Indian Sex Kahani मैं और मेरी बहू - Page 5 - SexBaba
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Indian Sex Kahani मैं और मेरी बहू

वो चारों भयंकर चुदाई मे जुटे हुए में देख रही थी की सभी झड़ने की कगार पर थे, तभी सन्नी जोरों से चिल्ला पड़ा, "ऊवू राअज ओह राआज."

"ठीक है सन्नी घबराव मत, झाड़ जाने दो तुम्हारे लंड को हम सभी का छूटने वाला है." राज ने सन्नी से कहा.

"ऊवू मेराा चूऊओटने वाअला हाई ओह चूओता." सन्नी जोरों से चिल्ला पड़ा.

सन्नी का शरीर आकड़ा और उसके लंड रश्मि की गंद वीर्य उगल दिया. सन्नी उत्तेजित हो जोरों के धक्के लगा रहा था. उसके धक्कों की वजह से राज के लंड ने सन्नी की गंद मे वीर्य छोड़ दिया. रश्मि का इस दौरान कितनी बार पानी छूटा पता नही पर वो निढाल होकर रवि की सीने पर पड़ गयी जब रवि के लंड ने उसकी चूत को अपने पानी से भर दिया.

"मुबारक हो सन्नी पहले तुम मेरे मुँह मे झाडे और अब मेरी गंद मे." रश्मि ने उससे कहा.

"हे भगवान, इतनी भयंकर चुदाई मेने अपनी जिंदगी मे पहेले कभी नही की. तुम सही कहते थे राज में बड़ी आसानी से रश्मि मे झाड़ गया और मुझे मज़ा भी बहोत आया." सन्नी खुश होते हुए बोला.

"ठीक है हम थोड़ी देर आराम करते है और एक दूसरे के शरीर सिर्फ़ खेलेंगे. फिर मे चाहता हूँ कि इसके बाद तुम अकेले रश्मि के साथ चुदाई करो. मेरा मतलब है की तुम दोनो अकेले तीसरा कोई नही. या तो रश्मि तुम्हारा लंड चूसेगी या तुम रश्मि की गंद एक बार फिर मारोगे, बिना कोई लंड अपनी गंद मे लिए." राज ने उससे कहा.

"सन्नी यहाँ मेरे पास आओ. में चाहती हूँ कि तुम मेरी चुचियाँ से खेलो. में चाहती हूँ कि तुम इन्हे चूसो और मेरे निपल को अपनी उंगलियों ले भींचो." रश्मि ने उसे सिखाते हुए कहा.

सन्नी रश्मि के पास आ गया और उसकी चुचियों से खेलने लगा. जिस तरह रश्मि ने उसे समझाया था ठीक उसी तरह वो उन्हे मसल्ने लगा, और अपनी उंगली और अंगूठे से उसके निपल को भींचने लगा. फिर रश्मि के बताए अनुसार वो उन्हे चूमने और चूसने लगा.

"सन्नी मेरे निपल्स को अपने मुँह मे लेकर इस तरह चूसो जैसे कि वो छोटा सा लंड हो." रश्मि ने सन्नी से कहा.

सन्नी रश्मि की बाते मानता गया और ठीक वैसे ही करने लगा जैसा रश्मि कहती जाती. अपने बेटे सन्नी को रश्मि के साथ देखते हुए बबिता अपनी उंगली अपनी चूत मे डाल अंदर बाहर कर रही थी. मैं खुद अपना हाथ अपनी पॅंटी मे डाल अपनी चूत को मसल रही थी. लड़कों के लंड भी एक बार फिर खड़े हो गये थे.

"तुम क्या लेना चाहोगे सन्नी? मेरे मुँह को या मेरी गंद को?" रश्मि ने सन्नी से पूछा.

"तुम्हारी गंद लेकिन तुम एक बार फिर उसी तरह रवि के लंड को अपनी चूत मे ले लो." सन्नी ने अपनी इच्छा बताई.

एक बार फिर रश्मि रवि के लंड पर चढ़ गयी और उसके लंड को अपनी चूत के अंदर ले लिया. राज ने अपना लंड उसके मुँह के सामने किया जिसे रश्मि ने अंदर लेकर चूसना शुरू कर दिया.

