hotaks444
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राज ने अपनी पेंट और अंडरवेर ऊपेर करके पहन ली. और फिर चारपाई पर बैठ गया. निर्मला फिर से चौकी पर नीचे बैठ गयी.
निर्मला: बाबू जी. फिर कब मुझ अपनी सेवा का मोका दोगे.
राज : जल्द ही तुझे फिर से सेवा का मोका मिलेगा.
राज कुछ देर के लिए सोच मे पड़ गया. वो जानता था, कि वो रोज -2 यहाँ नही आ पाएगा. वो इसके लिए कोई हल सोचने लगा. कुछ ही देर मे मुरली भी आ गया. उसने चिकेन का लिफ़ाफ़ा राज को दे दिया. राज बाहर आ गया. उसके पीछे मुरली भी दौड़ा चला आया.
राज : (कार की तरफ बढ़ते हुए) मुरली मुझे हवेली के काम काज के लिए कुछ दिनो के लिए एक भरोसे वाली औरत चाहिए. जो पूरी ईमानदारी के साथ वहाँ काम कर सके. वो क्या है ना. जो औरत पहले काम करती थी. वो चली गयी हैं. और एक महीने बाद वापिस आने वाली है. अगर तुम्हे एतराज ना हो तो तुम अपनी पत्नी को कुछ दिनो के लिए हवेली छोड़ आओ. मैं तुम्हें हर महीने इसके लिए 2000 रुपये दूँगा.
2000 रुपये ये सुन कर मुरली एक दम से हैरान हो गया, क्योंकि गाँव मे वैसे भी कोई घर के काम के लिए इतने पैसे नही देता था. मुरली राज की बात सुन कर झट से राज़ी हो गया.
राज : तो ठीक है मुरली तुम कल उसे मेरे गाँव मे हवेली छोड़ जाना.
मुरली: ठीक है बाबू जी.
और राज अपनी कार मे बैठ कर अपने गाँव के लिए निकल लिया. मुरली दौड़ता हुआ, निर्मला के पास आया, और उसे अंदर आने को कहा.
निर्मला: क्या बात है. इतने खुश दिखाई दे रहे हो. क्या कहा बाबू जी ने.
मुरली: अर्रे तुम सुनो जी, तो तुम भी खुश हो जाओगी.
निर्मला: अर्रे बताओ तो सही.
मुरली: वो बाबू जी ने तुम्हें कल से हवेली बुलवा लिया है. और पता है 2000 रुपये महीने के भी देंगे.
निर्मला के होंठो पर ये सुन कर मुस्कान आ गयी. उसका दिल ख़ुसी के मारें नाच रहा था.
जब राज एप्रा गाँव से गुजर रहा था. तो रास्ते मे उसे विशाल मिल गया. और वो उसे अपने घर ले गया. दूसरी तरफ डॉली राज का हवेली मे वेट कर रही थी. क्योंकि आज उसे अपने ससुर के अकाउंट मे कुछ पैसे ट्रान्स्फर करने थे. क्योंकि डॉली के सास ससुर ने अपनी सारी जयदाद. अपने पोते साहिल के नाम कर दी थी, और डॉली को ही साहिल के बालिग होने तक उसके बिजनेस और प्रॉपर्टी का केर टेकर बनाया गया था. जब काफ़ी देर तक राज नही आया तो उसने अकेले सिटी जाने का फैंसला किया.
उसने रोमा को आवाज़ दी, और बताया कि वो बाहर जा रही है. वो साहिल का ख़याल रखें. साहिल रूम मे सो रहा है.
पर जब वो हवेली के बाहर आई और उसने कार स्टार्ट की, तो कार स्टार्ट नही हुई. उसका आज बॅंक जाना बहुत ज़रूरी था. फिर उसने हरिया को आवाज़ लगाई.
हरिया: जी मालकिन.
डॉली: काका देखो तो रवि कहाँ है.
हरिया: जी अभी देखता हूँ.
और थोड़ी देर बाद हरिया रवि को हवेली के पीछे बने कमरे से उठा लाया.
डॉली: रवि यहाँ से सिटी कितनी दूर है.
रवि: दीदी ज़्यादा दूर तो नही है. पर 14-15 किमी है.
डॉली: देखो रवि मुझे बहुत ज़रूरी काम है. मुझ अभी सिटी जाना है. पर लगता है ये कार खराब हो गयी है. यहाँ से कोई बस या ऑटो मिलेगा.
