Maa ki chudai मॉं की मस्ती - Page 8 - SexBaba
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Maa ki chudai मॉं की मस्ती

मनु फिर से अपनी माँ की चूत के पास आया तो उसने देखा कि ये तो उसकी माँ पिशाब कर रही,और उसका दिल उसको पीने का नही था,पर क्यूंकी आरती उसके सिर को लगातार अपनी चूत पर ही लगा रही थी,फिर अपनी माँ की गुलाबी चूत से निकलते हुए मूत को देख कर उसकी वासना ने अंगडाई ली और उसका दिल किया कि इसको पी ही लेना चाहिए तो उसने अपना मूह अपनी माँ की पिशाब करती हुई चूत पर लगा दिया और वो आरती के सारे पिशाब को पी गया,जब वो मूत पी रहा था तो उसको वो अपने गले से पेट में जाता हुआ गरम-2 लग रहा था,जब उसने अपनी माँ का सारा मूत पी लिया तो आरती ने उसका सिर छोड़ दिया,अब आरती के जिस्म की आग भी थोड़ी सी कम हो गयी थी.

पर मनु ने जब देखा कि उसकी माँ का सारा मूत ख़तम हो गया तो वो उठा और उसने आपनी माँ को वहीं गीले बेड पर लिटा दिया और उसके मूह पर अपना मूह रख दिया,और जो आरती का पिशाब उसके मूह मे था वो सारे का सारा आरती के मूह में डाल दिया,अब बारी आरती की थी जब मनु ने ऐसे किया और उसका ही मूत उसको ही पिलाया तो उसको बहुत ही अजीब लगा पर मनु ने भी अपनी माँ का सिर कस के पकड़ रखा था और उसने भी अपने मूह का सारा मूत आरती के मूह में जाने तक उसका सिर नही छोड़ा.

अब दोनो मा-बेटे को मूत का ही नशा चढ़ गया था,और उन दोनो को चुदाई की इच्छा बहुत बढ़ गयी थी तो मनु ने जल्दी से अपनी माँ को लिटा कर उसके उपर आ कर अपना लंड एक ही धक्के में उसकी चूत में बाड़ दिया और जल्दी-2 धक्के मारने लगा,आरती भी उसके साथ-2 धक्के लगा रही थी,दोनो माँ बेटे जबरदस्त चुदाई में मगन हो गये और कुछ ही देर में दोनो झड़ने लगे.

जब दोनो जने अच्छी तरह से झड गये तो वहीं पर गीले बेड पर ही ढेर हो गये. 

और इसी तरह आरती रमण और मनु के साथ चुदाई करके अपनी प्यास बुझा लेती थी मनु भी खुश था कि अब उसे चूत के लिए कोई समस्या नही थी आरती की चुदास इतनी बढ़ चुकी थी कि वो हमेशा चुदने के लिए तैयार रहती थी बस इसी तरह उनकी जिंदगी मज़े से चलती जा रही थी . पर कहते हैं ना कि पाप का घड़ा जल्दी ही भर जाता है एक दिन अरविंद जल्दी घर आ गया और उसने आरती को रमण और मनु के साथ नंगी अवस्था में चुदाई करते हुए देख लिया . उस दिन अरविंद ने आरती और मनु की खूब पिटाई की . फिर आरती को तलाक़ देकर अपने से अलग कर दिया . ऐसी खबरें जल्दी ही फैल जाती है आरती ने आत्मग्लानी से आत्महत्या कर ली . मनु आज भी उस दिन को कोसता है जब उसे अपनी माँ के प्रति आकर्षण पैदा हुआ था ..




एंड.
 
