Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है - Page 5 - SexBaba
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Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है

रात को जब मैं बिस्तर पर लेटी तो मुझे कोई अफ़सोस नही था,इनायत के साथ मैने कई बार आरिफ़ का रोल प्ले वाला सेक्स किया था. मैं मन ही मन सोच रही थी कि शायद मैं आरिफ़ को सिड्यूस कर सकती हूँ.
अगली सुबह आरिफ़ मुझसे नज़र नही मिला रहा था. मेरी अम्मा ने मुझसे आरिफ़ के बारे मे पूछा तो मैने कहा कि आरिफ़ को मैं समझ रही हूँ, मेरी अम्मा और बाबा मेरी खाला के ससुराल जाना चाहते थे किसी शादी की अटेंड करने के लिए. उन्होने मुझसे भी आने को कहा लेकिन मैने इनकार कर दिया. फिर उन्होने आरिफ़ से कहा कि वो आज काम पर ना जाए और मेरे साथ मे रहे. मुझे लगा कि शायद इस दिन का मुझे अच्छा यूज़ करना चाहिए. मैं अम्मा और बाबा के जाने के बाद नहाने चली गयी और एक नाइटी पहेन कर बाहर आई. ये नाइटी थोड़ी ट्रॅन्स्परेंट थी, इसमे मेरा ब्रा और पैंटी सॉफ नज़र आती थी. आरिफ़ नाश्ता कर रहा था. मैं भी किचन से अपने लिए ब्रेक फास्ट ले आई.

मैं:"अफ ये आज इतनी गर्मी है वो भी सुबह सुबह इसलिए मैने थोड़ा रिलेक्स होने के लिए ये नाइटी पहेन ली"
आरिफ़ ने एक नज़र मेरी नाइटी पर डाली और वो फिर बिना कुछ कहे ब्रेकफास्ट करने लगा. जब वो ब्रेक फास्ट कर चुका तो मैं भी खा चुकी थी और फिर मैं सब बर्तन धोने किचन मे चली गयी. मैने जान बूझ कर अपनी नाइटी भिगो ली थी ताकि मेरी ब्रा सॉफ सॉफ नज़र आ सके, मुझे थोड़े परवरटेड सा महसूस हो रहा था लेकिन ना जाने क्यूँ मैं कंट्रोल खो बैठी थी. जब मैं किचिन से आई तो आरिफ़ टीवी देख रहा था, मैं उसके सामने ही सोफे पर बैठ गयी और उसको सिड्यूस करने का प्लान बनाने लगी.

मैं:"आआरिफ तुमने वो बुक पढ़ी"
आरिफ़:"हां"
मैं:"तो तुम्हारी कुछ ग़लत फहमी दूर हुई"
आरिफ़:"हां, थॅंक्स"
मैं:"अर्रे थॅंक्स किस बात का, तुम जब चाहो मुझसे हेल्प ले सकते हो"
ये कह कर मैने अपनी टाँगो को थोड़ा सा खोला ताकि वो मेरी थाइस को देख सके, उसकी नज़ारे मेरी थाइस पर ही थीं. वो छुप छुप कर देख रहा था और मैं भी उससे आइ कॉंटॅक्ट नही कर रही थी ताकि उसको मौका मिले मुझे देखने का

आरिफ़:"मैं कुछ पूछना चाहता था"
मैं:"हां पूछो बेजीझक"
आरिफ़:"ये ओरल सेक्स क्या होता है"
मैं:"ओरल सेक्स का मल्तब है कि औरत आदमी का पेनिस मूह मे लेकर उसको एजॅक्यूलेट करवाए या मर्द औरत की वेजाइना को चाट कर उसको फारिघ् करे, इनायत और मैं अक्सर ऐसा करते हैं"
आरिफ़:"अच्छा, तो तुम लोगो को ये गंदा नही लगता"
मैं:"तुमने किसी लड़की से साथ सेक्स नही किया ना इसलिए तुम्हे अंदाज़ा नही है कि सेक्स के टाइम पर कुछ गंदा नही लगता, और वैसे भी हम लोग अपने प्राइवेट पार्ट्स सॉफ रखते हैं, मेरी वेजाइना पर एक भी बाल नही रहता और मैं इसको हमेशा सॉफ रखती हूँ"

आरिफ़:"अच्छा"
मैं:"और कोई सवाल"
आरिफ़:"मैने पढ़ा है कि औरत को एजॅक्यूलेट होने मे टाइम लगता है और आदमी जल्दी एजॅक्यूलेट कर देता है"
मैं:"हां, इसलिए औरत को धीरे धीरे सिड्यूस करना चाहिए "
आरिफ़:"मतलब"
मैं:"पहले उसका मूड ठीक किया जाए, माहौल को रोमॅंटिक बनाया जाए, उसका किस किया जाए, फिर धीरे धीरे उसके बूब्स को या क्लाइटॉरिस को टिकल किया जाए या उसकी नेवेल पर किस किया जाए"
आरीरफ़:"ये कैसे पता लगेगा कि औरत को क्या अच्छा लगता है"
मैं:"ये तो हर औरत का अलग अलग मूड होता है, जैसे मुझे ये अच्छा लगता है कि पहले मेरी क्लाइटॉरिस को टिकल किया जाए"
आरिफ़:"क्लाइटॉरिस"
मैं:"उफ्फ यार, वेजाइना के टॉप पर एक बीन शेप्ड सी होती है, यहाँ पर ज़्यादा तर औरतो को मॅक्सिमॅम सेन्सेशन होती है"

ये बात मैने अपनी नाइटी को हटा कर, अपनी पैंटी के ऊपर से इशारा कर के उसको दिखाई, अब मैं उसकी आँखो मे नशा सा देख सकती थी, वो सिड्यूस हो चुका था उसकी आवाज़ जैसे उसके गले मे अटक रही थी.

आरिफ़:"मुझे कैसे मालूम हो, मैने किसी की देखी थोड़े ही है"
मैं:"अच्छा बाबा लेकिन साइन्स मे तो पढ़ा ही होगा ना"
आरिफ़:"कौन ध्यान देता है इतना"
मैं:"अच्छा जो मैने मॅगज़ीन दी थी उसमे तो हैं ना काफ़ी पिक्चर्स"
आरिफ:"लेकिन उसमे लेबल कहाँ किया है"
मैं:"अच्छा तुम लेकर तो आओ मैं दिखाती हूँ तुमको"

वो झट से वही मॅगिज़्न्स ले आया. मैने इसमे हर पिक्चर को देखा लेकिन कहीं पर भी वेजाइना का क्लोज़ अप नही था. एक पिक्चर मे पूरी न्यूड मॉडेल थी लेकिन इसमे इतना क्लियर दिखता नही था फिर भी मैने उसको पास बुला कर दिखाया

मैं:"ये देखो, ये जो इसकी वेजाइना है ना, इसके टॉप पर ध्यान से देखो तुमको नज़र आएगी"
आरिफ़:"हां थोड़ी सी नज़र आती है, इन अँग्रेज़ लड़कियो की वेजाइना इतनी लाल होती है, इंडियन्स लड़कियो की भी ऐसी ही होती है क्या"
मैं:"सबकी तो मैं नही कह सकती लेकिन मेरी लो पिंक है"
आरिफ़:"अच्छा"
मैं:"क्या तुमने आज तक किसी लड़की को न्यूड नही देखा?"
आआरिफ:"हां,किसी को नही देखा"
मैं:"कोई बात नही, शादी के बाद देख लेना"
आरिफ़:"एक और बात पूछनी है"
मैं:"हां पूछो"
आरिफ़:"क्या अभी भी तुम मास्टरबेट करती हो"
मैं:"हां क्यूँ नही, आज सुबह ही किया मैने, क्यूँ"
आरिफ़:"नही वो आज बाथरूम से आवाज़ आ रही थी"
मैं:"तो तुम बाथरूम से कान लगाए थे, क्यूँ नॉटी बॉय"
आरिफ़:"नही ऐसा नही है, मैं बाहर ब्रश कर रहा था तो मुझे तुम्हारी आवाज़ आई"
मैं:"क्या करूँ अब कंट्रोल नही हुआ था, इसलिए कर लिया, क्यूँ तुम नही करते क्या"
आरिफ़:"कभी कभी"
मैं:"कल रात को तो पक्का किया होगा, इतनी न्यूड मॉडेल्स को देख कर"
आरिफ़:"हां कल तो कयि बार किया"
मैं:"अच्छा तो तुमको एक औरत मे क्या अच्छा लगता है"
आआरिफ:"सभी कुछ लेकिन बड़ी बड़े बूब्स और बटक्स ज़्यादा अच्छे लगते हैं"
मैं:"हां इनायत को भी यही अच्छा लगता है"
आरिफ़:"तुम्हारे हैं भी काफ़ी बड़े"
मैं:"ह्म्‍म्म........ मेरे बूब्स और बटक्स कब देखे?"
आरिफ़:"नही देखे नही लेकिन अंदाज़ा लगाया"
मैं:"अंदाज़ा ग़लत भी तो हो सकता है"
आरिफ़:"हां हो सकता है"
 
मैं आरिफ़ की टाँगो के बीच मे देखा तो उसका खड़ा हुआ लंड नज़र आ रहा था, मैने उसकी तरफ पॉइंट किया तो वो शर्मा गया और छुपाने लगा, मुझे हसी आ गयी और मैं कहकहा लगा कर हंस पड़ी.

मैं:"उफ्फ अब तुम्हे फिर मास्टरबेट करना पड़ेगा"
आरिफ़:"ये बुरा है हम मर्दो के साथ में कि हमारा एग्ज़ाइट्मेंट नज़र आ ही जाता है"
मैं:"क्यूँ औरतो का नज़र नही आता क्या"
आरिफ़:"औरतो का कैसे नज़र आता है"
मैं:"उनकी वेजाइना गीली हो जाती है और उनके निपल कड़क हो जाते हैं"
आरिफ़:"लेकिन ये सब तो कपड़ो के नीचे होते हैं ना, लेकिन तुम्हारे निपल्स भी कड़क नज़र आ रहे हैं"

मैं अपने ब्रा की तरफ देखा तो सच मे मेरे निपल्स नज़र आ रहे थे

मैं:"क्या नज़र है तुम्हारी, लगता है कि मुझे भी अब मास्टरबेट करना पड़ेगा, तुम्हारी तरहा"
आरिफ़:"तुमको कितना टाइम लगता है मास्टरबेट करने मे"
मैं:"डिपेंड करता है, इमॅजिन करके मास्टरबेट करने मे टाइम लगता है लेकिन कोई पॉर्न मॅगज़ीन पढ़ कर या वीडियो देख कर करने मे कम टाइम लगता है"
आरिफ़:"तो ये लो पहले तुम ये मॅगज़ीन देख कर लो बाद में मैं भी कर लूँगा"
मैं:"क्यूँ कोई पॉर्न वीडियो नही है तुम्हारे पास, तुम्हारे मोबाइल में"
आरिफ़:"नही "
मैं:"अच्छा लाइव देखना चाहोगे क्या"
आरिफ़:"वो कैसे"
मैं:"तुम मुझे लाइव दिखाओ और मैं तुम्हे"
आरिफ़:"क्या कह रही हो, ये कैसे हो सकता है"
मैं:"आरे भाई हम दोनो अडल्ट्स हैं क्यूँ नही हो सकता"
आरिफ़:"लेकिन भाई बहेन भी तो हैं"
मैं:"अच्छा ठीक है अगर तुम कंफर्टबल नही हो तो जाने दो"
आरिफ़:"क्या तुम कंफर्टबल हो मेरे सामने"
मैं:"तुम कब से मुझे देख ही तो रहे हो"
आरिफ़:"वो तो कंट्रोल नही हुआ"
मैं:"तो ठीक है देख लो मुझे"

ये कह कर मैने अपनी नाइटी उतार दी और उसकी तरफ देखने लगी. वो एकदम से भौचक्का रह गया और मुझे घूर कर देखने लगा. मैने उसको चिडाने के लिए आँख मार दी तो वो जैसे होश मे आया. उसकी सूरत देख कर मुझे काफ़ी मज़ा आया. मैं खिल खिला कर हंस पड़ी.

मैं:"अभी कुछ देखा नही हो ये हाल है, जब देख लोगे तो पता नही क्या करोगे, अच्छा तुम भी तो कुछ दिखाओ, चलो सीधे सीधे मुझे अपने पेनिस दिखाओ.