रवि: दीदी जी यहाँ से सिर्फ़ बस ही मिलेगी. वो भी काफ़ी इंतजार करना पड़ेगा.
डॉली: (अपने मुँह मे बुदबुदाते हुए) अजीब मुसबीत है. चलो तुम मेरे साथ चलो.
रवि: जी दीदी मे अभी आता हूँ.
और रवि दौड़ कर पीछे चला गया. और जल्दी से अपनी एक पुरानी से पेंट शर्ट पहन ली.
रवि: (डॉली के पास आते हुए) चले दीदी जी.
और फिर दोनो हवेली से निकल कर गाँव से मेन रोड तक जाने वाले रास्ते पर पैदल चलने लगे. रास्ते मे जो भी कोई उनके सामने से गुज़रता तो वो झुक कर डॉली को सलाम करता.
दोनो 10 मिनट पैदल चलने के बाद मेन रोड पर पहुँच गये. और बस का वेट करने लगे. करीब 10 मिनट मे उन्हें बस मिल गये. वो दोनो बस से 20 मिनट मे सिटी पहुँच गये. डॉली जल्दी से रवि के साथ बॅंक मे गयी.
और अपने ससुर के अकाउंट मे पैसे ट्रान्स्फर करवा दिए. फिर जब रवि और डॉली दोनो बॅंक से बाहर आए तो, बाहर का नज़ारा देख डॉली एक दम से हैरान हो गयी. बाहर चारो तरफ़ा घने काले रंग के बदल छाए हुए त. दोनो तेज़ी से बस स्टॅंड की तरफ चले, और गाँव की तरफ जाने वाली जो उन्हें पहली बस मिली, उसमें बहुत ज़्यादा भीड़ थी.
रवि: दीदी इसमें तो बहुत भीड़ थी.
डॉली: (कुछ देर सोचने के बाद आसमान की ओर देखते हुए) कोई बात नही, मोसम का मिज़ाज भी बिगड़ा हुआ है. हमें इसी मे निकल लेना चाहिए.
और दोनो बस मे किसी तरहा चढ़ गये. बस मे बहुत भीड़ थी. रवि डॉली के एक दम पीछे खड़ा था. डॉली ने एक वाइट कलर का सलवार सूट पहना हुआ था. जो काफ़ी महीन कपड़े का था. जैसे ही वो दोनो बस मे चढ़े. पीछे से कुछ और लोग बस मे चढ़ गये. बस एक दम ठसाठस भरी हुई थी.
डॉली का बदन पीछे से रवि से एक दम चिपक गया था. रवि और डॉली की हाइट बराबर थी. पर डॉली ने उँची हिल्स के सॅंडल पहने हुए त. जिसके कारण वो रवि से ज़्यादा उँची लग रही थी. बस स्टार्ट हो गयी. पर दोनो को खड़े रहने मे भी दिक्कत हो रही थी. डॉली की पीठ और उसके बदन का पिछला हिस्सा रवि से एक दम सट गया.
रवि का लंड डॉली के बदन की गरमी और उसके स्पर्श के अहसास को महसूस करके खड़ा होने लगा. वो अपना ध्यान कहीं और लगाना चाहता था. पर उसका अपने पे कोई ज़ोर नही चल रहा था. उसके सामने दुनियाँ की सबसे हसीन भरी पूरी औरत खड़ी थी. जो उससे एक दम सटी हुई थी. उसके बदन से उठ रही भीनी-2 खुसबू उसे और पागल कर रही थी. ना चाहते हुए भी रवि का लंड कुछ ही पलों मे एक दम खड़ा हो गया.
और डॉली की सलवार और पैंटी के ऊपेर से उसकी गान्ड की दरार मे धँस गया. जैसे ही डॉली को अपनी चुतड़ों की दरार मे किसी सख़्त और गरम चीज़ का अहसास हुआ, डॉली एक दम से सिहर गयी. उसने अपने फेस को पीछे की तरफ घुमा कर देखा. पीछे रवि खड़ा बाहर की तरफ झाँक रहा था. जैसे उसे कुछ पता ही ना हो. डॉली जानती थी, कि ना तो रवि पीछे हो सकता है, और ना ही वो आगे हो सकती है. बस मे हिलने तक की भी जगह नही थी.
