल खेतों मे नही आया.
रवि: (एक दम से घबरते हुए) अर्रे ये क्या बोल रही हो काकी. अगर किसी को पता भी चल गया कि तू ऐसी बात बोली है. तो तेरे साथ-2 बाबू जी मेरी खाल भी उतरवा देंगे. तुम उन्हें जानती नही हो.
रज़िया: (रवि की बात को सुन कर एक दम से घबरा गयी) अर्रे नही- 2 मे तो मज़ाक कर रही थी. तुझे छेड़ने मे बहुत मज़ा आता है. इसलिए.
रवि: अच्छा अब मे चलता हूँ. बहुत देर हो गयी है.
जैसे ही रवि जाने लगा. रज़िया ने उसे बढ़ कर अपनी बाहों मे भर लिया. और उसके गालों को पागलों की तरहा चूमने लगी.
रवि: छोड़ो मुझ क्या कर रही हो. मुझ ये सब अच्छा नही लगता.
रज़िया: (वासना से भरी आवाज़ मे) अर्रे जालिम कुछ तो ख़याल कर मेरा. एक मे हूँ जो तुम पर अपना सब कुछ लुटाने के लिए तैयार हूँ. और तू मुझ से ठीक से बात भी नही करता.
रवि: छोड़ो मुझ मे ये सब गंदे काम नही करता हूँ.
रज़िया: जानती हूँ. मेरे सहज़ादे. पर जब से तेरा हथियार देखा है. तब से मेरी ये मुई चूत पानी ही छोड़ती रहती है. बस एक बार मेरी प्यास बुझा दे.
रवि: अपने पति को बोल ना. वहीं तेरी प्यास बुझाएगा. छोड़ मुझ जाने दे.
रज़िया: ऐसे कैसे जाने दूं. बहुत दिनो बाद मोका हाथ लगा है. अच्छा ठीक है मुझ एक बार प्यार तो करने दे. तेरे इस गोलमटोल चहरे ने मेरी नींद उड़ा रखी है.
रवि: नही अपने पति को जाकर प्यार कर मुझ क्यों तंग कर रही है. मुझे जाने दो. तेरा बेटा भी वहाँ खेल रहा है. वो इधर आ जाएगा.
रज़िया: अर्रे काहे का पति. वो साला भोसड़ी का गान्ड मे दम नही और हम किसी से कम नही. वो मुझ क्या खाक खुस करेगा. बस एक बार मुझ सिर्फ़ प्यार करने दे,
रवि: (मुँह बनाते हुए) अच्छा जो करना है जल्दी कर.
रज़िया रवि की बात सुन कर खुस हो गयी. और उसे बाजरे के बीच मे ले गयी. और उससे से चिपक कर पागलों की तरहा उसके गालों को चूमने लगी. ना चाहते हुए भी रवि का लंड उसके पाजामा मे तनने लगा. रज़िया की मोटी-2 चुचियाँ रवि की चेस्ट मे धँस रही थी. रवि का लंड तन कर रज़िया के लहँगे के ऊपेर से उसकी फूली चूत पर जा लगा.
और रज़िया कसमसा कर रवि से चिपक गयी. और रवि के होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसने लगी. उसकी चूत लहँगे के ऊपेर से रवि का सख़्त लंड महसूस करके पानी छोड़ने लगी थी. धीरे-2 उसने रवि के हाथों को पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख लिया. और अपने हाथों का दबाव रवि के हाथों पर बढ़ाने लगी.
रज़िया: अहह रवि देख ना कैसी मेरी चुचियाँ कड़ी रहती है. इन्हे मसल कर इनकी अकड़ को ख़तम कर दे ना.
रवि अब रज़िया से किसी तरहा भी पीछा छुड़ाना चाहता था. उसने धीरे-2 रज़िया की चुचियों को उसकी चोली के ऊपेर से मसलना चालू कर दिया.
रज़िया: अहह ओह हाां ऐसी हीई दबा और जोर्र सी ओह मिटा दे इनकी अकड़दड़ ओह्ह्ह्ह
और रज़िया ने अपना हाथ नीचे करके रवि के लंड को पाजामा के ऊपेर से पकड़ लिया. रवि के बदन मे करेंट सा दौड़ गया. रवि अब अपने आपे मे नही था. रज़िया धीरे-2 रवि के लंड को हिलाने लगी.
रवि: (काँपती हुई आवाज़ मे ) आह जल्दी करो. मुझे जाना है.
रज़िया एक दम से पैरों के बल नीचे बैठ गयी. और रवि के पाजामा को खोल कर उसको घुटनो तक सरका दिया. रज़िया की आँखों मे चमक आ गयी.
रज़िया: तेरे इस लंड ने मेरी चूत मे आग लगा रखी है. कितना बड़ा है रे तेरा हथियार. सच मे अगर तू मेरा मर्द होता. तो दिन रात अपनी चूत मे तेरा मुन्सल सा लौडा लिए रहती.
