Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - Page 24 - SexBaba
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Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत

दिन शनिवार का था...और वक़्त सुबह 10 बजके 7 मिनट का...उस वक़्त घर की घंटी बजी....आदम पेट के बल सोया पड़ा हुआ था...अंजुम ने
उठके दरवाजा खोला तो पाया की लाजो आई हुई थी....अंजुम ने मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल दिया तो वो अंदर आके काम निपटाने लगी.....


जब आदम के कमरे को झाड़ू मार रही थी तो उस वक़्त उसे ख्याल ना हुआ कि चादर ओढ़े आदम केवल एक कच्च्छा पहना हुआ है....उसने झाड़ू मारते मारते जब बिस्तर की तरफ गौर किया और चादर उठाई तो पाया की आदम नंग धड़ंग अवस्था में सो रहा है...उसने आदम के
कुल्हो पर से थोड़े सरके हुए कच्छे को देखा बालों से भरी गान्ड उसके सामने थी....एक तक लाजो उसके कुल्हो की तरफ देखते हुए शरम से लाल हो गयी...फिर उसने चादर को आदम के बदन पे डालते हुए झारू लगाना शुरू कर दिया....
.................................................

आदम उठके माँ के साथ लिविंग रूम में नाश्ता कर रहा था....अंजुम ने कहा की आज उसे ताहिरा मौसी से मिलने की बड़ा मान कर रहा है कयि दिनो से वो उसे मिली भी नही....आदम उसके जाने की बात को सुन मन ही मन मुस्कुराया तो अंजुम को आदम के खाने की फिकर हुई....


लाजो ने तपाक से कहा अरे काकी मैं हूँ ना मैं आदम बाबू को खाना बना के खिला दूँगी....अंजुम खुश हुई उसने कहा ठीक है फिर तो तुम
आज रोटिया और भिंडी की सब्ज़ी कटी हुई है उसे बनाके आदम को खिला देना और चाहो तो खुद भी खा लेना


आदम ने भी कहा हां ये आइडिया ठीक रहेगा क्यूँ लाजो?...

.लाजो शरम से मुस्कुराइ उसने कुछ ना कहा...

."हां आदम ठीक ही तो कह रहा है लाजो तुम दोपहर का खाना यही खा लेना ठीक है और जब तक मैं ना आउ मत जाना अगर ज़्यादा कोई प्राब्लम है तो बोलो तुम्हारी माँ को कॉल करके बता देती हूँ"........

.लाजो ने कहा कि उसे इतना चिंता नही करना....अंजुम मुस्कुराई अपने पति उर्फ बेटे आदम को घर पर छोड़के ताहिरा मौसी से मिलने चली गयी....अब घर में सिर्फ़ दो ही लोग थे....


लाजो ने आदम की तरफ देखा जो उसे देखके मुस्कुरा रहा था...

."अब तो जगह भी है आपके पास और वक़्त भी"......

.."ह्म सही कहा लाजो तो फिर काए को ये वक़्त ज़ाया होने दे".....

.लाजो ये सुनके खिलखिलाए हंस पड़ी....


उसने तुरंत पास जाके दरवाजे की कुण्डी लगाई और फिर एका एक आदम के करीब आई...


लाजो : खाना अभी बना दूँ बाबू की बाद में खाएँगे



आदम : पहले तो जो अधूरा रस्पान करना रह गया था उसके लिए तो वक़्त दो



लाजो : बाबू हामका लज्जा आवत है (मुझे शरम आती है)


आदम : पगली आज शरमाना नही आज खुलके मुझे मज़ा दो तुम...

."अरे कल ही तो आपकी शादी हुई और आज कैसे मुझपर टूट ना पड़ना चाहते है".......

"मैं तो तुझपे निशा के टाइम से ही टूट पड़ना चाहता था तेरे पसीने की महेक मुझे पागल कर देती है".......

."छी बाबू ये क्या कह रहे है?"........एका एक लाजो के गाल शरम से लाल हो गये....
 
"छी बाबू ये क्या कह रहे है?"........एका एक लाजो के गाल शरम से लाल हो गये....