सन्नी अब उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गंद के अंदर डाल धक्के लगाने लगा. वो चारों फिर एक बार चुदाई मे लग गये.

"अब में ज़्यादा नही देख सकती मुझे अपनी चूत की खुजली किसी तरह मिटानी होगी." बबिता ने कहा.

बबिता और में अपनी छुपने वाली जगह से बाहर आए भाग कर मेरे कमरे मे पहुँचे. एक बार कमरे मे आते ही हम दोनो ने अपनी पॅंटी उत्तर दी. बबिता बिस्तर पर लेट गयी और में 69 अवस्था मे उसके उपर लेट गयी. हम दोनो ने एक दूसरे की चूत चूसना शुरू कर दिया. एक बार हमारा पानी छूट गया तो हमने बाकी के भी कपड़े उतार दिए और फिर से एक दूसरे के साथ प्यार करने लगे. थोड़ी देर बाद हम दोनो नकली लंड अपनी चूत मे घुसा एक दूसरे का पानी छुड़ाने लगे.

जब हम थक कर लेटे हुए थे, में उन चारों के बारे मे सोच रही थी. मुझे विश्वास था कि अभी भी वो चारों चुदाई मे लगे हुए होंगे और सन्नी दूसरी बार रश्मि की गंद मे झदेगा.

थोड़ी देर बाद बबिता और मेने खुद को सॉफ किया और कपड़े पहन बाहर आ गये. हम दोनो इस तरह आए कि किसी को ये लगे की हम शॉपिंग कर के आ रहे है.

वो चारों अभी भी कमरे मे ही थे. में और बबिता हॉल मे कुछ खाने पीने का इंतज़ाम करने लगे. थोड़ी देर बाद वो चारों भी आ गये और हमारे साथ चाइ नाश्ता करने लगे.

थोड़ी देर इधर उधर की बातें करने के बाद हम सब नहाने और तय्यार होने चले गये. प्रशांत करीब एक घंटे मे काम से वापस आने वाला था, हम उसके आने से पहले रात के खाने के लिए तय्यार हो जाना चाहते थे.

प्रशांत हम सब को रात के खाने के लिए बाहर ले गया. हम सब ने वो रात नाचते गाते खाते पीते गुज़री. जब सब थक गये तो हम सब घर की ओर चल पड़े.

एक बार घर पहुँचते सब सो जाना चाहते थे. एक बार फिर जोड़े बने, हमेशा की तरह प्रशांत ने रश्मि को चूना. रवि बबिता के साथ चला गया और में आकेली कमरे मे आ गयी. पर थोड़ी देर बाद राज और सन्नी मेरे कमरे मे आ गये. उस रात मैने बेटे और भतीजे ने मिलकर मुझे दोहरी चुदाई का मज़ा दिया.

गुरुवार: सन्नी का काम ज्ञान और बढ़ा

दूसरे दिन मेरी आँख खुली तो राज और सन्नी मेरे बिस्तर मे ही थे. एक बार फिर दोनो ने मेरे साथ साथ चुदाई की. चुदाई के बाद हम सबने स्नान किया और नीचे नाश्ते के लिए आ गये. जब हम नीचे की और बढ़ रहे थे तो मुझे प्रशांत के कमरे से मादक आवाज़ें सुनाई दी, और हम उसके कमरे मे झाँकने से अपने आपको नही रोक पाए.

बबिता पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी टाँगे रवि के कंधो पर रखी हुई थी. रवि उसकी टाँगो को पकड़ जोरों से उसकी चूत चोद रहा था. उसके हर धक्के के साथ उसकी टाँगे उसकी छाती से चिपेट जाती और उसका लंड जड़ तक बबिता की चूत मे घुस जाता. बबिता की चूत पानी पर पानी छोड़ रही थी, आख़िर थक कर उसने उसे रुकने को कहा.

"रुक जाओ रवि, अब में और नही सह सकती."

रवि ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और उसे मुठियाने लगा. थोड़ी देर मुठियाते ही उसके लंड ने ज़ोर की पिचकारी छोड़ दी. लंड से वीर्य बबीता के पेट और छाती पर गिर रहा था. रवि के वीर्य ने बबिता को उसके सिर से लेकर उसकी चूत तक भिगो दिया था और बबिता बड़े प्यार से उस वीर्य को अपने शरीर पर मलने लगी.