आरिफ़:"नही मुझे शरम आती है"
मैं:"ये ठीक है, मुझे देखने में नही आती लेकिन अपना दिखाने मे शर्म आ रही है"
आरिफ़ ने अब अपनी टी शर्ट और पाजामा उतार दिया था अब वो सिर्फ़ अंडरवेर पहने था.

मैं:"गुड अच्छा एरेक्षन है"

ये कहकर मैने अपनी ब्रा उतार दी, मेरे नंगे बूब्स को देख कर जैसे वो पागल ही हो गया, उसका मूह सूख गया था जैसे और वो मेरे गोरे गोरे बड़े बड़े बूब्स को देख कर एकदम से पत्थर की मूरत सा बन गया था. मैं जब आवाज़ दी तो वो होश मे आया. मैं उसके एकदम पास मे खड़ी हो गयी.

मैं:"होश उड़ गये क्या हाहहहाहाहा"

आरिफ़:"तुम कितनी खूबसूरत हो,उफ्फ ये कितने हसीन हैं"

मैं:"अच्छा हसीन नज़ारा तुमने देखा ही कहाँ है"
ये कहकर मैने झट से अपनी पैंटी भी उतार दी, अब मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी वो भी अपने सगे भाई के सामने. उसकी नज़रे अब मेरी चूत पर थी, वो एक दम सन्न सा पड़ गया था और उसकी साँसें उपर नीचे हो रही थी. मैने अपने हाथो से उसका अंडरवेर नीचे खिसका दिया. उसके लंड का साइज़ देख कर मैं दंग रह गयी, ये शौकत से लंबा और इनायत से भी चौड़ा था.
 
मैं:"उफ्फ आरिफ़ ये क्या है, इसको लंड कैसे कहा जा सकता है, ये तो किसी गधे के लंड जैसा है, इसको पा कर तो तुम्हारी बीवी की किस्मत ही बदल जाएगी"
आरिफ़:"तुम कितनी हसीन हो, क्या मैं तुमको छू सकता हूँ"
मैं:"छू क्या तुम चाहो तो मुझे चोद भी सकते हो"
आरिफ़:"किसने सिखाए तुमको ये सब लफ्ज़"
मैं:"ये सब जाने दो, पहले मेरे निपल्स चूसो"

आरिफ़ ने पहले मेरे बूब्स को खूब दबाया और फिर मेरे निपल्स को चूसने लगा ,मुझे ऐसा लगा कि मुझे जन्नत मिल गयी.
मैं:"उफफफ्फ़ हाआआआआआआआअ, सोइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई, आरिफ़ और चूसो, ना जाने कब से मैं तुम्हारे लिए बैठी हूँ हााआययययययययययी उफफफफफफफफफ्फ़ मर गयी मैं उफफफफफ्फ़"

वो पागलो की तरहा मेरे बूब्स चूस रहा था और मैं उसका लंबा लंड हिला रही थी वो मेरे हाथ लगते ही झाड़ गया.

आरिफ़:"देखा मैं इतना जल्दी झाड़ गया"
मैं:"घबराओ नही यार, तुम्हारे सामने पहली बार कोई नंगी लड़की थी इसलिए तुम झाड़ गये, ज़रा चेर पर बैठो, अभी तुमको फिर सख़्त करती हूँ"

जैसे ही वो चेर पर बैठा मैने उसका लंड मूह मे ले लिया और कुछ देर में उसका लंड फिर सख़्त हो गया, अब मैं लगातार उसका चूसे जा रही थी और वो अहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़
की आवाज़ निकाल रहा था, वो मेरे बाल सहला रहा था, इस बार काफ़ी देरी मे वो झाड़ा, मैने उसके पानी की आखरी बूँद भी निगल ली. अब मैं और वो खड़े होकर एक दूसरे को किस कर रहे थे. अब मैं सोफे पर बैठ गयी और उसको अपनी चूत चाटने का इशारा किया वो बिना देर के मेरी टाँगो के बीच मे आ गया. मैने अपने पैर उसके खंधे पर रख दिए. वो एक भूके शेर की तरहा मेरी चूत चाट रहा था. अपने ही घर मे अपनी सगे भाई के आगे मैं अपनी टांगे फैला कर उससे अपनी चूत चटवा रही थी. मैं अब मज़े की सारी हद पार कर चुकी थी. आज काफ़ी दिनो बाद मुझे बेन्तेहा मज़ा आया. मैने झड़ने के बाद उसके सर को कस कर काफ़ी देर तक पकड़े रखा.
अब वो मेरे बगल मे बैठ कर मुझे अपनी बाहो मे जकड़े था.

कुछ देर इसी तरहा बैठने के बाद मैने उसको कहा कि वो मुझे चोदे.उसने पूछा कि कहीं मैं प्रेग्नेंट ना हो जाउ, लेकिन मैने उसको कहा कि मैं पिल्स पर हूँ.

मैं उसको बरामदे से अंदर कमरे मे ले आई थी.

मैं:"आरिफ़ आज तुम मेरी चूत मार कर अपनी सुहागरात की प्रेक्टिस करो"
आरिफ़:"मुझे यकीन नही होता कि मैं आज तुम्हारी चूत मार सकता हूँ"
मैं:"मेरे भाई,चोदो मुझे आज जी भर के"

मैं अब बिस्तर पर पीठ के बल लेटी थी और अपनी टाँगें फैला कर मैने उसको वेलकम किया. आरिफ़ का ये फर्स्ट टाइम था लेकिन जैसी ही उसने अपना लंड मेरी चूत से टच किया तो जैसे मेरे पूरे बदन मे आग लग गयी, उसके लंड की विड्त से ही मुझे अंदाज़ा हो गया कि मैं आज हो सकता है बर्दाश्त ना कर पाऊ.
आरिफ़ ने मेरी नज़रो मे देखा और इशारा पाकर एक झटके मे अंदर डाल दिया मेरी मूह से चीख निकल पड़ी.

मैं:"हाअयययययययययययययी मैं मर गाइिईईई उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह"

मेरी चीख सुनते ही आरिफ़ मे अपना लंड निकाल लिया और मेरी तरफ देखने लगा.

मैं:"निकाला क्यूना उफ़फ्फ़ धीरे से डालो धीरे धीरे तुम तो जान ही ले लोगे, वो तो मैं दो आदमियो का लंड अपनी चूत मे ले चुकी हूँ इसलिए मैं बर्दाश्त कर गयी"
आरिफ़:"दो आदमियो का लंड"
मैं:"अर्रे मेरा मतलब है, एक एक करके, पहले शौकत ने चोदा और फिर इनायत ने. लेकिन तुम्हारा लंड तो सबसे चौड़ा और लंबा है, इसलिए मेरे भाई धीरे धीरे चोदो अपनी बहना को"
आरिफ़:"ठीक है दर्द हो तो कह देना"
मैं:"साले चूतिए, इसी दर्द के लिए तो औरत तरसती है और तू कहता है कि बता देना, बहेन्चोद साला हहाहहाहा"

मेरे मूह से गालिया सुन कर आरिफ़ को थोड़ा बुरा लगा लेकिन मैने सिचुटेशन संभाल ली.

मैं:"यार तू बात ही ऐसी कहता है, अब तू भी ये शराफ़त ले लिबास उतार दे और मुझे मेरे ही अंदाज़ मे बात का जवाब दे, समझा"

आरिफ़:"हां साली कुतिया ये ले मेरा लॉडा अपनी चूत मे"
मैं:"हाअ, उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सीईईईईईईईईईईईईईईईईईई अहह ऐसे ही कर धीरे धीरे"
आरिफ़:"देख तुझे चोद चोद कर कैसे मैं तेरी चूत फाड़ देता हूँ"
मैं:"हां चोद ले बेटा, इसी बहाने कम से कम तुझमे कॉन्फिडेन्स तो आ गया, वरना साला शादी के नाम से भाग रहा था, मदर्चोद"
आरिफ़:"और तू भी तो साली बाथरूम में उंगली कर के मुझे उकसा रही थी, कुतिया आज अपने भाई के भी केला खा ले साली रंडी"
मैं:"ह्म्‍म्म साले चोद आज जी भर के और बना ले मुझे अपनी रखैल, साला मायके मे भी तो लंड की फेसिलिटी मिलनी चाहिए हाहाहाहहहः"

कुछ देर बाद आरिफ़ झाड़ गया था और हान्फते हुए मुझ पर गिर गया मैने भी उसको अपनी बाहों मे लपेट लिया.

मैं:"क्यूँ बेटा आरिफ़, अब तो काफ़ी देर मे झड़े, क्यूँ आ गया ना कॉन्फिडेन्स शादी का"
आरिफ़:"हां थॅंक्स, अगर तुम्हारी चूत ना मिलती तो कॉन्फिडेन्स कभी ना आता"
मैं:"तो कर लो शादी अब किस चीज़ की टेन्षन है"
आरिफ़:"लेकिन तुम्हारे जैसे बीवी कहाँ मिलेगी"
मैं:"मेरी जेठानी है ना तबस्सुम, उसकी सग़ी बहेन है, एक दम पटाखा है वो, तुमने देखा नही है उसको"
आरिफ़:"तुमको कैसे पता"
मैं:"तबस्सुम को नहाते हुए देखा है और उसकी सग़ी बहेन हू बहू उसकी फोटो कॉपी है"
आरिफ़:"तो बात चलाओ ना मेरी भी"
मैं:"ठीक है, अच्छा अब एक काम करो, मुझे डॉगी स्टाइल मे चोदो"
आरिफ़:"ठीक है तो पलट जाओ ज़रा"

हम शाम तक कई बार यही खेल खेलते रहे अब फिर जब अम्मा और बाबा लौट कर आए तो शाम को मैने अम्मा से कह दिया कि आरिफ़ शादी के लिए राज़ी है. घर मे ख़ुसी की लहेर दौड़ गयी लेकिन किसी को ये मालूम ना था कि इसके लिए मैने अपनी टाँगें अपने सगे भाई के आगे खोली हैं.
 
अगली सुबह इनायत का फोन आया. उस वक़्त मैं ब्रेकफास्ट कर रही थी. मैने सोचा कि यहाँ अम्मा के सामने ये सब बातें करना ठीक नही होगा इसलिए मैं छत पर चली आई.
इनायत:"कैसी हो मेरी जान"
मैं:"जान तो तुम्हारी वो ताबू है, मैं तो बस तुम्हारा मकसद पूरा करने के लिए एक ज़रिया थी इनायत"
इनायत:"अच्छा, तो ये बात है, इसलिए मेडम इतने दिनो से नाराज़ सी लग रही थीं"
मैं:"इनायत ये कोई छोटी बात नही है, तुम मुझे क्या बेवकूफ़ समझते हो, तुमसे अच्छा तो तुम्हारा भाई शौकत है जो कुछ है वो सामने है, लेकिन तुमने तो मेरी पीठ मे छुरा भोंका है"
इनायत:"मैं जानता हूँ कि मेरा तुमसे ये बात छिपाना बहोत ग़लत था लेकिन क्या करूँ मेरी जान ये बात मेरे दिमाग़ से बिल्कुल ही निकल गयी थी"
मैं:"झूट एकदम झूट"
इनायत:"मैं सच कहता हूँ, तुम्हारे प्यार ने मुझे ये बिल्कुल भुला दिया था कि मैं किसी और लड़की से कभी क़ुरबत रखता था"
मैं:"तुम सब मर्द एक से हो, तुमको सिर्फ़ औरत की टाँगो के दरमियाँ वाली चीज़ से मोहब्बत होती है बस"
इनायत:"मेरी मोहब्बत को गाली ना दो"
मैं:"गाली तो तुमने दी है मेरे भरोसे और उम्मीदो को"
इनायत:"तुम घर पर आ जाओ, मिलकर बात करेंगे, फोन पर इस तरहा बात करना ठीक ना होगा"
मैं:"मेरा जी नही है घर आने को"
इनायत:"तो ठीक है जब जी चाहे आ जाओ, मैं इंतेज़ार कर रहा हूँ"
मैं:"ठीक है, चलो बाइ"

ये कहकर मैने फोन काट दिया. अभी मैं नीचे ही जा रही थी कि फिर फोन आया लेकिन इस बार शौकत का था. मैने फोन रिसीव किया.

