hotaks444
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इस बार उसने इशारा किया जिसे समझ कर मैंने निदा को घुमा कर सीधा किया और इस स्थिति में ले आया कि उसकी पीठ अधलेटी अवस्था में मेरे पेट से सट गई और उसके नितम्ब बेड के किनारे ऐसे पहुँच गए कि जब नितिन बिस्तर से नीचे उतर कर उसकी टांगों के बीच बैठा तो उसका चेहरा निदा की सामने से खुली चूत से बस कुछ सेंटीमीटर के फासले पर था।
उसने दोनों हाथों से निदा का पेट और पेड़ू सहलाते हुए अंगूठे से उसकी क्लियोटोरिस को छुआ व सहलाया और फिर ज़ुबान लगा दी।
निदा ‘सिस्कार’ कर कुछ अकड़ सी गई और अपनी मुट्ठी में मेरी जाँघ दबोच ली। अब नितिन ने उसके नितम्बों के नीचे से हाथ डाल कर उसकी जाँघें दबा लीं और अपनी थूथुन निदा की चूत में घुसा कर उसे चाटने और कुरेदने लगा।
बहुत ज्यादा देर नहीं लगी जब निदा का शरीर कामज्वर से भुनने लगा। मैं उसे अपने से सटाये उसके वक्षों को मसल रहा था और उसे बीच-बीच में चूम रहा था, लेकिन उसे अपने लंड को मुँह में नहीं लेने दे रहा था। मैं नहीं चाहता था कि मेरी उत्तेजना अपने समय से पहले चरम पर पहुँच जाए।
जब लगा कि अब वो काफी गर्म हो चुकी है तो मैंने उसे खुद से अलग किया और नितिन को ऊपर जाने को बोला।
नितिन उठ कर ऊपर हो गया और मैं नीचे उसकी जगह… मैंने हथेली से निदा की कामरस और नितिन की लार से बुरी तरह गीली हो चुकी बुर को पोंछा और फिर खुद अपनी जीभ वहाँ टिका दी। साथ ही अपनी बिचल्ली ऊँगली उसके छेद में अन्दर सरका दी। ऊँगली अन्दर जाते ही निदा ऐसा ऐंठी कि उसी पल उसके पास अपना चेहरा ले गए नितिन को थाम लिया और नितिन और निदा ऐसे प्रगाढ़ चुम्बन में लग गए, जैसे अब वह कोई और ही न हो, कोई सगा हो।
मैं अपने काम में लगा था। न सिर्फ जुबां से उसके दाने और क्लियोटोरिस को रगड़ रहा था बल्कि ऊँगली से उसकी बुर भी चोद रहा था और निदा की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी।
निदा को चूसते नितिन की निगाह मुझसे मिली तो मैंने उसे आँखों ही आँखों में लंड चुसाने को कहा और उसने अपना चेहरा पीछे कर के खुद घुटनों के बल हो कर अपना लंड निदा के होंठों के एकदम करीब कर दिया। निदा की निगाहें उस हाल में भी मेरी तरफ गईं और मेरे प्रोत्साहित करने पर उसने नितिन के लंड को अपने मुँह में जगह दे दी। नितिन की आँखें आनन्द से बंद हो गईं और उसने निदा का सर थाम लिया।
मैं नीचे निदा की चूत चाटने में और ऊँगली से चोदने में मस्त था और वो लार बहा-बहा कर नितिन का लन्ड चूसने में मस्त थी। पर नितिन के लिए भी यूँ लन्ड चुसाना घातक हो सकता था इसलिए उसने भी स्थिति को समझते हुए अपना लन्ड निकाल लिया और निदा मुँह खोले ही रह गई।
निदा अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और चुदने के लिए लगातार सिस्कार-सिस्कार कर ऐंठ रही थी।
मैं उठ गया और अपने लंड को थोड़ा थूक से गीला कर के उसकी चूत पर रखा और हल्के से अन्दर सरकाया, सुपाड़े के अन्दर जाते ही निदा की ‘आह’ छूटी और तीन बार में अन्दर-बाहर कर के मैंने समूचा लंड अन्दर सरका दिया और उसके घुटने थाम कर धक्के लगाते हुए उसे चोदने लगा।
अब नितिन उसकी पीठ से टिक गया और उसकी हिलती हुई चूचियों को अपने हाथों से सम्भाल कर उन्हें दबाते और सहलाते पीछे से उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के धक्के के बाद मैंने नितिन को आने को कहा।