सन्नी ने कभी अपने माता पिता को चुदाई करते नही देखा था, और ना ही उसे उम्मीद थी कि वो रवि को अपनी मा को चोद्ते देखेगा. उसके मुँह से आवाज़ नही निकल रही थी. वो अजीब नज़रों से अपनी मा को देख रहा था जो रवि के वीर्य को अपनी उंगली मे ले चाट रही थी.

जैसे ही हम तीनो दरवाज़े से हटने लगे रवि और बबिता की नज़रें हम पर पड़ गयी.

"पिताजी कहाँ है?" सन्नी ने अजीब से आवाज़ मे अपनी मा से पूछा.

"लगता है वो अभी तक मेरी पत्नी को चोद रहे है." राज ने जवाब दिया.

"हहे भगवान ये क्या हो रहा है. इसका मतलब है कि तुम सब आपस मे चुदाई करते हो? मेरी मा और पिताजी भी इसमे शामिल है." सन्नी ने चौंकते हुए कहा.

तभी रश्मि और प्रशांत अपने कमरे से बाहर आए, "ये इंसान तो सही मे पूरा गान्डू है. इसे गांद मारने के अलावा कुछ सुझाई ही नही देता. ऐसा नही है कि मुझे गंद मरवाना पसंद नही है, पर मेरी चूत को भी तो लंड की ज़रूरत है." रश्मि ने कहा.
 
रश्मि जब ये सब कह रही थी तो सन्नी उसे घुरे जा रहा था. अचानक रश्मि की नज़र सन्नी पर पड़ी.

"धात तेरी, माफ़ करना सन्नी पर में क्या करूँ तुम्हारे पिताजी मेरी गांद को छोड़ते ही नही. बस एक बार हाथ मे आनी चाहिए." उसने लगभग माफी माँगते हुए कहा.

"रवि और बबिता कहाँ है?" रश्मि ने पूछा.

"उनकी चुदाई अभी अभी ख़त्म हुई है." राज ने कहा.

"वो दोनो अभी तक बिस्तर मे है, फिर तो मज़ा आएगा मेरी चूत मे जोरों की खुजली हो रही है." कहते हुए रश्मि कमरे मे घुस गयी.

"देखना चाहोगे?" मेने सन्नी से पूछा.

सन्नी ने सिर्फ़ अपनी गर्दन हां मे हिला दी. हम तीनो फिर कमरे मे झाँकने लगे. रश्मि बिस्तर पर चढ़ अपनी चूत बबिता के मुँह पर रख दी थी, और बबिता जोरों से उसकी चूत को चूसने लगी थी. हमने उन तीनो को उनके हाल पर छोड़ा और नीचे आकर नाश्ते का इंतेज़ाम करने लगे.

थोड़ी देर बाद प्रशांत नाश्ते की टेबल पर आया. नाशत करने के बाद वो अपनी ऑफीस काम पर चला गया. थोड़ी देर बाद रवि आया तो मेने पूछा की बबिता और रश्मि क्या कर रहे है.

"वो दोनो अभी भी चुदाई कर रहे है, में जब कमरे से निकला तो बबिता नकली लंड लगा रश्मि को चोद रही थी." रवि ने जवाब दिया.

जब रवि ने ये कहा तो वो सन्नी को देख रहा था उसे लगा की सन्नी कुछ कहेगा. पर अब सन्नी सब कुछ समझ गया था इसलिए वो चुपचाप अपना नाश्ता करता रहा. रवि हम सब के साथ नाश्ता करने लगा, तभी बबिता और रश्मि भी आ गयी.

"में तो भूक के मारे मरे जा रही हूँ." बबिता ने कहा.

"में भी." रश्मि भी बोल पड़ी.

"एक दूसरे की चूत चूस कर क्या तुम दोनो का पेट नही भरा," रवि उन्हे चिढ़ाते हुए बोला.

"रवि तुम अपने काम से काम रखो समझे." बबिता और रश्मि साथ मे बोल पड़ी.

हम सब इनकी बाते सुनकर जोरों से हंस पड़े. हम सब ने नाश्ता किया और फिर सब हॉल मे आकर बैठ गये.

