Incest Kahani परिवार(दि फैमिली) - Page 33 - SexBaba
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Incest Kahani परिवार(दि फैमिली)

शीला:उईईईईई भाई क्या कर रहे हो।
विजय:तुम्हारी गांड देखके मेरा मन डोल गया है। एक बार उसमें घुसाने दो। प्लीज़ दीदी एक बार अपने गाँड में मेरा लंड डालने दो। तुम्हें भी बहुत मजा आएगा प्लीज दीदी।
शीला: नहीं भैया सुना है उसमें बहुत दर्द होता है अगर आपने अपना इतना मोटा लंड मेरी गाँड में डाला तो मेरी गाँड फट जाएगी।

विजय: कुछ नहीं होगा दीदी गांड में चूत से भी ज्यादा मजा आता है और एक न एक दिन गांड में तो लंड लेना ही है प्लीज आप मुझे पहला मौका दे दो । इस तरह से अगर आपने एक बार अपने गांड में लंड ले लिया तो फिर आज कंचन भी हार मान लेगी कि वह चुदाई में तुम्हारा मुकाबला नहीं कर सकती है।

शीला: ठीक है भैया लेकिन आप आराम से डालना। मुझे दर्द मत होने देना मैं आपकी प्यारी बहन हूं।

नरेश भी अब कंचन की गाँड़ में एक सूखी ऊँगली डाला और बोला। आऽऽह कंचन की तो बिलकुल टाइट है।

विजय: मैं तो शीला दीदी की गांड क्रीम लगाकर मारूँगा वो भी बहुत प्यार से।

नरेश: ठीक है यार ।दोनों की बहुत मस्त गाँड़ है । चलो मज़े करते हैं। पहले तुम शीला दीदी की गांड मारो।

विजय: यार एक ही बिस्तर पर इनकी लेते हैं।

नरेश: ठीक है यार।

अब विजय ने शीला से घोड़ी बनने को कहा और वो उसे घोड़ी बनाकर बिस्तर के कोने में लेकर आया और झुक कर उसकी गाँड़ को ऊपर किया और दरार में मुँह डालकर वहाँ चुम्बन लेने लगा। फिर जीभ से गाँड़ सहलाकर अपनी जीभ से कुरेदते हुए उसकी बुर भी चाटने लगा। शीला आऽऽऽऽह चिल्ला रही थी। नरेश ने भी यही कंचन के साथ करने लगा और वह भी उइइइइइ चिल्ला उठी।

थोड़ी देर में दोनों लौंडियों की बुर पानी छोड़ने लगीं थीं ।अब विजय उठा और जाकर क्रीम लाया और शीला की गाँड़ में दो ऊँगली में क्रीम लपेट कर डाला और अंदर बाहर करने लगा।क्या मस्ती भरा दृश्य था । दो दो कमसिन जवानियाँ अपनी गाँड़ ऊपर करके बिस्तर के कोने में घोड़ी बनी हुई थीं। उनके पीछे खड़े होकर दोनों भाई अपने लंड लहरा रहे थे।
 
विजय ने शीला की गाँड़ में उँगलियाँ अंदर बाहर की और शीला आऽऽऽह्ह्ह कर उठी। फिर वह अपने लंड पर भी क्रीम लगाया और शीला की गाँड़ में अपना लंड धीरे से दबाने लगा। सुपाड़ा उसके गाँड़ के छल्ले को फैलाकर अंदर घुसता चला गया। शीला आऽऽऽऽऽहह करके चिल्लाई और लंड अंदर घुसता चला गया।
शीला:आह भैया बहुत दर्द हो रहा है।लग रहा है मेरी गाँड में कोई गरम डंडा घुस गया है।

विजय:रिलेक्स दीदी।थोड़ी देर में ही आपको मज़ा आने लगेगा।आप बहुत गरम हो दीदी।कुँवारी गांड में लंड लेना सबके बस की बात नहीं है।विजय शीला की गांड मारते हुए कंचन को चिढ़ाया।

कंचन भी बहुत गरम हो चुकी थी और नशे में भी थी।वो बोली।
नरेश भैया आप भी अपना लंड मेरी गांड में पेल दो।कितना भी दर्द होगा।मैं बर्दास्त कर लूँगी।