आदम : तुम कमरे में जाओ मैं दो बियर भरके ग्लास लाता हूँ पियोगी



लाजो : बाबू आप कहते तो ताड़ी ले आती


आदम : अरे ताड़ी की क्या ज़रूरत? वो किसी और दिन अगर ताड़ी पीली तो होश नही संभाल पाउन्गा और तुम मुझे नही जाओ कमरे में मैं आ रहा हूँ


लाजो एका एक अपनी साड़ी को ठीक किए कमरे में चली गयी.....बियर की दुकान पास में पड़ती थी इसलिए उसने बिना झिझके फॉस्टर की बियर लाई और फिर ग्लास में ढाला...उसके बाद ट्रे में दो ग्लास बियर लिए कमरे में आया तो उसके जैसे आँखे फॅट गयी...


सामने लाजो बिस्तर पे नंगी लेटी हुई थी और उसकी साड़ी ब्लाउस पेटिकोट एक ओर था...आदम ने मुस्कुरा कर ट्रे बिस्तर पे ही रख दिया...एक बार उसके बदन का जायेज़ा लिया अफ लाजो के मोटे काले निपल्स और गोरी गोरी चुचियो को दबाए कैसे उसे तडपा रही थी?
दूसरी ओर उसकी टाँगों के बीच फूली हुई साँवली सी चूत जैसे पनिया रही हो....उसने एक ग्लास लाजो को दिया और खुद एक ग्लास लिए बैठ गया....


लाजो ने पहले पहले मुँह कड़वा किए पिया और उसके बाद धीरे धीरे उसको सुरूर जैसे चढ़ने लगा....आदम जानता था अब चुदाई के धक्को का दर्द वो आसानी से झेल सकती थी ...


आदम ने ग्लास खाली किया और डकार मारते हुए अपने कपड़े भी एक झटके में उतार लिए पाजामा नीचे खिसकाते ही उसका मोटा तना हुआ लंड झुलके जैसे लाजो को सलामी देने लगा....


लाजो : हाए दय्या ये कितना मोटा और लामा पहले से लग रहा है उफ्फ इसके इर्द गिर्द कितने नसें चढ़ि हुई है



आदम : ये तुम्हें देखके काबू से बाहर हो रहा है लाजो



लाजो ने उसे हाथो में लिए आगे और पीछे की ओर मसला और फिर उसे जैसे नापा...उसकी अनुमान से कयि हिसाब वो बड़ा और मोटा था...वो उसे बेहद गौर से देखते हुए अपना मुँह खोले उसे एक ही झटके में मुँह में लेके चूसने लगी.....म्‍म्म्मम म्‍म्मस्सलूर्रप्प्प्प....लंड बड़ी मुस्किल से वो अपने मुँह में ले पा रही थी पूरा मुँह में जैसे उसका लंड भर गया था....वो हल्के हल्के से लंड को चुसते हुए उस पर दाँत घिस्स रही थी....


आदम ने लाजो के सर को कस कर पकड़ा और उसके मुँह के अंदर बाहर अपना लंड करने लगा...लाजो भी बड़े प्यार से उसका लंड चुस्सें जा रही थी...."उफ़फ्फ़ सस्स"......आदम ने सिसकी लेते हुए कहा....लाजो की मुँह की गर्मी उसे बर्दाश्त नही हो रही थी...लाजो उपर उसकी तरफ देखते हुए अंडकोषो को भी सहला रही थी...
 
जब लाजो ने लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाला तो वो थूक से गीला था..उसे अपने हाथो में लेके आगे पीछे कस कर मुत्ठियाते हुए लाजो मुस्कुराइ...आदम ने लाजो को लिटाया और उसके कुल्हो को जैसे हवा में किया उसकी टाँगों के बीच ओबीच फूली सूजी हुई चूत पे अपना मुँह
रख दिया....उसे अपनी जीब से चाट्ता हुआ उसमें लगातार उंगली भी करने की कोशिश करने लगा...


लाजो को आदम की गरम जीब का अहसास अपनी चूत की फांको में महसूस हुआ तो वो जैसे सिहर उठी...


लाजो : ससस्स धीरे करिए ना बाबू सस्सस्स खुजली सी हो रही है सस्स आहह उम्म्म (आँखे मूंदते हुए)


आदम : सस्स म्‍म्म्मम स्लूर्रप्प्प वाहह लाजो सस्स तेरी चूत तो अभी से ही गीली हो रही है ?(चूत पे मुँह रगड़ते हुए उस पर जीब डालते हुए)


लाजो : आहह स्स आपके छूने से ही मेरी वो जगह गीली हो जाती है (अपनी छातियो को दबाते हुए)


आदम : हाहहा ससस्स ढीला छोड़ो अपनी चूत को एम्म्म ससलूर्रप्प्प्प (आदम ने चूत की दरारो को अच्छी तरह ज़ुबान से चाट चाटके गीला कर दिया था)


वो एक झटके में उठा और उसने तीन उंगली अंदर सर्कायि...."सस्स आहह नहिी".....लाजो के चेहरे पे दर्द भरे भाव आए और उसने कस कर आदम के हाथ को जकड़ा...