"तो फिर तुम सबका आज का प्रोग्राम क्या है?" मेने पूछा.

हम सबके बीच ये तय हुआ कि सुबह हम सब आराम करेंगे. फिर दोपहर का खाना खाने के बाद थोड़ी देर गार्डेन मे धूप सेकेंगे.

करीब शाम के वक़्त रवि मुझे और बबिता को नीचे बुलाने आया. जब हम नीचे पहुँचे तो राज और सन्नी को रश्मि की चुदाई करते देख चौंक पड़े.

रवि हमे घसीट कर कमरे मे ले आया और अपने कपड़े उतार बबिता के कपड़े उतारने लगा. मेने भी उनकी देखा देख अपने कपड़े उतारे और अब कमरे हम छ लोग एक दम नंगे थे.

बबिता को देख मुझे लग रहा था कि वो थोड़ी चिंतित है, अपने बेटे के सामने उसे इस तरह नंगा होना अलग बात है, पर साथ मे सामूहिक चुदाई मे हिस्सा लेना अलग बात थी. पर राज और रश्मि शायद तय कर चुके थे कि किसे क्या करना है.

राज ने ये तय किया कि सन्नी और बबिता हम सब के बीच मे रहेंगे क्यों कि वो हमारे मेहमान थे. बबिता इस तरह लेटी थी कि रश्मि उसपर 69 की अवस्था मे थी. सन्नी बबिता की गंद मारेगा, और रवि रस्मी क़ी. मुझे इस तरह घोड़ी बना दिया गया था कि में चारों को देख सकूँ और मेरा बेटा मेरी गंद मारेगा.

सन्नी को अपनी मा के साथ इस तरह चुदाई मे हिस्सा लेने मे तकलीफ़ हो रही थी, इसलिए राज ने अपना लंड मेरी गंद से निकाला और सन्नी की गंद मे घुसा दिया. जब सन्नी काफ़ी उत्तेजित हो गया तब उसने अपना लंड अपनी मा की गंद मे घुसा दिया.

राज ने फिर अपना लंड मेरी गंद मे घुसा दिया और मेरी गंद मारने लगा.

सन्नी इतना उत्तेजित हो गया था कि अब उसे ये परवाह नही थी कि वो अपना लंड किसकी गंद या चूत मे घुसा रहा है, उसे तो मतलब था सिर्फ़ चोदने से.

बबिता भी रश्मि की चूत चूस्ते हुए उत्तेजना मे इतनी खोई हुई थी कि वो ये भूल गयी की उसकी गंद मे उसके बेटे का लंड अंदर बाहर हो रहा है. उसे तो बस इतना पता था कि रश्मि उसकी चूत को चूस कर उसे मज़ा दे रही थी.

थोड़ी देर मे रवि ने अपना वीर्य रश्मि की गंद मे छोड़ दिया और सन्नी ने बबिता की और दोनो औरतें अपने चूत का रस एक दूसरे के मुँह मे छोड़ रही थी. राज मेरी गंद मे झाड़ा तभी मेने अपना रस अपने हाथों पे छोड़ दिया.

"हे भगवान मुझे विश्वास नही हो रहा कि मेने अपनी मा की गंद मारी है और उसकी गंद मे अपना वीर्य छोड़ा है." सन्नी उत्तेजना मे बोला.

"हां सन्नी अब तुम्हारा इस परिवार मे स्वागत है जहाँ तुमने परिवार की सब औरतों की चुदाई की जैसे मेने और रवि ने." राज ने सन्नी से कहा.

"आज मे पूरी तरह से छिनाल और रंडी बन गयी हूँ." बबिता रोते हुए बोली.

"अपने आपको इतना मत कोसो. ये सिर्फ़ जिस्मानी सुख के लिए किया गया और हम सब भी तो करते है." राज ने उसे समझाते हुए कहा.

"चलो अब सुख दुख, अच्छा बुरा इन सब बातों को छोड़ो और भविष्य मे हम कितना मज़ा कर सकते है ये सोचो." रश्मि ने कहा.
 
बाकी का पूरा दिन हम सब मज़े करते रहे. हँसना, चुटकुले सुनना, खाना खाना और सबसे अहम बात चुदाई करना. आख़िर रात के खाने के बाद फिर सोने का समय आ गया. हर बार की तरह प्रशांत ने रश्मि के साथ सोना पसंद किया. बबिता ने कोई ऐतराज़ नही किया क्यों कि आज की रात वो सोना चाहती थी.

