hotaks444
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कामरू- चल चल, उनकी चिंता छोड़ और गले लग जा हमरे। ये मौका बार-बार नहीं मिलेगा। आ इसका पूरा फायदा उठाएं... दो बार हो चुका है। कम से कम दो बार और आजमाएं।
और सहेली अपने जीजाजी की बाहों में सिमट गई। और फिर तीसरे राउंड की चुदाई की तैयारी होने लगी।
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और उधर बगल के कमरे में। जहाँ पे पलंग के ऊपर भादरू लुंगी पहने बेसुध पड़ा था और नींद में उससे लिपट रखी थी कमलावती।
रात को किस समय कमलावती की नींद खुली पता नहीं... पर उसे ठंड लग रही थी, तो आदत के मुताबिक वो अपने पति से लिपट गई। उसके लिपटने से भादरू नींद में ही उससे लिपट गया। इधर कमलावती भी उसके लण्ड को सहलाने लगी।
कमलावती को आज अपने पति का लण्ड कुछ छोटा और पतला लग रहा था। दिन में वो चुदवा चुकी थी। रात में नहीं चुदाना चाहिए... उसे ये उसे ध्यान था। पर उसे मालूम था की उसकी सहेली ने खाने में नींद की गोली मिलाई है और उसका पति अभी जागेगा नहीं, इसीलिए लण्ड और दिनों से कुछ छोटा और पतला लग रहा है। और उसे ये मौका हाथ से ना जाने देना चाहिए। उसने अपने पति का लण्ड सहलाया तो लण्ड कड़ा हो चुका था। और कमलावती को आश्चर्य हो रहा था की कड़ा होने के बावजूद भी लण्ड इतना बिशाल नहीं लग रहा था जितना की रोज लगता है। आज उसे इस छोट से लण्ड पर प्यार आ रहा था। उसने उसे फिर से सहलाया। और लुंगी को पूरा ही खोल दिया।
खुद की साड़ी और साया भी खोल दिया। नीचे पैंटी तो वो पहनती ही नहीं थी। अब वो उठी और लण्ड को एक पप्पी दी और और खुद ही शर्मा गई। फिर उसने वो किया जो उसका पति उससे करने के लिए मिन्नतें करता था और वो मना करती थे... लण्ड की चुसाई। पहले दिन तो उसे उल्टी हो गई थी और उसने कान पकड़ लिया था की कभी लण्ड नहीं चूसेगी। उस दिन तो उसके पति ने उसके मुँह में ही लण्ड घुसेड़ दिया था की वो जाकर गले में फंस गया और उसकी सांसें अटक गई। और अगले ही पल उबकाई के साथ ही सारा खाना बाहर। पर आज... आज उसके लण्ड को वो बढ़िया तरीके से चूस रही थी... और उसे उबकाई भी नहीं आ रही थी। हाय लण्ड चूसना तो वाकाई में मजेदार है। उसने नाहक ही मना करके इस मजे को ठुकरा दिया था। अब वो अपने पति का लण्ड रोज चूसेगी। ये सब सोच ही रही थी की लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। उसने लण्ड को मुँह से निकालना चाहा, पर एक पूँट पीने के बाद उसका स्वाद अच्छा लगने के कारण पूरा का पूरा ही उसने अपने गले के नीचे उड़ेल लिया।
कमला ने जब भादरू के लण्ड के सारे रस को अपने गले के नीचे उतार लिया तो। उसकी चूत में खुजली होने लगी, और उस मस्ताने लण्ड को अपने अंदर लेने को वो मचलने लगी। पर लण्ड था की खड़ा होने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसे ताज्जुब हो रहा था कि उसके पति के लण्ड को ये क्या हो गया है? लण्ड के ऊपर हाथ फेरते ही फट से खड़ा हो जाने वाला लण्ड आज जरूरत से ज्यादा पतला भी लग रहा था और छोटा भी। उसने लण्ड को चूसा। खैर, उसे मजा आया। पर अब अपनी चूत की प्यास को वो कैसे बुझाए?
उसने सोचा- चलो फिर चूस के लण्ड को खड़ा किया जाए तो मजा आ जाए। उसने लण्ड को फिर से चूसना चालू किया तो अपने पति के बदन को हिलते हुए पाया। उसके पति ने उसका सिर पकड़कर लण्ड की तरफ बढ़ाया तो उसने चूसना जारी रखा।
भादरू- वाह.. आज तो रानी तूने कमाल कर दिया। मुझे उठाया भी नहीं और लण्ड चूसना शुरू कर दिया।
कमलावती सोचने लगी की ये उसके पति क्या कह रहे हैं- “आज तो रानी तूने कमाल कर दिया। मुझे उठाया भी नहीं और लण्ड चूसना शुरू कर दिया.. पर मैंने तो आज पहली बार उनका लण्ड चूसा है। फिर ये ऐसे क्यों कह रहे हैं। लगता है सपना देख रहे हैं पति देव।
भादरू ने उसकी चूचियां सहलाई। और फिर दबाने लगा- “अरे रानी, आज बहुत ही मुलायम लग रही हैं तेरी चूचियां... क्या बात है?
कमलावती- दिन में ऐसा तगड़ा चोदोगे तो क्या होगा? चूचियों को दबा-दबाकर मुलायम कर दिया। फिर कुछ दिनों के बाद बोलोगे की पपीता बन गई हैं चूचियां। लटकने लगी हैं।
भादरू- ऐसी बात क्यों करती हो रानी तुम? मैंने आज तक कभी तुमको ऐसा कुछ कहा है क्या?