उसी टाइम नरेश ने भी क्रीम लेकर कंचन की गाँड़ में लगाई और फिर अपने लंड में लगाकर अपना लंड उसकी गाँड़ में एक ही धक्के में आधा पेल दिया और कंचन हाऽऽऽऽऽय्य मरीइइइइइइइ चिल्लाई: आऽऽऽपका बहुत मोओओओटा है भाई इइइइइइइ।

विजय ने धीरे धीरे, रुक रुक कर अपना पूरा लंड शीला की गांड में पेल दिया। शीला दर्द से बेचैन थी, उसका बदन पसीना पसीना हो चूका था, दाँत के दबाव से होंठ लाल हो चुके थे और उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। कुछ देर तक शांत रहने के बाद विजय ने शीला की गांड को धीरे धीरे चोदना शुरू किया। शीला की पतली कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर विजय अपने लंड को उसकी गांड में धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहा था। विजय ने गांड में लंड कभी नहीं पेला था। विजय जब लंड को अंदर घुसाता तब शीला की टाइट गांड उसके लंड के ऊपर की त्वचा को जकड लेती और उसके लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से नंगा हो कर तन जाता। फिर शीला की गांड के भीतर के कोमल और चिपचिपी त्वचा से नंगे सुपाडे की रगड विजय को बहुत आनंद दे रहा था।

शीला का दर्द भी अब शांत हो गया था। गाँड में मोटा सा लंड जब अंदर घुसता तो शीला को अपनी चूत पर दबाव महसस होता, ये एहसास बहुत ही मादक था। शीला को अब मजा आने लगा था। वो विजय के लंड के साथ लय मिला कर अपने गांड को हिलाने लगी। जैसे विजय लंड अंदर घुसाता,शीला अपना गांड पीछे कर देती। शीला को मजा लेता देख विजय ने भी चुदाई की गति काफी तेज़ कर दी। चूतड़ के पास दोनों हाथों से शीला की कमर को पकड़ कर विजय पूरे अंदर तक अपना लंड पेल रहा था।उधर कंचन भी मज़े से गांड मरवाने लगी थी।
 
अब विजय ने अपना लंड निकाला और कहा : नरेश यहाँ आओ और अपनी सगी बहन की गांड मारो। मैं भी कंचन की गांड मारता हूँ।
अब दोनों लड़कियाँ बदलकर अपनी अपनी सगी बहनो के गाँड के पीछे आ गए।
विजय का लन्ड नरेश से बड़ा और मोटा था।जब विजय अपना लंड कंचन की गाँड में घुसाने लगा तो कंचन दर्द से चिल्लाने लगी। भैया आपका बहुत मोटा है मेरी गांड फट रही है थोड़ा और क्रीम लगा लो और धीरे धीरे अपना लण्ड घुसाओ प्लीज भाई। विजय यह सुनकर और गरम हो गया और एक जोर का धक्का मार के अपना आधा लंड अपनी बहन की गाँड में पेल दिया।

आह्ह्ह्ह्ह्ह मर्रर्र गईईईईई भाई।लगता है मेरी गांड फट गईईईई है।

आह दीदी कितनी गरम गाँड और टाइट है तुम्हारी दीदी।लगता है मेरा लन्ड छिल जाएगा।

आह्ह्ह ओह्ह्ह्ह भाई मेरी गांड में लगता है किसी ने मोटा डंडा घुसा दिया है।आराम से पेलो भाई।कंचन चीखते हुए बोली।

चिंता मत करो दीदी।अभी 5 मिनट में तुम्हे मज़ा आने लगेगा।ये कहकर विजय ने धीरे धीरे अपनी सगी बहन की गाँड में अपना 9 इंच का लंबा लन्ड पूरा जड़ तक पेलने लगा।साथ में वह कंचन की चुचियो को भी दबा रहा था।कुछ ही देर के बाद धीरे धीरे कंचन को भी मज़ा आने लगा।अब वह भी सिसकियां भरते हुए अपनी गाँड पीछे धकेलते हुए अपने भाई से गांड मरवा रही थी।

दूसरी तरफ नरेश का लन्ड उसकी सगी बहन शीला की गाँड में बड़ी स्पीड से पेल रहा था।शीला मज़े में अपनी गांड पीछे धक्का देके अपने भाई से मस्ती में गाँड मरवा रही थी।

