hotaks444
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चेतावनी ...........दोस्तो ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन और बाप बेटी के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक पारवारिक सेक्स की कहानी है
मा बेटा और बहन-1
हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर
हाजिर हूँ हाई मेरा नाम आमिर है और मेरी उमर 20 साल है . मेरी एक छ्होटी बहन
शुमैला है. वह अभी सिर्फ़ सत्रह साल है और कॉलेज मे है. मोम अब 40 की
हैं. मोम स्कूल मे टीचर हैं और मे यूनिवर्सिटी मे हूँ. हमलोग
करांची से है. पापा का 2 साल पहले इंतेक़ाल हो गया था. अब घर मे सिर्फ़
हम तीन लोग ही हैं.
यह अब से 6 मंथ पहले हुआ था. एक रात मम्मी बहुत उदास लग रही थी. मे
समझ गया वह पापा को याद कर रही हैं. मेने उनको बहलाया और खुश करने
की कोशिश की. मम्मी मेरे गले लग रोने लगी. तब मेने कहा, "मम्मी हम दोनो
आपको बहुत प्यार करते हैं, हमलोग मिलकर पापा की कमी महसूस नही होने
देंगे."
शुमैला भी वहाँ आ गयी थी, वह भी मम्मी से बोली, "हां मम्मी प्लीज़ आप दिल
छ्होटा ना करिए. भाई जान हैं ना हम दोनो की देखभाल के लिए. भाई जान
हमलोगो का कितना ख्याल रखते हैं."
"हां बेटी पर कुच्छ ख्याल सिर्फ़ तेरे पापा ही रख सकते थे."
"नही मम्मी आप भाई जान से कह कर तो देखिए."
खैर फिर बात धीरे धीरे नॉर्मल हो गई. उसी रात शुमैला अपने रूम मे थी.
मे रात को टाय्लेट के लिए उठा तो टाय्लेट जाते हुए मम्मी के रूम से कुच्छ
आवाज़ आई. 12 बज चुके थे और मम्मी अभी तक जाग रही हैं, यह सोचकर उनके
रूम की तरफ गया. मम्मी के रूम का दरवाज़ा खुला था. मे खोलकर अंदर गया
तो चौंक गया.
मम्मी अपनी शलवार उतारे अपनी चूत मे एक मोमबत्ती डाल रही थी. दरवाज़े के
खुलने की आवाज़ पर उन्होने मूड कर देखा. मुझे देख वह घबरा सी गयी. मे भी
शर्मा गया कि बिना नॉक किए आ गया. मे वापस मुड़ा तो मम्मी ने कहा, "बेटा
आमिर प्लीज़ किसी से कहना नही."
"नही मम्मी मे किसी से नही कहूँगा?"
"बेटा जब से तेरे पापा इस दुनिया से गये हैं तब से आज तक मे.."
"ओह्ह मम्मी मे भी अब समझता हूँ. यह आपकी ज़रूरत है पर क्या करूँ अब
पापा तो हैं नही."
फिर मे मम्मी के पास गया और उनके हाथो को पकड़ बोला, "मम्मी दरवाज़ा बंद कर लिया करिए."
"बेटा आज भूल गयी."
फिर मे वापस आ गया.
अगले दिन सब नॉर्मल रहा. शाम को मे वापस आया तो हमलोगो ने साथ ही चाइ
पी. चाइ के बाद शुमैला बोली, "भाई जान बाज़ार से रात के लिए सब्ज़ी ले आओ
जो खाना हो ."
मे जाने लगा तो मम्मी ने कहा, "बेटा किचन मे आओ तो कुच्छ और समान बता
दूँगी लेते आना."
मे किचन मे जा बोला, "क्या लाना है मम्मी?"
मम्मी ने बाहर झाँका और शुमैला को देखते धीरे से बोली, "बेटा 5- 6 बैगन
लेते आना लंबे वाले."
मे मम्मी की बात सुन पता नही कैसे बोल पड़ा, "मम्मी अंदर करने के लिए?"
मम्मी शर्मा गयी और मे भी अपनी इस बात पर झेंप गया और सॉरी बोलता बाहर
चला गया. सब्ज़ी लाकर शुमैला को दी और 4 बैगन लाया था जिनको अपने पास
रख लिया. शुमैला ने खाना बनाया फिर रात को खा पीकर सब लोग सोने चले
गये. तब करीब 11 बजे मम्मी मेरे रूम मे आ बोली, "बेटा बैगन लाए थे?"