शौकत:"हेलो आरा"
मैं:"हां बोलिए"
शौकत:"देखो बुरा मत मांन_ना, मैं अभी इनायत के साथ मे ही हूँ और मैने तुम दोनो की सारी बात सुन ली है"
मैं:"अच्छा तो मिया बीवी की बात को सबके सामने ज़ाहिर करने मे इनायत साहब की शर्म नही आई"
शौकत:"आरा अब हम लोगो में शर्म कैसी, तुम और हमसब दोस्त हैं और दोस्तो में क्या छिपता है"
मैं:"देखो शौकत मुझे अभी भी इनायत से ही मोहब्बत है और अभी भी मुझसे थोड़ी प्राइवसी चाहिए, तुम सब लोगो को हमारी प्रोवसी की रेस्पेक्ट करनी ही होगी वरना इन सब चीज़ो को मैं खुद ही ख़तम कर दूँगी"
शौकत:"देखो मैं जानता हूँ, लेकिन इनायत बिल्कुल बेक़ुसूर है, वो तो चाहता था कि ताबू कभी इस घर की बहू ही ना बने लेकिन बार बार ताबू के इसरार करने पर वो खामोश हो गया"
मैं:"बात इतनी सीधी नहीं है, बात है भरोसे की और इनायत ने मेरा भरोसा तोड़ दिया है"
शौकत:"देखो आरा बात को समझो, ये बात मुझे भी तकलीफ़ दे रही थी कि मुझे अंजान रखा गया लेकिन सच तो ये है कि ताबू एंजाय्मेंट के लिए चाहे इनायत से साथ कुछ पल बिता रही हो लेकिन अभी भी वो सिर्फ़ मुझसे ही प्यार करती है और तुम भी इनायत से ही प्यार करती हो"
मैं:"मैं फिलहाल इस टॉपिक पर कोई बात नही करना चाहती , मैं बाद मे बात करूँगी अच्छा बाइ"

ये कहकर मैं नीचे आ गयी. दो पहर को आरिफ़ का फोन आया उसने मुझसे कहा कि वो आज लंच पर घर नही आ पाएगा तो मैं उसका लंच ले कर शॉप पा आ जाउ. मैने अम्मा से कहा तो अम्मा ने वापिस आरिफ़ को फोन किया और उससे घर आने को कहा. अम्मा ने कहा कि वो खाला के यहाँ जा रही है इसलिए घर पर कोई होना चाहिए. आरिफ़ कुछ देर बाद घर पर आ चुका था. अम्मा खाला के यहाँ निकल गयी. मैं आरिफ़ के लिए खाना निकालने किचन में गयी ही थी कि आरिफ़ किचन मे आ गया और उसने पीछे से मेरे चुतडो पर अपना खड़ा हुआ लंड टिका दिया, मैने चौंक कर पीछे देखा तो वो मुस्कुरा रहा था.

मैं:"अच्छा जनाब को इतना कॉन्फिडेन्स आ गया है कि अब उनका खड़ा ही रहता है"
आरिफ़:"हां मेरी प्यारी बहना आपकी चूत ने इसको ऐसा जाम पिलाया है कि ये अब खड़ा ही रहता है"
मैं:"तो तुम आज लंच के लिए घर क्यूँ नही आ रहे थे?"
आआरिफ:"यहाँ मैं तुम्हे कैसे चोद सकता हूँ"

अब मैं आरिफ़ के लिए खाना निकाल चुकी थी और मैने उससे कहा कि वो खाना खा ले लेकिन उसने कहा कि वो एक बार मुझे चोदना चाहता है.

मैं:"उफ्फ आरिफ़ अभी नही, मुझे बहोत ज़ोर से पेसाब लगी है, खाना भी ठंडा हो जाएगा"

इतना सुनते ही आरिफ़ ने मेरी सलवार का नारा पकड़ कर खींच दिया और मेरी सलवार झट से नीचे गिर गयी. मैं हैरान थी उसकी ये हरकत देख कर, फिर उसने मुझे गोद मे उठाया और एक हाथ से मेरी सलवार उतार दी. अब मैं सिर्फ़ झम्पर मे थी. वो मुझे आँगन मे ले आया है, हॅंड पंप के पास लाकर मुझे बिठा दिया और मुझे वहीं पेशाब करने को कहा. वो अब मेरी चूत को ध्यान से देख रहा था, मैने जैसे ही मूतना शुरू किया उसने अपने चेहरा मेरी चूत के सामने रख दिया जिससे पेशाब की बूँदें उसके चेहरे से टकरा कर वापस मेरी ओर आने लगी. मुझे इस बात का बिकुल अंदाज़ा ना था लेकिन मुझे उसके चेहरे पर पेशाब करना बड़ा अच्छा लग रहा था. बीच बीच में वो अपना मूह खोल कर मेरे पेशाब के कतरे पी भी रहा था. जब मैं पेशाब कर चुकी तो वो मुझे फिर बरामदे मे पड़ी चारपाई पर बिठा दिया और मेरे लिप्स को किस करना लगा. मैं अब अपने पेशाब के कतरो का ज़ायक़ा ले रही थी.इसमे बड़ा मज़ा आ रहा था. आरिफ़ ने मेरा टॉप भी उतार दिया था. मैने ब्रा नही पहनी थी जिसकी वजह से मेरा सीना अब सामने आ गया था, वो कुछ देर तक मेरे सीने को ही चूस्ता रहा, अब मैं भी जोश में आ गयी थी.
मैं अब दीवार की तरफ मूह करके झुक गयी और आरिफ़ को पीछे से आकर मुझे चोदने का इशारा किया लेकिन आरिफ़ के कुछ और ही प्लान थे. वो सोफे पर बैठ गया और मुझसे इशारा किया कि मैं उसकी गोद मे उसकी तरफ पीठ करके बैठू ताकि वो मुझे चोद सके. मैने ऐसा ही किया अब मैं उसकी गोद मे बैठी ही थी और एक दो बार ही उपर नीचे गयी थी कि फोन की रिंग बजी जिससे आरिफ़ घबरा सा गया मैने उसको फोन उठाने को कहा. वो फोन लेकर आया ये इनायत का फोन था. मैने आँखो से आरिफ़ को इशारा किया कि वो सोफे पर बैठ जाए. वो बैठ गया और मैं फिर से उसके लंड पर बैठ गयी. वो हिल नही रहा था तो मैने फिर उसको इशारा किया कि वो मुझे चोदना शुरू करे. वो कन्फ्यूज़ लग रहा था लेकिन उसने मुझे नीचे से चोदना शुरू कर दिया. जैसे ही मैने फोन रिसीव किया तो आरिफ़ एक बार फिर रुक गया, इस बार मैं बोल ही पड़ी.

मैं:"आरिफ़ तुम रुक क्यूँ गये, करते रहो" ये कहकर मैने फोन को स्पीकर पर डाल दिया
इनायत:"हेलो ठीक हो, क्या कर रही हो"
मैं:"कुछ नही, आरिफ़ के साथ काम कर रही थी और कुछ नही, अच्छा सुनो तुम्हे मालूम है ना वो ताबू की छोटी बहेन शबनम"
इनायत:"हां क्यूँ"
मैं:"वो उम्म्म्म मैं चा ,,आहह रही,.... थी कि उसकी शादी उफफफफफफफफफफफफ्फ़ मेरे भा भा भाई से हो जाए"
इनायत:"तो ठीक हैं मैं कह दूँगा ताबू से कि तुम्हारे घर वाले आरिफ़ का रिश्ता ले कर आना चाहते हैं उसके घर"
मैं:"उम्म्म्मम हां अयाया...."
इनायत:"बड़ी हाँफ रही हो सच बताओ क्या हो रहा है वहाँ पर"
मैं:"आरिफ़ के लंड पर बैठी हूँ, इसलिए ऐसी आवाज़ आ रही है"

मैने जैसे ही ऐसा कहा तो आरिफ़ की गांद फॅट गयी और इनायत ज़ोर से बोल पड़ा.

इनायत:"क्या, क्या कह रही हो तुम"
मैं:"हां मेरी जान हाहहहा, तुम्हारे साथ मैने कितनी बार आरिफ़ को सोचकर चुदवाया था, तो मैने सोचा क्यूँ ना सच मे चुदवा लूँ, वो शादी करना नही चाहता था, उसको लगता था कि वो नामार्द है लेकिन मैने उसको थोड़ी ट्रैनिंग देने के लिए उससे चुदवा लिया, समझे"
इनायत:"क्या तुम सच कर रही हो,?"
मैं:"यकीन नही आता तो तुम्हारे सामने उसका लंड अपनी चूत मे ले लूँगी"
इनायत:"मुझे अब भी यकीन नही है"

मैं कुछ और कहना चाहती थी कि आरिफ़ ने फोन मुझसे छीन कर कट कर दिया और मुझपर उबल पड़ा.

आरिफ़:"क्या तुम्हारा दिमाग़ खराब है"
मैं:"आरिफ़ , इनायत और मैं इस बारे मे कई बार डिसकस कर चुके हैं, मैने उससे कई बार कहा है कि मैं अपने भाई से सेक्स करना चाहती हूँ और उसको इस बात से कोई एतराज़ नही है"
आरिफ़:"क्या, ऐसा कैसे हो सकता है"
मैं:"इनायत मुझसे प्यार करता है, सिर्फ़ मेरे जिस्म से नही, उसने मुझे पूरी आज़ादी दे रखी है "
आरिफ़:"मुझे यकीन नही होता"
मैं:"अच्छा जो काम बीच मे छोड़ा है उसको पूरा करो , अम्मा आती ही होंगी"

उस दोपहर को मैं झाड़ ही पाई थी कि डोर बेल बज गयी. मैने झट से कपड़े पहने और आरिफ़ को दरवाज़ा खोलने को कहा.
 
आरिफ़ के साथ मेरा ये सिलसिला लगातार चलता रहा और आख़िर कार एक दिन अचानक इनायत मुझे लेने मेरे घर आ धमका. आरिफ़ ने उससे आँख चुराई और इसकी वजह शायद आप जानते हैं. मैं आख़िर कार वापस अपने ससुराल आ चुकी थी. आए हुए अभी मुझे दो ही दिन ही थे कि रात के खाने के बाद मेरी सास ने मुझे अपने पास बुलाया. इस वक़्त मेरी ननद साना भी वहाँ पर मौजूद थी.
मेरी सास अब पहले की तरहा तल्ख़ नही बल्कि काफ़ी नर्म पड़ चुकी थी शायद इस की वजह शौकत का खुश रहना था. कोई मा भला कैसे खुश रह सकती है अगर उसकी औलाद दुखी हो और ये सुख दुख हर मा और औलाद के बीच मे होता है चाहे इंसान हो या जानवर. मैं चुप चाप आकर उनके तख्त पर बैठ गयी. वो हमेशा इस बरामदे मे पड़े हुए तख्त पर बैठा करती थीं. ये घर पुराने तौर से बना हुया था इसमे कोई कमरा डाइनिंग के लिए नहीं था बल्कि किचन के नज़दीक पड़े बरामदे में ही एक बड़ा सा पुराना टेबल था जिसमे करीब 20 कुर्सिया आ सकती थीं और इस टेबल के पास ही उनका ये तख्त था. वो अक्सर खाना खाने के बाद पान खाया करती और कभी कभी वो बिना तंबाखू का पान मुझे भी दे दिया करती. ये शायद उनका मोहब्बत जतलाने का तरीका था. साना तो बिना पूछे ही पान लगा लिया करती थी खैर वो उनकी बेटी थी, बेटियो के लिए मा और बाप के क़ानून अलग होते हैं और बहू के लिए अलग. उन्होने इस मर्तबे भी मेरे लिए पान लगा कर दे दिया और मुझसे कहने लगी.

सास:"आरा अब मैं सोचती हूँ कि साना के हाथ भी पीले कर दूं, उसके लिए कई रिश्ते आते रहे हैं लेकिन ये कम्बख़्त अपनी पढ़ाई का बहाना कर दिया करती थी, अब इसकी पढ़ी पूरी हुई है और मैं चाहती हूँ कि उसके लिए कोई अच्छा सा घर तलाश करूँ"
साना:"अम्मी, ये क्या कह रही हो? मैने आप से कहा था ना कि मुझे आगे भी पढ़ना है, आप भी ना हमेशा भूल जाती हैं"
सास:"बस बस रहने दे, कितना पढ़ेगी और क्या करेगी तू आगे पढ़ कर, यही रोटी और चूल्हा तो देखना है ना आगे जाकर, बहुत हुई तेरी पढ़ाई, और मा बाप क्या तेरे सर पर सवार रहेंगे हमेशा, तेरे भाइयो का क्या भरोसा कल को हमारे मरने के बाद तुझे इस घर की नौकरानी बना ले तो?"