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कुछ ही देर के बाद जब आरती की साँसें थोड़ी संयंत हुई तो वो सीधी हो कर उठी ,तभी उसकी नज़र अपनी बुर पर पड़ी,रात से जब से चुदाई हो रही थी उसने अपनी चूत को देखा ही नही था,वो तो बस उसमे लंड पे लंड लिए जा रही थी,अब जब उसको थोड़ा आराम मिला तो उसको अपनी चूत मे दर्द महसूस हुआ तो उसने अपनी नज़र अपनी चूत पर डाली,पर अपनी चूत की हालत देख कर उसके तो पसीने छूट गये,उसकी चूत इस टाइम ऐसे लग रहा था कि बुरी तरह से चोदने के कारण फट ही गयी है,वो बहुत फूली हुई नज़र आ रही थी,और उस पर जगह-2 लंड और चूत की कॉकटेल लगी हुई थी,और दाँतों के भी निशान थे,पर सबसे बड़ी बात ये थी कि अब उसमे दर्द की वजह से चीस चल रही थी.

अब आरती को समझ आया कि रात भर जो उसने मस्ती की है उसका फल उसकी चूत को भुगतना पड़ा है,और वो सूज गयी है.फिर उसने उठने की कोशिस की तो उसको पता चला कि चूत के साथ-2 उसका पूरा शरीर भी दुख रहा है और उसकी चीख सी निकल गयी,जब उसकी चीख निकली तो वो दोनो जो बिस्तेर पर पड़े हुए थे उठ कर बैठ गये,और रमण ने पूछा कि क्या हुआ जानेमन.

आरती बोली नही और कराहने लगी,तो रमण ने फिर से पूछा कि हुआ क्या है?तो आरती बोली कि हुआ क्या है ये देखो ये कह कर उसने अपनी चूत की तरफ इशारा किया,इसका तुम दोनो जनो ने क्या हाल कर दिया है.

ये देख कर रमण की हँसी छूट गयी,रमण को ऐसे हंसते देख कर आरती को और ज़्यादा मिर्ची लग गयी,वो बोली यौं हंस क्या रहे हो तुम दोनो जनो ने रात भर मे मेरी चूत को फाड़ डाला,अब मेरे से उठा भी नही जा रहा.

रमण ने कहा ये तो अच्छी बात है ना उठने की ज़रूरत ही क्या है,हम दोनो यहीं पर तुम्हारी सेवा करते रहेंगे.तुम तो बस हमे सेवा का मौका दे दो.

आरती-मैं सब समझती हूँ तुम्हारा इरादा,बस अब उठो यहाँ से और जा कर चेंज करो कभी भी कोई भी आ सकता है,और मैं भी जा कर कोई दवाई वगेरह लेती हूँ,ऐसे लेटी रहूंगी तो तुम्हारा कुछ नही पता है तुम फिर शुरू हो सकते हो.

ये कह कर आरती अपने दर्द को कंट्रोल करती हुई उठ कर वॉशरूम मे चली गयी,और वहाँ जा कर गरम पानी से अपने आप को साफ करने लगी.

इधर ये दोनो भी अब उठे और बारी बारी से फ्रेश हो गये और अपने कपड़े पहन लिए,जब आरती फ्रेश हो कर बाहर आने लगी तो उसने देखा कि उसने कपड़े नही लिए हैं,तो उसने बाहर झाँका तो वो दोनो वहीं थे,तब उसने टवल को ही अपने शरीर से लपेट लिया और बाहर आ गयी,अब इस समय दिन मे वो फ्रेश हो कर टवल मे लिपटी हुई एक गदराई हुई जवान माल लग रही थी और वो टवल भी उसकी मदमस्त जवानी को छुपाने मे असमर्थ था.

उन दोनो जनो की तो आरती को ऐसे देखते ही सीटी बज गयी,अब तो उन दोनो के लंड फिर से तनाव मे आने लगे थे.आरती ने जब देखा कि वो दोनो उसको खा जाने वाली नज़रो से घूर रहे हैं तो उसने जल्दी से कपड़े पहनना ठीक समझा ,क्यूंकी उसको उन दोनो की ही नियत खराब लग रही थी,और हो सकता है कि ये दोनो जने फिर से उसको ऐसे देख कर पेलना शुरू कर दें.

पर अब रमण से उसको ऐसे देख कर रहा नही गया और वो उठ कर आरती की तरफ गया,तो आरती ने कहा कि अब क्या हुआ,रमण ने कहा जान अब तुमको ऐसे मस्त रूप मे देख कर रहा नही जा रहा ,चलो अभी एक बार और हो जाए.