"हां मम्मी पर बहुत लंबे नही मिले और मोटे भी कम है."
"कोई बात नही बेटे अब जो है सही हैं ."
"बहुत ढूँढा मम्मी पर कोई भी मुझसे लंबे नही मिले."
"क्या मतलब बेटा."
मे बोला, "मम्मी मतलब यह कि इनसे लंबा और मोटा तो मेरा है."
तब मम्मी ने कुच्छ सोचा फिर कहा, "क्या करें बेटा अब तो जो किस्मत मे है वही
सही." फिर मेरी पॅंट के उभार को देखते बोली, "बेटा तेरा क्या बहुत बड़ा है?"
"हां मम्मी 8 इंच है."
"ओह्ह बेटा तेरे पापा का भी इतना ही था. बेटा अपना दिखा दो तो तेरे पापा की याद
ताज़ी हो जाए."
"लेकिन मम्मी मे तो आपका बेटा हूँ."
"हां बेटा तभी तो कह रही हूँ. तू मेरा बेटा है और अपनी माँ से क्या शरम.
तू एकदम अपने पापा पे गया है . देखूं तेरा वह भी तेरे पापा के जैसा है या
नही?"
तब मेने अपनी पॅंट उतारी और अंडरवेर उतारा तो मेरे लंबे तगड़े लंड को देख मम्मी एकदम से खुश हो गयी. वह मेरे लंड को देख नीचे बैठी और मेरा लंड
पकड़ लिया और बोली, "हाई आमिर बेटा तेरे पापा का भी एकदम ऐसा ही था. हाई
बेटा यह तो मुझे तेरे पापा का ही लग रहा है. बेटा क्या मे इसे थोड़ा सा प्यार
कर लूँ?"
"मम्मी अगर आपको इससे पापा की याद आती है और आपको अच्छा लगे तो कर
लीजिए."
"बेटा मुझे तो लग रहा है कि मे तेरा नही बल्कि तेरे पापा का पकड़े हूँ."
मा बेटा और बहन-1
हेल्लो दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर
हाजिर हूँ हाई मेरा नाम आमिर है और मेरी उमर 20 साल है . मेरी एक छ्होटी बहन
शुमैला है. वह अभी सिर्फ़ सत्रह साल है और कॉलेज मे है. मोम अब 40 की
हैं. मोम स्कूल मे टीचर हैं और मे यूनिवर्सिटी मे हूँ. हमलोग
करांची से है. पापा का 2 साल पहले इंतेक़ाल हो गया था. अब घर मे सिर्फ़
हम तीन लोग ही हैं.
यह अब से 6 मंथ पहले हुआ था. एक रात मम्मी बहुत उदास लग रही थी. मे
समझ गया वह पापा को याद कर रही हैं. मेने उनको बहलाया और खुश करने
की कोशिश की. मम्मी मेरे गले लग रोने लगी. तब मेने कहा, "मम्मी हम दोनो
आपको बहुत प्यार करते हैं, हमलोग मिलकर पापा की कमी महसूस नही होने
देंगे."
शुमैला भी वहाँ आ गयी थी, वह भी मम्मी से बोली, "हां मम्मी प्लीज़ आप दिल
छ्होटा ना करिए. भाई जान हैं ना हम दोनो की देखभाल के लिए. भाई जान
हमलोगो का कितना ख्याल रखते हैं."
"हां बेटी पर कुच्छ ख्याल सिर्फ़ तेरे पापा ही रख सकते थे."
"नही मम्मी आप भाई जान से कह कर तो देखिए."
खैर फिर बात धीरे धीरे नॉर्मल हो गई. उसी रात शुमैला अपने रूम मे थी.
मे रात को टाय्लेट के लिए उठा तो टाय्लेट जाते हुए मम्मी के रूम से कुच्छ
आवाज़ आई. 12 बज चुके थे और मम्मी अभी तक जाग रही हैं, यह सोचकर उनके
रूम की तरफ गया. मम्मी के रूम का दरवाज़ा खुला था. मे खोलकर अंदर गया
तो चौंक गया.
