hotaks444
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रात को जब मैं बिस्तर पर लेटी तो मुझे कोई अफ़सोस नही था,इनायत के साथ मैने कई बार आरिफ़ का रोल प्ले वाला सेक्स किया था. मैं मन ही मन सोच रही थी कि शायद मैं आरिफ़ को सिड्यूस कर सकती हूँ.
अगली सुबह आरिफ़ मुझसे नज़र नही मिला रहा था. मेरी अम्मा ने मुझसे आरिफ़ के बारे मे पूछा तो मैने कहा कि आरिफ़ को मैं समझ रही हूँ, मेरी अम्मा और बाबा मेरी खाला के ससुराल जाना चाहते थे किसी शादी की अटेंड करने के लिए. उन्होने मुझसे भी आने को कहा लेकिन मैने इनकार कर दिया. फिर उन्होने आरिफ़ से कहा कि वो आज काम पर ना जाए और मेरे साथ मे रहे. मुझे लगा कि शायद इस दिन का मुझे अच्छा यूज़ करना चाहिए. मैं अम्मा और बाबा के जाने के बाद नहाने चली गयी और एक नाइटी पहेन कर बाहर आई. ये नाइटी थोड़ी ट्रॅन्स्परेंट थी, इसमे मेरा ब्रा और पैंटी सॉफ नज़र आती थी. आरिफ़ नाश्ता कर रहा था. मैं भी किचन से अपने लिए ब्रेक फास्ट ले आई.
मैं:"अफ ये आज इतनी गर्मी है वो भी सुबह सुबह इसलिए मैने थोड़ा रिलेक्स होने के लिए ये नाइटी पहेन ली"
आरिफ़ ने एक नज़र मेरी नाइटी पर डाली और वो फिर बिना कुछ कहे ब्रेकफास्ट करने लगा. जब वो ब्रेक फास्ट कर चुका तो मैं भी खा चुकी थी और फिर मैं सब बर्तन धोने किचन मे चली गयी. मैने जान बूझ कर अपनी नाइटी भिगो ली थी ताकि मेरी ब्रा सॉफ सॉफ नज़र आ सके, मुझे थोड़े परवरटेड सा महसूस हो रहा था लेकिन ना जाने क्यूँ मैं कंट्रोल खो बैठी थी. जब मैं किचिन से आई तो आरिफ़ टीवी देख रहा था, मैं उसके सामने ही सोफे पर बैठ गयी और उसको सिड्यूस करने का प्लान बनाने लगी.
मैं:"आआरिफ तुमने वो बुक पढ़ी"
आरिफ़:"हां"
मैं:"तो तुम्हारी कुछ ग़लत फहमी दूर हुई"
आरिफ़:"हां, थॅंक्स"
मैं:"अर्रे थॅंक्स किस बात का, तुम जब चाहो मुझसे हेल्प ले सकते हो"
ये कह कर मैने अपनी टाँगो को थोड़ा सा खोला ताकि वो मेरी थाइस को देख सके, उसकी नज़ारे मेरी थाइस पर ही थीं. वो छुप छुप कर देख रहा था और मैं भी उससे आइ कॉंटॅक्ट नही कर रही थी ताकि उसको मौका मिले मुझे देखने का
आरिफ़:"मैं कुछ पूछना चाहता था"
मैं:"हां पूछो बेजीझक"
आरिफ़:"ये ओरल सेक्स क्या होता है"
मैं:"ओरल सेक्स का मल्तब है कि औरत आदमी का पेनिस मूह मे लेकर उसको एजॅक्यूलेट करवाए या मर्द औरत की वेजाइना को चाट कर उसको फारिघ् करे, इनायत और मैं अक्सर ऐसा करते हैं"
आरिफ़:"अच्छा, तो तुम लोगो को ये गंदा नही लगता"
मैं:"तुमने किसी लड़की से साथ सेक्स नही किया ना इसलिए तुम्हे अंदाज़ा नही है कि सेक्स के टाइम पर कुछ गंदा नही लगता, और वैसे भी हम लोग अपने प्राइवेट पार्ट्स सॉफ रखते हैं, मेरी वेजाइना पर एक भी बाल नही रहता और मैं इसको हमेशा सॉफ रखती हूँ"
आरिफ़:"अच्छा"
मैं:"और कोई सवाल"
आरिफ़:"मैने पढ़ा है कि औरत को एजॅक्यूलेट होने मे टाइम लगता है और आदमी जल्दी एजॅक्यूलेट कर देता है"
मैं:"हां, इसलिए औरत को धीरे धीरे सिड्यूस करना चाहिए "
आरिफ़:"मतलब"
मैं:"पहले उसका मूड ठीक किया जाए, माहौल को रोमॅंटिक बनाया जाए, उसका किस किया जाए, फिर धीरे धीरे उसके बूब्स को या क्लाइटॉरिस को टिकल किया जाए या उसकी नेवेल पर किस किया जाए"
आरीरफ़:"ये कैसे पता लगेगा कि औरत को क्या अच्छा लगता है"
मैं:"ये तो हर औरत का अलग अलग मूड होता है, जैसे मुझे ये अच्छा लगता है कि पहले मेरी क्लाइटॉरिस को टिकल किया जाए"
आरिफ़:"क्लाइटॉरिस"
मैं:"उफ्फ यार, वेजाइना के टॉप पर एक बीन शेप्ड सी होती है, यहाँ पर ज़्यादा तर औरतो को मॅक्सिमॅम सेन्सेशन होती है"
ये बात मैने अपनी नाइटी को हटा कर, अपनी पैंटी के ऊपर से इशारा कर के उसको दिखाई, अब मैं उसकी आँखो मे नशा सा देख सकती थी, वो सिड्यूस हो चुका था उसकी आवाज़ जैसे उसके गले मे अटक रही थी.
