hotaks444
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अब आगे,,,,,,,,,,
उधर रितू अपने फार्महाउस पर पहुॅची। हरिया काका से उसने उन चारों का हाल चाल पूछा और फिर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। कमरे में पहुॅच कर उसने दरवाजा बंद किया और कमरे में एक तरफ रखी आलमारी की तरफ बढ़ी। आलमारी को खोल कर उसने उस बैग को निकाला जिसे वह चौधरी के फार्महाउस से लेकर आई थी। बैग को बेड पर रख कर उसने उसमें से कई सारी चीज़ें निकाल कर बेड पर रखा।
कुछ फोटोग्राफ्स थे उसमें, कुछ लेटर्स और कई सारी पेनड्राइव्स। रितू ने उठ कर आलमारी से अपना लेपटाॅप निकाला। उसे ऑन किया। कुछ देर बाद जब वह ऑन हो गया दिया तो रितू ने उसमें एक पेनड्राइव लगाया। कुछ ही पल में लेपटाॅप की स्क्रीन पर पेनड्राइव को ओपेन करने का ऑप्शन आया। रितू ने उस पर क्लिक किया। पर भर में ही स्क्रीन पर उसे बहुत सारी फोटोज और वीडियोज दिखने लगी।
फोटोज देख कर रितू का दिमाग़ खराब होने लगा। वो सारी फोटो न्यूड रूप में कई सारी लड़कियों की थी। रितू उन लड़कियों को पहचानती तो नहीं थी लेकिन फोटो में उन लड़कियों के पोज से उसे पता चल रहा था कि इन लड़कियों की मर्ज़ी से ही ये फोटोज खींचे गए थे। रितू के चेहरे पर उन लड़कियों के प्रति नफ़रत और घ्रणा के भाव उभर आए।
उसके बाद उसने एक वीडियो पर क्लिक किया। क्लिक करते ही वो वीडियो चालू हो गई। इस वीडियो में जो लड़का था वह रोहित था। वो किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था। लड़की अपनी दोनो टाॅगों को कैंची शक्ल देकर रोहित की कमर पर जकड़ा हुआ था। रितू ने फौरन ही वीडियो को बंद कर दिया और दूसरी वीडियो को ओपेन किया। इस वीडियो में अलोक लड़की की चूॅत चाट रहा था। रितू ने तुरंत ही वीडियो बंद कर दिया। उसके अंदर गुस्सा बढ़ने लगा था।
एक एक करके रितू ने सारे वीडियो देख लिए। वो सारे वीडियो इन चारो लड़कों के ही थे जो अलग अलग लड़कियों के साथ बनाए गए थे। रितू ने लेपटाॅप से पेनड्राइव निकाल कर अलग साइड पर रखा और दूसरा पेनड्राइव लेपटाॅप पर लगा दिया। कुछ ही देर में उसने देखा कि इस पेनड्राइव में भी यही चारो लड़के किसी न किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहे थे। रितू ने उस पेनड्राइव को भी अलग रख दिया। इसी तरह रितू एक एक पेनड्राइव को लेपटाॅप पर लगा कर देखती रही। कुछ पेनड्राइव्स में उसने देखा कि इन चारों लड़कों ने लड़कियों को उनकी बेहोशी में उनके सारे कपड़े उतारे और फिर उनके साथ अलग अलग पोजीशन में सेक्स किया था। रितू समझ सकती थी कि इन लड़कियों के साथ इन लोगों ने धोखे से ये सब किया था। ज्यादातर पेनड्राइव्स में इन लड़कों के ही वीडियोज थे।
रितू ने एक और पेनड्राइव लेपटाॅप पर लगाया। इस पेनड्राइव में कई फोल्डर बने हुए थे। जिन पर नाम डाला हुआ था। एक फोल्डर पर लिखा था "डैडी"। रितू ने तुरंत ही इस फोल्डर को ओपेन किया। स्क्रीन पर कई सारे वीडियोज आ गए। एक वीडियो पर क्लिक किया रितू ने। क्लिक करते ही वीडियो चालू हो गई। वीडियो में सूरज का बाप दिवाकर चौधरी किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था। ये वीडियो सिर्फ एक ही एंगल से लिया गया था। मतलब साफ था कि कहीं पर वीडियो कैमरा छुपाया गया था और दिवाकर चौधरी को इस बात का पता ही नहीं था। वरना वो अपनी ऐसी वीडियो बनाने की सोचता भी नहीं।
रितू ने फौरन ही वो वीडियो काॅपी कर एक अलग से फोल्डर बना कर उसमें डाल दिया। उसके बाद रितू ने एक एक करके सभी वीडियो देखे। सभी वीडियों में दिवाकर चौधरी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था। रितू ने दूसरा फोल्डर खोला। उसमें भी वीडियोज थे। रितू समझ गई कि ये उन लोगों के काले कारनामों के वीडियोज हैं जिनका संबंध दिवाकर चौधरी से है।
उन चारो लड़कों बापों के वीडियोज भी इसमें थे। रितू के लिए ये काफी मसाला था दिवाकर चौधरी को काबू में करने के लिए। उसने उन चारो लड़कों के बापों का एक एक वीडियो अपने लैपटाॅप में बनाए गए उस फोल्डर में डाल लिया।
सारे सामान को वापस बैग में भर कर उसने उस बैग को वापस आलमारी में रख कर आलमारी को लाॅक कर दिया। इसके बाद वह पलटी और एक तरफ रखे उस छोटे से थैले को उठाया जिसमें आज का खरीदा हुआ मोबाइल फोन और सिम था। उसने थैले से फोन कि डिब्बा निकाला और उसे खोलने लगी। मोबाइल निकाल कर उसने मोबाइल के चार्जर को भी निकाला। चार्जर में एक अलग से केबल थी। उसने उस केबल को मोबाइल में लगाया और दूसरा सिरा लैपटाॅप में। तुरंत ही लैपटाॅप की स्क्रीन पर एक ऑप्शन आया। मोबाइल की स्क्रीन पर भी शो हुआ। रितू ने सेटिंग सही की और फिर उन वीडियोज को काॅपी कर मोबाइल के स्टोरेज पर पेस्ट कर दिया। चारो वीडियोज कुछ ही देर में मोबाइल में अपलोड हो गई।
इसके बाद रितू ने केबल निकाल कर वापस मोबाइल के डिब्बे पर रख दिया। एक नज़र उसने मोबाइल की बैटरी पर डाली तो पता चला कि मोबाइल पर अभी 27% बैटरी है। रितू ने फौरन ही चार्जर निकाल कर मोबाइल फोन को चार्जिंग पर लगा दिया। इसके बाद वह कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
बाहर आकर उसने काकी से काका को बुलवाया। थोड़ी ही देर में हरिया काका रितू के पास आ गया।
"का बात है बिटिया?" काका ने कहा__"ऊ बिंदिया ने हमसे कहा कि तुम हमका बुलाई हो।"
"हाॅ काका।" रितू ने कहा___"मैने सोचा कि एक नज़र मैं भी देख लूॅ उन चारो पिल्लों को। वैसे उन सबकी खातिरदारी में कोई कमी तो नहीं की न आपने?"
