hotaks444
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मैने मा की बुर मे उंगली डाली और अंदर बाहर करने लगा "मा, तू सोच कि
शशिकला ऐसे तेरे सामने बैठी है और तेरी चूत चूस रही है, अपनी जीभ
तुम्हारी इस रसीली बुर मे डाल डाल कर तुम्हारे अमृत का पान कर रही है और तू
झाड़ झाड़ कर सेक्स की भूखी उस युवती को अपनी बुर का शहद चटा रही है,
मज़ा आता है की नही इस ख़याल से? और रही बात जवान लड़कियों को छोड़कर
तुम्हारे पीछे पड़ने की, मैं समझ सकता हू, मा तुझे मालूम नही है कि
तुझमे कितनी सेक्स अपील है और उस अपील मे तुम्हारी इस गदराई उम्र और मासल
शरीर का भी एक बड़ा हिसा है! कई लेस्बियन लड़कियों को अपनी उम्र से बहुत
बड़ी औरतों से सेक्स मे बहुत मज़ा आता है. अब सच बोलो मम्मी, शशिकला
के साथ सेक्स के ख़याल से मज़ा आता है कि नही?"
मा सिसक उठी. अपनी टाँगे सटा कर मेरी उंगली को बुर मे क़ैद करके बोली
"बहुत मज़ा आता है बेटे. न जाने मुझे क्या हो गया है, मेरे बदन की आग अब
शांत ही नही होती, तूने तो मेरी बुर की वासना के जिन्न को जैसे अपने लंड की चाबी
से आज़ाद कर दिया है. मालूम है, जब शशिकला ने मुझे किस किया था तो मुझे
बड़ा मीठा लगा था वह किस. सच बेटे, अगर तुझे कोई आपत्ति नही है तो मैं इस
कन्या के साथ अपने मन की मुरादे पूरी करना चाहती हू, बहुत प्यारी लड़की
है, उसे देखकर ममता और प्यार भी आता है और एक अजीब सी भूख भी लग आती
है, उसे भोगने की भूख"
मैने मा को विश्वास दिलाया कि मुझे खुशी होगी अगर मा को चुदाई का हर
तरह का सुख मिले. मेरे मन मे यह भी छुपी इच्छा थी कि शायद इस चक्कर
मे मुझे भी कुछ करने का मौका मिल जाए. मा तो अप्सरा थी पर अब मेरी
वासना भी ऐसी धधकती थी की खूब चुदाई करने का मन होता था, अगर और
कोई भी मिल जाए तो क्या बात थी, हा मा की पसंद से, उसकी अनुमति के बिना
नही.
"मा, मेरे एग्ज़ाम तो कल ख़तम हो जाएँगे. तुम चली जाओ शनिवार रविवार के
लिए. पर मुझे दिखाओ तो कि मेरी मा की वह पुजारन कैसी दिखती है" मैने
मा से प्रार्थना की.
मा अब बहुत खुश थी. उसके मन का बोझ उतर गया था.
"देखो बेटे, इस ऑफीस की मॅगज़ीन मे है उसका फोटो फ्रंट पेज पर. मेरे लाल,
तूने मेरे मन का बोझ हल्का कर दिया. मुझे सिखा दिया है कि सेक्स से बढ़ कर
कोई सुख नही है, यहा एक ही जीवन मिलता है और उसमे सब को अपनी हर इच्छा
पूरी कर लेना चाहिए. तेरा भी कही मन लगा हो तो मुझे बता, मैं भी यही
चाहती हू कि तू खूब सुख पाए, सिर्फ़ अपनी इस मा के आँचल से न चिपका रहे,
तेरी तो उमर है मज़ा लेने की"
मैने मा को विश्वास दिलाया कि अभी तक तो कोई ऐसा नही था जो उसके सामने
मुझे सेक्सी लगे. मा ने लाई मॅगज़ीन मे मैं देखने लगा. अशोक माथुर और
उसके साथ शशिकला का एक चित्र था. अशोक माथुर एक काफ़ी हॅंडसम आदमी
थे, तीस बत्तीस के आस पास के ही लगते थे. शशिकला को देख कर मेरा भी खड़ा
होने लगा. उसने स्लीवलेस ब्लॉज़ और नभिदर्शना साड़ी पहन रखी थी.
एकदम गोरी चित्ति थी. बाल छोटे बाब कट थे. सामने पारदर्शक पल्लू मे से
उसके उरोजो का उभार दिख रहा था. है हिल की स्टिलेटो सॅंडल पहने थी जिसमे
उसके गोरे पाव खूब फॅब रहे थे. चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास था, आख़िर
करोड़ों की मालकिन थी.
"माल है मा, तू फालतू परेशन होती है. चल कल ही उसे बता दे कि तू
शुक्रवार रात को ही आ जाएगी, आख़िर काम ख़तम करना ज़रूरी है." मैने
कहा. अब तक मा की चूत फिर से इतनी गीली हो गयी थी कि उसे कुछ और नही सूझ
रहा था. मैने तुरंत मा के प्रति बेटे का कर्तव्य निभाया, पहले उसकी बुर
चूस कर उसका सारा पानी निकाल लिया और फिर उसे इतनी देर और इतने ज़ोर से चोदा कि
वह सुख से बेहोश सी हो गयी.
