hotaks444
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जब वो रज़िया के कमरे के सामने पहुँचा . तो उसे वहाँ रज़िया नही दिखाई दी. रज़िया का बेटा वहाँ खेल रहा था.
रवि: मुन्ना काकी कहाँ पर हैं.
मुन्ना: (खेतों की तरफ इशारा करते हुए) वो माँ उधर गयी है.
रवि: काका वापिस आ गये.
मुन्ना: नही शाम को आएँगे.
और रवि खेतों मे चला गया. दो खेतों के किनारों के बीच मे चलते हुए, वो काफ़ी अंदर तक आ गया. दोनो खेतों मे बाजरें की बड़ी-2 फसल उगी हुई थी. तभी उसे रज़िया के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दी. रवि आवाज़ की दिशा मे बढ़ने लगा. और कुछ दूर और चलने पर वो रज़िया के पास पहुँच गया. जैसे ही रज़िया ने रवि को देखा. रज़िया के होंठो पर मुस्कान फैल गयी.
रज़िया: (मुस्कुराते हुए) क्यों रे कहाँ था तू.
रवि: वो मे बाबू जी के साथ गया था.
रज़िया: और सुना कल रात को मज़ा आया.
रवि: (शरमाते हुए) हां.
रज़िया अपने काम मे लग गयी. रज़िया पंजों के बल बैठ कर घस्स काट रही थी. उसकी पीठ रवि की तरफ थी. जैसे ही रज़िया घास काटने के लिए आगे की ओर झुकती. तो उसकी मोटी गान्ड पीछे से उठ जाती. जो रवि को लहँगे के ऊपेर से ही गरम कर रही थी.
रवि: काकी एक बार और करने दो ना.
रज़िया: (पीछे मूड कर देखते हुए) अच्छा क्या दूं बोल के बता ना.
रवि: (शरमाते हुए) च चूत काकी.
रज़िया: (उठ कर रवि की ओर आते हुए) चल लेट जा पहले देखूं तो सही. तेरा लौडा खड़ा भी हैं या कल रात ही उसकी सारी अकड़ निकल गयी.
रवि उसी तरपाल पर खड़ा हो गया. और अपने पाजामे का नाडा खोल कर पाजामे को नीचे कर दिया. रवि का तना हुआ 8 इंच का मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया. रज़िया की आँखों मे रवि के लंड देख कर चमक आ गयी.
रज़िया: (गहरी साँस लेते हुए) रवि तेरा हथियार तो सच मे लोहे की सलाख जैसा तना हुआ हे. (और रज़िया ने रवि के लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया.)
रवि ने रज़िया को अपनी बाहों मे कस लिया. और रज़िया के होंठो पर अपने होंठो को रख दिया. रज़िया ने भी एक हाथ से लंड को थामे हुए दूसरे हाथ को रवि की पीठ पर कस लिया. और अपने होंठो को ढीला छोड़ कर रवि के होंठो से अपने होंठो को चुसवाने लगी. और दूसरे हाथ से धीरे-2 रवि के लंड को हिलाने लगी. दोनो पागलों की तरहा एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे.
थोड़ी देर एक दूसरे के होंठो को चूसने के बाद दोनो ने अपने होंठो को अलग किया. और रज़िया रवि की आँखों मे देखते हुए घुटनो के बल नीचे बैठ गयी. और रवि के लंड के सुपाडा को मुँह मे लेकर चूसना चालू कर दिया. रवि का बदन एक दम से अकड़ गया. उसने रज़िया के सर को दोनो हाथों से कस के पकड़ लिया. और धीरे-2 अपनी कमर को हिलाने लगा.
रज़िया अपने दोनो हाथों से रवि के चुतड़ों को थामें रवि के लंड को अपने मुँह के अंदर बाहर कर रही थी. रवि का लंड रज़िया के थूक से सन कर चिकना हो गया था. लंड और कड़ा हो चुका था. नीचे रज़िया की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया था.
रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से बाहर निकला, और रवि के पाजामे को खींच कर निकाल दिया,और तरपाल पर रख दिया.
रज़िया: चल अब जल्दी से लेट जा. और अपने टाँगों को पूरा फैला ले.
