desiaks
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“ठीक है । मैं ही करता हूं ये काम । मिस्टर बालपाण्डे, आपने परसों शाम पूना से यहां अपनी बीवी को फोन किया था । ठीक ?”
“जी हां ।” - बालपाण्डे बोला - “वो अकेली यहां आयी थी । उसका हालचाल जानते रहना मेरा फर्ज था ।”
“कबूल । लेकिन फोन पर आपकी अपनी बीवी से बात नहीं हुई थी । वो फोन पर तत्काल उपलब्ध नहीं थी इसलिये आपको ये सन्देशा छोड़कर, कि आपने फोन किया था, लाइन काट देनी पड़ी थी । फिर आपकी फोनकाल के जवाब में उस रात को आपकी बीवी ने आपको पूना फोन लगाया था तो आपके नौकर ने जवाब दिया था कि साहब घर पर नहीं थे, वो एकाएक किसी जरूरी बिजनेस ट्रिप पर निकल गये थे ।”
बालपाण्डे ने हौरानी से उसकी तरफ देखा ।
“फोन को इस्तेमाल करना हमें भी आता है, मिस्टर बालपाण्डे ।”
“क्यों नहीं ?” - बालपाण्डे अनमने भाव से बोला - “क्यों नहीं ?”
“बहरहाल आपकी बीवी तभी समझ गयी थी कि बिजनेस ट्रिप के नाम पर असल में आप कहां गये होंगे । आप यहां आये थे, मिस्टर बालपाण्डे । यहां, पायल से मिलने ।”
“ये कैसे हो सकता है ?” - आलोका बोली - “इन्हें क्या पता था कि पायल यहां थी । मैंने तो बताया नहीं था । फिर...”
“जाहिर है कि आपने नहीं बताया था । आप कैसे बतातीं ? आपसे तो इनकी फोन पर बात हो ही नहीं पायी थी । मैडम, ये बात इन्हें उस शख्स से मालूम हुई थी जिसने कि आपकी गैर-हाजिरी में इनकी काल रिसीव की थी और इनका आपके लिये सन्देश लिया था ?”
“कि... किसने ?”
“आयशा ने । आयशा ने ही इन्हें पायल की आइलैंड पर मौजूदगी की बाबत बताया था । मिस्टर सतीश की कुक रोजमेरी ने बाई चांस वो बातचीत सुनी थी । फिर आयशा से जब आपको सन्देशा मिला था तो जरूर उसने आपको ये भी बताया था कि उसने आपके पति से पायल की आइलैंड पर मौजूदगी का जिक्र किया था । इस बात ने आपको फिक्रमन्द किया था और इसीलये रात को आपने अपने पति को पूना फोन किया था । उसके पूना में मौजूद ने होने का, किसी बिजनेस ट्रिप पर निकल गया होने का आपने ये मतलब लगाया था कि आपका पति यहां आइलैंड पर पहुंच गया था और अब वो पायल के साथ ईस्टएण्ड पर कहीं था । इस बात ने आपको इतना हलकान किया था कि रात को आपने मिस्टर सतीश की कोन्टेसा निकाली थी और अपने पति और पायल की तलाश की नीयत से ईस्टएण्ड रवाना हो गयी थीं । उस घड़ी आपकी जेहनी हालत ठीक नहीं थी इसलिये झुंझलाहट, बौखलाहट में आपने गाड़ी को कहां दे मारा था जिसकी वजह से उसका अगला बम्फर दाईं तरफ से पिचक गया था । इसीलिये गाड़ी में गिर गये अपने रुमाल की आपको खबर न हुई थी । इस बात ने आपको खौफजदा कर दिया था कि आपकी लापरवाही से पराई कार डैमेज हो गयी थी । लिहाजा आप वापिस लौट आयी थीं । ठीक ?”
आलोका ने जवाब न दिया । उसने बेचैनी से पहलू बदला ।
“तब इरादा क्या था आपका ?” - सोलंकी ने पूछा - “आप ईस्ट एण्ड पर अपने पति को तलाश करने में कामयाब हो गयी होतीं और आपने पायल को उसके साथ पाया होता तो क्या करतीं आप ?”
