Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर - Page 4 - SexBaba
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Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर

राधिका का चेहरा एक दम शरम से लाल हो गया था. आज उसने अपनी जिंदगी में पहली बार किसी मर्द के सामने ये सब शब्द कहे थे. वो तो निशा से अक्सर बातों बातों में कहती थी मगर आज हालत दूसरे थे.

फिर राहुल अपना मूह उसके निपल्स में लेकर चूसना शुरू कर देता हैं और राधिका फिर से मचल उठती हैं.

राधिका- प्लीज़ राहुल बस भी करो क्या आज मेरी जान लेकर रहोगे क्या. क्यों तुम मेरे सब्र का इम्तहान ले रहे हो. कहीं ऐसा ना हो कि मेरा सब्र टूट जाए और मैं पूरा बेशरम बन जाउ.

राहुल-यही तो मैं चाहता हूँ कि तुम मेरे लिए पूरी बेशरम बन जाओ.

फिर वो नीचे झुक कर उसके पेट पर जीभ फिराते हुए उसकी चूत पर होंठ रख देता हैं औ राधिका के मूह से एक तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

राधिका- बस राहुल................अब नही बर्दास्त होता...........

राहुल धीरे धीरे उसकी चूत के होल पर अपनी ज़ुबान फिराने लगता हैं और राधिका एक दम बेचैन हो जाती है.

राधिका- हां राहुल मेरी चूत को पूरा चाटो, उसे पूरा अपने मूह में ले लो राहुल.

राहुल भी करीब 10 मिनिट धीरे धीरे उसकी चूत को पूरा चाट ता हैं और फिर उसके क्लीस्टोरील्स को अपने दाँत में पकड़कर धीरे धीरे उसपर जीभ फिराता हैं. थोड़ी देर में राधिका कंट्रोल के बाहर हो जाती हैं और आपनी जिंदगी में उसका पहला ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं.

राधिका- आह...........................हा राहुल........................अब............बस...........

राधिका इतना बोलकर एक दम से बिस्तर पर पसर जाती हैं और अपनी आँखे बंद करके राहुल को अपने सीने से लगा लेती हैं.

थोड़ी देर के बाद ...........

राधिका- आइ लव यू राहुल. आओ अब मुझे पूर औरत बना दो. मैं तैयार हूँ.

राहुल भी अपना बनियान और अंडरवेर पूरा निकाल देता हैं और राधिका उसके लंड को देखकर एक कुटिल मुस्कान उसके चेहरे पर आ जाती हैं. राहुल का लंड करीब 7 इंच और 2.5 इंच मोटा था.

फिर वो राधिका को अपना लंड छूने को बोलता हैं. और राधिका भी धीरे से उसके लंड के करीब आती हैं और हल्का सा जीभ उसके लंड पर फिराती हैं. राहुल को एक झटका लगता हैं.

राहुल- मेरा लंड को पूरा अपने मूह में लेकर चूसो ना राधिका. इसे प्यार करो ना.

राधिका भी धीरे धीरे उसके लंड के टोपा पर अपनी ज़ुबान रख देती हैं और एक दम धीरे धीरे उसको चाटना शुरू करती हैं. पहले वो कुछ देर तक उसका टोपा चुस्ती हैं फिर वो नीचे झुक कर उसके दोनो बॉल्स पर अपना जीभ फिराती हैं और राहुल मस्ती में खो जाता हैं. उसके मूह से भी तेज़्ज़ सिसकारी निकल पड़ती हैं.

थोड़े देर में राहुल का लंड पूरा गीला हो जाता हैं अब राधिका भी धीरे धीरे उसको अपने मूह में लेती हैं. और तेज़ी से आगे पीछे चूसना शुरू आर देती हैं. करीब 15 मिनिट की चुसाइ के बाद राहुल का शरीर अकड़ने लगता हैं और और वो अपना हाथ राधिका के सर पर रखकर अपने लंड पर प्रेशर बनाता हैं.

थोड़ी देर में उसके लंड से वीर्य निकल जाता हैं और राधिका को इससे पहले कुछ समझ में आता, उसका मूह वीर्य से पूरा भर जाता हैं.

राधिका बुरा सा मूह बनाकर कुछ वीर्य अपने अंदर ले लेती हैं और कुछ नीचे गिरा देती हैं. उसे बड़ा अजीब सा स्वाद मिला था. कुछ नमकीन सा खट्टा सा. राहुल का वीर्य उसके होंठ से टपकता हुआ उसके गले से होता हुए उसके सीने तक आ जाता हैं. फिर वो एक कपड़े से सॉफ करती हैं.
 
थोड़ी देर में फिर राधिका राहुल के लंड को अपने मूह में लेकर चुस्ती हैं. कुछ देर में उसका लंड अकड़ जाता हैं और उसका हथ्यार तैयार हो जाता हैं.

राहुल- नीचे सो जाओ जान , अब वक़्त आ गया हैं तुम्हें लड़की से औरत बनाने का. लेकिन इसके लिए तुम्हें कुछ दर्द होगा. सह लोगि ना दर्द मेरी खातिर.

राधिका- हां राहुल मैं तैयार हूँ तुम मेरी चिंता मत करना. बस डाल दो.

राहुल भी धीरे से अपना लंड का निशाना राधिका की चूत पर फिक्स करता हैं और धीरे धीरे उसपर प्रेसर डालने लगता हैं. मगर उसका लंड नही जाता हैं.

राहुल वही तेल की शीशी को लेकर अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ राधिका की चूत के होल पर भी लगा देता हैं.

थोड़ी देर में फिर वो कोशिश करता हैं इस बार राधिका की चूत में राहुल का लंड करीब 2 इंच चला जाता हैं और राधिका की तेज़्ज़ सिसकरी निकल जाती हैं. आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था.

फिर राहुल अपना लंड बाहर खींच लेता हैं और फिर एक दम तेज़ी से एक झटके में पूरा लंड राधिका की चूत में डाल देता हैं. राधिका के मूह से एक ज़ोरदार चीख निकल जाती हैं और उसकी आँखो से आँसू बहने लगते हैं. राहुल का लंड करीब 4 इंच तक राधिका की चूत में समा चुका था. उसका कुँवारापन भी अब टूट गया था. उसकी चूत से खून की धारा बाहर निकलना शुरू हो गयी थी.

राधिका दर्द से बहुत बेचैन थी. उसे ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसकी चूत में कोई चाकू डाल दिया हो. राहुल कुछ देर तक अपना लंड को वही रहने देता हैं और फिर अपना लंड बाहर निकाल लेता हैं और फिर तेज़ी से अंदर डाल देता हैं. इस बार फिर राधिका के मूह से ज़ोरदार चीख निकल पड़ती हैं. उसके आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे.

राहुल करीब 5 इंच तक राधिका की चूत में अपना लंड पेल चुका था. फिर से वो एक बार निकालता हैं और इस बार पूरे प्रेशर से तुरंत अंदर डालता हैं. इस बार राधिका की चूत राहुल का लंड को पूरा निगल लेती हैं.

राधिका फिर से चीखती हैं . अब राहुल का पूरा लंड राधिका की चूत में था. करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही रहने देता हैं और फिर धीरे धीरे वो आगे पीछे करने लगता हैं. अब राधिका को दर्द की जगह कुछ मज़ा आना शुरू हो जाता हैं. उसके मूह से भी सिसकारी निकलनी शुरू हो जाती हैं. कुछ देर में राधिका खुद अपनी चूत आगे पीछे करने लगती हैं और राहुल भी उसे थाम लेता हैं और वो उसके निपल्स को लगातार अपने हाथो में लेकर मसलता हैं.