शशिकला ऐसे तेरे सामने बैठी है और तेरी चूत चूस रही है, अपनी जीभ
तुम्हारी इस रसीली बुर मे डाल डाल कर तुम्हारे अमृत का पान कर रही है और तू
झाड़ झाड़ कर सेक्स की भूखी उस युवती को अपनी बुर का शहद चटा रही है,
मज़ा आता है की नही इस ख़याल से? और रही बात जवान लड़कियों को छोड़कर
तुम्हारे पीछे पड़ने की, मैं समझ सकता हू, मा तुझे मालूम नही है कि
तुझमे कितनी सेक्स अपील है और उस अपील मे तुम्हारी इस गदराई उम्र और मासल
शरीर का भी एक बड़ा हिसा है! कई लेस्बियन लड़कियों को अपनी उम्र से बहुत
बड़ी औरतों से सेक्स मे बहुत मज़ा आता है. अब सच बोलो मम्मी, शशिकला
के साथ सेक्स के ख़याल से मज़ा आता है कि नही?"
मा सिसक उठी. अपनी टाँगे सटा कर मेरी उंगली को बुर मे क़ैद करके बोली
"बहुत मज़ा आता है बेटे. न जाने मुझे क्या हो गया है, मेरे बदन की आग अब
शांत ही नही होती, तूने तो मेरी बुर की वासना के जिन्न को जैसे अपने लंड की चाबी
से आज़ाद कर दिया है. मालूम है, जब शशिकला ने मुझे किस किया था तो मुझे
बड़ा मीठा लगा था वह किस. सच बेटे, अगर तुझे कोई आपत्ति नही है तो मैं इस
कन्या के साथ अपने मन की मुरादे पूरी करना चाहती हू, बहुत प्यारी लड़की
है, उसे देखकर ममता और प्यार भी आता है और एक अजीब सी भूख भी लग आती
है, उसे भोगने की भूख"
मैने मा को विश्वास दिलाया कि मुझे खुशी होगी अगर मा को चुदाई का हर
तरह का सुख मिले. मेरे मन मे यह भी छुपी इच्छा थी कि शायद इस चक्कर
मे मुझे भी कुछ करने का मौका मिल जाए. मा तो अप्सरा थी पर अब मेरी
वासना भी ऐसी धधकती थी की खूब चुदाई करने का मन होता था, अगर और
कोई भी मिल जाए तो क्या बात थी, हा मा की पसंद से, उसकी अनुमति के बिना
नही.
"मा, मेरे एग्ज़ाम तो कल ख़तम हो जाएँगे. तुम चली जाओ शनिवार रविवार के
लिए. पर मुझे दिखाओ तो कि मेरी मा की वह पुजारन कैसी दिखती है" मैने
मा से प्रार्थना की.
मा अब बहुत खुश थी. उसके मन का बोझ उतर गया था.
"देखो बेटे, इस ऑफीस की मॅगज़ीन मे है उसका फोटो फ्रंट पेज पर. मेरे लाल,
तूने मेरे मन का बोझ हल्का कर दिया. मुझे सिखा दिया है कि सेक्स से बढ़ कर
कोई सुख नही है, यहा एक ही जीवन मिलता है और उसमे सब को अपनी हर इच्छा
पूरी कर लेना चाहिए. तेरा भी कही मन लगा हो तो मुझे बता, मैं भी यही
चाहती हू कि तू खूब सुख पाए, सिर्फ़ अपनी इस मा के आँचल से न चिपका रहे,
तेरी तो उमर है मज़ा लेने की"
मैने मा को विश्वास दिलाया कि अभी तक तो कोई ऐसा नही था जो उसके सामने
मुझे सेक्सी लगे. मा ने लाई मॅगज़ीन मे मैं देखने लगा. अशोक माथुर और
उसके साथ शशिकला का एक चित्र था. अशोक माथुर एक काफ़ी हॅंडसम आदमी
थे, तीस बत्तीस के आस पास के ही लगते थे. शशिकला को देख कर मेरा भी खड़ा
होने लगा. उसने स्लीवलेस ब्लॉज़ और नभिदर्शना साड़ी पहन रखी थी.
एकदम गोरी चित्ति थी. बाल छोटे बाब कट थे. सामने पारदर्शक पल्लू मे से
उसके उरोजो का उभार दिख रहा था. है हिल की स्टिलेटो सॅंडल पहने थी जिसमे
उसके गोरे पाव खूब फॅब रहे थे. चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास था, आख़िर
करोड़ों की मालकिन थी.
"माल है मा, तू फालतू परेशन होती है. चल कल ही उसे बता दे कि तू
शुक्रवार रात को ही आ जाएगी, आख़िर काम ख़तम करना ज़रूरी है." मैने
कहा. अब तक मा की चूत फिर से इतनी गीली हो गयी थी कि उसे कुछ और नही सूझ
रहा था. मैने तुरंत मा के प्रति बेटे का कर्तव्य निभाया, पहले उसकी बुर
चूस कर उसका सारा पानी निकाल लिया और फिर उसे इतनी देर और इतने ज़ोर से चोदा कि
वह सुख से बेहोश सी हो गयी.