बालपाण्डे ने बड़े प्रदर्शनकारी ढंग से आलोका को अपनी एक बांह में घेरे में समेट लिया और सख्ती से बोला - “आप बरायमेहरबानी मेरी बीवी को हलकान न करें । इससे बेजा सवाल न करें ।”
“कोई बेजा सवाल नहीं किया जा रहा इनसे । अगर ऐसा है तो ये बताये कौन-सा सवाल बेजा है । मिसेज बालपाण्डे, जवाब दीजिये ।”
“कोई नहीं ।” - आलोका रूआंसी-सी बोला - “आपने जो कहा है, ठीक कहा है । डार्लिंग” - वो अपने पति से सम्बोधित हुई - “आई एम सारी कि मैंने तुम पर शक किया लेकिन तब इस ख्याल से ही मेरे तन-बदन में आग लग गयी थी कि... कि तुम पायल के साथ हो सकते थे । फिर मुझ पर मिस्टर सतीश की काकटेल्स भी हावी थीं । डार्लिंग, मैंने उस रात जो किया जुनून में किया, वर्ना आधी रात को नशे की हालत में, गुस्से की हालत में गाड़ी लेकर सुनसान सड़कों पर निकल पड़ना क्या कोई समझदारी का काम था !”
“आई अन्डरस्टैण्ड, हनी । लेकिन तुम ऐसा क्यों समझती हो कि मैं अभी भी पायल की फिराक में हूं ?”
“तुम हो । हमेशा रहोगे ।”
“ये खामख्याली है तुम्हारी ।”
“तुम यहां क्यों आये ? उससे मिलने की नीयत से ही तो ! फिर छुप के आये । मुझे खबर न की ।”
“तुम्हें खबर करता तो तुम आगबबूला हो उठतीं ।”
“लेकिन आये तो सही पायल के पीछे ?”
“वो मेरी पुरानी फ्रेंड थी । मैं सिर्फ ये जानना चाहता था कि वो ठीक-ठाक थी ।”
“ठीक-ठाक को उसका क्या होना था ? ढाई करोड़ रुपये की मालकिन बनने वाली थी वो । अब उसने ठीक-ठाक ही होना था । अब उसकी क्या प्राब्लम होतीं !”
“मुझे उसके दौलत से ताल्लुक रखते नये रुतबे से कुछ लेना-देना नहीं था । मैं सिर्फ इस बात की तसदीक करना चाहता था कि वो अदरवाइज राजी-खुशी थी, वो वैसी नहीं थी जैसी कि मुझे सूरत में मिली थी या कहीं उससे भी ज्यादा फटेहाल हो गयी थी ।”
“होती फटेहाल वो तो तुम क्या करते ? उसे अडाप्ट कर लेते ? उसकी हालत सुधारने का बीड़ा अपने सिर उठा लेते ? क्या करते ?”
“मैं उसे सिर्फ ये राय देता कि अपने उस खस्ताहाल में वो तुम लोगों से न मिले, वो मिस्टर सतीश की ग्लैमरस रीयूनियन पार्टी में शरीक होने का ख्याल छोड़ दे ।”
“वो मिली आपको ?” - सोलंकी ने पूछा ।
“नहीं मिली । बहुत खाक छानी ईस्टएण्ड की लेकिन नहीं मिली ।”
“आपने बस उसी रात उसे तलाश करने की कोशिश की । अगले रोज भी ऐसी कोई कोशिश जारी न रखी ?”
“नो, सर । अगले रोज उसे तलाश करने की कोशिश करना बेमानी थी । अगले रोज तक तो उसे यहां पहुंच गया होना था, जिस काम से मैं उसे रोकना चहता था, तब तक वो उसने पहले ही कर चुकी होना था ।”
“फिर आप पूना वापिस लौट गये ?”
