Maa ki Chudai माँ का दुलारा - Page 3 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Maa ki Chudai माँ का दुलारा

मैने मा की बुर मे उंगली डाली और अंदर बाहर करने लगा "मा, तू सोच कि
शशिकला ऐसे तेरे सामने बैठी है और तेरी चूत चूस रही है, अपनी जीभ
तुम्हारी इस रसीली बुर मे डाल डाल कर तुम्हारे अमृत का पान कर रही है और तू
झाड़ झाड़ कर सेक्स की भूखी उस युवती को अपनी बुर का शहद चटा रही है,
मज़ा आता है की नही इस ख़याल से? और रही बात जवान लड़कियों को छोड़कर
तुम्हारे पीछे पड़ने की, मैं समझ सकता हू, मा तुझे मालूम नही है कि
तुझमे कितनी सेक्स अपील है और उस अपील मे तुम्हारी इस गदराई उम्र और मासल
शरीर का भी एक बड़ा हिसा है! कई लेस्बियन लड़कियों को अपनी उम्र से बहुत
बड़ी औरतों से सेक्स मे बहुत मज़ा आता है. अब सच बोलो मम्मी, शशिकला
के साथ सेक्स के ख़याल से मज़ा आता है कि नही?"


मा सिसक उठी. अपनी टाँगे सटा कर मेरी उंगली को बुर मे क़ैद करके बोली
"बहुत मज़ा आता है बेटे. न जाने मुझे क्या हो गया है, मेरे बदन की आग अब
शांत ही नही होती, तूने तो मेरी बुर की वासना के जिन्न को जैसे अपने लंड की चाबी
से आज़ाद कर दिया है. मालूम है, जब शशिकला ने मुझे किस किया था तो मुझे
बड़ा मीठा लगा था वह किस. सच बेटे, अगर तुझे कोई आपत्ति नही है तो मैं इस
कन्या के साथ अपने मन की मुरादे पूरी करना चाहती हू, बहुत प्यारी लड़की
है, उसे देखकर ममता और प्यार भी आता है और एक अजीब सी भूख भी लग आती
है, उसे भोगने की भूख"


मैने मा को विश्वास दिलाया कि मुझे खुशी होगी अगर मा को चुदाई का हर
तरह का सुख मिले. मेरे मन मे यह भी छुपी इच्छा थी कि शायद इस चक्कर
मे मुझे भी कुछ करने का मौका मिल जाए. मा तो अप्सरा थी पर अब मेरी
वासना भी ऐसी धधकती थी की खूब चुदाई करने का मन होता था, अगर और
कोई भी मिल जाए तो क्या बात थी, हा मा की पसंद से, उसकी अनुमति के बिना
नही.


"मा, मेरे एग्ज़ाम तो कल ख़तम हो जाएँगे. तुम चली जाओ शनिवार रविवार के
लिए. पर मुझे दिखाओ तो कि मेरी मा की वह पुजारन कैसी दिखती है" मैने
मा से प्रार्थना की. 

मा अब बहुत खुश थी. उसके मन का बोझ उतर गया था.
"देखो बेटे, इस ऑफीस की मॅगज़ीन मे है उसका फोटो फ्रंट पेज पर. मेरे लाल,
तूने मेरे मन का बोझ हल्का कर दिया. मुझे सिखा दिया है कि सेक्स से बढ़ कर
कोई सुख नही है, यहा एक ही जीवन मिलता है और उसमे सब को अपनी हर इच्छा
पूरी कर लेना चाहिए. तेरा भी कही मन लगा हो तो मुझे बता, मैं भी यही
चाहती हू कि तू खूब सुख पाए, सिर्फ़ अपनी इस मा के आँचल से न चिपका रहे,
तेरी तो उमर है मज़ा लेने की"


मैने मा को विश्वास दिलाया कि अभी तक तो कोई ऐसा नही था जो उसके सामने
मुझे सेक्सी लगे. मा ने लाई मॅगज़ीन मे मैं देखने लगा. अशोक माथुर और
उसके साथ शशिकला का एक चित्र था. अशोक माथुर एक काफ़ी हॅंडसम आदमी
थे, तीस बत्तीस के आस पास के ही लगते थे. शशिकला को देख कर मेरा भी खड़ा
होने लगा. उसने स्लीवलेस ब्लॉज़ और नभिदर्शना साड़ी पहन रखी थी.
एकदम गोरी चित्ति थी. बाल छोटे बाब कट थे. सामने पारदर्शक पल्लू मे से
उसके उरोजो का उभार दिख रहा था. है हिल की स्टिलेटो सॅंडल पहने थी जिसमे
उसके गोरे पाव खूब फॅब रहे थे. चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास था, आख़िर
करोड़ों की मालकिन थी.


"माल है मा, तू फालतू परेशन होती है. चल कल ही उसे बता दे कि तू
शुक्रवार रात को ही आ जाएगी, आख़िर काम ख़तम करना ज़रूरी है." मैने
कहा. अब तक मा की चूत फिर से इतनी गीली हो गयी थी कि उसे कुछ और नही सूझ
रहा था. मैने तुरंत मा के प्रति बेटे का कर्तव्य निभाया, पहले उसकी बुर
चूस कर उसका सारा पानी निकाल लिया और फिर उसे इतनी देर और इतने ज़ोर से चोदा कि
वह सुख से बेहोश सी हो गयी.
 