लगभग 15 मिनिट की चुदाई के बाद राहुल के लंड पर प्रेसर बढ़ जाता हैं और राधिका भी ऑर्गॅनिसम के करीब पहुच जाती हैं. और वो उसकी चूत में ही अपना पूरा वीर्य छोड़ देता हैं और तुरंत राधिका के उपर पसर जाता हैं. राधिका का भी ऑर्गॅनिसम हो जाता हैं. दोनो की साँसें बहुत तेज़ चल रही थी. और दोनो आपस में एक दूसरे से लिपटकर एक दूसरे के उपर लेट जाते हैं.

कुछ देर तक वो दोनो अपने साँसों को कंट्रोल करते हैं फिर राधिका बाथरूम चली जाती हैं. थोड़ी देर में फिर उनकी चुदाई शुरू हो जाती हैं और करीब 3 बजे तक राहुल 3 बार राधिका की चूत मारता हैं. राधिका भी करीब 5 बार झाड़ चुकी थी. वो आज बहुत खुस थी.

राहुल और राधिका कुछ देर में अपने कपड़े पहनते हैं और कुछ देर इधेर उधेर की बातें करते हैं.

राहुल उठकर वही ड्रॉयर में से एक सिंदूर का पॅकेट राधिका के पास ले कर आता हैं और संजोग या उसकी बदक़िस्मती कि वो सिंदूर उसके हाथ से छूट कर नीचे फर्श पर बिखर जाता हैं.

राधिका का दिल ज़ोर से धड़कने लगता हैं. वो ये बात अच्छी से जानती थी कि सिंदूर का ऐसा गिरना कोई अप्शगुन का संकेत हैं. हो ना हो हमारा मिलन शायद भगवान को भी मंज़ूर नही हैं.

राहुल- पता नही ये कैसे नीचे गिर गया.

राधिका- ये अप्शगुन हैं राहुल. ये अच्छा नही होता ,ऐसे सिंदूर नीचे फर्श पर बिखर जाना.

राहुल- तुम भी ना राधिका ये क्या पुराने ख़यालों में विश्वास रखती हो. भला ऐसा भी कहीं होता हैं क्या.

राधिका- हां राहुल तुम मानो या ना मानो पर ये संकेत हमारे लिए अच्छा नहीं हैं.

राहुल- जब तुम मुझे चाहती हो और मैं तुम्हें तो फिर हमारे बीच अब कोई तीसरा नही आ सकता. और इतना कहकर राहुल राधिका को अपने गले लगा लेता हैं.

लेकिन राधिका के दिल में एक अजीब सा डर जनम ले चुका था.वो जान चुकी थी कि ज़रूर कुछ ना कुछ ऐसा हमारे साथ होने वाला हैं जो हमारी ज़िंदगी में बहुत बड़ा तूफान ला सकता हैं.

राधिका का अंदाज़ा करीब सही ही होने वाला था क्यों कि वाकई उसकी ज़िंदगी में एक आने वाला तूफान था जो उसकी ज़िंदगी पर भारी पड़ने वाला था.

राधिका भी करीब 5 बजे अपने घर आ जाती हैं. उसकी चाल में भी आज बदलाव आ गया था. तीन बार की चुदाई से उसकी चूत में दर्द हो रहा था. लेकिन उसे सबसे ज़्यादा चिंता थी तो इस बात की , कैसे वो सिंदूर नीचे फर्श पर गिर गया था. क्या हमारे भगवान भी हमे मिलाना नही चाहते. ये सब सोचकर उसका दिल बैठा जा रहा था.
 
जैसे ही वो घर पर आती हैं उसके भैया अभी भी घर पर नही आए थे. वो झट से नहा धोकर कृष्णा की लाई हुई साड़ी पहन लेती हैं. वो वाकई में किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह प्यारी सी लग रही थी.

थोड़ी देर में कृष्णा भी आ जाता हैं.

कृष्णा आज नशे में फुल था. वो लड़खड़ाते हुए घर के अंदर आता हैं और सीधा सोफा पर आकर बैठ जाता हैं.

राधिका- ये क्या भैया आज आपने फिर से शराब पी रखी हैं.

कृष्णा- क्या करू राधिका ये शराब मुझे जीने नही देती, बहुत कोशिश करता हूँ मगर ये साली छूटती नहीं. अब तो लगता हैं कि मेरे मरने के बाद ही छूटेगी.

राधिका- प्लीज़ भैया, ये सब मत बोलिए, मैं आपकी शराब छुडवाउन्गि.

कृष्णा- नही राधिका ये शराब इतना आसानी से पीछा नही छोड़ती. तुम्हारे बस में नही हैं ये सब.

राधिका- पर भैया कोशिश तो आप कर ही सकते हो ना.

कृष्णा एक टक राधिका को सर से पाँव तक घूर कर देखता हैं और फिर मुस्कुरा कर कहता हैं.

कृष्णा- अरे मेरी बेहन, सच में तू तो किसी परी जैसी लग रही हैं.इन सारी में तो तू बहुत सुन्दर लग रही हैं.

राधिका- इसलिए भैया आज मेरे जनम पर शराब पी कर आए हो, अपनी बेहन के लिए शराब तक आप नही छोड़ सकते. है ना..

कृष्णा- मुझे माफ़ कर दे राधिका, मुझे तेरा दिल तोड़ने का इरादा बिल्कुल भी नही था. चल कोई बात नही मैं अभी तेरा बर्तडे विश करूँगा.

राधिका- भैया आप प्लीज़ पहले नहा लीजिए, नहाने के बाद आपका नशा कुछ कम हो जाएगा.

कृष्णा- तू सच कह रही हैं. मैं अभी नहा कर आता हूँ. फिर हम दोनो मिलकर बर्तडे विश करेंगे.

कृष्णा झट से अपना शर्ट और पेंट वही राधिका के सामने उतार देता हैं. और फिर उसके तुरंत बाद वो अपनी बनियान और अंडरवेर भी निकाल कर वही फेंक देता हैं. राधिका जब उसको ऐसी अवस्था में देखती हैं तो उसके होश उड़ जाते हैं.

राधिका- भैया.........ये... आप.....क्या कर .............रहे हैं.......आपके कपड़े.

कृष्णा- तेरे से क्या शरमाना तू तो मेरी अपनी हैं. चल ना बाथरूम में ज़रा नल खोल दे.

राधिका का दिमाग़ कुछ काम नही करता हैं. वो एक टक अपने भैया को बिल्कुल नंगा अपने सामने देखकर उसकी हालत खराब हो जाती हैं. आज पहली बार उसने अपने भैया को ऐसी अवस्था में देखा था. उसके भैया का लंड करीब 10 इंच का था और करीब 3 इंच मोटा. इस वक़्त कृष्णा का लंड सोई हुई अवस्था में भी करीब 4 इंच का लग रहा था.

राधिका का गला सूखने लगता हैं और वो थूक को निगलते हुए कहती हैं.

राधिका- भैया प्लीज़ कम से कम अंडरवेर तो पहन लीजिए. आप को तो सच में शरम नही आती.

