Indian Sex Kahani मैं और मेरी बहू - Page 3 - SexBaba
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Indian Sex Kahani मैं और मेरी बहू

गतान्क से आगे......

हनी मून पर चौथा दिन




सुबह जब में सोकर उठी तो मेने देखा कि रवि कमरे मे नही था. राज और रश्मि अभी भी एक दूसरे की बाहों मे सोए पड़े थे. मैं फिर से करवट बदलकर सो गयी. रात की चुदाई से पूरा शरीर अभी भी दुख रहा था. दुबारा जब मेरी आँख खुली तो मेने देखा कि रवि वापस आ गया था और मेरे बगल मे गहरी नींद मे सोया हुआ है.

मेने नहाने का मन मनाया और शवर लेने बाथरूम मे घुस गयी. में नहा कर वापस आई तो देखा कि राज और रश्मि भी उठ चुके है. उन दोनो ने भी स्नान कर कपड़े पहने और हम तीनो होटेल के रेस्टोरेंट मे नाश्ता करने चले गये.

मेने रश्मि से कहा, "क्यों ना रवि के लिए कुछ नाश्ता रूम मे ले चले?"

रश्मि ने एक केला हाथ मे लेते हुए कहा, "ये कैसा रहेगा? इसे में अपनी चूत मे घुसाकर पूरा रसीला बना दूँगी."

"क्या तुम हमेशा चुदाई के बारे मे ही सोचती रहती हो? मेने हंसते हुए कहा.

"सिर्फ़ उस वक्त नही सोचती जब मैं चुदवा रही होती हूँ." रश्मि जोरों से हंसते हुए बोली.

"तुम पक्की छिनाल और चूड्डकड़ हो?" मैने कहा.

"हाँ जहाँ तक चुदाई का सवाल है तुम ये कह सकती हो." रश्मि ने जवाब दिया.

हम रवि के लिए नाश्ता लेकर अपने कमरे में पहुँचे और उसे जगाने लगे, "ओह कुंभकारण की औलाद उठो, हम तुम्हारे लिए नाश्ता लेकर आए है." रस्मी ने उसे झींझोड़ते हुए कहा.

रवि ने उठकर नाश्ता किया और हमारा शुक्रिया अदा किया. नाश्ते के बाद हम चारों फिर सैर को निकल पड़े. पिछले तीन दिनो मे हम इतनी चुदाई कर चुके थे कि सारा शरीर दर्द कर रहा था. लेकिन सच कहूँ तो मज़ा भी बहोत आया था.

जब हम सड़कों पर सैर कर रहे थे तो मेने रवि से पूछा कि रात को वो कहाँ चला गया था.

उसने मुस्कुराते हुए हमारी तरफ देखा और कहा, "तुम लोग विश्वास नही करोगे जो मैं अब बताने वाला हूँ."

हम तीनो ने उससे ज़िद की कि वो हमे बताए की पूरी रात और सुबह होने तक वो कहाँ था. हम सब अपने कान उसकी बातों पर लगा उसकी कहानी ध्यान से सुनने लगे. रवि ने बताया कि उन लड़कियों के रूम से निकलते वक़्त रीता ने उसे आधे घंटे मे लॉन मे मिलने के लिए कहा था.

"जब तुम तीनो सो गये तो में नीचे लॉन मे जाकर उसका इंतेज़ार करने लगा. उसने आधे घंटे मे आने के लिए कहा था पर वो एक घंटे के बाद आई, और तुम मनोगे नही जो मेने रात को देखा." रवि ने कहा.

"ऐसा तुमने क्या देख लिया?" रश्मि थोड़ा उत्सुक होते हुए बोली.

"मेने देखा कि होटेल में ठहरे जोड़े चाँदनी रात मे लॉन मे प्यार कर रहे हैं, और कुछ जोड़े तो वही पर चुदाई कर रहे थे." रवि ने बताया.

"तुम ये कहना चाहते हो कि लोग खुले आम चुदाई कर रहे थे?" मेने पूछा.

"हां! तुम जानती हो कि होटेल मे ठहरे तकरीबन लोग अपने हनिमून पर आए है. तो जितने भी जोड़े थे वो एक दूसरे से काफ़ी दूर दूर थे. और अपने हनिमून पर कौन अपने आप पर कंट्रोल कर सकता है, जब मौसम इतना सुहाना हो और उसपर चाँदनी रात." रवि ने कहा.

"फिर आगे क्या हुआ?" रश्मि ने पूछा.

"तभी मेने देखा कि रीता अनिता का हाथ पकड़े लॉन की तरफ आ रही थी. मैं चल कर उनके पास पहुँचा और रीता ने मेरे मुँह पर एक प्रगाढ़ चुंबन दे दिया.

थोड़ी देर मेरे होठों को चूसने के बाद रीता ने मुझसे कहा, "रवि आज तुम मुझे और अनिता को चोद दो. आज हम सही मे किसी मर्द का लंड अपनी चूत मे लेना चाहते है." सिर्फ़ उसकी इतनी बात सुनकर ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया.

हम तीनो लॉन मे जगह देखने लगे. एक सुनसान कोने पर घास पर हम तीनो बैठ गये. हम जहाँ बैठे वहाँ थोड़ा अंधेरा था. हम तीनो एक दूसरे को चूम रहे थे और एक दूसरे के बदन सहला रहे थे.

मेने अपने एक हाथ की उंगली रीता की चूत मे घुसा दी और दूसरे हाथ की उंगली से अनिता की चूत को चोदने लगा. रीता के साँसे तेज होती जा रही थी और उत्तेजना मे उसका शरीर कांप रहा था, "रवि प्लीज़ मेरी चूत को चूसो ना?"

उसके कहने की देर थी कि में उसकी टाँगो के बीच उछल कर आ गया और उसकी चूत को चूसने लगा. उसकी चूत की पंखुड़िया इतनी बड़ी बड़ी थी कि मेने उन्हे अपने दांतो के बीच ले लिया और अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगा.

"उसकी चूत से उठने वाली सुगंध भी बड़ी प्यारी है ना." रश्मि उत्तेजित होते हुए बोली.

रीता ने अपना हाथ बढ़ा मेरे लंड को सहलाने लगी और मसल रही थी, "रवि अब मुझसे नही रहा जाता अपना लंड मेरी चूत मे डाल दो ना, ये मुझे चाहिए अभी."

मेने तुरंत अपने लंड को उसकी चूत मे घुसा दिया, उसकी चूत कोई कुँवारी नही थी. इतने नकली लंड से चुदवाने के बावजूद उसकी चूत बड़ी टाइट थी. मेने ज़ोर का धक्का लगा उसकी चूत की दीवारों को चीरते हुए अपना लंड जड़ तक घुसा दिया.

में इतना उत्तेजित था कि जानवर की तरह उसकी चूत को चोद रहा था. वो भी उत्तेजना मे अपने कूल्हे उठा मेरे धक्कों का साथ दे रही थी. उसने अपनी दोनो टाँगे मेरी कमर मे लपेट ले थी और मेरे कुल्हों को और नीचे को दबा मेरे लंड का मज़ा ले रही थी." रवि अपनी कहानी सुना रहा था.

मेरे हर धक्के पर उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी, "हाआँ रवि चूओड़ो मुझे आाज फाड़ दो मेरी चूओत को ओह कितना आआचा लग रह हाईईईई." में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. मैं अपने लंड को बाहर खींचता और जब सिर्फ़ सूपड़ा अंदर रह जाता तो एक ही धक्के मे पूरा लंड उसकी चूत मे पेल देता और उसे इतना मज़ा आया कि वो अपने नाख़ून मेरी पीठ मे चूबो देती."

रीता की चूत गीली डर गीली होती जा रही थी. उस लॉनमे हमारी चुदाई की आवाज़ें गूँज रही थी……फ़च…….फ़च………मैं अपने धक्के की रफ़्तार थोड़ी धीमी कर अपने आपको रोकना चाहता था पर रीता थी कि रुकने का नाम ही नही ले रही थी.

रीता ने और ज़ोर से अपनी टाँगे मेरी कमर गिर्द लपेट ले और अपने दोनो कूल्हे हवा मे उठा दिए और सिसकने लगी, "चूऊओदो रावीयी और ज़ोर सी चूऊड़ो ऑश मेरा चूओटने वाला है ओह माइयन तो गाइिईईईईई."

मेने करवट बदल ली और रीता को अपने उपर लेते हुए मैं नीचे हो गया, रीता अब मेरे लंड पर उछल उछल कर खुद धक्के लगा रही थी और उसकी चूत पानी पे पानी छोड़ रही थी. मेने भी अपने कूल्हे उठा अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.

"रीता की साँसे इतनी तेज थी और उसकी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा मुझे नही मालूम. मैं उसकी चिकनी और प्यारी गंद तब तक सहलाता रहा जब तक की उसकी साँसे नही सँभाल गयी." रवि एक गहरी साँस लेते हुए बोला.

"जब तुम रीता को चोद रहे थे उस वक्त अनिता क्या कर रही थी?" मेने रवि से पूछा.

"जब मैं रीता की चूत मे अपना लंड डाल उसे चोद रहा था तो वो हमारे बगल मे लेटी अपनी सहेली रीता की पहली असली चुदाई देख रही थी. कभी कभी वो बीच मे या तो रीता की चुचियाँ दबा देती और कभी हाथ बढ़ा मेरे लंड को पकड़ लेती." रवि ने कहा.

"पर जब रीता मेरे उपर से हट कर घास पर लेट गयी तो अनिता ने मेरे लस्लस्ये हुए लंड को पकड़ा और कहा, "रवि में भी इसका स्वाद चखना चाहती हूँ." रवि ने बताया.

"एक बार तो मुझे लगा कि अपने शौक के अनुसार वो रीता की टाँगो के बीच कूद उसकी चूत को चूसेगी पर मेरे लंड को अपने मुँह मे ले उसने मुझे चौंका दिया. वो मेरे लंड को मसल्ने के साथ जोरों से चूसने लगी. मेरे लंड मे फिर से जान आते हुए एक बार फिर तन कर खड़ा हो गया." रवि ने कहा.

"फिर अनिता मेरे उपर चढ़ गयी और अपनी टाँगे मेरी कमर के अगल बगल रख उसने मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रख लिया. फिर मेरे लंड पर बैठते हुए उसने पूरा लंड अपनी चूत मे घुसा लिया. फिर वो रीता की तरह उछल उछल कर धक्के मारने लगी."

"जितनी जोरों से वो मेरे लंड पर उछल रही थी मुझे एक बार लगा कि कहीं उसे चोट ना लग जाए, पर वो और तेज़ी से मेरे लंड पर उठ बैठ रही थी." रवि ने बताया.
 
"आगे क्या हुआ?" रश्मि ने अपनी चूत को खुजलाते हुए पूछा.

"मेने देखा कि उसके चेहरे पर उत्तेजना के भाव थे और उसका शरीर अकड़ने लगा था. जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो वो इतनी ज़ोर से सिसकी, "ओह रिट्ट्टा असली लंड से छुउूउड़वाने मे इतन्णना माज़ा आता है मुझे नही मालूम था. ओह अयाया मेयरययेया तो छोओओओट गया."