आरिफ़:"मुझे कैसे मालूम हो, मैने किसी की देखी थोड़े ही है"
मैं:"अच्छा बाबा लेकिन साइन्स मे तो पढ़ा ही होगा ना"
आरिफ़:"कौन ध्यान देता है इतना"
मैं:"अच्छा जो मैने मॅगज़ीन दी थी उसमे तो हैं ना काफ़ी पिक्चर्स"
आरिफ:"लेकिन उसमे लेबल कहाँ किया है"
मैं:"अच्छा तुम लेकर तो आओ मैं दिखाती हूँ तुमको"
वो झट से वही मॅगिज़्न्स ले आया. मैने इसमे हर पिक्चर को देखा लेकिन कहीं पर भी वेजाइना का क्लोज़ अप नही था. एक पिक्चर मे पूरी न्यूड मॉडेल थी लेकिन इसमे इतना क्लियर दिखता नही था फिर भी मैने उसको पास बुला कर दिखाया
मैं:"ये देखो, ये जो इसकी वेजाइना है ना, इसके टॉप पर ध्यान से देखो तुमको नज़र आएगी"
आरिफ़:"हां थोड़ी सी नज़र आती है, इन अँग्रेज़ लड़कियो की वेजाइना इतनी लाल होती है, इंडियन्स लड़कियो की भी ऐसी ही होती है क्या"
मैं:"सबकी तो मैं नही कह सकती लेकिन मेरी लो पिंक है"
आरिफ़:"अच्छा"
मैं:"क्या तुमने आज तक किसी लड़की को न्यूड नही देखा?"
आआरिफ:"हां,किसी को नही देखा"
मैं:"कोई बात नही, शादी के बाद देख लेना"
आरिफ़:"एक और बात पूछनी है"
मैं:"हां पूछो"
आरिफ़:"क्या अभी भी तुम मास्टरबेट करती हो"
मैं:"हां क्यूँ नही, आज सुबह ही किया मैने, क्यूँ"
आरिफ़:"नही वो आज बाथरूम से आवाज़ आ रही थी"
मैं:"तो तुम बाथरूम से कान लगाए थे, क्यूँ नॉटी बॉय"
आरिफ़:"नही ऐसा नही है, मैं बाहर ब्रश कर रहा था तो मुझे तुम्हारी आवाज़ आई"
मैं:"क्या करूँ अब कंट्रोल नही हुआ था, इसलिए कर लिया, क्यूँ तुम नही करते क्या"
आरिफ़:"कभी कभी"
मैं:"कल रात को तो पक्का किया होगा, इतनी न्यूड मॉडेल्स को देख कर"
आरिफ़:"हां कल तो कयि बार किया"
मैं:"अच्छा तो तुमको एक औरत मे क्या अच्छा लगता है"
आआरिफ:"सभी कुछ लेकिन बड़ी बड़े बूब्स और बटक्स ज़्यादा अच्छे लगते हैं"
मैं:"हां इनायत को भी यही अच्छा लगता है"
आरिफ़:"तुम्हारे हैं भी काफ़ी बड़े"
मैं:"ह्म्म्म........ मेरे बूब्स और बटक्स कब देखे?"