कृष्णा राधिका का हाथ को पकड़ता हुआ उसे बाथरूम में ले जाता हैं और शवर ऑन कर देता हैं . जैसे ही शवर का पानी नीचे गिरने लगता हैं राधिका का भी बदन भीगना शुरू हो जाता हैं .

राधिका- मैं भीग जाउन्गि भैया, आप नहा लीजिए मैं बाहर ही हूँ. और राधिका जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ती हैं कृष्णा उसका हाथ पकड़ लेता हैं.

कृष्णा- मेरी बेहन, आज मैं तेरे साथ नहाना चाहता हूँ, क्या तू अपने भैया की ये इच्छा पूरा नही करेगी.

राधिका- भैया,प्लीज़ आप इस वक़्त नशे में हैं इस लिए आप को नही मालूम कि आप क्या बोल रहे हैं.

कृष्णा भी आप पूरा भीग चुका था और राधिका की साड़ी भी उसके जिस्म से एक दम चिपक गयी थी. और वो और भी खूबसूरत लग रही थी.और उसका जिस्म इस वक्त कयामत का रूप ले चुका था. जिसकी वजह से कृष्णा के लंड में धीरे धीरे हलचल होने लगी थी.
 
राधिका- प्लीज़ भैया, ये सब ठीक नही हो रहा हैं. प्लीज़ आप मुझे जाने दीजिए नही तो ...........

कृष्णा- तू चिंता मत कर राधिका मैं तेरा रेप नही करूँगा. बस तू मेरा लंड को ठंडा कर दे बस. मुझे और कुछ नही चाहिए.

राधिका- भैया ये आप क्या बोल रहे हैं. भला मैं कैसे ये सब कर सकती हूँ.

कृष्णा- तू बस इसे अपने मूँह में लेकर चूस कर मेरा माल निकाल दे बस. विश्वास कर राधिका मैं इससे आगे तेरे साथ कुछ नही करूँगा. और वैसे भी तू तो मुझे पूरी छूट दे ही चुकी हैं तो तू क्यों बेकार में बहस कर रही हैं.

राधिका भी एक नज़र कृष्णा की आँखों में देखती हैं और कृष्णा को बोलती हैं.

राधिका- सोच लो भैया एक बार फिर से, बाद में कहीं ऐसा ना हो कि पछताना पड़े.

कृष्णा- राधिका विश्वास कर मेरा मैं तेरे बदन को हाथ भी नही लगाउन्गा, बस तो एक बार मेरा लंड पूरा चूस कर मेरा माल निकाल दे.

राधिका- वैसे भैया एक बेहन को इससे बढ़िया बर्तडे गिफ्ट और क्या मिल सकता है, चूसने को अपने ही भाई का लंड................

राधिका- ठीक हैं भैया अगर आपकी यही इच्छा हैं तो मैं आपको रोकूंगी नहीं .

राधिका कुछ देर इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं कि क्या ये सब सही हैं. क्या मुझे ये सब करना चाहिए. दुनिया वाले क्या कहेंगे, अगर मैने दुनिया की परवाह की तो मेरे भैया का क्या होगा. जो अब मेरे लिए इंसान बनना चाहते हैं ,क्या वो मेरे लिए आपने आप को बदल देंगे. जो भी हो मेरे परिवार की लगाम अब मेरे हाथों में हैं. और मैं किसी भी सूरत में अपने भैया को फिर नरक में नही धकेल सकती. मैं इनकी शराब छुडवाउन्गि, अगर नही छोड़ सके तो मैं शराब को आपना लूँगी. चाहे जैसे भी हो मुझे हर हाल में अपने भैया का ख्याल रखना हैं.

लेकिन एक तरफ़ तो राहुल हैं. अगर वो मेरे और भैया के नाजायज़ संबंध को अगर जान गया तो क्या होगा. क्या वो मुझे अपना लेगा.या मुझे वो अपनी जिंदगी से निकाल देगा, मैं आज ऐसे मज़धार में फँसी हुई हूँ कि एक तरफ़ तो पहाड़ तो दूसरी तरफ खाई.

एक तरफ़ राहुल हैं तो दूसरी तरफ कृष्णा. अगर मैं कृष्णा को अपना बदन सौपुंगी तो राहुल की नजरो में बेवफा कहलाउन्गा. अगर मैं अपने भैया की इच्छा नही पूरी करती तो वो फिर से उस हरामी बिहारी की गुलामी करेगा, और दिन ब दिन शराब सिगरेट, सब नशा फिर से शुरू कर देगा. आज मुझे फ़ैसला लेना ही होगा कि एक तरफ कृष्णा और दूसरी तरफ राहुल.

नही नही मैं दोनो को नही छोड़ सकती.दोनो मेरी ज़िंदगी हैं. मुझे किसी भी हाल में अपना परिवार और अपना प्यार दोनो बचाना हैं इसके लिए अगर मुझे ही अपनी कुर्बानी देनी पड़े तो मैं आपने आप को भी कुर्बान कर दूँगी. मगर दोनो पर आँच तक नही आने दूँगी.

राधिका बहुत देर तक इसी उधेरबुन में फँसी रहती हैं उसे लाख सोचने पर भी कुछ समझ नही आता कि वो क्या करे. अब तो वो सब अपने नसीब पर छोड़ने का फ़ैसला कर लेती है चाहे जो भी हो, जैसे भी हो मेरी किस्मत उपर वाले के हाथ में हैं.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--15

राधिका को ऐसे सोच में डूबा देखकर कृष्णा एक टक उसको बड़े प्यार से देखता रहता हैं. राधिका इस समय पूरा भीग चुकी थी. उसकी साड़ी पूरे उसके जिस्म से चिपक गयी थी. उसे गान्ड और दूध पूरी तरह से गोल गोल शेप में दिख रहे थे जो किसी का खून गरम करने के लिए काफ़ी थे. और कुछ देर में कृष्णा का लंड भी अपना आकार ले चुका था.

कृष्णा- किस सोच में डूब गयी हो राधिका?? कोई बात हैं क्या??

राधिका को कृष्णा की आवाज़ सुन कर जैसे वो किसी नींद से जागती हैं और एक दम से हड़बड़ा जाती हैं.

राधिका- वो.........नही भैया क.....कोई बात नहीं.

कृष्णा- देख राधिका अगर तेरा मन ये सब करने का नहीं हैं तो मैं तुझे कभी मज़बूर नही करूँगा. मैं तो बस यही चाहता हूँ कि तू खुद अपनी मर्ज़ी से ये सब करे. मैं तुझे सिड्यूस करके पाना चाहता हूँ.

राधिका- ऐसी कोई बात नहीं हैं भैया . पर क्या ये सब ठीक रहेगा आपको क्या लगता हैं. क्या दुनिया इसे सही मानेगी. क्या कोई बेहन अपने ही भाई का बिस्तेर गरम कर सकती हैं.कभी नही भैया दुनिया कभी हमारे रिश्ते को नही मानेगी. आप पर तो कोई भी उंगली नही उठाएगा मगर मैं किस किस का मूह बूँद करूँगी. ये दुनिया ये समाज मुझे जीने नहीं देगा. बोलो हैं आपके पास इसका कोई जवाब.???

कृष्णा- क्या राधिका तुम भी ना फिर से वही बात लेकर बैठ गयी. ये दुनिया और ये समाज़ का काम ही हैं बस बोलना. बोलने दो. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता.