"क्या तुम्हारा दुबारा पानी नही छूटा?" मेने पूछा.

"मुझे कई बार लगा कि मेरा पानी छूटने वाला है, पर हो सकता है कि आज मेरे लंड ने इतनी बार पानी छोड़ा है कि नही छूटा." रवि ने जवाब दिया.

"फिर क्या हुआ?" रश्मि एक बार फिर बोल पड़ी.

"मेरा लंड अभी भी खड़ा था, रीता ने एक बार फिर मुझ पर चढ़ कर चुदाई की. मेरा पानी अभी भी नही छूटा था. रीता मेरे लंड को अपने मुँह मे ले जोरों से चूसने लगी. जब मेरा छूटने का समय आया तो मेने रीता से कहा भी कि मेरे छूटने वाला है पर वो चूस्ति गयी और मेरे लंड ने उसके मुँह मे पानी छोड़ दिया." रवि गहरी सांस लेते हुए बोला. "फिर हमने अपने कपड़े ठीक किए और अपने अपने कमरे मे आ सो गये."

"ये तो कमाल हो गया. तो तुमने दोनो समलैंगिक लड़कियों को पूरा चुड़दकड़ बना ही दिया. में शर्त लगा सकती हूँ कि भविश्य मे वो नकली लंड की तरफ देखेंगी भी नही." रश्मि हंसते हुए बोली.

मेने तीनो से कहा, "खाने का समय हो रहा हो क्यों ना कपड़े बदल कर थोड़ी देर मे खाने के लिए रेस्टोरेंट मे चला जाए."

हम चारों कमरे मे आ अपने कपड़े बदले और नीचे रेस्टोरेंट मे आ गये. वहाँ हमारी मुलाकात प्रिया राजेश कंचन और बॉब्बी से हुई. हम सब साथ साथ खाना खाने लगे.

खाना खाना के बाद हम सब यानी आठ लोग साथ साथ घूमने निकल गये. हम सभी को काफ़ी मज़ा आया और आपस हम खुल भी गये थे.

घूमते घूमते जब हम थक गये थे तो एक गार्डेन रेस्टोरेंट मे चाइ नाश्ते के लिए बैठ गये. हम सब जब अपनी अपनी कुर्सियों पर बैठ गये थे तो मेने देखा कि प्रिया और कंचन की निगाहें रवि के खड़े लंड पर ही गढ़ी हुई थी.

रश्मि ने उन दोनो को रवि के लंड को घुरते देख लिया था. उसने अपना हाथ बढ़ा कर पॅंट की ज़िप खोलते हुए रवि के लंड को बाहर निकाल लिया और दोनो लड़कियों से बोली, "सही मे मस्त लंड है ना."

प्रिया और कंचन रश्मि की हरकत देख शर्मा गयी, प्रिया बोली, "मुझे नही मालूम था कि तुम हमे घूरते देख रही हो. सॉरी मुझे इस तरह नही घूर्ना चाहिए था."

रश्मि ने कंचन की तरफ देखा जिसने कोई जवाब नही दिया था, "कंचन क्या तुम इसे अपने हाथों मे पकड़ना चाहोगी?"

तभी रवि ने रश्मि के हाथ को झटक दिया और डाँटते हुए बोला, "रश्मि तुम भी हद करती हो. पहले इनकी झिझक तो ख़त्म होने दो. इन्हे हमारे साथ अड्जस्ट तो होने दो?"

प्रिया और राजेश ने फिर हमे बताया कि वो लोग एक स्विंगिंग क्लब के मेंबर है. वो लोग अक्सर नई जोड़ों के साथ रिज़ॉर्ट या किसी हिल स्टेशन पर जाते रहते है. ये यात्रा उनकी थोड़ी अलग है कारण कि कंचन और बॉब्बी पहली बार स्विंगिंग कर रहे है.

रश्मि अपने आपको रोक ना पाई और पूछा, "तो अब तक तुम चारों के बीच कैसा चल रहा है?"

प्रिया ने जवाब दिया, "अभी तक तो सब ठीक चल रहा है. में और बॉब्बी पार्ट्नर बने हुए है और कंचन राजेश के साथ. अब ये लोग आगे भी नई प्रयोग करने के लिए तय्यार है."

"अब तक तुम लोगों ने आपस मे क्या क्या किया? मेरा मतलब है कि सीधी सादी चुदाई की है या, लड़की लड़की, थोड़ी चूसा, गांद मारना या समहुक चुदाई." रश्मि ने आगे पूछते हुए कहा.

तभी राज बीच मे बोल पड़ा, "रश्मि अपने मतलब से मतलब रखो. तुम्हे ये पूछने का कोई हक़ नही है."

"नही इसे पूछने दो कोई बात नही." प्रिया ने कहा, "अभी तक तो सीधी चुदाई चल रही है सिर्फ़ थोड़ी बहोत चूसैई के साथ. रश्मि तुम्हे क्या पसंद है?"

प्रिया का प्रश्न सुनकर हम सभी चौंक पड़े और समझ गये की आगे क्या होने वाला है. रश्मि मुस्कुरई और कहने लगी, "प्रिया चुदाई मे ऐसी कोई चीज़ नही है जो पसंद ना हो. में चूस्ति भी खूब हूँ और चूसवाने में भी मज़ा आता है. मुझे दो तीन, हर छेद मे एक साथ लंड लेने मे मज़ा आता है, मुझे दूसरी औरत के साथ भी उतना ही आनंद आता है. और बता दू तुम्हे की जब रवि अपना मूसल लंड मेरी गंद मे पेलता है तो मुझे जन्नत का मज़ा आ जाता है."

हम सब प्रिया के चेहरे की ओर देखने लगे शायद रश्मि की बात सुनकर उसके चेहरे पर कोई प्रतिक्रिया आए, पर उसने खुद को संभाले रखा और सिर्फ़ मुस्कुरा दी.

"रश्मि तुम और राज हमारे क्लब के अच्छे मेंबर बन सकते हो. हमारे यहाँ कई जोड़े है जो तुम्हारी तरह चुदाई का पूरा मज़ा उठना जानते है, वो सब कुछ वो करेंगे जो तुम करने के लिए कहोगे." प्रिया आत्मविश्वास भरी आवाज़ मे बोली.

तभी बॉब्बी बोल पड़ा, "अगर तुम चारों आज हमारे साथ हमारे कमरे मे स्विंगिंग करो तो कैसा रहेगा."

"में तय्यार हूँ आने के लिए." रश्मि खुश होती हुई बोली.

"ये तो आश्चर्य की बात है." रवि रश्मि को चिढ़ाने के अंदाज़ मे बोला.

मेने राजेश और बूबी की ओर देखते हुए कहा, "मुझे लगता है हम सभी को मज़ा आएगा."

मेने देखा की राजेश और बॉब्बी की निगाहें रश्मि के शरीर को छेड़ रही थी. वो दोनो शायद मन ही मन रश्मि के शरीर के साथ करने की सोच रहे थे जो उन्हे उनकी बीवियाँ करने को नही देती.

"कंचन तुमने अपनी राई नही बताई, क्या तुम अदला बदली के लिए तय्यार हो?" रवि कंचन के शरीर को उपर से नीचे घूरते हुए बोला.

"में तय्यार तो हूँ पर गंद मे लंड नही लूँगी." कंचन अपनी बात पर ज़ोर देते हुए बोली.

तभी प्रिया ने कहा, "जब हम अदला बदली करेंगे तो कोई भी इंसान अपने साथी की मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नही करेगा. क्या सबको मंज़ूर है."

सभी ने प्रिया की बात को मान लिया. इसका बाद ये तय हुआ कि सभी लोग उनके कमरे मे खाना खाने के बाद मिलेंगे. पूरी शाम हम बातें करते रहे साथ ही ड्रिंक्स का भी आनंद लेते रहे. हर इंसान के दिलो दिमाग़ मे रात की पार्टी का ही ख़याल चल रहा था.

पार्टी अदला बदली की

रात का खाना हम सभी ने मिलकर खाया. खाने के साथ सभी दो दो ड्रिंक्स भी ले ली थी. फिर सभी अपने अपने कमरे मे कपड़े बदलने चले गये.

मैं, राज, रश्मि और रवि कपड़े बदलकर हमारे नए दोस्तों के सूयीट मे पहुँचे. उन चारों ने हमारा स्वागत किया. हमने देखा कि वो चारों नंगे थे. हमने भी अपने कपड़े उतारे और एक कोने मे रख दिए.

प्रिया ने सभी लिए ड्रिंक्स बनाई और सबको पकड़ा दी, "आप सब शुरुआत कैसे करना चाहेंगे. मेरी चूत तो रवि का लंड लेने के लिए उत्तावली हो रही है."

हम सभी ने अपने साथी चुन लिए और ये तय किया की पहले सीधी साधी चुदाई करेंगे और समय के साथ ही आगे की सोचेंगे. मैं राजेश के साथ थी, रश्मि बॉब्बी के साथ और कंचन राज के साथ.

कमरे मे दो ही बिस्तर थे, इसलिए दो जोड़े बिस्तर पर चढ़ गये और दो ज़मीन पर. में राजेश के साथ एक बिस्तर पर थी और वो मेरे उपर लेट कर 69 अवस्था मे आ गया.

"चुदाई से पहले थोड़ा खेलने मे मज़ा आता है." कहकर उसने मेरी चूत को अपने मुँह मे भर चूसने लगा.

मेने भी उसका साथ देते हुए उसका 8' इंची लंड को अपने मुँह मे ले लिया. हम थोड़ी देर तक एक दूसरे के अंगों से खेलते रहे. जब चुदाई का समय हुआ तो वो मेरे शरीर पर घूम सा गया और अपना लंड मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगा.
 
शुरुआत मे वो धीमे और छोटे धक्के मार रहा था. पर जैसे ही वो तेज़ी पकड़ने लगा मेरे मुँह से तेज सिसकारियाँ फूटने लगी. उसका हर धक्का पहले धक्के से तेज और ज़ोर का होता था.

राजेश का लंड जब मेरी चूत की दीवारों की धज्जियाँ उड़ाते हुए मेरी बच्चे दानी पर ठोकर मारता तो में ज़ोर से सिसक पड़ती. वो एक जंगली जानवर की तरह मुझे चोदे जा रहा था और मेरी सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी.

में उसके हर धक्के के साथ अपने समय के करीब आ रही थी और जोरों से चिल्लाने लगी, "राआाजएसस्स्स्सश चूऊऊदो मुझे हााआअँ और जूऊरों से राआजेश ओह और जूओर से राआजेश मेरा छूटने वाला है." मैं उसे अपने से और जोरों से चिपकाते हुए बड़बड़ा रही थी.

