desiaks
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चैप्टर 10
प्रिया वा़ज ए हॉट गर्ल। प्रिया को देखकर किसी भी जवान लड़के के भीतर पैशन जागना ला़जमी था; अगर ऐसा न हो, तो तय था कि उसका क्यूपिड सो रहा होगा। मगर प्रिया हॉट होने के बावजूद बिंदास थी। उसमें हॉट लड़कियों वाला ऐटिटूड नहीं था। कितनी आसानी से वह कबीर के साथ डिनर पर जाने को तैयार हो गई थी; और यही बात प्रिया को और हॉट लड़कियों से अलग करती थी। हॉट लड़कियाँ; जो कामयाब और पैसे वाले लड़कों से इम्प्रेस होती हैं; जिन्हें लड़कों से ज़्यादा उनके स्टेटस और ग्लैमर से प्यार होता है। चमचमाती कारों, डि़जाइनर कपड़ों, महँगी घड़ियों और ज्वेलरी, पऱफ्यूम्स और हेयरस्टाइल पर मरने वाली लड़कियाँ, क्या कभी किसी लड़के की रूह को छू पाती होंगी? प्रिया उनसे अलग थी... बहुत अलग।
अगली सुबह कबीर, प्रिया के ख़यालों में डूबा हुआ था। जब कोई जवान लड़का किसी जवान लड़की के ख़यालों में डूबा हो, तो ख़याल नटखट से लेकर निर्लज्ज तक हो जाते हैं। कबीर के ख़याल भी प्रिया को आमंत्रित कर उसके साथ कई गुस्ताखियाँ कर रहे थे, तभी पीछे से एक आवा़ज आई,
‘‘हे डूड, व्हाट्स अप?’’ इट वा़ज समीर। समीर का बस चले तो वह कबीर के ख़यालों से भी लड़कियाँ चुरा ले जाए।
‘‘कुछ नहीं, बस किसी लड़की के ख़यालों में डूबा हूँ।’’ कबीर ने मुड़ कर जवाब दिया।
‘‘योर फेवरेट पासटाइम... हूँ।’’ समीर के लह़जे में तंज़ था, ‘‘यार अब तो ख़्वाबों-ख़यालों से बाहर निकल।’’
‘‘बाहर से चुराकर ही ख़यालों में लाया हूँ।’’ कबीर ने मुस्कुराकर समीर को आँख मारी। सामने वाले के तंज़ को मुस्कुराकर हँसी में उड़ा देना ही उसकी चोट से बचने का सबसे आसान तरीका होता है, हालाँकि समीर का इरादा कभी कबीर की भावनाओं को चोट पहुँचाना नहीं होता था। इरादा तो वह तब करे, जब उसने ख़ुद कोई चोट महसूस की हो। समीर ने न तो कभी प्यार में कोई चोट खाई थी और न ही किसी तंज़ का उस पर कोई असर होता था।
‘‘हूँ... हू इ़ज शी?’’
‘‘प्रिया; वही जो कल तुम्हारी पार्टी में मिली थी।’’
‘‘व्हाट! वह प्रिया पुखराज?’’ समीर का मुँह जिस तरह व्हाट कहने के लिए खुला था, वैसा ही खुला रह गया।
‘‘क्यों, क्या हुआ?’’
‘‘डू यू नो, हू इस शी?’’
‘‘ए वेरी प्रिटी गर्ल।’’ कबीर के ख़यालों ने अब तक प्रिया से गुस्ताखियाँ करना बंद नहीं किया था।
‘‘वह पुखराज ज्वेलर्स के मालिक पुखराज जैन की बेटी है; अरबपति हैं वो लोग।’’
‘‘तो क्या हुआ... अरबपति लड़कियाँ प्यार नहीं करतीं?’’
‘‘प्यार? उसके पीछे ह़जारों लड़के घूमते है; एंड शी इ़ज सो हॉट... सँभलकर रहना, कहीं जल मत जाना।’’
‘‘जलने की बारी तो अब तुम्हारी है।’’
‘‘व्हाट डू यू मीन?’’