राधिका- लेकिन मुझे फ़र्क पड़ता हैं भैया. आपको क्या मालूम कि, औरत की ज़िंदगी इतनी आसान नही होती. अगर कल को कोई लड़की शादी होकर अपने ससुराल जाती हैं और उसके पति की किसी आक्सिडेंट में मौत हो जाती हैं तो दुनिया लड़के को नही दोष देती. उल्टे लड़की पर हज़ारों उंगली उठाती हैं. कि लड़की अप्शगुनि हैं तो डायन , आते ही अपने पति को खा गयी, और पता नहीं क्या क्या...............

कृष्णा- लेकिन तुझपर जो उंगली उठाएगा उसका मैं हाथ तोड़ दूँगा. जिसने भी तेरे बारे में कुछ बोला साले की ज़ुबान काट दूँगा.

राधिका- भैया ये सब इतना आसान नही हैं. मैं इस वक़्त ये सब नही कर सकती भैया मुझे अभी और वक़्त चाहिए. प्लीज़ मेरी बात का बुरा मत मानना. मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हूँ.

कृष्णा भी राधिका के करीब जाता हैं वो उसे अपने सीने से लगा लेता हैं. उपर से शवर का पानी में वो दोनो पूरी तरह से भीग जाते हैं . कृष्णा उसके माथे को चूम लेता हैं .

कृष्णा- ठीक हैं राधिका, मैं तुम्हें पाने के लिए कुछ पल तो क्या ज़िंदगी भर इंतेज़ार करने को भी तैयार हूँ. मुझे उस पल का बहुत बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.

राधिका की आँखो से आँसू छलक पड़ते हैं और वो कस कर कृष्णा को अपने सीने से लगा लेती हैं.

राधिका- अब ऐसे ही पूरा नंगे रहोगे क्या. आपको तो शरम हैं नही , ये भी नही मालूम कि घर पर एक जवान बेहन भी हैं.

कृष्णा- मुस्कुराते हुए , हां पता हैं अरे तू तो मेरी ही खून हैं ना. जब मैं तुझे अपना समझता हूँ तो तुझसे किस बात का शरमाना .

राधिका- बस बस बहुत हो गया आप इस वक़्त बाथरूम से बाहर चले जाइए और चुप चाप जाकर अपने कपड़े पहेन लीजिए.

कृष्णा झट से बाहर निकल जाता हैं और जाकर दूसरे कपड़े पेहेनने लगता हैं तभी उसके घर का बेल बजता हैं. बेल सुनकर राधिका और कृष्णा के होश उड़ जाते हैं. वो जल्दी से अपने कपड़े पहनता हैं और जाकर दरवाजा खोलता हैं. सामने निशा खड़ी थी.

निशा- भैया, राधिका घर पर हैं क्या???

कृष्णा-हां , आओ ना अंदर अभी वो नहा रही हैं.

निशा घर के अंदर आती हैं और वही सोफे पर बैठ जाती हैं.

थोड़ी देर के बाद राधिका भी अपने कपड़े बदल कर एक नया सूट पहनकर निशा के पास आती हैं.

निशा- कहाँ थी अब तक मेडम??? फोन भी लगाने पर तुम रिसीव नहीं करती और आज कॉलेज क्यों नही आई. मैं आज सुबह से ही तेरा वेट कर रही थी.

कृष्णा-क्या??? राधिका तुम आज कॉलेज नही गयी, पर क्यों???

राधिका- हां वो भैया मेरी तबीयत आज कुछ ठीक नही लग रही ही. तो दिन भर मैं आज घर पर सोई थी.

निशा उसको घूर कर देखती हैं वो अच्छे से जानती थी कि राधिका कभी कॉलेज गोल नहीं करती हैं. चाहे उसका तबीयात ही क्यों ना खराब हो??

कृष्णा भी थोड़े देर वहाँ रुक कर बाहर निकल जाता हैं.

राधिका- यार तू थोड़ी देर अपना मूह नही बूँद रख सकती थी क्या???

निशा- यार आज तेरा बर्तडे हैं. तुझे अच्छे से पता हैं कि मैं तेरा बर्तडे हमेशा से विश करती चली आ रही हूँ. फिर भी तू आज कॉलेज नहीं आई. बात कुछ और हैं राधिका तू मुझसे कुछ छुपा रही हैं.

राधिका- नही निशा सच में.............कोई बात नही हैं..

निशा- एक बात और बता तू आज कुछ परेशान लग रही हैं बात क्या हैं??? मैने तुझे इतने टेन्स में कभी नही देखा.

राधिका- नही निशा, बिलिव मी यार ऐसी कोई बात नहीं हैं..

निशा- एक बात कहूँ मैने अभी देखा हैं कि कृष्णा भैया भी अभी अभी नहा कर बाहर निकले हैं और तू भी इस वक़्त नहा कर आ रही हैं. और मैं जानती हूँ कि तेरे घर में सिर्फ़ एक ही बाथरूम हैं. क्या जो मैं समझ रही हूँ कहीं वो बात तो नहीं हैं ना.

इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग एक दम उड़ जाता हैं और वो झट से अपना सिर नीचे झुका लेती हैं. बस निशा को सब समझ में आ जाता हैं.

निशा- राधिका तेरा दिमाग़ तो नहीं खराब हो गया ना. क्यों तू अपने ही जिंदगी से खिलवाड़ कर रही हैं. पता भी हैं आगे जाकर इसका क्या अंजाम होगा.

राधिका-प्लीज़ निशा मुझे बस मेरे हाल पर छोड़ दे. मैं जैसे भी हूँ ठीक हूँ.

निशा- मेरी आँखों में देखकर बता राधिका कि जो तू ये सब कर रही हैं क्या ये सब तुझे ठीक लगता हैं. भला तू अपने ही भैया से वो सब कैसे कर सकती हैं. क्या तेरी आत्मा इस बात की गवाही नही देती कि.............
 
राधिका-बस कर निशा , मैं ये सब बिल्कुल सुनना नहीं चाहती, प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- मुझे विश्वास नही होता कि तू वही राधिका हैं जो कल तक तुझे जो भी आँख उठा कर देख लेता था तू उसका बॅंड बजा देती थी तो आज क्या हो गया हैं तुझे. क्यों आज अपने ही बदन को अपने ही भाई के हवाले करना चाहती हैं. क्यों तू अपने आप को बर्बाद करना चाहती हैं.

राधिका- बोल ले निशा जितना जी में आए मुझे बोल ले, मैं तुझे आज एक शब्द भी नही बोलूँगी.

निशा- ठीक हैं राधिका ये ले मेरा गिफ्ट अब मैं चलती हूँ हो सके तो तू मुझे माफ़ कर देना. आज के बाद मैं तुझसे कभी नही मिलूंगी.

राधिका की आँखो से आँसू निकल पड़ते हैं और वो झट से निशा का हाथ पकड़ लेती हैं.

राधिका- मुझे माफ़ कर दे निशा मेरा ये इरादा नहीं था कि तुझे दुख पहुँचे. राधिका अपने आँखों से आँसू पोछते हुए बोली.

निशा- प्लीज़ राधिका मुझे जाने दे. मैं अब तेरे साथ कोई भी रिश्ता नही रखना चाहती प्लीज़ लीव मी..............

राधिका- अगर तू इस वक़्त यहाँ से चली गयी तो मेरा मरा हुआ मूह देखेगी. और तू जानती हैं कि मैं बोलती नही करती भी हूँ.