"ससस्स अरे रानी इसी में तो मज़ा है ससस्स थोड़ा सा से ले फिर मज़ा ही मज़ा मिलेगा"........आदम चूत में उंगली करता हुआ दाने को भी चुस्स रहा था...


"आहह हहाए दय्याअ ससस्स उफ़फ्फ़"..........सिसकते हुए लाजो ने गुलाबी निगाहो से अपनी चूत के अंदर बाहर हो रही उंगली को देखा


फिर आदम ने उंगली बाहर की और मुट्ठी में लेके चूत को जैसे कसा....और उसे दो-तीन बार बार कस्स कस के मसला...तो लाजो जैसे झरने
लगी....उसकी चूत से गीला रस दरारो से बाहर बहने लगा....आदम ने उसे अपनी गोद में उठाया और उल्टा करके उसकी गान्ड की दरारो
और चूत पे अपना मुँह रख दिया...दोनो छेदों को जीब से चाटते हुए वो जैसे लाजो को उत्तेजित करना चाह रहा था...
 
लाजो को उल्टे टाँगे होने से चक्कर आने लगे फिर भी उसने अंडकोषो पे अपने ज़ुबान चलाए रखा और बारी बारी से उल्टे लटके दोनो अंडकोषो को चूस डाला. फिर उसके चेहरे पे लग रहे लिंग को भी हाथो में लेके मुँह में लेके कुछ देर तक चुस्सा....जिससे आदम को भरपूर मज़ा मिलने लगा...


कुछ पल में उसने लाजो को लेटा दिया और फिर अपनी लंड पे दराज़ से निकाली एक्सट्रा डॉटेड कॉंडम चढ़ाई.....लाजो ने अपनी टांगे फैला ली ये देखते हुए...आदम ने उस दिन का अधूरा काम आज पूरा करना था...


उसने एक टाँग लाजो की अपने कमर पे रखी और एक करारा धक्का दे मारा."उईईइ सस्स आहह हाए ई दाययी एम्म"......लाजो जैसे दर्द के
मारे रो पड़ी उसकी साँस जैसे उखड़ गयी....आदम ने उसके गले को दबोचा और नितंबो पे दबा दबा कर धक्के पेले...


चूत को फाडे लंड उसकी दरारो के अंदर बाहर जा रहा था....शायद लाजो पहले से चुदि हुई थी लेकिन उसे ये अहसास नही हुआ कि लॉडा अभी आधा ही गया था....आदम ने कोई रहम नही पेश की उसने लाजो की दोनो कलाईयो को मोड़ा और उसे पेट के बल लेटा दिया...उसने कस कर एक करारा धक्का मारा तो लॉडा जड़ तक चूत की दरारो को फाड़ता हुआ अंदर दाखिल हो गया एक पल को उसने पकड़ मज़बूत कर ली...तो आदम को अपना लंड किसी सख़्त दीवारो में जकड़ा महसूस हुआ...उसे कुछ कुछ गीला गीला भी अपने लंड के निचले पर लगा महसूस हुआ




उसने वैसी ही हालत में लाजो की जमके चुदाई करनी चालू की....लाजो पेट के बल लेटी दबी आवाज़ में चिल्ला रही थी.....उससे दर्द शायद
बर्दाश्त नही हो रहा था....आदम धक्को पे धक्का मारे जा रहा था....शायद आज उसने लाजो का कुँवारापन पूरी तरीके से छीन लिया था


लाजो : अफ हाए दय्या आहह उम्म्म उर्गघ सस्स बाबू बस भी कीजिए बहुत्त्त दर्द हो रहा है


आदम : लाजो बस थोड़ा सा सह ले उफ्फ इस वक़्त मैं चाह कर भी तेरी चूत के भीतर से अपना लॉडा नही निकाल सकता..उफ्फ तेरी चूत किसी गरम भट्टी तरह आग उगल रही है सस्स जलन हो रही है मुझे सस्स लगता है तेरी टाइट चूत मारने के चक्कर में मेरा लंड कही छिल गया आहह ससस्स



पर आदम धक्के मारे ही जा रहा था..लाजो वैसी ही लेटी लेटी चुदि जा रही थी....उसकी दर्द भरी आहें काफ़ी देर तक चली कुछ देर बाद वो
थोड़ा थोड़ा रिलॅक्स होने लगी...उसके बाद उन दर्द भरी आहों में सिसकियो की आवाज़ में परिवार्तन होना शुरू हो गया.....
 