वो नीचे आ गया और मैंने अलग हट गया। अब निदा बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई और नितिन उसकी जाँघों के बीच आ गया। मेरे लन्ड के अन्दर-बाहर होने से उसका छेद तो अन्दर तक खुल ही चुका था, लेकिन फिर भी नितिन का लंड न सिर्फ मुझसे लम्बा था बल्कि मोटा भी था इसलिए जब उसने आधा लंड पेला, तभी निदा की ज़ोर की ‘कराह’ निकल गई। कुछ सेकेण्ड रुक कर नितिन ने भी अपने लंड के हिसाब से जगह बना ही ली और हचक कर चोदने लगा।
मेरे मुकाबले उसके चोदने में ज्यादा जोश और ज्यादा आक्रामकता थी। उसका कारण भी था कि वो उसके लिए एकदम नया और फ्रेश माल थी, जबकि मैं तो दो महीने से उसे चोद रहा था और इस नए-पन का मज़ा निदा को भी भरपूर आ रहा था। उसका चेहरा उत्तेजना से सुर्ख हो रहा था, साँसें मादक सीत्कारों में बदल गई थी, आँखें जैसे चुदाई के नशे में खुल ही नहीं पा रही थीं और अपनी उत्तेजना को वो बिस्तर की चादर अपनी मुट्ठियों में दबोच कर उसमें जज़्ब कर देने कि कोशिश कर रही थी।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद नितिन हटा तो मैं उसकी चूत पर चढ़ गया। हालांकि नितिन के लंड ने जो जगह बनाईं वो उसके लंड निकालते ही एकदम से कम न हो पाई और मेरे लंड डालने पर ऐसा लगा जैसे कोई कसाव ही न रहा हो और उसकी चूत बिलकुल बच्चा पैदा कर चुकी औरत जैसी हो गई हो। शायद निदा के आनन्द में भी विघ्न आई, लेकिन बहरहाल, मैं चोदने से पीछे न हटा और निदा की सिसकारियाँ कम तो हुईं लेकिन ख़त्म न हुईं।
मेरे बाद जब नितिन ने फिर अपना लौड़ा घुसाया तो उसकी सिसकारियाँ फिर उसी अनुपात में बढ़ गईं।
फिर नितिन ने ही लण्ड निकाल कर उसे उठाया और उल्टा कर के ऐसा दबाया कि निदा का बायां गाल बिस्तर से सट गया और कंधे, पीठ नीचे हो गई, ऊपर सिर्फ उसके चौपायों की तरह मुड़े घुटनों के ऊपर रखी गाण्ड ही रह गई। उसके आगे-पीछे के दोनों छेद अब हवा में बिलकुल सामने थे।
कहने की ज़रुरत नहीं कि उसके दोनों छेद एकदम मस्त कर देने वाले थे, लेकिन जहाँ गाण्ड का छेद अभी सिमटा हुआ अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था वहीं बुर का छेद इतनी चुदाई के बाद बिल्कुल खुल चुका था और उसने नितिन के लन्ड को निगलने में ज़रा भी अवरोध न दिखाया। जब नितिन उसके दोनों चूतड़ों को उँगलियों से दबोचे गचा-गच अपना लंड उसकी चूत में पेल रहा था, तब मैं निदा की पीठ सहला रहा था।
फिर जब नितिन हटा तो मैं उसकी गाण्ड के स्पर्श के साथ चूत चोदने पर उतर आया। हालांकि नितिन के मोटे लण्ड से चुदने के बाद मुझे वो मज़ा नहीं आ पा रहा था, लेकिन अब छोड़ भी तो नहीं सकता था।
बहरहाल कुछ देर की चुदाई के बाद नितिन ने तो झड़ने के टाइम उसे ऐसे दबोचा के निदा उसके लन्ड से निकल ही ना पाई और पूरी बुर नितिन के वीर्य से भर गई।
झड़ने और लण्ड बाहर निकलने के बाद वह तो निदा के बगल में ही गिर कर हांफने लगा। लेकिन उसने मेरा रास्ता दुश्वार कर दिया। पूरी बुर उसके वीर्य से भरी हुई थी।
तो मैंने एक बार लण्ड अन्दर कर के नितिन के वीर्य से अपने लण्ड को सराबोर किया और निदा की गाण्ड के छेद में उतार दिया और गाण्ड के कसाव और गर्माहट ने कुछ ही धक्कों में मेरा पानी भी निकाल दिया और मैंने उसकी गाण्ड अपने सफ़ेद पानी से भर दी।