कमलावती- नहीं कहा जी... पर डर लगता है मुझे आपके लण्ड से कि कहीं मेरी फुद्दी को फाड़ ना दे।
और सहेली अपने जीजाजी की बाहों में सिमट गई। और फिर तीसरे राउंड की चुदाई की तैयारी होने लगी।
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और उधर बगल के कमरे में। जहाँ पे पलंग के ऊपर भादरू लुंगी पहने बेसुध पड़ा था और नींद में उससे लिपट रखी थी कमलावती।
रात को किस समय कमलावती की नींद खुली पता नहीं... पर उसे ठंड लग रही थी, तो आदत के मुताबिक वो अपने पति से लिपट गई। उसके लिपटने से भादरू नींद में ही उससे लिपट गया। इधर कमलावती भी उसके लण्ड को सहलाने लगी।
कमलावती को आज अपने पति का लण्ड कुछ छोटा और पतला लग रहा था। दिन में वो चुदवा चुकी थी। रात में नहीं चुदाना चाहिए... उसे ये उसे ध्यान था। पर उसे मालूम था की उसकी सहेली ने खाने में नींद की गोली मिलाई है और उसका पति अभी जागेगा नहीं, इसीलिए लण्ड और दिनों से कुछ छोटा और पतला लग रहा है। और उसे ये मौका हाथ से ना जाने देना चाहिए। उसने अपने पति का लण्ड सहलाया तो लण्ड कड़ा हो चुका था। और कमलावती को आश्चर्य हो रहा था की कड़ा होने के बावजूद भी लण्ड इतना बिशाल नहीं लग रहा था जितना की रोज लगता है। आज उसे इस छोट से लण्ड पर प्यार आ रहा था। उसने उसे फिर से सहलाया। और लुंगी को पूरा ही खोल दिया।
खुद की साड़ी और साया भी खोल दिया। नीचे पैंटी तो वो पहनती ही नहीं थी। अब वो उठी और लण्ड को एक पप्पी दी और और खुद ही शर्मा गई। फिर उसने वो किया जो उसका पति उससे करने के लिए मिन्नतें करता था और वो मना करती थे... लण्ड की चुसाई। पहले दिन तो उसे उल्टी हो गई थी और उसने कान पकड़ लिया था की कभी लण्ड नहीं चूसेगी। उस दिन तो उसके पति ने उसके मुँह में ही लण्ड घुसेड़ दिया था की वो जाकर गले में फंस गया और उसकी सांसें अटक गई। और अगले ही पल उबकाई के साथ ही सारा खाना बाहर। पर आज... आज उसके लण्ड को वो बढ़िया तरीके से चूस रही थी... और उसे उबकाई भी नहीं आ रही थी। हाय लण्ड चूसना तो वाकाई में मजेदार है। उसने नाहक ही मना करके इस मजे को ठुकरा दिया था। अब वो अपने पति का लण्ड रोज चूसेगी। ये सब सोच ही रही थी की लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी। उसने लण्ड को मुँह से निकालना चाहा, पर एक पूँट पीने के बाद उसका स्वाद अच्छा लगने के कारण पूरा का पूरा ही उसने अपने गले के नीचे उड़ेल लिया।
कमला ने जब भादरू के लण्ड के सारे रस को अपने गले के नीचे उतार लिया तो। उसकी चूत में खुजली होने लगी, और उस मस्ताने लण्ड को अपने अंदर लेने को वो मचलने लगी। पर लण्ड था की खड़ा होने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसे ताज्जुब हो रहा था कि उसके पति के लण्ड को ये क्या हो गया है? लण्ड के ऊपर हाथ फेरते ही फट से खड़ा हो जाने वाला लण्ड आज जरूरत से ज्यादा पतला भी लग रहा था और छोटा भी। उसने लण्ड को चूसा। खैर, उसे मजा आया। पर अब अपनी चूत की प्यास को वो कैसे बुझाए?
उसने सोचा- चलो फिर चूस के लण्ड को खड़ा किया जाए तो मजा आ जाए। उसने लण्ड को फिर से चूसना चालू किया तो अपने पति के बदन को हिलते हुए पाया। उसके पति ने उसका सिर पकड़कर लण्ड की तरफ बढ़ाया तो उसने चूसना जारी रखा।
भादरू- वाह.. आज तो रानी तूने कमाल कर दिया। मुझे उठाया भी नहीं और लण्ड चूसना शुरू कर दिया।
कमलावती सोचने लगी की ये उसके पति क्या कह रहे हैं- “आज तो रानी तूने कमाल कर दिया। मुझे उठाया भी नहीं और लण्ड चूसना शुरू कर दिया.. पर मैंने तो आज पहली बार उनका लण्ड चूसा है। फिर ये ऐसे क्यों कह रहे हैं। लगता है सपना देख रहे हैं पति देव।
भादरू ने उसकी चूचियां सहलाई। और फिर दबाने लगा- “अरे रानी, आज बहुत ही मुलायम लग रही हैं तेरी चूचियां... क्या बात है?
कमलावती- दिन में ऐसा तगड़ा चोदोगे तो क्या होगा? चूचियों को दबा-दबाकर मुलायम कर दिया। फिर कुछ दिनों के बाद बोलोगे की पपीता बन गई हैं चूचियां। लटकने लगी हैं।
भादरू- ऐसी बात क्यों करती हो रानी तुम? मैंने आज तक कभी तुमको ऐसा कुछ कहा है क्या?
कमलावती- नहीं कहा जी... पर डर लगता है मुझे आपके लण्ड से कि कहीं मेरी फुद्दी को फाड़ ना दे।