"अइसन होई सकत है का बिटिया?" हरिया काका ने अपनी बड़ी बड़ी मूॅछों पर ताव देते हुए कहा___"तुम्हरे हर आदेश का हम बहुतै अच्छी तरह से पालन किया हूॅ। ऊ ससुरन केर अइसन खातिरदारी किया हूॅ कि ससुरन केर नानी का नानी केर नानी भी याद आ गई रहे।"
"अगर ऐसी बात है तो बहुत अच्छा किया है आपने।" रितू ने कहा___"उनकी खातिरदारी करने की जिम्मेदारी आपकी है। उनकी खातिरदारी के लिए आप शंकर काका को भी बुला लीजिएगा।"
"अरे ना बिटिया।" हरिया काका ने झट से कहा___"ऊ ससुरे शंकरवा केर कौनव जरूरत ना है। हम खुदै काफी हूॅ ऊ ससुरन केर खातिरदारी करैं केर खातिर। ऊ का है ना बिटिया ऊ शंकरवा से ई काम होई नहीं सकत है। ई ता हम हूॅ जो यतनी अच्छी तरह से खातिरदारी कर सकत हूॅ।"
"ओह ऐसी बात है क्या?" रितू मुस्कुराई।
"अउर नहीं ता का।" काका ने सीना तान कर कहा___"हम ता ई काम मा बहुतै एकसपरट हूॅ बिटिया।"
"काका वो एकसपरट नहीं बल्कि एक्सपर्ट होता है।" रितू ने हॅसते हुए कहा।
"हाॅ हाॅ ऊहै बिटिया।" हरिया काका ने झेंपते हुए कहा___"ऊहै एक्सपरट हूॅ।"
"अच्छा चलिए अब।" रितू ने कहा___"मैं भी तो देखूॅ कि आपने कैसी खातिरदारी की है उन लोगों की?"
"बिलकुल चला बिटिया।" काका ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा___"ऊ लोगन का देख के तुम्हरे समझ मा जरूर आ जई कि हम खातिरदारी करैं मा केतना एकसपरट हूॅ हाॅ।"
रितू, काका की बात पर मुस्कुराती हुई तहखाने में पहुॅची। तहखाने का नज़ारा पहले की अपेक्षा ज़रा अलग था इस वक्त। उन चारों की हालत बहुत ख़राब थी। उन लोगों से ठीक से खड़े नहीं हुआ जा रहा था। सबसे ज्यादा सूरज चौधरी की हालत खराब थी। वह बिलकुल बेजान सा जान पड़ता था। बाॅकी तीनों उससे कुछ बेहतर थे। उन सभी की गर्दनें नीचे झुकी हुई थी। जबकि उनके सामने वाली दीवार पर बॅधे दोनो गार्ड्स की हालत खराब तो थी पर उन चारो जैसी दयनीय नहीं थी। इसकी वजह ये थी कि हरिया या रितू ने उन पर किसी भी तरह से हाॅथ नहीं उठाया था। वो तो बस बॅधे हुए थे।
"काका एक बात समझ में नहीं आई।" रितू ने उन चारों को ध्यान से देखते हुए कहा__"इन चारों में से सबसे ज्यादा इस मंत्री के हरामी बेटे की हालत खराब क्यों हैं जबकि बाॅकी ये तीनों इससे तो ठीक ठाक ही नज़र आ रहे हैं।"
रितू की ये बात सुन कर हरिया काका बुरी तरह हड़बड़ा गया। उससे तुरंत कुछ कहते न बना। भला वह कैसे बताता रितू को कि उसने सूरज चौधरी की गाॅड मार कर ऐसी बुरी हालत की थी जबकि बाॅकी वो तीनो तो उसे देख देख कर ही अपनी हालत ख़राब कर बैठे थे। हरिया ने उन तीनों की अभी गाॅड नहीं मारी थी। उसने सोचा था कि एक दिन में एक की ही तबीयत से गाॅड मारेगा।
"ऊ का है न बिटिया।" हरिया काका ने झट से कहा___"हम ई सोचत रहे कि ई ससुरन केर एक एक करके खातिरदारी करूॅगा। कल ता हम ई ससुरे की खातिरदारी किया हूॅ अउर आज दुसरे केर नम्बर हाय।"
"ओह तो ये बात है।" रितू ने कहा__"चलो ठीक है जैसे आपको ठीक लगे वैसा खातिरदारी करिये। बस इतना ज़रूर ध्यान दीजिएगा कि इनमें से कोई मर न जाए।"
"चिन्ता ना करा बिटिया।" काका ने कहा__"ई ससुरे बिना हमरी इजाजत के मर नाहीं सकत। जब तक हम इन सब केर पेल न लूॅगा तब तक ई कउनव ससुरे मर नाहीं सकत हैं।"
"क्या मतलब?" रितू को समझ न आया।
"अरे हम ई कह रहा हूॅ बिटिया कि जब तक हम ई ससुरन केर अच्छे से खातिरदारी न कर लूगाॅ।" काका ने बात को सम्हालते हुए कहा___"तब तक ई ससुरे कउनव नाहीं मर सकत। काहे से के ई हमरी ख्वाईश केर बात है हाॅ।"
"ख्वाहिश के बात?" रितू चौंकी___"इसमें आपकी कौन सी ख्वाहिश की बात है काका?"