निशा के बढ़ते कदम इतना सुनकर रुक जाते हैं और फिर वो राधिका के करीब आती हैं.

निशा- तू क्यों ऐसा कर रहीं हैं. क्यों तू अपने ज़िंदगी बर्बाद करने पर तुली हुई हैं.आख़िर क्या जताना चाहती हैं तू.... ....मेरी बात मान राधिका अब भी कुछ नहीं बिगाड़ा हैं वक़्त रहते सम्भल जा. वरना कल को तेरी शादी हो गयी और तेरे ससुराल वालों को इस बात की भनक भी लग गयी तो तेरा ज़ीना मुश्किल हो जाएगा.

राधिका- जाने दे ना निशा मैं सब कुछ अपने नसीब पर छोड़ चुकी हूँ. अगर मेरे नसीब में गिरना ही लिखा हैं तो मुझे गिरने से कोई नहीं बचा सकता.

निशा- नसीब वासीब कुछ नही होता राधिका. यहाँ पर इंसान खुद अपनी तकदीर बनाता हैं और बिगाड़ता हैं. आज भी सब कुछ तेरे हाथों में हैं. आगे तेरी मर्ज़ी ....................

फिर कुछ देर के बाद दोनो नॉर्मल होते हैं और कृष्णा भी घर पर आ जाता हैं और फिर दोनो मिलकर राधिका का बर्तडे सेलेब्रेट करते हैं. राधिका भी उसे अपने घर पर खाना खिलाती हैं और फिर निशा करीब 7 बजे अपने घर चली जाती हैं.

निशा के जाने के बाद वो उसका गिफ्ट पॅक खोलती हैं उसमें एक लाल डायरी था.जिसे देखकर राधिका का चेहरा ख़ुसी से खिल उठता हैं. .....

राधिका कुछ देर में घर का सारा काम ख़तम करके, बिस्तर पर लेट जाती हैं. उसकी आँखों में नींद कोसो दूर थी. जैसे ही वो बिस्तेर पर लेट ती हैं उसके आँखों के सामने सुबह से अब तक की पूरी घटनायें याद आने लगती हैं. जो भी हो आज उसका दिन वाकई में यादगार बन गया था. सुबह उठाते ही भैया का सर्प्राइज़ प्रेज़ेंट, फिर दिन भर राहुल के साथ वो हसीन पल और शाम को भैया के साथ वो घटनायें सब कुछ उसकी नज़र के सामने घूमने लगता हैं.काफ़ी देर तक ये सब सोचते सोचते उसको नीद आ जाती हैं.

सुबह जब उसकी आँख खुलती हैं तो वो झट से फ्रेश होती हैं और नाश्ता बनाकर अपने कॉलेज के लिए निकल पड़ती हैं. थोड़ी देर में उसके बाप और भैया दोनो बाहर निकल जाते हैं.

पोलीस स्टेशन में.................

इधेर राहुल भी सुबह 9 बजे अपने पोलीस हेडकार्टर पहुँच जाता हैं. उसके थोड़ी देर के बाद ही ख़ान भी जीप से उतरकर उसके सामने आता हैं.

ख़ान- गुड मॉर्निंग सर!!!!

राहुल- वेरी गुड मॉर्निंग ख़ान भाई , कहिए क्या हाल समाचार हैं.

ख़ान- सर एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी आपसे. मामला बहुत गंभीर हैं.

राहुल- बोलो ख़ान क्या बात हैं??

ख़ान- सर कल रात में करीब 10 बजे एम.जी चौक पर पोलीस मुठभेड़ में दो बदमाश मारे गये हैं . और सर हमारे कॉन्स्टेबल रघु के हाथ में भी गोली लगी हैं. अभी वो हॉस्पिटल में अड्मिट हैं. और ख़तरे से बाहर हैं.

राहुल- क्या???? इतना सब कुछ हो जाने पर तुम अभी मुझे ये रिपोर्ट दे रहे हो. कल नही बता सकते थे क्या???

ख़ान- सॉरी सर आपने कल छुट्टी ली थी तो मैने आपको डिस्टर्ब करना सही नही समझा.

राहुल- चलो कोई बात नही लेकिन आगे से मुझे तुरंत रिपोर्ट मिलनी चाहिए. और हां उन बदमाशों का कुछ पता चला क्या,, कौन थे वो?? और उनका मकसद क्या था.

ख़ान- सर कल रात मे हमने एम.जी रोड पर नाकाबंदी कर रखी थी. इतने में ये दोनो बदमाश अपनी मोटरसाइकल से आए और आते ही हम पर फाइरिंग कर दी. जवाब में हमे भी गोली चलानी पड़ी. और ये दोनो मारे गये.
 
राहुल- इनके पास कुछ समान मिला हैं क्या कोई आइ.डी या कुछ????

ख़ान- हां सर इनके पास ड्रग्स के कुछ पॅकेट्स थे. और एक रेवोल्वेर भी मिला हैं. जिससे ये लोग हम पर हमला किए थे.

ख़ान- और सर इनका पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ये भी पता चला हैं कि ये दोनो बहुत दिनो से ड्रग्स के अडिक्ट थे. और ये शायद इसका धनदा भी करते थे. और एक चौकाने वाली बात भी पता चली हैं.

राहुल- कौन सी बात??

ख़ान- सर हम ने इस रेवोल्वेर की पूरी आइडेंटिफिकेशन निकाली हैं. ये रेवोल्वेर किसी डॉक्टर के नाम से इश्यू हैं. पर सर नाम और अड्रेस जाली हैं. और हां सर आप पर जो 5 महीने पहले जो हमला हुआ था वो गोली इसी रेवोल्वेर से चलाई गयी थी.

अब चौकने की बारी राहुल की थी.

राहुल- क्या बकते हो ख़ान ??

ख़ान- हां सर हमने पूरी रिपोर्ट टेस्ट करवाई हैं और जिससे ये 100% प्रूफ होता हैं की ये गोली इसी रेवोल्वेर की हैं. ख़ान रिपोर्ट देते हुए बोला.

राहुल- तो इसका मतलब जो गोली मुझपे चलाई गयी थी और जो गोली रघु को लगी हैं वो दोनो सेम हैं. और एक ही रेवोल्वेर से चलाई गयी हैं. इसका मतलब ये कोई बहुत बड़ी साज़िश रची गयी हैं. यानी कि ये दोनो सिर्फ़ मोहरे थे. इनका असली मालिक कोई और हैं.

ख़ान- हां सर आपने बिल्कुल सही पहचाना .

राहुल- पूरे सहर में रेड अलर्ट घोषित कर दो. सहर से जानी वाली सारी गाड़ियों की अच्छे से तलाशी लो. मुझे किसी भी हाल में ये ड्रग्स का धंधा करने वाले गिरोह को पकड़ना हैं. उसके बाद उन सालों की ऐसी मौत मारूँगा कि मौत भी शरमा जाएगी.

फिर थोड़ी देर के बाद राहुल खुद जाकर उनका मुआइना करता हैं. और फिर इस केस की तहक़ीकात शुरू कर देता हैं.

वहाँ से दूर ...................बिहारी के गेस्ट हाउस में.

विजय- नमस्कार बिहारी जी.

बिहारी- आओ आओ विजय कैसा चल रहा हैं धंधा पानी.

विजय-आपको तो सब पता हैं कि कल रात हमारे दो आदमी मारे जा चुके हैं और पोलीस भी अब आक्टिव हो गयी हैं. जगह जगह नकबंदी भी लगा रखा है. अब तो समझ लो कि धंधा बिल्कुल बंद हो गया हैं.

