Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ - Page 8 - SexBaba
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Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ

जगदीश राय का 9 इंच का लंड स्ट्रिंग अंडरवियर से झाकने की बहूत कोशिश रहा है।

निशा : अब आप अपने हाथ पीछे ही रखेंगे …समझे…।

निशा धीरे से एक चुम्बन जगदीश राय के लंड पर , अंडरवियर के ऊपर से लगा देती है।

जगदीश राइ: अह्ह्ह्हह…।

जगदीश राय , आने वाले मज़े को सोचकर अपनी ऑंखें बंद कर लेता है।

निशा अपने पापा के लंड के आस पास अंडरवियर के ऊपर से चूमने लगती है …चाटने लगती है। वह अपने पापा को और गरम करना चाहती थी।

जगदीश राय का लंड जैसे फ़टने के कगार पर आ गया था।

जगदीश राय: बेटी …अब रहा नहीं जाता…।ले लो इसे अपने गरम मुह में…।

जगदीश राय को कटोरी ने आहट सुनि और अचानक उसे अपने लंड पर तेज़ गर्मी महसूस हुई।

निशा ने अपने पापा के लंड पर थोडा सा गरम शहद (हनी) डाल दिया था। 

और शहद इतना गरम था की अंडरवियर के ऊपर गिरने के बावजूद, लंड को चटका लग ही गया।

जगदीश राय दर्द के मारे चीख़ पडा। 

जगदीश राय: बेटी यह क्या…।आआह्ह्ह।

निशा ने तुरंत अपने पापा के लंड को अंडरवियर के ऊपर से मुह में ले लिया और शहद चाटने और चुसने लगी।

जगदीश राय दर्द और उतेजना के बीच में आके फस गया। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है। 
दरद के मारे लंड सोना चाहता था पर निशा के होठो ने एक अलग गर्मी पैदा कर दी थी।

जगदीश राय: ओह्ह्ह्ह बेटी…।।आह…।ओह बेटी…।

कुछ समय चाटने के बाद , निशा ने तुरंत पापा का अंडरवियर उतार फेका। ऐसा लग रहा था की वह अपने पापा को दर्द दे रही है।

जगदीश राय का पूरा लंड गरम शहद के वजह से लाल हो चूका था , पर लंड अभी भी पूरा खड़ा था।

निशा ने लंड को हाथ भी नहीं लगाया। और सीधे पापा के टट्टो को चूम लिया। दोनों टट्टे ऊपर नीचे उछल रहे थे।

निशा कभी चाटती, तो कभी टट्टो के अंडो को मुह में लेके चूसती।

जगदीश राय: वाहहहह …।माज़ा आ गया।

तुरन्त निशा ने गरम शहद के कुछ बूँदे टट्टो पे छिडक दिया।

जगदीश राय टेबल पर ही उछल पडा। और तडपने लगा, गरम शहद गिरते ही टट्टे दर्द के मारे उछलने लगे।

जगदीश राय टट्टो को हाथ से साफ़ करने हाथ आगे बढ़ाये। निशा ने तुरंत उनका हाथ पकड़ लिया।

निशा: हाथ पिछे…।।

जगदीश राय: क्याआ…कर रही हो बेटीई…दर्द हो रहा है…।।निकालो इससे…

निशा: किसे…इसे…

कहते हुए निशा ने कुछ गरम शहद की बूँदे और टट्टो बे गिरा दिया।

जगदीश राय: ओह्ह्ह मा…।आआअह्ह्ह्ह

लंड अभी दर्द के मारे सिकुड़ना शुरू हुआ।

निशा ने तुरंत लंड को मुह में ले लिया और बेदरदी से चूसने लगी। 

पर उसने गरम शहद को टट्टो पर से साफ़ नहीं किया।

अब टट्टो के दर्द के बावजूद निशा की चूसाई इतनी अच्छि थी की लंड फिर से खड़ा होना शुरू हुआ। और देखते ही देखते पुरे आकर में आ गया।