"अरे हमरा मतबल है बिटिया कि खातिरदारी करैं केर ख्वाईश वाली बात।" काका मन ही मन खुद पर गुस्साते हुए और खिसियाते हुए बोला___"ई ता तुमको भी पता है बिटिया कि हमका केहू केर खातिरदारी करैं का केतना शौक है। उहै बात हम करथैं।"
तहखाने में इन लोगों की आवाज़ गूॅजते ही उन चारों को होश आया। दरअसल वो उस हालत में ही ऊॅघ रहे थे। इन लोगों की आवाज़ काॅनों में टकराने से उन लोगों को होश सा आया था। उन चारों ने सिर उठा कर रितू और काका की तरफ देखा। काका को देख कर वो चारो बुरी तरह घबरा गए। लेकिन जैसे ही उनकी नज़र रितू पर पड़ी तो उनमें उम्मीद की कोई आसा नज़र आई।
"इ इंस्पेक्टर इंस्पेक्टर।" अलोक ने मरी मरी सी आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा___"हमें यहाॅ से निकालो प्लीज़। हमें छोंड़ दो इंस्पेक्टर, हमे यहाॅ जाने दो वरना ये आदमी हमारी जान ले लेगा।"
"हाॅ हाॅ इंस्पेक्टर हमे जल्दी से यहाॅ से निकालो। ये आदमी बहुत खतरनाॅक है।" रोहित मेहरा गिड़गिड़ा उठा___"इसने सूरज की बहुत बुरी हालत कर दी है। प्लीज़ इंस्पेक्टर हमें इस आदमी से बचा लो। हम तुम्हारे आगे हाॅथ जोड़ते हैं। तुम्हारे पैर पड़ते हैं। हमें छोड़ दो प्लीज़।"
"अबे चुप।" हरिया काका इस तरह उन चारों की तरफ देख कर गरजा था जैसे कोई शेर दहाड़ा हो___"हम कहता हूॅ चुप कर ससुरे वरना हमका ता जान गए हो न। ससुरे टेंटुआ दबा दूगा हम तुम सबकेर।"
हरिया की दहाड़ का तुरंत असर हुआ। उन चारों की बोलती इस तरह बंद हो गई जैसे बिजली के स्विच से बटन बंद कर देने पर बजते हुए टेपरिकार्डर का बजना बंद हो जाता है। मगर वो चुप ज़रूर हो गए थे मगर उन सबकी ऑखों में करुण याचना और विनती करने जैसे भाव स्पष्टरूप से दिख रहे थे।
"तुम लोगों के लिए अब कोई रहम नहीं हो सकता समझे?" रितू ने कठोरता से कहा___"तुम लोगों ने जो पाप किया है और जो भी अपराध किया उसके लिए तुम सबको अब यहीं पल पल मरना है।"
"हमें मारना ही है तो एक ही बार में हमारी जान ले लो इंस्पेक्टर।" निखिल ने कहा__"पर इस आदमी के हवाले मत करो हमे। ये आदमी बहुत बेरहम है। इसने सूरज के साथ बहुत बुरा किया है।"
"चिन्ता मत करो।" रितू ने कहा___"अभी इससे भी बुरा होगा तुम सबके साथ। दूसरों की बहन बेटियों की इज्ज़त लूटने का बहुत शौक है न तुम लोगों को तो अब खुद भी भुगतो। तुम सबका वो हाल होगा जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी न की होगी।"
"ई लोगन का का करना है बिटिया?" काका ने उन दो गार्डों की तरफ देखते हुए कहा__"हमका लागत है ई ससुरे फालतू मा ईहाॅ कस्ट उठाय रहे हैं।"
"इन दोनो को छोंड़ नहीं सकते हैं।" रितू ने कहा___"क्योंकि ये दोनो हमारा काम खराब कर देंगे। इस लिए इन लोगों को यहीं पर रहने दो। बस इन पर हाॅथ नहीं उठाना। इन्होने कोई अपराध नहीं किया है।"
"हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे बेटी।" एक गार्ड ने कहा___"हम अपने बाल बच्चों की कसम खाकर कहते हैं कि हम किसी से भी आपके और इन लोगों के बारे में कुछ नहीं बताएॅगे। हम इस शहर से ही बहुत दूर चले जाएॅगे। ताकि इन लोगों के बाप हमें ढूॅढ़ ही न पाएॅ।"
"हम आप दोनो पर कैसे यकीन करें?" रितू ने कहा___"आप खुद सोचिए कि अगर आप हमारी जगह होते तो क्या करते?"
