desiaks
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नेहा अपनी टाँगें फैलाए हुए थे और अनिल का मुँह उसकी टाँगों के बीच में था, उसकी जीभ अपनी बहन की चूत का रस चाट रही थी। जबकि सुनील नेहा की जीभ से रस निकाल रहा था जो नेहा ने उसके मुँह के अंदर डाला हुआ था। फिर धीरे-धीरे कुछ देर बाद नेहा की दोनों चूचियां भाइयों के मुँह में थीं, एक ने बाईं चूची लिया था चूसने को तो एक दायीं वाली चूस रहा था।
इस वक्त नेहा बेहाल थी जिश्म को रेंगते हुए बेड पर। वो जैसे एक नशे की हालत में थी, खुद बेहोश लग रही थी मजे लेते हुए। दोनों भाइयों का एक-एक हाथ नेहा की चूत पर था उस दौरान और उसकी चूत में से पानी बह रहा था, दोनों भाइयों के हाथ बिल्कुल भीग गये थे उसकी चूत के पानी से। नेहा का जिश्म भाइयों के हाथ में काँप उठा और थरथराई। नेहा गहरी साँसें ले रही थी, उसकी आवाज में तड़प भरी थी और वो सिसक रही थी। बिल्कुल गरम हो चुकी थी और लण्ड अपने अंदर लेने के लिये बेकरार थी।
जल्द ही अनिल नेहा के नीचे था और उसका लण्ड नेहा की चूत में अंदर-बाहर होने लगा था। नेहा अनिल के ऊपर थी जैसे एक मोटरसाइकिल पर बैठी हो, दोनों टाँगें फैलाए हुए दोनों तरफ, और वो भी अपनी कमर हिला रही थी मजा लेते हुए। सुनील ठीक नेहा की गाण्ड के करीब था और अपनी बहन की गाण्ड देख रहा था। अनिल उसको चोद रहा था तो सुनील को उस चुदाई के दौरान लगा कि नेहा की गाण्ड की छेद खुल और बंद हो रही थी। जिस जिस वक्त अनिल का लण्ड उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, सुनील सब देख रहा था अपने लण्ड को हाथ में थामे हुए।
सुनील से रहा नहीं गया और उसने धीरे से अपने लण्ड को अपनी बहन की गाण्ड के छेद में ठंसा। नेहा की तड़पती आवाज गूंज उठी कमरे में तो जल्दी से पीछे से सुनील ने अपना हाथ नेहा के मुंह पर रखते हुए कहा “सस्शह आस पास के कमरे के लोग सुन लेंगे। धीरे बहना धीरे..." ।
नीचे से अनिल उसकी चूत में लण्ड का धक्का दे रहा था और पीछे से सुनील नेहा की गाण्ड मार रहा था। दोनों भाइयों के लण्ड को नेहा खुशी से झेल रही थी। दोनों भाई जमके लण्ड के धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते गये नेहा के दोनों छेद में और नेहा तड़पती गई जिश्म में सिरहन और थरथरी के साथ, उसकी सिसकारियां बढ़ती गई और जिश्म में ऐसी आग भड़की कि बहुत ही जल्द नेहा तेज रफ्तार से साँसें लेते हुए झड़ने के करीब पहुँचते हुये चिल्लाई- “हाँ... ऐसे ही और करो... हाँ भाई इस्स्स्स ... आअहह... उफफ्फ़... और और जोर से, हाँन्न और जोर से
धक्का दो... हाँ इस्स्स्स ... बहुत मजा रहा है भाई... आअहह...”
फिर नेहा अपनी गर्दन मोड़कर सुनील के मुँह को अपने मुँह में लेते हुए उछलती गई अनिल के लण्ड पर। फिर अनिल ने गर्दन ऊपर उठाते हुए नेहा के गले को चूमा और चाटा जल्दी से अपने लण्ड को बाहर निकालकर पिचकारी छोड़ते हुए। और नेहा ने अपने जिश्म को अनिल के जिश्म पर छोड़ दिया जैसे मर गई थी। फिर गुर्राते हुए सुनील ने अपना वीर्य छोड़ा, अपनी बहन की गाण्ड के अंदर ही लण्ड को और गहराई में ठूसते हुए। सुनील की आवाज कुछ ऐसे आई अपनी बहन के गाण्ड में झड़ते हए- “आगघग्ग... उऊहह... इस्स्स्स ... वाह कितना मजा है तेरी गाण्ड में बहना मेरी... आअघह.."
