hotaks444
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अचानक से दीपाली बैठ गई और इधर-उधर देखने लगी।
दीपाली- सर दीदी कहाँ हैं कब से नहीं दिखीं…
विकास- हा हा हा इतनी देर बाद तुम्हें याद आया कि अनुजा यहाँ नहीं है हा हा हा… तुम भी कमाल करती हो।
दीपाली- इसमें कमाल की क्या बात है.. सोई हुई चूत में तो आपने लौड़ा घुसा दिया.. जब पूरी तरह से नींद टूटी.. तब तक लंड दिमाग़ पर हावी हो गया था। उस वक़्त किसे फ़र्क पड़ता है की कोई कहाँ है.. अब चुद कर सुकून में आई.. तब आपसे पूछ लिया.. अब बताओ भी…
दीपाली थोड़े तीखे अंदाज में बोली शायद विकास की बात उसको बुरी लगी।
विकास ने उसे सब बता दिया कि अनुजा के पेट में दर्द था.. वो दवा लेकर दूसरे कमरे में सो रही है।
दीपाली- उह्ह.. माँ.. सर आप भी ना.. चलो उनको देखते हैं… कहीं ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं हो रही उनको…
विकास- अरे मेरी रानी.. ऐसा कुछ नहीं है.. नॉर्मल सा दर्द था.. उसने दवा ले ली है.. अब वो सुकून से सो रही है.. अगर तुमको यकीन ना आए तो खुद जाकर देख आओ।
दीपाली बिना बोले कमरे से बाहर चली गई। पांच मिनट बाद वापस आकर विकास के पास बैठ गई।
विकास- क्यों हो गई तसल्ली.. देख आई अपनी दीदी को?
दीपाली- हाँ देख आई.. वो तो घोड़े बेच कर सो रही हैं. मैंने उनको छू कर भी देखा.. मगर उनकी नींद काफ़ी गहरी है इसलिए मैं वापस आ गई वरना उनसे पूछ लेती कि अब दर्द कैसा है..
विकास- चलो मेरे कहने से ना सही खुद देखने से तो तुम्हें यकीन हुआ कि अनु सो रही है। अब वहाँ क्या बैठी हो.. यहाँ आ जाओ मेरी बांहों में…
दीपाली दोबारा से विकास के सीने पर सर रख कर उससे लिपट जाती है और बड़े प्यार से उसके पेट पर हाथ घुमाने लगती है।
दीपाली- सर एक बात कहूँ?
विकास- हाँ जान.. कहो ना…
दीपाली- दो दिन पहले तक मैं कितनी अनजान थी ना.. इन सब बातों से लौड़ा, चूत और चुदाई क्या होती है.. कुछ पता नहीं था, मगर अब देखो आज एक ही दिन में कई बार आपसे चुदवा चुकी हूँ और नंगी ही आपसे लिपटी हुई हूँ।
विकास- मेरी जान.. दो दिन पहले तू बस एक साधारण लड़की थी.. मगर अब तू…
विकास बोलता हुआ रुक गया।
दीपाली- कहो ना सर.. अब मैं क्या?
विकास- सॉरी यार गलत शब्द दिमाग़ में आ गया था।
दीपाली- आपको मेरी कसम है… अब बताओ अब क्या?
विकास- ओके बोलता हूँ.. पर प्लीज़ बुरा मत मानना.. अब तू पक्की रंडी बन गई है।
दीपाली- ये तो गाली है ना.. वैसे ये रंडी क्या होती है।
विकास- बहुत भोली है तू.. मेरी जान जो लड़की बिना डरे कभी भी कहीं पर भी किसी से भी चुदवा ले.. उसे रंडी कहते हैं।
दीपाली- ऊह.. माँ.. किसी से भी चुदवा लेती है.. सर मगर मैंने तो बस आपसे चुदवाया है.. मैं कैसे रंडी हुई?