सुबह मा तैयार हो रही थी तो मैने कहा "मा, तू बदल बदल कर सलवार
कमीज़, पॅंट सूट और साड़ी पहनती है. शशिकला को क्या अच्छा लगता है कुछ
अंदाज़ा है"


मा हंस कर बोली "अरे यह तो मुझे कब का मालूम है. जब भी मैं स्लीवलेस
ब्लॉज़ और साड़ी पहनती हू, उसकी आँखे चमक उठती है. मेरा पेट, पीठ,
कमर, बाहे उसमे से साफ दिखते है ना! जब सलवार कमीज़ या पॅंट सूट
पहनती हू तो उसकी नाक चढ़ जाती है"


"बस मा, अब इन बचे दो दिनों मे तुम एक से एक साड़ियाँ पहनो. देखो कैसे
परेशान हो जाएगी शशिकला."


दूसरे दिन मेरा आखरी पेपर था. मैं दोपहर को पेपर देकर आया और सो गया.
आज शाम मेरे लिए मुरदों की शाम थी. बहुत दिनों के बाद मा के साथ रात
भर रति करने वाला था, पिछले एक महीने से एग्ज़ाम के कारण बस रात मे एक
बार का राशन था.


मा आज जल्दी आ गयी. बहुत खुश लग रही थी. मैं चिपट गया. उसे ठीक से
कपड़े भी नही बदलने दिए, वैसे ही धक्के देकर अंदर ले गया और उसकी
साड़ी मे घुस गया. मा की चूत के रस को मन भर पीने को मैं तरस रहा
था.


"अरे रुक तो, सुन ना आज क्या हुआ" वह कहती रह गयी पर मैने उसे पलंग पर
पटका, उसकी साड़ी उपर की और जुट गया. चूत को चूस कर कई घुट बुर का रस
निकालकर ही दम लिया. फिर मा पर चढ़ कर कस के चोद डाला, तब शांति मिली.
मेरी हालत देखकर मा भी पड़ी रही और मुझे मनमानी करने दी.

जब लस्त होकर मा पर गिर पड़ा तब मा ने मेरे बालों मे उंगलिया चलाते हुए कहा
"इतना दीवाना है मा का मेरे लाल? तेरा यह हाल है तो इस शनिवार रविवार क्या
करेगा? मैं तो नही रहूगी"

"तो मा पक्का हो गया क्या? शशिकला ने क्या कहा? आज तेरी यह गुलाबी साड़ी
उसे कैसी लगी?" मैने उत्सुकता से पूछा.

मा ने हँसते हुए कहा "अरे आज तो वह पागल सी हो गयी. आज मैने उसे खूब
सताया. पहले तो मेरी यह साड़ी और लो काट ब्लॉज़ देखकर ही वह मचल उठी
थी पर कुछ कह भी नही सकती थी क्योंकि उसके केबिन मे काम चल रहा है
इसलिए वह भी बाहर बैठी थी. मैं उसके सामने से गुजरती तो अपना पल्लू
ठीक करने के बहाने से उसे मेरे स्तनों की वैली दिखा देती. एक बार तो मैने
झुक कर नीचे से कागज उठाए, तब जान बुझ कर आँचल गिरा दिया, उसे मेरे
स्तनों का पूरा दर्शन हो गया होगा. बेचारी की आँखे पथरा गयी. आख़िर जब
एक मीटिंग के बाद हम कन्फरेन्स रूम मे अकेले थे तब वह बोली "रीमा दीदी, आज
तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो, ज़रा हम भी तो साड़ी देखें" कहकर मेरे
पल्लू पर का डिज़ाइन देखने के बहाने उसने मेरे स्तनों को छू लिया और मेरे
ब्लॉज़ मे भी तान्क झाक कर ली."
 
"मा, उसकी बुर बहने लगी होगी तेरा रूप देखकर, तुम्हारी ये मासल
छातियाँ देखकर कोई भी पागल हो जाएगा, उस लड़की की तो हालत खराब हो
गयी होगी" मैने मा के स्तनों मे मूह घुसकर कहा.

3NFnSIuX2jyxnUbbUQFzf_PA9OgydJIWA8zRUf-27s0=w163-h221-p-no

"और क्या, है ही तेरी मा इतनी मादक की उसका सगा बेटा उसपर मर मिटा है"
मा ने गर्व से कहा. "आगे तो सुन, मैने आज मुस्काराकर उससे कहा कि मैंडम,
इस वीकेंड को काम का आप बोल रही थी तो मैं ऐसा सोच रही हू कि शुक्रवार
रात को ही आपके घर आ जाती हू. उसे विश्वास ही नही हुआ, एकदम चुप हो गयी.
फिर किसी तरह बोली कि हां यही ठीक रहेगा, सोमवार को सुबह घर चली जाना, उस
दिन ऑफ भी ले लेना. फिर बड़ी सीरियस होकर बोली कि रीमा दीदी, तुम मुझ से इतनी
बड़ी हो, मुझे मैंडम न कहो, कम से कम अकेले मे तो शशिकला कहो. मैं
बस मुस्कराती हुई उसकी ओर देखती रही तो उसने मुझे किस कर लिया. आज जम के
मेरे होंठों पर मूह लगा कर किस किया उसने."


"मीठा लगा मम्मी?"