सुनील का मुँह तब नेहा की गर्दन के पीछे वाले हिस्से पर गया जहाँ उसने चूसा और दाँत काटा, फिर एक लाल निशान बना दिया वहाँ पर। नेहा इतनी गोरी थी कि सुनील के चूसने से वो लाल निशान काला सा लगने लगा, खून जमा हो गया उस जगह जहाँ सुनील ने दाँत गड़ाते हुए चूसा था नेहा की गर्दन के पीछे।
जब वह लोग होटेल से निकल रहे थे तो वो अटेंडेंट नेहा से बात करने गया। सुनील ने मना किया मगर अटेंडेंट ने जिद की। तो अनिल ने कहा बात करने दो जब इतना जिद कर रहा है तो बात करने में क्या जाता है। तो अटेंडेंट नेहा को एक कोने में ले गया और बहत धीरे से बात की उसने। सुनील अपनी कार में चला गया इंतेजार करने और अनिल रिसेप्शन रूम में इंतेजार कर रहा था, मगर नेहा ने उसको भी कार में इंतेजार करने को कहा।
फिर अटेंडेंट ने हिम्मत से नेहा से कहा- “मेडम जी, मैं यहाँ बड़े-बड़े टूरिस्ट और बिज़नेसमैन लोगों के लिए लड़कियों का बंदोबस्त करता हूँ। बहुत सारे आफिसर्स भी आते हैं खूबसूरत, हसीन लड़कियों की तलाश में और आपको पता तो होगा ही कि होटेल क्लाइंटस के लिए हमें यह सब करना पड़ता है उनको खश रखने के लिए। और आपको देखा तो मैं चाहता हूँ कि आप भी उनमें से एक बन जाइए प्लीज...”
नेहा को बिल्कुल हैरानी नहीं हुई क्योंकी उसने सब सुना था जो उसने सुनील से पहले कहा था। नेहा को पता था कि वो अटेंडेंट उसको एक कालगर्ल समझ रहा था। तो जवाब में नेहा ने उससे आराम से कहा- “मैं वैसे लड़की नहीं हूँ माई डियर.."
इस वक्त नेहा बेहाल थी जिश्म को रेंगते हुए बेड पर। वो जैसे एक नशे की हालत में थी, खुद बेहोश लग रही थी मजे लेते हुए। दोनों भाइयों का एक-एक हाथ नेहा की चूत पर था उस दौरान और उसकी चूत में से पानी बह रहा था, दोनों भाइयों के हाथ बिल्कुल भीग गये थे उसकी चूत के पानी से। नेहा का जिश्म भाइयों के हाथ में काँप उठा और थरथराई। नेहा गहरी साँसें ले रही थी, उसकी आवाज में तड़प भरी थी और वो सिसक रही थी। बिल्कुल गरम हो चुकी थी और लण्ड अपने अंदर लेने के लिये बेकरार थी।
जल्द ही अनिल नेहा के नीचे था और उसका लण्ड नेहा की चूत में अंदर-बाहर होने लगा था। नेहा अनिल के ऊपर थी जैसे एक मोटरसाइकिल पर बैठी हो, दोनों टाँगें फैलाए हुए दोनों तरफ, और वो भी अपनी कमर हिला रही थी मजा लेते हुए। सुनील ठीक नेहा की गाण्ड के करीब था और अपनी बहन की गाण्ड देख रहा था। अनिल उसको चोद रहा था तो सुनील को उस चुदाई के दौरान लगा कि नेहा की गाण्ड की छेद खुल और बंद हो रही थी। जिस जिस वक्त अनिल का लण्ड उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, सुनील सब देख रहा था अपने लण्ड को हाथ में थामे हुए।
सुनील से रहा नहीं गया और उसने धीरे से अपने लण्ड को अपनी बहन की गाण्ड के छेद में ठंसा। नेहा की तड़पती आवाज गूंज उठी कमरे में तो जल्दी से पीछे से सुनील ने अपना हाथ नेहा के मुंह पर रखते हुए कहा “सस्शह आस पास के कमरे के लोग सुन लेंगे। धीरे बहना धीरे..." ।
नीचे से अनिल उसकी चूत में लण्ड का धक्का दे रहा था और पीछे से सुनील नेहा की गाण्ड मार रहा था। दोनों भाइयों के लण्ड को नेहा खुशी से झेल रही थी। दोनों भाई जमके लण्ड के धक्कों की रफ़्तार बढ़ाते गये नेहा के दोनों छेद में और नेहा तड़पती गई जिश्म में सिरहन और थरथरी के साथ, उसकी सिसकारियां बढ़ती गई और जिश्म में ऐसी आग भड़की कि बहुत ही जल्द नेहा तेज रफ्तार से साँसें लेते हुए झड़ने के करीब पहुँचते हुये चिल्लाई- “हाँ... ऐसे ही और करो... हाँ भाई इस्स्स्स ... आअहह... उफफ्फ़... और और जोर से, हाँन्न और जोर से
धक्का दो... हाँ इस्स्स्स ... बहुत मजा रहा है भाई... आअहह...”