विकास- अरे मेरी माँ.. तुझे कैसे समझाऊँ.. अब देख तू कुँवारी है ना.. और बिना शादी के तूने चूत दे दी .. अगर मैं तेरा ब्वॉय-फ्रेंड होता तो चलता.. मगर तुमने तो अपने सर से चुदवा लिया.. ऐसी लड़की को भी समाज रंडी बोलता है.. अब बस इसके आगे कुछ मत पूछना.. मैंने ग़लती से बोल दिया था.. मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ।
दीपाली हँसने लगती है।
दीपाली- सर दीदी कहाँ हैं कब से नहीं दिखीं…
विकास- हा हा हा इतनी देर बाद तुम्हें याद आया कि अनुजा यहाँ नहीं है हा हा हा… तुम भी कमाल करती हो।
दीपाली- इसमें कमाल की क्या बात है.. सोई हुई चूत में तो आपने लौड़ा घुसा दिया.. जब पूरी तरह से नींद टूटी.. तब तक लंड दिमाग़ पर हावी हो गया था। उस वक़्त किसे फ़र्क पड़ता है की कोई कहाँ है.. अब चुद कर सुकून में आई.. तब आपसे पूछ लिया.. अब बताओ भी…
दीपाली थोड़े तीखे अंदाज में बोली शायद विकास की बात उसको बुरी लगी।
विकास ने उसे सब बता दिया कि अनुजा के पेट में दर्द था.. वो दवा लेकर दूसरे कमरे में सो रही है।
दीपाली- उह्ह.. माँ.. सर आप भी ना.. चलो उनको देखते हैं… कहीं ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं हो रही उनको…
विकास- अरे मेरी रानी.. ऐसा कुछ नहीं है.. नॉर्मल सा दर्द था.. उसने दवा ले ली है.. अब वो सुकून से सो रही है.. अगर तुमको यकीन ना आए तो खुद जाकर देख आओ।
दीपाली बिना बोले कमरे से बाहर चली गई। पांच मिनट बाद वापस आकर विकास के पास बैठ गई।
विकास- क्यों हो गई तसल्ली.. देख आई अपनी दीदी को?
दीपाली- हाँ देख आई.. वो तो घोड़े बेच कर सो रही हैं. मैंने उनको छू कर भी देखा.. मगर उनकी नींद काफ़ी गहरी है इसलिए मैं वापस आ गई वरना उनसे पूछ लेती कि अब दर्द कैसा है..
विकास- चलो मेरे कहने से ना सही खुद देखने से तो तुम्हें यकीन हुआ कि अनु सो रही है। अब वहाँ क्या बैठी हो.. यहाँ आ जाओ मेरी बांहों में…
दीपाली दोबारा से विकास के सीने पर सर रख कर उससे लिपट जाती है और बड़े प्यार से उसके पेट पर हाथ घुमाने लगती है।
दीपाली- सर एक बात कहूँ?
विकास- हाँ जान.. कहो ना…
दीपाली- दो दिन पहले तक मैं कितनी अनजान थी ना.. इन सब बातों से लौड़ा, चूत और चुदाई क्या होती है.. कुछ पता नहीं था, मगर अब देखो आज एक ही दिन में कई बार आपसे चुदवा चुकी हूँ और नंगी ही आपसे लिपटी हुई हूँ।
विकास- मेरी जान.. दो दिन पहले तू बस एक साधारण लड़की थी.. मगर अब तू…
विकास बोलता हुआ रुक गया।
दीपाली- कहो ना सर.. अब मैं क्या?
विकास- सॉरी यार गलत शब्द दिमाग़ में आ गया था।
दीपाली- आपको मेरी कसम है… अब बताओ अब क्या?
विकास- ओके बोलता हूँ.. पर प्लीज़ बुरा मत मानना.. अब तू पक्की रंडी बन गई है।
दीपाली- ये तो गाली है ना.. वैसे ये रंडी क्या होती है।
विकास- बहुत भोली है तू.. मेरी जान जो लड़की बिना डरे कभी भी कहीं पर भी किसी से भी चुदवा ले.. उसे रंडी कहते हैं।
दीपाली- ऊह.. माँ.. किसी से भी चुदवा लेती है.. सर मगर मैंने तो बस आपसे चुदवाया है.. मैं कैसे रंडी हुई?
विकास- अरे मेरी माँ.. तुझे कैसे समझाऊँ.. अब देख तू कुँवारी है ना.. और बिना शादी के तूने चूत दे दी .. अगर मैं तेरा ब्वॉय-फ्रेंड होता तो चलता.. मगर तुमने तो अपने सर से चुदवा लिया.. ऐसी लड़की को भी समाज रंडी बोलता है.. अब बस इसके आगे कुछ मत पूछना.. मैंने ग़लती से बोल दिया था.. मैं तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ।
दीपाली हँसने लगती है।