लाजो : आहह उम्म मसस्स आहह उम्म्म (जैसे नज़ाकत से वो लंड को अपने भीतर महसूस किए तड़प रही हो)


आदम ने कस कर दो तीन धक्को में उसके छेद से बाहर लंड को खीचा और उसकी दरारो को काफ़ी चौड़ा और खुला पाया....कॉंडम पे खून
\ के लत्ते जैसे लगे हुए थे....आदम ने चुटकी से वो कॉंडम उठाया और फ़ैक् दिया...फिर एक कपड़ा से छेद के भीतर तक हल्का हल्का
पूरी चूत को जैसे सॉफ किया.....


फिर उसने अपने लंड पे थूक मला...और कोशिश की उसे बिना कॉंडम के चोदने की...उसने लाजो को सीधा अपने उपर लिटाया...और चूत की दरारो में अपना लंड प्रवेश किया...चूत की दरार जैसे लंड को भीतर लेते हुए कसती जा रही थी...अब लाजो के कूल्हें अंडकोषो पे जैसे दबे हुए थे.....अब आसानी से लंड अंदर बाहर हो पा रहा था...


"अफ अफ आहह आहह आहह आहह सस्सस्स ससस्स"......सिसकती और दर्द में आहें निकालती हुई लाजो आदम के उपर जैसे चढ़ि चुद रही थी...आदम ने उसे कस कर दोनो पेट के आज़ु बाज़ू के हिस्सो से पकड़े हुए था...


वो धक्के नीचे से पेल रहा था....लाजो हर धक्को में जैसे काँप उठती और पश्त पड़ जाती...कुछ ही देर में जब आदम को अहसास हुआ कि उसका निकलने वाला है तो उसने लाजो को फ़ौरन अपनी गेरफ्त से आज़ाद करते हुए उसकी चूत से लंड बाहर निकाला और सीधा उसके मुँह में अपना लंड दे डाला...


पहले लाजो को घिन सी आई पर फिर उसने हल्के हल्के खुद लंड को चुस्सना शुरू किया कुछ ही पल मे लंड को मुठियाते हुए आदम दहाड़ने लगा.....और उसके मुँह के भीतर ही अपना वीर्य उगलने लगा....लाजो ने ख़ास्ते हुए वीर्य को अपने मुँह से वॉशबेसिन में जाके उगल
दिया...फिर उसके नमकीन स्वाद को चख कर मुस्कुराइ...


आदम : मर्द का दूध है लाजो इसे पीने से कुछ नही होता आज तू औरत बन गयी
 
लाजो की टाँगों में बुरी तरीके से दर्द उठ रहा था....आदम ने उसे अपने साथ लेटा दिया फिर पानी उबाल हल्के हल्के मोटे कपड़े से उसकी
चूत की सिकाई की....लाजो को इससे थोड़ी राहत हुई...लेकिन कुछ पल के लिए क्यूंकी उसके बाद उसे आदेश अनुसार घोड़ी बनना पड़ा अपने मालिक के लिए ....

आदम ने पीछे से उसके नितंबो पे ढेर सारा ल्यूब लगाके उसे चिकना किया और फिर निरोधक चढ़ाए लौडे को उसके नितंबो की छेद में धीरे धीरे दाखिल करना शुरू कर दिया....

"ससस्स हहा हहू".....लाजो दर्द के मारे तड़प उठी थी....उसे मालूम नही था कि चूत से भी ज़्यादा भयंकर दर्द गान्ड में डालने से होता है....उस तक़लीफ़ को वो सह नही पा रही थी...


लेकिन आदम बुरी तरीके से उसे अपने आलिंगन में जकड़े हुए था...उसने कस कर एक करारा धक्का मारा और पूरा 8 इंच का लंड उसके मुआने के भीतर तक घुसा दिया...लाजो तड़पने लगी दर्द से भीख माँगने लगी...पर आदम ने उसकी पीठ को चूमते हुए उसे शांत किया....