निशा लंड चुसती रही और टट्टो पे गरम शहद फेकती रही। जगदीश राय तडपता रहा।

फिर निशा ने धुआँधार चूसाई शुरू की।

निशा: अब मैं रुक नहीं सकती…मुझे आपका मलाई चाहिए…दीजिये मेरा नास्ता ।

जगदीश राय: रुकना नहीं बेटी…मैं आने ही वाला हु…।

निशा ने कुछ 5 मिनट बाद अपने पापा का लंड फूलते हुए महसूस किया। वह समझ गयी की पापा अभी झडने वाले है।

वह लंड चुसती रही।

जगदीश राय: आह…बेटी…यह…।ले…।तेराआ…नाश्ता…चूस ले।

तभी अचानक से निशा ने लंड बाहर निकाल लिया। और कटोरी उठाई और पूरा का पूरा बचा हुआ गरम शहद लंड पर पलट दिया।

लोहे जैसे गरम लौडे पर गरम शहद के गिरने से , जगदीश राय चीख़ पडा। 

निशा के सामने अपने पापा का 9 इंच का मोटा लंड , भूरा कलर का शहद से लथपथ था, शहद में डूबा हुआ था। 

शहद की गर्मी से दर्द और ओर्गास्म दोनों एक साथ महसूस हो रहा था।

जगदीश राय: यह क्या…नहीईई बेटी…।दरदडडड…।मेरा छुट रहा है।

और फिर निशा ने भूरे शहदः के भीतर से सफ़ेद वीर्य के छींटे उडती दिखाई दी। सफ़ेद रंग का गाढ़ा और भूरे शहद के सामान था। 

फड्फडा कर लंड , लावा की तरह, उगलता गया। वीर्य 9 इंच की लंड की लम्बाई , भूरे शहद के ऊपर से तैर रही थी।

निशा, न होठ से न हाथो से लंड को सहला रही थी। खड़ा लंड खुद ब खुद हवा में झूलता हुआ झडते जा रहा था।

निशा बड़े ही आश्चर्य से दृश्य देखती रही। 

और फिर अपने पापा का गरम शहद और गरम वीर्य में लथपथ लंड को पूरा मुह खोलकर भीतर ले लिया।

लंड मुह में आते हि, जगदीश राय ज़ोर का दहाड़ मारा और लंड और तेज़ी से झडने लगा।

निशा बड़ी ही एकाग्रता से शहद और वीर्य को चाटती जा रही थी।

आज पहली बार उसने वीर्य का स्वाद चखा था। और उसे बिलकुल भी बुरा नहीं लग रहा था। शायद शहद थोड़ी मदद कर रही थी।

निशा कूछ 10 मिनट तक शहद और वीर्य चाटती गयी.
 
आज पहली बार उसने वीर्य का स्वाद चखा था। और उसे बिलकुल भी बुरा नहीं लग रहा था। शायद शहद थोड़ी मदद कर रही थी।

निशा कूछ १० मिनट तक शहद और वीर्य चाटती गयी।

और जगदीश राय , हाफ्ता रहा। पूरा लंड लाल हो चूका था। लंड की चमड़ी दर्द कर रहा था। 

निशा ने फिर टट्टो को भी चाटकर साफ़ किया।

कफी सारा शहद और वीर्य लंड से गलकर , टट्टो से सैर करके , गांड तक पहुच गयी थी।

निशा : पापा…चलिए …अपना पैर पूरा ऊपर कीजिये…।

जगदीश राय बिना कुछ कहे ,पैरो को कंधे तक ले गया। और निशा ने अपने पापा का साफ़ सुथरी गांड में से शहद और वीर्य चाटने लगी। 

गाँड पर निशा की जीभ लगते ही जगदीश राय के लंड से वीर्य कुछ बूंद और निकल पडा।

जब निशा ने पापा के सब अंग शहद और वीर्य से साफ कर दिया, तो संतुष्ट होकर राहत की सास ली।