फिर मैं भी बिस्तर पर पसर गया और वह भी हम दोनों के बीच में ही फैल कर हांफने लगी। आँखें उसकी अभी भी बंद थी लेकिन चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे।
हम करीब आधे घंटे तक ऐसे ही बेसुध पड़े रहे।
उसने दोनों हाथों से निदा का पेट और पेड़ू सहलाते हुए अंगूठे से उसकी क्लियोटोरिस को छुआ व सहलाया और फिर ज़ुबान लगा दी।
निदा ‘सिस्कार’ कर कुछ अकड़ सी गई और अपनी मुट्ठी में मेरी जाँघ दबोच ली। अब नितिन ने उसके नितम्बों के नीचे से हाथ डाल कर उसकी जाँघें दबा लीं और अपनी थूथुन निदा की चूत में घुसा कर उसे चाटने और कुरेदने लगा।
बहुत ज्यादा देर नहीं लगी जब निदा का शरीर कामज्वर से भुनने लगा। मैं उसे अपने से सटाये उसके वक्षों को मसल रहा था और उसे बीच-बीच में चूम रहा था, लेकिन उसे अपने लंड को मुँह में नहीं लेने दे रहा था। मैं नहीं चाहता था कि मेरी उत्तेजना अपने समय से पहले चरम पर पहुँच जाए।
जब लगा कि अब वो काफी गर्म हो चुकी है तो मैंने उसे खुद से अलग किया और नितिन को ऊपर जाने को बोला।
नितिन उठ कर ऊपर हो गया और मैं नीचे उसकी जगह… मैंने हथेली से निदा की कामरस और नितिन की लार से बुरी तरह गीली हो चुकी बुर को पोंछा और फिर खुद अपनी जीभ वहाँ टिका दी। साथ ही अपनी बिचल्ली ऊँगली उसके छेद में अन्दर सरका दी। ऊँगली अन्दर जाते ही निदा ऐसा ऐंठी कि उसी पल उसके पास अपना चेहरा ले गए नितिन को थाम लिया और नितिन और निदा ऐसे प्रगाढ़ चुम्बन में लग गए, जैसे अब वह कोई और ही न हो, कोई सगा हो।
मैं अपने काम में लगा था। न सिर्फ जुबां से उसके दाने और क्लियोटोरिस को रगड़ रहा था बल्कि ऊँगली से उसकी बुर भी चोद रहा था और निदा की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी।
निदा को चूसते नितिन की निगाह मुझसे मिली तो मैंने उसे आँखों ही आँखों में लंड चुसाने को कहा और उसने अपना चेहरा पीछे कर के खुद घुटनों के बल हो कर अपना लंड निदा के होंठों के एकदम करीब कर दिया। निदा की निगाहें उस हाल में भी मेरी तरफ गईं और मेरे प्रोत्साहित करने पर उसने नितिन के लंड को अपने मुँह में जगह दे दी। नितिन की आँखें आनन्द से बंद हो गईं और उसने निदा का सर थाम लिया।
मैं नीचे निदा की चूत चाटने में और ऊँगली से चोदने में मस्त था और वो लार बहा-बहा कर नितिन का लन्ड चूसने में मस्त थी। पर नितिन के लिए भी यूँ लन्ड चुसाना घातक हो सकता था इसलिए उसने भी स्थिति को समझते हुए अपना लन्ड निकाल लिया और निदा मुँह खोले ही रह गई।
निदा अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और चुदने के लिए लगातार सिस्कार-सिस्कार कर ऐंठ रही थी।
मैं उठ गया और अपने लंड को थोड़ा थूक से गीला कर के उसकी चूत पर रखा और हल्के से अन्दर सरकाया, सुपाड़े के अन्दर जाते ही निदा की ‘आह’ छूटी और तीन बार में अन्दर-बाहर कर के मैंने समूचा लंड अन्दर सरका दिया और उसके घुटने थाम कर धक्के लगाते हुए उसे चोदने लगा।
अब नितिन उसकी पीठ से टिक गया और उसकी हिलती हुई चूचियों को अपने हाथों से सम्भाल कर उन्हें दबाते और सहलाते पीछे से उसके होंठों को चूसने लगा।
थोड़ी देर के धक्के के बाद मैंने नितिन को आने को कहा।