"हम सब समझते हैं बिटिया।" दूसरे गार्ड ने कहा___"मगर यकीन तो करना ही पड़ेगा न बिटिया। क्योंकि हम अगर चाहें भी तो यकीन नहीं दिला सकते। हमारे पास कोई सबूत भी नहीं है जिसकी वजह से हम आपको यकीन दिला सकें। पर आपको सोचना चाहिए बेटी कि कोई बाप अपने बाल बच्चों की झूॅठी क़सम नहीं खाया करता। अधर्मी से अधर्मी आदमी भी अपनी औलाद की झूठी कसम नहीं खाता। हम तो गरीब आदमी है बेटी। दो पैसे के लिए इनके यहाॅ काम करते थे। मंत्री ने हमारे हाॅथ में बंदूखें पकड़ा दी। हम तो उन बंदूखों को चलाना भी नहीं जानते थे।"
दोनो गार्डों की बातें सुन कर रितू और हरिया सोच में पड़ गए। वो दोनो ही इन्हें सच्चे लग रहे थे। उनकी बातों में सच्चाई की झलक थी। मगर हालात ऐसे थे कि उन्हें छोंड़ना भी नीति के खिलाफ़ था। मगर फिर भी रितू ने ये सोच कर उनको छोंड़ देने का फैसला लिया कि जिनसे ये लोग बताएॅगे वो लोग तो खुद ही बहुत जल्द इसी तहखाने में आने वाले हैं।
ठीक है।" रितू ने कहा___"हम तुम दोनो को छोंड़ रहे हैं। सिर्फ इस लिए कि तुम दोनों ने अपने बच्चों की कसम खा कर कहा हैं तुम लोग यहाॅ के बारे में या इन चारों के बारे में किसी से कुछ नहीं कहोगे।"
"ओह धन्यवाद बेटी।" गार्ड ने खुश होते हुए कहा___"हम सच कह रहे हैं हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे। हम आज ही अपने गाव अपने प्रदेश चले जाएॅगे। काम ही तो करना है कहीं भी कर लेंगे।"
"काका इन दोनो को छोंड दो।" रितू ने हरिया से कहा___"और यहाॅ से इन्हें ले जाकर शंकर काका के पास ले जाओ। काका से कहना कि इन्हें नहला धुला कर तथा अच्छे से खाना खिलाकर रेलवे स्टेशन ले जाएॅ और इनके राज्य की तरफ जाने वाली ट्रेन में बैठा आएॅ।"
"ठीक है बिटिया।" हरिया ने कहा___"हम अभी इनका छोंड़ देता हूॅ।" कहने के साथ ही हरिया आगे बढ़ा और फिर कुछ ही देर में उन दोनो को रस्सियों के बंधन से मुक्त कर दिया। उन दोनो के हाॅथ अकड़ से गए थे। नीचे लाने में थोड़ी तक़लीफ़ हुई।
"बेटी एक चीज़ की इजाज़त चाहते हम।" एक गार्ड ने रितू से कहा था।
"कहो क्या चाहते हो?" रितू ने कहा।
"इन चारों को एक एक थप्पड़ लगाना चाहते हैं हम।" उस गार्ड के लहजे में एकाएक ही आक्रोश दिखा___"ये अधर्मी व दुराचारी लोग हैं। इन लोगों की वजह से सच में कितनी ही मासूम लड़कियों की जिदगी बरबाद हो गई।"
रितू ने उन्हें इजाज़त दे दी। इजाज़त मिलते ही दोनो उन चारों की तरफ बढ़े और फिर खींच कर एक थप्पड़ उन चारों के गालों पर रसीद कर दिया। चारों के हलक से चीखें निकल गई। ऑखों से पानी छलक पड़ा।
"धन्यवाद बेटी।" दूसरे गार्ड ने कहा__"इन लोगों के साथ बदतर से बदतर सुलूक करना। हरिया भाई, आप बिलकुल ठीक कर रहे हैं।"
इसके बाद हरिया उन दोनो को लेकर तहखाने से बाहर निकल गया। रितू खुद भी तहखाने से बाहर आ गई थी। तहखाने का गेट बंद कर वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
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नीलम को उसका दुपट्टा पकड़ा कर मैं एक झटके से पलट कर कालेज की कंटीन की तरफ बढ़ता चला गया था। इस वक्त मेरे मन में तूफान चालू था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि आज कालेज में नीलम से मेरी इस तरह से मुलाक़ात होगी। नीलम को देख कर मेरी ऑखों के सामने फिर से पिछली ज़िंदगी की ढेर सारी बातें किसी चलचित्र की मानिन्द दिखती चली गई थी। जिनमें प्यार था, घ्रणा थी, धोखा था। मेरा दिलो दिमाग़ एकदम से किसी भवॅर में फसता हुआ महसूस हुआ मुझे।
कंटीन में पहुॅच कर मैं एक कुर्सी पर चुपचाप बैठ गया और अपनी ऑखें बंद कर ली। मुझे अपने अंदर बहुत बेचैनी महसूस हो रही थी। मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। मेरा दिल रह रह कर दुखी होता जा रहा था। मेरी ऑखों में ऑसुओं का सैलाब सा उमड़ता हुआ लगा मुझे। मैने अपने अंदर के जज़्बात रूपी तूफान को बड़ी मुश्किल से रोंका हुआ था। मैं नहीं जानता कि मेरे वहाॅ से चले आने के बाद नीलम पर क्या प्रतिक्रिया हुई।
मुझे नहीं पता कि मैं उस हालत में कंटीन पर कितनी देर तक बैठा रहा। होश तब आया जब किसी ने पीछे से मेरी पीठ पर ज़बरदस्त तरीके से वार किया। उस वार से मैं कुर्सी समेत जमीन पर मुह के बल पछाड़ गया। अभी मैं उठ भी न पाया था कि मेरे पेट पर किसी के जूतों की ज़ोरदार ठोकर लगी। मैं उछलते हुए दूर जाकर गिरा।
मगर गिरते ही उछल कर खड़ा हो गया मैं। मेरी नज़र मेरे सामने से आते एक हट्टे कट्टे आदमी पर पड़ी। उसकी ब्वाडी किसी भी मामले में किसी रेसलर से कम न थी। मुझे समझ न आया कि ये कौन है, कहाॅ से आया है और मुझ पर इस तरह अटैक क्यों किये जा रहा है।
"हीरो बनने का बहुत शौक है न तुझे?" उस आदमी ने अजीब भाव से कहा___"साले मेरे छोटे भाई पर हाॅथ उठाया तूने। तुझे इसका अंजाम भुगतना ही पड़ेगा। ऐसी ऐसी जगह से तेरी हड्डियाॅ तोड़ूॅगा कि दुनियाॅ का कोई डाॅक्टर तेरी हड्डियों को जोड़ नहीं पाएगा।"
"ओह तो तुम उस हराम के पिल्ले के बड़े भाई हो।" मैने कहा___"और मुझसे अपने छोटे भाई का बदला लेने आए हो। अच्छी बात है, लेना भी चाहिए। मगर, मेरी एक फरमाइश है भाई।"
"क्या बक रहा है तू?" वो आदमी शख्ती से गुर्राया___"कैसी फरमाइश?"