मुझे ये बात बड़ी बुरी लगी लेकिन मैने खामोशी ही बेहतर समझी

साना:"उफ्फ अम्मी आप ऐसी बातें क्यूँ करती हैं?"
सास:"तेरी मा हूँ इसलिए कह रही हूँ, तू नहीं जानती कि मा बाप के अलावा अपने बच्चो के बारे मे कोई इतना नहीं सोचता"
मैं:"जी सही कहा आपने"
सास:"आरा, तुम्हारी नज़र में है कोई इज़्ज़त दार घर, लड़का शरीफ, पढ़ा लिखा और खुद मुख़्तार होना चाहिए"
मैं:"जी अभी तो ज़हन में नही आ रहा लेकिन सोच कर बताउन्गि"
सास:"तुम्हारा भाई भी सुना है शादी करना चाहता है, क्यूँ?"
मैं:"मेरा भाई, जी हां वो ,,,पर, वो "
सास:"क्यूँ कोई और लड़की पसंद कर ली है तुम्हारे मा बाप ने?"
मैं:"नहीं ऐसा तो नहीं है लेकिन मुझे उनसे पूछना पड़ेगा"
सास:"तो ठीक है फोन मिला लो अभी, मैं खुद जी पूंछ लेती हूँ उन लोगो से"
मैं:"अभी तो सब सो गये होंगे, सुबह मैं ही फोन लगा दूँगी आप के लिए"
सास:"देखो मुझे तो ऐसा घर चाहिए जहाँ एक लौता लड़का हो, अच्छा इज़्ज़त वाला खानदान हो और लड़का सेहत मंद और अच्छा कमाता हो और तुम्हारे अब्बा की तो माशा अल्लाह 20 एकड़ ज़मीन भी तो है"
मैं:"हां वो तो है"
सास:"वैसे तो साना के लिए काफ़ी अच्छी जगह से रिश्ते आए लेकिन मुझे अपनी बेटी को दूर नहीं भेजना, और वो लोग मुझे कुछ लालची भी लगे, मेरी बेटी बहुत खूबसूरत है और बाकी तो तुम जानती ही हो"
मैं:"हां साना हर लिहाज़ से अच्छी है"
मेरी तरफ से अपनी तारीफ सुनकर साना के चेहरे पर ख़ुसी सी आ गयी और वो थोड़ी शरमा भी गयी. आरिफ़ मेरी तरहा लंबा और बहुत खूबसूरत था, उसकी बड़ी बड़ी आँखें और नीची नज़र अक्सर कई लड़कियो को भा जाती, लेकिन वो किसी लड़की के चक्कर मे कभी नही पड़ा. जहाँ तक मुझे मालूम है उसने किसी भी लड़की से कोई ताल्लुक नही कायम किया था.साना और उसकी जोड़ी के बारे में मैने जब सोचा तो मुझे अच्छा लगा लेकिन मुश्किल ये थी कि आरिफ़ को शबनम के बारे मे कह चुकी थी. मैने सोचा कि इनायत से इस बारे में ज़रा पूंछ लूँ इसलिए मैं सास के पास से उठकर अपने कमरे मे चली आई, इनायत अभी कोई बुक पढ़ रहा था और मुझे देखकर उसने अपनी बुक नीचे रख दी और मुझसे देखने लगा.मैं बिस्तर पर आ गयी और उससे बात करने लगी.

मैं:"सुनो, क्या हुआ तबस्सुम की बहेन के बारे में, तुमने बात की क्या?"
इनायत:"हां मेरी जान लेकिन उस की बात तय हो गयी है"
मैं:"अच्छी लड़कियो के रिश्ते तो रुकते ही नहीं हैं बिल्कुल, चलो किस्सा ख़तम"
इनायत:"क्यूँ क्या हुआ?"
मैं:"तुम्हारी मा साना के लिए आरिफ़ के बारे में बात करना चाहती थीं"
इनायत:"आरिफ़ के बारे में"
मैं:"क्यूँ, शॉक लगा क्या?"
इनायत:"नहीं वो तो सब ठीक है लेकिन मैं, वो ,,,"
मैं:"सॉफ सॉफ कहो क्या बात है"
इनायत:"सॉफ सॉफ बात शायद तुमको अच्छी ना लगे"
मैं:"कह कर तो देखो"
इनायत:"साना एक वर्जिन लड़की है और मैं चाहता हूँ कि उसका शौहर भी वर्जिन हो"
मैं:"ओह ओह सो माइ हॅज़्बेंड हॅज़ बिकम आ प्रूड हां"
इनायत:"देखो आरा हर लड़की का यही सपना होता है कि वो किसी एक से ही प्यार करे"
मैं:"तो इसका मतलब है कि सेक्स और वफ़ा एक दूसरे से रिलेटेड है और मैं किसी और की हूँ"
इनायत:"देखो मेरा मतलब ये नहीं है, मेरा सिर्फ़ इतने कहना है कि साना खुद अपना डिसिशन ले और हम किसी पर अपनी थिंकिंग को फोर्स नही कर सकते, क्या साना ये क़ुबूल कर लेगी कि उसका हज़्बेंड अपनी ही बहेन से सेक्षुयली आक्टिव है? ज़रा सोचो इस बारे में"
मैं:"और अगर वो ये सब जान कर भी आरिफ़ से राज़ी हो जाए तो"
इनायत:"तुम अब उसको मनिपुलेट मत करना वो अभी भी बच्ची है"
मैं:"इनायत मैं तुम्हारे खलयालात से कभी कभी शॉक हो जाती हूँ, तुम मेरे बारे में क्या सोचने लगे हो और साना कोई बच्ची नहीं है, मैने उससे अपने सेक्षुयल लाइफ के बारे मे डिसकस करती रहती हूँ"
इनायत:"देखो इतनी हाइपर मत हो, ज़रा आराम से सोचो कि क्या हम किसी पर अपने ख़यालात फोर्स कर सकते हैं, क्या किसी को ब्रेन वॉश करना वो भी अपने मफाद के लिए सही होगा"
मैं:"अच्छा तो जब तुमने मुझे अपने मफाद के लिए ब्रेन वॉश किया था तो वो ठीक था और आज जब तुम्हारी खुद की बहेन की बात आई तो जनाब तो राइटनेस के बारे में याद आ रहा है, थू है तुमपर इनायत, तुम भी एक मीन मर्द ही निकले आख़िर कार"
इनायत:"तुम मुझसे पहले से ही खफा हो और इस बात को उसी से जोड़ कर देख रही हो जो बिल्कुल ठीक नहीं है"
मैं:"अच्छा यार, आइ आम डन, मुझे इस बात पर और कोई डिस्कशन नहीं चाहिए, तुम्हारी बहेन इस प्लॅनेट पर कोई आख़िरी लड़की नहीं है"
 
ये कह कर मैं सोने के लिए लेट गयी, काफ़ी देर तक मैं अपने पास्ट के बारे मे सोचती रही, उन पलो के बारे में जब मैं शौकत की बीवी थी, कितनी अच्छी लाइफ थी, ये सेक्षुयल आड्वेंचर्स तो मैने कर लिए थे लेकिन कभी कभी मैं ये भी सोचती कि काश ये सब हुआ ही ना होता, कभी कभी मैं खुद को एक डर्टी चीप रोड साइड प्रॉस्टिट्यूट की तरहा फील करती. मुझे खुद पर ही गुस्सा आता और मैं सोचती कि शायद मैने काफ़ी ग़लत किया, मैने पहली बार ही इन सब के लिए मना कर सकती थी आख़िर किसी ने मुझपर ये जबरन फोर्स तो नही किया.
मैं एक ऐसी मछली की तरहा महसूस कर रही थी जो एक बहती रिवर से खूद कर एक तालाब मे आ गयी थी और जिसने उस वक़्त के थोड़े से फ़ायदे के लिए रिवर के लोंग टर्म बेनिफिट्स को छोड़ दिया था. नदी मे ख़तरा तो दिख रहा था लेकिन उसमे रवानगी थी, फ्रेशनेस थी, प्योर्टि थी लेकिन इस तालाब मे अब सिर्फ़ घुटन, सदन और डलनेस आ चुकी थी. यही सोचते सोचते सुबह हो गयी. मैने वॉल क्लॉक मे देखा तो सुबह से साथ बज चुके थे और सूरज सर चढ़ आया था. इनायत हमेशा की तरहा अपने ट्यूशन क्लासस के लिए निकल गया था. मैं उठी और बाहर फ्रेश होने चली गयी. जब फ्रेश होकर बैठी तो सास ने मुझे अपने साथ नाश्ता करने के लिए बिता लिया. हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर हम सास के तख्त पर आकर बैठ गये. बातो का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया.

सास:"बहू कल रात तुम्हारा इनायत से कोई झगड़ा हुआ क्या"
मैं:"नहीं क्यूँ?"
सास:"वो इनायत आज नाश्ता किए बगैर चला गया"
मैं:"पता नहीं, ऐसा तो वो कभी नहीं करते?"
सास:"अच्छा छोड़ो हो सकता है कि वो बाहर नाश्ता करना चाहता हो, तुम ये बताओ कि तुम बात करने वाली थी ना अपने घर पर?"
मैं:"हां वो, जी वो ,मैं ये कह रही थी कि अगर वो...."
सास:"क्या बात है आरा सॉफ सॉफ कहो मुझे अगर मगर वाली बात से नफ़रत होती है"
मैं:"जी वो ये शायद इस रिश्ते के लिए राज़ी नहीं है"

मेरा इतना कहना था कि मेरी सास के अपना माथा सिकोड लिया और पास बैठी साना का भी चेहरा मुरझा सा गया

सास:"भला क्यूँ?"
मैं:"पता नहीं शायद उन्हे आरिफ़ पसंद नहीं"
सास:"हो सकता है कि वो उस वक़्त के आरिफ़ के रवैय्ये को भूला ना हो, लेकिन तुम ये बताओ कि तुम्हारी तरफ से तो कोई वजह नहीं है ना?"
मैं:"जी बिल्कुल नहीं"
सास:"तो ठीक है, तुम अपनी अम्मा को फोन लगाओ मैं बात करना चाहती हूँ अभी"

मैने अपना फोन उठाया और अम्मा को डाइयल कर दिया. अम्मा ने फोन रिसीव कर लिया.

अम्मा:"अस्सलाम बेटी कैसी हो, इतनी सुबह सुबह फोन, सब खारीयत से तो है"
मैं:"वलेकुम सलाम अम्मा सब ठीक है, वो मेरी सास आपसे बात करने को कह रही थीं कल रात तो मैने सोचा कि रात को क्या बात करें,इसलिए सुबह ही फोन लगा दिया"
अम्मा:"अच्छा, लेकिन ऐसी क्या बात है, सब ठीक है ना?"
मैं:"हां अम्मा सब सही है, आप खुद ही बात कर लो"
अम्मा:"अच्छा लाओ बात करवाओ"
मैं:"लीजिए बात कीजिए"
सास:"अस्सलाम कैसी हैं आप, बहुत दिन हुए आप से बात किए हुए सोचा बात ही कर लूँ"
अम्मा:"वेलेकम सलाम, सब ठीक है, अच्छा किया आप ने फोन किया और बताइए घर मे सब कैसा चल रहा है"
सास:"सब ठीक है, बढ़िया है, मैं आप से मिलना चाहती हूँ, कहिए कब आउ मैं आप के घर"
अम्मा:"आप का ही घर है जब चाहे आ जायें"
सास:"अच्छा तो कल शाम को मैं और शौकत के अब्बा कल आपके घर आ जायेंगे"
अम्मा:"ठीक है, कोई ज़रूरी बात है, आरा से कोई ग़लती तो नहीं हुई"
सास:"नहीं कैसी बात कर रही हैं, वो दर असल ऐसा है कि मैं अपनी बच्ची के लिए आरिफ़ के बारे में सोच रही हूँ"
अम्मा:"ये तो बड़ी अच्छी बात है लेकिन इन सब मामलो में तो ये ही सब तय करते हैं, आप घर आ जायें, सब बैठ कर सुकून से बात करेंगे"
सास:"ठीक है, चलो फिर खुदा हाफ़िज़"
अम्मा:"अच्छा खुदा हाफ़िज़"

हम लोग फिर ऐसे ही बात करते रहे और शाम को मेरी सास मे अपना फ़ैसला इनायत को सुना दिया, वो मेरी तरफ घूर कर देखने लगा तो सास ने उसे टोकते हुए ताकीद कर दी कि ये उनकी ही ज़िद थी वरना आरा तो खुद ही मना कर रही थी. अगली शाम को मेरे घर जाने की तैयारी होने लगी. साना काफ़ी खुश थी लेकिन इनायत नही. शौकत को मैने खुद सारे हाल के बारे में बता दिया था. शुरू में तो उसको मेरे और आरिफ़ के बारे में सुनकर झटका लगा लेकिन मैने उसे ये कह कर ठंडा किया कि आरिफ़ की प्राब्लम को दूर करने के चक्कर में मैने ये कदम उठाया. खैर उसने भी फ़ैसला सास और बाकी बडो पर छोड़ दिया लेकिन उसने भी यही कहा कि पता नहीं साना कैसे रिएक्ट करेगी जब उसे मेरे और आरिफ़ के बारे में पता चेलगा. मैं भी थोड़ा नर्वस थी कि कैसे सब कुछ ठीक होगा लेकिन काफ़ी सोचने के बाद मैने ये फ़ैसला किया कि अगर ये रिश्ता तय होता है तो मैं कैसे भी करके साना को पहले ही इनायत के नीचे बिछ्वा दूँगी ताकि मामला बॅलेन्स मे आ जाए और मेरा आरिफ़ के साथ सेक्स अड्वेंचर चलता रहे.
 