जगदीश राय: यह क्या था बेटी…मैं ने ऐसा कभी सोचा नहीं था।।।

निशा: क्यों आपको मजा नहीं आया…।

जगदीश राय:मज़ा तो बहुत आया…पर …पर…दर्द भी बहुत हुआ…देखो तो ।।मेरे लंड को…कैसा लाल हो गया है…अगले ४ दिन तक तो इसे हाथ भी नहीं लगा सकता…

निशा: आप ने तो कहा था न…जो सजा देना चाहे दे सकती हो…सो यह थी मेरी सजा…हे हे…याद आया…

जगदीश राय:ओह ओह…तो मेरी बेटी …अपनी पापा से बदला ले रही थी…

निशा:।हाँ जी…स्वीट बदला…।हा हा

जगदीश राय : चलो सजा तो पूरा हुआ…

निशा: जी नही…अब और सजा मिलेगी…रुको …चलो बैडरूम में…आपको तो अपनी निशा को आज पुरे दिन खुश करना था न।

जगदीश राय: अरे नही…अभी नहीं…।लन्ड तो बहुत जल रहा है…।

निशा हँस पडी।

जगदीश राय, उठकर बाथरूम जाने लगा।

तब निशा ने रोक लिया।

निशा: पापा…एक मिनट…ये क्या है…यहाँ तो प्यार से दो बूंद लटक रहे है।।

जगदीश राय के अर्ध-खडे लंड में वीर्य का बूंद लगा हुआ था।

निशा ने अपने मुठी से पापा के लंड को बेदरदी से अपनी तरफ खीच लिया।

चोट खाया हुआ लंड निशा के इस बरताव से जगदीश राय चीख़ पडा।।

जगदीश राय: अरे …बेटी… लंड नहीं…आह्ह्ह्हह

निश ने तुरंत लंड को मुह में ले लिया। और वीर्य चाट लिया।

लंड को मुँह के सलीवा से राहत महसूस हो रहा था।

जगदीश राय: अरे वाह… तुम्हारे मूह में आराम मिल रहा है…

निशा: इसलिए तो कहती हु चलो बेडरुम।पुरा दिन अब लंड मेरे मुह में होगा। ठीक है…

जगदीश राय: अच्छा…तो यह सब तुम्हारी चाल थी…लंड मुह में घुसाये रखने की…

निशा: हे हे…हाँ…आल माय प्लानिंग…एक मिनट…बैडरूम में जाने से पहले।।।

फिर निशा ने लंड को बाहर निकाला। लंड अब फिर से थोड़ा खड़ा हो चूका था।



निशा ने लंड को अपने मुठी में लेकर ज़ोर से दबाया। जगदीश राय गुर्राने लगा।

लंड के द्वार पर एक छोटी सी प्यारी सी वीर्य के बूंद उभरकर आयी। 

निशा ने उसे चाटते हुए कहा।
 
निशा: गोल्डन ड्राप कैसे छोड सकती हूँ…चलिए अब…थोड़ी देर मुह से सहलाऊंगी …फिर चूत से…।

निशा- पापा आज आपका बर्थ डे है ना.. तो आप मुझे कितनी बार चोदोगे?

जगदीश राय- जब तक मेरे लंड में जान है तब तक चोदूँगा.

निशा- अच्छा ये बात है.. और कैसे कैसे चोदोगे वो भी बता दो.

जगदीश राय- अभी तो सीधे लेटा कर ही शुरू करूँगा. उसके बाद तुझे घोड़ी बनाकर चोदुँगा।उसके बाद गोद में लेकर चोदूँगा, फिर तुझे अपने लंड के ऊपर बैठाकर कुदवाऊंगा.. तू बस मज़े लेना.

निशा- इतनी बार चोदोगे तो मैं थक नहीं जाऊंगी.. फिर कैसे मज़े?