शुक्रवार : प्रशांत का परिवार के साथ शामिल होना

दूसरे दिन प्रशांत के अलावा सब सुबह देर तक सोते रहे. प्रशांत जल्दी ही उठ गया था और नहा धो कर अपने ऑफीस काम पर चला गया. हर कोई किसी के उठने के इंतेज़ार मे बिस्तर मे पड़ा रहा. आख़िर जब सब कोई नीचे किचन मे पहुँचे तो दोपहर के खाने का समय हो चुका था. सभी ने सिर्फ़ चाइ कॉफी पी.

खाने के लिए हम सब घर के बाहर निकले जिससे थोड़ी सैर भी हो जाए. करीब के ही रेस्टोरेंट मे हमने खाना खाया और जब घर की ओर बढ़ रहे थे तो हल्की बारिश शुरू हो गयी थी. घर पहुँचते पहुँचते हम सब पूरी तरह भीग चुके थे.

हम सभी ने कपड़े बदले और हॉल मे आकर गेम खेलने लगे. गेम खेलते खेलते फिर सब वहीं आकर टिक गये. चुदाई पर.

"असली खेल तो अब शुरू होगा." कहकर रश्मि ने अपने कपड़े उतार दिए.

राज और रवि ने भी रश्मि को देख अपने कपड़े उतारे, "सन्नी तुम किसका इंतेज़ार कर रहे हो, देखते नही औरतें अपने कपड़े उतार चुकी है." रवि ने कहा.

सन्नी ने शरमाते हुए अपने कपड़े उतारे. उसका लंड पहले से ही तन कर खड़ा था. मेने बबिता की ओर देखा, तो वो भी मुस्कुरा कर अपने कपड़े उतारने लगी.

सभी कोई काफ़ी उत्तेजित हो चुके थे, और जोड़े बनने मे ज़्यादा वक़्त नही लगा. रश्मि ने सन्नी को ज़मीन पर लिटा दिया और उस पर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत मे ले लिया.

राज मेरी बेहन बबिता पर चढ़ गया, और रवि ने मेरी चूत को अपने लंड से भर दिया. हालाँकि में रवि से कई बार चुदवा चुकी थी फिर भी हर बार मुझे ऐसा लगता था कि उसका मूसल लंड मेरी चूत को चीर देगा.

"हाआँ सुन्न्ञणनी चूओड़ो मुज्ज़झे, ऑश मेरि चूओत को फाड़ दो अपनी पहली चूऊत की चाआटनी बना दो आअज," रश्मि सन्नी को ज़ोर के धक्के मारने के लिए उकसा रही थी, "हाआँ यही धक्के मारो ऑश माआ ऑश."

रश्मि इतनी उत्तेजित थी की उसका चूत ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया, और सबसे खास बात ये थी उसकी चूत सन्नी के लंड के लिए पहली चूत थी. रश्मि उछल उछल कर सन्नी के लंड पर धक्के मारती रही और फिर से झाड़ गयी.

बबिता भी झड़ने की कगार पर थी, राज कस कस कर धक्के मार उसकी चूत को चोद रहा था. जैसे ही उसकी चूत ने पानी छोड़ा उसका शरीर उत्तेजना मे काँप उठा.

वहीं रवि बड़े प्यार से और धीरे धक्के मार कर मुझे चोद रहा था. उसके मोटे और विशाल लंड के धक्के मुझे इतना सुख दे रहे थे कि मुझे नही पता मेरी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा.

"हाआँ छोड़ दो तुम्हारा पानी मेरी चूओत मे ऑश अपनी पहली चूत को भर दो अपने वीर्य से ऑश हाआअँ," रश्मि चिल्ला रही थी.

"हे भगवान आज मेने कर दिया, आज मेने एक चूत चोदि है, रश्मि मेने तुम्हारी चूत मे अपना पानी छोड़ा, ओह रश्मि तुम कितनी अच्छी हो?" सन्नी खुशी मे उछलते हुए बोल रहा था.

