Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 22 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

दीदी जैसे आप ठीक समझे" नरेश के गले से यह लफ़्ज़ जाने कैसे निकले थे । वह बुहत ज्यादा उत्तेजित हो गया था । शीला अपने भाई की बात सुनकर जल्दी जल्दी अपनी साड़ी में हाथ ड़ालते हुए उसको अपने जिस्म से अलग कर दिया और लेटकर अपने भाई की तरफ देखने लगी ।
नरेश के सामने उसकी बहन अब पेटिकोट और ब्लाउज में लेटी हुयी थी, शीला की गोरी चिकनी टांगों और उसके शीशे की तरह साफ़ पेट को नंगा देखकर नरेश की हालत और खराब होती जा रही थी।
"भइया पेटिकोट उतारो ना" शीला ने अपने भाई की हालत देखकर मन ही मन में हँसते हुए कहा।

नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसके पेटिकोट को उतारने लगा, शीला ने भी अपने चूतडों को थोडा ऊपर करते हुए अपने भाई को पेटिकोट उतारने में मदद की। नरेश के सामने अब उसकी बहन की चूत सिर्फ एक छोटी सी पेंटी में क़ैद थी जो उसकी बहन की चूत से बुरी तरह चिपकी हुयी थी ।
"भइया ऐसे क्या देख रहे हो हमें दर्द हो रहा है" शीला ने अपने भाई को अपनी पेंटी की तरफ देखते हुए पाकर टोकते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर होश में आते हुए अपने हाथ से अपनी बहन की चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा।

"ओहहहहहह इसशहहह भैया आराम से दबाओ बुहत ज्यादा दर्द है" शीला ने अपने भाई के हाथों से तेज़ दबाने से बुरी तरह काँपते हुए ज़ोर से चीख़कर उसके हाथ को पकडते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपने हाथ को आराम से उसकी पेंटी पर घुमाने लगा ।
"भइया यह आपका तो बुरी तरह उछल रहा है" शीला की नज़र अचानक अपने भाई की पेण्ट की तरफ चलि गयी। जिसमें उसका लंड बुरी तरह झटके खा रहा था,
"दीदी इस बेचारे का क्या क़सूर आपका जिस्म देखकर यह अपने होश खो बैठा है" नरेश ने अपने लंड को अपनी पेण्ट में दबाते हुए कहा।

"बुहत बदमाश है आपका यह अपनी बहन के जिस्म को देखकर भी खामोश नहीं बैठ सकता" शीला ने अपने हाथ से नरेश के लंड को उसकी पेण्ट के ऊपर से ही दबाते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह दीदी छोड़ो इसे वरना यह ज्यादा तंग करने लगेंगा" नरेश ने अपनी बहन का हाथ अपने लंड पर पड़ने से बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
"भइया आप भी इस बेचारे पर ज़ुल्म कर रहे हो । ऐसे इसको क़ैद कर रखा है बेचारे का दम घुट रहा होगा ऐसा करो अपनी पेण्ट को उतार दो ताकि यह आराम से उछल कूद सके" शीला ने अपने भाई के लंड को छोडकर उसे सलाह देते हुए कहा।
 
"दीदी शायद आप ठीक कह रही हो" नरेश को भी पेण्ट में उसका लंड बुहत तंग कर रहा था । इसीलिए उसने फ़ौरन अपनी दीदी की बात मानते हुए अपनी पेण्ट को उतारकर अपने जिस्म से अलग करते हुए कहा । शीला के सामने अब उसके भाई का लम्बा और मोटा लंड सिर्फ अंडरवियर में क़ैद था। जिसे देखकर वह ज्यादा गरम होने लगी ।
नरेश ने अब अपने हाथ को फिर से अपनी बहन की छोटी सी पेंटी पर रख दिया और बुहत आराम से उसे सहलाने लगा।
"आह्ह्ह्हह भैया ओह्ह्ह्हह" शीला बुहत गरम हो चुकी थी । जिस वजह से उसकी चूत से अब रस टपक कर उसकी पेंटी को गीला करने लगा था और शीला भी उत्तेजना के मारे वैसे ही सिसक रही थी।