बिहारी- तो इसमें मैं क्या कर सकता हूँ. ऐसे ऐसे नमूने लोगो को रखोगे अपने धंधे में तो यही होगा ना.

विजय- प्लीज़ बिहारी जी आप कैसे भी करके इस सिचुयेशन को हॅंडल कर लीजिए.वरना वो हरामी राहुल को अगर भनक भी लग गयी कि ड्रग्स का गॅंग लीडर मैं ही हूँ तो साला मुझे ज़िंदा दफ़न कर देगा.

बिहारी- मैं इस वक़्त कुछ नहीं कर सकता. अभी एलेक्षन का टाइम हैं और मैं अपनी रेप्युटेशन नही खराब करना चाहता. बेहतर इसी में हैं कि तुम कुछ दिनो तक अपना धंधा बंद कर दो. जब हालत सुधर जाएँगे तो देख लेंगे.

विजय- बिहारी तुम मेरे दोस्त हो इसका मतलब ये नही कि तुम केवल अपना ही फ़ायदा निकालो. आज जो तुम्हारी पोज़िशन हैं सब मेरी बदौलत हैं. और आज भी तुम मेरे बगैर ये एलेक्षन जीत नहीं सकते. तो अब मुझे नही लगता कि अब मुझे तुमसे इस बारे में कोई बात करनी चाहिए. बाकी तुम खुद समझदार हो.

बिहारी- ठीक हैं ठीक हैं. मैं कुछ सोचता हूँ. लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा.

विजय- बोल ना बिहारी तुझे क्या चाहिए.

बिहारी- तू तो जनता ही हैं ना मेरी कमज़ोरी. लड़की चाहिए मुझे चोदने के लिए. ना कि रंडी.

विजय- अरे यार अब तेरे लिए मैं लड़की का कहाँ से इंतज़ाम करू. ठीक हैं मैं कुछ सोचता हूँ.

विजय मन ही मन बिहारी को गाली देता हैं. साला मदर्चोद देख लेना किसी दिन कुत्ता ये लड़की के चक्कर में साला बर्बाद हो जाएगा. साला 50 साल का हो गया मगर ऐय्याशि साले की दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही हैं. अपना तो फँसेगा साला कहीं मुझे भी ना ले डूबे.

कुछ देर तक उन दोनो में ऐसी ही बात होती हैं फिर दोनो वहाँ से निकल जाते हैं अपने अपने रास्ते.

विजय - अब मदर्चोद के लिए लड़की कहाँ से ले आऊ. साला रंडी माँगता तो मैं काजीरी से बोलकर लाइन लगा देता. और अब मेरी नज़र में तो कोई लड़की.............................एक दम से विजय को कुछ याद आता हैं और उसके चेहरे पर मुस्कान फैल जाती हैं...........................................................हैं एक लड़की तो है...........
 
दूसरे दिन जब राधिका कॉलेज पहुँचती हैं तो वही पर कॅंटीन में निशा भी बैठी मिलती हैं. वो उसके पास जाकर बैठ जाती हैं.

निशा- आ गयी जान. मैं तेरा ही इंतेज़ार कर रही थी.

राधिका- हां तुझे तो मेरे बिना एक पल भी चैन ही नही मिलता.शुक्र हैं कि मैं तेरी सहेली हूँ वरना बाय्फ्रेंड होती तो ......... इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.

वही थोड़े दूर पर दो लड़के आपस में बात कर रहे थे और वो उनकी बात सुन लेते हैं तभी एक बोल पड़ता हैं

पहला- यार हम क्या मर गये हैं. हमे अपना बाय्फ्रेंड बना लो कसम से मज़ा आ जाएगा.

दूसरा- यार हमारी भी रातें रंगीन हो जाएगी और तुम्दोनो की भी.बोलो ना क्या कहती हो.

जैसा कि निशा ने उम्मीद की थी कि राधिका इस बार ज़रूर उनका बॅंड बजाएगी मगर अब झटका लगने की बारी उन लड़कों की नही बल्कि निशा की थी.

राधिका- यार निशा चलो ना कहीं और चलते हैं.

निशा- एक दम से हैरत से देखते हुए- राधिका!!! ये तू बोल रही हैं मैं बिल्कुल विश्वास नही कर सकती!!! ओह गॉड आइ कॅन'ट इमॅजिन!!!!

राधिका- इसमें हैरत की क्या बात हैं. प्लीज़ चलो ना यहाँ से.

निशा उठकर उन्दोनो के करीब जाती हैं और जाकर वही खड़ी हो जाती हैं.

निशा- हां तो आप क्या बोल रहे थे ज़रा मैं भी तो सुनू.निशा एक दम गुस्से होकर और उन्दोनो को घूर कर बोली..

निशा के ऐसे तेवर देखकर दोनो लड़के चुप चाप वहाँ से सॉरी बोल कर निकलने लगते हैं. लेकिन जवाब में निशा उन्दोनो को एक एक थप्पड़ गाल पर मार देती हैं.

निशा- हम कमज़ोर नहीं हैं. और हमे कमज़ोर समझने की ग़लती भी मत करना. आज के बाद किसी ने हम से ऐसी बातें भी की तो साले का मूह नूच लूँगी.

और कुछ देर में महॉल पहले जैसा हो जाता हैं. इतना सब कुछ होने के बाद भी आज राधिका पहली बार एक भी शब्द नही बोली थी.

निशा भी चुप चाप राधिका के पास जाकर बैठ जाती हैं. और उसकी आँखों से आँसू का एक सैलाब बहने लगता हैं.

राधिका- प्यार से निशा के कंधे पर हाथ रखकर- क्या ज़रूरत हैं तुझे ऐसे लड़कों से उलझने की.

निशा- मर गयी निशा!!! आज से मैं तेरी कोई नही राधिका, प्लीज़ लीव मी अलोन!!!

राधिका एक टक उसको देखती हैं फिर से अपना हाथ उसके हाथ में रख देती हैं

राधिका- आख़िर बताएगी भी कि बात क्या है. तू मुझसे ऐसे क्यों पेश आ रही हैं.आख़िर तू रो... क्यों रही हैं???

निशा- ये बात मुझे तुझसे पूछनी चाहिए कि आख़िर तुझे क्या हो गया हैं. मुझे विश्वास नही हो रहा कि तू अब वो राधिका हैं . कल तक जो आदमी घूर कर देख भी लेता था तू उसका पूरा बॅंड बजा देती थी लेकिन आज ऐसा क्या हो गया हैं जो वो दो लड़के इतना सब कुछ बोल कर हमे निकल गये और तू एक भी शब्द नही बोली. मैं इसकी वजह जानना चाहती हूँ.

राधिका इतना सुनकर कुछ देर तक खामोश रहती हैं मगर कोई जवाब नही देती हैं.

निशा- बोल ना राधिका चुप क्यों हैं. मुझे तेरा जवाब चाहिए.है कोई इसका जवाब????

राधिका- प्लीज़ निशा ये सब बातें बाद में करेंगे. प्लीज़ अब रोना बंद का ना.

निशा- मैं जानती थी कि तेरे पास इसका कोई जवाब नही होगा. अब तू वो राधिका नही रही जो मेरी कभी जान हुआ करती थी.