रश्मि ने सन्नी को अपनी बाहों मे इस तरह भर लिया कि वो उसका प्रेमी हो, और आज पहली बार शारारिक सुख का आनंद लिया हो. रश्मि ने उसके होठों को चूमा और उसे बधाई दी.

बबीता तो झाड़ चुकी थी पर राज अभी झाड़ा नही था, इसलिए उसने अपना लंड बबिता की चूत से निकाला और सन्नी और रश्मि के पास जाकर खड़ा हो गया.

"तुम मे से कोई मेरे लंड को चूसना चाहेगा?"

रश्मि ने आगे बढ़ कर अपना मुँह खोला और राज के लंड को पाने मुँह मे ले लिया. थोड़ी देर चूसने के बाद उसने राज के लंड को सन्नी के सामने कर दिया. सन्नी भी राज के लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगा. बारी बारी से राज के लंड को वो दोनो चूस्ते रहे. थोड़ी देर मे राज ने अपने वीर्य की पहली पिचकारी सन्नी की मुँह मे फिर दूसरी रश्मि के मुँह मे छोड़ दी.

"ऐसी चुदाई देख कर तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो रहा है." रवि अपने लंड को सहलाते हुए बोला.

"हां खुजली तो मेरी चूत मे भी हो रही है." बबिता उसके लंड को पकड़ मसल्ते हुए बोली.

"सन्नी एक बात याद रखना चाहे जितनी चूत चोदने को मिले पर लंड का स्वाद चखना मत छोड़ना." राज ने सन्नी से कहा.

"नही मे नही छोड़ूँगा, फिर भी तुम सबका धन्यवाद कि तुमने मुझे चुदाई का सही अर्थ समझा दिया." सन्नी ने जवाब दिया.

रश्मि उप्पर गयी और अपने साथ वो लंबा वाला डिल्डो ले कर आ गयी. मुझे पता नही था कि रश्मि के दिमाग़ मे क्या चल रहा है, हम सब उसके बोलने का इंतेज़ार कर रहे थे.

"बबिता मुझे लगता है कि अब तुम्हारी तीहरी चुदाई होनी चाहिए, तीनो लड़के तुम्हे मिलकर चोदेन्गे. मेने और प्रीति तो ये मज़ा कई बार ले चुके है, हम चाहते है कि तुम भी ये मज़ा लो." रश्मि ने कहा.

"हां ज़रूर" मेने तुरंत कहा, "जब तक बबीता मेरे पास रह रही है, में चाहती हूँ कि वो हर तरह की चुदाई का आनंद ले."

मेरा इतना कहना था कि रवि बिस्तर पर चित लेट गया और उसका खड़ा लंड हवा मे उठा हुआ था. बबिता उत्तेजना मे उसपर चढ़ गयी और उसके खड़े लंड को अपनी चूत पर लगा नीचे बैठने लगी. जब रवि का पूरा लंड उसकी चूत मे घुस चूका तो वो अपनी चूत को थोड़ा हिला उसके लंड को महसूस करने लगी.

राज बबिता के मुँह के सामने आ गया और अपने लंड को उसके होठों से भिड़ा दिया. बबिता ने अपना मुँह खोला और उसके लंड को चूसने लगी. रश्मि ने बबिता की गंद पर थोड़ी क्रीम लगा कर उसे चिकना कर दिया. सन्नी का लंड अभी तक खड़ा था नही था इसलिए राज उसके लंड को चूस कर खड़ा करने लगा.
 
सन्नी फिर अपनी मा के पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गंद पर घिसने लगा. उसने धीरे धीरे अपना लंड बबीता की गंद मे घुसाया तो उसे रवि के लंड का एहसास होने लगा जो चमड़ी की दूसरी ओर से उसकी मा की चूत मार रहा था. अब तीनो ताल से ताल मिलकर बबिता को चोदने लगे.

रश्मि और मेने उसे दोहरे मुँह वाले डिल्डो के दोनो सिरों को अपनी चूत मे लिया और एक दूसरे को चोदने लगे. हम सब चुदाई मे इतना खोए हुए थे कि हमने दरवाज़ा खुलने की ना तो आवाज़ सुनी और ना ही प्रशांत के कमरे के अंदर आने की.