और रज़िया ने मुँह खोल कर रवि के मोटे लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया. और तेज़ी से चूसने लगा. रवि ने इससे पहले कुछ नही किया था. जैसे ही रवि का लंड रज़िया के गरम मुँह मे गया. रवि का बदन अकड़ गया.
रवि: (मस्ती से भरी आवाज़ मे) ओह्ह्ह्ह काकी ये क्या कर रही है. ओह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है..
रज़िया रवि को गरम होता देख मन ही मन मुस्कुराने लगती है. और तेज़ी से रवि के लंड को चूसने लगती है. ना चाहते हुए भी रवि की कमर झटके खाने लगती है, और रवि के लंड की नसें फूलने लग जाती है. रज़िया ने 5 मिनट तक खूब कस कस के रवि के लंड को चूसा. और जब रज़िया को पता चला कि अब रवि का लंड अपना लावा उगलने वाला है. तो रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से निकाल कर तेज़ी से मुठियाना चालू कर दिया. और रवि के लंड के सुपाडे से वीर्य की पिचकारियाँ निकलने लगी. जो रज़िया के चहरे और चोली के ऊपेर उसकी चुचियों पर गिरने लगी. रवि के लंड ने ढेर सारा पानी निकाला था. रज़िया का फेस एक दम सन चुका था. रज़िया के होंठो पर मुस्कान आ गयी. और रवि की तरफ देखने लगी.
रज़िया: एक बार इतना ही पानी मेरी चूत मे डाल कर इसकी प्यास बुझा दे ना.
तभी ..............................................
जब रवि ने घूम कर देखा. तो सामने के बाज़रे के खेतों मे रज़िया काम कर रही थी. रज़िया खेतों मे काम करने वाले मजदूर असलम की बीवी थी. रवि उसके पास जाने से कतराता है , पर वो फिर से उसे आवाज़ देती है. और रवि ना चाहते हुए भी उसके पास चला जाता है. अब रवि और रज़िया और बाकी खड़े लोग के बीच मे बाजरे के खेत थे. जिसके कारण उन्हे कोई देख नही पा रहा था.
रवि: (रज़िया के पास पहुँच कर) हां बताओ क्यों बुला रही हो.
रज़िया: ( रवि के हाथ को पकड़ कर उसके खेत के और अंदर लेजाती है) अर्रे इधर तो आ कहाँ भागा जा रहा है.
रवि: जो पूछना है यहीं पूछ लो. बाबू जी मुझ ढूँढ रहे होंगे.
रज़िया: (काफ़ी आगे जाकर रुक जाती है) अर्रे मे तो यहीं पूछना चाहती थी. कि ये बाबू जी कॉन हैं.
रवि: तुम्हें नही पता. जिनके खेतों मे काम करती हो. उन्हें ही नही जानती.
रज़िया: अच्छा तो ये राज बाबू जी हैं.
रवि: और नही तो क्या.
रज़िया: अच्छा ये बता बाबू जी कब आए सहर से. और कॉन-2 साथ मे आया हैं.
रवि: कल आए थे. अपनी छोटी बेहन के साथ उनका बेटा है साथ मे.
रज़िया: अच्छा इसीलिए तू भाव खा रहा है. आज कल बाबू जी का खास हो गया है तू. और बाबू जी की बेहन तो बहुत खूबसूरत हो गी ना. उसे ही देखता रहा होगा तू. जो कल खेतों मे नही आया.
रवि: (एक दम से घबरते हुए) अर्रे ये क्या बोल रही हो काकी. अगर किसी को पता भी चल गया कि तू ऐसी बात बोली है. तो तेरे साथ-2 बाबू जी मेरी खाल भी उतरवा देंगे. तुम उन्हें जानती नही हो.
रज़िया: (रवि की बात को सुन कर एक दम से घबरा गयी) अर्रे नही- 2 मे तो मज़ाक कर रही थी. तुझे छेड़ने मे बहुत मज़ा आता है. इसलिए.
रवि: अच्छा अब मे चलता हूँ. बहुत देर हो गयी है.
जैसे ही रवि जाने लगा. रज़िया ने उसे बढ़ कर अपनी बाहों मे भर लिया. और उसके गालों को पागलों की तरहा चूमने लगी.
रवि: छोड़ो मुझ क्या कर रही हो. मुझ ये सब अच्छा नही लगता.
रज़िया: (वासना से भरी आवाज़ मे) अर्रे जालिम कुछ तो ख़याल कर मेरा. एक मे हूँ जो तुम पर अपना सब कुछ लुटाने के लिए तैयार हूँ. और तू मुझ से ठीक से बात भी नही करता.
रवि: छोड़ो मुझ मे ये सब गंदे काम नही करता हूँ.
रज़िया: जानती हूँ. मेरे सहज़ादे. पर जब से तेरा हथियार देखा है. तब से मेरी ये मुई चूत पानी ही छोड़ती रहती है. बस एक बार मेरी प्यास बुझा दे.