उधर रितू अपने फार्महाउस पर पहुॅची। हरिया काका से उसने उन चारों का हाल चाल पूछा और फिर अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। कमरे में पहुॅच कर उसने दरवाजा बंद किया और कमरे में एक तरफ रखी आलमारी की तरफ बढ़ी। आलमारी को खोल कर उसने उस बैग को निकाला जिसे वह चौधरी के फार्महाउस से लेकर आई थी। बैग को बेड पर रख कर उसने उसमें से कई सारी चीज़ें निकाल कर बेड पर रखा।
कुछ फोटोग्राफ्स थे उसमें, कुछ लेटर्स और कई सारी पेनड्राइव्स। रितू ने उठ कर आलमारी से अपना लेपटाॅप निकाला। उसे ऑन किया। कुछ देर बाद जब वह ऑन हो गया दिया तो रितू ने उसमें एक पेनड्राइव लगाया। कुछ ही पल में लेपटाॅप की स्क्रीन पर पेनड्राइव को ओपेन करने का ऑप्शन आया। रितू ने उस पर क्लिक किया। पर भर में ही स्क्रीन पर उसे बहुत सारी फोटोज और वीडियोज दिखने लगी।
फोटोज देख कर रितू का दिमाग़ खराब होने लगा। वो सारी फोटो न्यूड रूप में कई सारी लड़कियों की थी। रितू उन लड़कियों को पहचानती तो नहीं थी लेकिन फोटो में उन लड़कियों के पोज से उसे पता चल रहा था कि इन लड़कियों की मर्ज़ी से ही ये फोटोज खींचे गए थे। रितू के चेहरे पर उन लड़कियों के प्रति नफ़रत और घ्रणा के भाव उभर आए।
उसके बाद उसने एक वीडियो पर क्लिक किया। क्लिक करते ही वो वीडियो चालू हो गई। इस वीडियो में जो लड़का था वह रोहित था। वो किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था। लड़की अपनी दोनो टाॅगों को कैंची शक्ल देकर रोहित की कमर पर जकड़ा हुआ था। रितू ने फौरन ही वीडियो को बंद कर दिया और दूसरी वीडियो को ओपेन किया। इस वीडियो में अलोक लड़की की चूॅत चाट रहा था। रितू ने तुरंत ही वीडियो बंद कर दिया। उसके अंदर गुस्सा बढ़ने लगा था।
एक एक करके रितू ने सारे वीडियो देख लिए। वो सारे वीडियो इन चारो लड़कों के ही थे जो अलग अलग लड़कियों के साथ बनाए गए थे। रितू ने लेपटाॅप से पेनड्राइव निकाल कर अलग साइड पर रखा और दूसरा पेनड्राइव लेपटाॅप पर लगा दिया। कुछ ही देर में उसने देखा कि इस पेनड्राइव में भी यही चारो लड़के किसी न किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहे थे। रितू ने उस पेनड्राइव को भी अलग रख दिया। इसी तरह रितू एक एक पेनड्राइव को लेपटाॅप पर लगा कर देखती रही। कुछ पेनड्राइव्स में उसने देखा कि इन चारों लड़कों ने लड़कियों को उनकी बेहोशी में उनके सारे कपड़े उतारे और फिर उनके साथ अलग अलग पोजीशन में सेक्स किया था। रितू समझ सकती थी कि इन लड़कियों के साथ इन लोगों ने धोखे से ये सब किया था। ज्यादातर पेनड्राइव्स में इन लड़कों के ही वीडियोज थे।
रितू ने एक और पेनड्राइव लेपटाॅप पर लगाया। इस पेनड्राइव में कई फोल्डर बने हुए थे। जिन पर नाम डाला हुआ था। एक फोल्डर पर लिखा था "डैडी"। रितू ने तुरंत ही इस फोल्डर को ओपेन किया। स्क्रीन पर कई सारे वीडियोज आ गए। एक वीडियो पर क्लिक किया रितू ने। क्लिक करते ही वीडियो चालू हो गई। वीडियो में सूरज का बाप दिवाकर चौधरी किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था। ये वीडियो सिर्फ एक ही एंगल से लिया गया था। मतलब साफ था कि कहीं पर वीडियो कैमरा छुपाया गया था और दिवाकर चौधरी को इस बात का पता ही नहीं था। वरना वो अपनी ऐसी वीडियो बनाने की सोचता भी नहीं।
रितू ने फौरन ही वो वीडियो काॅपी कर एक अलग से फोल्डर बना कर उसमें डाल दिया। उसके बाद रितू ने एक एक करके सभी वीडियो देखे। सभी वीडियों में दिवाकर चौधरी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था। रितू ने दूसरा फोल्डर खोला। उसमें भी वीडियोज थे। रितू समझ गई कि ये उन लोगों के काले कारनामों के वीडियोज हैं जिनका संबंध दिवाकर चौधरी से है।
उन चारो लड़कों बापों के वीडियोज भी इसमें थे। रितू के लिए ये काफी मसाला था दिवाकर चौधरी को काबू में करने के लिए। उसने उन चारो लड़कों के बापों का एक एक वीडियो अपने लैपटाॅप में बनाए गए उस फोल्डर में डाल लिया।
सारे सामान को वापस बैग में भर कर उसने उस बैग को वापस आलमारी में रख कर आलमारी को लाॅक कर दिया। इसके बाद वह पलटी और एक तरफ रखे उस छोटे से थैले को उठाया जिसमें आज का खरीदा हुआ मोबाइल फोन और सिम था। उसने थैले से फोन कि डिब्बा निकाला और उसे खोलने लगी। मोबाइल निकाल कर उसने मोबाइल के चार्जर को भी निकाला। चार्जर में एक अलग से केबल थी। उसने उस केबल को मोबाइल में लगाया और दूसरा सिरा लैपटाॅप में। तुरंत ही लैपटाॅप की स्क्रीन पर एक ऑप्शन आया। मोबाइल की स्क्रीन पर भी शो हुआ। रितू ने सेटिंग सही की और फिर उन वीडियोज को काॅपी कर मोबाइल के स्टोरेज पर पेस्ट कर दिया। चारो वीडियोज कुछ ही देर में मोबाइल में अपलोड हो गई।
इसके बाद रितू ने केबल निकाल कर वापस मोबाइल के डिब्बे पर रख दिया। एक नज़र उसने मोबाइल की बैटरी पर डाली तो पता चला कि मोबाइल पर अभी 27% बैटरी है। रितू ने फौरन ही चार्जर निकाल कर मोबाइल फोन को चार्जिंग पर लगा दिया। इसके बाद वह कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
बाहर आकर उसने काकी से काका को बुलवाया। थोड़ी ही देर में हरिया काका रितू के पास आ गया।
"का बात है बिटिया?" काका ने कहा__"ऊ बिंदिया ने हमसे कहा कि तुम हमका बुलाई हो।"
"हाॅ काका।" रितू ने कहा___"मैने सोचा कि एक नज़र मैं भी देख लूॅ उन चारो पिल्लों को। वैसे उन सबकी खातिरदारी में कोई कमी तो नहीं की न आपने?"