"दीदी यह क्या है आपके यहाँ से तो कुछ पानी निकल रहा है कहीं आपको यहाँ पर कोई ज़ख़्म तो नहीं जहाँ से यह पानी निकल रहा है" नरेश ने अपनी बहन की चूत से निकलते हुए पानी को अपने हाथ पर लगने से परेशानी का नाटक करते हुए कहा ।
"भइया पता नहीं है मगर आपके रगडने से आराम मिल रहा है" शीला ने भी अपने भाई का साथ देते हुए कहा।
"दीदी ऐसे नहीं चलेगा हमें आपके ज़ख़्म को देखना होगा कहीं गहरा ज़ख़्म निकला तो फिर ओपरेशन होगा आपका" नरेश ने अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।

"भइया जैसे आप ठीक समझें आप हमारा बुरा तो नहीं सोचेंगे" शीला का अंग अंग अपने भाई की बात सुनकर सिहर उठा और वह वैसे ही लेटे हुए अपने भाई से बोली । नरेश अपनी बहन की इजाज़त पाते ही अपने हाथों को उसकी पेंटी में ड़ालते हुए उसके चूतडों से अलग करने लगा, शीला की पेंटी उसके चूतडों से हटते हुए नीचे होने लगी। शीला ने भी अपने चूतडों को थोडा सा ऊपर करते हुए अपनी पेंटी उतारने में अपने भाई की मदद की ।
"दीदी आप अपनी टांगों को जितना हो सकता है फ़ैला दें ताकी हम आपके ज़ख़्म को ठीक से देख सके" नरेश ने अपनी बहन की पेंटी के उतारते ही उतेजित होते हुए कहा।

शीला ने अपने भाई की बात सुनकर अपनी दोनों टांगों को पूरी तरह से फ़ैला दिया । शीला अपनी चूत को अपने भाई के सामने नंगा होने के अहसास से बुरी तरह उत्तेजित हो रही थी। जिस वजह से उसकी चूत बुहत ज्यादा पानी टपका रही थी।
"दीदी मेरा अंदाजा ठीक था यहाँ पर तो ज़ख़्म दिख रहा है उसी में से देखो कितना पानी निकल रहा है" नरेश ने अपनी बहन की हलके बालों वाली गुलाबी चूत को गौर से देखकर अपने हाथ को उसकी चूत के छेद से निकलते हुए पानी पर रखते हुए कहा ।
 
"हाहहहहह भैया फिर कुछ करो ना" शीला अपने भाई के हाथ को अपनी चूत के छेद पर लगते ही बुरी तरह काँपकर सिसकते हुए बोली।
"दीदी हमें आपके ज़ख़्म को अपनी जीभ से चाटना होगा । क्योंकी थूक से ज़ख़्म जल्दी ठीक हो जाता है" नरेश ने अपनी बहन की बेचैनी को देखकर जल्दी से बोला।
"भइया जो करना है जल्दी करो अब हम से बर्दाशत नहीं होता" शीला ने अपने भाई की बात को सुनकर जल्दी से कहा।
"ठीक है हम आपके ज़ख़्म को अभी अपनी जीभ से चाटकर ठीक कर देते है" नरेश ने इतना कहकर थोडा पीछे होकर अपनी बहन की टाँगो के नीचे लेटते हुए अपना मूह उसकी चूत पर रख दिया।

नरेश को अपनी बहन के चूत से निकलती हुयी गंध बुहत ज्यादा मदहोष कर रही थी। उसने पहले अपनी दीदी की चूत को अपने होंठ से चूमा और फिर अपनी जीभ को निकलकर अपनी बहन की चूत के छेद पर रखते हुए उसमें से निकलता हुआ रस चाटने लगा ।
"ओहहहहह भैया बुहत सुकून मिल रहा है" शीला अपने भाई की जीभ को अपनी चूत के छेद पर लगने से ही कापंते हुए ज़ोर से चील्लाकर बोली । नरेश अपनी बहन की चीख़ें सुनकर उसकी चूत को बुहत ज़ोर से चाटने लगा। नरेश कुछ देर तक अपनी बहन की चूत को चाटने के बाद अब अपना मुँह खोलकर उसको चूत के दोनों पतले लबों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।