आरिफ़:"नही देखे नही लेकिन अंदाज़ा लगाया"
मैं:"अंदाज़ा ग़लत भी तो हो सकता है"
आरिफ़:"हां हो सकता है"
अगली सुबह आरिफ़ मुझसे नज़र नही मिला रहा था. मेरी अम्मा ने मुझसे आरिफ़ के बारे मे पूछा तो मैने कहा कि आरिफ़ को मैं समझ रही हूँ, मेरी अम्मा और बाबा मेरी खाला के ससुराल जाना चाहते थे किसी शादी की अटेंड करने के लिए. उन्होने मुझसे भी आने को कहा लेकिन मैने इनकार कर दिया. फिर उन्होने आरिफ़ से कहा कि वो आज काम पर ना जाए और मेरे साथ मे रहे. मुझे लगा कि शायद इस दिन का मुझे अच्छा यूज़ करना चाहिए. मैं अम्मा और बाबा के जाने के बाद नहाने चली गयी और एक नाइटी पहेन कर बाहर आई. ये नाइटी थोड़ी ट्रॅन्स्परेंट थी, इसमे मेरा ब्रा और पैंटी सॉफ नज़र आती थी. आरिफ़ नाश्ता कर रहा था. मैं भी किचन से अपने लिए ब्रेक फास्ट ले आई.
मैं:"अफ ये आज इतनी गर्मी है वो भी सुबह सुबह इसलिए मैने थोड़ा रिलेक्स होने के लिए ये नाइटी पहेन ली"
आरिफ़ ने एक नज़र मेरी नाइटी पर डाली और वो फिर बिना कुछ कहे ब्रेकफास्ट करने लगा. जब वो ब्रेक फास्ट कर चुका तो मैं भी खा चुकी थी और फिर मैं सब बर्तन धोने किचन मे चली गयी. मैने जान बूझ कर अपनी नाइटी भिगो ली थी ताकि मेरी ब्रा सॉफ सॉफ नज़र आ सके, मुझे थोड़े परवरटेड सा महसूस हो रहा था लेकिन ना जाने क्यूँ मैं कंट्रोल खो बैठी थी. जब मैं किचिन से आई तो आरिफ़ टीवी देख रहा था, मैं उसके सामने ही सोफे पर बैठ गयी और उसको सिड्यूस करने का प्लान बनाने लगी.
मैं:"आआरिफ तुमने वो बुक पढ़ी"
आरिफ़:"हां"
मैं:"तो तुम्हारी कुछ ग़लत फहमी दूर हुई"
आरिफ़:"हां, थॅंक्स"
मैं:"अर्रे थॅंक्स किस बात का, तुम जब चाहो मुझसे हेल्प ले सकते हो"
ये कह कर मैने अपनी टाँगो को थोड़ा सा खोला ताकि वो मेरी थाइस को देख सके, उसकी नज़ारे मेरी थाइस पर ही थीं. वो छुप छुप कर देख रहा था और मैं भी उससे आइ कॉंटॅक्ट नही कर रही थी ताकि उसको मौका मिले मुझे देखने का
आरिफ़:"मैं कुछ पूछना चाहता था"
मैं:"हां पूछो बेजीझक"
आरिफ़:"ये ओरल सेक्स क्या होता है"
मैं:"ओरल सेक्स का मल्तब है कि औरत आदमी का पेनिस मूह मे लेकर उसको एजॅक्यूलेट करवाए या मर्द औरत की वेजाइना को चाट कर उसको फारिघ् करे, इनायत और मैं अक्सर ऐसा करते हैं"
आरिफ़:"अच्छा, तो तुम लोगो को ये गंदा नही लगता"
मैं:"तुमने किसी लड़की से साथ सेक्स नही किया ना इसलिए तुम्हे अंदाज़ा नही है कि सेक्स के टाइम पर कुछ गंदा नही लगता, और वैसे भी हम लोग अपने प्राइवेट पार्ट्स सॉफ रखते हैं, मेरी वेजाइना पर एक भी बाल नही रहता और मैं इसको हमेशा सॉफ रखती हूँ"
आरिफ़:"अच्छा"
मैं:"और कोई सवाल"
आरिफ़:"मैने पढ़ा है कि औरत को एजॅक्यूलेट होने मे टाइम लगता है और आदमी जल्दी एजॅक्यूलेट कर देता है"
मैं:"हां, इसलिए औरत को धीरे धीरे सिड्यूस करना चाहिए "
आरिफ़:"मतलब"
मैं:"पहले उसका मूड ठीक किया जाए, माहौल को रोमॅंटिक बनाया जाए, उसका किस किया जाए, फिर धीरे धीरे उसके बूब्स को या क्लाइटॉरिस को टिकल किया जाए या उसकी नेवेल पर किस किया जाए"
आरीरफ़:"ये कैसे पता लगेगा कि औरत को क्या अच्छा लगता है"
मैं:"ये तो हर औरत का अलग अलग मूड होता है, जैसे मुझे ये अच्छा लगता है कि पहले मेरी क्लाइटॉरिस को टिकल किया जाए"
आरिफ़:"क्लाइटॉरिस"
मैं:"उफ्फ यार, वेजाइना के टॉप पर एक बीन शेप्ड सी होती है, यहाँ पर ज़्यादा तर औरतो को मॅक्सिमॅम सेन्सेशन होती है"
ये बात मैने अपनी नाइटी को हटा कर, अपनी पैंटी के ऊपर से इशारा कर के उसको दिखाई, अब मैं उसकी आँखो मे नशा सा देख सकती थी, वो सिड्यूस हो चुका था उसकी आवाज़ जैसे उसके गले मे अटक रही थी.