रवि जल्दी से तरपाल पर लेट गया. और अपनी टाँगों को फैला लिया. उसका लंड उसकी टाँगों के बीच मे झटके खा रहा था. रज़िया ने अपनी लहँगे को अपनी कमर तक उठा लिया. उसकी हुई फूली हुई चूत देख रवि का लंड और झटके खाने लगा. रज़िया रवि की टाँगों के बीच मे आ गये, और रवि की तरफ पीठ करके उसकी जाँघो के बीच मे पंजों के बल उकड़ू बैठ गये. और फिर रज़िया ने अपना एक हाथ अपनी दोनो जाँघो के बीच मे से ले जाकर रवि के मोटे कड़े लंड को पकड़ लिया. और अपनी चूत के छेद पर लगा दिया.
जैसे ही रवि के लंड का गरम सुपाडा रज़िया की चूत के छेद पर लगा. रज़िया के मुँह से आहह निकल गयी. और वो रवि के लंड को थामे-2 अपनी चूत को रवि के लंड पर दबाने लगी. रवि के लंड का सुपाडा रज़िया की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ, धीरे-2 अंदर जाने लगा. जैसे ही रवि का लंड रज़िया की चूत मे पूरा उतरा. रज़िया ने अपनी दोनो हथेलयों को ज़मीन पर टिका लिया. और पंजों के बल उकड़ू बैठे हुए, धीरे-2 अपनी गान्ड को ऊपेर नीचे उछालने लगी. रवि के लंड का मोटा सुपाडा रज़िया की चूत के दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगे.
रज़िया: अहह ओह बएटाा रवीिइ देखह नाआ आजज्ज कल मेरी छूट मे कुछ जयदा ही खुजली होनईए लगी है. ऑश ऑश
और रज़िया अब पूरी तरहन गरम हो कर तेज़ी से अपनी गान्ड उछाल-2 कर रवि के लंड पर अपनी चूत को पटकने लगी. रज़िया का लहंगा उसकी कमर तक चढ़ा हुआ था. जैसे ही वो अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछालती. रज़िया की गान्ड फैल जाती, और रज़िया की गान्ड का छेद रवि की आँखों के सामने आ जाता.
ये सब देख-2 कर रवि भी पूरी मस्ती मे आ चुका था. और अपनी कमर को नीचे से ऊपेर की ओर उछालने लगा. रवि की जाँघो के पुट्ठे रज़िया की गान्ड से टकरा कर थप-2 की आवाज़ कर रही थी. अब दोनो तरफ से पूरा ज़ोर लग रहा था. रज़िया रवि के मोटे लंड को अपनी चूत की गहराइयों मे महसूस करके एक दम कामविहल हो चुकी थी. करीब 10 मिनट लगतार चली चुदाई के बाद रज़िया का बदन अकड़ने लगा.
रज़िया: उम्ह्ह्ह्ह अहह अहह ओह रवीीईईई मेरीईए बेटी ओह मेरी चूत्त्त पानी छोड़ने वाली है. हान्न्न आईसीईए जोर्र्र्र सीई मार अपना लंड मेरी चूत मे अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओह मेन्णन्न् गइईई
और रज़िया की चूत ने पानी छोडना चालू कर दिया. रज़िया का बदन चूत के पानी छोड़ते हुए झटके खाने लगा. अब उसे अपनी गान्ड उछालना नमुनकीन सा लग रहा था. वो तो झड कर पस्त हो चुकी थी. लेकिन रवि अभी तक झडा नही था. ये रज़िया अच्छी तरहा जानती थी. इसीलिए रज़िया ने अपनी हथेलियों को ज़मीन पर टिकाए हुए, अपनी गान्ड को ऊपेर उठा लिया. ताकि रवि अपने लंड को आसानी से उसकी चूत मे अंदर बाहर कर सकें.
जैसे ही रज़िया ने अपनी गान्ड को ऊपेर उठाया. रवि ने अपनी कोहानियों के सहारे से थोड़ा सा उठ गया. और अपना पूरा ज़ोर लगा कर अपनी कमर को ऊपेर की ओर उछाल कर रज़िया की चूत मे धना-धन अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. रज़िया की चूत उसके काम रस से पूरी तरहा भीग चुकी थी. इसीलिए लंड के अंदर बाहर होने से फॅक-2 की कामुक आवाज़ रज़िया की चूत से आ रही थी.