"अइसन होई सकत है का बिटिया?" हरिया काका ने अपनी बड़ी बड़ी मूॅछों पर ताव देते हुए कहा___"तुम्हरे हर आदेश का हम बहुतै अच्छी तरह से पालन किया हूॅ। ऊ ससुरन केर अइसन खातिरदारी किया हूॅ कि ससुरन केर नानी का नानी केर नानी भी याद आ गई रहे।"
"अगर ऐसी बात है तो बहुत अच्छा किया है आपने।" रितू ने कहा___"उनकी खातिरदारी करने की जिम्मेदारी आपकी है। उनकी खातिरदारी के लिए आप शंकर काका को भी बुला लीजिएगा।"
"अरे ना बिटिया।" हरिया काका ने झट से कहा___"ऊ ससुरे शंकरवा केर कौनव जरूरत ना है। हम खुदै काफी हूॅ ऊ ससुरन केर खातिरदारी करैं केर खातिर। ऊ का है ना बिटिया ऊ शंकरवा से ई काम होई नहीं सकत है। ई ता हम हूॅ जो यतनी अच्छी तरह से खातिरदारी कर सकत हूॅ।"
"ओह ऐसी बात है क्या?" रितू मुस्कुराई।
"अउर नहीं ता का।" काका ने सीना तान कर कहा___"हम ता ई काम मा बहुतै एकसपरट हूॅ बिटिया।"
"काका वो एकसपरट नहीं बल्कि एक्सपर्ट होता है।" रितू ने हॅसते हुए कहा।
"हाॅ हाॅ ऊहै बिटिया।" हरिया काका ने झेंपते हुए कहा___"ऊहै एक्सपरट हूॅ।"
"अच्छा चलिए अब।" रितू ने कहा___"मैं भी तो देखूॅ कि आपने कैसी खातिरदारी की है उन लोगों की?"
"बिलकुल चला बिटिया।" काका ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा___"ऊ लोगन का देख के तुम्हरे समझ मा जरूर आ जई कि हम खातिरदारी करैं मा केतना एकसपरट हूॅ हाॅ।"
रितू, काका की बात पर मुस्कुराती हुई तहखाने में पहुॅची। तहखाने का नज़ारा पहले की अपेक्षा ज़रा अलग था इस वक्त। उन चारों की हालत बहुत ख़राब थी। उन लोगों से ठीक से खड़े नहीं हुआ जा रहा था। सबसे ज्यादा सूरज चौधरी की हालत खराब थी। वह बिलकुल बेजान सा जान पड़ता था। बाॅकी तीनों उससे कुछ बेहतर थे। उन सभी की गर्दनें नीचे झुकी हुई थी। जबकि उनके सामने वाली दीवार पर बॅधे दोनो गार्ड्स की हालत खराब तो थी पर उन चारो जैसी दयनीय नहीं थी। इसकी वजह ये थी कि हरिया या रितू ने उन पर किसी भी तरह से हाॅथ नहीं उठाया था। वो तो बस बॅधे हुए थे।
"काका एक बात समझ में नहीं आई।" रितू ने उन चारों को ध्यान से देखते हुए कहा__"इन चारों में से सबसे ज्यादा इस मंत्री के हरामी बेटे की हालत खराब क्यों हैं जबकि बाॅकी ये तीनों इससे तो ठीक ठाक ही नज़र आ रहे हैं।"
रितू की ये बात सुन कर हरिया काका बुरी तरह हड़बड़ा गया। उससे तुरंत कुछ कहते न बना। भला वह कैसे बताता रितू को कि उसने सूरज चौधरी की गाॅड मार कर ऐसी बुरी हालत की थी जबकि बाॅकी वो तीनो तो उसे देख देख कर ही अपनी हालत ख़राब कर बैठे थे। हरिया ने उन तीनों की अभी गाॅड नहीं मारी थी। उसने सोचा था कि एक दिन में एक की ही तबीयत से गाॅड मारेगा।
"ऊ का है न बिटिया।" हरिया काका ने झट से कहा___"हम ई सोचत रहे कि ई ससुरन केर एक एक करके खातिरदारी करूॅगा। कल ता हम ई ससुरे की खातिरदारी किया हूॅ अउर आज दुसरे केर नम्बर हाय।"
"ओह तो ये बात है।" रितू ने कहा__"चलो ठीक है जैसे आपको ठीक लगे वैसा खातिरदारी करिये। बस इतना ज़रूर ध्यान दीजिएगा कि इनमें से कोई मर न जाए।"
"चिन्ता ना करा बिटिया।" काका ने कहा__"ई ससुरे बिना हमरी इजाजत के मर नाहीं सकत। जब तक हम इन सब केर पेल न लूॅगा तब तक ई कउनव ससुरे मर नाहीं सकत हैं।"
"क्या मतलब?" रितू को समझ न आया।
"अरे हम ई कह रहा हूॅ बिटिया कि जब तक हम ई ससुरन केर अच्छे से खातिरदारी न कर लूगाॅ।" काका ने बात को सम्हालते हुए कहा___"तब तक ई ससुरे कउनव नाहीं मर सकत। काहे से के ई हमरी ख्वाईश केर बात है हाॅ।"
"ख्वाहिश के बात?" रितू चौंकी___"इसमें आपकी कौन सी ख्वाहिश की बात है काका?"