"हाँ बेटे, बहुत मीठा था, वह वो इंपोर्टेड स्ट्राबेरी के स्वाद का लिपस्टिक लगाती
है, बहुत मज़ा आया. उसकी हालत खराब थी, मुझे तो लगा कि वह शायद वही
मुझसे लिपट जाएगी पर किसी तरह उसने अपनी वासना को लगाम दी, उसे एक
मीटिंग मे भी जाना था. मैने कहा कि मैं घर जा रही हू जल्दी तो उसने तपाक
से हाँ कह दी. बोली आराम करो, वीकेंड मे बहुत काम करना है. मुझपर
बहुत मेहरबान है"

iAivYthvzipDuHT485FsmoiRvUSW9oO6T-2B9pwtHKA=w150-h217-p-no

"मा, अब तुझे बस काम वाला काम करना पड़ेगा, ऑफीस का काम नही" मैने
मा की चुटकी ली. मा बहुत खुश थी, आज उसकी बुर ऐसी रिस रही थी कि जैसे
बहुत दिनों की भूखी हो. उस रात मैने और मा ने इतनी चुदाई की कि जैसे
महने भर की कसर पूरी हो गयी.


दूसरे ही दिन शुक्रवार था. मा को सुबह ही शशिकला का फ़ोन आया. वह अभी
अभी नहा कर आई थी और नंगी मेरे सामने खड़ी होकर कपड़े पहन रही
थी. फ़ोन पर बाते करते करते मा का चेहरा खिल उठा. एक दो बार वह बोली
"यस मैंडम-- मैं ओवरनाट बैग ले आउन्गि -- अच्छा ठीक है" फिर हँसकर बोली
"सॉरी शशिकला, अब मैंडम नही कहुगी" मैं मा से चिपट कर उसके नंगे
नितंबों पर अपना लंड घिस रहा था. सुबह सुबह नहाने के पहले मैने
मा को बाथरूम मे चोदा था पर अब फिर से लंड खड़ा हो गया था.
फ़ोन रखकर मा बोली "वह कह रही थी कि ऑफीस से ही सीधे घर चलते है,
घर पर ही डिनर करेंगे. मैं बोली कि मैं कपड़े ले आती हू तो शैतानी से बोली
कि वैसे ज़रूरत नही पड़ेगी-बोली वही दे देगी चेंज करने को कपड़े. और फिर
डाँट रही थी कि मैं उसे मैंडम क्यों कहती हू"
1xoHt3zIr5LUmh3FN3jX2h5lEG8LOUap521LjMCKJpo=w346-h217-p-no


मैं मा को लिपटाकर बोला "मा, तुझे वह कपड़े पहनने ही नही देगी
देखना दो दिन"

मा ने अचानक पूछा "अनिल बेटे, इन बालों का क्या करूँ? काट लू क्या? तुझे
बहुत अच्छे लगते है मुझे मालूम है, पर उस लड़की को .... मालूम नही क्या
सोचेगी!" मा का हाथ अपनी घनी झान्टो मे उलझा था, वह उन बालों के
बारे मे कह रही थी.
hT_V1OJ8-d4P0U4eZWeLBVc9fnQgDhAEPqDwpqxCVNrZ=w312-h220-p-no


मैने मना कर दिया "मा, ऐसी ही झान्टे लेकर जाओ उसके पास. और 
वो इनपर मर मिटे तो कहना. तुम्हारी झान्टे असल मे इतनी काली, घनी, घूंघराली और
रेशमी है कि इनमे मूह छुपाने मे किसी सुंदरी की ज़ुल्फों मे मूह छुपाने
से ज़्यादा मज़ा आता है!"

"चल शैतान, पर यह बता बेटे तू क्या करेगा, मुझे ज़रा बुरा लग रहा है
तुझे अकेले छोड़ कर जाने को. सच बता तुझे कोई आपत्ति तो नही है मेरे लाल?"
 
"मा, मेरी चिंता मत करो, तुम मज़ा करो. तुम इतनी सेक्सी हो, इतने साल तुमने
अपनी यह जवानी वेस्ट की है, अब अपने मन की हर मुराद पूरी कर लो, यही मैं
चाहता हू. मैं दोस्तो के साथ दो दिन मथेरन हो आता हू, यहाँ रहुगा तो
मूठ मार मार कर परेशान हो जाउन्गा यह कल्पना कर के कि तुम और
शशिकला क्या कर रहे हो. हाँ फ़ोन करना मा ज़रूर मेरे सेल पर, मैं सोमवार
सुबह आ जाउन्गा घर."
mFJE_pU7qEr4HioruJ3i1PsBV-ZQV23TGWlPu06MpNpp=w169-h225-p-no


मा को चूम कर मैने बिदा किया. मा बहुत सुंदर लग रही थी उस काली साड़ी
मे. आख़िर वह एक अभिसारिका बन कर निकली थी नये सुख को भोगने.
----
मैं दोस्तो के साथ मथेरन गया, खूब घुमा. बार बार मन होता था कि मा
को सेल पर फ़ोन लगाऊ, पर फिर सब्र कर लिया, सोचा उन दोनों नारियों को ऐसे मे
डिस्टर्ब करना ठीक नही है. न जाने क्या कर रही होंगी.


आख़िर मेरा मन नही माना और रविवार दोपहर को मैने मा के सेल पर फ़ोन
किया. मा ने फ़ोन उठाने मे दो मिनिट लग गये. मेरी आवाज़ सुनकर खुश
होकर बोली "कैसा है बेटे?"
1xoHt3zIr5LUmh3FN3jX2h5lEG8LOUap521LjMCKJpo=w346-h217-p-no


मैने कहा "मा मैं मज़ा कर रहा हू यार दोस्तो के साथ. तुम कैसी हो?" असल
मे पूछना चाहता था कि मा, तेरी वह रसीली चूत, मेरा खजाना, कैसी है
पर सोचा कि शायद शशिकला पास ही हो. 