"आह्ह्ह्ह भैया हहः" शीला के मुँह से ज़ोर की सिसकिया निकली और वह अपनी चूत को बुरी तरह से अपने भाई के मूह पर दबाते हुए झरने लगी । शीला की आँखें झरते हुए मज़े के मारे बंद हो गयी, नरेश अपनी बहन की चूत का रस जितना हो सकता था ,चाटने लगा।
शीला ने कुछ देर बाद अपनी आँखें खोली तो उसके भैया ने भी अपना मूह उसकी चूत से हटा दिया।
"दीदी अब कैसा लग रहा है" नरेश ने अपनी बहन की तरफ देखते हुए कहा।
"भइया आपने हमारा सारा दर्द ख़तम कर दिया" शीला ने अपने भाई को देखते हुए कहा।

"दीदी हमने आपके ज़ख़्म को ऊपर से साफ़ किया है अभी तो इसे अंदर से साफ़ करना बाकी है" नरेश ने अपने बहन की आँखों में देखते हुए कहा।
"ओहहहह भैया वह कैसे" शीला समझ चुकी थी की उसका भाई अब उसे चोदना चाहता है मगर फिर भी वह नाटक करते हुए बोली । शीला का पूरा जिस्म अपनी चुदाई के बारे में सोचकर ही ख़ुशी से झूमने लगा।।
"दीदी अब मुझे अपने इसका इस्तमाल करना होगा" नरेश ने अपने लंड की तरफ इशारा करके अपनी बहन को बताते हुए कहा।
"भइया आप इससे क्या करेंगे" शीला ने फिर से अन्जान बनते हुए कहा।

"दीदी मैं इसे आपकी जीभ से गीला करके आपके इस छेद में डालूँगा ताकी आपकी यह जगह अंदर से भी पूरी तरह साफ़ हो जाए" नरेश ने अपनी बहन की आँखों में देखते हुए कहा जो अपने भाई की बात को सुनते हुए चमक रही थी ।
 
ओहहहहह भैया मगर आपका यह तो बुहत लम्बा और मोटा दिख रहा है। यह हमारे छोटे से छेद में कैसे घुसेगा" शील ने यों ही अपने भाई के अंडरवियर में उछलते हुए लंड की तरफ देखते हुए बोली।
"दीदी यह मोटा और लम्बा है तभी तो आपके छेद की अच्छी तरह से सफायी करेंगा" नरेश ने अपनी दीदी की बात सुनकर अपने अंडरवियर को उतारते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह भैया आपका तो सच में बुहत मोटा और लम्बा है मगर है बुहत प्यारा" शीला ने अपने भाई के अंडरवियर के उतारने के बाद उसके लंड को अपने हाथ में लेते हुए कहा।
"ओहहहह दीदी मुझे यह जानकार ख़ुशी हुयी की आपको यह पसंद आया" नरेश ने अपनी बहन का हाथ अपने नंगे लंड पर पड़ते ही जोर से सिसकते हुए कहा।

"भइया मगर यह इतना मोटा मेरे छोटे से छेद में कैसे घुसेगा। मुझे तो बुहत चिंता हो रही है" शीला ने अपने भाई के लंड से खेलते हुए अपनी परेशानी बताते हुए कहा।
"हा दीदी आप इसको अपने मुँह से गीला कर दो फिर देखो हम इसे आपके छेद में कैसे घुसाते हैं। तुम्हें चिंता करने की कोई ज़रुरत नही" नरेश ने अपने बहन को बालों से पकडकर उसका मुँह अपने लंड की तरफ झुकाते हुए कहा ।

नरेश ने शीला को बालों से पकड कर नीचे झुका दिया था। अब शीला का मुँह अपने भाई के खडे नंगे लंड के बिलकुल पास था । शीला ने एक आखिरी नज़र अपने भाई के लंड के गुलाबी सुपाडे पर डाली और अपनी जीभ निकालकर अपने भाई के लंड के गुलाबी सुपाडे को चाटने लगी ।
"हाहहह दीदी इस पर अच्छी तरह से जीभ घुमाओ" नरेश ने अपनी बहन की जीभ को अपने लंड पर पड़ने से ज़ोर सिसकते हुए कहा। अब शीला अपनी जीभ से अपने भाई के लंड को उसके सुपाडे से लेकर उसके आखरी हिस्से तक अपनी जीभ से चाट रही थी और नरेश मज़े से सिसकते हुए अपने बहन के बालों को सहला रहा था।