"हाां प्रीईटी चूओद दूओ अपनाा पानी. नहल्ल्ल दो मेरे लुन्न्ञन्द को आअपँे प्ाअनी से. मेरीईए लुंद्ड़द्ड के लिईईए झाड़ जाओ." कहकर वो और जोरों से धक्के पे धक्के मार रहा था.

राजेश जितनी ताक़त से मुझे चोद सकता था चोदे जा रहा था और मेरी चूत पानी पे पानी छोड़े जा रही थी. उत्तेजना मे मेरा शरीर काँप रहा था. मेने अपनी टाँगे उसकी कमर मे लपेट रखी थी और अपने हाथों के नाख़ून उसकी पीठ पर गढ़ा रही थी.

जब मेरी चूत ने सारा पानी छोड़ दिया तो राजेश ने मुझे पलटा कर घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी छूट मे लंड पेल दिया. इस अवस्था मे बाकी के तीन जोड़ों को भी देख सकती थी. एक जोड़ा मेरे बगल की बिस्तर पर था और दो बाकी ज़मीन पे. मैं अपनी उत्तेजना मे इतनी खोई हुई थी कि में इन सब को एक बार के लिए भूल सी गयी थी.

मेने दूसरे बिस्तर पर देखा प्रिया अपनी टाँगे फैलाए थी और रवि उसकी टाँगो के बीच हो उसे चोद रहा था.

प्रिया इतनी जोरों से सिसक रही थी, "ओह रवीीईईईई तुम्हारा लुंदड़ तो मेरी चूऊओट को गहराइयोंन्णणन् तक जाअ रहा है. ओह कितना मज़्ज़ा एयेए रहाा है हाआँ चूओड़ो मुझे और ज़ोर से. मेराअ छूटने वाला हाीइ तुम रुकना नाहहीी बस चूऊदे जाऊओ ओह." और शायद एक बार फिर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.

रवि अपने आप पर कंट्रोल करते हुए प्रिया को चोदे जा रहा था. मैं जानती थी कि रवि को प्रिया की गंद मारनी है, पर मुझे शक़ था कि शायद ही प्रिया उसे अपना लंड गंद मे घुसाने देगी.

मेने नीचे ज़मीन पर देखा, राज कंचन की चूत मे पीछे से लंड डाले हुए है और साथ ही अपने एक हाथ की उंगली भी चूत मे डाल रखी है. दूसरे हाथ से वो उसकी छोटी चुचियों का मसल रहा था. कंचन ने अपनी आँख बंद कर रखी थी और चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी.

दूसरी और बॉब्बी रश्मि को उपर चढ़ा उसे चोद रहा था. रश्मि के शरीर को देख के लगता था कि उसका भी पानी छूटने वाला था. मैं जानती थी रश्मि इतनी चुड़क्कड़ है कि अगर और कोई वक़्त होता तो वो अकेले ही इन चार मर्दों को झेल लेटी पर आज उसे इन मर्दों को तीन औरतों के बीच बाँटना पड़ रहा है. बॉब्बी ने ज़ोर के धक्के लगाते हुए अपना पानी उसकी चूत मे छोड़ दिया. रश्मि उसे देख मुस्कुराने लगी.

अचानक रश्मि ने बॉब्बी से पूछा, "बॉब्बी क्या तुम अपना लंड मेरी गंद मे घुसाना चाहोगे?"

बॉब्बी हैरत भरी नज़रों से रश्मि को देख रहा था. रश्मि ने उसे उकसाते हुए कहा, "क्या सोच रहे हो? तुम खुद मेरी गांद मारना चाहते हो है ना. ज़रा सोचो जब तुम्हारा लंड मेरी गंद मे पिचकारी छोड़ेगा तो तुम्हे कितना मज़ा आएगा और जब में अपनी गंद को सिकोड तुम्हारे लंड की एक एक बूँद चूस लूँगी तब कैसा लगेगा."

पर बॉब्बी के चेहरे से लग रहा था कि फिलहाल उसमे ताक़त नही थी रश्मि की गंद मारने की. वो उसके बगल मे लेट सुस्ता रहा था. उसकी हालत देख रश्मि मुस्कुरई और उसके मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.

पर शायद इतना ही बॉब्बी के लिए बहोत था, "नही रश्मि अभी रहने दो रूको थोड़ी देर."

रश्मि उससे अलग हट अपने पति राज और कंचन के पास आ गयी. उसने राज की उंगलियाँ उसकी चूत से बाहर निकाल दी और अपने आप को इस अवस्था मे कर लिया कि वो उसकी चूत चूस सके.

"कंचन अगर में तुम्हारी चूत चूसू तो तुम्हे कोई ऐतराज़ तो नही?" रश्मि ने हंसते हुए कहा.

रश्मि अब कंचन की चूत चूस रही थी. वहीं राज उसकी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था. थोड़ी ही देर मे राज ने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया. वो तब तक धक्के मारता रहा जब तक की उसका लंड मुरझा कर मुलायम ना हो गया.

राज ने अपना लंड कंचन की चूत से बाहर निकाला और अपनी पत्नी के खुले मुँह मे दे दिया. थोड़ी देर अपने पति का लंड चूसने के बाद रश्मि ने फिर कंचन की चूत चूसनी शुरू कर दी. कंचन एक बार फिर गरमा गयी और उसने रश्मि का सिर पकड़ अपनी चूत पे दबा दिया. थोड़ी ही देर मे उसकी चूत ने एक बार फिर रश्मि के मुँह मे पानी छोड़ दिया.

तभी रवि की चिल्लाने की आवाज़ आई, "ओह प्रिया मेराा चूओटने वाला है. हाआँ और मेरे लंड को अपनी चूओत मे ले लो. में तुम्हारी चूत आज अपने रस से भर दूँगा."

"नही अपना पानी मेरी चूओत मे मत छोड़ना, मेरा उपर मेरे शरीर पर छोड़ना, में तुम्हारे वीर्य की पिचकारी अपने शरीर पर महसूस करना चाहती हूँ." प्रिया उसे रोकते हुए चिल्लाई.

रवि ने अपना मोटा और लंबा लंड प्रिया की चूत से बाहर निकाल लिया और उसपर झुकते हुए अपने लंड का निशाना उसके चेहरे की ओर कर दिया. फिर लंड को ज़ोर से मुठियाने लगा, तभी एक ज़ोर की पिचकारी उसके लंड से निकाल प्रिया के चेहरे पर गिरी.

प्रिया उस वीर्य को अपनी हथेली से अपने चेहरे पर रगड़ ही रही थी कि दूसरी पिचकारी उसकी चुचियों पर और तीसरी उसके पेट पर गिरी. रवि ने अपने वीर्य से उसे पूरी तरह नहला दिया था. रवि ने पूरा पानी निचोड़ने के बाद एक बार फिर उसकी चूत मे अपना लंड घुसा उसे चोदने लगा.

"ऑश देखो मेरा शरीर पूरा वीर्य से नहा गया है. क्या मज़े का वीर्य स्नान किया है मेने." प्रिया ज़ोर से चिल्लाई और पूरे शरीर पर रवि का वीर्य मसल्ने लगी.

इस नज़ारे ने राजेस को काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. उसने मेरे कूल्हे पकड़ दो चार कस के धक्के मारे और अपना पानी मेरी चूत मे छोड़ दिया. में जोरो से अपनी चूत को रगड़ अपना पानी भी छोड़ दिया. हम दोनो निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े. पूरे कमरे मे चुदाई का महॉल छाया हुआ था.

हम सब सुस्ताने लगे और अपनी अपनी उखड़ी सांसो पर काबू पाने की चेस्टा कर रहे थे. थोड़ी देर बाद हम सब फिर अपने अपने जोड़े बनाने लगे.

"इस बार में कंचन को चोदुन्गा." रवि ने कहा.

हम सब रवि और कंचन की ओर देखने लगे.

"ना बाबा ना, मेरी चूत तो इसके लंड से फॅट ही जाएगी, में नही चुदवाति इससे." कंचन थोडा हंसते हुए बोली.

"अरे डरती क्यों हो कंचन, क्या प्रिया की चूत फॅट गयी है. देखो में धीरे धीरे करूँगा प्रॉमिस." रवि कंचन की चुचियाँ छेड़ते हुए बोला.

आख़िर कंचन मान गयी. में इस बार बॉब्बी के साथ थी, रश्मि राजेश के साथ और प्रिया राज के साथ.
 
रवि ने कंचन को अपनी गोद मे उठाया और बिस्तर पे लेजाकार लिटा दिया. हम सब ने बिस्तर के चारों और एक घेरा सा बना लिया और कंचन और रवि की चुदाई देखने लगे. हम देखना चाहते थे कि रवि का मूसल जैसा लंड कंचन की नाज़ुक और मुलायम और छोटी चूत मे कैसे घुसता है

रवि कंचन की टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. वो अपने लंड से छूटे पानी से उसकी चूत को चारों और से गीला कर रहा था. कंचन की चूत हल्की रोशनी मे पानी से गीली हुई एक दम जगमगा रही थी.

रवि के लंड की रागड़ाई से कंचन भी गरमा गयी, उसने अपनी उंगलियों से अपनी चूत का मुँह फैलाया, "रवि अब डाल दो मेरी चूत मे पर ज़रा धीरे धीरे डालना प्लीज़."

रवि ने अपने लंड का सूपदे उसकी चूत पर लगाया और अंदर घुसा दिया. फिर थोड़ा सा बाहर खींच हल्का धक्का लगाया तो उसका आधा इंच लंड अंदर घुस गया. यही क्रिया दोहराते हुए उनसे अपना लंड आख़िर पूरा उसकी चूत मे घुसा दिया.

रवि ने अपने शरीर का वजन कंचन के शरीर पर नही डाला था. वो चाहता था कि कंचन उसके लंड की आदि हो जाए तो ज़ोर के धक्के लगाए. रवि के लंड ने कंचन की चूत को अंदर से इतना चौड़ा कर दिया था कि एक बार तो कंचन का शरीर कांप उठा. रवि अब धीरे धीरे उसकी चूत मे लंड अंदर बाहर कर रहा था. हम सब बड़ी गौर से इन दोनो की चुदाई देख रहे थे.

थोड़ी ही देर मे कंचन को भी मज़ा आने लगा, वो जोरों से सिसकने लगी, "ओह हााआअँ रवीिइ तुम्हारा लुंद्ड़द्ड मे सहियीई कांमाअल का है. देखूूओ कैसे मेरी चूऊओट की धज्जियाँ उड़ा रहा है. हाआँ चूऊड़ो मुझे और जूऊरों से हाां चूवड़ते जाओ मेरे रजाअ."

रवि ने अब अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी. वो ज़ोर ज़ोर की ठप लगा कंचन को चोद रहा था. कंचन भी अपने कूल्हे उछाल उसका साथ दे रही थी. दोनो की चुदाई इतनी भयंकर थी कि पता नही कंचन कितनी बार झड़ी होगी. थोड़ी ही देर मे रवि ने अपना वीर्य उसकी चूत मे छोड़ दिया.