धीरे- 2 रवि का लंड पूरी तरहा अकड़ गया. और डॉली के कपड़ों के ऊपेर से उसके चुतड़ों की दरार मे और धँस गया. डॉली अपनी जाँघो को भींचे हुए खड़ी थी. उसके बदन मे भी ना चाहते हुए, भी मस्ती की लहर दौड़ गयी. उसका पूरा बदन मस्ती और सिहरन के मारे कांप रहा था. उसने अपने काँपते हुए हाथों से अपने साथ वाली सीट के हॅंडेल को पकड़ लिया.
बस धीरे-2 आगे बढ़ रही थी. अचानक बस का टाइयर किसी खड्डे मे से गुजरा. जिससे सभी बुरी तरहा हिल गये. और डॉली ने अपने आप को संभालने के लिए अपने पैरों को थोड़ा सा खोल लिया. ये उसकी बहुत बढ़ी ग़लती थी. जैसे ही डॉली की जाँघो मे गॅप बना. रवि का लंड डॉली के कपड़ों के ऊपेर उसके चुतड़ों की दरार मे रगड़ ख़ाता हुआ. उसकी चूत के ऊपेर जा लगा.
डॉली की तो मानो जैसे साँस ही अटक गयी. उसका दिल जोरों से धड़कने लगा. और वो तेज़ी से साँसें लेने लगी. रवि का भी बुरा हाल हो रहा था. वो डॉली की सलवार और पैंटी के अंदर से उसकी चूत से उठ रही गरमी को अपनी पेंट के अंदर अपने लंड पर महसूस कर रहा था. क्या गरम माल थी.
डॉली की चूत मे सरसराहट अचानक से और बढ़ गयी. उसकी आँखे अब बंद हुई जा रही थी. वो बहुत मुश्किल से अपने आप को सिसकारी भरने से रोके हुए थी. और उसकी चूत ने आज कई महीनो बाद अपने कामरस के थोड़ा सा उगला था. जिससे डॉली को पानी पैंटी मे नमी महसूस होने लगी.
रवि भी एक दम मजबूर था. वो चाह कर भी पीछे नही हट सकता था, जिसे डॉली अच्छी तरहा जानती थी. दोनो बस अपनी साँसों को थामें खड़े थे. पर जैसे ही बस उनके गाँव को जाने वाले रास्ते के सामने जाकर रुकी. तो डॉली ने राहत की साँस ली. दोनो मुस्किल से बस नीचे उतरे. और गाँव की तरफ जाने वाले रास्ते पर पैदल चलने लगी.
निर्मला: बाबू जी. फिर कब मुझ अपनी सेवा का मोका दोगे.
राज : जल्द ही तुझे फिर से सेवा का मोका मिलेगा.
राज कुछ देर के लिए सोच मे पड़ गया. वो जानता था, कि वो रोज -2 यहाँ नही आ पाएगा. वो इसके लिए कोई हल सोचने लगा. कुछ ही देर मे मुरली भी आ गया. उसने चिकेन का लिफ़ाफ़ा राज को दे दिया. राज बाहर आ गया. उसके पीछे मुरली भी दौड़ा चला आया.
राज : (कार की तरफ बढ़ते हुए) मुरली मुझे हवेली के काम काज के लिए कुछ दिनो के लिए एक भरोसे वाली औरत चाहिए. जो पूरी ईमानदारी के साथ वहाँ काम कर सके. वो क्या है ना. जो औरत पहले काम करती थी. वो चली गयी हैं. और एक महीने बाद वापिस आने वाली है. अगर तुम्हे एतराज ना हो तो तुम अपनी पत्नी को कुछ दिनो के लिए हवेली छोड़ आओ. मैं तुम्हें हर महीने इसके लिए 2000 रुपये दूँगा.
2000 रुपये ये सुन कर मुरली एक दम से हैरान हो गया, क्योंकि गाँव मे वैसे भी कोई घर के काम के लिए इतने पैसे नही देता था. मुरली राज की बात सुन कर झट से राज़ी हो गया.
राज : तो ठीक है मुरली तुम कल उसे मेरे गाँव मे हवेली छोड़ जाना.
मुरली: ठीक है बाबू जी.
और राज अपनी कार मे बैठ कर अपने गाँव के लिए निकल लिया. मुरली दौड़ता हुआ, निर्मला के पास आया, और उसे अंदर आने को कहा.
निर्मला: क्या बात है. इतने खुश दिखाई दे रहे हो. क्या कहा बाबू जी ने.
मुरली: अर्रे तुम सुनो जी, तो तुम भी खुश हो जाओगी.
निर्मला: अर्रे बताओ तो सही.