दोनों भाई अपनी अपनी बहन को कुतिया बनाकर बेदर्दी से उनकी गांड मार रहे थे।अपने जिस्म की गर्मी और बियर के नशे में दोनों मस्ती में अपनी गांड मरवा रही थी।

थोड़ी देर बाद वो फिर से लड़कियाँ बदलकर उनकी गाँड़ चोदने लगे। अचानक शीला चिल्लाई: आऽऽऽह्ह अब मेरी चूत मारो भाई। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ प्लीज़ ।

अब विजय ने अपना लंड उसकी गाँड़ से निकाला और नीचे करके उसकी चूत में डाला और बुरी तरह से चोदने लगा। अब तो शीला मानो दीवानी हो गयी और चिल्लायी: आऽऽऽऽह और ज़ोर से हाऽऽऽय फ़ाऽऽऽऽऽड़ दो मेरी फुद्दी उफ़्फ़्फ़्फ । वो अपनी गाँड़ दबाकर चुदवाने लगी। कमरा फ़च फ़च मी आवाज़ से गूँज उठा। नरेश अभी भी कंचन की गाँड़ ही मार रहा था। वो बोल रहा था; आऽऽऽऽह क्या चिकनी और टाइट गाँड़ है। वह अपनी दो उँगलियाँ उसकी बुर में डालकर उसकी क्लिट सहलाकर कंचन को मस्त कर रहा था। तभी कंचन आऽऽऽऽहह उइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और उसकी उँगलियाँ गीली होने लगी। तभी वह भी उसकी गाँड़ में झड़ने लगा।
 
उधर विजय भी शीला की चूत फाड़ते हुए झड़ने लगा और शीला भी आऽऽऽऽऽह करके झड़ती चली गयी।

वासना का भूत उतर गया था और सब शांत पड़े थे। अब विजय बोला: यार अब हम अपने अपने रूम में सो जाएँगे। बहुत मज़ा आया। फिर सब तैयार हुए और एक दूसरे को चूमकर फिर मिलने का बोल कर शीला और कंचन अपने रूम में लंगड़ाती हुई सोने चली गई।


इधर अनिल के रुम की तरफ चलते है।

मानिषा ने कमरे में दाखिल होते ही दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया । मनीषा ने देखा के बेड खाली पड़ा था अनिल वहां पर नहीं था मगर बाथरूम से पानी गिरने की आवज़ आ रही थी, मनिषा समझ गयी की उसका पिता नहा रहा है। वह मुस्कराते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी।

मानिषा ने बाथरूम के क़रीब पुहंचकर दरवाज़े को हल्का धक्का दे दिया । दरवाज़ा अंदर से बंद नहीं था इसीलिए वह खुल गया, अनिल बिकुल नंगा होकर शावर के नीचे नहा रहा था । मनीषा का जिस्म अपने पिता को नंगा देखकर गरम होने लगा ।
"अरे बेटी तुम आ गई" अनिल ने सीधा होते हुए मनीषा की तरफ देखकर मुस्कराते हुए कहा । अनिल के सीधा होते ही उसका लंड जो उस वक्त पूरी तरह तना हुआ नहीं था । मगर वह बिलकुल ढीला भी नहीं था मनीषा की आँखों के सामने झूमने लगा।

मानिषा अपने पिता का लंड देखकर बुहत गरम हो गई और अपनी नाइटी को उतारकर बेड पर फेंक दिया और खुद बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी । अनिल का लंड अपनी बेटी की नाइटी के उतारते ही उसके जिस्म को सिर्फ एक छोटी सी पेंटी और ब्रा में देखकर झटके खाने लगा ।
मानिषा सीधा बाथरूम में घुस गयी और अपने पिता के सामने खड़ी हो गई । अनिल अपना मुँह फ़ाड़े अपनी बेटी की तरफ देख रहा था।
"अरे बापू क्या देख रहे हो मुझे भी नहाना है । आज साथ में नहाते है" मनीषा ने अपने बापू से चिपककर खडा होते हुए कहा।