थोड़ी ही देर मे रवि थक कर कंचन के शरीर पर गिर पड़ा और और करवट बदलते हुए कंचन को अपने उपर कर लिया. उसका लंड अब भी उसकी चूत मे घुसा हुआ था. जब उसका लंड मुरझाया तो अपने आप ही उसकी चूत से बाहर निकल गया. कंचन जब उसके शरीर से उठने की कोशिश की तो रवि का वीर्य उसकी चूत से टॅप टॅप गिरने लगा ऐसा लगा की कंचन ही झाड़ रही है.

"हे भगवान इसका लंड है या मूसल, मेरी चूत का तो बजा बजा दिया इसने." कंचन उसके बगल मे गिरते हुए बोली.

हम सब रवि और कंचन की चुदाई देख इतना गरमा गये की सब अपने साथ के साथ चुदाई मे व्यस्त हो गये. बॉब्बी मुझे कुतिया बना पीछे से चोदना चाहता जिसका मेने कोई विरोध नही किया और उसने पीछे अपना लंड मेरी चूत मे डाल दिया.

राज प्रिया, राजेश और रश्मि ज़मीन पर जम गये. राज अपना लंड प्रिया की चुचियों मे फँसा उसकी चुचियों को चोदना चाहता था.

"अगर तुम मेरी चुचियों मे अपना लंड फँसा चोदोगे तो मेरी चूत की प्यास कौन बुझाएगा?" प्रिया ने राज से पूछा.

"उसकी तुम चिंता मत करो, में तुम्हारी चूत का ख़याल रखूँगी." रश्मि ने कहा.

"किसी हाल मे भी नही." प्रिया ने कहा.

"क्यों नही, आज तक किसी ने मुझसे शिकायत नही की है. तुम कंचन से पूछ सकती हो कि जब मेने उसकी चूत चूसी थी तो उसे मज़ा आया था कि नही" रश्मि ने कहा.

प्रिया ने कंचन की तरफ देखा तो पाया कि वो हां मे अपनी गर्दन हिला रही थी.

"वो क्या है ना रश्मि, मेने आज तक किसी औरत के साथ सेक्स नही किया है इसलिए मना कर रही थी." प्रिया ने कहा.

"तुम ज़्यादा मत सोचो अपनी चुचियाँ मेरे पति के हवाले कर दो और चूत मेरे. फिर देखो तुम्हे दोहरा माज़ा आता है की नही." रश्मि उसकी चुचियों पर हाथ फेरते हुए बोली.

प्रिया पीठ के बल बिस्तर पर लेट गयी और राज प्रिया के पेट पर बैठ गया. फिर उसने अपना लंड उसकी चुचियों के बीच डाल दिया और उसकी चुचियों को अपने लंड के गिर्द दबा दिया.

रश्मि प्रिया की टाँगो के बीच घुटनो के बाल बैठ गयी और उसकी चूत से खेलने लगी.

राजेश रश्मि के पीछे आ गया और उसके कुल्हों पर हाथ फिराने लगा, "अपने किस छेद मे लंड लेना पसंद करोगी रश्मि?" राजेश ने पूछा.

"पहले अपना लंड मेरी चूत मे डालकर चोदो. जब तुम्हारा लंड पूरी तरह गीला हो जाए तो उसे मेरी गंद मे डाल देना." रश्मि ने उसे बताया.

राज अब कंचन की चुचियों को चोद रहा था और रश्मि उसकी चूत को चूस रही थी. राजेश रश्मि के कूल्हे मसल्ते हुए उसकी चूत मे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था.

रश्मि की चूत शायद पहले से ही काफ़ी गीली हो चुकी थी इसलिए राजेश ने कब अपना लंड उसकी चूत से निकाल उसकी गंद मे डाल दिया था किसी को पता ही नही चला.

"रश्मि डार्लिंग, तुम्हारी गांद बड़ी शानदार है, अगर तुम अपनी गंद मेरे लंड को इसी तरह भींचती रही तो में अपने आपको ज़्यादा देर तक नही रोक सकूँगा." राजेश ज़ोर के धक्के लगाते हुए बोला.

पर राजेश को समझ मे आ गया कि हालत उसके वश मे नही बल्कि पूरी तरह से रश्मि के वश मे थे. वो अपने गंद की मांसपेशियों से उसके लंड को जकड़े हुए थी और वही प्रिया का शरीर रश्मि की जीभ के इशारों पर मचल रहा था.
 
मैं प्रिया की हालत का आंदज़ा लगा सकती थी क्यों की कुछ दिन पहले ही रश्मि ने मेरी चूत चूस मुझे औरत के साथ सेक्स का अनुभव दिया था. रश्मि एक कुशल चूत चूसू थी बल्कि ये कहना चाहिए कि चुदाई के मामले मे वो पूरी तरह निपूर्ण थी.

बॉब्बी ने पीछे से मेरी चूत मे अपना लंड मेरी चूत मे डाल मुझे चोद रहा था. हम दोनो ज़मीन पर नज़ारा देख रहे थे. वहीं दूसरे बिस्तर पर कंचन घोड़ी बनी हुई थी और रवि पीछे से उसे चोद्ते हुए नीचे ज़मीन का नज़ारा देख रहा था.

थोड़ी देर में राज चिल्लाया की उसका छूटने वाला है और उसने अपना वीर्य प्रिया की चुचियों पर छोड़ दिया.

वहीं राजेश का शरीर आकड़ा और उसने अपना वीर्य रश्मीं की गांद मे छोड़ दिया. रश्मि उसके लंड को जकड़े हुए उसके लंड की एक एक बूँद को अपनी गंद मे निचोड़ने लगी.

प्रिया भी उत्ट्तेजना की चरम सीमा पर थी, उसने रश्मि का सिर पकड़ा और अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया, "हे भाआगवान रश्मि तुम कमाल की हो चूवसो मेरी चूऊऊथ को और मेरा पााअनी फिर से चूऊड़ा दो."

बॉब्बी मुझ पर झुक सा गया और मेरे कान मे फुसफुसाया, "प्रीति तुम्हारी गांद मारने का दिल कर रहा है क्या में तुम्हारी गंद मे अपना लंड डाल सकता हूँ?"

"नहीं बॉब्बी आज की रात नही, मेरा मन नही है गंद मरवाने का, ऐसा करो तुम रश्मि की गंद मार लो वो हमेशा तय्यार रहती है." मेने जवाब दिया.

बॉब्बी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाला और ज़मीन पर नीचे रश्मि के पीछे आ गया. उसने अपना लंड उसकी गंद के छेद पर लगाया और अंदर घुसा दिया. रश्मि ने उसके लंड का स्वागत करते हुए वो ही प्रक्रिया दोहराई जो उसने राजेश के लंड के साथ की थी.

थोड़ी देर बाद बॉब्बी चिल्ला उठा, "ऑश रश्मि मेरा छूटने वाला है और में तुम्हारी गांद अपने पानी से भर दूओंगा." उसका शरीर आकड़ा और उसने रश्मि की गांद को अपने वीर्य से भर दिया.

रश्मि ने जैसा राजेश के साथ किया था वैसे ही करते हुए बॉब्बी के लंड की एक एक बूँद निचोड़ ली. बॉब्बी निढाल होकर ज़मीन पर लुढ़क गया और रश्मि प्रिया की चूत को अपनी जादू भरी ज़ुबान से चूसे जा रही थी.

"बस रश्मि रुक जाओ, मुझसे और नही सहा जाता अब में बर्दाश्त नही कर सकती." जैसे ही प्रिया की चूत ने पानी छोड़ा वो गिड़गिदने लगी.

रश्मि प्रिया के ओर देखा कर मुस्कुरई और उससे पूछा, "कैसा लगा, अब तो तुम्हे मेरी बात पर विश्वास है ना?"

"रश्मि वाकई तुम कमाल की हो, सिर्फ़ चूसने से मेरी चूत ने जितना पानी आज छोड़ा है इसके पहले कभी नही छोड़ा." प्रिया ने जवाब दिया.

हम चारों ने अपने कपड़े संभाले और अपने नए दोस्तों को अलविदा कहा. हमने उनसे वादा किया कि कल ज़रूर मिलेंगे कहते हुए हम अपने कमरे मे वापस आ गये.

कमरे मे वापास आते ही में और रवि एक बिस्तर पर चले गये और राज और रश्मि दूसरे बिस्तर पर. रवि ने उस रात एक बार फिर मेरी चुदाई की और वहीं राज ने अपनी पत्नी की गांद चोद कर अपना वीर्य उसकी गंद मे उंड़ेल दिया.

पूरी तरह थक कर कर चूर हम चारों सो गये. में अपनी आँखे बंद कर सोच रही थी कि कल हमारे नये दोस्तों के साथ क्या होगा और क्या इस यात्रा मे और नए दोस्तों का साथ लिखा है.

टू बी कंटिन्यूड……………
 
गतान्क से आगे......

हनिमून का पाँचवाँ दिन

दूसरे दिन सुबह मेरी आँख खुली तो मुझे बहोत अछा लग रहा था. पिछली रात मेने काफ़ी एंजाय किया था और अपने आप पर कंट्रोल रखा था. तभी मुझे एहसास हुआ कि मैं बिस्तर पर अकेली हूँ. मेने नज़रे घुमा दूसरे बिस्तर पर देखा कि रवि मेरे बेटे राज और उसकी पत्नी और मेरी बहू रश्मि के साथ था. रश्मि रवि के उपर लेट उसे चोद रही थी और पीछे से राज उसकी गंद मार रहा था.

मैं सोचने लगी कैसी बच्चे है, कभी सेक्स से थकते ही नही. में बिस्तर से उत्तरी और नहाने चली गयी, जबकि वो तीनो अभी भी बिस्तर मे ही थे. मैं शवर के नीचे गरम पानी का मज़ा ले रही थी कि रश्मि बाथरूम मे आ गयी और मेरे साथ ही नहाने लगी.

"मेरी चूत और गंद मे इतना वीर्य भरा हुआ है, मेरी समझ मे नही आता कि रवि के लंड मे इतना वीर्य आता कहाँ से है, शायद उसने कोई वीर्य बनाने की मशीन लगा रखी है." रश्मि हंसते हुए बोली.

"हां सही मे उसके शरीर की ताक़त कमाल की है." मेने कहा.

रश्मि ने अपनी चूत और गंद से वीर्य अछी तरह धोया. हम साथ ही शवर के नीचे नहा रहे थे रश्मि ने अपना ध्यान मेरी ओर किया और मेरे शरीर पर साबुन मलने लगी.

"क्यों ना हम एक दूसरे के शरीर पर साबुन लगाए." रश्मि ने कहा.

मैं उसके शरीर पर साबुन लगाने लगी और रश्मि साबुन लगाते हुए अपने हाथ मेरे पूरे शरीर पर फिराने लगी. में उत्तेजित हो रही थी पर मैने रश्मि को रोक दिया, "रश्मि अभी रहने दो अभी तो पूरा दिन पड़ा है."