मम्मी अपनी शलवार उतारे अपनी चूत मे एक मोमबत्ती डाल रही थी. दरवाज़े के
खुलने की आवाज़ पर उन्होने मूड कर देखा. मुझे देख वह घबरा सी गयी. मे भी
शर्मा गया कि बिना नॉक किए आ गया. मे वापस मुड़ा तो मम्मी ने कहा, "बेटा
आमिर प्लीज़ किसी से कहना नही."
"नही मम्मी मे किसी से नही कहूँगा?"
"बेटा जब से तेरे पापा इस दुनिया से गये हैं तब से आज तक मे.."
"ओह्ह मम्मी मे भी अब समझता हूँ. यह आपकी ज़रूरत है पर क्या करूँ अब
पापा तो हैं नही."
फिर मे मम्मी के पास गया और उनके हाथो को पकड़ बोला, "मम्मी दरवाज़ा बंद कर लिया करिए."
"बेटा आज भूल गयी."
फिर मे वापस आ गया.
अगले दिन सब नॉर्मल रहा. शाम को मे वापस आया तो हमलोगो ने साथ ही चाइ
पी. चाइ के बाद शुमैला बोली, "भाई जान बाज़ार से रात के लिए सब्ज़ी ले आओ
जो खाना हो ."
मे जाने लगा तो मम्मी ने कहा, "बेटा किचन मे आओ तो कुच्छ और समान बता
दूँगी लेते आना."
मे किचन मे जा बोला, "क्या लाना है मम्मी?"
मम्मी ने बाहर झाँका और शुमैला को देखते धीरे से बोली, "बेटा 5- 6 बैगन
लेते आना लंबे वाले."
मे मम्मी की बात सुन पता नही कैसे बोल पड़ा, "मम्मी अंदर करने के लिए?"
मम्मी शर्मा गयी और मे भी अपनी इस बात पर झेंप गया और सॉरी बोलता बाहर
चला गया. सब्ज़ी लाकर शुमैला को दी और 4 बैगन लाया था जिनको अपने पास
रख लिया. शुमैला ने खाना बनाया फिर रात को खा पीकर सब लोग सोने चले
गये. तब करीब 11 बजे मम्मी मेरे रूम मे आ बोली, "बेटा बैगन लाए थे?"
"हां मम्मी पर बहुत लंबे नही मिले और मोटे भी कम है."
"कोई बात नही बेटे अब जो है सही हैं ."
"बहुत ढूँढा मम्मी पर कोई भी मुझसे लंबे नही मिले."
"क्या मतलब बेटा."
मे बोला, "मम्मी मतलब यह कि इनसे लंबा और मोटा तो मेरा है."
तब मम्मी ने कुच्छ सोचा फिर कहा, "क्या करें बेटा अब तो जो किस्मत मे है वही
सही." फिर मेरी पॅंट के उभार को देखते बोली, "बेटा तेरा क्या बहुत बड़ा है?"
"हां मम्मी 8 इंच है."
"ओह्ह बेटा तेरे पापा का भी इतना ही था. बेटा अपना दिखा दो तो तेरे पापा की याद
ताज़ी हो जाए."
"लेकिन मम्मी मे तो आपका बेटा हूँ."
"हां बेटा तभी तो कह रही हूँ. तू मेरा बेटा है और अपनी माँ से क्या शरम.
तू एकदम अपने पापा पे गया है . देखूं तेरा वह भी तेरे पापा के जैसा है या
नही?"
तब मेने अपनी पॅंट उतारी और अंडरवेर उतारा तो मेरे लंबे तगड़े लंड को देख मम्मी एकदम से खुश हो गयी. वह मेरे लंड को देख नीचे बैठी और मेरा लंड
पकड़ लिया और बोली, "हाई आमिर बेटा तेरे पापा का भी एकदम ऐसा ही था. हाई
बेटा यह तो मुझे तेरे पापा का ही लग रहा है. बेटा क्या मे इसे थोड़ा सा प्यार
कर लूँ?"
"मम्मी अगर आपको इससे पापा की याद आती है और आपको अच्छा लगे तो कर
लीजिए."
"बेटा मुझे तो लग रहा है कि मे तेरा नही बल्कि तेरे पापा का पकड़े हूँ."