hotaks444
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दीपक- साली.. मैं समझता था अपने भाई के बारे में सोचने वाली मेरी बहन ही रंडी है.. मगर तू उससे बड़ी रंडी निकली.. कोई आ जाता तो उसको भी स्वाद मिल जाता.. ऐसा बोल कर तूने साबित कर दिया.. कि तू भी रंडी है।
दीपाली- हा हा हा रंडी.. और तू क्या है.. तुझे पता है? कल तक मुझे चोदना चाहता था.. कुत्ते की तरह मेरे आगे-पीछे घूमता था पर अब तक तुझे मेरी चूत नहीं मिली.. तूने शुरूआत की भी तो अपनी बहन के साथ छी: छी:.. तू कितना बड़ा बहनचोद है।
प्रिया- दीपाली, बस भी करो.. बार-बार ये बात भाई को बोल कर गुस्सा मत दिलाओ.. नहीं तो आज तुम्हारी चूत की खैर नहीं.. गुस्से में ये बड़े ख़तरनाक तरीके से चोदते हैं।
दीपाली- अच्छा.. ये बात है.. चल आज देख ही लेती हूँ.. तेरे भाई का जोश…
इतना बोलकर दीपाली उसका लौड़ा चूसने लगी अपने होंठों को भींच कर सर को हिलाने लगी दीपक की तो बोलती बन्द हो गई.. वो बस मज़े में आँखें बन्द किए अपना लंड चुसवाता रहा।
दीपाली को लंड चूसता देख कर प्रिया में भी जोश आ गया और वो भी उसके पास आकर दीपक की गोटियां चाटने लगी। दो कमसिन कलियां अपना जादू चला रही थीं और दीपक अलग ही आनन्द की दुनिया में चला गया था।
दीपक- आहह.. उफ़फ्फ़ साली आहह.. सच में तुम दोनों ही ज़बरदस्त चुसक्कड़ हो आहह.. चूसो उफ़ मज़ा आ गया आहह…
प्रिया ने दीपाली के मुँह से लौड़ा निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया। दीपाली ने उसकी गोटियाँ पूरी मुँह में ले लीं और ज़बरदस्त चुसाई शुरू कर दी।
(अब यह कहानी आप देसिबीज़ डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!)
दीपक- आहह.. अइ बस भी करो आहह.. पानी निकालने का इरादा है क्या? आहह.. साली अभी मुझे तेरी चूत का स्वाद भी चखना है।
दीपाली- अच्छा तो रोका किसने है.. चख लेना. पहले तेरे लौड़े का रस तो पिला दे.. उसके बाद जो चाहे कर लेना…
दीपक- आहह.. ठीक है जान.. आहह.. ले चूस आहह.. प्रिया इसे चूसने दे आहह.. तूने तो एक बार मेरा रस पिया है ना.. आज इसे पीने दे आहह.. चूसो.
प्रिया ने लौड़ा मुँह से छोड़ दिया.. दीपाली झट से लौड़े पे टूट पड़ी.. प्रिया भी उसके पास ही बैठी रही। दीपक ने दीपाली के सर को पकड़ लिया और उसके मुँह में दनादन लौड़ा पेलने लगा।
दीपक- आ आहह.. मज़ा आ रहा है आहह.. साली तेरा मुँह भी किसी चूत से कम नहीं आहह.. उफ़ चूस आहह.. साली रंडी.. आहह.. तू क्या देख रही है मेरे टट्टे चूस.. आहह.. पानी तो इनमें ही तो भरा हुआ है आहह.. चाट…
प्रिया भी उसकी टाँगों के बीच घुस कर गोटियाँ चाटने लगी। दीपक रफ़्तार से दीपाली के मुँह को चोद रहा था और प्रिया की जीभ उसकी गोटियों को चाट रही थी.. कब तक वो इन दो कमसिन कलियों के आगे टिका रहता.. उसका लौड़ा फूलने लगा और उसने पूरा लौड़ा दीपाली के मुँह में घुसा कर झड़ना शुरू कर दिया।
दीपक- आह उफ़फ्फ़ कितना हसीन पल है ये उफ़ आहह.. मज़ा आ गया…
दीपक के लौड़े ने दीपाली के गले तक पानी की पिचकारी मारी और वो सारा वीर्य गटक गई। फिर उसने लौड़ा मुँह से निकल जाने दिया.. उसके मुँह में अभी भी थोड़ा वीर्य था जो उसने अपनी जीभ की नोक पर रख लिया. प्रिया ने झट से उसकी जीभ को अपने मुँह में ले कर चूसा और बाकी वीर्य वो पी गई। अब दोनों जीभ से चाट-चाट कर लौड़े को साफ कर रही थीं। दीपक के तो मज़े हो गए उसको लौड़े को साफ करवाते हुए बड़ा मज़ा आ रहा था।
दीपक- आह चाटो.. मेरी रण्डियों.. मज़ा आ रहा है.. दीपाली मेरी जान, चल अब बिस्तर पर आ जा.. आधी नंगी तो है ही.. अब पूरी हो जा, अपनी चूत के दर्शन करवा दे.. कब से तड़प रहा हूँ मैं.. तेरी चूत में लौड़ा डालने के लिए.. बस एक बार तेरी चूत चाट कर मज़ा लिया है.. आज तुझे चोदने का मज़ा लूँगा.. आज तो मैं तेरी गाण्ड भी मारूँगा…
प्रिया- भाई, फिर मेरी चुदाई कब करोगे आप?