‘‘आज शाम वह मेरे साथ डिनर पर जा रही है।’’
‘‘हूँ; स्मार्ट बॉय।’’ समीर का तंज़ तारी़फ में बदल गया। कितना आसान होता है लड़कों को इम्प्रेस करना; ‘‘चल, फिर ये मेरा क्रेडिट कार्ड रख ले; किसी बड़े रेस्टोरेंट में ले जाना; किसी बाल्टी ढाबे में न पहुँच जाना।’’
‘‘नो थैंक्स; पैसे हैं मेरे पास... माँ पैसे देने में कमी नहीं करती।’’
‘‘माँ को शायद पता नहीं है कि माँ दा लाड़ला बिगड़ गया है।’’ समीर के होंठों पर एक शरारती मुस्कान तैर गई।
‘‘बिगड़ के सँवर गया है।’’ कबीर ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए समीर को फिर से आँख मारी। समीर के होंठों की मुस्कान कुछ और फैल गई।
उस शाम प्रिया भी कबीर के ख़यालों में डूबी हुई थी। आईने में ख़ुद के अक्स को निहारते हुए उसका ध्यान ख़ुद से ज्यादा कबीर पर था। क्या कबीर को यह ड्रेस पसंद आएगी? यह सवाल ही उससे चार ड्रेस बदलवा चुका था; यह पाँचवी ड्रेस थी। क्रिमसन हाईनेक स्लीवलेस पेंसिल ड्रेस विद साइड स्लिट, उसके स्लिम और गोरे बदन पर बेहद जँच रही थी। साइड स्वेप्ट बालों को उसने नीचे से कर्ली किया हुआ था। मैचिंग रेड स्वेड लेदर की टाई अप पॉइंटेड हाई हील्स पर अपने पैरों को ट्विस्ट कर उसने आईने की ओर पीठ करके गर्दन मोड़ी। क्रिमसन लेस से घिरी ओपन बैक भी का़फी आकर्षक दिख रही थी। प्रिया अब अपनी अपीयरेंस से पूरी तरह संतुष्ट थी। क्रिमसन पैशन का रंग होता है। आज वह कबीर का पूरा पैशन देखना चाहती थी।
ठीक सात बजे प्रिया के फ्लैट की डोरबेल बजी। प्रिया एक आखिरी बार आईने से पूछ लेना चाहती थी, कि वह कैसी लग रही है; मगर उस ख़याल को उसने इस ख़याल से सरका दिया कि कबीर से सुनना ही बेहतर होगा।
प्रिया ने दरवा़जा खोला। सामने कबीर खड़ा था। कबीर, बड़ी सादगी से तैयार हुआ था। खाकी स्किनी जींस, प्लेन कॉटन की मरून शर्ट, कलाई में ब्राउन लेदर स्ट्रिप से बँधी एक्युरिस्ट की सिंपल सी वाच; और तो और उसने शेव भी नहीं की थी, मगर उसके गोरे और लम्बे चेहरे पर हल्की दाढ़ी अच्छी लग रही थी, और उसके हाथों में लिली और गुलाब का गुलदस्ता था।
प्रिया वा़ज ए हॉट गर्ल। प्रिया को देखकर किसी भी जवान लड़के के भीतर पैशन जागना ला़जमी था; अगर ऐसा न हो, तो तय था कि उसका क्यूपिड सो रहा होगा। मगर प्रिया हॉट होने के बावजूद बिंदास थी। उसमें हॉट लड़कियों वाला ऐटिटूड नहीं था। कितनी आसानी से वह कबीर के साथ डिनर पर जाने को तैयार हो गई थी; और यही बात प्रिया को और हॉट लड़कियों से अलग करती थी। हॉट लड़कियाँ; जो कामयाब और पैसे वाले लड़कों से इम्प्रेस होती हैं; जिन्हें लड़कों से ज़्यादा उनके स्टेटस और ग्लैमर से प्यार होता है। चमचमाती कारों, डि़जाइनर कपड़ों, महँगी घड़ियों और ज्वेलरी, पऱफ्यूम्स और हेयरस्टाइल पर मरने वाली लड़कियाँ, क्या कभी किसी लड़के की रूह को छू पाती होंगी? प्रिया उनसे अलग थी... बहुत अलग।
अगली सुबह कबीर, प्रिया के ख़यालों में डूबा हुआ था। जब कोई जवान लड़का किसी जवान लड़की के ख़यालों में डूबा हो, तो ख़याल नटखट से लेकर निर्लज्ज तक हो जाते हैं। कबीर के ख़याल भी प्रिया को आमंत्रित कर उसके साथ कई गुस्ताखियाँ कर रहे थे, तभी पीछे से एक आवा़ज आई,
‘‘हे डूड, व्हाट्स अप?’’ इट वा़ज समीर। समीर का बस चले तो वह कबीर के ख़यालों से भी लड़कियाँ चुरा ले जाए।
‘‘कुछ नहीं, बस किसी लड़की के ख़यालों में डूबा हूँ।’’ कबीर ने मुड़ कर जवाब दिया।
‘‘योर फेवरेट पासटाइम... हूँ।’’ समीर के लह़जे में तंज़ था, ‘‘यार अब तो ख़्वाबों-ख़यालों से बाहर निकल।’’
‘‘बाहर से चुराकर ही ख़यालों में लाया हूँ।’’ कबीर ने मुस्कुराकर समीर को आँख मारी। सामने वाले के तंज़ को मुस्कुराकर हँसी में उड़ा देना ही उसकी चोट से बचने का सबसे आसान तरीका होता है, हालाँकि समीर का इरादा कभी कबीर की भावनाओं को चोट पहुँचाना नहीं होता था। इरादा तो वह तब करे, जब उसने ख़ुद कोई चोट महसूस की हो। समीर ने न तो कभी प्यार में कोई चोट खाई थी और न ही किसी तंज़ का उस पर कोई असर होता था।
‘‘हूँ... हू इ़ज शी?’’