जगदीश राय- हा हा हा… ऐसे कैसे थकने दूँगा मेरी जान को.
बीच बीच में अपना जूस भी पिलाता रहुँगा मेरी जान।


दोनों में तकरार चलती रही और इस तकरार के साथ प्यार भी हो रहा था. अब जगदीश राय निशा को बेदर्दी से रगड़ रहे थे. उसके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे, कभी चूस रहे थे।काट रहे थे।


निशा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… पापा दुख़ता है.. आह.. नहीं उफ ऐसे चूसो.. मेरी चुत को भी चाटो ना आह.. सस्स आह…


अब दोनों उत्तेज़ित हो गए थे. जगदीश राय ने निशा को ऊपर लेटा लिया और दोनों 69 के पोज़ में आ गए. अब ज़बरदस्त चुसाई शुरू हो गई और निशा की चुत का सारा दर्द गायब हो गया. उसमें खुजली होने लगी, जो सिर्फ़ लंड से ही दूर हो सकती थी.


निशा- आह.. सस्स पापा बस.. अब बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो अपना अज़गर अपनी बेटी की चुत में.. उफ इसमें बहुत आग लगी है.

जगदीश राय ने निशा के पैरों को कंधे पे रखा और लंड के सुपारे को चुत पे टिका कर हल्के से धक्का मारा. उनका आधा लंड चुत में चला गया और निशा की चीख निकल गई.
 
जगदीश राय पर कोई असर नहीं हुआ उन्होंने लंड को पूरा बाहर निकाला और एक जोरदार झटका मारा, अबकी बार पूरा लंड चुत में समा गया.



निशा- आह ओह पापा आह.. आपने तो कहा था अब दर्द नहीं होगा ओफ… मर गई..

जगदीश राय- मेरी बेटी ये थोड़ी देर होगा.. ले चुद अपने पापा से आह.. ले आह…


जगदीश राय ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे और हर झटके पे निशा की चीख निकल जाती।


करीब 20 मिनट तक जगदीश राय दे दनादन अपनी बेटी की चुदाई करते रहे, तब कहीं जाकर निशा की चुत में लंड अड्जस्ट हुआ. अब दर्द मीठा हो गया था और चुत में पानी रिसने लगा था, जिससे लंड को अन्दर बाहर होने में आसानी हो गई. अब निशा की चुत में खुजली भी बढ़ गई, अब वो भी मजा लेने लगी थी.


निशा- आ आह.. फक मी पापा.. आह.. फक मी हार्ड आइआह.. सस्स फाड़ दो मेरी चुत को आह.. नहीं ज़ोर से करो पापा आह.. मेरी चुत गई पापा चोदो मुझे आह आह फास्ट करो पापा और फास्ट आ आह…


निशा की उत्तेजना अब चरम पर पहुँच गई थी. उसकी चुत से रस की धारा बहने लगी. गर्म रस जब जगदीश राय के लंड से टकराया तो उन्होंने स्पीड और बढ़ा दी और निशा को हावड़ा एक्सप्रेस की स्पीड से चोदने लगे.


निशा का पानी निकल चुका था, वो बेजान सी होकर पड़ गई, मगर जगदीश राय अभी कहाँ झड़ने वाले थे, वो तो मज़े से निशा की चुत चोदने में लगे हुए थे.


निशा- आह.. पापा.. बस भी करो आह.. मेरी चुत में जलन होने लगी है.. थोड़ा रेस्ट तो दो आह.. प्लीज़ मान जाओ ना आह…


जगदीश राय को निशा की हालत पर तरस आ गया, उन्होंने एक झटके में लंड बाहर निकाल लिया और फ़ौरन निशा को बैठा कर उसके मुँह में लंड घुसा दिया. निशा कुछ समझ ही नहीं पाई और जगदीश राय अब उसके मुँह को चोदने लगे।
 
थोड़ी देर निशा ने मज़े से लंड को चूसा. उसके बाद इशारे से पापा को कहा कि अब वापस चुत में पेल दो. तब जगदीश राय ने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड को कस के पकड़ कर शॉट मारने लगे. निशा को अब मजा आने लगा था. वो गांड को हिला हिला कर चुदने लगी.