दीपक- अरे तू तो रात भर मेरे पास मेरे घर में रहेगी. अभी तो दीपाली का मज़ा लेने दे मुझे….
प्रिया- वो कैसे भाई?
दीपक ने उसे सारी बात बता दी.. वो ख़ुशी से झूम उठी।
प्रिया- वाउ.. मज़ा आ जाएगा.. आज तो पूरी रात चुदाई करेंगे.. अभी दीपाली के मज़े लो, भाई.. मैं भी देखूँ कि जिस दीपाली के लिए आप पागल बने घूमते हो, आज उसको कैसे चोदते हो…
दीपाली- लो मेरे आशिक, हो गई नंगी.. आओ, चढ़ जाओ मुझ पर….
दीपक- हाँ साली.. आज बरसों की तमन्ना पूरी होने जा रही है.. आज तो तुझे जी भर के चोदूँगा।
दीपाली बिस्तर पर टाँगें फैला कर सीधी लेट जाती है। प्रिया भी उसके पास लेट जाती है। दीपक बिस्तर पर आ कर दीपाली की चूत को गौर से देखने लगता है।
दीपक- अबे दीपाली, साली रंडी! किस-किस से चुदवाती है रे तू, बहन की लौड़ी.. चूत का मुँह तो ऐसे खुला हुआ है जैसे मूसल घुसवा कर आई हो!
ये सुनकर प्रिया की हँसी निकल जाती है मगर वो अपने आप को रोक लेती है।
दीपाली- हा हा हा रंडी.. और तू क्या है.. तुझे पता है? कल तक मुझे चोदना चाहता था.. कुत्ते की तरह मेरे आगे-पीछे घूमता था पर अब तक तुझे मेरी चूत नहीं मिली.. तूने शुरूआत की भी तो अपनी बहन के साथ छी: छी:.. तू कितना बड़ा बहनचोद है।
प्रिया- दीपाली, बस भी करो.. बार-बार ये बात भाई को बोल कर गुस्सा मत दिलाओ.. नहीं तो आज तुम्हारी चूत की खैर नहीं.. गुस्से में ये बड़े ख़तरनाक तरीके से चोदते हैं।
दीपाली- अच्छा.. ये बात है.. चल आज देख ही लेती हूँ.. तेरे भाई का जोश…
इतना बोलकर दीपाली उसका लौड़ा चूसने लगी अपने होंठों को भींच कर सर को हिलाने लगी दीपक की तो बोलती बन्द हो गई.. वो बस मज़े में आँखें बन्द किए अपना लंड चुसवाता रहा।
दीपाली को लंड चूसता देख कर प्रिया में भी जोश आ गया और वो भी उसके पास आकर दीपक की गोटियां चाटने लगी। दो कमसिन कलियां अपना जादू चला रही थीं और दीपक अलग ही आनन्द की दुनिया में चला गया था।
दीपक- आहह.. उफ़फ्फ़ साली आहह.. सच में तुम दोनों ही ज़बरदस्त चुसक्कड़ हो आहह.. चूसो उफ़ मज़ा आ गया आहह…
प्रिया ने दीपाली के मुँह से लौड़ा निकाल कर अपने मुँह में डाल लिया। दीपाली ने उसकी गोटियाँ पूरी मुँह में ले लीं और ज़बरदस्त चुसाई शुरू कर दी।
(अब यह कहानी आप देसिबीज़ डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!)