"आहह स्सा आहह चोदिये आहहस स आहह चोदिये चोदिये बाबू आहह"........कुछ घंटे बाद जैसे लाजो अपनी गान्ड के भीतर से अंदर बाहर
हो रहे लंड के झटके को सहते हुए लज़्जत पाए दहाड़ उठ रही थी...


उसकी सिसकिया कमरे से बाहर जा रही थी..दोनो को दिन की जैसे परवाह नही थी लाजो के बालों को कस कर जकड़े हुए आदम उसके चुतड़ों के बीच लंड अंदर बाहर किए उसे पागलो की तरह चोद रहा था....उसने आगे बढ़के दोनो लाजो के लटकी चुचियो को दबाते हुए उसे जैसे कस कर एक करारा धक्का मारा


तो लाजो का पूरा बदन काँप उठा वो बिस्तर पे जैसे ढेर हो गयी...आदम कस कस कर धक्के पेलता रहा जब तक उसके लिंग ने जवाब ना दे
दिया...उसने कस कर लाजो के दोनो कंधे को जकड़े हुए एक ज़ोरदार दहाड़ लगाई और अपनी वीर्य की पिचकारिया मुआने के भीतर
निरोधक में ही छोड़ने लगा...जब वो सांखलित हुए काँपते हुए लाजो के पसीने पसीने बदन पे ढेर हुआ...तो दोनो को जैसे राहत मिली....लाजो इस भीषण चुदाई से बहुत ज़्यादा तक कर चूर हो चुकी थी......आदम ने उसकी गान्ड से पच की आवाज़ के साथ लॉडा बाहर खीचा फिर
निरोधक खीचके एक ओर फ़ैक् दिया और बिस्तर पे सीधा लेट गया....लाजो कुछ देर के लिए निद्रा अवस्थां मे चली गयी हो भी क्यूँ ना बुरी
तरह थक गयी थी वो इस भीषण चुदाई से
 
करीब करीब 1 घंटे बाद जब आदम की नींद खुली तो उसने पाया कि बिना दरवाजा लगाए लाजो सामने ही हॅगने की मुद्रा में घुटने मोडे हुए टाय्लेट में बैठी पेशाब कर रही थी...फिर वो उठके कमरे में टाँगें फैलाए हुए आई और सीधे आदम के बदन से जा लिपटी...आदम ने उसके
बालों पे हाथ फेरते हुए उसके गाल को चूमा


आदम : अभी ठीक है


लाजो : हां


आदम : तू तो औरत से भी ज़्यादा सहने वाली बंदी है एक सांड़ को तूने आज झेल लिया मानना पड़ेगा


लाजो : सच में बाबू जी पर सच में गान्ड दर्द से फॅट रहा है


आदम : कुछ दिन करेगा सिकाई मुकम्मल तरीके से करना ठीक हो जाएगा


आदम : बस हमारी माँ ना जान ले



लाजो : अरे बाबू कुछ नही होगा (उसकी चुचियो को भीचते हुए लाजो मुस्कुराइ उसकी इस हरकत पर)


दोनो एकदुसरे के बदन से जैसे लिपट गये....

लाजो और मैं काफ़ी देर तक सुस्ता गहरी नींद की आगोश में बिस्तर पर पड़े हुए थे.....जब हमे होश आया तो लाजो को उठने में थोड़ी तक़लीफ़ हो रही थी कह रही थी कि उसका अंग अंग दर्द से फॅट रहा है....मैने ही खुद उठके वक़्त देखा तो शाम 4:20 हो गया था हमारे पेट
में अन्न का एक दाना भी नही था ऐसा जो काम क्रीड़ा में खोए हुए से थे कि सबकुछ भूल गये थे.....

फिर उबला पानी किया और लाजो के सूज गये कुल्हो के बीच और फूली चूत की मैने आहिस्ते आहिस्ते से सिकाई की...हम दोनो का जोश जैसे ठंडा हो गया था....इसलिए लाजो वैसे ही बिस्तर पे नंगी लेटी टांगे खोले पश्त पड़ी हुई गरम गीले कपड़े की सिकाई से सिसकिया ले रही थी...
!
 