शॉवर का पानी अब मनीषा और अनिल दोनों के ऊपर गिर रहा था। जिस वजह से मनीषा का जिस्म ब्रा और पेंटी के साथ ही गीला हो गया था।
"बेटी जब तुम्हें नहाना है तो फिर अपने पूरे कपडे क्यों नहीं निकाल लेती। मैं भी तो पूरा नंगा हूँ" अनिल ने अपनी बेटी की चुचियों को जो शावर के पानी से गीली हो गई थी घूरते हुए कहा ।
 
"बापु शायद आप सही कह रहे हो मगर मुझे इन्हें उतारते हुए शर्म आ रही है। आप ही उतार दो ना" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर मुस्कराते हुए कहा।
"ठीक है बेटी मैं ही उतार देता हूँ वैसे भी सही तरीके से नहाने के लिए पूरा नंगा होना ही पड़ता है" अनिल ने अपनी बेटी को उल्टा करके उसकी ब्रा का हुक खोलते हुए बोला।

अनिल ने ब्रा के हुक खोलकर अपनी बेटी को सीधा कर दिया और उसकी ब्रा को मनीषा के जिस्म से अलग कर दिया।
"वाह बेटी तुम भी न देखो तुम्हारी चुचियां कितनी प्यारी हैं और तुम इन्हें क़ैद में रखे हुए हो । थोडा इनको भी ठन्डे पानी का मजा लेने दो" अनिल ने अपनी बेटी की ब्रा के उतरते ही उसकी नंगी चुचियों को घूरते हुए कहा।

शॉवर से गिरता हुआ ठण्डा पानी मनीषा के सर से होता हुआ उसकी गोरी चुचियों को भिगो रहा था । अनिल का लंड अपनी बेटी की चुचियों पर पानी को गिरता हुआ देखकर बुहत ज़ोर के झटके खा रहा था।
"बापु इस बदमाश को अचानक क्या हो गया?" मनीषा ने अपने पिता के झटके खाते हुए लंड को देखते हुए कहा ।
"बेटी यह बेचारा तुम्हारे जिस्म को देखकर पागल हो गया है" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी एक चूचि के दाने को अपनी उँगलियों के बीच लेकर मसलते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह बापू आप भी ना" मनीषा ने अपनी चूचि के दाने के मसलने से चीखते हुए कहा।
"बेटी सच तो कह रहा हूँ। इस बेचारे का तुम्हारी चुचियों को देखते ही यह हाल है तो जब यह तुम्हारी नीचे वाली जन्नत को देखेगा तब तो जाने बेचारे का क्या हाल होगा" अनिल ने अपनी बेटी की चूचि को पूरी तरह अपनी मुठी में भरकर दबाते हुए कहा ।
"बापु अब बातों को छोड़ीये हम यहाँ पर नहाने आये है" मनीषा ने अपने पिता का हाथ पकडकर अपनी चूचि से हटाते हुए कहा।
"ठीक है बेटी" अनिल अपनी बेटी की बात सुनकर अपने हाथ से उसकी पेंटी को पकडकर नीचे सरका दिया और नीचे झुकते हुए अपनी बेटी की पेंटी को उसकी टांगों से अलग कर दिया।
 
अनिल वैसे ही नीचे झुके हुए अपनी बेटी की नंगी चूत को घूर रहा था और शावर से गिरता हुआ पानी मनीषा के पूरे जिस्म को भिगोता हुए उसकी चूत से होता हुआ अनिल के चेहरे पर गिर रहा था । अनिल ने अचानक अपना मुँह अपनी बेटी की चूत पर रख दिया और उसकी चूत पर गिरता हुआ पानी अपनी जीभ से चाटने लगा ।
"आह्ह्ह्ह बापू क्या कर रहे हो" मनीषा अचानक अपने पिता की जीभ को अपनी नंगी चूत पर महसूस करते ही ज़ोर से सिसकने लगी।
"ओहहहहहह बेटी मुझे प्यास लगी है ज़रा पानी पी रहा था" अनिल ने कुछ देर तक अपनी बेटी की चूत पर गिरते हुए पानी को चाटने के बाद अपना मुँह वहां से हटाते हुए कहा।

"बापु आप भी बड़े बदमाश हो । प्यास लगी थी तो उठकर पानी पी लेते" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर हँसते हुए कहा।
"बेटी उस पानी में इतना स्वाद कहाँ होता जो यहाँ पर था" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी चूत को घूरते हुए कहा।
"बापु अब साबुन उठाओ और मेरे शरीर पर लगाओ?" मनीषा ने अपने पिता को देखते हुए कहा ।

अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उठते हुए साबुन उठा लिया और अपनी बेटी की पीठ की तरफ जाते हुए साबुन को उसके गोरे चिकने पीठ पर मलने लगा । अनिल अपनी बेटी के पीठ पर साबुन को पूरी तरह मलने के बाद अपना हाथ नीचे ले जाते हुए उसके चूतड़ो तक आ गया ।
अनिल साबुन को अपनी बेटी के चूतडों पर ज़ोर से मलने लगा । अनिल अपनी बेटी के चूतडों पर साबुन को मलते हुए अपनी एक ऊँगली को उसके दोनों चूतड़ो के बीच डालकर रगड रहा था।
"आआह्ह्ह्ह बापू ऊँगली को क्यों वहां पर डाल रहे हो?" मनीषा ने अपने पिता की ऊँगली को अपने चूतडों के बीच महसूस करते ही सिसकार कहा।

"बेटी तुम शायद इस जगह को सही तरीके से साफ़ नहीं कर पाती इसीलिए मैं इसे अपनी ऊँगली से साफ़ कर रहा हू" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर अपनी ऊँगली को उसके चूतड़ो के बीच में रगडते हुए उसकी गांड तक ले जाते हुए कहा।
"ओहहहह बापू " मनीषा की मज़े के मारे हालत ख़राब हो चुकी थी । इसीलिए उसने ज़ोर से सिसकते हुए अपने चूतडों को थोडा पीछे की तरफ मोड़ दिया ।
 
मानिषा के ऐसा करने से उसकी चूत भी थोडा पीछे की तरफ निकल आई । अनिल ने अपने एक हाथ की ऊँगली को वैसे ही उसके चूतडों के बीच रगडते हुए अपने दुसरे हाथ से साबुन को उठाते हुए सीधा अपनी बेटी की पीछे निकली हुयी चूत पर रख दिया और साबुन को वहां पर ज़ोर से मलने लगा ।
"आह्ह्ह्ह ओहह बापू" अनिल के ऐसा करने से मनीषा के मुँह से बुहत ज़ोर की सिस्कियाँ निकलने लगी। अनिल कुछ देर तक वैसे ही करने के बाद साबुन को अपनी बेटी की चूत से हटा दिया, मनीषा की चूत पर साबुन के रगडने से ढेर सारा झाग बन चूका था।

अनिल ने अपनी बेटी की कमर को पकडकर और नीचे झुका दिया । मनीषा ने नीचे झुकते हुए सामने वाली दीवार पर अपने हाथों को रख दिया, अनिल ने अपनी ऊँगली को मनीषा के चूतडों से हटाते हुए उसकी चूत पर रख दिया और वहां पर बने साबुन के झाग को अपनी ऊँगली से ऊपर करते हुए मनीषा की गांड तक ले जाने लगा ।

अनिल ने झाग को अपनी बेटी की गांड पर लगाने के बाद अपनी ऊँगली को उसकी गांड पर रखकर दबाब ड़ालते हुए अपनी ऊँगली को मनीषा की गांड में अंदर घुसा दिया।
"ऊईई बापू वहां पर क्यों घुसा रहे हो" मनीषा ने अपनी गांड में ऊँगली के घुसते ही चीखते हुए कहा ।
अनिल ने अपनी बेटी की कोई बात सुने बगैर साबुन को नीचे फ़ेंकते हुए अपना लंड मनीषा की चूत पर टिकाते हुए एक जोर का धक्का देते हुए उसकी चूत में घुसा दिया।
"उह्ह्ह आह्ह्ह्ह हह बापू आपका कितना मोटा और गरम है" एक ही झटके में अपने पिता का पूरा लंड अपनी चूत में घूसने से मनीषा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
 