शीला ने अचानक अपना मूह खोलते हुए अपने भाई के लंड के मोटे गुलाबी सुपाडे को अपने मुँह में भर लिया और उसे धीरे धीर अपने होंठो से चूसने लगी,
"ओहहहहहह शहहहहह दीदी" नरेश शीला की इस हरकत से पूरा काँप उठा ।
नरेश ने कुछ देर तक अपने लंड को अपनी बहन के मूह में रखने के बाद अपना लंड वहां से निकाल दिया क्योंकी अगर वह अपना लंड कुछ देर तक और वहां रखता तो वह वहीँ पर झड़ जाता जो नरेश उस वक्त नहीं चाहता था।
 
नरेश ने एक तकिया वहां से उठाकर अपनी बहन के चूतडों के नाचे रख दिया और उसकी दोनों टांगों को उसके घुटनों तक मोड़ दिया । ऐसा करने से शीला की चूत बिलकुल बाहर निकलकर उसके भाई के सामने आ गयी, नरेश अपना खडा लंड अपनी बहन की चूत के छेद पर रगडने लगा।
"ओहहहह आहह भैया क्या कर रहे हो" शीला अपने भाई के लंड को अपनी चूत के छेद पर घिसता हुआ महसूस करके ज़ोर से सिसकते हुए बोली । अपने भाई के लंड के घीसने से शीला की चूत से बुहत सारा पानी निकल रहा था।

नरेश ने अपने लंड को अपनी बहन की चूत से निकलते हुए पानी से पूरी तरह गीला करते हुए अपना लंड उसकी चूत के दोनों होंठो को अलग करते हुए उसके छेद में फँसा दिया । नरेश ने अपनी बहन की दोनों टांगों को मज़बूती से थामकर उसकी आँखों में देखने लगा ।

शीला की आँखों में उस वक्त मस्ती थी । अपने भाई को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर उसने अपने चूतडों को थोडा ऊपर कर दिया । नरेश को उसकी बहन का जवाब मिल गया था । उसने उसकी टांगों को मज़बूती से पकडकर अपने लंड पर दबाव ड़ालते हुए अपनी बहन की चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा।

"आह्ह्ह्ह भैया दर्द हो रहा है" नरेश के थोडे दबाव से ही उसके लंड का सुपाड़ा उसकी बहन की चूत में आधा अंदर जाकर फँस गया। जिस वजह से शीला ने दर्द से चिल्लाते हुए कहा।
"दीदी एक बार तो आपको दर्द सहना होगा। आप एक तकिया उठाकर अपने मूह पर रख लो । लंड घूसने से आपके मूह से चीख़ निकल सकती है जिसे सुनकर यहाँ कोई भी आ सकता है" नरेश ने अपनी बहन को समझाते हुए कहा ।
शीला भी कोई बच्ची नहीं थी। उसे पता था की उसे पहली बार चुदाने में तकलीफ होगी। इसीलिए उसने अपने भाई की बात मानते हुए तकिया उठाकर अपने मूह पर रख दिया । नरेश ने अपनी बहन की टांगों को पकडते हुए अपने लंड को थोडा पीछे करते हुए अपनी पूरी ताक़त के साथ एक धक्का मार दिया।

नरेश का लंड उसकी बहन की कुंवारी झीली को तोड़ते हुए उसकी चूत में आधा घुस गया । शीला अपने भाई का आधा लंड घूसने से बुरी तरह झटपटाने लगी, शीला के मूह पर तकिया न होता तो शायद उसकी चीख़ सुनकर सारा घर वहां पुहंच जाता क्योंकी उसने दर्द के मारे बुहत चीखा था।जो चीख़ें उसके मूह पर तकिया होने की वजह से उस में दब गयी और उसकी आँखों से बुहत आंसू निकल रहे थे ।
 