फिर नेहा अपनी गर्दन मोड़कर सुनील के मुँह को अपने मुँह में लेते हुए उछलती गई अनिल के लण्ड पर। फिर अनिल ने गर्दन ऊपर उठाते हुए नेहा के गले को चूमा और चाटा जल्दी से अपने लण्ड को बाहर निकालकर पिचकारी छोड़ते हुए। और नेहा ने अपने जिश्म को अनिल के जिश्म पर छोड़ दिया जैसे मर गई थी। फिर गुर्राते हुए सुनील ने अपना वीर्य छोड़ा, अपनी बहन की गाण्ड के अंदर ही लण्ड को और गहराई में ठूसते हुए। सुनील की आवाज कुछ ऐसे आई अपनी बहन के गाण्ड में झड़ते हए- “आगघग्ग... उऊहह... इस्स्स्स ... वाह कितना मजा है तेरी गाण्ड में बहना मेरी... आअघह.."
सुनील का मुँह तब नेहा की गर्दन के पीछे वाले हिस्से पर गया जहाँ उसने चूसा और दाँत काटा, फिर एक लाल निशान बना दिया वहाँ पर। नेहा इतनी गोरी थी कि सुनील के चूसने से वो लाल निशान काला सा लगने लगा, खून जमा हो गया उस जगह जहाँ सुनील ने दाँत गड़ाते हुए चूसा था नेहा की गर्दन के पीछे।
जब वह लोग होटेल से निकल रहे थे तो वो अटेंडेंट नेहा से बात करने गया। सुनील ने मना किया मगर अटेंडेंट ने जिद की। तो अनिल ने कहा बात करने दो जब इतना जिद कर रहा है तो बात करने में क्या जाता है। तो अटेंडेंट नेहा को एक कोने में ले गया और बहत धीरे से बात की उसने। सुनील अपनी कार में चला गया इंतेजार करने और अनिल रिसेप्शन रूम में इंतेजार कर रहा था, मगर नेहा ने उसको भी कार में इंतेजार करने को कहा।
फिर अटेंडेंट ने हिम्मत से नेहा से कहा- “मेडम जी, मैं यहाँ बड़े-बड़े टूरिस्ट और बिज़नेसमैन लोगों के लिए लड़कियों का बंदोबस्त करता हूँ। बहुत सारे आफिसर्स भी आते हैं खूबसूरत, हसीन लड़कियों की तलाश में और आपको पता तो होगा ही कि होटेल क्लाइंटस के लिए हमें यह सब करना पड़ता है उनको खश रखने के लिए। और आपको देखा तो मैं चाहता हूँ कि आप भी उनमें से एक बन जाइए प्लीज...”
नेहा को बिल्कुल हैरानी नहीं हुई क्योंकी उसने सब सुना था जो उसने सुनील से पहले कहा था। नेहा को पता था कि वो अटेंडेंट उसको एक कालगर्ल समझ रहा था। तो जवाब में नेहा ने उससे आराम से कहा- “मैं वैसे लड़की नहीं हूँ माई डियर.."