hotaks444
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"माँ आज चलोगि?"..........
."कहाँ पे?"........
."आज दीपावली से पहले 10 दिनो का मेला लगा है चलते है ना".........\
."नही बेटा तू जा घूम फिर आ मुझे ज़्यादा चलने को डॉक्टर ने मना किया है ना"..........
."अरे माँ बाइक पे चलेंगे"........
."ना रे ना बहुत ही भीड़ होती है मैं ज़्यादा चल ना पाउन्गि".......
."अच्छा माँ पर मैं जा रहा हूँ क्यूंकी दिल्ली में तो कभी मेला नही देखा अब मेला तो ऐसे छोटे शहरो में ही लगता है"........
."ठीक है तो फिर तू घूम आ"......
.मैं थोड़ा मांयूस सा हो गया क्यूंकी माँ जाना नही चाह रही थी उसे वैसे भी शोर शराबा पसंद नही था...
मैं मेला पहुचा वाक़ई काफ़ी भीड़ लगी हुई थी...बड़े बुड्ढे बच्चे सब जैसे मज़ूद थे वहाँ...पर अकेले अकेले माँ के बगैर अच्छा भी नही लग रहा था....मैने देखा कि मौत का कुआ पे भीड़ लगी हुई है इसलिए मैं वहाँ खड़ा होके मौत का कुआ पे चलती गाड़ी और बाइक्स को गोल गोल
घूमते हुए देखने लगा...वाक़ई काफ़ी मज़ा आ रहा था मुझे....जब ज़्यादा भीढ़ बढ़ गयी तो पैसा देके मैं वहाँ से बाहर उतरा....
उसके बाद देखा कि जाइयंट वील चल रही है...सोचा कि उसका भी एक राइड ले लूँ आज जैसे मुझपे बच्पना सा चढ़ गया था...लेकिन फिर कदम ठिठक गये माँ होती तो मज़ा आता क्यूंकी उसमें दो जनों के बैठने लायक सीट्स थी...मुझे माँ के बगैर अच्छा ना लगा तो मैं दूसरी ओर चल पड़ा...अचानक देखता हूँ कि एक टेंट लगा हुआ है और इसके बाहर लिखा है सिद्दी बाबा मुझे लगा शायद जादू टोने वाला कोई जादूगर
हो....तो बाहर ही खड़ा एक लड़का सबको पर्चिया बाँट रह था...मेरे पास आके बोला "सर आप जाएँगे अंदर "......
.मैं ना नुकुर करने लगा...तो उसने कहा कि पैसे नही लेते वो काफ़ी पहुचे हुए है ऐसे ही लोगो के मश्तिक को देखके सबकुछ बता देते है...
मेरी थोड़ी क्यूरीयासिटी जाग गयी....पैसा नही लेने वाला ज़रूर कोई पहुचा हुआ होगा...सोचा अपने भविश्य के बारे में थोड़ा जान लूँ पर दिल नही मान रहा था फिर भी ना जाने क्यूँ पैर टेंट की तरफ बढ़े? मैं अंदर घुसा तो देखा एक औरत अपने पति के साथ निकल रही थी....पेट
उसका काफ़ी हद तक निकला हुआ था सॉफ था कि वो गर्भवती थी मैं थोड़ा आड़ में हो गया ताकि उसे धक्का ना लग जाए फिर उन दोनो के जाते ही अंदर दाखिल हुआ
एक लंबी लंबी दाढ़ी और बालों वाला ध्यान में जैसे आँखे मुन्दे लाल रंग का कपड़ा पहने हुए बैठा था...एक अज़ीब सी महेक आ रही थी शायद किसी अगरबत्ती की खुश्बू थी....उसके बीच जहाँ वो बैठा हुआ था वहाँ अज़ीबो ग़रीब सामान पड़े हुए थे एक पल को हुआ जादू टोना वाला तो नही....
."कहाँ पे?"........
."आज दीपावली से पहले 10 दिनो का मेला लगा है चलते है ना".........\
."नही बेटा तू जा घूम फिर आ मुझे ज़्यादा चलने को डॉक्टर ने मना किया है ना"..........
."अरे माँ बाइक पे चलेंगे"........
."ना रे ना बहुत ही भीड़ होती है मैं ज़्यादा चल ना पाउन्गि".......
."अच्छा माँ पर मैं जा रहा हूँ क्यूंकी दिल्ली में तो कभी मेला नही देखा अब मेला तो ऐसे छोटे शहरो में ही लगता है"........
."ठीक है तो फिर तू घूम आ"......
.मैं थोड़ा मांयूस सा हो गया क्यूंकी माँ जाना नही चाह रही थी उसे वैसे भी शोर शराबा पसंद नही था...
मैं मेला पहुचा वाक़ई काफ़ी भीड़ लगी हुई थी...बड़े बुड्ढे बच्चे सब जैसे मज़ूद थे वहाँ...पर अकेले अकेले माँ के बगैर अच्छा भी नही लग रहा था....मैने देखा कि मौत का कुआ पे भीड़ लगी हुई है इसलिए मैं वहाँ खड़ा होके मौत का कुआ पे चलती गाड़ी और बाइक्स को गोल गोल
घूमते हुए देखने लगा...वाक़ई काफ़ी मज़ा आ रहा था मुझे....जब ज़्यादा भीढ़ बढ़ गयी तो पैसा देके मैं वहाँ से बाहर उतरा....
उसके बाद देखा कि जाइयंट वील चल रही है...सोचा कि उसका भी एक राइड ले लूँ आज जैसे मुझपे बच्पना सा चढ़ गया था...लेकिन फिर कदम ठिठक गये माँ होती तो मज़ा आता क्यूंकी उसमें दो जनों के बैठने लायक सीट्स थी...मुझे माँ के बगैर अच्छा ना लगा तो मैं दूसरी ओर चल पड़ा...अचानक देखता हूँ कि एक टेंट लगा हुआ है और इसके बाहर लिखा है सिद्दी बाबा मुझे लगा शायद जादू टोने वाला कोई जादूगर
हो....तो बाहर ही खड़ा एक लड़का सबको पर्चिया बाँट रह था...मेरे पास आके बोला "सर आप जाएँगे अंदर "......
.मैं ना नुकुर करने लगा...तो उसने कहा कि पैसे नही लेते वो काफ़ी पहुचे हुए है ऐसे ही लोगो के मश्तिक को देखके सबकुछ बता देते है...
मेरी थोड़ी क्यूरीयासिटी जाग गयी....पैसा नही लेने वाला ज़रूर कोई पहुचा हुआ होगा...सोचा अपने भविश्य के बारे में थोड़ा जान लूँ पर दिल नही मान रहा था फिर भी ना जाने क्यूँ पैर टेंट की तरफ बढ़े? मैं अंदर घुसा तो देखा एक औरत अपने पति के साथ निकल रही थी....पेट
उसका काफ़ी हद तक निकला हुआ था सॉफ था कि वो गर्भवती थी मैं थोड़ा आड़ में हो गया ताकि उसे धक्का ना लग जाए फिर उन दोनो के जाते ही अंदर दाखिल हुआ
एक लंबी लंबी दाढ़ी और बालों वाला ध्यान में जैसे आँखे मुन्दे लाल रंग का कपड़ा पहने हुए बैठा था...एक अज़ीब सी महेक आ रही थी शायद किसी अगरबत्ती की खुश्बू थी....उसके बीच जहाँ वो बैठा हुआ था वहाँ अज़ीबो ग़रीब सामान पड़े हुए थे एक पल को हुआ जादू टोना वाला तो नही....