दीपक- आहह.. अइ बस भी करो आहह.. पानी निकालने का इरादा है क्या? आहह.. साली अभी मुझे तेरी चूत का स्वाद भी चखना है।
दीपाली- अच्छा तो रोका किसने है.. चख लेना. पहले तेरे लौड़े का रस तो पिला दे.. उसके बाद जो चाहे कर लेना…
दीपक- आहह.. ठीक है जान.. आहह.. ले चूस आहह.. प्रिया इसे चूसने दे आहह.. तूने तो एक बार मेरा रस पिया है ना.. आज इसे पीने दे आहह.. चूसो.
प्रिया ने लौड़ा मुँह से छोड़ दिया.. दीपाली झट से लौड़े पे टूट पड़ी.. प्रिया भी उसके पास ही बैठी रही। दीपक ने दीपाली के सर को पकड़ लिया और उसके मुँह में दनादन लौड़ा पेलने लगा।
दीपक- आ आहह.. मज़ा आ रहा है आहह.. साली तेरा मुँह भी किसी चूत से कम नहीं आहह.. उफ़ चूस आहह.. साली रंडी.. आहह.. तू क्या देख रही है मेरे टट्टे चूस.. आहह.. पानी तो इनमें ही तो भरा हुआ है आहह.. चाट…
प्रिया भी उसकी टाँगों के बीच घुस कर गोटियाँ चाटने लगी। दीपक रफ़्तार से दीपाली के मुँह को चोद रहा था और प्रिया की जीभ उसकी गोटियों को चाट रही थी.. कब तक वो इन दो कमसिन कलियों के आगे टिका रहता.. उसका लौड़ा फूलने लगा और उसने पूरा लौड़ा दीपाली के मुँह में घुसा कर झड़ना शुरू कर दिया।
दीपक- आह उफ़फ्फ़ कितना हसीन पल है ये उफ़ आहह.. मज़ा आ गया…
दीपक के लौड़े ने दीपाली के गले तक पानी की पिचकारी मारी और वो सारा वीर्य गटक गई। फिर उसने लौड़ा मुँह से निकल जाने दिया.. उसके मुँह में अभी भी थोड़ा वीर्य था जो उसने अपनी जीभ की नोक पर रख लिया. प्रिया ने झट से उसकी जीभ को अपने मुँह में ले कर चूसा और बाकी वीर्य वो पी गई। अब दोनों जीभ से चाट-चाट कर लौड़े को साफ कर रही थीं। दीपक के तो मज़े हो गए उसको लौड़े को साफ करवाते हुए बड़ा मज़ा आ रहा था।
दीपक- आह चाटो.. मेरी रण्डियों.. मज़ा आ रहा है.. दीपाली मेरी जान, चल अब बिस्तर पर आ जा.. आधी नंगी तो है ही.. अब पूरी हो जा, अपनी चूत के दर्शन करवा दे.. कब से तड़प रहा हूँ मैं.. तेरी चूत में लौड़ा डालने के लिए.. बस एक बार तेरी चूत चाट कर मज़ा लिया है.. आज तुझे चोदने का मज़ा लूँगा.. आज तो मैं तेरी गाण्ड भी मारूँगा…
प्रिया- भाई, फिर मेरी चुदाई कब करोगे आप?
दीपक- अरे तू तो रात भर मेरे पास मेरे घर में रहेगी. अभी तो दीपाली का मज़ा लेने दे मुझे….
प्रिया- वो कैसे भाई?
दीपक ने उसे सारी बात बता दी.. वो ख़ुशी से झूम उठी।
प्रिया- वाउ.. मज़ा आ जाएगा.. आज तो पूरी रात चुदाई करेंगे.. अभी दीपाली के मज़े लो, भाई.. मैं भी देखूँ कि जिस दीपाली के लिए आप पागल बने घूमते हो, आज उसको कैसे चोदते हो…
दीपाली- लो मेरे आशिक, हो गई नंगी.. आओ, चढ़ जाओ मुझ पर….
दीपक- हाँ साली.. आज बरसों की तमन्ना पूरी होने जा रही है.. आज तो तुझे जी भर के चोदूँगा।
दीपाली बिस्तर पर टाँगें फैला कर सीधी लेट जाती है। प्रिया भी उसके पास लेट जाती है। दीपक बिस्तर पर आ कर दीपाली की चूत को गौर से देखने लगता है।
दीपक- अबे दीपाली, साली रंडी! किस-किस से चुदवाती है रे तू, बहन की लौड़ी.. चूत का मुँह तो ऐसे खुला हुआ है जैसे मूसल घुसवा कर आई हो!
ये सुनकर प्रिया की हँसी निकल जाती है मगर वो अपने आप को रोक लेती है।