मुरली: वो बाबू जी ने तुम्हें कल से हवेली बुलवा लिया है. और पता है 2000 रुपये महीने के भी देंगे.
निर्मला के होंठो पर ये सुन कर मुस्कान आ गयी. उसका दिल ख़ुसी के मारें नाच रहा था.
जब राज एप्रा गाँव से गुजर रहा था. तो रास्ते मे उसे विशाल मिल गया. और वो उसे अपने घर ले गया. दूसरी तरफ डॉली राज का हवेली मे वेट कर रही थी. क्योंकि आज उसे अपने ससुर के अकाउंट मे कुछ पैसे ट्रान्स्फर करने थे. क्योंकि डॉली के सास ससुर ने अपनी सारी जयदाद. अपने पोते साहिल के नाम कर दी थी, और डॉली को ही साहिल के बालिग होने तक उसके बिजनेस और प्रॉपर्टी का केर टेकर बनाया गया था. जब काफ़ी देर तक राज नही आया तो उसने अकेले सिटी जाने का फैंसला किया.
उसने रोमा को आवाज़ दी, और बताया कि वो बाहर जा रही है. वो साहिल का ख़याल रखें. साहिल रूम मे सो रहा है.
पर जब वो हवेली के बाहर आई और उसने कार स्टार्ट की, तो कार स्टार्ट नही हुई. उसका आज बॅंक जाना बहुत ज़रूरी था. फिर उसने हरिया को आवाज़ लगाई.
हरिया: जी मालकिन.
डॉली: काका देखो तो रवि कहाँ है.
हरिया: जी अभी देखता हूँ.
और थोड़ी देर बाद हरिया रवि को हवेली के पीछे बने कमरे से उठा लाया.
डॉली: रवि यहाँ से सिटी कितनी दूर है.
रवि: दीदी ज़्यादा दूर तो नही है. पर 14-15 किमी है.
डॉली: देखो रवि मुझे बहुत ज़रूरी काम है. मुझ अभी सिटी जाना है. पर लगता है ये कार खराब हो गयी है. यहाँ से कोई बस या ऑटो मिलेगा.
रवि: दीदी जी यहाँ से सिर्फ़ बस ही मिलेगी. वो भी काफ़ी इंतजार करना पड़ेगा.
डॉली: (अपने मुँह मे बुदबुदाते हुए) अजीब मुसबीत है. चलो तुम मेरे साथ चलो.
रवि: जी दीदी मे अभी आता हूँ.
और रवि दौड़ कर पीछे चला गया. और जल्दी से अपनी एक पुरानी से पेंट शर्ट पहन ली.
रवि: (डॉली के पास आते हुए) चले दीदी जी.
और फिर दोनो हवेली से निकल कर गाँव से मेन रोड तक जाने वाले रास्ते पर पैदल चलने लगे. रास्ते मे जो भी कोई उनके सामने से गुज़रता तो वो झुक कर डॉली को सलाम करता.
दोनो 10 मिनट पैदल चलने के बाद मेन रोड पर पहुँच गये. और बस का वेट करने लगे. करीब 10 मिनट मे उन्हें बस मिल गये. वो दोनो बस से 20 मिनट मे सिटी पहुँच गये. डॉली जल्दी से रवि के साथ बॅंक मे गयी.
और अपने ससुर के अकाउंट मे पैसे ट्रान्स्फर करवा दिए. फिर जब रवि और डॉली दोनो बॅंक से बाहर आए तो, बाहर का नज़ारा देख डॉली एक दम से हैरान हो गयी. बाहर चारो तरफ़ा घने काले रंग के बदल छाए हुए त. दोनो तेज़ी से बस स्टॅंड की तरफ चले, और गाँव की तरफ जाने वाली जो उन्हें पहली बस मिली, उसमें बहुत ज़्यादा भीड़ थी.
रवि: दीदी इसमें तो बहुत भीड़ थी.
डॉली: (कुछ देर सोचने के बाद आसमान की ओर देखते हुए) कोई बात नही, मोसम का मिज़ाज भी बिगड़ा हुआ है. हमें इसी मे निकल लेना चाहिए.
और दोनो बस मे किसी तरहा चढ़ गये. बस मे बहुत भीड़ थी. रवि डॉली के एक दम पीछे खड़ा था. डॉली ने एक वाइट कलर का सलवार सूट पहना हुआ था. जो काफ़ी महीन कपड़े का था. जैसे ही वो दोनो बस मे चढ़े. पीछे से कुछ और लोग बस मे चढ़ गये. बस एक दम ठसाठस भरी हुई थी.