दीदी बस जो दर्द होना था हो चूका अब सिर्फ मज़ा ही मज़ा आयेगा" नरेश अपना आधा लंड घुसाए ही अपनी बहन के ऊपर झुक गया और उसकी आँखों से आंसू पोछते हुए कहा।
"भइया पर आपका बुहत मोटा है मेरी तो जान ही निकल गयी थी और अब भी बुहत दर्द हो रहा है" शीला ने सुबकते हुए कहा।
"दीदी बस थोडी ही देर में सब कुछ ठीक हो जायेगा। आप अपने ब्लाउज के बटन आगे से खोल दिजिये ताकी मैं आपकी चुचियों को सहलाकर आपका दर्द कम करने में मदद करुं" नरेश ने अपनी दीदी को तसल्ली देते हुए कहा।

"भइया इन्हें सहलाने से मेरी चूत का दर्द कैसे कम होगा" शीला ने अपने ब्लाउज के बटन खोलते हुए कहा।
"दीदी बस तुम देखती जाओ इसका और चूत का आपस में गहरा कनेक्शन होता है। इन्हें हाथ लगाओ तो तुम्हें सीधा अपनी चूत में कुछ होने लगेंगा" नरेश ने अपनी बहन को समझाते हुए कहा ।
नरेश ने अपनी बहन के ब्लाउज के बटन खुलते ही अपने हाथ से उसकी चुचियों को उसके ब्लाउज और ब्रा में से बाहर निकाल लिया और उन्हें अपने हाथों से मसलने लगा । नरेश ने कुछ देर तक अपनी बहन की चुचियों को हाथ से सहलाने के बाद उसकी एक चूचि के दाने को अपना मूह खोलते हुए उस में भर लिया और बुहत ज़ोर से उसे चूसने लगा।

"आह्ह्ह्ह भैया ओह्ह्ह्हह ऐसे ही चूसते रहो। बुहत मज़ा आ रहा है" शीला ने अपनी चूचि के दाने को अपने भाई के मूह में पड़ते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा । शीला की चूत का दर्द अब बिलकुल ख़तम हो चुका था और वह अपनी चूचि को चुसवाते हुए बुहत ज़ोर से सिसककर अपने चूतड़ों को अपने भाई के लंड पर उछाल रही थी ।
"दर्द कैसा है अब" नरेश ने अपनी बहन की एक चूचि को अपने मुँह से निकालकर कहा और उसकी दूसरी चूचि को अपने मूह में भर लिया।
"ओहहहहह भैया अब दर्द बिलकुल नहीं है। आप वहां पर कुछ करो ना" शीला ने अपने भाई के सर को पकडकर अपनी चूचि पर दबाते हुए अपने चूतड़ों को वेसे ही उत्तेजना में उछालते हुए बोली।

नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपनी मुँह को उसकी चुचियों से हटा दिया और अपनी बहन की टांगों को पकडकर अपने आधे लंड से ही हलके धक्कों के साथ चोदने लगा।
"ओहहहहह आहह भैया" शीला अपने भाई के लंड को अपनी चूत में रगड देता हुआ पाकर मज़े के मारे ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडों को उछाल उछाल कर अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेने लगी ।
 
शीला को अपने भाई का मोटा लंड बुहत ज़ोर की रगड दे रहा था । जिस वजह से शीला को इतना मज़ा आ रहा था की वह बुहत ज्यादा उत्तेजित होते हुए सिसक रही थी । नरेश ने अपनी बहन को इतना मजा लेकर चुदवाते हुए देखकर अपने धक्कों की रफ़्तार तेज़ कर दी और अपनी बहन की चूत में अपने लंड को तेज़ी के साथ अंदर बाहर करने लगा।

शीला जिसे अपने भाई के हलके धक्कों से ही इतना मज़ा आ रहा था। वह अपने भाई के लंड को अपनी चूत में इतनी तेज़ी से अंदर बाहर होता हुआ पाकर मज़े से पागल होने लगी । शीला का पूरा जिस्म अकडने लगा और वह अपने भाई के हर धक्के के साथ जोर से सिसकने लगी और अपने भाई को चूमने लगी।

नरेश समझ गया की उसकी बहन झरने वाली है। इसीलिए वह उसकी चूत में तेज़ी के साथ ज़ोर लगाकर धक्के मारने लगा। जिस वजह से हर धक्के के साथ उसका लंड उसकी बहन की चूत में और अंदर घूसने लगा । शीला को तो जैसे होश ही नहीं था वह बस झरने के बिलकुल क़रीब थी । इसीलिए उसका पूरा जिस्म बुहत ज़ोर से कांप रहा था और उसके मूह से अब सिसकियों की गूँज बढती ही जा रही थी।