मुझे ये बात खाए जा रही थी कि इनायत मेरे और आरिफ़ के रिश्ते की वजह से साना का रिस्ता आरिफ़ से नही
करवाना चाहता था.
उस रात मैने इनायत से कोई बात नही की. उसने मेरी तरफ कई बार देखा ज़रूर लेकिन पूंच्छा नही कि किस
वजह से मैं चुप हूँ. शायद वो जानता था कि असली वजह क्या है. मैने भी उसकी तरफ देखने की कोई कॉसिश
नही की. सुबह को उसने मुझसे पूंछ ही लिया

इनायत:"क्या बात है चुप चुप सी हो?"
मैं:"कुछ नही ऐसे ही"
इनायत:"देखो हम ने एक दूसरे से वादा किया था कि कुछ भी हो जाए हम एक दूसरे से हर बात जीकर करेंगे"
मैं:"मुझे तुम्हारी ये बात बुरी लगी कि आरिफ़ तुम्हारी बहेन के काबिल नहीं क्यूंकी वो वर्जिन नही है"
इनायत:"देखो आरा समझने की कोशिश करो, तुम दो अलग बातो को जोड़ रही हो जो ठीक नही है"
मैं:"नहीं, बिल्कुल नहीं, तुम्हारी बहेन का बेशक ये हक़ है कि उसका हज़्बेंड वर्जिन हो लेकिन वर्जिन ना
होना तुम्हारी निगाह मे जुर्म किस तरहा हो गया है और यही मुझे खल रहा है"
इनायत:"देखो, आइ आम वेरी सॉरी अबौट लास्ट टाइम, लेकिन ज़रा समझने की कॉसिश करो कि ये कहाँ तक सही होगा
कि मैं या कोई और ज़बरदस्ती अपने ख़याल किसी और पर थोपे."
मैं:"इनायत अब मैं कुछ नही कहना चाहती, तुम जो चाहो करो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है, ये तुम्हारी और
तुम्हारी बहेन की लाइफ है. आरिफ़ के लिए भी लड़कियो की कोई कमी नहीं है"


इनायत ने मज़ीद बहेस करना ठीक नहीं समझा और वो चुप चाप चलता बना.
मैने भी ठान लिया था कि मैं साना, उसकी मा, उसके बाप सबको नंगा करूँगी और साना को खुद उसके दोनो भाई
और बाप के सामने बे जीझक नंगी होने की हालत तक ले कर आउन्गि ताकि इनायत के डबल स्टॅंडर्ड्स उसके
सामने आ जायें.


इसके लिए एक प्लान की ज़रूरत थी जो धीरे धीरे फ्लेक्सिबिलिटी के साथ फेज़ बाइ फेज़ इंप्लिमेंट किया जाए.
मैने सोचना शुरू किया कि क्या किया जाए जिससे लाठी भी ना टूटे और साँप भी मर जाए.
उस सुबह मैने जान कर कोई काम नही किया. दोपहर को जब सब मर्द चले गये तो साना मेरे कमरे
मे आई मेरे हाल लेने को.


साना:"क्या हुआ भाभी,क्या बात है?"
मैं:"कुछ नही बस ऐसे ही ज़रा दर्द है"
साना:"क्या हुआ सर दुख रहा है?"
मैं:"नही सर मे नही जिस्म मे दर्द है"
साना:"कहाँ दुख रहा है, मैं बॉम लेकर आती हूँ"
मैं:"अर्रे नही, ये वो वाला दर्द नही है"
साना:"तो क्या पीरियड्स वाला दर्द है?"
मैं:"नही बाबा, तुम इतने सवाल मत पून्छो "
साना:"तो सॉफ सॉफ बोलो ना"
मैं:"ये मिया का दिया दर्द है अपनी बीवी को, जब शादी हो जाएगी तो समझ जाओगी"
साना:"अच्छा तो ये माजरा है, तो पहले क्यूँ नही कहा"
मैं:"क्या कहती इस बारे में"
साना:"लगता है बहुत प्यार व्यार हो रहा है आज कल"
मैं:"अच्छा बन्नो, तुम्हारी शादी होगी तब पता चलेगा जब मूसल जाएगा ना अंदर"
साना:"क्या कहा मूसल?"
मैं:"हां तुम्हारे प्यारे भाय्या ने कल ना चाहते हुए भी मेरी बुर मे अपना मूसल रगड़ रगड़ कर मेरी
ये हालत कर दी है"
साना:"हहाहहः अच्छा मुझे क्या पता"
मैं:"हंस लो तुम्हारा भी टाइम आएगा जब तुम्हारी बुर का भोसड़ा बन जाएगा"
साना:"ये ज़रूरी तो नही है कि ऐसा ही हो"
मैं:"हां हो सकता है कि वो कमज़ोर लुल्ली वाला निकले हाहहहाहाहा....."

मेरी बात सुन कर साना ने बुरा सा मूह बनाया

साना:"क्या भाभी आप भी ना"
मैं:"मज़ाक कर रही थी बाबा, नाराज़ क्यूँ होती हो, सबका केला अलग अलग साइज़ का होता है लेकिन मज़ा सबका
अच्छा ही होता है"
साना:"आपको कैसे पता"
मैं:"मैने तुम्हारे दोनो भाइयो का केला खाया है मेरी जान, शौकत का लंबा लेकिन पतला और इनायत का चौड़ा
लेकिन थोड़ा छोटा"
साना:"आपको अब बुरा नहीं लगता, जब शौकत भाई ताबू भाभी के साथ होते हैं?"
मैं:"अब जब गुजर चुकी है तो कह रही हूँ, यही मेरी किस्मत, लेकिन हां प्यार तो दोनो मर्दो ने मुझसे
खूब किया, दोनो ने रगड़ रगड़ कर चोदा है मुझे"
साना:"छी भाभी क्या बोलती हो"
मैं: "अच्छा चाइयीयियी, क्यूँ,, बन्नो जब केला चूसोगी ना तो भूल जाओ कि छी वगेरा"
साना:"मैं तो कभी ना चूसू किसी का केला, ये आप ही करो"
मैं:"मैं तो कर ही रही हूँ लेकिन केला देखने के बाद भूल जाओगी छी"
साना:"अच्छा वो सब ठीक है, आप नहा लो फिर जिस्म थोड़ा हल्का लगेगा"
मैं:"कैसे जाउ बाथरूम तक, तुम ऐसा करो पानी भर दो मैं तुमको बुला लूँगी, आज बाल भी सॉफ
करने हैं"
साना:"ठीक है, मैं पानी भर कर आपको आवाज़ देती हूँ"

ये कहकर साना बाथरूम की तरफ चल पड़ी, मैने जान भूझ कर आँगन मे अपनी सास के सामने लंगड़ा कर
चलना शुरू कर दिया. मेरी सास ने आकर कर मुझसे पूंच्छा

सास:"अरे आरा क्या हुआ"
मैं:"जी कुछ नही वो बस ऐसे ही"

मेरी सास मेरे करीब आई तो मैने कह ही दिया जो मेरे मन में था

मैं:"जी आपसे कैसे कहूँ ये सब"

ये बात मैने लगभग फुसफुसा(विस्पेर) कर कही और मेरी सास ने भी वैसे ही जवाब दिया

सास:"बोलो तो सही "

मैं:"कल रात इनायत ने जल्दी जल्दी किया जिससे मेरी नीचे वाली जगह दुख रही है"

सास:"ये मर्द सब ऐसे ही होते हैं, औरतो को बस इस्तेमाल की चीज़ समझते हैं"
मैं:"सब मर्द मतलब ससुरजी ने भी क्या,,,"
मेरे इस सवाल की उनको उम्मीद ना थी, उनको मेरी तरफ देखा और वापस आँगन में जाकर बैठ गयी.

अब मैं बाथरूम मे आ चुकी थी और दरवाज़ा बंद किए बिना मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए और साना को
आवाज़ दी.

मैं:"साना, ज़रा मेरी क्रीम लेकर आ जाओ"

मैं अभी कुछ सोच ही रही थी कि मेरी सास की आवाज़ आई.

सास:"ये लो"

मैने चौंक कर देखा तो मेरी सास मेरे सामने मेरी हेर रिमूवल क्रीम लेकर मेरे सामने खड़ी थीं और उनकी
आँखें हैरत से खुली थी, मैं भी चौंक गयी थी, समझ नही पाई कि क्या करूँ, वो मुझे बिना ब्रा
के कई बार देख चुकी थीं और मैं भी लेकिन ये पहली बार था कि वो मुझे पूरा नंगा देख रही थी.
मैं इस तरहा बैठी थी कि मेरी टाँगो के बीच से मेरी चूत सॉफ नज़र आ रही थी.

मैने चूत के सामने हाथ रख कर उसको ढकना चाहा.


सास:"आरा थोड़ा ख़याल रखा करो, घर पर मर्द भी होते हैं,ये ठीक है कि अभी कोई नही है,
और बाल टाइम पर ही सॉफ कर लिया करो, इस तरह रहना ठीक नही है"
मैं:"जी वो मैं साना का वेट कर रही थी इसलिए दरवाज़ा खुला रखा, आज दर्द हो रहा था तो सोचा
उससे ही कह दूं कि क्रीम लगा कर मेरे बाल सॉफ कर दे और मुझे नहला दे"
सास:"अर्रे क्या लड़की है वो, वो तो ताबू के साथ शॉपिंग के लिए जाने वाली थी, मैने उससे कहा था
कि वो तुम्हारा हाल पूंछ ले और फिर जाए, पता नही ध्यान कहाँ रहता है उसका, तुम रूको मैं ही
आज तुमको नहला दूं"

ये तो ऐसा हो रहा था कि चौक्का मारना चाहा था लेकिन छक्का लग गया. मैने सोचा क्यूँ ना सास के भी
जिस्म मे आग लगा दूं. मैने उनको एक बार ससुरजी के सामने डॅन्स करते हुए देखा था, वो अपनी कमर
हिला हिला कर कुछ कह रहीं थी, इससे ये तो मालूम था कि वो और सुसुरजी अब भी रोमॅंटिक हैं और उनके
अंडर गारमेंट्स भी फँसे टाइप के थे जो उनकी उमर के हिसाब से थोड़े अजीब थे. शौकत की उमर लगभग
32 साल की थी और वो पहली औलाद थे, जिस वक़्त तो पैदा हुए थे उस वक़्त मेरी सास की उमर सिर्फ़ 16 साल
ही थी, तो अब उनकी उमर लगभग 48 से ज़्यादा नहीं होगी. गाओं मे अक्सर पहले यही होता था और आज भी कहीं
कहीं ये ही होता है. इसलिए मेरी सास की जिस्मानी ख्वाशात मरी नहीं थी बाकी ज़िंदा थीं. मैने सोचा
यही मौका अच्छा है.