करीब 30 मिनट तक जगदीश राय निशा की पलंगतोड़ चुदाई करते रहे. उस दौरान वो दो बार झड़ गई. उसके बाद जगदीश राय ने अपना सारा रस उसकी चुत में भर दिया.
इस चुदाई के बाद दोनों बिस्तर पे लेटे छत की तरफ़ देखने लगे.निशा की हालत देखने लायक थी, वो लंबी लंबी साँसें ले रही थी उसके पापा ने बहुत चोदा था आज उसे… और जगदीश राय उसके सीने से चिपके हुए बस ऊपर देख रहे थे.

निशा मन ही मन सोच रही थी ” आखिर पापा को खुश कर दिया मैंने!”

दोनों थोड़ी देर दोनों शांत रहे, उसके बाद फिर चुदाई का दौर शुरू हुआ. इस बार जगदीश राय ने निशा को गोद में उठा लिया और हवा में उसकी चुदाई की. उसके बाद उसको अपने लंड के ऊपर कुदवाया. पूरे दिन में जगदीश राय ने 5 बार अपने लंड का रस कभी निशा की चुत में तो कभी चेहरे पर गिराया और निशा का तो पता नहीं कितनी बार पानी निकला होगा. वो एकदम टूट गई, उसमें अब जरा भी हिम्मत नहीं थी, उसका सर चकराने लगा था. आख़िर में उसकी हिम्मत जवाब दे गई. वो बिस्तर पर पेट के बल बेसुध होकर सो गई. उसके साथ जगदीश राय भी ढेर हो गए और उससे चिपक कर सो गए.


अब शाम होनेवाली थी।जगदीश राय निशा को बेड के सहारे कुतिया बना के पीछे से जबरदस्त चोद रहे थे पूरा बेड हिल रहा था। बेड के कोने पर समोसा और केक का खाया हुआ प्लेट पड़ा हुआ था।और प्लेट ज़ोरो से हिल रहा था। 

जगदीश राय निशा को पीछे से लंड घूसा घुसाकर , तेज़ी से चोद रहा था।

निशा पैर खोलना चाहती थी , पर जगदीश राय निशा का पैर बंद करके चोद रहा था।

और पूरा बेड हिल रहा था। शाम के 4 बज रहे थे और निशा गिनती भूल चुकी थी की वह कितनी बार झड चुकी थी। 

हर बार चोदने के बाद दोनों कुछ खा लेते और फिर शुरू हो जाते।

पर अब निशा थक चुकी थी। उसका चूत सुज चूका था और दर्द कर रहा था। बालो, हाथ, गाल और होठ पर वीर्य लगा हुआ था।

पर उसके पापा रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
 
उपर से निशा के पैर बंद होने के कारण चूत और सिकुड़ गयी थी। और जगदीश राय को और मजा आ रहा था। और निशा को दर्द भी हो रहा था।

निशा: पापा…बस करो…अब दर्द बढ़ चुकी है…देखो…कैसे लाल हो गयी है चूत

जगदीश राय: बेटी…बस अब रोक नहीं सकता…निकल ही रहा है…

निशा: आआह्ह…।धीरे…।कहा न मैंने…।।

जगदीश राय ओर्गास्म के कगार पर जोर जोर से गांड के ऊपर अपने जांघे पटकने लगा और फिर
लंड लेके निशा के मुह के पास ले गये।

जगदीश राय: यह ले बेटी…।और चाट ले मलाआईईई…

निशा ने बिना संकोच लंड को मुह में लेने के लिए बढी, पर उसके पहले ही एक तेज़ वीर्य की धार निशा के होठ और गाल पर पडी।