रश्मि मेरी बात मान गयी और हम दोनो नहा कर बाहर आ गये. रवि और राज ने भी स्नान कर लिया और हम कपड़े पहन नीचे नाश्ता करने आ गये.

आज हमे काफ़ी देर हो गयी थी नीचे आते आते सो मेने कहा, "क्यों ना आज हेवी नाश्ता कर लिया जाए और खाने की छुट्टी कर दी जाए. थोड़ी देर मे प्रिया राजेश कंचन और बॉब्बी भी आ गये और हमारी टेबल पर बैठ गये.

खाने के बाद हम सब घूमने निकल गये. घूमते हुए भी चर्चा का विषय चुदाई ही था. प्रिया और कंचन ने बताया कि रश्मि के साथ सेक्स करते हुए कितना मज़ा आया. इसके पहले उन्होने कभी किसी औरत के साथ चुदाई नही की थी. फिर राजेश और बॉब्बी ने बताया कि किस तरह उन्होने रश्मि की गंद मारी. दोनो ने अपनी जिंदगी मे पहली बार किसी की गंद मारी थी.

"ओह तो तुम दोनो का गंद मारने का ये पहला मौका था. फिर तो इसके लिए तुम्हे रश्मि का शुक्रिया अदा करना चाहिए." रवि ने कहा.

दोनो ने रश्मि का शुक्रिया अदा किया तो रश्मि ने झुक कर उनका अभिवादन किया. फिर प्रिया ने बताया कि किस तरह सुबह वो और कंचन ने 69 की अवस्था मे लेट एक दूसरे की चूत चूसी.

"देखा मेने पहले ही कहा था कि तुम दोनो को मज़ा आएगा. आज से अदला बदली मे एक नई चीज़ जुड़ गयी तुम दोनो के साथ." रश्मि बोली, "तुममे से अगर कोई मेरी चूत चूसना चाहता है तो में हमेशा तय्यार हूँ, मुझे बता देना."

प्रिया और रश्मि दोनो शर्मा गयी, प्रिया बोली, "अभी नही बाद मे देखते है."

वो चारों की इस बात मे ज़्यादा दिलचस्पी थी कि हम साथ साथ कैसे हुए कि साथ मे सफ़र कर रहे है और एक दूसरे के साथ चुदाई कर रहे है. मेने रवि, राज और रश्मि की तरफ देखा कि कहाँ से शुरू किया जाए.

राज बीच मे टपकता बोला, "में आपलोगों को हमारी कॉलेज की दिनो से बताता हूँ."

राज ने उन्हे माला, रवि और अपने रिश्ते के बारे मे बताया. फिर किस तरह रश्मि से उसकी पहचान हुई और रवि उनके साथ हो लिया. उसने इतनी बारीकी से अपने रश्मि और रवि के रिश्ते के बारे मे बताया कि में भी हैरान रह गयी.

उसने बताया कि किस तरह रवि उसकी गंद मारता था और रश्मि उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूस्ति थी. फिर वो रवि की गंद मारता था और रश्मि अपनी कमर पर डिल्डो बाँध उसकी गंद मारती थी.

रश्मि बीच उछलते हुए बोली कि उस किस तरह दो या तीन लंड से साथ साथ चुदाई करने मे मज़ा आता था. उसने बाते की उसने और राज ने शादी के पहले ही सोच लिया था कि किसी चौथे इंसान को हनिमून पर साथ ले चलेंगे.

उसने बताया कि फिर जब प्रीति हमारे साथ खुल गयी तो किसी और को साथ लाने का सवाल ही नही उठता था.

प्रिया, कंचन, राजेश और बॉब्बी के मुँह से एक शब्द ना निकला, वो रवि राज और रश्मि की कहानी सुनते रहे. चारों अचंभित मुद्रा मे उनकी बात सुन रहे थे, फिर बॉब्बी बोला, "मुझे मालूम था कि तुम लोग सामूहिक चुदाई करते हो पर तुम्हारी चुदाई का अंदाज़ इतना भयंकर होगा ये नही मालूम था."

बॉब्बी कुछ देर शांत रहा फिर राज से पूछा, "क्या तुम्हे सही मे लंड चूसने और गंद मरवाने मे मज़ा आता है?"

"हां ये सब मुझे अछा लगता है," राज ने जवाब दिया फिर उनसे पूछा, "क्या तुम दोनो ने कभी किसी मर्द के साथ चुदाई की है, मेरा मतलब किसी का लंड चूसा हो या गंद मारी हो. क्यों ना करके एक बार इसका भी अनुभव ले लेते हो."

राजेश और बॉब्बी एक दूसरे को अजीब सी नज़रों से देखते रहे फिर राजेश बोला, "मेने कभी इस विषय पर सोचा नही है ना ही मुझे कभी ऐसा मौका लगा."

"मेने भी कभी नही सोचा आज तक." बॉब्बी भी बोला.

"एक बार कोशिश करके देखना चाहिए." रवि ने कहा, "और में दावे के साथ कहता हूँ कि तुम दोनो को मज़ा आएगा."

"हां तुम लोगों को एक बार आजमाना चाहिए और तुम लोगो को देख कर तो ऐसा लगता है कि तुम अभी से तय्यार हो." रश्मि ने कहा.

रश्मि की बात सही थी. राजेश और बॉब्बी के लंड पॅंट के अंदर खड़े हो गये थे. इतनी सब सेक्सी बातों ने उन्हे उत्तेजित कर दिया था पर वो अब भी सॅमलिंग चुदाई के लिए तय्यार नही थे. दोनो ने शर्मा कर अपने हाथ पॅंट के उपर रख लिए जिससे उनका खड़ा लंड दिखाई ना दे.

प्रिया ने बातचीत के विषय को बदलते हुए मुझसे पूछा कि मैं किस तरह रवि रश्मि और अपने बेटे के साथ जुड़ गयी.

मेने उन तीनो को बताया कि किस तरह मेने चुप कर राज को रवि का लंड चूस्ते देखा फिर रवि ने राज की गंद मारी. दूसरी बार मेने रश्मि को इनके साथ सामूहिक चुदाई करते देखा. फिर मेने दोनो को रश्मि को साथ साथ चूत और गंद मे चोद्ते देखा.

"हे भगवान प्रीति, तुम किस तरह अपने आपको ये सब नज़ारा देख कर रोक पाई, मैं होती तो उसी वक़्त उनके साथ हो जाती." प्रिया ने कहा.

"हां मेने अपने आप पर काबू रखा कारण मैं अपने ही बेट एके सामने शर्मिंदा नही होना चाहती थी, मेने सोच लिया था कि चुप रह कर बाद में अपने कमरे मे मुठिया लूँगी." मेने जवाब दिया.

"हां पर वो इतना भी शांत नही खड़ी थी, मेने इसे हमे देखते पकड़ लिए था." रवि ने कहा.

फिर मेने अपनी कहानी जारी रखते हुए सबको बताया कि किस तरह एक दिन रवि ने मुझे बहका लिया. फिर मेने बताया कि किस तरह पहले तो रश्मि हमारे साथ शामिल हो गयी और एक दिन मेरी उत्तेजना और मदहोशी का फ़ायदा उठाते हुए मेरे बेटे राज को भी इसमे शामिल कर लिया.

मेने बाते की किस तरह की किस तरह उस दिन मेरे बेटे ने मेरी गंद मारी जब रश्मि मेरी चूत चूस रही थी, और रवि मेरे मुँह को चोद रहा था. फिर मेने उन्हे अपनी दोहरी चुदाई के बारे में बताया कि किस तरह रवि ने मेरी चूत मे लंड डाला था और राज ने मेरी गंद मे.

"जब एक बार में इन तीनो के साथ चुदाई कर चुकी थी, तो हम सब बराबर साथ साथ मे चुदाई करने लगे. फिर जब राज ने मुझे अपने हनिमून पर साथ चलने को कहा तो में मान गयी, आगे की कहानी आप सबको मालूम ही है." मैने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा.

"यार ये हक़ीक़त है या कोई कहानी, मुझसे तो अपना लंड संभाले नही जा रहा." राजेश अपने लंड को सहलाते हुए बोला.

"मेरी भी हालत कुछ ऐसी ही है." बॉब्बी भी बोला.

"अगर ऐसी बात है तो में तुम्हारी मदद कर सकता हूँ, चलो होटेल वापस चलते है." राज ने कहा.

"मान जाओ तुम दोनो," रवि ने कहा, "और ये दावा है तुम दोनो पछताओगे नही."

"हां तुम दोनो मान क्यों नही जाते," प्रिया ने उन्हे उकसाया.
 
राजेश और बॉब्बी दोनो दुविधा मे थे कि माने की ना माने. ये सही था कि दोनो का मर्द के साथ चुदाई करने का पहला अवसर था पर वो दोनो इतने ज़्यादा गरमा चुके थे कि ना नही कर पाए. दोनो होटेल वापस जाने को तय्यार हो गये.

"में ये नज़ारा अपनी आँखों से देखना चाहती हूँ." प्रिया उछलते हुए बोली.

हम सब लोग होटेल वापस आगाये. में रवि और रश्मि नीचे लॉन मे ही बैठ गये और वो सब कमरे की ओर बढ़ गये. अभी तक कंचन ने कोई प्रतिक्रिया नही जताई थी पर वो भी प्रिया की पीछे पीछे हो ली.

करीब एक घंटे के बाद सब लौट कर लॉन मे आ गये. मेने देखा कि राजेश और बॉब्बी के चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी और राज धीरे धरिए मुकुरा रहा था. प्रिया और कंचन का चेहरा उत्तेजना मे लाल हो रहा था.

"कहो कैसा रहा?" रवि ने दोनो से पूछा.

राजेश और बॉब्बी के मुँह से कोई बोल नही फूटा पर राज ने कहा, "माज़ा आ गया, राजेश ने मेरी गांद मारी और मेने बॉब्बी का लंड चूमा. दोनो ने मुझे वीर्य से भर दिया, अब में ज़रा स्विम्मिंग पूल मे स्नान करके आता हूँ." कहकर राज स्विम्मिंग पूल की ओर बढ़ गया.

फिर प्रिया कहने लगी, "तीन मर्दो को साथ साथ चुदाई करते देखने का मेरा पहला अवसर था. ऐसी चुदाई मेने कभी नही देखी, तब से मेरी चूत मे अंगार लगी हुई है."

"मेरी भी ऐसी ही हालात हो रही है," कंचन भी बोली, "सही मे इन तीनो देख मे इतनी उत्तेजित हो गयी हूँ. राज एक दम लड़की जैसा लगता है जब उसका लंड नही दिखता."

"तुम्हारा क्या हाल है प्रीति, लगता है कि तुम सिर्फ़ सोच कर ही गीली हो गयी हो." रवि ने कहा.

"हां मेरी हालत भी कुछ ऐसी ही है, कमरे मे पहुँच कंचन को कहूँगी के मेरी चूत की आग ठंडा कर दे." मेने जवाब दिया.

"हाआँ ये तुम्हारे लिए अछा रहेगा." रवि हंसते हुए बोला.