कुछ देर बाद मैने उसे गोदी में उठाया वज़नदार औरत थी इसलिए बड़ी मुस्किल से उसे अपनी बाहों की गेरफ्त में जैसे तैसे गोदी उठाए बाथरूम के पास लाया तो उसने खड़े खड़े ही अँग्रेज़ी टाय्लेट सीट के पीट में अपनी चूत से पेशाब की मोटी धार छोड़ी....फिर उसने मुझसे कहा की उसे कस कर टट्टी भी लगी है तो मैने उसे किसी तरह टाय्लेट सीट पे बिठाया

तब तक मैं बाहर आ गया कह दिया था उसको कि आवाज़ दे देना मैं बाहर आके तुझे फिरसे गोदी में उठाके बाहर ले आउन्गा....मैने बाहर का जायेज़ा लिया और एक बार माँ को कॉल लगाया कि अगर वो आ रही है कि नही? तो उन्होने ताहिरा मौसी ने कहा कि वो खा पीके सो रही है...तो मेरी जान में जैसे जान आई....

संडास घर से मुझे लाजो की प्रर्र प्रर की आवाज़ उसके नितंबो के छेद से निकलती सुनाई दे रही थी....वो पाद छोड़ रही थी जब मैं अंदर आया तो वो मुट्ठी कस कर ज़ोर लगा लगाके मल त्याग रही थी उसके चेहरे पे दर्द के भाव थे....शायद गान्ड की सील टूटने से उसे मल त्यागने में काफ़ी पेन हो रहा था...."आहह बाबूजी जब टट्टी निकल रही है छेद से तो काफ़ी दर्द हो रहा है".......उसने दर्द भरे लहज़े में बैठे बैठे कहा

आदम : अरे लाजो होता है शुरू शुरू में अभी तेरी गान्ड एकदम कुँवारी थी तेरे पति ने सिर्फ़ तेरी चूत को ही छेद रखा था ; उसे भी मैने पूरी तरीके से खोल दिया और तू तो टॅटगढ़ (ताक़तवाली) है जो मुझे झेल ली तेरे जैसी ही औरत इस लंड की दासी बन सकती है (लाजो दर्द में भी जैसे लज्जा पाई )

लाजो ने उसी वक़्त ज़ोर से पाद मारी तो मुझे पूरे संडास घर में उसकी गूँजती आवाज़ के साथ साथ मनमोहक पाद की महेक मिलने लगी....ऐसा लग रहा था जैसे उसे फिर उल्टा करू और अपना 8 इंच का लंड उसकी गान्ड की छेद में दुबारा घुसा के उसे तबीयत से चोदु....लेकिन लाजो उस वक़्त लेने के काबिल नही थी...

जब लाजो फारिग हुई तो उसे समझ नही आया कि अपने गुप्तांगो को कैसे धोए?.....मैने आगे बढ़ते हुए पास रखा टॅप हाथो में लिया और उसका बटन ऑन किया...उससे पानी की मोटी धार ठीक उसके झुका देने से उसके नितंबो के बीच लगने लगी....मैने अपने ही हाथो से उसकी गुदा द्वार को धोया और फिर छेद को भी हल्का सा टटोला...वाक़ई मल त्याग ने के बाद भी जैसे छेद एकदम चौड़ा हो गया था....मैने फिर वॉशबेसिन में अपने हाथ धोए टॅप हॅंडल पे रखा....और फिर उसे नितंबो से सख्ती से थामते हुए अपनी गोद में उठाके पूरी ताक़त से कमरे में ले आया....
 
लाजो : बाबू आपको हमारी वजह से काफ़ी कष्ट हो रहा है ना

आदम : अरे नही नही लाजो बल्कि माँफी मुझे माँगनी चाहिए जो कि मैं खुद पे काबू ना रख सका....(लाजो फिर उठने का धीरे धीरे प्रयास करने लगी)

मैने दराज़ से एक ट्यूब निकाली जो कि माँ अक्सर हमारे बीच किसी भीषण चुदाई के वक़्त उनकी चूत या गुदा छेद छिल जाती थी तो उसका प्रयोग करती थी..मैने ट्यूब से थोड़ा सा क्रीम निकाला और उस मलम को अपने हाथो से लाजो की गान्ड के छेद के आस पास लगाने लगा

फिर चूत के उपरी मुआने पे और थोड़ा भीतर लगाया....जिसकी ठंडक से लाजो शांत पड़ गयी..और वो पेट के बल लेटी ही रही...