निशा ने तेज़ी से लंड मुह में घूसा लिया और बाकि के 5 मिनट तक चुसती रही। 

निशा को अब वीर्य का स्वाद भा गया था और यह बात उसके पापा जान चुके थे। और निशा भी , हर बूंद को निचोड रही थी।

जगदीश राय:वाह…बेटी…मज़ा आ गया…आज का दिन मैं कभी नहीं भूलून्गा।।सच कहता हूँ।।।बेस्ट डे ऑफ़ माय लाइफ।।।

निशा, लंड को जीभ से चाटते हुयी।

निशा: हम्म्म…।मुझे भी…पर देखो क्या हाल है मेरा…पूरे शरीर पर वीर्य लगा हुआ है आपका…और चूत तो देखो …माय गॉड…सुज गयी है…पूरी…

निशा, पापा के सामने, चूत खोलकर दिखा रही थी। जगदीश राय ने निशा को बॉहो में भर लिया।

जगदीश राय: अरे वह तो होगा ही…इस बर्थडे बॉय को खुश करना इतना आसान थोड़ी है।।।और बर्थ डे बॉय के लंड के क्या कहने।।।हे हे

फिर निशा प्लेट से एक समोसा का टुकड़ा लेकर खाने लगी। 

गालो पर लगा वीर्य के बूँदे फिसल कर निशा के मुह में जा रहे थे। 

और निशा बिना कुछ संकोच समोसा के साथ वीर्य को भी खाए जा रही थी।

जगदीश राय यह देखकर मुस्कराया, खुश हो गया।
 
थोड़ी देर ऐसे ही लेटने के बाद निशा बोली।

निशा: पापा, मुझे आप से एक बात पुछनी है।

जगदीश राय: हाँ हाँ पुछो बेटी।

निशा: पापा…मेरे कॉलेज से 15 दिन के लिए साउथ इंडिया के कुछ जगहो पर एक स्टडी टूर जा रही है।टूर काफी हद तक स्पॉन्सर्ड है। सो…पैसा ज्यादा नहीं लगेगा…क्या मैं जाऊ…।

जगदीश राय, निशा को चिंतित नज़रो से देखने लगा।

निशा: हाँ मैं जानती हु…की यहाँ कोई नहीं है…घर का काम।।।इस्लिये मैं अभी तक हाँ नहीं कह पाई हूँ।। पर कल लास्ट डे है…।मैं ना कह देती हूँ…।

जगदीश राय: नहीं नहीं बेटी…मैं घर के बारे में नहीं तुम्हारे बारे में सोच रहा हूँ। तुम अकेले …।१५ दिन…जाना कैसे है।।प्लेन से…ट्रैन से…

निशा: ओफ़्कोर्से ट्रैन से…और मैं अकेली कहाँ हुँ…वह केतकी है न…वह है…और भी बहुत सारी लड़किया है…

जगदीश राय कुछ देर तक सोचता रहा।

जगदीश राय: जाओ बेटी…घूम आओ।।।कब जाना है…

निशा (चौकते हुए)पर पापा…यहाँ कौन सम्भालेगा…घर का काम।। खाना…

जगदीश राय: उसकी तुम चिंता मत करो…।में तो कैंटीन से खा सकता हु…और इन् बन्दरो के लिए तो पिज़्जा, बरगऱ, पास्ता तो है ही। कभी कभार मैं बना लूँगा…
 
निशा: पर…।

जगदीश राय: बेटी।।यह उम्र तुम्हारे घूमने के… मजा करने के है…खाना तो ज़िन्दगी भर बनाना है…इसलिए जाओ…और कल हाँ कर दो…मुझसे पैसे ले लेना।

निशा खुश होकर, वीर्य लगे गालो से, पापा को चूम ली।

जगदीश राय: पर।।बेटी…एक समस्या है…मेरे इसके क्या होगा…

जगदीश राय ने मुस्कुराते हुए अपने लंड की तरफ इशारा किया।

निशा: इसका …आप…।१५ दिन तक…आराम दीजिये…हाथ से भी नहीं करना ठीक है…।मैं जब आऊँगी तब आपको एक स्पेशल गिफ्ट दुँगी। तब तक यह मुझे तडपता हुआ खड़ा मिलना चाहिये।।।

