desiaks
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“थैंक्यू । कौन था वो आदमी जो कल तुम्हारी गाड़ी भाड़े पर लिया ?”
“नाम तो मेरे को मालूम नहीं ।”
“नाम जाने बिना गाड़ी उसके हवाले कर दी ?”
“बट वन थाउजेंड डाउन पेमेंट लेकर ! वो मेरे को अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाया, मैं नाम भी पढा, पण... भूल गया ।”
“वो गाड़ी ले के भाग जाता तो ?”
“हीं हीं हीं । आइलैंड पर किधर ले के भागेगा ? मैं उधर पायर पर सबको फिट करके रखा, अपुन की गाड़ी को स्टीमर पर तभी चढाने का है जब मैं साथ हो । क्या !”
“वो इधर का आदमी था या कोई बाहर से आया था ?”
“बाहर से आया था । होटल में ठहरा था ।”
“कौन-से होटल में ठहरा था ।”
“नाम बोला था वो पण...”
“भूल गया ?”
“हां । - पण वो इधर ईस्टएण्ड के ही किसी होटल में था ।”
***
ईस्टएण्ड में हर फेनी के अड्डे और बीयर बार के ऊपर ‘होटल’ लिखा हुआ था अलबत्ता वहां तीन-चार होटल ढंग के भी थे जहां उन्होंने हुलिया बताकर अपने आदमी की पूछताछ शुरु की ।
तीसरे होटल के रिसैप्शन क्लर्क से माकूल जवाब मिला । राज ने अभी उसका हुलिया बयान करना शुरु ही किया था कि वो सहमति में गरदन हिलाने लगा था ।
“वो साहब इधर आया था ।” - वो बोला ।
“गुड ।” - राज बोला - “कौन था वो ? नाम क्या नाम था उसका ?”
“आप क्यों पूछता है ? उधर सतीश एस्टेट में हुए मर्डर की वजह से ?”
“उसकी खबर यहां तक पहुंच भी गयी ?”
“कब की ? बॉस, इधर तो किसी को जुकाम हुए का खबर नहीं छुपता । मर्डर का खबर कैस छुपेगा !”
“ओह !”
“मैं पुलिस को पहले ही सब बोल दिया है । उसका भी और दूसरे आदमी का भी ।”
“दूसरा आदमी ? दूसरा आदमी कौन ?”
“जो उसका माफिक ही लास्ट ईवनिंग इधर पहुंचा था । दोनों किसी पायल पाटिल को पूछता था ।”
“क्या पूछते थे वो पायल पाटिल की बाबत ?”
“यही कि क्या वो इधर होटल में स्टे करता था ।”
“वो... वो दोनों आदमी एक-दूसरे के साथ थे ? इकट्ठे यहां आये थे ?”
“नहीं । जिस आदमी का हुलिया आप बोलता है, वो पहले आया था । नौ बजे । या थोड़ा बाद में । वो पूछा कि क्या पायल पाटिल इधर होटल में स्टे करता था ! मैं नक्को बोला तो वो इधर से चला गया । फिर ग्यारह बजे दूसरा आदमी आया । वो भी पायल पाटिल को पूछा और चला गया ।”
“दोनों में से किसी ने नाम नहीं बताया था अपना ?”
“नो । वो दोनों खाली पायल पाटिल को पूछा और चला गया ।”
“दूसरा आदमी देखने में कैसा था ?”
“पहले का माफिक ही था ।”
“उसका हुलिया बयान कर सकते हो ?”
“हुलिया ?”
“आई मीन कैन यू डिस्क्राइब हिम ? कद कैसा था ? रंग कैसा था ? हेयर स्टाइल कैसा था ? दाढ़ी या मूंछ या दोनों रखता था या नहीं ? चश्मा लगाता था या नहीं ? पोशाक क्या पहने था, वगैरह ?”