मा बोली "एकदम ठीक हू बेटे, बहुत काम चल रहा है, सोने को नही मिला ज़्यादा."
वह रुक रुक कर बोल रही थी जैसे कोई काम कर रही हो, पर उसके स्वर मे 
शैतानी भरी थी. मैं समझ गया. मा की आवाज़ कांप भी रही थी. बाते करते करते
"अया अया ओह्ह्ह" की आवाज़ आई.


मैने पूछा "मा क्या हुआ? ऐसे कर क्यों रही हो?"

मा बोली "कुछ नही बेटे, इतना अच्छा लग रहा है कि रहा नही जा रहा. वह
यहाँ एक बिल्ली है, बार बार मेरे पैरों को चाटती है, बड़ी गुदगुदी होती है,
बहुत अच्छा लगता है"
फ़ोन पर मुझे दबी आवाज़ मे एक मीठी हँसी की आवाज़ आई. शायद शशिकला थी.
"अरे ज़रा रुक ना, क्यों तंग कर रही है. छोड़ती ही नही है, ओह ओह ओह आहह ओइइ
मा" मा फिर सिसक कर बोली.


मुझे कुछ समझ मे नही आया. "क्या हुआ मा, ऐसे क्यों बार बार कर रही
हो?"

0LDLWW3sJsKVG0W7E-VoV8LDLTpTJ0DzaV353Gx-8J8=w166-h221-p-no

मा फिर बोली "तू चिंता ना कर मेरे लाल, मैं ठीक हू, यह बिल्ली मानती ही नही है,
अब मुझपर चढ़ने की कोशिश कर रही है, कैसा जादू है इसकी जीभ मे, इसे
भगाना पड़ेगा नही तो बहुत तंग करेगी. तू ठीक है ना मेरे लाल? अपना
ख़याल रखना - हाँ & य & अरे रुक ना & अब देख तेरा क्या हाल करती हू"
कहकर मा ने फ़ोन बंद कर दिया."
 
मा की उस सिसकी मे जो मादकता थी उससे मैं उत्तेजित हो उठा. मैं समझ गया
कि कौनसी बिल्ली थी और क्या कर रही थी. कई बार मैने खुद मा के मूह से ऐसी
आवाज़ सुनी थी, जब वह ज़ोर की झड़ती थी. मा के नंगे बदन को आँखों के
सामने ला कर वही जंगल मे जाकर मूठ मारी तब शांति मिली. बुरा भी लगा,
मा के लिए मैं अपनी वासना बचा कर रखना चाहता था, कि जब सोमवार को
मिलू तो ऐसे चोदु की मिन्नते करने लगे पर कोई चारा नही था, मा और
शशिकला के बारे मे सोच सोच कर लंड पागल सा हो गया था.


उसके बाद न मैने फ़ोन किया न मा ने. मैं रविवार रात घर पहुँचा, थका
था इसलिए तुरंत सो गया.


सोमवार सुबह नींद तब खुली जब मा ने चाय के साथ जगाया. सूरज चढ़
आया था और नौ बज गये थे.
मा को देखकर मैं खुशी से झूम उठा "अरे मम्मी, तुम कब आई? मुझे
लगा सीधे शाम को आओगी. बेल भी नही बजाई" मैने उससे लिपट कर पूछा.


"अभी आठ बजे आई हू बेटे, शशिकला को सुबह सुबह दिल्ली जाना था इसलिए
मैं भी निकल आई. वह होती तो शायद आज भी नही आती, वह आने ही नही देती
मुझे. मेरे पास चाबी थी इसलिए बिना बेल बजाए दरवाजा खोल कर आ गयी कि
तेरी नींद न खुले."


मैने मा को देखा. वह एकदम खुश लग रही थी. उसकी आँखों मे एक असीम
तृप्ति और कामना के मिले जुले भाव थे. काफ़ी ताकि भी लग रही थी, जैसे सोई न
हो.
 
"क्या हुआ मा, बता ना?" मैने अनुरोध किया. मा और शशिकला के वीकेंड
के बार मे सुनने को मैं बेचैन था. लंड भी खड़ा था. मा को खींच कर
मैने पलंग पर लिटा दिया और उसकी साड़ी खोलने लगा.

"रुक बेटे, अभी नही. सब बताउन्गि तेरे को, नहा तो लेने दे. आज तो शशिकला ने
मुझे ऑफ दे दिया है ऑफीस से" मा ने मेरा हाथ अलग करते हुए कहा.

मैं उसकी बुर टटोल रहा था. मैं न माना और मा की चूत मे उंगली डाल दी. चूत
एकदम गीली थी फिर भी मा को दर्द हुआ और वह सिसक उठी, मेरा हाथ
ज़बरदस्ती बाजू मे करती हुई बोली "मत कर राजा, मेरी ये बुर दो दिन मे ऐसी
हो गयी है कि छूने पर भी कसकती है. एक मिनिट चैन नही मिला है बेचारी
को, उस शशि की बच्ची ने हालत कर दी है निचोड़ निचोड़ कर, छोड़ती ही नही
थी"


मैं मस्त हो गया. "मा, तुम्हारी रसीली और हरदम चुदने को तैयार रहने
वाली चूत की ऐसी हालत की है उसने तो बड़ी चालू चीज़ होगी वो"

