hotaks444
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“स्टोर रूम है ये यार मोंटी चल यहाँ से.”
“क्या पता कुछ काम का समान हो रुक तो गुल्लू.”
मेरी तो साँस ही अटक गयी. मुकेश भी तुरंत रुक गया. मगर वो ऐसी पोज़िशन में रुका था जबकि उसका लिंग सिर्फ़ सूपदे को छ्चोड़ का बाहर था. हम दोनो ही जड़ हो चुके थे. मुकेश ने धीरे से खुद को नीचे किया और उसका मोटा लिंग मेरे अंदर फिसलता चला गया. ये बिल्कुल स्लो मोशन में हुआ. उसके ज़रा ज़रा सरकते हुवे लिंग को मैने अपने छेद की दीवारों पर बहुत अच्छे से महसूस किया. जब वो पूरा अंदर आ गया तो ना चाहते हुवे भी हल्की सी आहह मेरे मूह से निकल गयी. “आहह.”
“तूने ये आवाज़ सुनी क्या मोंटी?”
“हान्ं यार सुनी तो, चल भाग यहाँ से ज़रूर यहा भूत है.”
और वो दोनो दरवाजा बंद करके भाग गये. अब शायद उपर कोई नही था.
“निकाल लो अब बाहर और मुझे जाने दो. मनीष मुझे ढूंड रहा है.”
“नही अभी नही अभी तो बहुत मारनी है.” और वो फिर से शुरू हो गया.
“बाद में मार लेना मैं कही भागी नही जा रही हूँ प्लीज़ अभी मुझे जाने दो.” मैं गिड़गिडाई.”
“बाद में तू नही देगी मुझे पता है. पीनू के साथ तूने जो किया क्या मुझे नही पता. तू रोज रोज नही देती अपनी. तेरा मूड होता है कभी कभी ये मैं जान चुका हूँ हिहीही. आज ही जी भर के मारूँगा तेरी मैं.”
और जालिम ने तूफान मचा दिया मेरे पीचवाड़े में. इतनी रफ़्तार से मारने लगा वो मेरी मासूम गांद को कि फ़च फ़च की आवाज़ होने लगी. कोई भी बाहर होता अब तो सुन सकता था.
“उउउहह बस भी करो आहह” और मैं फिर से झाड़ गयी.
“बस अब मेरी बारी है” और उसने रफ़्तार की चरम को छू लिया और फिर अचानक ऐसी पिचकारी छ्चोड़ी उसने कि मेरी गांद की दीवारे गरम गरम पानी में नहा गयी. ये गर्माहट मुझे बहुत गहरे तक महसूस हुई.
“आआहह बस रुक भी जाओ.” मैने कराहते हुवे कहा. मेरी योनि एक बार फिर पानी छ्चोड़ चुकी थी. अजीब बात थी गांद में तो मज़ा आ ही रहा था मगर मेरी चूत भी मस्ती में पानी बहा रही थी. यही बात शायद अनल सेक्स को ख़ास बनाती है. मैने मन ही मन सोचा.
उसने हान्फ्ते हुवे अपने लिंग को बाहर खींच लिया. मैं तुरंत लड़खड़ते कदमो से खड़ी हुई और तुरंत कपड़े पहनने लगी. जब मैने ब्लाउस, पॅंटी और पेटिकोट पहन लिया तो उसने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंटो को अपने सुवर जैसे होंटो में जाकड़ कर चूसने लगा.उस से अलग हो कर मैने अपने कपड़े पहने और जल्दी से बाहर आ गयी. दोस्तो उस दिन मैं बाल बाल बची दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
“क्या पता कुछ काम का समान हो रुक तो गुल्लू.”
मेरी तो साँस ही अटक गयी. मुकेश भी तुरंत रुक गया. मगर वो ऐसी पोज़िशन में रुका था जबकि उसका लिंग सिर्फ़ सूपदे को छ्चोड़ का बाहर था. हम दोनो ही जड़ हो चुके थे. मुकेश ने धीरे से खुद को नीचे किया और उसका मोटा लिंग मेरे अंदर फिसलता चला गया. ये बिल्कुल स्लो मोशन में हुआ. उसके ज़रा ज़रा सरकते हुवे लिंग को मैने अपने छेद की दीवारों पर बहुत अच्छे से महसूस किया. जब वो पूरा अंदर आ गया तो ना चाहते हुवे भी हल्की सी आहह मेरे मूह से निकल गयी. “आहह.”
“तूने ये आवाज़ सुनी क्या मोंटी?”
“हान्ं यार सुनी तो, चल भाग यहाँ से ज़रूर यहा भूत है.”
और वो दोनो दरवाजा बंद करके भाग गये. अब शायद उपर कोई नही था.
“निकाल लो अब बाहर और मुझे जाने दो. मनीष मुझे ढूंड रहा है.”
“नही अभी नही अभी तो बहुत मारनी है.” और वो फिर से शुरू हो गया.
“बाद में मार लेना मैं कही भागी नही जा रही हूँ प्लीज़ अभी मुझे जाने दो.” मैं गिड़गिडाई.”
“बाद में तू नही देगी मुझे पता है. पीनू के साथ तूने जो किया क्या मुझे नही पता. तू रोज रोज नही देती अपनी. तेरा मूड होता है कभी कभी ये मैं जान चुका हूँ हिहीही. आज ही जी भर के मारूँगा तेरी मैं.”
और जालिम ने तूफान मचा दिया मेरे पीचवाड़े में. इतनी रफ़्तार से मारने लगा वो मेरी मासूम गांद को कि फ़च फ़च की आवाज़ होने लगी. कोई भी बाहर होता अब तो सुन सकता था.
“उउउहह बस भी करो आहह” और मैं फिर से झाड़ गयी.
“बस अब मेरी बारी है” और उसने रफ़्तार की चरम को छू लिया और फिर अचानक ऐसी पिचकारी छ्चोड़ी उसने कि मेरी गांद की दीवारे गरम गरम पानी में नहा गयी. ये गर्माहट मुझे बहुत गहरे तक महसूस हुई.
“आआहह बस रुक भी जाओ.” मैने कराहते हुवे कहा. मेरी योनि एक बार फिर पानी छ्चोड़ चुकी थी. अजीब बात थी गांद में तो मज़ा आ ही रहा था मगर मेरी चूत भी मस्ती में पानी बहा रही थी. यही बात शायद अनल सेक्स को ख़ास बनाती है. मैने मन ही मन सोचा.
उसने हान्फ्ते हुवे अपने लिंग को बाहर खींच लिया. मैं तुरंत लड़खड़ते कदमो से खड़ी हुई और तुरंत कपड़े पहनने लगी. जब मैने ब्लाउस, पॅंटी और पेटिकोट पहन लिया तो उसने मुझे बाहों में भर लिया और मेरे होंटो को अपने सुवर जैसे होंटो में जाकड़ कर चूसने लगा.उस से अलग हो कर मैने अपने कपड़े पहने और जल्दी से बाहर आ गयी. दोस्तो उस दिन मैं बाल बाल बची दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त