जगदीश राय: अरे तुम तो यह ही कहोगी।।तुम्हारे टूर पर तो लड़के भी होंगे…क्यूँउउ…

निशा: धत। पापा…मैं तो आपके सिवा किसी को हाथ भी नहीं लगाने दूँगी…

निशा के इस जबाब से जगदीश राय कुछ सोचने लगा। 

निशा उठकर बाथरूम चली गयी। और थोड़े देर बाद फ्रेश होकर , साफ़ होकर आयी। 

वह नंगी खड़े होकर अपना बाल बनाने लगी।

जगदीश राय: बेटी…एक बात पूछ्ना चाहता हु…।

निशा: हाँ पापा पुछो।

जगदीश राय: बेटी।।तुम अपने पापा के साथ।।मेरा मतलब है…यह सब…यह संबंध।

निशा (सर झुकाते हुए): मैं समझ गयी पापा…

जगदीश राय: बेटी …मैं यह नहीं चाहता की ।।इसकी वजह से ।।तुम और लड़को को पसंद न करो।।मेरा क्या।।आज है कल नहीं…पर तुम्हे शादी करके एक विवाहित जीवन बीतानी है…मैं यह चाहता हु…

निशा: ओह ओह पापा…आप कहाँ चले गए…पापा , आपके साथ रास लीला रचाने के बाद ।।मुझे तो बल्कि फ़ायदा हुआ है…अब मैं अन्य लड़कियों की तरह लड़को को ताकती नहीं रहती…मैं अब लड़को से शरमाती भी नहीं… अब मैं लड़को को उनके क्वालिटीज़ के अनुसार परखती हूँ।…।

जगदीश राय: अच्छा…

निशा: तो अब बेफिक्र रहिये…मैं कोई घर बैठने वाली नहीं हूँ।।

निशा: और अब मेरे पढाई मैं भी मार्क्स अच्छे आने लगे है…क्युकी मैं लड़को और एडल्ट मूवीज से डिस्ट्रक्ट नहीं होती…

जगदीश राय यह सुनकर खुश भी हुआ और आश्चर्य चकित भी।

जगदीश राय: फिर तो…यह…अच्छी बात है… है न…

निशा (हँसते हुए): और नहीं तो क्या…।हे हे…मैं तो कहती हु…हर लड़की का पहला बॉय फ्रेंड उनके पापा होने चाहिये…हे हे

जगदीश राय: निशा को गोद में बिठा लिया। और हँसते हुए चूमने लगा।
 
ऑफिस के सभी लोग गपशप लड़ा रहे थे। पर जगदीश राय को सीट पर बैठना मुश्किल हो रहा था।
आज निशा को घर से गए हुए सिर्फ 2 दिन हुए थे। और जगदीश राय का जीना मुश्किल हो गया था। 
ऑफिस में बैठा नहीं जा रहा था और घर में मन नहीं लगता था। 

और जगदीश राय से बुरा हाल जगदीश राय के लंड का था। पिचले 2 महीनो से निशा लगातार लंड की सेवा करती थी।

जब निशा के महीने चल रहे होते, उस वक़्त भी निशा लंड को चूस चूस कर उसका रस निकालती। 

और 2 दिन से लंड को निशा की प्यारी चूत और मुह की कमी महसूस हो रहा था। वह अब निशा को कॉलेज ट्रिप पर भेजने के फैसले से पछता रहा था।

जगदीश राय से मुठ भी नहीं मारा जाता। ऑफिस के औरतो को भी घूरता। उसे डर लगने लगा की ऐसा ही चलता रहा तो जल्द ही वह अपने नौकरी से हाथ धो बेठेंगा।