"आआह्ह्ह्हह भैया ओहहहह मेरे अंदर से कुछ निकल रहा है ओह्ह्ह्हह्ह शीला ने बस इतना ही कहा उसकी आँखें मज़े से बंद हो गई और उसके चूतड़ बुहत ज़ोर से नरेश के लंड पर उछलने लगे । शीला की चूत से पानी की नदियां बहने लगी, नरेश अपनी बहन को झरता हुआ देखकर अपने लंड को पूरा निकालकर उसकी चूत में बुहत ज़ोर से पेलने लगा। जिस वजह से नरेश का लंड उसकी बहन के पानी बहाती गीली चूत में पूरा घुस गया ।
 
शीला ने कुछ देर तक यों ही मज़े से आहें भरते हुए झरने के बाद अपनी आँखें खोल दी । नरेश अपनी बहन की चूत में अब अपना पूरा लंड बुहत तेज़ी के साथ अंदर बाहर कर रहा था।
"दीदी कैसा लग रहा है" नरेश ने वैसे ही अपनी बहन को चोदते हुए कहा।
"आह्ह्ह्ह भैया मै बता नहीं सकती। बुहत मजा आया आप बुहत अच्छे हो" शीला ने अपने भाई की बात सुनकर सिसकते हुए कहा । नरेश ने अपनी बहन के नीचे से तकिया निकालते हुए उसकी टांगों के बीच आ गया ।

नरेश ने अपनी बहन की एक चूचि को अपने मूह में लेते हुए अपने लंड से उसकी चूत में बुहत तेज़ी के साथ धक्के मारने लगा । शीला की चूत एक बार झरने के बाद अंदर से गीली हो चुकी थी । इसीलिए नरेश का लंड अब आसानी से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था ।
शीला अपने भाई के हरक़तों से फिर से गरम होने लगी और अपनी टांगों को अपने भाई की कमर में लपेट दिया और अपने चूतडों को बुहत ज़ोर से उछालते हुए अपने भाई से चुदवाने लगी । नरेश १० मिनट तक ऐसे ही बेतहाशा अपना लंड अपनी सगी बहन की चूत में अंदर बाहर करते हुए अब हाँफते हुए झरने लगा।

नरेश के लंड से उसकी बहन की चूत में पिचकारियों की बारिश होने लगी । शीला भी अपने भाई का गरम वीर्य अपनी चूत में गिरते ही मज़े के मारे दूसरी बार झरने लगी, शीला ने इस बार झरते हुए अपने भाई की पीठ में अपने नाखूनों को गडा दिया और नरेश ने भी अपनी बहन की चूचि को अपने दांतों के बीच लेकर ज़ोर से काट दिया

दोनों भाई बहन ज़ोर से चीखते हुए झरने का मज़ा लेने लगे । कुछ देर बाद दोनों शांत होकर एक दुसरे से अलग हो गये, दोनों ने जल्दी से कपड़े पहन लिए क्योंकी दिन का वक्त था और किसी भी वक्त कोई आ सकता था।
 
शीला की नज़र अचानक बेड पर बीछी हुयी चादर पर खून की बूँदों पर पडी।
"भइया यह खून कहाँ से आया" शीला ने परेशान होते हुए कहा।
"दीदी जब कोई लड़की पहली बार इसे अंदर लेती है तो थोडा सा खून निकलता है तुम परेशान मत हो और अब कभी भी तुम्हारी चूत में से खून नहीं निकलेगा" नरेश ने शीला को समझाते हुए कहा ।
शीला नरेश की बात सुनकर कुछ शांत हुयी और वहां से जाने लगी।
"आह्ह्ह्ह भैया में ठीक तरीके से चल नहीं पा रही हू" शीला ने जैसे ही जल्दी से चलने की कोशिश की तो उसे अपनी टांगों के बीच बुहत दर्द महसूस हुआ और वह चीखते हुए बोली।