"तो दोस्तों ऐसा लगता है कि तुम दोनो की सामूहिक चुदाई की झिझक अब दूर हो गयी है." रवि ने राजेश और बॉब्बी से पूछा.

राजेश ने जवाब दिया, "तुम्हारा कहना सही है रवि. राज काफ़ी अनुभवी है इस मामले में. उसे लंड चूसना कितनी अछी तरह से आता है, और जब में उसकी गंद मार रहा था मुझे ऐसा लगा कि में किसी लड़की की गंद मे लंड घुसाए हुए हूँ, वो ठीक एक औरत की तरह मेरे लंड को अपनी गंद की मांसपेशियों मे जाकड़ मेरे लंड को पूरा निचोड़ लिया."

इन सब बातों ने मुझे काफ़ी उत्तेजित कर दिया था. मेने कंचन की तरफ देखा और कहा, "कंचन चलो कमरे मे चलते है."

शायद कंचन का ध्यान कही और था, वो मेरी बात सुनकर चौंक पड़ी. वो खड़ी हो गयी और एक बार अपने पति की ओर देखा जैसे की उसकी अगया लेना चाहती हो, "ठीक है चलो." कहकर वो मेरे साथ हो ली.

कमरे मे पहुँचते ही हम दोनो ने अपने कपड़े उतारे और नंगे होकर बिस्तर पर लेट गये.

"तुम पहले चूत चूसवाना चाहोगी या तुम मेरी चूत पहले चूसना चाहोगी?" मेने उससे पूछा.

"नही मे पहले तुम्हारी चूत चूसूंगई, में तुम्हारे जितनी गरम नही हूँ अभी, तुम्हारी चूत चूस करफ्री हो जाउ." कंचन ने जवाब दिया.

में पीठ के बल होकर अपनी टाँगे फैला दी. कंचन मेरी टाँगो के बीच आ गयी और मेरी चूत पर हाथ फिराने लगी. में अपनी उत्तेजना को बड़ी मुश्किल से रोक पा रही थी, मेने महसूस किया की कंचन मेरी चूत को छेड़ मुझे चिढ़ा रही है. मेने कंचन को खींच कर अपनी चूत पर उसके मुँह को रखना चाहा पर जैसे कंचन को मेरी उत्तेजना की कोई परवाह नही थी, वो अपने हिसाब से मेरी चूत से खेलती रही.

मेने ज़ोर लगाकर अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी. में चाहती थी कि ये मासूम सी दिखने वाली लड़की मेरी चूत की गहराइयों को अपनी जीब से नापे. मेरी चूत को अछी तरह से चाते और मेरे पानी को पी जाए.

कंचन भी अब अपनी उत्सुकता नही रोक पाई और अपनी जीब से मेरी चूत के चारों और चाटने लगी. फिर उसने मेरे कुल्हों को पकड़ कर थोड़ा फैला दिया और अपनी जीब को मेरी गंद के छेद पर घुमाने लगी. वहाँ से चाटते हुए जब वो मेरी चूत तक आकर उसे चट्टी तो एक अजीब सी सिरहन और उत्तेजना मेरे शरीर मे दौड़ जाती.

"ऑश कनककचन हाआँ ऐसे ही चॅटो बहोत माअज़ा एयेए रहा है." में उसे उत्तसाहित करते हुए सिसकने लगी.

कंचन अपनी प्यारी जीब से मेरी चूत को चाते जा रही थी. में भी उत्तेजना अपने कूल्हे उठा अपनी चूत को उसके मुँह पर दबा दी. अचानक कंचन अपनी एक उंगली मेरी चूत मे डाल अंदर बाहर करने लगी.

"ऑश हेयेयन एक उंगली और डाल दो बहोट अच्छा लग रहा है." में सिसक रही थी.

कंचन ने अब अपनी उंगली मेरी चूत के रस से गीली कर उसे मेरी गंद मे डाल अंदर बाहर कर रही थी. मुझे इतना मज़ा आ रहा थी कि क्या बताउ. मेरा झड़ने का समय नज़दीक आता जा रहा था. मेने ज़ोर से अपने कूल्हे उठाए और उसके सिर को पकड़ अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया.

"ओह आआआआज काआअंचाां मेरााा चूऊता." कहकर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.

कंचन मेरी चूत को पूरी तरह अपने मुँह में भर मेरे रस को पीने लगी. वो तब तक मेरी चूत को चूस्ति रही जब तक की एक बूँद पानी उसमे बचा था.

थोड़ी देर हम यूँही लेटे रहे, फिर धीरे से कंचन ने अपनी उंगली मेरी गंद से निकाली और अपना सिर मेरी जांघों पर रख दिया. वो बड़े प्यार से मेरी चूत को सहला रही थी. आज हमारे नए रिश्ते की शुरुआत थी और अब मुझे उसकी चूत चाहिए थी.

"तुम बहोत जल्दी सब कुछ सीख गयी कंचन." मेने उसके सिर पर हाथ फिराते हुए कहा.

"हां रश्मि एक अछी टीचर है." कंचन ने कहा.

"हां वो तो है, मुझे भी उसने ही सिखाया है." मेने कहा.

"प्रीतू जब तुम उत्तेजित होती हो तो तुम्हारी चूत कितनी फूल जाती है, और जब तुम्हारी चूत पानी छोड़ती है तो एक दम पिशब की धार की तरह छोड़ती है, एक बार तो में चौंक ही पड़ी थी जब एक तेज धार मेरे मुँह मे छूटी थी." कंचन ने कहा.

"हां रवि भी यही कहता है, वो कहता है कि मेरी चूत नही बल्कि पानी की नल है, लाओ अब में देखती हूँ कि तुम्हारी चूत क्या कहती है." हंसते हुए मेने उसे अपनी बाहों मे भर लिया.

अब कंचन बिस्तर पर लेट गयी और मैं उसकी टाँगो के बीच आ गयी. मेने कंचन की टाँगे और फैला दी और उसकी गुलाबी प्यारी चूत को देखने लगी. मेने उसकी चूत को फैलाया तो अंदर का गुलाबी हिस्सा रस से चिकना हो चमक रहा था.

जब इस प्यारी चीज़ को देख में अपने आपको नही रोक पा रही थी तो रश्मि कैसे रुकी होगी. मैने तुरंत अपना हाथ उसकी चूत पर फिराते हुए उसकी चूत को अपने मुँह मे ले लिया. में उसकी चूत के दाने के साथ खेलने लगी.
 
में जोरों से उसकी चूत को चूसे जा रही थी और वो उत्तेजना मे अपने कूल्हे उछाल मेरे मुँह पर मार रही थी. में अपनी जीब को अंदर बाहर कर उसे चोद रही थी.

"ओह प्रीईटी चूवसो और चूऊवसो ज़ोर से हाआअँ ज़ोर से ऑश अयाया" कंचन सिसक रही थी.

मेने अपने दोनो हाथों से उसके कूल्हे पकड़ लिए और अपने मुँह पर दबाते हुए उसकी चूत पूरे वेग से चूसने लगी. उसकी टाँगे अकड़ने लगी और में समझ गयी की उसका भी छूटने वाला है.

"ओह आआआः प्रीईईईटी चबा डालो मेरी चूओत को ओह हाां मेरा चूऊता." कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. उसकी चूत ने वैसी धार तो नही छोड़ी जैसा मेने सोचा था फिर भी मुझे मज़ा आया और मेने भी उसका सारा पानी पी लिया.

कंचन ने मुझे कंधों से पकड़ अपने उपर कर लिया और मेरे मुँह मे अपनी जीब डाल दी. वो अपने रस का स्वाद मेरे मुँह मे अपनी जीब गोल गोल घुमा कर लेने लगी.

हम अपने कपड़े पहन वापा हमारे दोस्तों के पास लॉन मे आ गये. सभी मिकलर शाम का और रात का प्रोग्राम बनाने लगे. सब के बीच ये तय हुआ कि तोड़ी देर अपने अपने कमरे में सुस्ताने के बाद हम सब यही नीचे रेस्टोरेंट मे खाने के लिए मिलेंगे फिर रात का कार्यक्रम तय करेंगे. हम सब अपने अपने कमरे मे सुस्ताने के लिए चले गये.

खाना मस्ती और चुदाई

जैसे तय हुआ था हम सब रेस्टोरेंट में खाने के लिए इकट्ठा हुए. आज होटेल मे एक संगीत का आयोजन किया हुआ. बाहर से ऑर्केस्ट्रा बुलाया गया था. खाना हर बार की तरह स्वादिष्ट और लाजवाब था.

खाने के बाद हम सब अपने हाथ मे ड्रिंक्स ले गाने का मज़ा लेने लगे. कुछ गानो पर हम सबने जोड़े बना डॅन्स भी किया. डॅन्स मे मेरे साथ राजेश था. डॅन्स करते करते उसने मुझे अपने से ज़ोर से चिपका लिया जिससे मेरी छातियाँ उसकी छाती से चिपक से गयी थी.

फिर राजेश ने अपने दोनो हाथों से मेरे कुल्हों का पकड़ा और अपनी और खींच लिया जिससे उसके लंड का दबाव मुझे ठीक अपनी चूत पर हो रहा था.

"प्रीति में तुम्हारी गांद मारना चाहता हूँ." राजेश मेरे कान मे धीरे धीरे से बोला.

"मना कौन करता है," कहकर मेने उसके लंड को पॅंट के उपर से पकड़ भिच दिया.

जब ऑर्केस्ट्रा ख़त्म हुआ तो हम सब हमरे कमरे की और चल दिए.

जैसे ही हम सब हमारे कमरे मे पहुँचे सबने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. थोड़ी देर मे आठ लोग मदरजात नंगे होकर एक दूसरे के शरीर से खेल रहे थे.

अचानक रश्मि को क्या हुआ पता नही, "प्रीति आज में तुम्हे तीन लंड से एक साथ चुदवाते देखना चाहती हूँ."

मेने भी आज तक तीन लंड एक साथ अपने शरीर पर नही झेले थे. तीन लंड की रोमांचता ने मुझे अंदर से हिला दिया. मेने धीरे से अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

"बॉब्बी तुम बिस्तर पर लेट जाओ, प्रीति तुम बॉब्बी पर चढ़ उसका लंड अपनी चूत मे ले लो. राजेश तुम पीछे से अपना लंड इसकी चूत मे डाल देना. और रवि तुम अपना लंड प्रीति से चूस्वाओगे." रश्मि ने सबको निर्देश देते हुए कहा.

पता नही रश्मि को सपना आया था या उसने डॅन्स हॉल मे हमारी बात सुन ली थी. थोड़ी ही देर पहले राजेश ने मुझसे मेरी गंद मारने की इच्छा जाहिर की थी.

बॉब्बी बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और में उसपर चढ़ कर अपने दोनो घुटनो को उसके बगल रख दिए. फिर अपनी चूत को थोड़ा फैला मेने बॉब्बी के लंड को अपनी चूत से लगाया और उसे पर बैठती चली गयी. उसका लंड पूरा का पूरा मेरी चूत मे घुस चुक्का था.

