hotaks444
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एक पट्टी तेरी आँखों पर और दूसरी हाथ पर बांधूंगी उसके बाद असली मज़ा आएगा।
दीपाली- ये पट्टी से क्या मज़ा आएगा दीदी.. नहीं ऐसे ही करेंगे ना।
अनुजा- नहीं मैंने कहा ना.. तुम पहली बार लौड़ा चूसने जा रही हो.. अगर आँखें खुली रहेगीं तो ये नकली लौड़ा तुझे दिखेगा और तेरे अन्दर लौड़े वाली मस्ती नहीं आएगी। मगर आँखें बन्द रहेगीं.. तब तू ये सोचना कि तू असली लौड़ा चूस रही है। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा और ये देख इस लौड़े के साथ ये बेल्ट भी है.. मैं इसे अपनी कमर पर बाँध लूँगी। इससे मैं आदमी बन जाऊँगी और मेरी चूत की जगह ये लौड़ा आ जाएगा.. क्यों अब बोल क्या बोलती है।
दीपाली- हाँ दीदी.. आपने सही कहा.. इस तरह ज़्यादा मज़ा आएगा मगर ये हाथ तो खुले रहने दो ना।
अनुजा- नहीं मेरी जान हाथ बाँधने जरूरी हैं वरना तुझे ऐसा लगेगा कि लौड़े को हाथ से पकडूँ और जैसे ही तू लौड़ा पकड़ेगी असली वाली बात ख़तम हो जाएगी।
दीपाली- ओके दीदी.. जैसा आपको ठीक लगे.. चलो पट्टी मेरी आँखों पर बाँध दो।
अनुजा- अरे मेरी जान पहले ये कपड़े तो निकाल.. उसके बाद ये पट्टी बाँधूंगी।
अनुजा खुद भी नंगी हो गई और दीपाली को भी नंगा कर दिया। उसके बाद उसके दोनों हाथ पीछे करके पट्टी से बाँध दिए उसकी आँखों पर भी अच्छे से पट्टी बाँध दी।
दोस्तो, ये अनुजा का प्लान था ताकि विकास अन्दर आ जाए और दीपाली उसको देख ना सके।
दीपाली बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गई अनुजा ने विकास को इशारा कर दिया वो अन्दर आ गया।
वो एकदम नंगा था उसने पहले ही दूसरे कमरे में कपड़े निकाल दिए थे। उसका लौड़ा भी एकदम तना हुआ था।
दीपाली- दीदी अब तो लौड़ा मेरे मुँह में दे दो.. बड़ा मन कर रहा है चूसने का।
अनुजा- हाँ यार देती हूँ.. पहले कमर पर बाँध तो लूँ.. उसके बाद शहद डाल कर तेरे मुँह में दूँगी।
अनुजा ने विकास के लौड़े पर अच्छे से शहद लगा दिया और विकास बिस्तर पर चढ़ गया। लौड़े की टोपी को दीपाली के खुले मुँह में हल्के से फँसा दिया।
दीपाली तो इसी इंतजार में थी, वो झट से अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी।
आनन्द के मारे विकास की आँखें बन्द हो गईं.. अनुजा वहीं पास में बैठी अपनी चूत सहला रही थी।
दीपाली लौड़े को जीभ से चाट रही थी और टोपी को अपने होंठों में दबा कर चूस रही थी। उसको बहुत मज़ा आ रहा था।
अनुजा- अरे मेरी जान पूरा मुँह में ले.. तब असली मज़ा आएगा.. इतने से क्या होगा?
