hotaks444
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इधर मनु उनकी बातें तो सुन ही रहा था साथ ही साथ उनकी मूवी भी बनाए जा रहा था,अब उसका लंड दुबारा से कड़ा हो चुका था,पर अब तक वो 3 बार झाड़ चुका था,इसलिए कोई जल्दी नही थी,फिर उसको ये तो पता ही था कि ये रास लीला आज सारी रात चलनी है,और आज की रात उसके पास अपना माल निकालने के कई मौके आएँगे,इसलिए वो सिर्फ़ मूवी शूट करने पर ही ध्यान दे रहा था.
अब जब रमण के लंड का सारा पानी आरती की चूत मे गिर गया तो,वो आरती के उपर से हट गया,उसका लंड अब थोड़ा सिकुड के आरती की चूत से बाहर आ गया,वो दोनो के मिले जुले रस से बुरी तरह से भीगा हुआ था.अब दोनो जने बिस्तेर पर साथ-2 लेट कर लंबी-2 साँसे लेने लगे.
थोड़ी देर बाद जब दोनो की साँसें कुछ ठीक हुई तो रमण ने फिर से आरती के मम्मों को पकड़ लिया,आरती ने कहा कि क्या तुम्हारा मन अभी भरा नही.
रमण-अर्रे जिसके पास आपके जैसी हसीना हो उसका कभी मन भर ही नही सकता,मेरा बस चले तो मैं हमेशा ही आपकी चूत मारता ही रहूं,और कभी अपना लंड इस चूत मे से निकालु ही नही.
आरती-अच्छा जी,ऐसा है क्या,मैं तुम्हे इतनी पसंद हूँ क्या?
रमण-और क्या आप तो मुझे शुरू से ही बहुत पसंद हो,और मैं शुरू से ही आपको अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहता था.
आरती-ये बात तो पहले मुझे मनु ने भी कही थी,कि तुम मुझसे दोस्ती करना चाहते हो.तो क्या ये सब बाते तुम मनु से भी कर लेते हो,और अब जो हमारे बीच हुआ है ,ये भी क्या तुम मनु को बताओगे.
रमण-अर्रे भाभी जी
आरती-अब तुम मुझे भाभी मत बोलो
रमण-ठीक है मेरी रानी ,सच तो ये है कि इन सब बातों मे मनु मेरा राज़दार है,और आज जो मौका हम को मिला है उसमे भी मनु ने हमारा साथ दिया है,और अगर आगे भी हम को सबसे ये सब छुपा कर रखना है तो उसको तो शामिल करना ही पड़ेगा.
ये सब सुन कर आरती एक बार तो सन्न रह गयी.तब रमण ने कहा कि मेरी जान तुम क्या सोच रही हो?
आरती कुछ देर तो चुप रही,फिर बोली तो इसका मतलब है कि मनु को सब बातों का पता है,अब मैं उस-से आँखें कैसे मिला पाउन्गि,आख़िर वो मेरा बेटा है.
रमण-इसमे कुछ भी दिक्कत नही है,वो तुम्हारा बेटा है तो क्या हुआ,है तो वो भी एक आदमी ही और जैसे तुम्हे देख कर मेरा दिल धड़कता है ऐसे ही उसका भी धड़कता है,तो अगर मैं तुमसे मस्ती कर सकता हूँ तो फिर उस-से क्या दिक्कत है.
आरती बहुत देर तक चुप ही रही,अब वो क्या बोले वो ये ही सोच रही थी,उसकी ज़ुबान उसके तालू से चिपक गयी थी,ये सुन कर कि मनु को पता है कि वो इस समय रमण से चुदवा रही है.
रमण समझ रहा था कि इस समय आरती के दिल मे क्या चल रहा है और वो कह रहा था कि आरती भी ये मान ले कि मनु से उसको कोई प्राब्लम नही है,जिस-से कि वो लोग आगे बेख़टके घर मे चुदाई कर सकें,पर इतनी जल्दी से आरती का ये स्वीकार करना मुश्किल था.
रमण ने आरती का ध्यान वहाँ से हटाने के लिए अब फिर से आरती के जिस्म से खेलना शुरू कर दिया था,पर आरती बहुत ज़्यादा साथ नही दे रही थी
तब रमण ने उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया,और फिर उनको चूसने लगा,जब वो इतनी कोशिस कर रहा था,तो कुछ तो असर आना ही था,और अब आरती को फिर से धीरे-2 मस्ती चढ़ने लगी थी और वो भी अब आहें भरने लगी थी और सिसकियाँ लेने लगी थी,अब रमण को समझ आ गया कि आरती अब फिर से मूड मे आ रही है तो वो उसकी चुचियों को और तेज़ी से चूसने लगा था,फिर उसने अपनी दो उंगलियाँ आरती की चूत मे डाल दी,आरती की चूत अभी भी रमण और उसके रस के कॉकटेल से भरी हुई थी और कुछ रस बाहर भी छलक रहा था,जब रमण ने अपनी उंगली उसकी चूत मे डाली तो आरती के मूह से एक ज़ोर की आह निकली और उसकी चूत मे से रस और बाहर को गिर गया.