वो नीचे आ गया और मैंने अलग हट गया। अब निदा बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई और नितिन उसकी जाँघों के बीच आ गया। मेरे लन्ड के अन्दर-बाहर होने से उसका छेद तो अन्दर तक खुल ही चुका था, लेकिन फिर भी नितिन का लंड न सिर्फ मुझसे लम्बा था बल्कि मोटा भी था इसलिए जब उसने आधा लंड पेला, तभी निदा की ज़ोर की ‘कराह’ निकल गई। कुछ सेकेण्ड रुक कर नितिन ने भी अपने लंड के हिसाब से जगह बना ही ली और हचक कर चोदने लगा।
मेरे मुकाबले उसके चोदने में ज्यादा जोश और ज्यादा आक्रामकता थी। उसका कारण भी था कि वो उसके लिए एकदम नया और फ्रेश माल थी, जबकि मैं तो दो महीने से उसे चोद रहा था और इस नए-पन का मज़ा निदा को भी भरपूर आ रहा था। उसका चेहरा उत्तेजना से सुर्ख हो रहा था, साँसें मादक सीत्कारों में बदल गई थी, आँखें जैसे चुदाई के नशे में खुल ही नहीं पा रही थीं और अपनी उत्तेजना को वो बिस्तर की चादर अपनी मुट्ठियों में दबोच कर उसमें जज़्ब कर देने कि कोशिश कर रही थी।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद नितिन हटा तो मैं उसकी चूत पर चढ़ गया। हालांकि नितिन के लंड ने जो जगह बनाईं वो उसके लंड निकालते ही एकदम से कम न हो पाई और मेरे लंड डालने पर ऐसा लगा जैसे कोई कसाव ही न रहा हो और उसकी चूत बिलकुल बच्चा पैदा कर चुकी औरत जैसी हो गई हो। शायद निदा के आनन्द में भी विघ्न आई, लेकिन बहरहाल, मैं चोदने से पीछे न हटा और निदा की सिसकारियाँ कम तो हुईं लेकिन ख़त्म न हुईं।
मेरे बाद जब नितिन ने फिर अपना लौड़ा घुसाया तो उसकी सिसकारियाँ फिर उसी अनुपात में बढ़ गईं।
फिर नितिन ने ही लण्ड निकाल कर उसे उठाया और उल्टा कर के ऐसा दबाया कि निदा का बायां गाल बिस्तर से सट गया और कंधे, पीठ नीचे हो गई, ऊपर सिर्फ उसके चौपायों की तरह मुड़े घुटनों के ऊपर रखी गाण्ड ही रह गई। उसके आगे-पीछे के दोनों छेद अब हवा में बिलकुल सामने थे।
कहने की ज़रुरत नहीं कि उसके दोनों छेद एकदम मस्त कर देने वाले थे, लेकिन जहाँ गाण्ड का छेद अभी सिमटा हुआ अपनी बारी का इंतज़ार कर रहा था वहीं बुर का छेद इतनी चुदाई के बाद बिल्कुल खुल चुका था और उसने नितिन के लन्ड को निगलने में ज़रा भी अवरोध न दिखाया। जब नितिन उसके दोनों चूतड़ों को उँगलियों से दबोचे गचा-गच अपना लंड उसकी चूत में पेल रहा था, तब मैं निदा की पीठ सहला रहा था।
फिर जब नितिन हटा तो मैं उसकी गाण्ड के स्पर्श के साथ चूत चोदने पर उतर आया। हालांकि नितिन के मोटे लण्ड से चुदने के बाद मुझे वो मज़ा नहीं आ पा रहा था, लेकिन अब छोड़ भी तो नहीं सकता था।
बहरहाल कुछ देर की चुदाई के बाद नितिन ने तो झड़ने के टाइम उसे ऐसे दबोचा के निदा उसके लन्ड से निकल ही ना पाई और पूरी बुर नितिन के वीर्य से भर गई।
झड़ने और लण्ड बाहर निकलने के बाद वह तो निदा के बगल में ही गिर कर हांफने लगा। लेकिन उसने मेरा रास्ता दुश्वार कर दिया। पूरी बुर उसके वीर्य से भरी हुई थी।
तो मैंने एक बार लण्ड अन्दर कर के नितिन के वीर्य से अपने लण्ड को सराबोर किया और निदा की गाण्ड के छेद में उतार दिया और गाण्ड के कसाव और गर्माहट ने कुछ ही धक्कों में मेरा पानी भी निकाल दिया और मैंने उसकी गाण्ड अपने सफ़ेद पानी से भर दी।
फिर मैं भी बिस्तर पर पसर गया और वह भी हम दोनों के बीच में ही फैल कर हांफने लगी। आँखें उसकी अभी भी बंद थी लेकिन चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे।
हम करीब आधे घंटे तक ऐसे ही बेसुध पड़े रहे।