रवि: मुन्ना काकी कहाँ पर हैं.
मुन्ना: (खेतों की तरफ इशारा करते हुए) वो माँ उधर गयी है.
रवि: काका वापिस आ गये.
मुन्ना: नही शाम को आएँगे.
और रवि खेतों मे चला गया. दो खेतों के किनारों के बीच मे चलते हुए, वो काफ़ी अंदर तक आ गया. दोनो खेतों मे बाजरें की बड़ी-2 फसल उगी हुई थी. तभी उसे रज़िया के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दी. रवि आवाज़ की दिशा मे बढ़ने लगा. और कुछ दूर और चलने पर वो रज़िया के पास पहुँच गया. जैसे ही रज़िया ने रवि को देखा. रज़िया के होंठो पर मुस्कान फैल गयी.
रज़िया: (मुस्कुराते हुए) क्यों रे कहाँ था तू.
रवि: वो मे बाबू जी के साथ गया था.
रज़िया: और सुना कल रात को मज़ा आया.
रवि: (शरमाते हुए) हां.
रज़िया अपने काम मे लग गयी. रज़िया पंजों के बल बैठ कर घस्स काट रही थी. उसकी पीठ रवि की तरफ थी. जैसे ही रज़िया घास काटने के लिए आगे की ओर झुकती. तो उसकी मोटी गान्ड पीछे से उठ जाती. जो रवि को लहँगे के ऊपेर से ही गरम कर रही थी.
रवि: काकी एक बार और करने दो ना.
रज़िया: (पीछे मूड कर देखते हुए) अच्छा क्या दूं बोल के बता ना.
रवि: (शरमाते हुए) च चूत काकी.
रज़िया: (उठ कर रवि की ओर आते हुए) चल लेट जा पहले देखूं तो सही. तेरा लौडा खड़ा भी हैं या कल रात ही उसकी सारी अकड़ निकल गयी.
रवि उसी तरपाल पर खड़ा हो गया. और अपने पाजामे का नाडा खोल कर पाजामे को नीचे कर दिया. रवि का तना हुआ 8 इंच का मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया. रज़िया की आँखों मे रवि के लंड देख कर चमक आ गयी.
रज़िया: (गहरी साँस लेते हुए) रवि तेरा हथियार तो सच मे लोहे की सलाख जैसा तना हुआ हे. (और रज़िया ने रवि के लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया.)
रवि ने रज़िया को अपनी बाहों मे कस लिया. और रज़िया के होंठो पर अपने होंठो को रख दिया. रज़िया ने भी एक हाथ से लंड को थामे हुए दूसरे हाथ को रवि की पीठ पर कस लिया. और अपने होंठो को ढीला छोड़ कर रवि के होंठो से अपने होंठो को चुसवाने लगी. और दूसरे हाथ से धीरे-2 रवि के लंड को हिलाने लगी. दोनो पागलों की तरहा एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे.
थोड़ी देर एक दूसरे के होंठो को चूसने के बाद दोनो ने अपने होंठो को अलग किया. और रज़िया रवि की आँखों मे देखते हुए घुटनो के बल नीचे बैठ गयी. और रवि के लंड के सुपाडा को मुँह मे लेकर चूसना चालू कर दिया. रवि का बदन एक दम से अकड़ गया. उसने रज़िया के सर को दोनो हाथों से कस के पकड़ लिया. और धीरे-2 अपनी कमर को हिलाने लगा.
रज़िया अपने दोनो हाथों से रवि के चुतड़ों को थामें रवि के लंड को अपने मुँह के अंदर बाहर कर रही थी. रवि का लंड रज़िया के थूक से सन कर चिकना हो गया था. लंड और कड़ा हो चुका था. नीचे रज़िया की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया था.
रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से बाहर निकला, और रवि के पाजामे को खींच कर निकाल दिया,और तरपाल पर रख दिया.
रज़िया: चल अब जल्दी से लेट जा. और अपने टाँगों को पूरा फैला ले.