"हाँ बेटे, क्या गजब की लड़की है, जितना सुख उसने मुझे दिया इन दो दिनों
मे, मैं तो सोच भी नही सकती थी कि कोई औरत दूसरी औरत को दे सकती है. पर
अब रुक बेटे, सच कहती हू, मेरी बुर को दिन भर आराम कर लेने दे. मैं तेरा
हाल जानती हू, चल मेरे साथ नहाने चल, मैं तुझे अभी खुश कर देती हू"

हम साथ साथ नहाने गये. मा ने कपड़े उतारे. उसका गोरा शरीर कई जगह से
लाल हो गया था. ख़ासकर चुचियाँ, नितंब और झांघे. मेरी नज़र को
देखकर मा मुस्काराई और बोली "बहुत मसला है मुझे उसने, उसका मन ही
नही भरता था, मेरे पूरे शरीर को भोगना चाहती थी. तू अब यहाँ दीवाल से
टिक कर खड़ा हो जा और मुझे अपना काम करने दे."


मा मेरे सामने बैठ गयी और मेरा लंड चूस डाला. इतनी देर के खड़े लंड
को राहत मिली. मा ने भी मज़े से मेरा वीर्य निगला. ख़तम करके उठाते हुए
बोली "तेरे वीर्य से स्वाद तो बदला, दो दिन तक तो बस मुझे दूसरा ही स्वाद मिलता
था, पर था वो भी गजब का."

मैने फिर मा से कहा कि बता तो कि क्या हुआ. मा ने बताना शुरू किया. उस दिन
भर उसने एक एक करके मुझे सब बताया. दोपहर को वो सो गयी और मैं भी
सो लिया. शाम को वह उठी तो काफ़ी संभाल गयी थी. हमने घर मे ही आराम
किया, मा कही नही जाना चाहती थी.

उस रात भी हम जल्दी बेडरूम मे आ गये. मा ने अब भी मुझे चोदने नही
दिया, बस एक बार बर चूसने दी. एक ही चम्मच रस निकाला, हमेशा तो कितना
निकलता था, लगता है मा की बुर के रस को किसीने ख़तम कर दिया था. उसकी
बुर के प्रसाद को पाकर मैं खुश हो गया. मुझे समझाते हुए मा बोली "आज
की रात और आराम कर लेने दे मेरी बुर रानी को, कल से तेरी मा अपने बेटे को
पूरा रस देगी अपने शरीर का"

"मा, मैं क्या करूँ? मेरा लंड तो पागल कर देगा मुझे. फिर चुसोगी क्या?
मुझे हचक हचक कर चोदना है अब, तुमपर चढ़ कर चोदना है"
मैने मचल कर कहा.


"बड़ा आया चोदने वाला, तेरी मा के पास और अंग भी है ना? जैसे तू सिर्फ़ मेरी
चूत चोदता है, और कुछ नही करता" मा पेट के बल लेटते हुए अपने
नितंब हिला कर बोली. मैं समझ गया. मा कितनी कामुक हो गयी थी इसका भी
यह संकेत था, खुद ही मुझे कह रही थी कि उस की गान्ड मार लू. मन मस्त हो
गया. मैं तुरंत मा पर चढ़ गया और उसकी गान्ड मे लंड उतार दिया.
उस रात मैने मा की तीन बार मारी. गान्ड मरवाते मरवाते मा ने उस मतवाले
वीकेंड की बची हुई पूरी कहानी सुनाई. वही कहानी नीचे पेश है.
********************
 
मा ऑफीस के बाद सीधी आठ बजे शशिकला के घर पहुँची तो शशिकला
ने ही दरवाजा खोला. जुहू मे उनका एक आलीशान फ्लाइट था.
मा अंदर आई. इधर उधर देखा और पूछा "मैंडम, आप घर मे अकेली है?
नौकर नही है क्या?"
DWTs19oFUq0qNGCX-p-VzdiAIx-KZ5nEK_a6GnGrNDUE=w147-h220-p-no

"है ना, आज छुट्टी दे दी है, कल और परसों एक दो घंटे को आकर काम कर
जाएँगे. मैने सोचा हमे काम बहुत है, कोई डिस्टर्ब न करे तो अच्छा है. है
ना रीमा दीदी? और तुमने फिर मुझे मालकिन कहा!"
शशिकला की आँखे चमक रही थी, उनमे एक अनुरोध था. वह मा का हाथ
पकड़कर सोफे तक ले गयी.

"मज़ाक कर रही थी शशि, मेरा मतलब है शशिकला. तुम चिढ़ती हो तो बड़ी
सुंदर लगती हो, इसलिए मैंडम कहने मे मज़ा आता है" मा ने हँसते हुए
कहा.

"मुझे शशि ही कहो, अच्छा लगता है. मा भी शशि कहती थी, डॅडी भी
कहते है. वैसे आज बहुत खूबसूरत लग रही हो दीदी. ये काली साड़ी पहले
कभी नही पहनी तुमने?" मा को वह ऐसे देख रही थी जैसे मा के रूप को
आँखों से पी जाना चाहती हो.