आरिफ़:"मुझे कैसे मालूम हो, मैने किसी की देखी थोड़े ही है"
मैं:"अच्छा बाबा लेकिन साइन्स मे तो पढ़ा ही होगा ना"
आरिफ़:"कौन ध्यान देता है इतना"
मैं:"अच्छा जो मैने मॅगज़ीन दी थी उसमे तो हैं ना काफ़ी पिक्चर्स"
आरिफ:"लेकिन उसमे लेबल कहाँ किया है"
मैं:"अच्छा तुम लेकर तो आओ मैं दिखाती हूँ तुमको"
वो झट से वही मॅगिज़्न्स ले आया. मैने इसमे हर पिक्चर को देखा लेकिन कहीं पर भी वेजाइना का क्लोज़ अप नही था. एक पिक्चर मे पूरी न्यूड मॉडेल थी लेकिन इसमे इतना क्लियर दिखता नही था फिर भी मैने उसको पास बुला कर दिखाया
मैं:"ये देखो, ये जो इसकी वेजाइना है ना, इसके टॉप पर ध्यान से देखो तुमको नज़र आएगी"
आरिफ़:"हां थोड़ी सी नज़र आती है, इन अँग्रेज़ लड़कियो की वेजाइना इतनी लाल होती है, इंडियन्स लड़कियो की भी ऐसी ही होती है क्या"
मैं:"सबकी तो मैं नही कह सकती लेकिन मेरी लो पिंक है"
आरिफ़:"अच्छा"
मैं:"क्या तुमने आज तक किसी लड़की को न्यूड नही देखा?"
आआरिफ:"हां,किसी को नही देखा"
मैं:"कोई बात नही, शादी के बाद देख लेना"
आरिफ़:"एक और बात पूछनी है"
मैं:"हां पूछो"
आरिफ़:"क्या अभी भी तुम मास्टरबेट करती हो"
मैं:"हां क्यूँ नही, आज सुबह ही किया मैने, क्यूँ"
आरिफ़:"नही वो आज बाथरूम से आवाज़ आ रही थी"
मैं:"तो तुम बाथरूम से कान लगाए थे, क्यूँ नॉटी बॉय"
आरिफ़:"नही ऐसा नही है, मैं बाहर ब्रश कर रहा था तो मुझे तुम्हारी आवाज़ आई"
मैं:"क्या करूँ अब कंट्रोल नही हुआ था, इसलिए कर लिया, क्यूँ तुम नही करते क्या"
आरिफ़:"कभी कभी"
मैं:"कल रात को तो पक्का किया होगा, इतनी न्यूड मॉडेल्स को देख कर"
आरिफ़:"हां कल तो कयि बार किया"
मैं:"अच्छा तो तुमको एक औरत मे क्या अच्छा लगता है"
आआरिफ:"सभी कुछ लेकिन बड़ी बड़े बूब्स और बटक्स ज़्यादा अच्छे लगते हैं"
मैं:"हां इनायत को भी यही अच्छा लगता है"
आरिफ़:"तुम्हारे हैं भी काफ़ी बड़े"
मैं:"ह्म्म्म........ मेरे बूब्स और बटक्स कब देखे?"
आरिफ़:"नही देखे नही लेकिन अंदाज़ा लगाया"
मैं:"अंदाज़ा ग़लत भी तो हो सकता है"
आरिफ़:"हां हो सकता है"