"अरे हमरा मतबल है बिटिया कि खातिरदारी करैं केर ख्वाईश वाली बात।" काका मन ही मन खुद पर गुस्साते हुए और खिसियाते हुए बोला___"ई ता तुमको भी पता है बिटिया कि हमका केहू केर खातिरदारी करैं का केतना शौक है। उहै बात हम करथैं।"
तहखाने में इन लोगों की आवाज़ गूॅजते ही उन चारों को होश आया। दरअसल वो उस हालत में ही ऊॅघ रहे थे। इन लोगों की आवाज़ काॅनों में टकराने से उन लोगों को होश सा आया था। उन चारों ने सिर उठा कर रितू और काका की तरफ देखा। काका को देख कर वो चारो बुरी तरह घबरा गए। लेकिन जैसे ही उनकी नज़र रितू पर पड़ी तो उनमें उम्मीद की कोई आसा नज़र आई।
"इ इंस्पेक्टर इंस्पेक्टर।" अलोक ने मरी मरी सी आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा___"हमें यहाॅ से निकालो प्लीज़। हमें छोंड़ दो इंस्पेक्टर, हमे यहाॅ जाने दो वरना ये आदमी हमारी जान ले लेगा।"
"हाॅ हाॅ इंस्पेक्टर हमे जल्दी से यहाॅ से निकालो। ये आदमी बहुत खतरनाॅक है।" रोहित मेहरा गिड़गिड़ा उठा___"इसने सूरज की बहुत बुरी हालत कर दी है। प्लीज़ इंस्पेक्टर हमें इस आदमी से बचा लो। हम तुम्हारे आगे हाॅथ जोड़ते हैं। तुम्हारे पैर पड़ते हैं। हमें छोड़ दो प्लीज़।"
"अबे चुप।" हरिया काका इस तरह उन चारों की तरफ देख कर गरजा था जैसे कोई शेर दहाड़ा हो___"हम कहता हूॅ चुप कर ससुरे वरना हमका ता जान गए हो न। ससुरे टेंटुआ दबा दूगा हम तुम सबकेर।"
हरिया की दहाड़ का तुरंत असर हुआ। उन चारों की बोलती इस तरह बंद हो गई जैसे बिजली के स्विच से बटन बंद कर देने पर बजते हुए टेपरिकार्डर का बजना बंद हो जाता है। मगर वो चुप ज़रूर हो गए थे मगर उन सबकी ऑखों में करुण याचना और विनती करने जैसे भाव स्पष्टरूप से दिख रहे थे।
"तुम लोगों के लिए अब कोई रहम नहीं हो सकता समझे?" रितू ने कठोरता से कहा___"तुम लोगों ने जो पाप किया है और जो भी अपराध किया उसके लिए तुम सबको अब यहीं पल पल मरना है।"
"हमें मारना ही है तो एक ही बार में हमारी जान ले लो इंस्पेक्टर।" निखिल ने कहा__"पर इस आदमी के हवाले मत करो हमे। ये आदमी बहुत बेरहम है। इसने सूरज के साथ बहुत बुरा किया है।"
"चिन्ता मत करो।" रितू ने कहा___"अभी इससे भी बुरा होगा तुम सबके साथ। दूसरों की बहन बेटियों की इज्ज़त लूटने का बहुत शौक है न तुम लोगों को तो अब खुद भी भुगतो। तुम सबका वो हाल होगा जिसकी कभी किसी ने कल्पना भी न की होगी।"
"ई लोगन का का करना है बिटिया?" काका ने उन दो गार्डों की तरफ देखते हुए कहा__"हमका लागत है ई ससुरे फालतू मा ईहाॅ कस्ट उठाय रहे हैं।"
"इन दोनो को छोंड़ नहीं सकते हैं।" रितू ने कहा___"क्योंकि ये दोनो हमारा काम खराब कर देंगे। इस लिए इन लोगों को यहीं पर रहने दो। बस इन पर हाॅथ नहीं उठाना। इन्होने कोई अपराध नहीं किया है।"
"हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे बेटी।" एक गार्ड ने कहा___"हम अपने बाल बच्चों की कसम खाकर कहते हैं कि हम किसी से भी आपके और इन लोगों के बारे में कुछ नहीं बताएॅगे। हम इस शहर से ही बहुत दूर चले जाएॅगे। ताकि इन लोगों के बाप हमें ढूॅढ़ ही न पाएॅ।"
"हम आप दोनो पर कैसे यकीन करें?" रितू ने कहा___"आप खुद सोचिए कि अगर आप हमारी जगह होते तो क्या करते?"
