hotaks444
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गीता: और सुना तेरे यार दा की हाल है…
सिमरन: यार पूछ मत बहुत तंग आ गई हूँ….
गीता: क्यों क्या हुआ दिल भर गया क्या उससे…
सिमरन: नही यार वो बात नही है…
गीता: (मुस्कराते हुए) तो क्या बात है. गस्ति…
सिमरन: हट कंजरये……
गीता: फिर बता ना क्या बात है ?
सिमरन: यार कल रात बाल-2 बची…
गीता: क्यों क्या हुआ…
सिमरन: बता तो रही हूँ…कल रात सोनू ने मुझे घर की छत पर बुलाया था.. और जब में रात को सब के सोने के बाद छत पर गई तो, उसने मुझे बाहों में जाकड़ लिया….और फिर मुझे छत पर बने हुए स्टोर रूम में लेजाकार मेरी सलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….
मैने उससे बहुत मना किया कि, मा बाबू नीचे है..पर वो नही माना…बोला एक बार दे दे…..मुझे उसकी बात माननी पड़ी…और मैने अपनी सलवार को घुटनो तक उतार दिया….उसने मेरी टाँगो को मोड़ कर अपना लंड मेरी फुद्दि में डाल कर फुद्दि मारनी शुरू कर दी….मज़ा तो बहुत आ रहा था… पर नीचे से बापू के खांसने की आवाज़ आई….वो गान्डू तो अपनी पेंट उठा कर उसी टाइम भाग गया…
में जैसे ही नीचे जाने को हुई, तो बापू ऊपेर आ गए….और मुझे घूरते हुए बोले “ओये कूडीए ईनी रात नू इते की कर रही है” मैने बहाना बना दिया कि, नीचे बहुत घुटन हो रही थी…तो बापू बोले….रात नू जवान कडीया दा ऊपेर इस तरह आना ठीक नही है…..
गीता सिमरन की बात सुन कर हँसने लगी…सिमरन ने गीता के पेट पर कोहनी मारते हुए कहा….”चुप साली गश्ती….ज़द कदे अपने यार नू फुद्दि देने फदि गई ता पता चलु” गीता ने हंसते हुए उसकी ओर देखा, और बोली
गीता: तेरा कोई हाल नही….यारा नाल बहरा…..सदा खुल्या रेहन सलवारा हा हहा हा….
सिमरन: उड़ा ले मेरे मज़ाक….जड़ तेनू एक वार लंड दा सवाद मिलिया तन देखी तू वे शलवार खोल के टंगा चक के फुद्दि मरंगी…साली गस्ति.
गीता: अच्छा चल यार मज़ाक भी नही कर सकती..तू तो ऐसे ही नाराज़ हो जाती है…
थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनो नीचे आ जाती है….गीता अपनी भाभी और मा के साथ अपने घर के लिए निकल जाती है…साहिल क्रिकेट खेलने के लिए ग्राउंड में जा चुका था…रवि और कुलवंत भी घर वापिस आ गए थे. और खाना खा कर सो गए थे….
सिमरन: यार पूछ मत बहुत तंग आ गई हूँ….
गीता: क्यों क्या हुआ दिल भर गया क्या उससे…
सिमरन: नही यार वो बात नही है…
गीता: (मुस्कराते हुए) तो क्या बात है. गस्ति…
सिमरन: हट कंजरये……
गीता: फिर बता ना क्या बात है ?
सिमरन: यार कल रात बाल-2 बची…
गीता: क्यों क्या हुआ…
सिमरन: बता तो रही हूँ…कल रात सोनू ने मुझे घर की छत पर बुलाया था.. और जब में रात को सब के सोने के बाद छत पर गई तो, उसने मुझे बाहों में जाकड़ लिया….और फिर मुझे छत पर बने हुए स्टोर रूम में लेजाकार मेरी सलवार का नाडा खोलना शुरू कर दिया….
मैने उससे बहुत मना किया कि, मा बाबू नीचे है..पर वो नही माना…बोला एक बार दे दे…..मुझे उसकी बात माननी पड़ी…और मैने अपनी सलवार को घुटनो तक उतार दिया….उसने मेरी टाँगो को मोड़ कर अपना लंड मेरी फुद्दि में डाल कर फुद्दि मारनी शुरू कर दी….मज़ा तो बहुत आ रहा था… पर नीचे से बापू के खांसने की आवाज़ आई….वो गान्डू तो अपनी पेंट उठा कर उसी टाइम भाग गया…
में जैसे ही नीचे जाने को हुई, तो बापू ऊपेर आ गए….और मुझे घूरते हुए बोले “ओये कूडीए ईनी रात नू इते की कर रही है” मैने बहाना बना दिया कि, नीचे बहुत घुटन हो रही थी…तो बापू बोले….रात नू जवान कडीया दा ऊपेर इस तरह आना ठीक नही है…..
गीता सिमरन की बात सुन कर हँसने लगी…सिमरन ने गीता के पेट पर कोहनी मारते हुए कहा….”चुप साली गश्ती….ज़द कदे अपने यार नू फुद्दि देने फदि गई ता पता चलु” गीता ने हंसते हुए उसकी ओर देखा, और बोली
गीता: तेरा कोई हाल नही….यारा नाल बहरा…..सदा खुल्या रेहन सलवारा हा हहा हा….
सिमरन: उड़ा ले मेरे मज़ाक….जड़ तेनू एक वार लंड दा सवाद मिलिया तन देखी तू वे शलवार खोल के टंगा चक के फुद्दि मरंगी…साली गस्ति.
गीता: अच्छा चल यार मज़ाक भी नही कर सकती..तू तो ऐसे ही नाराज़ हो जाती है…
थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनो नीचे आ जाती है….गीता अपनी भाभी और मा के साथ अपने घर के लिए निकल जाती है…साहिल क्रिकेट खेलने के लिए ग्राउंड में जा चुका था…रवि और कुलवंत भी घर वापिस आ गए थे. और खाना खा कर सो गए थे….