hotaks444
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दीदी जैसे आप ठीक समझे" नरेश के गले से यह लफ़्ज़ जाने कैसे निकले थे । वह बुहत ज्यादा उत्तेजित हो गया था । शीला अपने भाई की बात सुनकर जल्दी जल्दी अपनी साड़ी में हाथ ड़ालते हुए उसको अपने जिस्म से अलग कर दिया और लेटकर अपने भाई की तरफ देखने लगी ।
नरेश के सामने उसकी बहन अब पेटिकोट और ब्लाउज में लेटी हुयी थी, शीला की गोरी चिकनी टांगों और उसके शीशे की तरह साफ़ पेट को नंगा देखकर नरेश की हालत और खराब होती जा रही थी।
"भइया पेटिकोट उतारो ना" शीला ने अपने भाई की हालत देखकर मन ही मन में हँसते हुए कहा।
नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसके पेटिकोट को उतारने लगा, शीला ने भी अपने चूतडों को थोडा ऊपर करते हुए अपने भाई को पेटिकोट उतारने में मदद की। नरेश के सामने अब उसकी बहन की चूत सिर्फ एक छोटी सी पेंटी में क़ैद थी जो उसकी बहन की चूत से बुरी तरह चिपकी हुयी थी ।
"भइया ऐसे क्या देख रहे हो हमें दर्द हो रहा है" शीला ने अपने भाई को अपनी पेंटी की तरफ देखते हुए पाकर टोकते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर होश में आते हुए अपने हाथ से अपनी बहन की चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा।
"ओहहहहहह इसशहहह भैया आराम से दबाओ बुहत ज्यादा दर्द है" शीला ने अपने भाई के हाथों से तेज़ दबाने से बुरी तरह काँपते हुए ज़ोर से चीख़कर उसके हाथ को पकडते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपने हाथ को आराम से उसकी पेंटी पर घुमाने लगा ।
"भइया यह आपका तो बुरी तरह उछल रहा है" शीला की नज़र अचानक अपने भाई की पेण्ट की तरफ चलि गयी। जिसमें उसका लंड बुरी तरह झटके खा रहा था,
"दीदी इस बेचारे का क्या क़सूर आपका जिस्म देखकर यह अपने होश खो बैठा है" नरेश ने अपने लंड को अपनी पेण्ट में दबाते हुए कहा।
"बुहत बदमाश है आपका यह अपनी बहन के जिस्म को देखकर भी खामोश नहीं बैठ सकता" शीला ने अपने हाथ से नरेश के लंड को उसकी पेण्ट के ऊपर से ही दबाते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह दीदी छोड़ो इसे वरना यह ज्यादा तंग करने लगेंगा" नरेश ने अपनी बहन का हाथ अपने लंड पर पड़ने से बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
"भइया आप भी इस बेचारे पर ज़ुल्म कर रहे हो । ऐसे इसको क़ैद कर रखा है बेचारे का दम घुट रहा होगा ऐसा करो अपनी पेण्ट को उतार दो ताकि यह आराम से उछल कूद सके" शीला ने अपने भाई के लंड को छोडकर उसे सलाह देते हुए कहा।
नरेश के सामने उसकी बहन अब पेटिकोट और ब्लाउज में लेटी हुयी थी, शीला की गोरी चिकनी टांगों और उसके शीशे की तरह साफ़ पेट को नंगा देखकर नरेश की हालत और खराब होती जा रही थी।
"भइया पेटिकोट उतारो ना" शीला ने अपने भाई की हालत देखकर मन ही मन में हँसते हुए कहा।
नरेश अपनी बहन की बात सुनकर उसके पेटिकोट को उतारने लगा, शीला ने भी अपने चूतडों को थोडा ऊपर करते हुए अपने भाई को पेटिकोट उतारने में मदद की। नरेश के सामने अब उसकी बहन की चूत सिर्फ एक छोटी सी पेंटी में क़ैद थी जो उसकी बहन की चूत से बुरी तरह चिपकी हुयी थी ।
"भइया ऐसे क्या देख रहे हो हमें दर्द हो रहा है" शीला ने अपने भाई को अपनी पेंटी की तरफ देखते हुए पाकर टोकते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर होश में आते हुए अपने हाथ से अपनी बहन की चूत को उसकी पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा।
"ओहहहहहह इसशहहह भैया आराम से दबाओ बुहत ज्यादा दर्द है" शीला ने अपने भाई के हाथों से तेज़ दबाने से बुरी तरह काँपते हुए ज़ोर से चीख़कर उसके हाथ को पकडते हुए कहा । नरेश अपनी बहन की बात सुनकर अपने हाथ को आराम से उसकी पेंटी पर घुमाने लगा ।
"भइया यह आपका तो बुरी तरह उछल रहा है" शीला की नज़र अचानक अपने भाई की पेण्ट की तरफ चलि गयी। जिसमें उसका लंड बुरी तरह झटके खा रहा था,
"दीदी इस बेचारे का क्या क़सूर आपका जिस्म देखकर यह अपने होश खो बैठा है" नरेश ने अपने लंड को अपनी पेण्ट में दबाते हुए कहा।
"बुहत बदमाश है आपका यह अपनी बहन के जिस्म को देखकर भी खामोश नहीं बैठ सकता" शीला ने अपने हाथ से नरेश के लंड को उसकी पेण्ट के ऊपर से ही दबाते हुए कहा।
"आआह्ह्ह्ह दीदी छोड़ो इसे वरना यह ज्यादा तंग करने लगेंगा" नरेश ने अपनी बहन का हाथ अपने लंड पर पड़ने से बुहत ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।
"भइया आप भी इस बेचारे पर ज़ुल्म कर रहे हो । ऐसे इसको क़ैद कर रखा है बेचारे का दम घुट रहा होगा ऐसा करो अपनी पेण्ट को उतार दो ताकि यह आराम से उछल कूद सके" शीला ने अपने भाई के लंड को छोडकर उसे सलाह देते हुए कहा।