अब जब रमण के लंड का सारा पानी आरती की चूत मे गिर गया तो,वो आरती के उपर से हट गया,उसका लंड अब थोड़ा सिकुड के आरती की चूत से बाहर आ गया,वो दोनो के मिले जुले रस से बुरी तरह से भीगा हुआ था.अब दोनो जने बिस्तेर पर साथ-2 लेट कर लंबी-2 साँसे लेने लगे.
थोड़ी देर बाद जब दोनो की साँसें कुछ ठीक हुई तो रमण ने फिर से आरती के मम्मों को पकड़ लिया,आरती ने कहा कि क्या तुम्हारा मन अभी भरा नही.
रमण-अर्रे जिसके पास आपके जैसी हसीना हो उसका कभी मन भर ही नही सकता,मेरा बस चले तो मैं हमेशा ही आपकी चूत मारता ही रहूं,और कभी अपना लंड इस चूत मे से निकालु ही नही.
आरती-अच्छा जी,ऐसा है क्या,मैं तुम्हे इतनी पसंद हूँ क्या?
रमण-और क्या आप तो मुझे शुरू से ही बहुत पसंद हो,और मैं शुरू से ही आपको अपनी गर्लफ्रेंड बनाना चाहता था.
आरती-ये बात तो पहले मुझे मनु ने भी कही थी,कि तुम मुझसे दोस्ती करना चाहते हो.तो क्या ये सब बाते तुम मनु से भी कर लेते हो,और अब जो हमारे बीच हुआ है ,ये भी क्या तुम मनु को बताओगे.
रमण-अर्रे भाभी जी
आरती-अब तुम मुझे भाभी मत बोलो
रमण-ठीक है मेरी रानी ,सच तो ये है कि इन सब बातों मे मनु मेरा राज़दार है,और आज जो मौका हम को मिला है उसमे भी मनु ने हमारा साथ दिया है,और अगर आगे भी हम को सबसे ये सब छुपा कर रखना है तो उसको तो शामिल करना ही पड़ेगा.
ये सब सुन कर आरती एक बार तो सन्न रह गयी.तब रमण ने कहा कि मेरी जान तुम क्या सोच रही हो?
आरती कुछ देर तो चुप रही,फिर बोली तो इसका मतलब है कि मनु को सब बातों का पता है,अब मैं उस-से आँखें कैसे मिला पाउन्गि,आख़िर वो मेरा बेटा है.
रमण-इसमे कुछ भी दिक्कत नही है,वो तुम्हारा बेटा है तो क्या हुआ,है तो वो भी एक आदमी ही और जैसे तुम्हे देख कर मेरा दिल धड़कता है ऐसे ही उसका भी धड़कता है,तो अगर मैं तुमसे मस्ती कर सकता हूँ तो फिर उस-से क्या दिक्कत है.
आरती बहुत देर तक चुप ही रही,अब वो क्या बोले वो ये ही सोच रही थी,उसकी ज़ुबान उसके तालू से चिपक गयी थी,ये सुन कर कि मनु को पता है कि वो इस समय रमण से चुदवा रही है.
रमण समझ रहा था कि इस समय आरती के दिल मे क्या चल रहा है और वो कह रहा था कि आरती भी ये मान ले कि मनु से उसको कोई प्राब्लम नही है,जिस-से कि वो लोग आगे बेख़टके घर मे चुदाई कर सकें,पर इतनी जल्दी से आरती का ये स्वीकार करना मुश्किल था.
रमण ने आरती का ध्यान वहाँ से हटाने के लिए अब फिर से आरती के जिस्म से खेलना शुरू कर दिया था,पर आरती बहुत ज़्यादा साथ नही दे रही थी
तब रमण ने उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया,और फिर उनको चूसने लगा,जब वो इतनी कोशिस कर रहा था,तो कुछ तो असर आना ही था,और अब आरती को फिर से धीरे-2 मस्ती चढ़ने लगी थी और वो भी अब आहें भरने लगी थी और सिसकियाँ लेने लगी थी,अब रमण को समझ आ गया कि आरती अब फिर से मूड मे आ रही है तो वो उसकी चुचियों को और तेज़ी से चूसने लगा था,फिर उसने अपनी दो उंगलियाँ आरती की चूत मे डाल दी,आरती की चूत अभी भी रमण और उसके रस के कॉकटेल से भरी हुई थी और कुछ रस बाहर भी छलक रहा था,जब रमण ने अपनी उंगली उसकी चूत मे डाली तो आरती के मूह से एक ज़ोर की आह निकली और उसकी चूत मे से रस और बाहर को गिर गया.