"ये क्या हो रहा है यहाँ पर, क्या मेरे पीछे से तुम सब चुदाई करते रहते हो. लगता है कि तुम सब मेरे जाने के बाद सामूहिक चुदाई करते रहते हो," प्रशांत चिल्लाते हुए बोला.

"अपना मुँह बंद रखो, जल्दी से कपड़े उतारो और हमारे साथ शामिल हो जाओ," रश्मि प्रशांत से बोली.

प्रशांत पहले तो अचंभित सा खड़ा रहा फिर उसने अपने कपड़े उतारे चारों तरफ देखने लगा कि शुरुआत कहाँ से करे. उसका लंड खड़ा नही था इसलिए राज ने उसे अपने पास बुलाया, "प्रशांत तुम अपना लंड बीबिता के मुँह मे दे दो जिसे ये चूस कर खड़ा कर देगी."

प्रशांत ने अपना लंड बीबिता के आगे किया जिसे वो अपने मुँह मे ले चूसने लगी. रवि और सन्नी उसकी गंद और चूत की चुदाई किए जा रहे थे.

प्रशांत को विश्वास नही हो रहा था कि उसका बेटा अपनी ही मा की गंद मार रहा है. वो तो और भी चौंक पड़ा जब राज ने अपना लंड सन्नी की गंद मे घुसा उसकी गंद मारने लगा.

थोड़ी ही देर मे प्रशांत का लंड तन कर खड़ा हो गया. प्रशांत अपनी पसंदीदा जगह पर आ गया, यानी रश्मि की गंद के पीछे. हम दोनो ने अपनी अपनी चूत से डिल्डो निकाला और रश्मि घूटने को बल घोड़ी बन गयी. प्रशांत ने देर किए बिना अपना लंड रश्मि की गंद मे पेल दिया.

मैं अपनी बेहन बबिता के सामने इस तरह से खड़ी हो गयी की मेरी चूत ठीक उसके मुँह के सामने थी. बबिता ना अपने हाथों से मेरी चूत को फैलाया और मेरी चूत मे अपनी जीब घुसा चाटने लगी. कमरे मे मादक सिसकारियाँ गूँज रही थी. चुदाई चारों तरफ अपनी चरम सीमा पर थी.

सब मिलकर इतनी ज़ोर से चुदाई कर रहे थे कि करीब करीब सब साथ मे ही झड़ने लगे. सन्नी नेज़ोर से चिल्लाते हुए अपना वीर्य अपनी मा की गंद मे छोड़ दिया, वहीं रवि ने बबिता की चूत मे और मेने उसके मुँह मे पानी छोड़ दिया.

प्रशांत अभी झाड़ा नही था, वो उसकी गंद मे धक्के लगा रहा था और साथ ही डिल्डो से उसकी चूत भी चोद रहा था. थोड़ी देर मे दोनो झाड़ कर लुढ़क गये.

करीब आधे घंटे तक कोई कुछ नही बोला. प्रशांत ने फिर जानना चाहा कि उसके ऑफीस जाने के बाद हम सब क्या किया करते थे. मेने उसे बताया कि किस तरह उसका बेटा गन्दू बन गया था और हम सब ने मिलकर उसे औरतों मे दिलचस्पी लेना सिखाया. हम लोग दो घंटे तक बातें करते रहे, फिर सभी ने स्नान किया और खाने की तय्यारी करने लगे.

खाने के बाद प्रशांत ने बताया कि सुबह वो वहाँ से रवाना हो रहा है. आज की रात उसकी यहाँ पर आखरी रात है. प्रशांत आज आखरी रात को दिल खोल कर रश्मि की गंद मारना चाहता था, बबिता ने अपने पति की इस बात पर कोई ऐतराज़ नही किया. उसे भी रवि और राज के साथ चुदाई का आखरी मौका मिल गया. सन्नी मेरे साथ सोया.

शनिवार की सुबह नाश्ते करने के बाद हम सब ने गले लग कर प्रशांत बबिता और सन्नी को अलविदा किया. मेने बबिता से कहा कि उनका हर वक़्त यहाँ पर स्वागत है, वो जब चाहें यहाँ आ सकते है.

बबिता और प्रशांत के जाने के बाद हम सब आगे की तय्यारी करने लगे.

समाप्त

दा एंड
 
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