और आज तो उसकी हालत ज्यादा बुरा था। लंड पिछले 2 घण्टो से खड़ा था। और पूरी शरीर में गर्मी फ़ैली हुई थी।

जगदीश राय ने तुरंत एक सिक लेटर लिख दिया और पिओन के द्वारा अपने बॉस को भेज दिया। और बिना कुछ बोले और कहे, देरी हो जाने से पहले , वहां से निकल गया।

रास्तो की लड़कियो और औरतो को ताकते हुए वह घर पहुंचा। दोपहर के 2:30 बजे थे। आशा और सशा शाम के 4-5 बजे तक आयेंगे। तो उसके पास 2-3 घंटे है। उसने सोचा की किसी तरह मुठ मारकर खुद को थोड़ा आराम दे दे। 

दरवज़ा खोलते ही , उसे ऊपर के कमरे से कुछ हँसने की आवाज़ सुनाई दी।

जगदीश राय(मन में): अरे…यह क्या…आशा घर पर…इस वक़्त…

तभी जगदीश राय को आशा की मदहोश भरी सिसकियाँ और कुछ शब्द सुनाई दिए

आशा: ओह…।इट्स फीलस सो गुड…आहाहहह…।धीरे करो न…।हाँ वही…।आह…और…अंदर…

जगदीश राय आशा की यह आवाज़ सुनकर बुरी तरह चौक गया। वह भागा भागा ऊपर के कमरे की तरफ गया और तेज़ी से दरवाज़ा खोल दिया।

और अंदर का नज़ारा देखकर सुन्न हो गया।

अंदर आशा पूरी नंगी खड़ी थी। वह बेड के किनारे खड़ी थी। 

उसके बदन पे एक भी कपडा नहीं था पर उसने अपने वाइट शूज नहीं उतारे थे।

और आशा के बेड पर एक सांवला सा लड़का बैठा हुआ था। जो आशा की दाए चूचो को मुरा मुह में घूसा कर बेदरदी से चूस रहा था। 
 
आशा तेज़ी से सिसकी ले रही थी। और लग नहीं रहा था की उसके साथ कोई जबरदस्ती की जा रही हो।

लडीके ने सिर्फ अपना शर्ट उतारा था।

और जगदीश राय ने देखा की वह पीछे आशा की गांड पर अपना बायाँ हाथ फेरकर अंदर बाहर कर रहा है। जिसकी वजह से आशा भी अपनी गांड और कमर खड़े खड़े आगे पीछे हिला रही है।

दोनो इतने मदहोश थे की दोनों की ऑंखें बंद थी। और उन्हें पता भी नहीं चला की जगदीश राय वहां खड़ा है।

जगदीश राय ने यह सब नज़ारा कुछ चंद सेकड़ो में देख लिया था। 

और वह गुस्से से आग बबुला हो गया।

जगदीश राय (गुस्से में): आशा…।।यह क्या हो रहा है…मेरे घर में…यु बास्टर्ड …।कौन है तू…।।साला।

अचानक से हुए शोर से दोनों आशा और वह लड़का चौक गये। और अपने पापा को देखकर आशा चिल्लायी

आशा: पापा…ओह गॉड…।सॉरी पापा…।सॉरी…।हम यही…।।या गॉड

और आशा ने अपने हाथो से पास पड़े उसकी छोटी सी टीशर्ट से अपने चूचो और चूत को छिपाने का असफ़ल प्रयास किया।

जगदीश राय बहुत गुस्से में था। वह तेज़ी से उस लड़के के तरफ बढा। लड़का घबरा गया।

लडका: अंकल…सॉरी…मैं निकल रहा हु…अंकल…सॉरी सॉरी…।

इसके पहले की जगदीश राय कुछ करता लड़का बड़े ही फुर्ति से अपने शर्ट उठा कर वहां से दौड पडा। 
जगदीश राय उसके पीछे भागा पर जब तक वह सीडियों से लड़खड़ाते निचे पंहुचा लड़का दरवाज़े से फ़रार हो चूका था।
 
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