"दीदी आप ऐसा करो। मैं यह चादर बदल देता हूँ तुम यहीं पर सो जाओ। मैं कोई पेन किलर टेबलेट लाता हूँ अगर कोई पूछे तो कहना तुम्हें मोच आ गयी है" नरेश ने अपनी बहन की बात सुनकर उसे सलाह देते हुए कहा।
"ठीक है भैया पर जल्दी से कोई टेबलेट लाओ" शीला ने अपनी भाई को देखते हुए कहा ।
"अभी लाया आप सो जाओ यहां" नरेश ने जल्दी से चादर बदलते हुए कहा । शीला वहीँ पर सो गयी और नरेश कमरे से निकल कर बाहर चला गया।
"दीदी उठो यह रही टेबलेट" थोड़ी ही देर में नरेश गोली लेकर वापस आ चुका था। उसने अपनी दीदी को उठाते हुए कहा।

शीला ने उठकर गोली खाली और फिर वहीँ लेट गई, ऐसे ही सारा दिन काम काज में ख़तम हो गया और सभी टेबल पर बैठकर रात का नाश्ता करने लगे । नाश्ता करने के बाद सभी अपने अपने कमरों में जाकर सोने की तैयारी करने लगे ।
रेखा की चूत अपने बेटे से चुदवाने के ख़याल से ही अभी से गीली हो रही थी, वह सोच रही थी की आज वह अपने बेटे से चुद्वायेगी ज़रूर मगर सताने के बाद ।मुकेश का हाल भी यही था। उसका लंड आज अपनी दीदी की चूत मिलने की ख़ुशी में ज़ोर से झटके खा रहा था।
 
दोनों पति पत्नी आते ही बिना एक दुसरे से बात किये उल्टा होकर सोने का नाटक करने लगे, मनीषा अपने कमरे में अपने भाई का इंतज़ार कर रही थी । उसकी चूत भी अपने भाई से चुदवाने के ख्याल से ही रस टपका रही थी । वह सोच रही थी आज वह अपने भैया के लंड का सारा डर मिटाकर उससे ऐसे चुदवायेगी की वह भी सारी उम्र याद करेगा की उसकी बहन भी कोई चीज़ थी ।
विजय और नरेश भी अपने कमरे में करवटे ले रहे थे की अचानक उनका दरवाज़ा खटकने लगा, विजय ने जाकर दरवाज़ा खोला तो सामने शीला खडी थी । शीला नाइटी पहने हुए थी।
"विजय भैया क्या हाल है जाओ तुम्हारी बहन तुम्हारा इंतज़ार कर रही है" शीला ने अंदर दाखिल होते ही जानबूझकर अपना जिस्म विजय से रगडते हुए वहां से अंदर दाखिल हो गई और विजय को देख कर मुस्कराते हुए कहा।

विजय का लंड शीला के जिस्म के छुने से उचलने लगा और विजय जल्दी से वहां से निकलकर अपनी बहन के कमरे में आ गया । विजय जैसे ही कंचन के कमरे में दाखिल हुआ उसने देखा की कंचन बेड पर पूरे कपड़े पहन कर लेटी हुयी थी।
"भइया मैं आज कुछ नहीं कर पाऊँगी। मुझे अभी तक बुहत दर्द है और साथ में बुखार भी हो गया है" कंचन ने अपने भैया को वहां पर देखकर कहा।
"दीदी फिर बुलाया क्योँ" विजय ने मुँह बनाते हुए कहा।
"भइया मैंने नहीं बुलाया। उस शीला को अपने भाई के साथ सोना था इसीलिए उसने तुझे यहाँ भेज दिया" कंचन ने अपने भैया को देखते हुए कहा।

"ठीक है दीदी आप सो जाओ कोई बात नही" विजय ने अपनी बहन की बात सुनकर कहा । कंचन अपने भाई की बात सुनकर अपना मूह दुसरे तरफ करके सो गयी।


मुकेश ने देखा की उसकी बीवी सो गयी है तो वह अपने बेड से जल्दी उठकर अपने कमरे से निकल गया ।
रेखा जो सोने का नाटक कर रही थी । वह अपने पति को उठता हुए देखकर हैंरान रह गयी और खुद भी उठकर चुप चाप बाहर निकलते हुए देखने लगी की उसका पति कहाँ जा रहा है । रेखा ने देखा की उसका पति सीधे मनीषा के कमरे में घुस गया, रेखा का हैंरानी के मारे बुरा हाल था । उसके माथे से पसीना निकल रहा था।
 
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