उसने जो टूटा-फूटा-सा हुलिया बयान किया वो बहुत नाकाफी था ।
“तुम उसे दोबारा देखोगे तो पहचान लोगे ?” - डॉली ने पूछा ।
“आई होप सो ।”
“पहले वाले को भी ?”
“यस ।”
“अगर उन दोनों में से कोई तुम्हें फिर दिखाई दिया तो क्या तुम सतीश साहब के यहां हमें खबर कर दोगे ?”
“मैं पुलिस को खबर करेगा ।”
“पुलिस को भी करना लेकिन हमें भी...”
“मैं खाली पुलिस को खबर करेगा । पुलिस मेरे को ऐसा बोला कि...”
“ठीक है, ऐसी ही करना ।” - राज पटाक्षेप के ढंग से बीच में बोल पड़ा - “नाम क्या है तुम्हारा ?”
“जार्जियो ।”
“और होटल का ?”
“डायमंड । बाहर चालीस फुट का बोर्ड टंगा है ।”
“थैंक्यू, जार्जियो ।”
वे होटल से बाहर निकले और फिर भीड़ में जा मिले ।
“दो जने !” - वो बोला - “दोनों पायल की तलाश में । कुछ ज्यादा ही पापुलर थी ये पायल नाम की तुम्हारी फैलो बुलबुल ।”
“पता नहीं क्या चक्कर है !” - डॉली बड़बड़ाई ।
“वो दूसरे के हुलिये से तुम्हारे जेहन में कोई घण्टी खड़की हो ?”
“न ।”
“कोई फायदा नहीं हुआ यहां आने का ।”
“अभी तो यहां आये हैं । उस पहले वाले की तलाश तुम अभी बन्द थोड़े ही कर दोगे ?”
“अब क्या फायदा उसके पीछे खराब होने का ! अब तो उसे पुलिस भी तलाश कर रही है । वो पुलिस को नहीं मिल रहा तो क्या हमें मिलेगा ?”
“तो क्या इरादा है ? वापिस चलें ?”
“हां । जीप किधर खड़ी की थी ?”
“ध्यान नहीं ।”
“उधर चलते हैं ।”
अन्दाजन वो एक तरफ बढे ।
“नाम तो मेरे को मालूम नहीं ।”
“नाम जाने बिना गाड़ी उसके हवाले कर दी ?”
“बट वन थाउजेंड डाउन पेमेंट लेकर ! वो मेरे को अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाया, मैं नाम भी पढा, पण... भूल गया ।”
“वो गाड़ी ले के भाग जाता तो ?”
“हीं हीं हीं । आइलैंड पर किधर ले के भागेगा ? मैं उधर पायर पर सबको फिट करके रखा, अपुन की गाड़ी को स्टीमर पर तभी चढाने का है जब मैं साथ हो । क्या !”
“वो इधर का आदमी था या कोई बाहर से आया था ?”
“बाहर से आया था । होटल में ठहरा था ।”
“कौन-से होटल में ठहरा था ।”
“नाम बोला था वो पण...”
“भूल गया ?”
“हां । - पण वो इधर ईस्टएण्ड के ही किसी होटल में था ।”
***
ईस्टएण्ड में हर फेनी के अड्डे और बीयर बार के ऊपर ‘होटल’ लिखा हुआ था अलबत्ता वहां तीन-चार होटल ढंग के भी थे जहां उन्होंने हुलिया बताकर अपने आदमी की पूछताछ शुरु की ।
तीसरे होटल के रिसैप्शन क्लर्क से माकूल जवाब मिला । राज ने अभी उसका हुलिया बयान करना शुरु ही किया था कि वो सहमति में गरदन हिलाने लगा था ।
“वो साहब इधर आया था ।” - वो बोला ।
“गुड ।” - राज बोला - “कौन था वो ? नाम क्या नाम था उसका ?”
“आप क्यों पूछता है ? उधर सतीश एस्टेट में हुए मर्डर की वजह से ?”
“उसकी खबर यहां तक पहुंच भी गयी ?”
“कब की ? बॉस, इधर तो किसी को जुकाम हुए का खबर नहीं छुपता । मर्डर का खबर कैस छुपेगा !”