रवि: अपने पति को बोल ना. वहीं तेरी प्यास बुझाएगा. छोड़ मुझ जाने दे.
रज़िया: ऐसे कैसे जाने दूं. बहुत दिनो बाद मोका हाथ लगा है. अच्छा ठीक है मुझ एक बार प्यार तो करने दे. तेरे इस गोलमटोल चहरे ने मेरी नींद उड़ा रखी है.
रवि: नही अपने पति को जाकर प्यार कर मुझ क्यों तंग कर रही है. मुझे जाने दो. तेरा बेटा भी वहाँ खेल रहा है. वो इधर आ जाएगा.
रज़िया: अर्रे काहे का पति. वो साला भोसड़ी का गान्ड मे दम नही और हम किसी से कम नही. वो मुझ क्या खाक खुस करेगा. बस एक बार मुझ सिर्फ़ प्यार करने दे,
रवि: (मुँह बनाते हुए) अच्छा जो करना है जल्दी कर.
रज़िया रवि की बात सुन कर खुस हो गयी. और उसे बाजरे के बीच मे ले गयी. और उससे से चिपक कर पागलों की तरहा उसके गालों को चूमने लगी. ना चाहते हुए भी रवि का लंड उसके पाजामा मे तनने लगा. रज़िया की मोटी-2 चुचियाँ रवि की चेस्ट मे धँस रही थी. रवि का लंड तन कर रज़िया के लहँगे के ऊपेर से उसकी फूली चूत पर जा लगा.
और रज़िया कसमसा कर रवि से चिपक गयी. और रवि के होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसने लगी. उसकी चूत लहँगे के ऊपेर से रवि का सख़्त लंड महसूस करके पानी छोड़ने लगी थी. धीरे-2 उसने रवि के हाथों को पकड़ कर अपनी चुचियों पर रख लिया. और अपने हाथों का दबाव रवि के हाथों पर बढ़ाने लगी.
रज़िया: अहह रवि देख ना कैसी मेरी चुचियाँ कड़ी रहती है. इन्हे मसल कर इनकी अकड़ को ख़तम कर दे ना.
रवि अब रज़िया से किसी तरहा भी पीछा छुड़ाना चाहता था. उसने धीरे-2 रज़िया की चुचियों को उसकी चोली के ऊपेर से मसलना चालू कर दिया.
रज़िया: अहह ओह हाां ऐसी हीई दबा और जोर्र सी ओह मिटा दे इनकी अकड़दड़ ओह्ह्ह्ह
और रज़िया ने अपना हाथ नीचे करके रवि के लंड को पाजामा के ऊपेर से पकड़ लिया. रवि के बदन मे करेंट सा दौड़ गया. रवि अब अपने आपे मे नही था. रज़िया धीरे-2 रवि के लंड को हिलाने लगी.
रवि: (काँपती हुई आवाज़ मे ) आह जल्दी करो. मुझे जाना है.
रज़िया एक दम से पैरों के बल नीचे बैठ गयी. और रवि के पाजामा को खोल कर उसको घुटनो तक सरका दिया. रज़िया की आँखों मे चमक आ गयी.
रज़िया: तेरे इस लंड ने मेरी चूत मे आग लगा रखी है. कितना बड़ा है रे तेरा हथियार. सच मे अगर तू मेरा मर्द होता. तो दिन रात अपनी चूत मे तेरा मुन्सल सा लौडा लिए रहती.
और रज़िया ने मुँह खोल कर रवि के मोटे लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया. और तेज़ी से चूसने लगा. रवि ने इससे पहले कुछ नही किया था. जैसे ही रवि का लंड रज़िया के गरम मुँह मे गया. रवि का बदन अकड़ गया.
रवि: (मस्ती से भरी आवाज़ मे) ओह्ह्ह्ह काकी ये क्या कर रही है. ओह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है..
रज़िया रवि को गरम होता देख मन ही मन मुस्कुराने लगती है. और तेज़ी से रवि के लंड को चूसने लगती है. ना चाहते हुए भी रवि की कमर झटके खाने लगती है, और रवि के लंड की नसें फूलने लग जाती है. रज़िया ने 5 मिनट तक खूब कस कस के रवि के लंड को चूसा. और जब रज़िया को पता चला कि अब रवि का लंड अपना लावा उगलने वाला है. तो रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से निकाल कर तेज़ी से मुठियाना चालू कर दिया. और रवि के लंड के सुपाडे से वीर्य की पिचकारियाँ निकलने लगी. जो रज़िया के चहरे और चोली के ऊपेर उसकी चुचियों पर गिरने लगी. रवि के लंड ने ढेर सारा पानी निकाला था. रज़िया का फेस एक दम सन चुका था. रज़िया के होंठो पर मुस्कान आ गयी. और रवि की तरफ देखने लगी.
रज़िया: एक बार इतना ही पानी मेरी चूत मे डाल कर इसकी प्यास बुझा दे ना.
तभी ..............................................