रवि जल्दी से तरपाल पर लेट गया. और अपनी टाँगों को फैला लिया. उसका लंड उसकी टाँगों के बीच मे झटके खा रहा था. रज़िया ने अपनी लहँगे को अपनी कमर तक उठा लिया. उसकी हुई फूली हुई चूत देख रवि का लंड और झटके खाने लगा. रज़िया रवि की टाँगों के बीच मे आ गये, और रवि की तरफ पीठ करके उसकी जाँघो के बीच मे पंजों के बल उकड़ू बैठ गये. और फिर रज़िया ने अपना एक हाथ अपनी दोनो जाँघो के बीच मे से ले जाकर रवि के मोटे कड़े लंड को पकड़ लिया. और अपनी चूत के छेद पर लगा दिया.
जैसे ही रवि के लंड का गरम सुपाडा रज़िया की चूत के छेद पर लगा. रज़िया के मुँह से आहह निकल गयी. और वो रवि के लंड को थामे-2 अपनी चूत को रवि के लंड पर दबाने लगी. रवि के लंड का सुपाडा रज़िया की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ, धीरे-2 अंदर जाने लगा. जैसे ही रवि का लंड रज़िया की चूत मे पूरा उतरा. रज़िया ने अपनी दोनो हथेलयों को ज़मीन पर टिका लिया. और पंजों के बल उकड़ू बैठे हुए, धीरे-2 अपनी गान्ड को ऊपेर नीचे उछालने लगी. रवि के लंड का मोटा सुपाडा रज़िया की चूत के दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगे.
रज़िया: अहह ओह बएटाा रवीिइ देखह नाआ आजज्ज कल मेरी छूट मे कुछ जयदा ही खुजली होनईए लगी है. ऑश ऑश
और रज़िया अब पूरी तरहन गरम हो कर तेज़ी से अपनी गान्ड उछाल-2 कर रवि के लंड पर अपनी चूत को पटकने लगी. रज़िया का लहंगा उसकी कमर तक चढ़ा हुआ था. जैसे ही वो अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछालती. रज़िया की गान्ड फैल जाती, और रज़िया की गान्ड का छेद रवि की आँखों के सामने आ जाता.
ये सब देख-2 कर रवि भी पूरी मस्ती मे आ चुका था. और अपनी कमर को नीचे से ऊपेर की ओर उछालने लगा. रवि की जाँघो के पुट्ठे रज़िया की गान्ड से टकरा कर थप-2 की आवाज़ कर रही थी. अब दोनो तरफ से पूरा ज़ोर लग रहा था. रज़िया रवि के मोटे लंड को अपनी चूत की गहराइयों मे महसूस करके एक दम कामविहल हो चुकी थी. करीब 10 मिनट लगतार चली चुदाई के बाद रज़िया का बदन अकड़ने लगा.
रज़िया: उम्ह्ह्ह्ह अहह अहह ओह रवीीईईई मेरीईए बेटी ओह मेरी चूत्त्त पानी छोड़ने वाली है. हान्न्न आईसीईए जोर्र्र्र सीई मार अपना लंड मेरी चूत मे अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओह मेन्णन्न् गइईई
और रज़िया की चूत ने पानी छोडना चालू कर दिया. रज़िया का बदन चूत के पानी छोड़ते हुए झटके खाने लगा. अब उसे अपनी गान्ड उछालना नमुनकीन सा लग रहा था. वो तो झड कर पस्त हो चुकी थी. लेकिन रवि अभी तक झडा नही था. ये रज़िया अच्छी तरहा जानती थी. इसीलिए रज़िया ने अपनी हथेलियों को ज़मीन पर टिकाए हुए, अपनी गान्ड को ऊपेर उठा लिया. ताकि रवि अपने लंड को आसानी से उसकी चूत मे अंदर बाहर कर सकें.
जैसे ही रज़िया ने अपनी गान्ड को ऊपेर उठाया. रवि ने अपनी कोहानियों के सहारे से थोड़ा सा उठ गया. और अपना पूरा ज़ोर लगा कर अपनी कमर को ऊपेर की ओर उछाल कर रज़िया की चूत मे धना-धन अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. रज़िया की चूत उसके काम रस से पूरी तरहा भीग चुकी थी. इसीलिए लंड के अंदर बाहर होने से फॅक-2 की कामुक आवाज़ रज़िया की चूत से आ रही थी.