मैं:"नहीं आप क्यूँ परेशान होंगी, मैने खुद ही करने की कोशिश करती हूँ, आप आराम करें"
सास:"अगर तुम शरमा रही हो तो कोई बात नही, मैं इसरार नही करूँगी"
मैं:"नही ऐसी बात नही है, अच्छा आप ही कर दीजिए"
सास:"अच्छा ठीक है, ज़रा पैरो को फैलाओ तो ज़रा और दीवार से टेक लगा कर बैठ जाओ"
मैं:"अच्छा ठीक है"

मैने ऐसा ही किया और ये कन्फर्म किया कि बालो से धकि मेरी चूत मेरी सास के एकदम सामने हो

सास:"ये बताओ तुम इन बालो को इतना बड़ा क्यूँ रखती हो"
मैं:"इनायत को यहाँ बाल पसंद हैं इसलिए"
 
मेरी सास ने अपनी आँखें हैरानी से बड़ी की
सास:"पता नही इन लोगो के शौक क्यूँ एक जैसे हैं"
मैं:"किनके शौक"
सास:"देखो आरा, तुम मेरी बच्ची जैसी हो और काफ़ी समझदार भी हो इसलिए मैं तुमको अपना दोस्त ही मानती
हूँ, इसलिए ये सब शेअर कर रही हूँ"
मैं:"आप बिना फिकर के मुझसे जो चाहे कह सकती हैं"
सास:"तुम्हारे ससुर को भी यहाँ बाल अच्छे लगते हैं"
मैं:"क्या आप लोग अब भी ,,,,,"
सास:"अब भी मतलब, सॉफ सॉफ कहो, डरो मत"
मैं:"मतलब अब भी आप लोग सेक्स करते हैं"
सास:"हां कभी कभी क्यूँ"
मैं:"नहीं ऐसे ही"

अब मेरी सास ने मेरे पैरो पर क्रीम लगाना शुरू कर दिया था और अब धीरे धीरे मेरी चूत की तरफ बढ़
रही थीं.

सास:"तो क्या मैं तुमको इतनी बूढ़ी लगती हूँ"
मैं:"नहीं ऐसा नही है, आप तो साना की बड़ी बहेन जैसी लगती हैं"

ये सुनकर मेरी सास खिलखिला कर हंस पड़ी.

सास:"हां कुछ लोग यही कहते है, अच्छा तुम थोड़ा उस जगह को करीब करो"

उस जगह से उनका मतलब मेरी चूत था.
मैने वैसा ही किया

मैं:"आपसे एक सवाल पून्छो"
सास:"हां एक क्यूँ हज़ार पूछो"
मैं:"अगर आप मुझे दोस्त समझती हैं तो ये 'उस जगह' के बदले आपने इसका नाम क्यूँ नही लिया"
सास:"मैने सोचा कि शायद तुमको मेरा ये लफ्ज़ इतेमाल करना ठीक ना लगे"
मैं:"आप मेरे सामने बिल्कुल दोस्त की तरहा बात कर सकती हैं"
सास:"अच्छा ठीक है तो अपनी चूत को मेरे करीब लाओ तो ज़रा"
मैं:"अब ठीक है"
सास:"वैसे तुम्हारी चूत एक दम गुलाबी है"

मैं अब इस मौके को जाने नही देना चाहती थी इसलिए मैने उनको थोड़ा और फ्री करना चाहा

मैं:"क्यूँ, आपकी किस रंग की है"
सास:"आम औरतो की तरहा"

अब मेरी सास मेरी चूत पर क्रीम लगा रही थीं

मैं:"तो गुलाबी चूत होने से क्या फ़ायदा होता है"
सास:"मर्दो को ये ज़्यादा अच्छी लगती है"
मैं:"आपको कैसे पता"
सास:"जवानी के टाइम पर तुम्हारे ससुर बहुत सारी किताबें लाते थे जिसमे नंगी लड़कियो की तस्वीर
होती थीं, तब ही वो मुझे ऐसा कहते थे"

मुझे शॉक सा लगा लेकिन मैने ऐसा ज़ाहिर नही किया.

मैं:"हां मर्दो को नंगी लड़किया बड़ी पसंद आती हैं, शौकत भी नंगी लड़कियो की कई पुरानी बुक्स
लाते थे और इनायत को आज कल सीडी लेकर आते हैं"

नंगी लड़कियो की पुरानी बुक्स के जुमले को सुनकर मेरी सास सन्न सी रह गयी

सास:"क्या कहा पुरानी किताब, वही जिसके आख़िरी पन्ने पर एक लड़की अपनी गान्ड मरवा रही है"

मैं थोड़ा हैरान रह गयी ये अल्फ़ाज़ अपनी पर्दे वाली सास के मूह से सुन कर लेकिन कंट्रोल करते हुए बोली.

मैं:"हां क्यूँ, क्या वो आपकी किताब है"
सास:""हां लेकिन हम दोनो को पता ही नही चला कि वो किताब कोई और भी देखता है.
मैं:"आज कल तो ये आम बात है अम्मी,इनायत तो यही सब देख कर मुझे भी वही करवाते हैं"
सास:"अच्छा,नया खून है धीरे धीरे ठंडा हो जाएगा"
मैं:"मुझे नहीं लगता"
सास:"बुढ़ापा आते आते सब ठंडे हो जाते हैं"

मेरी सास ने क्रीम लगाने के बहाने मेरी चूत के अंदर उंगली कर दी, शायद ये ग़लती से हुआ हो लेकिन
मैने जान बूझ कर आहह की आवाज़ निकाली.

सास:"क्या ज़्यादा दुख रही है तुम्हारी चूत"
मैं:"हां कल इनायत ने आते ही आते मेरी चूत मे अपना मूसल जैसा लंड पेल दिया"
सास:"अच्छा"
मैं:"हां, मेरी चूत एकदम सूखी थी इसीलिए रगड़ लग कर छिल सी गयी है"
सास:"कुछ दिन मना करो, ठीक हो जाएगी"
मैं:"मना कैसे करूँ, ये मानते कब हैं"
सास:"तो आज तुम मेरे पास सो जाना"
मैं:"ठीक है लेकिन इनका क्या, जहाँ मौका मिला मुझे चोद दिया"
सास:"ऐसी भी क्या बेसब्री है उसको"
मैं:"मैं ही जानती हूँ कि इनायत का मूसल जैसा लंड मैं अपनी चूत मे कैसे लेती हूँ,
शौकत का तो पतला और लंबा था,मुझे उसकी आदत सी लग गयी थी"
सास:"ठीक हो जाएगा, तुमको आदत हो जाएगी"
मैं:"नही मुझसे तो सबर नहीं होता, गधे की तरहा भी किसी का लंड होता है"
सास:"मेरी बच्ची घोड़े की तरहा भी होता है"
मैं:"आपने किसका देखा है घोड़े की तरहा"
सास:"तुम्हारे ससुर का"
मैं:"ना मुमकिन, इनायत से मोटा किसी का नही हो सकता, इस बात पर तो मैं शर्त लगा सकती हूँ"
सास:"अब तुम्हे कैसे यकीन दिलाऊ, मेरी चूत अब एक दरवाज़ा बन गयी है तुम्हारे ससुर का लॉडा लेते लेते
हाहहाहाः हहीहहे"
मैं:"अच्छा, आप ने तो बहुत बर्दास्त किया है,मुझे लगता है कि अब ये क्रीम धो देनी चाहिए काफ़ी
टाइम हो गया है"
सास:"हां, काफ़ी टाइम हो गया है, रूको मैं पानी डालती हूँ"

सास मेरे पैरो पर और चूत पर पानी डाल कर मेरी क्रीम धो रही थीं धीरे धीरे सब बाल सॉफ
हो गये थे और मेरी चूत जगमग जगमग हो रही थी,मेरी सास की नज़र मेरी चूत पर ही थी,

मैं:"क्या हुआ अम्मी, ऐसे क्या देख रही हैं कुछ गड़बड़ है क्या"
सास:"नही बस ऐसे ही"

मुझपर पानी डालने की वजह से उनकी सलवार भी गीली हो चुकी थी और उनके पैर नज़र आ रहे थे. मैने
सोचा लोहा गरम है मार दूं हथौड़ा

मैं:"अर्रे आपके कपड़े गीले हो गये हैं, आप मुझे नहलाएगी तो और भीग जायेंगे, आप भी नहा लो
मेरे साथ"
सास:"नही , मैं बाद मे नहा लूँगी"
मैं:"अगर आप शरमा रही हैं तो कोई बात नही, मुझे लगा हम लोग दोस्त हैं इसलिए मैने कहा"

ये सुनते ही मेरी सास ने अपनी कमीज़ उतार दी और एक झटके से अपनी सलवार भी उतार दी, मेरे लिए
तो जैसे बिन मागे बरसात सी हो गयी,वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थीं और उनके जिस्म पर एक बाल
भी ना था, मैं उनकी टाँगो के बीच मे बैठी उनकी चूत देख रही थी और उनकी चूत से रिस्ता सफेद
पानी. वो पूरी तरहा एकदम सिड्यूस्ड हो चुकी थीं, मेरी नज़रें अपनी चूत पर देख कर उन्होने पूंछ
ही लिया

सास:"क्या देख रही हो"
मैं:"यही कि साना आपकी फोटो कॉपी है, क्या शानदार फिगर है आपका, आप अभी भी क़यामत लगती हैं"

सास:"हहाहहाहा अच्छा"
मैं:"हां, एकदम क़यामत हैं आप, आपकी चूत को देखकर तो मेरी चूत भी पानी छोड़ने वाली है"
सास:"क्यूँ ऐसे क्यूँ कह रही हो"
मैं:"ना जाने क्यूँ मुझे आपकी चूत देख कर सनसनी सी हो रही है, मैने कभी किसी बड़ी औरत की चूत
नही देखी, उफ्फ क्या चीज़ हैं आप"
सास:"अच्छा बस भी करो झूठी तारीफ़"
मैं:"अब मुझे समझ आया कि ससुरजी क्यूँ आज भी आपके दीवाने हैं, आप माल ही कुछ ऐसा हो"
सास:"माल तो तुम हो,जवान तो तुम हो"
मैं:"किसी जवान लड़के ने आपका जिस्म देख लिया तो वो आपका गुलाम हो जाए, मुझे लगता है कि मुझे अपने
आप को उंगली के ज़रिए हल्का करना पड़ेगा"
सास:"ऐसा क्या हो गया मुझे देख कर तुमको"

ये कहकर मैं खड़ी हो गयी और अपनी सास की चूत पर उंगली फिराने लगी, मेरी इस हरकत की उनको उम्मीद
तो ना थी लेकिन उन्होने मेरी उंगली हटाई नही और सीईईईईईईईईईई अहह की आवाज़ उनके मूह से निकल पड़ी

मैं उनके एकदम करीब आ गयी थी और मैने उनके सीने पर अपने दोनो हाथ रख लिए थे और उन्हे दबाने
लगी. उन्होने भी मुझे नही रोका और बदले में वो मेरे सीने को दबाने लगी.
मैने अपने होंठ उनके होंठ पर रख दिए और उसके होंठ चूसने लगी, अब उन्होने मुझे रोकना चाहा

सास:"आरा ये ठीक नही है"
मैं:"अब पीछे मत जायें, कुछ ग़लत नही है"
ये कहकर मैने फिर से उनके होंठ चूसना शुरू कर दिए, अब उनकी तरफ से कोई रुकावट नहीं थी और मैं
जल्दी जल्दी उनकी चूत में उंगली डाल रही थी. अब मैने उनके होंठ को छोड़ दिया और उनके निपल्स
को चूसने लगी, उनको जैसे 440 वोल्ट्स का झटका सा लगा और उनके मूह से ज़ोर से हाआआआआआआआआआययययययययी
उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़, मर गाइिईईईईईईईईई अहह.
मैं लगातार उनके निपल को चूस रही थी और उनकी चूत मे उंगली कर रही थी.

उनकी आँखो में हवस भर गयी थी और वो पूरी तरह मेरे क़ब्ज़े में थीं.

मैं उनको ज़मीन पर लेटने को कहा, वो ना चाहते हुए भी ज़मीन पर लेट गयीं, अब मैने उनकी टाँगो के
बीच मे आकर उनकी चूत को चाटने लगी और अपने हाथो से उनके निपल्स को दबाने लगी.
वो लगातार अपने बड़े बड़े चूतड़ उछाल उछाल कर अपनी चूत मेरे मूह मे दे रही थी.

कुछ देर तक यही चलता रहा और अचानक उनका जिस्म अकड़ गया और उन्होने मेरा सर ज़ोर से पकड़ कर अपनी
चूत पर रोक लिया.
अब वो झाड़ रही थी. मैने झट से अपने होंठ फिर से उनके मूह पर रख दिए, पहले तो उन्होने मना किया
लेकिन फिर वो चूसने लगीं और मेरे बालो मे हाथ फिराने लगी. हम कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे
फिर मैने उनके उपर से उठ कर अपनी चूत को सहलाने लगी. मुझे वो कुछ देर तक देखती रहीं जैसे
नशे मे हों और फिर उन्होने वो किया जिसका मुझे कोई अंदाज़ा ना था.
उन्होने मेरी चूत पर मूह रखकर उसे चाटना शुरू कर दिया.
ज़िंदगी में कितनी लड़किया अपनी चूत चटवाती हैं? और उनमे से कितनी अपनी सास से चटवाती हैं?
ये मेरी जीत थी, मैने सोच लिया था कि इनायत का लंड अब अपनी सग़ी बहेन और सग़ी मा की चूत मे भी जाएगा.