“ओह !”
“मैं पुलिस को पहले ही सब बोल दिया है । उसका भी और दूसरे आदमी का भी ।”
“दूसरा आदमी ? दूसरा आदमी कौन ?”
“जो उसका माफिक ही लास्ट ईवनिंग इधर पहुंचा था । दोनों किसी पायल पाटिल को पूछता था ।”
“क्या पूछते थे वो पायल पाटिल की बाबत ?”
“यही कि क्या वो इधर होटल में स्टे करता था ।”
“वो... वो दोनों आदमी एक-दूसरे के साथ थे ? इकट्ठे यहां आये थे ?”
“नहीं । जिस आदमी का हुलिया आप बोलता है, वो पहले आया था । नौ बजे । या थोड़ा बाद में । वो पूछा कि क्या पायल पाटिल इधर होटल में स्टे करता था ! मैं नक्को बोला तो वो इधर से चला गया । फिर ग्यारह बजे दूसरा आदमी आया । वो भी पायल पाटिल को पूछा और चला गया ।”
“दोनों में से किसी ने नाम नहीं बताया था अपना ?”
“नो । वो दोनों खाली पायल पाटिल को पूछा और चला गया ।”
“दूसरा आदमी देखने में कैसा था ?”
“पहले का माफिक ही था ।”
“उसका हुलिया बयान कर सकते हो ?”
“हुलिया ?”
“आई मीन कैन यू डिस्क्राइब हिम ? कद कैसा था ? रंग कैसा था ? हेयर स्टाइल कैसा था ? दाढ़ी या मूंछ या दोनों रखता था या नहीं ? चश्मा लगाता था या नहीं ? पोशाक क्या पहने था, वगैरह ?”
उसने जो टूटा-फूटा-सा हुलिया बयान किया वो बहुत नाकाफी था ।
“तुम उसे दोबारा देखोगे तो पहचान लोगे ?” - डॉली ने पूछा ।
“आई होप सो ।”
“पहले वाले को भी ?”
“यस ।”
“अगर उन दोनों में से कोई तुम्हें फिर दिखाई दिया तो क्या तुम सतीश साहब के यहां हमें खबर कर दोगे ?”
“मैं पुलिस को खबर करेगा ।”
“पुलिस को भी करना लेकिन हमें भी...”
“मैं खाली पुलिस को खबर करेगा । पुलिस मेरे को ऐसा बोला कि...”
“ठीक है, ऐसी ही करना ।” - राज पटाक्षेप के ढंग से बीच में बोल पड़ा - “नाम क्या है तुम्हारा ?”
“जार्जियो ।”
“और होटल का ?”
“डायमंड । बाहर चालीस फुट का बोर्ड टंगा है ।”
“थैंक्यू, जार्जियो ।”
वे होटल से बाहर निकले और फिर भीड़ में जा मिले ।
“दो जने !” - वो बोला - “दोनों पायल की तलाश में । कुछ ज्यादा ही पापुलर थी ये पायल नाम की तुम्हारी फैलो बुलबुल ।”
“पता नहीं क्या चक्कर है !” - डॉली बड़बड़ाई ।
“वो दूसरे के हुलिये से तुम्हारे जेहन में कोई घण्टी खड़की हो ?”
“न ।”
“कोई फायदा नहीं हुआ यहां आने का ।”
“अभी तो यहां आये हैं । उस पहले वाले की तलाश तुम अभी बन्द थोड़े ही कर दोगे ?”
“अब क्या फायदा उसके पीछे खराब होने का ! अब तो उसे पुलिस भी तलाश कर रही है । वो पुलिस को नहीं मिल रहा तो क्या हमें मिलेगा ?”
“तो क्या इरादा है ? वापिस चलें ?”
“हां । जीप किधर खड़ी की थी ?”
“ध्यान नहीं ।”
“उधर चलते हैं ।”
अन्दाजन वो एक तरफ बढे ।