hotaks444
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निशा को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है. भला वो बार बार कैसे गरम हो रही हैं. जगदीश राय फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ निशा की गान्ड में भी डाल देता है. फिर अपना लंड को निशा की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे निशा की गान्ड में पेलने लगता हैं. निशा के मूह से चीख निकलने लगती हैं मगर वो अपने पापा को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती. जैसे ही जगदीश राय का सूपाड़ा अंदर जाता हैं निशा की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द होता है लगता हैं किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो. वो फिर भी अपने पापा के लिए वो दर्द को बर्दास्त करती हैं।
निशा :उफफफफ्फ़.पापा आप कितने बेरहम हो......पूरा घुसा दिया........इतना मोटा लॉडा पूरा मेरी गान्ड में डाल दिया"
जगदीश राय:हां बेटी.....पूरा ले लिया है तूने........ऐसे ही बेकार में डर रही थी"
निशा:बेकार में......उूउउफफफफ्फ़.........मेरी जगह आप होते तो मालूम चलता.....अभी भी कितना दुख रहा है....,धीरे करो पापा"
जगदीश राय: बेटी अब तो चला गया है ना पूरा अंदर.......बस कुछ पलों की देर है देखना तू खुद अपनी गान्ड मेरे लौडे पर मारेगी" बेटी की पीठ चूमता बोला.
"धीरे पेलो पापा.......हाए बहुत दुख रही है मेरी गान्ड......."निशा सिसिया रही थी. जगदीश राय तेल वाला सुझाव वाकई मे बड़ा समझदारी वाला था. तेल से लंड आराम से अंदर बाहर फिसलने लगा था. जहाँ पहले इतना ज़ोर लगाना पड़ रहा था लंड को थोड़ी सी भी गति देने के लिए अब वो उतनी ही आसानी से अंदर बाहर होने लगा था. हालाँकि निशा ने अपने पापा धीरे धीरे धक्के लगाने के लिए कहा था मगर पिछले आधे घंटे से किए सबर का बाँध टूट गया और जगदीश राय ना चाहता हुआ भी अपनी बेटी की गान्ड को कस कस कर चोदने लगा.
निशा: हाए उउउफफफफफफफ्फ़.........आआआहज्ज्ज्ज मार...डााअल्ल्लीीगगगघाा क्यआआअ......हीईीईईईई.....ओह माआआअ.......,,हे भगवान......मेरी गान्ड....,उफफफफफफफ़फ्ग फट गईईईईई।
निशा चीख रही थी, चिल्ला रही थी मगर अपने पापा को रुकने के लिए नही कह रही थी. सॉफ था उसे इस बेदर्दी में भी मज़ा आ रहा था.वैसे भी वो रोकती तो भी जगदीश राय रुकने वाला नही था. दाँत भींचे वह निशा की गान्ड को पेलता जा रहा था और वो पेलवाती जा रही थी.
निशा :उफफफफ्फ़.पापा आप कितने बेरहम हो......पूरा घुसा दिया........इतना मोटा लॉडा पूरा मेरी गान्ड में डाल दिया"
जगदीश राय:हां बेटी.....पूरा ले लिया है तूने........ऐसे ही बेकार में डर रही थी"
निशा:बेकार में......उूउउफफफफ्फ़.........मेरी जगह आप होते तो मालूम चलता.....अभी भी कितना दुख रहा है....,धीरे करो पापा"
जगदीश राय: बेटी अब तो चला गया है ना पूरा अंदर.......बस कुछ पलों की देर है देखना तू खुद अपनी गान्ड मेरे लौडे पर मारेगी" बेटी की पीठ चूमता बोला.
"धीरे पेलो पापा.......हाए बहुत दुख रही है मेरी गान्ड......."निशा सिसिया रही थी. जगदीश राय तेल वाला सुझाव वाकई मे बड़ा समझदारी वाला था. तेल से लंड आराम से अंदर बाहर फिसलने लगा था. जहाँ पहले इतना ज़ोर लगाना पड़ रहा था लंड को थोड़ी सी भी गति देने के लिए अब वो उतनी ही आसानी से अंदर बाहर होने लगा था. हालाँकि निशा ने अपने पापा धीरे धीरे धक्के लगाने के लिए कहा था मगर पिछले आधे घंटे से किए सबर का बाँध टूट गया और जगदीश राय ना चाहता हुआ भी अपनी बेटी की गान्ड को कस कस कर चोदने लगा.
निशा: हाए उउउफफफफफफफ्फ़.........आआआहज्ज्ज्ज मार...डााअल्ल्लीीगगगघाा क्यआआअ......हीईीईईईई.....ओह माआआअ.......,,हे भगवान......मेरी गान्ड....,उफफफफफफफ़फ्ग फट गईईईईई।
निशा चीख रही थी, चिल्ला रही थी मगर अपने पापा को रुकने के लिए नही कह रही थी. सॉफ था उसे इस बेदर्दी में भी मज़ा आ रहा था.वैसे भी वो रोकती तो भी जगदीश राय रुकने वाला नही था. दाँत भींचे वह निशा की गान्ड को पेलता जा रहा था और वो पेलवाती जा रही थी.