“नो, सर । इतनी रात गये पूना लौटना तो सम्भव नहीं था । अलबत्ता मैं पणजी लौट गया जहां से कि मैंने पूना के लिये अर्ली मार्निंग फ्लाइट पकड़ ली थी ।”
“जी हां ।” - बालपाण्डे बोला - “वो अकेली यहां आयी थी । उसका हालचाल जानते रहना मेरा फर्ज था ।”
“कबूल । लेकिन फोन पर आपकी अपनी बीवी से बात नहीं हुई थी । वो फोन पर तत्काल उपलब्ध नहीं थी इसलिये आपको ये सन्देशा छोड़कर, कि आपने फोन किया था, लाइन काट देनी पड़ी थी । फिर आपकी फोनकाल के जवाब में उस रात को आपकी बीवी ने आपको पूना फोन लगाया था तो आपके नौकर ने जवाब दिया था कि साहब घर पर नहीं थे, वो एकाएक किसी जरूरी बिजनेस ट्रिप पर निकल गये थे ।”
बालपाण्डे ने हौरानी से उसकी तरफ देखा ।
“फोन को इस्तेमाल करना हमें भी आता है, मिस्टर बालपाण्डे ।”
“क्यों नहीं ?” - बालपाण्डे अनमने भाव से बोला - “क्यों नहीं ?”
“बहरहाल आपकी बीवी तभी समझ गयी थी कि बिजनेस ट्रिप के नाम पर असल में आप कहां गये होंगे । आप यहां आये थे, मिस्टर बालपाण्डे । यहां, पायल से मिलने ।”
“ये कैसे हो सकता है ?” - आलोका बोली - “इन्हें क्या पता था कि पायल यहां थी । मैंने तो बताया नहीं था । फिर...”
“जाहिर है कि आपने नहीं बताया था । आप कैसे बतातीं ? आपसे तो इनकी फोन पर बात हो ही नहीं पायी थी । मैडम, ये बात इन्हें उस शख्स से मालूम हुई थी जिसने कि आपकी गैर-हाजिरी में इनकी काल रिसीव की थी और इनका आपके लिये सन्देश लिया था ?”
“कि... किसने ?”
“आयशा ने । आयशा ने ही इन्हें पायल की आइलैंड पर मौजूदगी की बाबत बताया था । मिस्टर सतीश की कुक रोजमेरी ने बाई चांस वो बातचीत सुनी थी । फिर आयशा से जब आपको सन्देशा मिला था तो जरूर उसने आपको ये भी बताया था कि उसने आपके पति से पायल की आइलैंड पर मौजूदगी का जिक्र किया था । इस बात ने आपको फिक्रमन्द किया था और इसीलये रात को आपने अपने पति को पूना फोन किया था । उसके पूना में मौजूद ने होने का, किसी बिजनेस ट्रिप पर निकल गया होने का आपने ये मतलब लगाया था कि आपका पति यहां आइलैंड पर पहुंच गया था और अब वो पायल के साथ ईस्टएण्ड पर कहीं था । इस बात ने आपको इतना हलकान किया था कि रात को आपने मिस्टर सतीश की कोन्टेसा निकाली थी और अपने पति और पायल की तलाश की नीयत से ईस्टएण्ड रवाना हो गयी थीं । उस घड़ी आपकी जेहनी हालत ठीक नहीं थी इसलिये झुंझलाहट, बौखलाहट में आपने गाड़ी को कहां दे मारा था जिसकी वजह से उसका अगला बम्फर दाईं तरफ से पिचक गया था । इसीलिये गाड़ी में गिर गये अपने रुमाल की आपको खबर न हुई थी । इस बात ने आपको खौफजदा कर दिया था कि आपकी लापरवाही से पराई कार डैमेज हो गयी थी । लिहाजा आप वापिस लौट आयी थीं । ठीक ?”
आलोका ने जवाब न दिया । उसने बेचैनी से पहलू बदला ।
“तब इरादा क्या था आपका ?” - सोलंकी ने पूछा - “आप ईस्ट एण्ड पर अपने पति को तलाश करने में कामयाब हो गयी होतीं और आपने पायल को उसके साथ पाया होता तो क्या करतीं आप ?”