अनिल अपनी ऊँगली को वैसे ही अपनी बेटी की गांड में घुसाए हुए था और अपने लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर कर रहा था।
"आजहहहह बापु आपका लंड इस उम्र में भी कितना टाइट है" मनीषा ने अपने चूतडों के पीछे की तरफ धकेलते हुए अपने पिता का लंड अपनी चूत में लेते हुए कहा ।
"बेटी तुम्हारी चूत भी अब तक बुहत कसी हुयी है" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनते हुए कहा । वह अब अपनी ऊँगली को मनीषा की गांड और अपना लंड उसकी चूत में भी अंदर बाहर कर रहा था।
"ओहहहहह बापू आप तो मेरे दोनों छेदों को रगड दे रहे है" मनीषा ने अपने दोनों छेदों में ज़ोर की रगड महसूस करते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"बेटी कभी तुम्हारे पति ने अपने लंड को तुम्हारी गांड में घुसाया है" अनिल ने वैसे ही अपनी बेटी को चोदते हुए कहा।
"आहहह नहीं बापू उसे मेरी चूत चोदने का टाइम नहीं मिलता गांड कहाँ से मारेंगा" मनीषा ने वेसे ही अपने चूतडो को पीछे की तरफ धकेलते हुए कहा ।

अनिल अपनी बेटी की बात सुनकर अपने लंड को बुहत तेज़ी के साथ उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
"आह्ह्ह्ह ओहहहह बापू में झडने वाली हूँ" मनीषा ने ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा । अनिल अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी गांड से अपनी ऊँगली को निकालकर अपने हाथों से उसके दोनों चूतड़ों को पकडते हुए उसे बुहत ज़ोर से पेलने लगा।

"आहहह हहह बापु" मनीषा की साँसें उखडने लगी और वह ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी आँखें बंद करते हुए झडने लगी । अनिल अपनी बेटी के पूरा झडने तक उसकी चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा और जब मनीषा पूरी तरह झड़कर शांत हो गई तो अनिल ने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया ।
अनिल ने नीचे से साबुन उठाया और उसे अपने लंड पर मलने लगा । अनिल ने साबुन से अपने लंड पूरी तरह चिकना करने के बाद अपनी बेटी की गांड पर भी साबुन मलने लगा।

"आहहह बापू क्या कर रहे हो । मैं अब खडा नहीं रह सकती" मनीषा ने अपने पिता से सिसकते हुए कहा। वह बुहत थक चुकी थी।
"बेटी तुम नीचे उल्टा होकर बैठ जाओ" अनिल ने साबुन को उसकी गांड से हटाते हुए कहा । मनीषा अपने पिता की बात सुनकर सीधा नीचे होकर बैठ गयी ।
अनिल ने अपनी बेटी के नीचे बैठते ही उसके पीछे बैठते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में घुसा दी और कुछ देर तक उसे अपनी बेटी की गांड में अंदर बाहर करते रहने के बाद अपनी एक ऊँगली को निकालकर मनीषा की गाँड में अपनी दो उँगलियाँ घुसा दी।
 
"उईई बापू क्या ईरादा है" मनीषा ने अपनी गांड में दो उँगलियों के घुसते ही ज़ोर से चिल्लाते हुए कहा।
"बेटी मैं आज अपनी बेटी के गांड की सील खोलूँगा" अनिल ने अपनी उँगलियों को बुहत ज़ोर से अपनी बेटी की गांड में अंदर बाहर करते हुए कहा ।
"ओहहहह बापू मगर आपका तो बुहत बड़ा और मोटा है यह मेरी गांड को फाड देगा" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर अपनी चिंता जताते हुए कहा।
"कुछ नहीं होगा बेटी मैं हूँ ना" अनिल ने अपनी दो उँगलियों को मनीषा की गांड से निकालते हुए अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर टिकाते हुए कहा।

"आह्ह्ह्ह बापू मुझे बुहत डर लग रहा है प्लीज आराम से अंदर घुसाना" मनीषा ने अपने पिता के लंड को अपनी गांड पर लगते ही ज़ोर से सिसकते हुए कहा ।अनिल ने अपने लंड के मोटे सुपाडे को मनीषा की गांड के छेद पर टिका दिया और अपनी बेटी की कमर को पकडकर एक ज़ोर का धक्का मार दिया।
"उईई माआआ ओहहहहहह निकालो बापू बुहत दर्द हो रहा है" अनिल का आधा लंड मनीषा की गांड को फाडता हुए अंदर घुस चूका था और मनीषा दर्द के मारे तड़पते हुए चिल्ला रही थी ।

