hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
कुछ नहीं साली... पहली बार में थोड़ा दर्द होगा, फिर मजा आएगा। देखना, एक बार मुझसे गाण्ड मरा लेगी ना तो फिर रोज आएगी यहाँ मुझसे गाण्ड मराने को...” कहते हुए तेरे बाबूजी ने दूसरा धक्का लगाया।
लालाजी की चीख उबल पड़ी- “हाय... मैं मरी...”
और फिर तेरे बाबूजी ने ताबड़तोड़ धक्का लगाना चालू जो किया तो फिर लण्ड से पानी निकलने के बाद ही उन्होंने छोड़ा।
लालाजी की चीख निकलती रही। लण्ड उसकी गाण्ड के अंदर-बाहर होता रहा। लालाजी की आँखों से आँसू निकल रहे थे, और फिर तेरे बाबूजी के लण्ड से फौव्वारा छूटा और लालाजी की गाण्ड तेरे बाबूजी के पानी से भर गई।
तेरे बाबूजी ने लालाजी के गालों को चूमते हुए कहा- “वाह... साली, मजा आ गया, आज तो। वायदा कर की कल फिर से आएगी। चल ठीक से बैठ जा। इससे पहले की मेरी बीवी आ जाए और हम दोनों को इस अवस्था में देख ले साड़ी ठीक कर ले। तू तो जानती ही है कि मैं तेरी इस गाण्ड का कितना बड़ा दीवाना हूँ... कहीं फिर से मूड ना हो जाये। अरे देख-देख मेरा लण्ड तो फिर से खड़ा होने लगा..."
लालाजी ने घबराते हुए अपनी साड़ी को फट से नीचे किया।
और मैं कमरे में दाखिल हुई- “हाँ जी... तो फिर मेरी सहेली का क्या करना है?
करना क्या है भागवान? यहीं इसी कमरे में सो जाएगी।
मम्मी- इसी कमरे में सो जाएगी? और मेरे सोने के बाद कहीं आपका उस पे मन चल गया तो?
मन चल गया तो क्या होगा भगवान? वही होगा जो हम दोनों के बीच में होता है। वैसे भी साली, आधी घरवाली होती है तो सो जाने दो। बल्कि मैं तो कहता हूँ कि मैं बीच में सो जाता हूँ। तुम दोनों मुझसे लिपटते हुए सो जाओ। पहले तेरी बजाता हूँ, या रहने दे। आज साली पहली बार आई है तो इसी का बजाता हूँ।
मम्मी- “पर जी आप तो मेरी सहेली के गाण्ड के दीवाने थे। आप तो कहते थे की मौका मिला तो रामदीन की बहू की गाण्ड जरूर से मारना चाहूँगा। आज मार लो इसकी गाण्ड..”
भागवान... मैं इस शानदार मौके को हाथ से थोड़े ही जाने देता। गाण्ड मार भी चुका हूँ।
लालाजी की चीख उबल पड़ी- “हाय... मैं मरी...”
और फिर तेरे बाबूजी ने ताबड़तोड़ धक्का लगाना चालू जो किया तो फिर लण्ड से पानी निकलने के बाद ही उन्होंने छोड़ा।
लालाजी की चीख निकलती रही। लण्ड उसकी गाण्ड के अंदर-बाहर होता रहा। लालाजी की आँखों से आँसू निकल रहे थे, और फिर तेरे बाबूजी के लण्ड से फौव्वारा छूटा और लालाजी की गाण्ड तेरे बाबूजी के पानी से भर गई।
तेरे बाबूजी ने लालाजी के गालों को चूमते हुए कहा- “वाह... साली, मजा आ गया, आज तो। वायदा कर की कल फिर से आएगी। चल ठीक से बैठ जा। इससे पहले की मेरी बीवी आ जाए और हम दोनों को इस अवस्था में देख ले साड़ी ठीक कर ले। तू तो जानती ही है कि मैं तेरी इस गाण्ड का कितना बड़ा दीवाना हूँ... कहीं फिर से मूड ना हो जाये। अरे देख-देख मेरा लण्ड तो फिर से खड़ा होने लगा..."
लालाजी ने घबराते हुए अपनी साड़ी को फट से नीचे किया।
और मैं कमरे में दाखिल हुई- “हाँ जी... तो फिर मेरी सहेली का क्या करना है?
करना क्या है भागवान? यहीं इसी कमरे में सो जाएगी।
मम्मी- इसी कमरे में सो जाएगी? और मेरे सोने के बाद कहीं आपका उस पे मन चल गया तो?
मन चल गया तो क्या होगा भगवान? वही होगा जो हम दोनों के बीच में होता है। वैसे भी साली, आधी घरवाली होती है तो सो जाने दो। बल्कि मैं तो कहता हूँ कि मैं बीच में सो जाता हूँ। तुम दोनों मुझसे लिपटते हुए सो जाओ। पहले तेरी बजाता हूँ, या रहने दे। आज साली पहली बार आई है तो इसी का बजाता हूँ।
मम्मी- “पर जी आप तो मेरी सहेली के गाण्ड के दीवाने थे। आप तो कहते थे की मौका मिला तो रामदीन की बहू की गाण्ड जरूर से मारना चाहूँगा। आज मार लो इसकी गाण्ड..”
भागवान... मैं इस शानदार मौके को हाथ से थोड़े ही जाने देता। गाण्ड मार भी चुका हूँ।