निशा- आख़िर तू क्या साबित करना चाहती हैं राधिका. प्लीज़ मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ तू अपने आप को तमाशा मत बना. ये रास्ता तुझे ज़िंदगी की ओर नहीं बल्कि मौत की ओर ले जाएगा. और जब तक तू इस बात को समझेगी तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. और मैं अपनी राधिका को किसी भी कीमत पर खोना नही चाहती .आगर तुझे कुछ हो गया तो मैं तेरे बगैर नही जी पाउन्गि. तू मेरी जान से बढ़कर हैं. प्लीज़ ................इतना कहकर निशा फूट फूट कर राधिका के कंधे पर रोने लगती हैं.

राधिका के भी आँखें नम हो जाती और वो अपना हाथ बढ़ाकर निशा के आँसू पोछती हैं. दोनो के आँखों से आँसू रुकने का नाम ही नही ले रहे थे.

कुछ देर तक वो दोनो ऐसे ही लिपटकर एक दूसरे से रोते हैं.

निशा- देख राधिका मैं तेरी कोई दुश्मन नही हूँ. और मैं कभी नही चाहूँगी कि तुझपर कोई आँच भी आए. मैं तो यही भगवान से दुआ करती हूँ कि अगर मौत भी आकर मुझसे कहे तो मैं तेरे बदले अपनी जान देना पसंद करूँगी मगर तुझे कुछ नहीं होने दूँगी.

राधिका अपने आँसू पोछते हुए- प्लीज़ निशा ऐसी बात मत कर, तुझे मैं कैसे समझाऊ कि आज मैं किस मज़धार में खड़ी हूँ. मेरे सामने एक तरफ़ पहाड़ हैं तो डुसरी तरफ खाई. आइ आम सॉरी निशा मैं तुझे अपनी मज़बूरी नही बता सकती. लेकिन वादा ज़रूर करती हूँ कि वक़्त आने पर तुझे सब कुछ पता चल जाएगा.

निशा- आख़िर कौन सी मज़बूरी हैं जो तू मुझे नहीं बता सकती.

राधिका- नही निशा प्लीज़ मुझे फोर्स मत कर मैं इस वक़्त तुझे नही समझा सकती.

निशा- लेकिन मैं जानती हूँ तेरी मज़बूरी का कारण, तेरे भैया हैं ना वो वजह.और तू अपने ही भैया के साथ सोना चाहती हैं यही हैं ना तेरी मज़बूरी.

राहिका- प्लीज़ निशा मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ प्लीज़ चुप हो जा.

निशा- ठीक हैं राधिका अगर तेरी यही ज़िद्द हैं तो मैं अपने सर की कसम खा कर कहती हूँ कि मैं आज के बाद तेरे भैया और तेरे बीच में कभी नहीं आउन्गि. आज से तेरे जो दिल में आए तू कर.मैं तुझे कभी कुछ नहीं कहूँगी, मगर एक बात याद रखना कि तू अपनी ही ज़िंदगी से एक घिनौना मज़ाक कर रही हैं. जिसका अंजाम आगे जाकर बहुत भयानक होने वाला हैं.

राधिका- मुझे अपनी चिंता नहीं हैं निशा, मुझे अपनों के खोने का दर्द मालूम हैं. एक बार मैं आपनी मा को खो चुकी हूँ और अब अपने भैया को नही खोना चाहती. चाहे इसके बदले मुझे कितनी भी बड़ी कीमत क्यों ना चुकानी पड़े.

निशा- अरे बलिदान वहाँ दिया जाता हैं जहाँ लोग उसकी कद्र समझे . तुझे क्या लगता हैं कि तेरी कुर्बानी से क्या तेरे भैया अपना ज़िंदगी संवार लेंगे. कभी नहीं राधिका हां तेरे भैया को तो नहीं पर मेरी जान से बढ़कर मेरी राधिका ज़रूर मुझसे दूर हो जाएगी.

इतना कहकर एक बार फिर निशा राधिका को अपने गले लगा लेती हैं.

राधिका- चल बहुत बड़ी बड़ी बातें करती हैं. अब अंकल से बोलकर तेरे हाथ जल्दी से पीले करने पड़ेंगे.लगता हैं तू तो मेरे से भी बेस्ट हाउसवाइफ बनेगी.

निशा- मारूँगी समझी. और फिर दोनो के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती हैं. .....
 
वक़्त के हाथों मजबूर--16

आज राधिका के मंन में हज़ारो सवाल उठ रहे थे. उपर से निशा के ऐसे तेवर देखकर उसे खुद विश्वास नही हो रहा था. वो कॉलेज अटेंड कर के घर आती हैं और फ्रेश होकर खाना बनाती हैं.

दूसरे दिन सुबह ही राहुल का फोन आता हैं और वो राधिका से मिलने के लिए बेचैन रहता हैं. आज सनडे होने के कारण वो राधिका को लेने उसके घर आता हैं और कुछ देर में वो उसे अपने घर ले जाता हैं.

राहुल- जान अब तो मैं यही सोचता हूँ कि जल्दी से जल्दी हम शादी कर ले.

राधिका- हां तो जनाब कब मुझे मन्गल्सुत्र पहना रहे हैं.

राहुल- बहुल जल्दी. देख लेना ऐसा बारात लेकर आउन्गा की सारा सहर देखता रह जाएँगा. और मैं अपनी दुल्हन को अपनी बाहों में उठाकर इस घर में ले आउन्गा.

राधिका- लेकिन आप तो हम से सुहाग रात पहले ही मना चुके हैं. अब उसका क्या.

राहुल- अरे तो क्या हुआ ये सब चीज़ों से भला कभी मन भरता हैं क्या. और राहुल मुस्कुरा देता हैं और राधिका भी शरम से अपनी नज़रें नीचे झुका लेती हैं.

राहुल- अरे वाह हमारी दुल्हन तो हम से शरमा रही हैं. लगता हैं आभी भी पूरी शरम गयी नही हैं. आज पूरी बची हुई भी उतार दूँगा.

राधिका का चेहरा शरम से लाल हो जाता हैं.और वो भी धीरे से मुस्कुरा देती हैं.

कुछ देर इधेर उधेर की बातें होती हैं फिर दोनो नाश्ता करते हैं और फिर राहुल उसे अपने कमरे में ले जाता हैं.

अंदर आकर वो झट से राधिका को कस कर अपनी बाहों में ले लेता हैं और अपने लब से राधिका के लब को चूम लेता हैं. और फिर धीरे धीरे उसे अपने दाँतों से काटने लगता हैं और जवाब में राधिका भी अपना बदन को उसके हवाले कर देती हैं और अपनी आँखें बंद कर के अपना हाथ उसके सर पर फिराती हैं.

कुछ देर तक ऐसे ही वो दोनो आपस में एक दूसरे के होंठ चूस्ते और चाट ते हैं.

राहुल जब से राधिका से मिला था वो कुछ परेशान सा दिख रहा था, और राधिका भी उसके चेहरे पर परेशानी सॉफ सॉफ पढ़ लेती हैं.

राधिका- अपने से राहुल को दूर करते हुए. बात क्या हैं राहुल मैं जब से तुमसे मिली हूँ तुम कुछ परेशान से दिख रहे हो.

राहुल- हां जान , क्या करू बात ही ऐसी हैं.

राधिका- मुझे नही बताओगे क्या.

राहुल- राहुल कुछ देर तक सोचता हैं फिर बोलना शुरू करता हैं.