डॉली का बदन पीछे से रवि से एक दम चिपक गया था. रवि और डॉली की हाइट बराबर थी. पर डॉली ने उँची हिल्स के सॅंडल पहने हुए त. जिसके कारण वो रवि से ज़्यादा उँची लग रही थी. बस स्टार्ट हो गयी. पर दोनो को खड़े रहने मे भी दिक्कत हो रही थी. डॉली की पीठ और उसके बदन का पिछला हिस्सा रवि से एक दम सट गया.
रवि का लंड डॉली के बदन की गरमी और उसके स्पर्श के अहसास को महसूस करके खड़ा होने लगा. वो अपना ध्यान कहीं और लगाना चाहता था. पर उसका अपने पे कोई ज़ोर नही चल रहा था. उसके सामने दुनियाँ की सबसे हसीन भरी पूरी औरत खड़ी थी. जो उससे एक दम सटी हुई थी. उसके बदन से उठ रही भीनी-2 खुसबू उसे और पागल कर रही थी. ना चाहते हुए भी रवि का लंड कुछ ही पलों मे एक दम खड़ा हो गया.
और डॉली की सलवार और पैंटी के ऊपेर से उसकी गान्ड की दरार मे धँस गया. जैसे ही डॉली को अपनी चुतड़ों की दरार मे किसी सख़्त और गरम चीज़ का अहसास हुआ, डॉली एक दम से सिहर गयी. उसने अपने फेस को पीछे की तरफ घुमा कर देखा. पीछे रवि खड़ा बाहर की तरफ झाँक रहा था. जैसे उसे कुछ पता ही ना हो. डॉली जानती थी, कि ना तो रवि पीछे हो सकता है, और ना ही वो आगे हो सकती है. बस मे हिलने तक की भी जगह नही थी.
धीरे- 2 रवि का लंड पूरी तरहा अकड़ गया. और डॉली के कपड़ों के ऊपेर से उसके चुतड़ों की दरार मे और धँस गया. डॉली अपनी जाँघो को भींचे हुए खड़ी थी. उसके बदन मे भी ना चाहते हुए, भी मस्ती की लहर दौड़ गयी. उसका पूरा बदन मस्ती और सिहरन के मारे कांप रहा था. उसने अपने काँपते हुए हाथों से अपने साथ वाली सीट के हॅंडेल को पकड़ लिया.
बस धीरे-2 आगे बढ़ रही थी. अचानक बस का टाइयर किसी खड्डे मे से गुजरा. जिससे सभी बुरी तरहा हिल गये. और डॉली ने अपने आप को संभालने के लिए अपने पैरों को थोड़ा सा खोल लिया. ये उसकी बहुत बढ़ी ग़लती थी. जैसे ही डॉली की जाँघो मे गॅप बना. रवि का लंड डॉली के कपड़ों के ऊपेर उसके चुतड़ों की दरार मे रगड़ ख़ाता हुआ. उसकी चूत के ऊपेर जा लगा.
डॉली की तो मानो जैसे साँस ही अटक गयी. उसका दिल जोरों से धड़कने लगा. और वो तेज़ी से साँसें लेने लगी. रवि का भी बुरा हाल हो रहा था. वो डॉली की सलवार और पैंटी के अंदर से उसकी चूत से उठ रही गरमी को अपनी पेंट के अंदर अपने लंड पर महसूस कर रहा था. क्या गरम माल थी.
डॉली की चूत मे सरसराहट अचानक से और बढ़ गयी. उसकी आँखे अब बंद हुई जा रही थी. वो बहुत मुश्किल से अपने आप को सिसकारी भरने से रोके हुए थी. और उसकी चूत ने आज कई महीनो बाद अपने कामरस के थोड़ा सा उगला था. जिससे डॉली को पानी पैंटी मे नमी महसूस होने लगी.
रवि भी एक दम मजबूर था. वो चाह कर भी पीछे नही हट सकता था, जिसे डॉली अच्छी तरहा जानती थी. दोनो बस अपनी साँसों को थामें खड़े थे. पर जैसे ही बस उनके गाँव को जाने वाले रास्ते के सामने जाकर रुकी. तो डॉली ने राहत की साँस ली. दोनो मुस्किल से बस नीचे उतरे. और गाँव की तरफ जाने वाले रास्ते पर पैदल चलने लगी.