"थैंक यू शशि, तुम भी बहुत खूबसूरत लग रही हो इस स्कर्ट मे. अच्छा है कि
ऑफीस मे नही पहनती नही तो लोग काम करना भूल जाएँगे" मा ने
शशिकला की ओर देखकर कहा.
JBE6kyLJpZeyubLtgOI_fYZuQXlF7a5pv8mYYSr_JtuB=w153-h220-p-no

शशिकला एक लाल रंग का मिनी ड्रेस पहने थी. उसके गोरे अंग पर वह गजब
ढा रहा था. ड्रेस उपर से कंधों पर खुला था और उसमे बस दो पतले
नूडाल स्ट्रेप्स लगे थे. स्ट्रेप्स को छोड़कर शशिकला के गोरे गोरे कंधे
नंगे थे और स्तनों का उपर का भाग खुला था. उसके स्तनों के बीच की खाई
दिख रही थी जिसमे एक सुनहरी चेन लटक रही थी. ड्रेस उसके घुटनों के
छः इंच उपर ख़तम हो जाता था, और उसकी गोरी चिकनी छरहरी जांघे
गजब ढा रही थी. शशिकला ने मॅचिंग लाल रंग के उँची हील के नाज़ुक
सॅंडल पहन रखे थे. मा को उन्हें देख कर मेरी याद आ गयी. मैं यहाँ
होता तो अब तक सिर्फ़ उन संडलों मे लिपटे उन गोरे नाज़ुक पाँवों को देखकर
मेरा खड़ा हो गया होता, ऐसा उसने मुझे बाद मे बताया.

zwuWpv2V0nvxxbJi5vxajkJ6LnI-GpSt6rmaGZ7efTpi=w157-h220-p-no

"हा दीदी, मेरी पोज़ीशन की वजह से मुझे यह पहनने नही मिलते इसलिए
घर मे ही पहन लेती हू. चलो डिनर कर लेते है, फिर काम करेंगे" कहकर
शशिकला मा को डाइनिंग टॅबेल पर ले गयी.


डिनर पर खूब बातें हुई. डिनर मे रेड वां थी. मा पहले नही पीना चाहती
थी पर शशिकला के आग्रह से उसने एक ग्लास वाइन ले ली.
डिनर ख़तम होते होते मा उत्तेजित हो गयी थी. एक तो शशिकला का वह रूप,
दूसरे उसकी आँखों मे दिखता अतः कामना का सागर.


आख़िर शशिकला बोली "चलो रीमा दीदी काम का समय हो गया"
मा उठी और पर्स संभाल कर बोली "चलो, कहा है तुम्हारा लॅपटॉप? उसीमे
सब फ़ाइल होंगी है ना?"


"हां, मेरे बेडरूम मे रखा है, मैं वही काम करती हू, तुम चलो दीदी, मैं
सब लक करके आती हू." शशिकला बोली.

मा को बेडरूम मे छोड़कर शशिकला चली गयी. मा का दिल धड़क रहा
था. वह समझ गयी थी कि बेडरूम मे काम का क्या मतलब है. बेडरूम
बड़ा आलीशान था. एक बड़े डबल बेड पर सॅटिन की चादर बिछी थी. पास मे एक सोफा
भी था. उसके सामने एक बड़े स्क्रीन का टी वी था. टेबल पर लॅप टॉप भी रखा था.
मा सोफे पर बैठकर लॅपटॉप आन करने लगी. तभी शशिकला वापस आई और
भी उसके पास बैठ गयी. टी वी आन कर के बोली. "ये डी वी डी लगाकर मूवी देख रही
थी दीदी तुम्हारे आने के पहले, बस दस मिनिट की मूवी और बची होगी, तुम भी
देखो, फिर काम करेंगे" मा की तरफ शैतानी भरी निगाह से देख कर वह बोली.
hT_V1OJ8-d4P0U4eZWeLBVc9fnQgDhAEPqDwpqxCVNrZ=w312-h220-p-no
 
मा ने जब मूवी देखी तो उसका चेहरा लाल हो गया और सांस चलने लगी.
लेस्बियन फिल्म थी, दो बहुत मादक खूबसूरत औरतों मे सेक्स चल रहा था, एक
बड़ी पैतालीस के करीब की औरत थी और एक एकदम जवान थी. उस समय वह जवान
युवती उस अधेड़ औरत के मूह पर बैठकर उससे अपनी चूत चुसवा रही थी.
j2E6Dwd1oYZVJBXNA2cGx8qkCpA1Yg0PQ0SiG3U6s_vn=w165-h220-p-no

अनजाने मे मा ने अपनी जांघे आपस मे सटा ली और रगड़ने लगी, उससे रहा
नही जा रहा था. शशिकला उसके पास सरक आई और उसकी जांघों पर हाथ
रखकर बोली. "दीदी तुमने भी देखी होंगी है ना ऐसी मूवीज़? आज कल तो
बच्चे भी देखते है, मुझे यह वाली बहुत पसंद है, कई बार देखती हू.
मालूम है क्यों दीदी! ये बड़ी वाली हीरोइन, क्या रूप है उसका! वैसे दीदी सच
बताऊ, इसे देखकर हमेशा मुझे तुम्हारी याद आ जाती है. उस लड़की से बड़ी
जेलसी होती है कि उसे कितना सुख मिल रहा है उसकी मा की उम्र की उस औरत से!
असल मे इस फिल्म की कहानी यही है, एक मा और बेटी के आपस के सेक्स के रिश्ते की"
अब तो शक का कोई सवाल ही नही था. शशिकला साफ कह रही थी मा से कि उसे क्या
करना है उसके साथ!

मा अब तक पूरी कामतुर हो चुकी थी. सारी झिझक और लज्जा ख़तम हो गयी थी.
शशिकला की मादक जवानी की गरमी अब उसे सहन नही हो रही थी. 