फिर राजेश मेरे पीछे आ गया और मेरे चुतताड को सहलाने लगा. उसने थोड़ा से थूक मेरी गंद पर गिराया और मेरी गंद को गीला करने लगा. फिर सुस्ने अपनी एक उंगली मेरी गंद मे डाल गोल गोल घुमाने लगा. जब उसने देखा की गंद पूरी तरह गीली हो गयी है तो अपने लंड को मेरी गंद के छेद पर रख एक ज़ोर धक्का मारा, पूरा लंड एक ही धक्के मे अंदर घुस गया.

"उईईई माआअ मार गाआआए." में ज़ोर से चीख पड़ी.

मेरी चीख के साथ ही बॉब्बी मेरे दोनो मम्मे पकड़ उन्हे मसल्ने लगा और मेरे मुँह मे अपनी जीब डाल चुभलने लगा. मुझे थोड़ी सी राहत मिली. राजेश अब धीरे धीरे धक्के लगाते हुए मेरी गंद मार रहा था.

रवि ने जब देखा कि अब में मज़े लेते हुए बॉब्बी के लंड पर उठ बैठ रही हूँ तो उसने अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया. में उसके लंड को चूसने लगी.

एक अजीब स्वर्गिक आनंद मुझे मिल रहा था. जब में नीचे बैठती तो राजेश का लंड बाहर निकल आता और जब उपर उठती तो बॉब्बी का. मेरे शरीर के तीनो छेद को मज़ा आ रहा था. में सोच रही थी कि तीन लंड से चुदवाने मे इतना मज़ा आता है तो मेने पहले क्यों नही चुदवाया.

में पूरी तरह उत्तेजित हो उछल उछल कर चोद रही थी, चुदवा रही थी चूस रही थी. मुझे नही मालूम मेरी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा.

रवि झड़ने के कगार पर था, उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपना लंड अंदर तक घुसाकर वीर्य की बौछार मेरे गले मे डाल दी. मैं जोरों से चूस कर उसका सारा वीर्य पी गयी. रवि अपने मुरझाए लंड को निकाल हट गया.

"ओह राअज याहान आआओ और मुझे अपन लंड दो चूसने के लिए." में चिल्लाई.

राज मेरे पास आया और अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया.
 
अगली बारी राजेश की थी. वो मेरे कुल्हों पर थप्पड़ मारते हुए मेरी गंद मार रहा था. उसने जोरों से मेरे कूल्हे पकड़े और अपने लंड को अंदर तक घुसा अपना पानी छोड़ दिया. मेरी गंद उसके वीर्य से भर गयी थी. मेने उसके लंड को जकड़े रखा और एक एक बूँद निचोड़ ली.

"रश्मि जल्दी से लॉडा लाओ और मेरी गंद मारो." में बोली.

प्रिया और कंचन अजीब नज़रों से रश्मि को देख रही थी. रश्मि उठी और अलमारी से डिल्डो निकाल अपनी कमर पर बाँधने लगी.

रश्मि मेरे पीछे आई और वो नकली लंड मेरी गंद घुसा धक्के मारने लगी. प्रिया और कंचन घूरते हुए रश्मि को मेरी गंद मारते देख रही थी. शायद उन्होने कभी नकली लंड का मज़ा नही लिया था.

"प्रीति तय्यार हो जाओ मेरा छूटने वाला है." बॉब्बी ने नीचे से धक्के मारते हुए कहा.

बॉब्बी का शरीर आकड़ा और उसने मेरी कमर पकड़ते हुए अपने कूल्हे उठाए और मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दिया. उसने अपने धक्को रफ़्तार तेज करते हुए अपने लंड का सारा पानी मेरी चूत मे छोड़ दिया. उसके लंड से इतना पानी छूटा की वो मेरी चूत से बह कर उसकी गोलैईयों तक चला गया.

"हेययय भाआगवान्नन् मेरी चूऊत कितनी भारी हुई लग राआही हाीइ. ऑश अयाया बॉब्बबू लाओ में तुम्हारा लुंदड़ड़ चूवस कर साआफ कर दूं." में सिसक रही थी.

बॉब्बी मेरे नीचे से निकल घुटनो के बल मेरे मुँह के सामने हो गया. राज ने अपना लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और में बॉब्बी का लंड मुँह मे ले चूसने लगी. जब उसका लंड झड़कर मुरझा गया तो मेने उसे बाहर निकाल दिया.

"रश्मि प्लीज़ किसी से कहो मेरी चूत चोदे?" मेने चिल्लाते हुए बोली.

रश्मि ने वो नकली लंड मेरी गंद से निकाला और ड्रॉयर की ओर बढ़ी गयी. तीन मर्द झाड़ चुके थे और सिर्फ़ राज मेरा बेटा बचा था जो फिर से अपना लंड मेरे मुँह मे दे दिया था.

रश्मि ने एक दूसरा नकली लंड निकाला और प्रिया और कंचन से पूछा, "तुममे से कौन प्रीति की चूत इस नकली से लंड से चोदना चाहेगा?"

प्रिया रश्मि की बात सुनकर उछल पड़ी और दौड़ कर वो नकली लंड उससे ले अपनी कमर पर बाँधने लगी. फिर वो मेरे नीचे लेट गयी और मेने उस नकली लंड को मेरी चूत से लगाया और उसे अंदर घुसा लिया. अब में उछल उछल कर चोद रही थी.

रश्मि, प्रिया और राज तीनो मिलकर मुझे चोद रहे थे. तीन तीन लंड थे पर दो नकली थे.

राज अपने आपको ज़्यादा देर नही रोक पाया और मेरे मुँह मे अपना वीर्य छोड़ दिया. मैने जोरोसे चूस्ते हुए उसके लंड को पूरी तरह निचोड़ लिया. राज अपना लंड बाहर निकाल बाकी तीनो मर्दों के पास खड़ा हो मेरी चुदाई देखने लगा.

"कंचन यहाँ आओ और अपनी चूत मुझे दो?" में बोली.

कंचन शरमाते हुई मेरे पास आई और अपनी चूत मुझे चूसने के लिए दे दी. दो औरतें मुझे चोद रही थी और एक की मैं चूत चूस रही थी. ऐसा अनुभव मेने अपनी जिंदगी में कभी नही लिया. आज की रात मेरे लिए एक यादगार रात बन गयी थी.

मेरी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा ये मुझे भी याद नही. में आगे पीछे, उपर नीचे सब तरह से लंड का मज़ा ले रही थी. में थक कर चूर हो चुकी थी, आख़िर में थक कर कंचन के बदन पर गिर पड़ी. मुझमे अब और ताक़त नही बची थी, इस तरह की चुदाई मेने पहली बार की थी.

जब हम सब सुस्ता रहे थे तब रश्मि ने प्रिया को डबल डिल्डो दिखाया, उसे बताया कि किस तरह होटेल मे ठहरी दो लेज़्बीयन लड़कियों ने उनको इस डिल्डो से चोदा था.

"तुम्हे पता है यहाँ आने से पहले हमने कभी सपने में भी नही सोचा था की हम किसी औरत के साथ चुदाई का मज़ा लेंगे, वो भी एक नही तीन तीन के साथ." प्रिया ने रश्मि से कहा.

"हां में भी बहोत खुश हूँ की हम औरतों के साथ सेक्स करने मे खुल गये. कितना उत्तेजञात्मक होता है जब एक सुन्दर लड़की मेरी चूत रही हो और बाद मे मैं उसकी चूत चूसू. मेने अपनी जिंदगी मे कभी डिल्डो इस्तेमाल नही किया था, पर आज इस्तेमाल करके मुझे मज़ा आगेया." कंचन ने कहा.

"हां सही मे काफ़ी उत्तेजञात्मक नज़ारा था जब तुम तीनो औरतें आपस में चुदाई कर रहे थे. और में राज का शुक्रिया अदा करूँगा कि उसने हमे ये सब सिखाया. और सबसे बड़ी बात तो मुझे उसकी गंद मारने मे माज़ा आया." राजेश ने हंसते हुए कहा.

"आप सब जो करना चाहते वो आपने किया, पर मुझे तो प्रिया और कंचन की गंद मारने को नही मिली ना, पर फिर भी आप लोगों के साथ समय अच्छा गुज़ारा." रवि ने कहा.

"पता नही क्यों, पर जब मेरी गंद की चमड़ी खींचती है तो मुझे अच्छा नही लगता, मुझे तो अपनी गंद मे कोई उंगली डाले तो भी बुरा लगता है." प्रिया ने कहा.

"जब कमरे मे प्रीति मेरी चूत चूस रही थी तो मुझे उसकी उंगली अपनी गांद मे बहोत अछी लग रही थी, पर रवि का जितना मोटा और लंबा लंड अपनी गंद मे, ना बाबा ना, में तो मर ही जाउन्गि." कंचन थोड़ा शरारती स्वर मे बोली.

"देखो में तुम्हारी बात से सहमत हूँ, पर किसी भी चीज़ को उसका आदि होने मे थोड़ा वक़्त लगता है. अगर तुम थोड़ी हिम्मत और थोड़ा समय दो तुम रवि का लंड भी बड़ी आसानी से अपनी गंद मे लेने लगोगी." रश्मि ने कंचन से कहा.

तभी रवि बीच मे बोला, "तुम लोगों को मालूम ही है की मुझे गंद मारना अछा लगता है, फिर भी कोई कुतिया बन मुझसे चुदवाति है तो मुझे पीछे से उसकी चूत मारने मे ज़्यादा माज़ा आता है, कम से कम मैं उसकी गंद से खेल तो सकता हूँ."

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद राजेश और बॉब्बी फिर किसी की गंद मारना चाहते थे. उन्हे मालूम था कि यही आखरी मौका है गंद मारने का कारण प्रिया और कंचन तो उन्हे गंद मारने देंगी नही भविष्या मे.

बॉब्बी ने मुझसे पूछा, "प्रीति क्या तुम अपनी गंद मे मेरा लंड लेना चाहोगी?"

और वहीं राजेश की नज़र रश्मि की गंद पर थी. रश्मि वो डबल डिल्डो निकाल लाई और हम दोनो एक दूसरे के सामने इस तरह हो गये कि वो डिल्डो हम दोनो की चूत मे आसानी से घुस जाए.

हम दोनो एक दूसरे को उस नकली लंड से चोद रहे थे, और बॉब्बी रश्मि की और राजेश मेरी गंद मार रहा था.

वहीं दूसरे बिस्तर पर रवि ने प्रिया को घुटनो के बल कर पीछे से उसकी चूत चोद रहा था. राज कंचन के साथ वही कर रहा था और चारों लोग हमे देख रहे थे.

रवि प्रिया की चूत चोद्ते चोद्ते उसकी गंद को सहला रहा था. वो कभी उसे भींच देता कभी झुक कर उसे चूम लेता.

राज ने किसी तरह अपनी उंगली कंचन की गंद मे घुसा दी थी और उसे अंदर बाहर कर रहा था, साथ ही उसका लंड कंचन की चूत की धुनाई कर रहा था.