आरती-मैं सब समझती हूँ तुम लोगो को,अब बस करो मेरा शरीर बहुत दुख रहा है,रात भर मे भी तुम लोगों का दिल नही भरा क्या?

रमण-अर्रे जान इस चीज़ से कभी किसी का दिल भरता है क्या,ये तो जितनी मिलती है प्यास उतनी ही बढ़ती जाती है.

आरती-पर अभी नही अभी काम वाली भी आने वाली है और मेरे शरीर मे भी दर्द है.

रमण-पर ये तुम्हारी तूफ़ानी जवानी तो हमे बेचैन कर रही है,तुम इस टवल मे कहर ढा रही हो,मैं एक ही शर्त पर अभी तुम्हें छोड़ सकता हूँ जब तुम वादा करो कि मैं जब भी घर आऊंगा तुम ऐसे ही सेक्सी रूप मे मेरा स्वागत किया करोगी.

आरती-अच्छा भाई ठीक है मैं तुम्हे कम कपड़ों मे ही अच्छी लगती हूँ तो कोई बात नही जब भी तुम आओगे मे कम कपड़ों मे ही रहा करूँगी.

मनु-माँ ये तो कोई फेर बात नही हुई,जब रमण भैया के लिए आप ऐसा करोगी तो मेरे लिए क्यों नही?

आरती-अच्छा भाई जैसे तुम दोनो कहो मैं वैसे ही रहूंगी पर अभी तो मुझे छोड़ो.

जब आरती ने ऐसे कहा तो रमण ने आरती को छोड़ दिया,और अलग हो गया,फिर आरती ने उन दोनो को कहा कि अब तो मैने तुम्हारी बात मान ली है अब तो बाहर जाओ तुम दोनो.
 
Milfpremi said:
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कुछ ही देर के बाद जब आरती की साँसें थोड़ी संयंत हुई तो वो सीधी हो कर उठी ,तभी उसकी नज़र अपनी बुर पर पड़ी,रात से जब से चुदाई हो रही थी उसने अपनी चूत को देखा ही नही था,वो तो बस उसमे लंड पे लंड लिए जा रही थी,अब जब उसको थोड़ा आराम मिला तो उसको अपनी चूत मे दर्द महसूस हुआ तो उसने अपनी नज़र अपनी चूत पर डाली,पर अपनी चूत की हालत देख कर उसके तो पसीने छूट गये,उसकी चूत इस टाइम ऐसे लग रहा था कि बुरी तरह से चोदने के कारण फट ही गयी है,वो बहुत फूली हुई नज़र आ रही थी,और उस पर जगह-2 लंड और चूत की कॉकटेल लगी हुई थी,और दाँतों के भी निशान थे,पर सबसे बड़ी बात ये थी कि अब उसमे दर्द की वजह से चीस चल रही थी.

अब आरती को समझ आया कि रात भर जो उसने मस्ती की है उसका फल उसकी चूत को भुगतना पड़ा है,और वो सूज गयी है.फिर उसने उठने की कोशिस की तो उसको पता चला कि चूत के साथ-2 उसका पूरा शरीर भी दुख रहा है और उसकी चीख सी निकल गयी,जब उसकी चीख निकली तो वो दोनो जो बिस्तेर पर पड़े हुए थे उठ कर बैठ गये,और रमण ने पूछा कि क्या हुआ जानेमन.

आरती बोली नही और कराहने लगी,तो रमण ने फिर से पूछा कि हुआ क्या है?तो आरती बोली कि हुआ क्या है ये देखो ये कह कर उसने अपनी चूत की तरफ इशारा किया,इसका तुम दोनो जनो ने क्या हाल कर दिया है.

ये देख कर रमण की हँसी छूट गयी,रमण को ऐसे हंसते देख कर आरती को और ज़्यादा मिर्ची लग गयी,वो बोली यौं हंस क्या रहे हो तुम दोनो जनो ने रात भर मे मेरी चूत को फाड़ डाला,अब मेरे से उठा भी नही जा रहा.

रमण ने कहा ये तो अच्छी बात है ना उठने की ज़रूरत ही क्या है,हम दोनो यहीं पर तुम्हारी सेवा करते रहेंगे.तुम तो बस हमे सेवा का मौका दे दो.