मैं फिर मूतने गया जाके देखा कि टाय्लेट पिट पे लाजो के त्यागे मल पर खून और कुछ चिपचिपा सफेद सफेद पदार्थ लगा हुआ था...मैने झट
से फ्लश ऑन किया जिससे टाय्लेट पिट एकदम सॉफ हो गया....मैं मुत्के जब बाहर लौटा तो देखा कि लाजो साड़ी पहने खाना बना रही थी...

आदम : अरे लाजो तुम्हारी तक़लीफ़ बढ़ जाएगी आराम कर लो

लाजो : ना बाबू ऐसा अगर करते रहेंगे तो फिर आलसी हो जाएँगे और अगर माँ ने हमारी चाल समझ ली तो फिर तो ग़ज़ब हो जाएगा वैसी भी
कुँवारी दुल्हन क्या पहली चुदाई के बाद काम नही संभालती

आदम : हा हा हा हा (मैं हंस पड़ा)

लाजो : आप जाके नहा धो लीजिए मैं खाना लगाती हूँ वैसे भी शाम हो रहा है अगर अंजुम काकी को मालूम चलेगा तो बहुत गुस्सा होगी मुझपे
की सही वक़्त पे आपको खाना ना दे सकी

आदम : अरे लाजो तू फिकर मत कर किसी को कुछ मालूम ना चलेगा चल ठीक है मैं नहाने जा रहा हूँ

लाजो : अच्छा बाबू (भिंडी की सब्ज़ी कढ़ाई में चलाते हुए)
 
वाक़ई वो दिन भी उन हसीन पलों में से था...जिसका मुझे उम्मीद नही था....रूपाली भाभी से भी दुगना मज़ा गाओं की किसी औरत से ऐसा मिल सकता है तो यक़ीनन मैं लाजो का ही मुरीद बन जाता....उसने जिस तरीके से मुझे खुश किया उसके बाद उसकी इज़्ज़त मेरी निगाहो में सिर्फ़ कामवाली की ना रही....एक तो वो मेरी मौसेरी ही सही सौतेली बहन थी...और दूसरी ही ओर मेरी अंजुम के बाद जगह लेने वाली उससे मुझे बहुत संतुष्टि प्राप्त हुई थी...

उस शाम गुसल करके जब मैं बाहर लौटा तो उसने दस्तर्खान बिछाके खाना लगा दिया वो खुद थाली लेके ज़मीन पे बैठ गई तो मैने उसे खूब डांटा..कि ये मतभेद और जात पात और छोटी सोच वाली ऐसी ज़लील हरकत मेरे सामने ना करना..तुम एक औरत हो और मेरे लिए मेरे परिवार की एक हिस्सा....लाजो शरमाई फिर उसने उठके मेरे साथ पलंग पे ही खाना खाया...उसके बाद 7 बजते बजते मैने उसे उसके घर तक बाइक से ड्रॉप कर दिया...हालाकी बाइक पे वो काफ़ी सटके मुझसे बैठी हुई थी जिससे मेरे बदन में ठरक उठ रही थी उसके साथ फिर करने को...

उस दिन के बाद से ही लाजो मेरी गुलाम हो गयी जैसे मेरी दासी हो आदेश अनुसार मेरे सामने वो पलक झपटते ही नंगी खड़ी हो जाती .मैने उसकी चूत और गान्ड को फाड़ फाड़ कर उसकी चुदाई कर करके उसके दोनो छेदों को लगभग चौड़ा कर दिया था....लेकिन उतना भी नही की उसका पति उसको तलाक़ ही दे दे

उसकी माँ को भी इस बाद का आभास ना हुआ...उल्टे उसे हमारे घर पे बहुत भरोसा था...इधर अंजुम के साथ ज़िंदगी अच्छी कट रही थी....लेकिन कमर में जब हल्का हल्का पेन होता तो वो खुद ब खुद मुझसे दूर हो जाती थी...जैसे मांयूस सी हो जाती कि चहके भी वो मुझसे हमबिस्तर नही हो पाएगी...मुझे बुरा लगता था लेकिन हम माँ-बेटे या यूँ कह लो पति पत्नी एकदुसरे से कब तक दूर रह पाते...ये तंन की
गर्मी हमे एकदुसरे से अलग ना कर पाती थी...मौका मिलते ही हम एकदुसरे को आलिंगन में अपने जकड लेते थे...
 
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