‘‘प्रिया; वही जो कल तुम्हारी पार्टी में मिली थी।’’
‘‘व्हाट! वह प्रिया पुखराज?’’ समीर का मुँह जिस तरह व्हाट कहने के लिए खुला था, वैसा ही खुला रह गया।
‘‘क्यों, क्या हुआ?’’
‘‘डू यू नो, हू इस शी?’’
‘‘ए वेरी प्रिटी गर्ल।’’ कबीर के ख़यालों ने अब तक प्रिया से गुस्ताखियाँ करना बंद नहीं किया था।
‘‘वह पुखराज ज्वेलर्स के मालिक पुखराज जैन की बेटी है; अरबपति हैं वो लोग।’’
‘‘तो क्या हुआ... अरबपति लड़कियाँ प्यार नहीं करतीं?’’
‘‘प्यार? उसके पीछे ह़जारों लड़के घूमते है; एंड शी इ़ज सो हॉट... सँभलकर रहना, कहीं जल मत जाना।’’
‘‘जलने की बारी तो अब तुम्हारी है।’’
‘‘व्हाट डू यू मीन?’’
‘‘आज शाम वह मेरे साथ डिनर पर जा रही है।’’
‘‘हूँ; स्मार्ट बॉय।’’ समीर का तंज़ तारी़फ में बदल गया। कितना आसान होता है लड़कों को इम्प्रेस करना; ‘‘चल, फिर ये मेरा क्रेडिट कार्ड रख ले; किसी बड़े रेस्टोरेंट में ले जाना; किसी बाल्टी ढाबे में न पहुँच जाना।’’
‘‘नो थैंक्स; पैसे हैं मेरे पास... माँ पैसे देने में कमी नहीं करती।’’
‘‘माँ को शायद पता नहीं है कि माँ दा लाड़ला बिगड़ गया है।’’ समीर के होंठों पर एक शरारती मुस्कान तैर गई।
‘‘बिगड़ के सँवर गया है।’’ कबीर ने अपने बालों में हाथ फेरते हुए समीर को फिर से आँख मारी। समीर के होंठों की मुस्कान कुछ और फैल गई।
उस शाम प्रिया भी कबीर के ख़यालों में डूबी हुई थी। आईने में ख़ुद के अक्स को निहारते हुए उसका ध्यान ख़ुद से ज्यादा कबीर पर था। क्या कबीर को यह ड्रेस पसंद आएगी? यह सवाल ही उससे चार ड्रेस बदलवा चुका था; यह पाँचवी ड्रेस थी। क्रिमसन हाईनेक स्लीवलेस पेंसिल ड्रेस विद साइड स्लिट, उसके स्लिम और गोरे बदन पर बेहद जँच रही थी। साइड स्वेप्ट बालों को उसने नीचे से कर्ली किया हुआ था। मैचिंग रेड स्वेड लेदर की टाई अप पॉइंटेड हाई हील्स पर अपने पैरों को ट्विस्ट कर उसने आईने की ओर पीठ करके गर्दन मोड़ी। क्रिमसन लेस से घिरी ओपन बैक भी का़फी आकर्षक दिख रही थी। प्रिया अब अपनी अपीयरेंस से पूरी तरह संतुष्ट थी। क्रिमसन पैशन का रंग होता है। आज वह कबीर का पूरा पैशन देखना चाहती थी।
ठीक सात बजे प्रिया के फ्लैट की डोरबेल बजी। प्रिया एक आखिरी बार आईने से पूछ लेना चाहती थी, कि वह कैसी लग रही है; मगर उस ख़याल को उसने इस ख़याल से सरका दिया कि कबीर से सुनना ही बेहतर होगा।
प्रिया ने दरवा़जा खोला। सामने कबीर खड़ा था। कबीर, बड़ी सादगी से तैयार हुआ था। खाकी स्किनी जींस, प्लेन कॉटन की मरून शर्ट, कलाई में ब्राउन लेदर स्ट्रिप से बँधी एक्युरिस्ट की सिंपल सी वाच; और तो और उसने शेव भी नहीं की थी, मगर उसके गोरे और लम्बे चेहरे पर हल्की दाढ़ी अच्छी लग रही थी, और उसके हाथों में लिली और गुलाब का गुलदस्ता था।