दीपाली ने अनुजा की बात सुनकर पूरा लौड़ा में भर लिया और चूसने लगी।
विकास को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।
अब विकास लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।
एक वक्त तो लौड़ा पूरा दीपाली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त दीपाली ने झट से मुँह हटा लिया और विकास ने जैसे ही लौड़ा आगे किया उसकी गोटियाँ दीपाली के मुँह के पास आ गईं.. दीपाली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
दीपाली- ये पट्टी से क्या मज़ा आएगा दीदी.. नहीं ऐसे ही करेंगे ना।
अनुजा- नहीं मैंने कहा ना.. तुम पहली बार लौड़ा चूसने जा रही हो.. अगर आँखें खुली रहेगीं तो ये नकली लौड़ा तुझे दिखेगा और तेरे अन्दर लौड़े वाली मस्ती नहीं आएगी। मगर आँखें बन्द रहेगीं.. तब तू ये सोचना कि तू असली लौड़ा चूस रही है। तब मज़ा दुगुना हो जाएगा और ये देख इस लौड़े के साथ ये बेल्ट भी है.. मैं इसे अपनी कमर पर बाँध लूँगी। इससे मैं आदमी बन जाऊँगी और मेरी चूत की जगह ये लौड़ा आ जाएगा.. क्यों अब बोल क्या बोलती है।
दीपाली- हाँ दीदी.. आपने सही कहा.. इस तरह ज़्यादा मज़ा आएगा मगर ये हाथ तो खुले रहने दो ना।
अनुजा- नहीं मेरी जान हाथ बाँधने जरूरी हैं वरना तुझे ऐसा लगेगा कि लौड़े को हाथ से पकडूँ और जैसे ही तू लौड़ा पकड़ेगी असली वाली बात ख़तम हो जाएगी।
दीपाली- ओके दीदी.. जैसा आपको ठीक लगे.. चलो पट्टी मेरी आँखों पर बाँध दो।
अनुजा- अरे मेरी जान पहले ये कपड़े तो निकाल.. उसके बाद ये पट्टी बाँधूंगी।
अनुजा खुद भी नंगी हो गई और दीपाली को भी नंगा कर दिया। उसके बाद उसके दोनों हाथ पीछे करके पट्टी से बाँध दिए उसकी आँखों पर भी अच्छे से पट्टी बाँध दी।
दोस्तो, ये अनुजा का प्लान था ताकि विकास अन्दर आ जाए और दीपाली उसको देख ना सके।
दीपाली बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गई अनुजा ने विकास को इशारा कर दिया वो अन्दर आ गया।
वो एकदम नंगा था उसने पहले ही दूसरे कमरे में कपड़े निकाल दिए थे। उसका लौड़ा भी एकदम तना हुआ था।
दीपाली- दीदी अब तो लौड़ा मेरे मुँह में दे दो.. बड़ा मन कर रहा है चूसने का।
अनुजा- हाँ यार देती हूँ.. पहले कमर पर बाँध तो लूँ.. उसके बाद शहद डाल कर तेरे मुँह में दूँगी।
अनुजा ने विकास के लौड़े पर अच्छे से शहद लगा दिया और विकास बिस्तर पर चढ़ गया। लौड़े की टोपी को दीपाली के खुले मुँह में हल्के से फँसा दिया।
दीपाली तो इसी इंतजार में थी, वो झट से अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी।
आनन्द के मारे विकास की आँखें बन्द हो गईं.. अनुजा वहीं पास में बैठी अपनी चूत सहला रही थी।
दीपाली लौड़े को जीभ से चाट रही थी और टोपी को अपने होंठों में दबा कर चूस रही थी। उसको बहुत मज़ा आ रहा था।
अनुजा- अरे मेरी जान पूरा मुँह में ले.. तब असली मज़ा आएगा.. इतने से क्या होगा?
दीपाली ने अनुजा की बात सुनकर पूरा लौड़ा में भर लिया और चूसने लगी।
विकास को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।
अब विकास लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।
एक वक्त तो लौड़ा पूरा दीपाली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त दीपाली ने झट से मुँह हटा लिया और विकास ने जैसे ही लौड़ा आगे किया उसकी गोटियाँ दीपाली के मुँह के पास आ गईं.. दीपाली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।