बालपाण्डे ने बड़े प्रदर्शनकारी ढंग से आलोका को अपनी एक बांह में घेरे में समेट लिया और सख्ती से बोला - “आप बरायमेहरबानी मेरी बीवी को हलकान न करें । इससे बेजा सवाल न करें ।”
“कोई बेजा सवाल नहीं किया जा रहा इनसे । अगर ऐसा है तो ये बताये कौन-सा सवाल बेजा है । मिसेज बालपाण्डे, जवाब दीजिये ।”
“कोई नहीं ।” - आलोका रूआंसी-सी बोला - “आपने जो कहा है, ठीक कहा है । डार्लिंग” - वो अपने पति से सम्बोधित हुई - “आई एम सारी कि मैंने तुम पर शक किया लेकिन तब इस ख्याल से ही मेरे तन-बदन में आग लग गयी थी कि... कि तुम पायल के साथ हो सकते थे । फिर मुझ पर मिस्टर सतीश की काकटेल्स भी हावी थीं । डार्लिंग, मैंने उस रात जो किया जुनून में किया, वर्ना आधी रात को नशे की हालत में, गुस्से की हालत में गाड़ी लेकर सुनसान सड़कों पर निकल पड़ना क्या कोई समझदारी का काम था !”
“आई अन्डरस्टैण्ड, हनी । लेकिन तुम ऐसा क्यों समझती हो कि मैं अभी भी पायल की फिराक में हूं ?”
“तुम हो । हमेशा रहोगे ।”
“ये खामख्याली है तुम्हारी ।”
“तुम यहां क्यों आये ? उससे मिलने की नीयत से ही तो ! फिर छुप के आये । मुझे खबर न की ।”
“तुम्हें खबर करता तो तुम आगबबूला हो उठतीं ।”
“लेकिन आये तो सही पायल के पीछे ?”
“वो मेरी पुरानी फ्रेंड थी । मैं सिर्फ ये जानना चाहता था कि वो ठीक-ठाक थी ।”
“ठीक-ठाक को उसका क्या होना था ? ढाई करोड़ रुपये की मालकिन बनने वाली थी वो । अब उसने ठीक-ठाक ही होना था । अब उसकी क्या प्राब्लम होतीं !”
“मुझे उसके दौलत से ताल्लुक रखते नये रुतबे से कुछ लेना-देना नहीं था । मैं सिर्फ इस बात की तसदीक करना चाहता था कि वो अदरवाइज राजी-खुशी थी, वो वैसी नहीं थी जैसी कि मुझे सूरत में मिली थी या कहीं उससे भी ज्यादा फटेहाल हो गयी थी ।”
“होती फटेहाल वो तो तुम क्या करते ? उसे अडाप्ट कर लेते ? उसकी हालत सुधारने का बीड़ा अपने सिर उठा लेते ? क्या करते ?”
“मैं उसे सिर्फ ये राय देता कि अपने उस खस्ताहाल में वो तुम लोगों से न मिले, वो मिस्टर सतीश की ग्लैमरस रीयूनियन पार्टी में शरीक होने का ख्याल छोड़ दे ।”
“वो मिली आपको ?” - सोलंकी ने पूछा ।
“नहीं मिली । बहुत खाक छानी ईस्टएण्ड की लेकिन नहीं मिली ।”
“आपने बस उसी रात उसे तलाश करने की कोशिश की । अगले रोज भी ऐसी कोई कोशिश जारी न रखी ?”
“नो, सर । अगले रोज उसे तलाश करने की कोशिश करना बेमानी थी । अगले रोज तक तो उसे यहां पहुंच गया होना था, जिस काम से मैं उसे रोकना चहता था, तब तक वो उसने पहले ही कर चुकी होना था ।”
“फिर आप पूना वापिस लौट गये ?”
“नो, सर । इतनी रात गये पूना लौटना तो सम्भव नहीं था । अलबत्ता मैं पणजी लौट गया जहां से कि मैंने पूना के लिये अर्ली मार्निंग फ्लाइट पकड़ ली थी ।”