थोड़ी ही देर में सबका पानी छूट गया, किसी मे बात करने की भी ताक़त नही बची थी. हम सब निढाल होकर जहाँ थे वही पसर गये और अपनी सांसो पर काबू पा रहे थे.

थोड़ा सुसताने के बाद हम चारों ने प्रिया और उसके साथियों से विदा ली और अपने कमरे में आ गये. में रवि के साथ बिस्तर में घुस गयी और राज अपनी नई दुल्हन रश्मि के साथ.

सुबह जब हमारी आँख खुली तो हम सब नहा कर नीचे रेस्टोरेंट मे नाश्ते के लिए आगाये. हमे प्रिया और उसके साथी कहीं दिखाई नही दिए. बाद मे हमे पता चला कि वो आज वापस जा रहे हैं.

हमारा भी आज का दिन आखरी दिन था और हम कल सुबह वापस लौटने वाले थे.

पूरे दिन हम घूमते रहे और शॉपिंग करते रहे. हमारा कोई इरादा नही था कि हम किसी नए जोड़े से दोस्ती बनाए.

शाम को थक हार कर हम अपने कमरे मे आए और सो गये. दूसरे दिन सुबह हमने होटेल का बिल भरा और एरपोर्ट की और चल दिए. चुदाई के इस दौर मे सब इतने थके हुए थे कि पूरे सफ़र में हम सब सोते रहे.

हां मेरे बेटे के साथ ये हनिमून मुझे हमेशा याद रहेगा. चुदाई की जिन उँचाइयों को मेने इन दिनो मे छुआ था वो में कभी कल्पना भी नही कर सकती.

टू बी कंटिन्यूड…………….
 
गतान्क से आगे......

आख़िरकार घर पर

हम चारों घर पहुँच बच्चो की तरह सो गये. सफ़र से इतना थक गये थे कि किसी मे भी हिम्मत नही थी. दूसरे दिन सब एक के बाद एक उठे.

सबसे पहले रवि सोकर उठा. जब सबको सोता हुआ देखा तो चुपचाप किचन मे जाकर सबके के लिए कॉफी बनाने लगा. फिर मेरी आँख खुली और मैं रवि के पास किचन मे जाकर उसके साथ डिन्निंग टेबल पर बैठ गयी. आख़िर रश्मि और राज भी आ गये और हमारे साथ कॉफी पीने लगे.

हम सब अपनी छुट्टियों की बात कर रहे थे कि तभी फोन की घंटी बजी, "इस समय कौन मुझे फोन करेगा." मेने अपने आपसे कहा.

"शायद सीमा होगी." राशिमी ने उम्मीद से कहा.

"तुम्हारी बात सच हो." राज ने कहा.

"हाई बबिता कैसी हो तुम?" मैं अपनी बेहन की आवाज़ सुनकर चौंक पड़ी. राज ने अपने मुँह पे उंगली रख रवि और रश्मि को चुप रहने का इशारा किया.

"हां ज़रुरू क्यों नही, तुम और प्रशांत यहाँ रह सकते हो, अरे तुम चिंता मत करो हमे कोई तकलीफ़ नही होगी," मेने जवाब दिया. "ठीक है फिर गुरुवार को मैं तुम लोगों का इंतेज़ार करूँगी, ओक बाइ." कहकर मेने फोन रख दिया.

रवि, रश्मि और राज मेरी तरफ अस्चर्य भरी नज़रों से देख रहे थे. मेने उन्हे बताया कि प्रशांत को कुछ बिज़्नेस का काम है, साथ में बबिता भी आ रही है. वो लोग रविवार तक यहीं हमारे साथ रहेंगे.

"बबिता मासी हमारी शादी में बहोत ही सेक्सी लग रही थी है ना." राज ने कहा.

"हां राज में भी उनसे मिलना चाहती हूँ, उस समय तो उनसे मुलाकात नही हो पाई." रश्मि ने कहा.

"क्या वो भी खुले विषचरों की है और ओपन सेक्स मे विश्वास रखती है." रवि ने मुझसे पूछा.

"अपनी बकवास बंद करो रवि. बबिता अपने पति प्रशांत से शादी करके बहोत खुश है, और वो इधर उधर मुँह नही मारती." मेने थोडा गुस्सा करते हुए कहा.

"क्या पता रवि का लंड और उसका चोदने का अंदाज़ जानकार वो अपना इरादा बदल ले." रश्मि थोड़ा मुझे चिढ़ाते हुए बोली.

"तुम दोनो बहोत ही बेशरम हो?' मेने कहा.

"इसमे बेशरम वाली क्या बात है, अब तुम अपनी तरफ ही देखो कैसे हमारे रंग मे रंग गयी." रश्मि ने कहा.

"मेरी बात कुछ अलग है, में किसी से बँधी हुई नही हूँ, मेरा तलाक़ हो चुका है और मैं अपनी मर्ज़ी की मालिक खुद हूँ." मेने उन्हे समझाते हुए कहा.

"ठीक है प्रीति इतना गुस्सा क्यों हो रही हो. हम वादा करते है कि वो जब यहाँ होगे तो हम उनसे तमीज़ से पेश आएँगे." रवि ने कहा.

"इस बात का ख़याल रखना और हां वो जब यहाँ पर हो तो घर मे नंगा घूमना बंद कर देना." मेने कहा.

पूरा दिन हम मस्ती करते रहे. कभी कोई गेम खेलते कभी लिविंग रूम मे बैठ साथ मे सब कोई पिक्चर देखते. रात के खाने के बाद सब सोने चले गये. आज कितने दिनो के बाद में आकेली अपने बिस्तर मे सो रही थी. अकेला सोना बड़ा ही अजीब लग रहा था.

अगले चार दिन में अपनी बेहन के आने की तय्यारी में जुटी रही. हम चारों ही मस्ती मे थे, और मौके के हिसाब से सब चुदाई करते थे. मैं अपनी मौजूदा जिंदगी से बड़ी खुश थी. मुझे तीन प्यारे बच्चे मिल गये थे जो मेरा हर प्रकार से ख़याल रखते थे.

बबिता और प्रशांत

गुरुवार की दोपहर को बबिता और प्रशांत आ गये. हमने एक दूसरे को गले लगा हल्का सा चुंबन लिया. मेने महसूस किया की प्रशांत ने कुछ ज़्यादा ज़ोर से ही मुझे अपनी बाहों मे लिया था. और जब अलग हो रहे थे तो उसके हाथ मेरी पीठ से होते हुए मेरे चुतताड को सहला गये थे. मेने उस बात को हादसा समझ अपने दिमाग़ से निकाल दिया.

रवि, रश्मि और राज ने पहले ही सोच लिया थे कि वो गुरुवार को घर पर नही रहेंगे जिससे बबिता और प्रशांत को घर मे अड्जस्ट होने का अच्छी तरह से मौका मिल सके.

प्रशांत को तुरंत अपने बिज़्नेस के काम से बाहर जाना था. बबिता स्नान कर सफ़र की थकान उतारना चाहती थी. प्रशांत अपने काम पर चला गया और बबिता नहाने.

बबिता नहाने के बाद एक नाइटी पहन बिस्तर पर लेटी थी. मेने भी सिर्फ़ एक गाउन पहना हुआ था.

"तुम राज और उसकी पत्नी के साथ उनके हनिमून पर गयी थी, कैसा रहा, मज़ा आया कि नही." बबिता ने पूछा.

"बबिता हनिमून के बारे में बताने से पहले मैं तुम्हे राज, रश्मि और राज के दोस्त रवि के बारे में बताना चाहूँगी." फिर मेने उसे बताया कि किस तरह मेरा रिश्ता रवि से हुआ और फिर किस तरह में राज और रश्मि के साथ भी खुल गयी.

मेने उसे बड़ी बारीकी से बताया कि किस तरह रवि ने मुझे बहकाया और फिर राज और रश्मि को भी अपने खेल मे शामिल कर लिया. बबिता मेरी बात सुनकर चौंक भी पड़ी और उत्तेजित भी हो गयी.

"हे भगवान प्रीति, मुझे तुमपर विश्वास नही हो रहा. तुम गांद भी मरवा सकती हो, दूसरी औरतों के साथ भी, और आख़िर में नकली लंड के साथ. तुम तो पूरी तरह चुड़क्कड़ हो गयी हो." बबिता हंसते हुए बोली.

"तुम्हारे साथ कैसा चल रहा है बबिता, सीधी साधी चुदाई या तुम लोग भी कुछ नया प्रयोग करते हो?" मेने उससे पूछा.

बबिता ने मेरी तरह सच बताते हुए कहा, "प्रशांत मेरी गंद मारता है, एक बार हम लोग दूसरे जोड़े के साथ भी अनुभव कर चुके है. उस औरत को भी दूसरी औरत के साथ चुदाई करने मे मज़ा आता था."

"क्या तुम्हे दूसरी औरतों के साथ पसंद है?" मेने पूछा.

"पहले तो अछा नही लगता था पर अब लगता है, और जहाँ तक गंद मे लंड लेने का है तो बहोत दर्द होता है पर प्रशांत को पसंद है इसलिए करना पड़ता है. अब तो आदत सी हो गयी है. दूसरी औरत के साथ अच्छा लगा था पर दुबारा कभी मौका नही मिला." बबिता ने कहा.

"अब मुझे हनिमून के बारे में विस्तार से बताओ, मैं सब सुनना चाहती हूँ." बबिता बोली.

मैं बबिता को हनिमून के बारे मे पूरी तरह बताने लगी. मेने एक बात भी उससे नही छुपाई. यहाँ तक कि किस तरह पहले हमे विनोद और शीला मिले, फिर वो दो लेज़्बीयन लड़कियाँ अनीता और रीता, फिर वो दो जोड़े. जब तक मेरी कहानी ख़त्म हुई बबिता उत्तेजित हो चुकी थी और गहरी साँसे ले रही थी.

मेने धीरे से बबिता को अपने पास खींचा और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए, बबिता भी मेरा साथ देते हुए मेरे होठ चूसने लगी. मेने उसकी नाइटी उतार दी और उसने मेरा गाउन खोल दिया.

हम दोनो नंगे थे और एक दूसरे को बाहों मे भींच चूम रहे थे. मेने उसके होठों को चूस्ते हुए नीचे की ओर चूमना शुरू किया, पहले उसकी गर्दन को चूमा फिर उसकी चुचियों को चूसने लगी. उसकी चुचियाँ इतनी मुलायम और चिकनी थी की मेने उसके निपल अपने दांतो के बीच ले धीरे से काट लिया.

"ओह क्या करती हो प्रीएटी दर्द होता है ना." बबिता सिसक पड़ी.

फिर नीचे की ओर बढ़ते हुए मैं उसके पेट को चूमने लगी और उसकी नाभि मे अपनी जीब फिराने लगी. मैं और नीचे बढ़ी और अब उसकी जांघों के अन्द्रुनि हिस्सों को चूम रही थी.
 
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