मैं जल्द ही झाड़ गयी और मेरी सास ने भी मेरी तरहा चाटने के बाद मुझे किस किया.

हम दोनो ने दूसरे को नहलाया लेकिन इस दौरान हममे कोई बात नही हुई.

मैं तो अपने कपड़े लेकर आई थी और मैने वो पहेन लिए लेकिन मेरी सास नंगी ही आँगन में आई
और अपने कमरे में जाकर कपड़े पहन कर वापस आई.

हम कुछ देर तक धूप मे अपने बाल सुखाते रहे और फिर दोपहर के खाने के लिए मर्द लोग घर पर आगये
इस दौरान मेरी सास पहले की तरह पर्दे वाली औरत की तरहा रही और उन्होने मुझसे आँख मिलाना
ठीक नही समझा. मुझे खाना खाने के बाद नींद आ गयी और शाम को जब आँख खुली तो फिर एक बार
साना मेरे सामने थी, मुझे लगा कि अब साना को भी शीसे मे उतारने का वक़्त आ गया है.
 
मैने उसको देख कर बनावटी गुस्सा दिखाया.

मैं:"जाओ तुम पहले शॉपिंग कर आओ फिर मेरे पास आना"
साना:"ओह भाभी, आइ आम रियली सॉरी, मैं बिल्कुल भूल गयी, खैर आप नहा तो लीं ना"
मैं:"हां, बेचारी अम्मी ने मुझे नहलाया और बाल भी सॉफ किए उन्होने"
साना:"आप मज़ाक कर रही हैं"
मैं:"मैं मज़ाक क्यूँ करूँ, उनकी एहसानमंद हूँ मैं तो"
साना:"ओह भाभी,मुझे माफ़ कर दो, मुझे पता नहीं था ये सब"
मैं:"खैर जाने दो ये बताओ कि क्या लाई हो शॉपिंग करके"
साना:"कुछ नहीं मैं तो कुछ ख़ास नही लाई, बस थोड़े अंडर गारमेंट्स ही लाई हूँ लेकिन ताबू भाभी
तो उफ्फ ना जाने क्या क्या फॅशनबल चीज़ें लाई हैं, उन्हे कैसे कोई पहेन सकता है"
मैं:"क्यूँ अपने हज़्बेंड के सामने बेडरूम मे पहेनने में क्या हर्ज़ है"
साना:"हां अपने हज़्बेंड के सामने तो कोई हर्ज नही है"
मैं:"और तुम कौन्से कम फॅन्सी अंडरगार्मेंट्स पहेन्ति हो"
साना:"भाभी, अंडरगारमेंट्स कौन देख सकता है"
मैं:"तो उसी तरहा बेडरूम मे कौन देख सकता है क्या पहेन रखा है"
साना:"ह्म्म आप ठीक कहती हैं, अच्छा बताइए अब कैसी है आप की गुलाबो"
मैं:"कैसी है, आज शाम तक ठीक भी हो गयी तो रात को तुम्हारे भाय्या फिर रगड़ रगड़ के वही हाल
कर देंगे"
साना:"आप भाय्या को मना कर दें"
मैं:"हाँ, मना कर दूँगी, आज मैं अम्मी के साथ सोने वाली हूँ"
साना:"तो अब्बू कहाँ सोयेंगे?"
मैं:"अब्बू इनायत के साथ सो जायेंगे"
साना:"हाहाहाहहाः ये भी खूब है"
मैं:"हां खूब ही तो है, अम्मी बता रही थीं कि उनका भी कभी कभी यही हाल होता है"
साना:"अम्मी आप से ऐसी बात क्यूँ करेंगी भला"
मैं:"वो मेरी एक दोस्त हैं पहले और सास बाद में, मैं उनसे हर मसले मे राई ले लेती हूँ"
साना:"काश मुझे भी ऐसी ही सास मिले"
मैं:"ज़रूर मिलेगी थोड़ा सबर करो और प्यार करने वाला शौहर भी"
साना:"भाभी आप भी ना, बहुत शरारती हैं"
मैं:"हां मेरी बन्नो, शरारत की उमर भी तो है, तुम भी शरारती बन जाओ वरना शादी के बाद मुश्किल
होगी"
साना:"क्या मुश्किल होगी?"
मैं:"पता ही नही होगा कि क्या करना है, कैसे करना है,पागल ही जाओगी"
साना:"तो आप बता दीजिए ना कि क्या करना होता है, कैसे करना होता है?"
मैं:"मैं तो बता ही दूँगी लेकिन तुम थोड़ी शर्मीली हो और झिझक बहुत है तुममे"
साना:"उफ्फ भाभी, अब बताइए भी ना क्या करना है"
मैं:"सब बता दूँगी,पहले तुम्हे झिझक निकालनी होगी"
साना:"ठीक है"
मैं:"अच्छा फिर टाइम देख कर बता दूँगी, कल अम्मी अपनी बहेन के यहाँ जाने वाली है और ताबू दोपहर
को गहरी नींद मे होती है तब आना सब सिखा दूँगी, समझी मेरी बन्नो"
साना:"ठीक है भाभी आप कितनी अच्छी हैं"


ये कहकर वो शाम का खाना बनाने चली गयी और फिर सबने रात का खाना एक साथ खाया.
खाना खाने के बाद मेरी सास ने सबको कह दिया कि आरा मेरे साथ सोएगी उसकी तबीयत ठीक नही है
और मेरे ससुर को इनायत के साथ सोने के लिए कह दिया. जब इनायत ने पून्छा तो सास ने सॉफ कह दिया कि
उसको आराम की ज़रूरत है और तुम गहरी नींद मे सो जाते हो, मैं उसका ख़याल रखूँगी.

रात को जब मैं सास के रूम मे गयी तो वो पहले ही अपने माथे पर अपना हाथ रखे आँखें मूंदे
लेटी थीं,मेरी आवाज़ सुन कर उन्होने आँख खोली और मुझसे लाइट्स ऑफ करने को कहा.मैने हमेशा की
तरहा नाइटी पहेन रखी थी. मैने सोचा कि शायद मेरी सास दोपहर के इन्सिडेंट से परेशान हैं और
गिल्टी फील कर रही हैं.
मैं चुप चाप उनकी लेफ्ट साइड मे जाकर लेट गयी. थोड़ी देर बाद मेरी सास ने मुझसे फिर बात शुरू की.

सास:"आरा, मैं दोपहर की बात से शर्मिंदा हूँ, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था"
मैं:"शर्मिंदा होने की क्या बात है, आप ही ने कहा था कि आप मेरी दोस्त हैं, मुझे बिकुल बुरा नहीं
लगा, मैं भी अपने आप को रोक नही पाई, आप हैं ही इतनी दिलकश और खूबसूरत"
सास:"तो तुमको बुरा नहीं लगा, लेकिन फिर भी शायद हम को ये सब नहीं करना चाहिए"
मैं:"आप एक औरत हैं और मैं भी,अगर हम एक पल के लिए एक दूसरे से ये सब बाँट लेते हैं तो इसमे
हर्ज ही क्या है"
सास:"लेकिन अगर किसी को भनक भी लगी तो हम लोग किसी को मूह दिखाने लायक नही रहेंगे"
मैं:"ये सब बातें या तो रात के अंधेरे मे होती हैं या अकेले में तो फिर किसी को क्या पता चलेगा"
सास:"पता नहीं मुझे ये सब थोड़ा अजीब से लगा लेकिन ना जाने क्यूँ अच्छा भी लगा"

अब मैं समझ चुकी थी कि मेरी सास धीरे धीरे सीशे मे उतरने वाली है और मैने जाल फेंक दिया.

मैं:"मुझे भी अच्छा लगा और मेरा मन है कि आप का शानदार जिस्म मुझे हमेशा देखने को मिले"
सास:"क्या है मेरे बूढ़े जिस्म मे"
मैं:"आप को क्या पता, ये आपकी बड़े बड़े सीने,बड़ी सी निपल्स, खुसबुदार चूत, उभरे हुए चुतड
ये भारी भारी जांघें, ये सफेद रंगत, अफ क्या चीज़ हैं आप, मैं तो आपको जी भर के देख
भी ना पाई हूँ"
सास:"अच्छा तो मैं तुम्हे इतनी अच्छी लगती हूँ"
मैं:"हां आप जानती नही कि मैने कैसे रात का इंतेज़ार किया है"
सास:"तुम तो मेरी दीवानी सी हो गयी हो"
मैं:"हां, क्या मैं दोबारा आपको नंगी देख सकती हूँ"
सास:"ठीक है लेकिन हम शोर नही करेंगे"

ये कहकर वो बिस्तर पर बैठ गयीं और मैने झट से अपनी नाइटी उतार दी जिसके नीचे मैने कुछ नही
पहना था. मैने भी उनकी शलवार और कुर्ता उतार दिया, उन्होने भी नीचे कुछ नहीं पहना था.
मैने तुरंत उनकी बड़ी बड़ी लटकी हुई उनकी चूचिया पकड़ ली और और उनको उनके लिप्स पर किस करने लगी.
वो उफान पर थीं, मैं उनके निपल्स पर उंगलियो से घेरा बना रही थी और वो भी मेरी पीठ सहला रही
थीं. मैने करीब 10 मिनिट तक ऐसा ही किया और उनको पीठ के बल लिटा दिया और उनकी टाँगो के बीच मे
झुक कर उनकी चूत चाटने लगी, मैने उनको तड़पाना शुरू किया, मैं थोड़ी देर के लिए उनकी चूत चाट
लेती और फिर रुक जाती, जब मैं रुक जाती तो वो मेरी तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देखने लगती.
मैने उनसे कहा कि मैं अपनी चूत उनके मूह पर रखना चाहती हूँ, उन्होने बुरा सा मूह बनाया लेकिन
फिर कहा कि अच्छा चलो आ जाओ.
अब मैं 69 पोज़ मे थी.वो मेरी चूत चाट रही थीं.
अब मैने ज़ोरदार ढंग से चूत चाटना शुरू किया और थोड़ी ही देर में मेरा और उनका पानी निकल आया
ज्सिको हम दोनो से चाट कर सॉफ कर दिया.
अब मैं फिर उनके सिरहाने आ गयी थी और फिर उनके लिप्स चूस रही थी.मुझे अपनी चूत का और उनको उनकी
चूत के रस का मज़ा मिल रहा था. हम थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे और फिर हम ने बात शुरू कर दी,मैं
अब भी उनसे लिपटी हुई थीं और वो मेरे बालों मे हाथ फिरा रही थीं और मैं उनके चुतड पर हाथ
फेर रही थी.