राहुल- दर-असल परसों रात में दो बदमाश मारे गये थे पोलीस मुठभेड़ में. जानती हो वो दोनो कौन थे.

राधिका- चौुक्ते हुए, कौन???

राहुल- याद हैं जब मैं पहली बार तुमसे मिलने तुम्हारे घर आया था तब किसी ने मुझपर हमला किया था, वो दोनो हमलावर यही थे. ये तो बस मोहरे थे मगर इनका लीडर अभी पकड़ा नही गया हैं.

राधिका- चलो राहुल ये तो और भी अच्छा हुआ, मगर आगे से तुम सावधान रहना.

राहुल- मुझे तो ये चिंता सता रही हैं कि मेरी हर पल पल की खबर इनके पास कैसे पहुचती हैं. कोई तो ऐसा आदमी हैं जो हमारी पोलीस फोर्स में इनको पल पल की खबर दे रहा हैं. वरना मैं उस दिन तुम्हारे यहाँ पहली बार आया था और ये सब इनको कैसे मालूम हुआ कि मैं इस वक़्त तुम्हारे घर पर हूँ. जबकि मैं उस दिन किसी को ये बात नही बताई थी.

राधिका- एक दम से उसे कुछ याद आता हैं. मैं यकीन से तो नही कह सकती राहुल मगर हो ना हो इन हमलावरो के पीछे ज़रूर तुम्हारे दोस्त विजय का हाथ हो सकता हैं.

राहुल- चौुक्ते हुए. तुम कैसे इतना यकीन से कह सकती हो. क्या तुम्हारे पास कोई सुबूत हैं.

राधिका- याद हैं राहुल जब तुम पर हमला हुआ था उसके करीब 20 मिनिट पहले तुम्हारे दोस्त विजय का फोन आया था.और तुमने ही तो उसे बताया था कि तुम इस वक़्त मेरे घर पर हो.

राहुल- हां मानता हूँ की विजय का 20 मिनिट पहले फोन आया था, लेकिन वो तो हर रोज़ मुझसे ऐसी ही बातें करता हैं. और रोज़ मुझसे मिलकर अपना हाल चाल जानकार अपने क्लिनिक चला जाता हैं. नही वो ऐसा नहीं कर सकता.

राधिका- लेकिन ये बात तो उस वक़्त बस विजय ही जानता था की तुम कहाँ पर हो. और हो सकता हैं वो ही तुम पर हमला करवाया हो.

राहुल- नही राधिका, विजय को मैं अच्छे से जानता हूँ, वो मेरे दोस्त ही नही बल्कि मैं उसे अपना छोटे भाई की तरह मानता हूँ. वो ऐसा कभी नही कर सकता. और ये भी तो हो सकता हैं कि उन हमलावरो ने मेरी गाड़ी का पीछा किया हो और मौका देखकर मुझपर हमला कर दिया हो.

राधिका- जो भी हो राहुल मुझे ये तुम्हारा दोस्त कुछ ठीक नही लगता. मैं तो बस यही कहूँगी कि तुम बस सावधान रहना.

राहुल- मुझे कुछ नही होगा राधिका. तुम जो मेरे साथ हो. देख लेना एक दिन साले सब पकड़े जाएगे. और तुम बे-वजह मेरे दोस्त पर शक कर रही हो. वो ऐसा नहीं हैं.
 
राधिका भी अब कुछ बोलना ठीक नही समझी और फिर वो राहुल की आँखों में एक टक देखने लगती हैं.राधिका ने जिस तरफ उसको इशारा किया था अगर राहुल विजय के बारे में ज़रा भी सीरीयस होता तो आने वाले तूफान को रोकना उसके हाथ में था. मगर यहाँ पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंज़ूर था.

कहते हैं कि अगर बड़े ख़तरे टलने हो तो आस पास के छोटे ख़तरों को नज़र अंदाज़ नही करनी चाहिए. बस यहाँ पर राहुल की एक छोटी सी भूल की वजह से ना जाने कितनों की ज़िंदगी पर इसका असर पड़ने वाला था.

राधिका- हो गया ना मिस्टर. आपका टेन्षन ख़तम.

राहुल- राधिका को गले लगाते हुए. हां जान तुम मेरे साथ होती हो तो मैं सब कुछ भूल जाता हूँ. चलो इसी खुशी में कुछ मूह मीठा करते हैं.

राहुल किचन में जाकर एक बटर केक ले आता हैं और अपने मूह में आधा रख लेता हैं.

राधिका- ये क्या राहुल मुझे मूह मीठा करने से पहले तुम खुद ही अपने मूह मीठा कर लिए.

राहुल- आज हम ऐसे ही आपका मूह मीठा कराएँगे. राहुल बटर केक को मूह से निकालते हुए कहता हैं और फिर अपने मूह में वापस रख लेता हैं.राधिका भी समझ जाती हैं की राहुल क्या चाहता हैं और वो मुस्कुरा कर उसके करीब चली जाती हैं.

राधिका भी अपना मूह खोलती हैं और राहुल के मूह में आधे बटर को धीरे धीरे अपने मूह में लेना शुरू कर देती हैं. राहुल भी एक हाथ बढ़ाकर उसके सीने पर रख देता हैं और कस कर उसके निपल्स को अपनी उंगली से मसल देता हैं. राधिका के मूह पहले से ही राहुल के मूह में था इस वजह से वो कुछ नही बोल पाती और धीरे धीरे उसके हाथ सरकते हुए राधिका की कमर के नीचे उसके गान्ड पर सरकने लगते हैं.

राहुल भी अब पूरा केक राधिका के मूह में दे देता हैं और राधिका बड़े ही प्यार से उसे खा जाती हैं.

राधिका- लगता हैं अब मुझे ऐसे ही खाना भी खाना पड़ेगा.

राहुल- तो इसमें क्या बुराई हैं. क्यों टेस्ट अच्छा नही लगा क्या.

राधिका- देख रहीं हूँ राहुल अब तुम भी धीरे धीरे बदमाश होते जा रहे हो. और राधिका फिर से मुस्कुरा देती हैं....

राहुल- पहले ये बताओ कि बटर केक का टेस्ट कैसा था.

राधिका-हां वैसे तो कोई बुरा नही था.ठीक ही था. इतना कहकर राधिका मुस्कुरा देती हैं.

राहुल- आज तो जी चाहता हैं कि मैं तुम्हारा रेप कर दू. कसम से जब से तुम मेरे संपर्क में आई हो और भी निखरती ही जा रही हो.

राधिका- तो कर लो ना मैने कब मना किया हैं. वैसे पोलीस वालों के लिए बलात्कार करना कोई नयी बात थोड़ी ही ना हैं.

राहुल- जाने दो नहीं करता. नहीं तो कहोगी की तुममें और बाकी पोलिसेवालों में क्या फ़र्क हैं.

राधिका- अगर नही किए तो अब मैं तुम्हारा रेप करूँगी. फिर कल अख़बार में नयी खबर आएगी कि एक लड़की ने पोलिसेवाले की इज़्ज़त लूट ली और उस पोलिसेवाले ने नदी में कूदकर अपनी जान दे दी. राधिका मुस्कुराते हुए बोली.

राहुल- यार सच में तुम कमाल की हो. किसी की भी वॉट लगाने में बिल्कुल देऱ नही करती हो. सच ही लोग तुम्हारे बारे में कहते हैं कि तुम पूरी आटम बॉम्ब हो.
 
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