शशिकला ने मा के कंधे पर हाथ रखा और उससे बिलकुल चिपट कर बैठ गयी.
"देखा दीदी, कितनी सुंदर है ये दो औरतें!"
tlULENFUKWa_ucRpMXwyy_0o1_e56f4HRM840MzgLU2R=w326-h202-p-no


मा ने शशिकला का चेहरा अपने हाथों मे लिया. उसकी आँखों मे देखती
हुई मा बोली "शशि, वैसे तुम भी बहुत सुंदर हो, इस खूबसूरत युवती से कम
नही हो जो उस औरत से रति कर रही है. मैं कब से जानती हू कि तुमने मुझे
क्यों बुलाया है. मैं तुम्हें इतनी अच्छी लगती हू यह मेरे लिए बड़े गर्व की
बात है. तुम जैसी जवान और खूबसूरत युवती, वह भी एक कंपनी की बस, तुम
अगर चाहती तो किसी और जवान लड़की को भी चुन सकती थी, पर तुमने मुझे
चुना है जो उम्र मे तुमसे इतनी बड़ी है. तुम भी समझ लो कि मैं यहा कोई
इस लिए नही आई हू कि तुम मेरी बस हो बल्कि इसलिए कि तुम भी मुझे उतनी ही
अच्छी लगती हो. आओ शशि, दीदी की बाहों मे आ जाओ, अपनी दीदी को ज़रा प्यार
करने दो उसकी इस नन्ही बहन से" कहकर मा ने उसके होंठ चूम लिए.
7Y1rM2bt5-QMsidXn7R-_iICHLQrYWZsgIjTtT_Yxait=w131-h196-p-no

शशिकला खुशी से मा से लिपट गयी और मा के चुंबनो का जवाब देने
लगी. "ओह दीदी, थैक यू, आज तुमने मुझे मन की मुराद दे दी, पिछले कई
दिनों से मेरा हाल बहुत बुरा है, जब तुमने पहली बार मुझे मना कर दिया
था तो मैं पागल सी हो गयी थी. आख़िर मैं भी तुम्हें पसंद आ ही गयी" और
मा के होंठों को अपने होंठों मे लेकर वह चूसने लगी.
 
दोनों अब चुंबन लेते हुए एक दूसरे के बदन को सहला रही थी. शशिकला
तो अब मा की गोद मे ही बैठ गयी थी और मा के स्तनों को हाथ मे लेकर ब्लॉज़
पर से ही दबा रही थी. मा उसके मिनिस्कार्ट के नीचे हाथ डालकर उसकी
चरहरी मसल जांघे सहला रही थी.
uDvxg_Rr4j7dJrV0J75ukX5EswDCsJVqtF2zyyCOZ4Z7=w293-h219-p-no


कुछ देर की चूमा चाटी के बाद दोनों की वासना चरम सीमा पर आ गयी थी.
दोनों अब आपस मे कुश्ती सी खेल रही थी, एक दूसरे को नीचे गिराकर चढ़ने
की कोशिश कर रही थी कि अपनी मन मुराद पूरी कर ली जाए. मा की जीत हुई, उसके
खाए पिए मासल शरीर की शक्ति के आगे शशिकला की नाज़ुक जवानी नही टिक
पाई, शायद शशिकला भी मा से हारना चाहती थी. मा ने शशिकला को
सोफे पर लिटाकर उसका स्कर्ट उपर किया और उसकी जांघे चूमने लगी.
शशिकला ने गुलाबी नाइलोन की पैंटी पहन रखी थी. पैंटी की क्रैच अब तक गीली
हो गयी थी. 

माने उसे चूमा और बोली.
"शशि, मुझे दीदी मानती है ना, अब ज़रा आराम से पड़ी रह, अपनी दीदी को अपनी
इस छोटी सी रानी बहना से प्यार करने दे. सच कितनी खूबसूरत है तू! तेरी इस
पैंटी मे तो करोड़ों का खजाना छुपा है, मेरे जैसी सीधी सादी औरत को भी
तूने पागल कर दिया है" कहकर मा ने खींच कर शशिकला की पैंटी उतार दी.
शशिकला की बुर एकदम चिकनी थी, गोरी गोरी बिना बाल की. उस बचकनी बुर को
देखकर मा के मूह मे पानी भर आया. मेरे साथ मॅगज़ीन देखते समय
मा ने कई बार रति करती लेस्बियनो की चिकनी चूते देखी थी. मुझसे एक
बार उसने कहा भी था कि अगर मैं चाहू तो वह फिर से शेव कर लेगी पर मैने
मना कर दिया था. मा की घूंघराली झान्टो मे मूह छिपा कर सोने का
आनंद मैं नही खोना चाहता था.
rX2VUkJr-3lk3_zdY3U6HXp5gvwXKtSGTY75DHkx-JPR=w150-h225-p-no


आज एक चिकनी बुर देख कर आख़िर मा के रहे सहे सब्र का बाँध भी टूट गया,
उसने शशिकला की बुर को चूमा और फिर उसकी जाँघो अलग करके उंगलियों
से चूत को खोला और जीभ से चाटने लगी. चूत चूसने की यह पहली बार थी
मा के लिए पर उसने मेरे साथ इतने चित्र देखे थे और सी डी देखी थी की किसी
साधी लेस्बियन जैसे वह उस जवान बुर के रस का पान करने लगी. शशिकला जैसी
अनुभवी लेस्बियन भी मा की जीभ के जादू के आगे न टिक पाई. मा के सिर को अपने
हाथों मे पकड़कर अपनी बुर पर दबाते हुए वह सीत्कारने लगी "दीदी, बहुत
अच्छा लग रहा है दीदी, और करो ना, तुम्हारी जीभ तो जादू कर रही है दीदी,


मैने सोचा भी नही था कि मैं अपनी दीदी को इस तरह अपना सेक्स जूस पिलाउन्गि"
मा ने शशिकला की बुर को इतने प्यार से चाटा की वह पाँच मिनिट मे ढेर
हो गयी. असल मे मा उस युवती की बुर को इतनी ममता से चाट रही थी कि वासना
और प्रेम के उस अद्भुत मिश्रण के आगे वह लड़की टिक न सकी.