मैं:"आपको अच्छा लगा"
सास:"हां बहोत अच्छा लगा और तुमको"
मैं:"मुझे भी, अच्छा एक बात पूछूँ"
सास:"बिना झिझल पून्छो"
मैं:"ससुरजी क्या आपको अभी भी प्यार करते हैं रात को"
सास:"हां लेकिन अब पहले जैसी बात नहीं रही, अब उनका खड़ा तो होता है लेकिन वो जल्दी झाड़ जाते हैं"
मैं:"तो आप कैसे अपनी प्यास बुझती हैं, उंगली करके"
सास:"हां, आरा, और चारा ही क्या है"
मैं:"आप मुझे बुला लिया करें"
सास:"अब ये कब तक मुमकिन है"
मैं:"अब साना की शादी हो जाएगी और घर मे मैं,आप और ताबू ही बचेंगे"
सास:"ताबू को भनक लग गयी तो"
मैं:"ताबू की आप टेन्षन ना लें, मैं उसको जानती हूँ,उसमे सेक्स की भूक बहोत ज़्यादा है, हो सकता है
कि वो भी हम को जाय्न कर ले"
सास:"नहीं आरा, वो तुम जैसे समझदार नही है, उसमे अभी भी बच्पना है"
मैं:"अब वो बच्चे पैदा करने के लायक हो गयी है, बच्पना कैसा उसमे"
सास:"नही आरा, ये बात हम दोनो में ही ठीक है"
मैं:"जैसी आप की मर्ज़ी लेकिन आप जब कहेंगी मैं उसको अपने साथ शामिल कर लूँगी"
सास:"देखा जाएगा, कल मैं अपनी बहेन के घर जा रही हूँ, तुम चलोगि क्या"
मैं:"नहीं मैं घर पर ही रहना चाहती हूँ, मैं आपसे एक बात कहना चाहती थी"
सास:"हां बोलो"
मैं:"साना तो बिल्कुल बच्ची है, पता नहीं उसका क्या होगा"
सास:"क्यूँ"
मैं:"उसको अभी कुछ पता ही नहीं है सेक्स के बारे में"
सास:"तुम्हे कैसे पता"
मैं:"वो मुझसे पूंछ रही थी कि मेरी चूत मे दर्द क्यूँ हो रहा था, जब मैने कहा कि तुम्हारे भैय्या
की वजह से तो वो कहने लगी कि भैय्या ने कैसे दर्द किया यहाँ पर"
सास:"या रब, क्या सच में"
मैं:"हां सच्ची"
सास:"तो तुमने क्या कहा"
मैं:"मैं चुप हो गयी"
सास:"तो तुम ही उसको समझा दो सब कुछ"
मैं:"हां मैं भी यही सोच रही हूँ कि कल उसको थोड़ा समझा दूं ताकि उसको शादी के बाद परेशानी
ना हो, वैसे वो आप की फोटो कॉपी है"
सास:"हां वो तो है ही"
 
मैं:"आप जानती हैं कि मुझे भी शादी से पहले कुछ नही मालूम था लेकिन धीरे धीरे सब पता लग
गया"
सास:"ह्म्म"
मैं:"पहले शौकत ने फिर इनायत ने मुझे सब सिखा दिया"
सास:"दोनो ही तुमसे बहुत प्यार करते रहे हैं"
मैं:"हां इनायत ने तो काई नयी चीज़े सिखा दी हैं"
सास:"जैसे"
मैं:"मैं पहले सीडी पर ब्लू फिल्म नही देखती थी लेकिन इनायत ने ना जाने कितनी ब्लू फिल्म दिखा दी और
वो तो सीडी देख कर मुझे वैसे ही चोद्ते हैं, हम ने हर स्टाइल मे चुदाई की है"
सास:"अच्छा"
मैं:"आपने कौन कौन सी पोज़िशन ट्राइ की है"
सास:"इन्होने कभी मेरी चूत नही चाटी और मैने कभी इनका मूह मे नहीं लिया और गान्ड भी मैने नही
मरवाई है"
मैं:"गान्ड तो मैने भी नहीं मरवाई है लेकिन बाकी सब किया है"
सास:"तुमको शौकत की याद आती है सेक्स के टाइम पर"
मैं:"हां शौकत मेरा पहला प्यार था, उनका मुझे धीरे धीरे आराम से चोदना मुझे अभी भी याद है"
सास:"और इनायत का"
मैं:"इनायत ने तो हर तरहा से किया है मेरे साथ, वो और मैं तो रोल प्ले भी करते हैं"
सास:"रोल प्ले क्या होता है"
मैं:"आपको नही पता, हम लोग अपने दिल की ख्वाशात के मुताबिक एक दूसरे के लिए वो बन जाते हैं जिनसे
हम को प्यार करने की ख्वाहिश होती है"
सास:"तुम्हे और इनायत को किसी और से भी प्यार करने की ख्वाहिश होती है"
मैं:"हां दिल ही तो है लेकिन असलियत में ऐसा हम कभी नही कर सकते, इसलिए एक दूसरे के लिए
हम वही बन जाते हैं और इस तरहा हम अपनी ख्वाहिश पूरी कर लेते है, लेकिन ये सिर्फ़ सेक्स के टाइम
ही करते हैं"
सास:"इनायत और तुम किस किस का रोल प्ले करते हो"
मैं:"मैं आपको बता तो दूं लेकिन आप बुरा नहीं मानना"
सास:"अर्रे बुरा क्यूँ मानुगी,ये तुम्हारी ज़िंदगी है"
मैं:"इनायत साना को और आपको प्यार करने की सोचता हूँ"

ये सुनते ही मेरी सास मुझसे अलग हो गयी और उठ कर बैठ गयी, कमरे मे हल्का सा उनका चेहरा और उनकी
आँखें नज़र आ रही थी. वो कुछ देर तक इसी तरहा बैठी रही. मैं सोचने लगी कि कहीं मैने जल्दी
तो नही कर दी.

सास:"मुझे यकीन नही आ रहा, मेरा बेटा मुझे और अपनी सग़ी बहेन के बारे मे ऐसा सोचता है"
मैं:"मैं जानती थी शायद आपको बुरा लग जाएगा"
सास:"मुझे नही समझ मे आ रहा कि मैं क्या करूँ"
मैं:"मैने किताबो मे पढ़ा है कि लड़का अपनी मा से सेक्षुयली अट्रॅक्ट हो जाते हैं, क्यूंकी आप उनकी
ज़िंदगी मे पहली औरत होती हैं"
सास:"ये बहुत बेतुकी सी बात है"
मैं:"नहीं ऐसा नही है, कई मायें तो अपने बच्चो को दूध पिलाते वक़्त झाड़ भी जाती हैं, लेकिन आप
ऐसा क्यूँ सोच रही हैं कि इनायत आपसे आकर कभी ऐसा कहेगा, ये एक दिल की बात है जो हम करीब
होने की वजह से शेअर करते हैं,मुझे लगता है मुझे आपको ये बात नही कहनी चाहिए थी"

सास:"नही मुझे बुरा नहीं लेकिन हैरानी हुई है, तुम टेन्षन मत लो मैं उसको ये कभी नहीं पूछूंगी"
मैं:"जानती हैं आपका नाम सुन कर सेक्स के टाइम वो बहुत जल्दी झाड़ जाता है और ये हाल उसका साना का
नाम सुनकर नहीं होता, वो शायद आपकी खूबसूरती पर ज़्यादा अट्रॅक्टेड है"
सास:"हो सकता है, मैने और तुम्हारे ससुर ने ये रोल प्ले कभी नही किया"
मैं:"लेकिन मैं जानती हूँ कि ससुरजी मुझपे अट्रॅक्टेड हैं"
सास:"तुम्हे कैसे ऐसा महसूस हुआ"
मैं:"एक बार उन्होने मेरी पैंटी सूखते हुए देखी तो जब मैं वो पैंटी लेने गयी तो उन्हे मेरी चूत की तरफ
इशारा कर के कहा कि इससे तो तुम्हारी शरमगाह ढकति भी नही होगी, मैने कयि बार देखा है उनको
मेरे चुतड और सीने की तरफ देखते हुए"
सास:"देखो वो बुरे आदमी नहीं है, हो सकता है तुमको कुछ ग़लतफहमी हुई हो"
मैं:"उनकी ग़लती नहीं है, वो बुरे नहीं अच्छे आदमी हैं, दर असल हम सब इंसान है और खूबसूरती
की तरफ हम खींच ही जाते हैं,ये तो मेरे लिए फक्र की बात है कि मैं किसी उमर दराज़ सख्स को
भी अट्रॅक्ट कर सकती हूँ, मैं अपने सास और ससुर ही हर तरहा से खिदमत करने के लिए राज़ी हूँ"
सास:"तुम बहुत समझदार हो आरा, मुझे तुमपर नाज़ है, तुम अपने शौहर के लिए सब कुछ करती हो"
मैं:"ये तो मेरा फ़र्ज़ है,अगर मेरे ससुर मेरी जिस्म को देख भी लेते है तो क्या हर्ज है,इससे मेरे जिस्म
मे कोई बिगाड़ तो पैदा नहीं होता, अगर ये मुमकिन होता कि मैं अपने ससुर की ख्वाशात को पूरा
कर पाती तो ज़रूर करती"
सास:"ये मुमकिन नहीं है आरा"
मैं:"मैं जानती हूँ कि आपको ये कभी मंज़ूर ना होगा"
सास:"बात मेरी मंज़ूरी की नही बल्कि इनायत की है"
मैं:"इनायत ने मुझसे सॉफ सॉफ कह रखा कि मुझपर कोई बंदिश नही है लेकिन मुझे खुद घर की इज़्ज़त
का ख़याल होना चाहिए और हक़ीक़त में मेरी और कोई ख्वाइश भी नही है"
सास:"और इनायत से तुम किस का रोल प्ले करवाती हो"
मैं:"शायद आपको फिर बुरा लगे मेरे जवाब से"
सास:"नही शायद अब मैं तुम्हारे जवाब के लिए तैय्यार हूँ"
मैं:"अपने भाई का और कभी कभी ससुरजी का भी"
सास:"इनायत को बुरा नहीं लगता"
मैं:"नही मैं और इनायत एक दूसरे से कुछ नही छिपाते हैं"
सास:"तो क्या तुम हमारे बारे में भी सब बता दोगि"
मैं:"अगर आपको मंज़ूर हो तो"
सास:"हरगिज़ नही कहना समझी"
मैं:"आप टेन्षन ना लें, मुझपर पूरा यकीन रखें"
सास:"क्या कभी इनायत ने मुझे किसी ऐसी हालत मे देखा है जो उसे नही देखनी चाहिए थी"
मैं:"नही कभी नही"
सास:"तो मेरी खूबसूरती वाली बात तुमने कैसे कही"
मैं:"आपके चुतड, बड़े बड़े सीने और आपकी रंगत भला किसी से कैसे छुप सकती है"
सास:"हां ये तो है"
मैं:"लेकिन ये मुमकिन कहाँ कि इनायत आपका दीदार कर सके"
सास:"हां तुमको और मेरे शौहर को ये कभी मंज़ूर ना होगा और मैं भी इस बात को हक़ीक़त नही समझती
हूँ"
मैं:"मुझे तो कोई ऐतराज़ नहीं है, ससुरजी को भी नही होगा अगर वो खुद अपनी बहू को प्यार करेंगे तो
उनको फिर कोई ऐतराज़ ना होगा"
सास:"ऐसा हक़ीक़त मे नही हो सकता है"
मैं:"हो सकता है, ससुरजी तो मेरे साथ सोने को राज़ी हो जायेंगे, जब भी मौका मिले तो"
सास:"अच्छा बहुत यकीन है तुमको खुद पर"
मैं:"हां बिल्कुल, आप कहें तो मैं आपके मिया पर डोरे डाल दूं हाआहाः हहेहेहहे"
सास:"धीरे बोलो आरा, रात का वक़्त है, आवाज़ दूर तक जाएगी"
मैं:"अच्छा ठीक है,तो क्या कहती हैं आप,क्या आपको अपने शौहर पर यकीन नहीं है"
सास:"मर्दो का भी यकीन है, अभी तुम ही तो कह रही थी कि मेरा बेटा जब अपनी खुद की मा को चोदने
की फिराक मे है तो भला तुम तो मेरे मिया की बहू ही हो"
मैं:"हां ऐसा ही है"
सास:"अच्छा ट्राइ करके देखो, मैं खुद देखना चाहती हूँ कि मेरे मिया आख़िर कहाँ तक पहुँचते हैं"
मैं:"कहाँ पहुँचेंगे, मेरी चूत पर और कहाँ"
सास:"अच्छा कल मैं जा रही हूँ, वो मुझे रेलवे स्टेशन से छोड़ कर वापिस घर आयेंगे तब तुम ट्राइ
कर सकती हो, लेकिन ताबू और साना भी तो घर पर होंगे"
मैं:"आप टेन्षन मत लें मैं साना को और ताबू को शॉपिंग के लिए भेज दूँगी और वो वापस दोपहर तक ही
वापस आयेंगे"
सास:"ध्यान रखना कहीं बाज़ी उल्टी ना पड़ जाए और हो सके तो कोई सुबूत रखना, वरना मुझे यकीन नही
होगा"
मैं:"ठीक है मेरी जान"

जब मैने मेरी जान लफ्ज़ इस्तेमाल किए तो मेरी सास की आखें और चौड़ी हो गयी लेकिन फिर वो मुस्कुरा दीं
. मैं समझ चुकी थी कि मेरी सास शायद अपने बेटे के लंड के लिए तैय्यार हो रही हैं और शायद इसलिए
अपने मिया को मेरे उपर चढ़वाने के लिए बेताब हैं ताकि उनका रास्ता खुल जाए. मैं भी सुबह के लिए बेताब
थी जब बेटी और बाप को मुझे शीशे मे उतारना था.
 
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