"हम सब समझते हैं बिटिया।" दूसरे गार्ड ने कहा___"मगर यकीन तो करना ही पड़ेगा न बिटिया। क्योंकि हम अगर चाहें भी तो यकीन नहीं दिला सकते। हमारे पास कोई सबूत भी नहीं है जिसकी वजह से हम आपको यकीन दिला सकें। पर आपको सोचना चाहिए बेटी कि कोई बाप अपने बाल बच्चों की झूॅठी क़सम नहीं खाया करता। अधर्मी से अधर्मी आदमी भी अपनी औलाद की झूठी कसम नहीं खाता। हम तो गरीब आदमी है बेटी। दो पैसे के लिए इनके यहाॅ काम करते थे। मंत्री ने हमारे हाॅथ में बंदूखें पकड़ा दी। हम तो उन बंदूखों को चलाना भी नहीं जानते थे।"
दोनो गार्डों की बातें सुन कर रितू और हरिया सोच में पड़ गए। वो दोनो ही इन्हें सच्चे लग रहे थे। उनकी बातों में सच्चाई की झलक थी। मगर हालात ऐसे थे कि उन्हें छोंड़ना भी नीति के खिलाफ़ था। मगर फिर भी रितू ने ये सोच कर उनको छोंड़ देने का फैसला लिया कि जिनसे ये लोग बताएॅगे वो लोग तो खुद ही बहुत जल्द इसी तहखाने में आने वाले हैं।
ठीक है।" रितू ने कहा___"हम तुम दोनो को छोंड़ रहे हैं। सिर्फ इस लिए कि तुम दोनों ने अपने बच्चों की कसम खा कर कहा हैं तुम लोग यहाॅ के बारे में या इन चारों के बारे में किसी से कुछ नहीं कहोगे।"
"ओह धन्यवाद बेटी।" गार्ड ने खुश होते हुए कहा___"हम सच कह रहे हैं हम किसी से कुछ नहीं कहेंगे। हम आज ही अपने गाव अपने प्रदेश चले जाएॅगे। काम ही तो करना है कहीं भी कर लेंगे।"
"काका इन दोनो को छोंड दो।" रितू ने हरिया से कहा___"और यहाॅ से इन्हें ले जाकर शंकर काका के पास ले जाओ। काका से कहना कि इन्हें नहला धुला कर तथा अच्छे से खाना खिलाकर रेलवे स्टेशन ले जाएॅ और इनके राज्य की तरफ जाने वाली ट्रेन में बैठा आएॅ।"
"ठीक है बिटिया।" हरिया ने कहा___"हम अभी इनका छोंड़ देता हूॅ।" कहने के साथ ही हरिया आगे बढ़ा और फिर कुछ ही देर में उन दोनो को रस्सियों के बंधन से मुक्त कर दिया। उन दोनो के हाॅथ अकड़ से गए थे। नीचे लाने में थोड़ी तक़लीफ़ हुई।
"बेटी एक चीज़ की इजाज़त चाहते हम।" एक गार्ड ने रितू से कहा था।
"कहो क्या चाहते हो?" रितू ने कहा।
"इन चारों को एक एक थप्पड़ लगाना चाहते हैं हम।" उस गार्ड के लहजे में एकाएक ही आक्रोश दिखा___"ये अधर्मी व दुराचारी लोग हैं। इन लोगों की वजह से सच में कितनी ही मासूम लड़कियों की जिदगी बरबाद हो गई।"
रितू ने उन्हें इजाज़त दे दी। इजाज़त मिलते ही दोनो उन चारों की तरफ बढ़े और फिर खींच कर एक थप्पड़ उन चारों के गालों पर रसीद कर दिया। चारों के हलक से चीखें निकल गई। ऑखों से पानी छलक पड़ा।
"धन्यवाद बेटी।" दूसरे गार्ड ने कहा__"इन लोगों के साथ बदतर से बदतर सुलूक करना। हरिया भाई, आप बिलकुल ठीक कर रहे हैं।"
इसके बाद हरिया उन दोनो को लेकर तहखाने से बाहर निकल गया। रितू खुद भी तहखाने से बाहर आ गई थी। तहखाने का गेट बंद कर वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
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नीलम को उसका दुपट्टा पकड़ा कर मैं एक झटके से पलट कर कालेज की कंटीन की तरफ बढ़ता चला गया था। इस वक्त मेरे मन में तूफान चालू था। मैं सोच भी नहीं सकता था कि आज कालेज में नीलम से मेरी इस तरह से मुलाक़ात होगी। नीलम को देख कर मेरी ऑखों के सामने फिर से पिछली ज़िंदगी की ढेर सारी बातें किसी चलचित्र की मानिन्द दिखती चली गई थी। जिनमें प्यार था, घ्रणा थी, धोखा था। मेरा दिलो दिमाग़ एकदम से किसी भवॅर में फसता हुआ महसूस हुआ मुझे।
कंटीन में पहुॅच कर मैं एक कुर्सी पर चुपचाप बैठ गया और अपनी ऑखें बंद कर ली। मुझे अपने अंदर बहुत बेचैनी महसूस हो रही थी। मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था। मेरा दिल रह रह कर दुखी होता जा रहा था। मेरी ऑखों में ऑसुओं का सैलाब सा उमड़ता हुआ लगा मुझे। मैने अपने अंदर के जज़्बात रूपी तूफान को बड़ी मुश्किल से रोंका हुआ था। मैं नहीं जानता कि मेरे वहाॅ से चले आने के बाद नीलम पर क्या प्रतिक्रिया हुई।
मुझे नहीं पता कि मैं उस हालत में कंटीन पर कितनी देर तक बैठा रहा। होश तब आया जब किसी ने पीछे से मेरी पीठ पर ज़बरदस्त तरीके से वार किया। उस वार से मैं कुर्सी समेत जमीन पर मुह के बल पछाड़ गया। अभी मैं उठ भी न पाया था कि मेरे पेट पर किसी के जूतों की ज़ोरदार ठोकर लगी। मैं उछलते हुए दूर जाकर गिरा।
मगर गिरते ही उछल कर खड़ा हो गया मैं। मेरी नज़र मेरे सामने से आते एक हट्टे कट्टे आदमी पर पड़ी। उसकी ब्वाडी किसी भी मामले में किसी रेसलर से कम न थी। मुझे समझ न आया कि ये कौन है, कहाॅ से आया है और मुझ पर इस तरह अटैक क्यों किये जा रहा है।
"हीरो बनने का बहुत शौक है न तुझे?" उस आदमी ने अजीब भाव से कहा___"साले मेरे छोटे भाई पर हाॅथ उठाया तूने। तुझे इसका अंजाम भुगतना ही पड़ेगा। ऐसी ऐसी जगह से तेरी हड्डियाॅ तोड़ूॅगा कि दुनियाॅ का कोई डाॅक्टर तेरी हड्डियों को जोड़ नहीं पाएगा।"
"ओह तो तुम उस हराम के पिल्ले के बड़े भाई हो।" मैने कहा___"और मुझसे अपने छोटे भाई का बदला लेने आए हो। अच्छी बात है, लेना भी चाहिए। मगर, मेरी एक फरमाइश है भाई।"
"क्या बक रहा है तू?" वो आदमी शख्ती से गुर्राया___"कैसी फरमाइश?"