"बस बेटी एक मिनट में दर्द ग़ायब हो जायेगा" अनिल ने अपनी बेटी को बुहत ज़ोर से पकड रखा था ताकी वह उसके लंड को अपनी गांड से निकाल न सके।
"ओहहहहह बापू आपका लंड बुहत मोटा है लगता है मेरी गांड फट गयी है" मनीषा ने ज़ोर से सिसकते हुए कहा।
"बेटी कुछ नहीं हुआ तुम्हें । क्यों छोटी लड़कियों की तरह चिल्ला रही हो" अनिल ने अपनी बेटी को टोकते हुए कहा और अपने हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा ।

"ओहहहहह बापू पहली बार में ही मेरी गांड में आपका गधे जितना लम्बा लंड घुसेगा तो दर्द तो होगा ना" मनीषा ने अपने पिता की बात सुनकर ज़ोर से सिसकते हुए कहा । अनिल अपनी बेटी की बात सुनकार हंसने लगा और उसको कमर से पकडते हुए अपना लंड उसकी गांड में धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा ।
"आआह्ह्ह बापू आराम से अब भी दर्द हो रहा है" मनीषा ने अपने पिता के लंड को अपनी गांड में अंदर बाहर होने से सिसकते हुए कहा।
"बस बेटी थोडी ही देर में तुम्हारी गांड को मेरा लंड छोटा लगने लगेगा और तुम्हें भी मजा आने लगेगा" अनिल ने अपनी बेटी की बात सुनकर उसकी गांड में अपने लंड को वैसे ही अंदर बाहर करते हुए कहा।
 
थोड़ी ही देर में मनीषा को अपनी गांड में दर्द न होने के बराबर महसूस होने लगा और वह मज़े से अपने चूतडों को पीछे की तरफ ढकेलने लगी । अनिल समझ गया की उसकी बेटी की गांड का दर्द ख़तम हो गया है । इसी लिए वह अब अपने लंड को उसकी गांड में बुहत तेज़ी के साथ अंदर बाहर करने लगा। अनिल का लंड हर धक्के के साथ उसकी बेटी की गाँड में और अंदर घुस रहा था ।

अनिल का लंड अब पूरा उसकी बेटी की गांड में घुस चूका था और वह बुहत तेज़ी के साथ उसकी गांड में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था । मनीषा भी मज़े से अपने चूतडों को पीछे धकलते हुए अपने पिता के लंड को अपनी गांड में ले रही थी ।
अनिल १० मिनट तक लगातार अपनी बेटी की गांड मारने के बाद ज़ोर से हाँफते हुए डरने लगा।
"आआह्ह्ह बेटी ओह्ह्ह्हह" अनिल अपनी बेटी की गांड में अपना वीर्य छोडते हुए बुहत ज़ोर से चिल्ला रहा था।

"आआह्ह्ह्ह बापू ओहहहह आपका वीर्य कितना गरम है" मनीषा भी अपने हाथ से अपनी चूत को सहलाते हुए ज़ोर से सिसककर झडने लगी । अनिल का लंड पूरी तरह झडने के बाद उसकी बेटी की गांड से सिकुड़ कर निकल गया, मनीषा सीधा होते हुए खडी हो गई ।
मानिषा को सीधा खडे होते हुए अपनी टांगों के बीच ज़ोर का दरद हो रहा था । इसीलिए उसने अपने पिता को पकड लिया । अनिल ने अपनी बेटी को कमर से पकडते हुए शावर के नीचे खडा कर दिया और उसकी चूत और गांड को पूरी तरह साफ़ करने के बाद अपने लंड को भी साफ़ कर दिया।

अनिल ने शावर बंद किया और अपनी बेटी को अपनी बाहों में उठाते हुए बाथरूम से निकलकर बेड पर लिटा दिया । अनिल ने कुछ देर रेस्ट करने के बाद एक बार और अपनी बेटी की चूत और गांड मारी, मनीषा अपने पिता से दो बार चुदवाने के बाद बुहत थक चुकी थी और उसकी हालत भी बुहत खराब हो चुकी थी। वह जैसे तैसे चलते हुए अपने कमरे में आ गयी और अपने बेड पर आकर ढेर हो गयी, अनिल भी बुहत थक चूका था इसीलिए अपनी बेटी के जाते ही वह भी अपने बेड पर ढेर हो गया ।
 
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