ZOGiOZbVpByyhVVLzMZfBoih7xS9STe6kv3clGANvjzJ=w150-h225-p-no

मा को बुर का पानी बहुत प्यारा लगा. वैसे चोदने के बाद मेरा लंड चुसते
हुए उसने कई बार खुद की बुर के रस को चखा था पर किसी दूसरी औरत की झड़ी
चूत से बहते रस को चाटने का यह पहला मौका था. शशिकला के
तड़पने की परवाह न करते हुए मा ने अपनी जीभ से उसकी बुर का कोना कोना
चटा, जीभ अंदर डाल कर भी चाटा जैसा मैं मा के साथ करता था.

4ZrdxJsdIhZDVN3mBkTe1qUoxbyJ5LlTno4hor4ZTCjf=w165-h219-p-no

कुछ देर पड़ी रहने के बाद शशिकला उठ बैठी. वासना तृप्त होने से वह अब
कुछ शांत हो गयी थी. मा को चूमते हुए बोली "दीदी, सच बताओ, तुम्हारी भी
गर्ल फ्रेंड्स है क्या? लगता नही कि आज पहली बार तुम औरतों के साथ लव
मेकिंग कर रही हो. मेरी बुर बहुतों ने चाटी है पर तुम्हारे जैसी कला बहुत
कम मे थी"
 
मम्मी कुछ शरमा गयी "अरी नही, अब तक मैं बिलकुल सीधी सादी हेतेरोसेक्सुअल
औरत थी. हाँ सेक्स मुझे बहुत अच्छा लगता है. ऐसी किताबें देखने का भी
शौक है" मा अब अपनी जांघे एक दूसरे पर रगड़ रही थी. साड़ी मे से दिख
तो नही रहा था पर मा की जांघों को बाहों मे लेकर पड़ी शशिकला को
इसका पता तुरंत चल गया. साड़ी मे हाथ डालकर मा की बुर को पुचकार कर
वह बोली "अकेले अकेले मे मज़ा चल रहा है दीदी, पर ऐसे नही, हमे भी शामिल
करो, बल्कि अब तुम आराम करो और अपनी इस लाडली छोटी को अपना काम करने दो.


शशिकला उठ बैठी और अपने कपड़े पूरे निकाल दिए. उसके उस गोरे चिट
छरहरे बदन को देखकर मा उसके रूप को ताकती रह गयी. शशिकला के
स्तन बहुत बड़े नही थे, बस ड्रेस के नीचे पहनी वायर ब्रा से वे उभर कर
दिखते थे. पर वे छोटे उरोज भी रसीले फलों से मीठे थे.

मा टक लगाकर शशिकला के रूप को देखते हुए बोली "शशि, क्या कसा
चिकना बदन है तेरा? माडल बन जाए तो हज़ारों रुपये घंटे के मिलेंगे
तुझे, लगता है काफ़ी वर्क आउट करती है, जिम मे रोज जाती होगी ना? मुझे देख,
कैसी मोटी पीलापीली सी लगती हू तेरे आगे"


शशिकला ने मा को खड़ा किया और खींच कर पलंग तक ले गयी. "दीदी, ऐसा
कभी मत कहना, तुम्हारा शरीर किसी पके फल सा मीठा है, तुझे देखते ही
लगता है कि खा जाउ. बहुत रस होगा दीदी तेरे इस बदन मे, अब बिना चखे
वहाँ मैं नही रह सकती. मेरे ख़याल से कुछ रस तो निकलना शुरू भी हो गया
है दीदी, मेरा रस निकलते निकलते. है ना?"


मा कुछ नही बोली क्योंकि सच मे अब उसकी बुर से इतना पानी निकल रहा था कि
उसकी जांघे गीली हो गयी थी. शशिकला मा को नंगा करने लगी. एक एक
करके जैसे जैसे मा के कपड़े निकलते गये, शशिकला की साँसें तेज होती
गयी. जब मा के जिस्म पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी बचे तो शशिकला थोड़े पीछे
हटाकर उसे ऐसे देखने लगी जैसे कोई चित्रकार अपनी पैंटिंग देखने को
पीछे हटता है.


"दीदी, तुम मार डालगी मुझे. ओह गॉड, क्या सेक्सी बड़ी है तेरी, मैने सोचा था
उससे ज़्यादा ज्यूसी. और क्या लिंगरी पहनती हो दीदी. एकदम टॉप, कौन सी है? वो
वेनिटि फेयर का ब्लैक पीस लगता है, तुम्हारे गोरे रंग पर बहुत जचता है
दीदी, और कप भी एकदम मस्त है, सिमलएस" कह कर वह मा से लिपट गयी और
उसके उरोज प्यार से दबाते हुए उसे चूमने लगी. चूमते चूमते मा को
धकेलकर उसने पलंग पर गिरा दिया और उस पर चढ़ बैठी. मा की ब्रा
निकालकर वह सीधे मा का एक निपल मूह मे लेकर चूसने लगी.
 
Back
Top