आरती-मैं सब समझती हूँ तुम्हारा इरादा,बस अब उठो यहाँ से और जा कर चेंज करो कभी भी कोई भी आ सकता है,और मैं भी जा कर कोई दवाई वगेरह लेती हूँ,ऐसे लेटी रहूंगी तो तुम्हारा कुछ नही पता है तुम फिर शुरू हो सकते हो.

ये कह कर आरती अपने दर्द को कंट्रोल करती हुई उठ कर वॉशरूम मे चली गयी,और वहाँ जा कर गरम पानी से अपने आप को साफ करने लगी.

इधर ये दोनो भी अब उठे और बारी बारी से फ्रेश हो गये और अपने कपड़े पहन लिए,जब आरती फ्रेश हो कर बाहर आने लगी तो उसने देखा कि उसने कपड़े नही लिए हैं,तो उसने बाहर झाँका तो वो दोनो वहीं थे,तब उसने टवल को ही अपने शरीर से लपेट लिया और बाहर आ गयी,अब इस समय दिन मे वो फ्रेश हो कर टवल मे लिपटी हुई एक गदराई हुई जवान माल लग रही थी और वो टवल भी उसकी मदमस्त जवानी को छुपाने मे असमर्थ था.

उन दोनो जनो की तो आरती को ऐसे देखते ही सीटी बज गयी,अब तो उन दोनो के लंड फिर से तनाव मे आने लगे थे.आरती ने जब देखा कि वो दोनो उसको खा जाने वाली नज़रो से घूर रहे हैं तो उसने जल्दी से कपड़े पहनना ठीक समझा ,क्यूंकी उसको उन दोनो की ही नियत खराब लग रही थी,और हो सकता है कि ये दोनो जने फिर से उसको ऐसे देख कर पेलना शुरू कर दें.

पर अब रमण से उसको ऐसे देख कर रहा नही गया और वो उठ कर आरती की तरफ गया,तो आरती ने कहा कि अब क्या हुआ,रमण ने कहा जान अब तुमको ऐसे मस्त रूप मे देख कर रहा नही जा रहा ,चलो अभी एक बार और हो जाए.

आरती-मैं सब समझती हूँ तुम लोगो को,अब बस करो मेरा शरीर बहुत दुख रहा है,रात भर मे भी तुम लोगों का दिल नही भरा क्या?

रमण-अर्रे जान इस चीज़ से कभी किसी का दिल भरता है क्या,ये तो जितनी मिलती है प्यास उतनी ही बढ़ती जाती है.

आरती-पर अभी नही अभी काम वाली भी आने वाली है और मेरे शरीर मे भी दर्द है.

रमण-पर ये तुम्हारी तूफ़ानी जवानी तो हमे बेचैन कर रही है,तुम इस टवल मे कहर ढा रही हो,मैं एक ही शर्त पर अभी तुम्हें छोड़ सकता हूँ जब तुम वादा करो कि मैं जब भी घर आऊंगा तुम ऐसे ही सेक्सी रूप मे मेरा स्वागत किया करोगी.

आरती-अच्छा भाई ठीक है मैं तुम्हे कम कपड़ों मे ही अच्छी लगती हूँ तो कोई बात नही जब भी तुम आओगे मे कम कपड़ों मे ही रहा करूँगी.

मनु-माँ ये तो कोई फेर बात नही हुई,जब रमण भैया के लिए आप ऐसा करोगी तो मेरे लिए क्यों नही?

आरती-अच्छा भाई जैसे तुम दोनो कहो मैं वैसे ही रहूंगी पर अभी तो मुझे छोड़ो.

जब आरती ने ऐसे कहा तो रमण ने आरती को छोड़ दिया,और अलग हो गया,फिर आरती ने उन दोनो को कहा कि अब तो मैने तुम्हारी बात मान ली है अब तो बाहर जाओ तुम दोनो.
Bahut hi shandaar , mast mazedaar. Maza aa gaya.

Last me yadi alag nahin karwate to happy ending sahi rehta
 
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