non veg kahani नंदोई के साथ - Page 2 - SexBaba
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non veg kahani नंदोई के साथ

फिर उसने अपने लिंग को धीरे-धीरे एक बार पूरा बाहर निकाला। और पूरे जोर के साथ वापस अपने लिंग को मेरी योनि में ठोंक दिया। ऐसा लगा मानो किसी ने एक गर्म रोड मेरी योनि में डाल दी हो जिससे मेरा जिश्म झुलस कर रह गया। उस झटके के साथ उसने मेरी सील को तोड़ दिया। उसका लिंग द्वार
को पार कर गया था। तेज दर्द के कारण मेरी आँखें छलक आई। मेरी टाँगें दर्द से छटपटाने लगी। मेरी चीख से पूरा कमरा पूँज गया। शायद बाहर खड़े उस चौकीदार ने भी सुना होगा और अपने भद्दे दांतों को निकालकर हँस रहा होगा।

तभी मेरी चीख रुक गई क्योंकी एक मोटा लिंग मेरे गले को पूरी तरह से बाँध कर रखा था।

राज अपने लिंग को पूरा अंदर डालकर कुछ देर तक रुका। दर्द के मारे मेरी आँखें छलक आई थी। जिस कौमार्य को मैं इतनी मुश्किलों से अपने होने वाले पति के लिए सम्हाल रखी थी। उसी सील को इन बदमाशों ने तार तार कर दिया था।

मेरा दर्द धीरे-धीरे कम होने लगा तो राज ने भी अपने लिंग को हरकत दे दी। राज तेजी से उस मोटे लिंग को मेरी योनि के अंदर-बाहर करने लगा। मेरी योनि से रिस रिस कर खून की बूंदें बिस्तर पर बिछी सुर्ख रंग की चादर को भिगो रही थी। दूसरा आदमी भी तेजी से मेरे मुँह में अपने लिंग को इस तरह अंदर-बाहर करने लगा। मानो वो मेरी योनि हो मुँह नहीं। तीसरा मेरे दोनों स्तनों को मसल रहा था। मेरे बदन में अब दर्द की जगह मजे ने ले ली।

राज मुझे जोर-जोर धक्के लगा रहा था। उसका लिंग काफी अंदर तक मुझे चोट कर रहा था। जो मेरे साथ मुख मैथुन कर रहा था वो ज्यादा देर नहीं रुक पाया और मेरे मुँह में अपने लिंग को पूरे अंदर तक दाब कर गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ दी। यह पहला वाकया था जब मैंने किसी का वीर्य चखा। 

उसके लिंग से वीर्य इतनी ज्यादा मात्रा में निकला की मैं उसे अपने मुँह में सम्हाल नहीं पाई और होंठों के कोनों से वीर्य रिसता हुआ मेरे गालों के ऊपर से दो लकीर के रूप में नीचे बहने लगा। मैंने जल्दी मुँह में भरे वीर्य को बाहर उलीचने की। कोशिश की तो उसके लिंग के कारण मैं अपने इरादे में सफल नहीं हो पाई। उसका लिंग मेरे गले के भीतर उस गाढ़े सफेद वीर्य को पंप करने लगा।

रोकने की कोशिश में कुछ वीर्य मेरी नाक से भी बाहर आ गया। मैंने जिंदगी में पहली बार किसी मर्द का वीर्य चखा था मगर इसका स्वाद मुझे उतना बुरा नहीं लगा। कुछ देर बाद जब उसके लिंग से बहता वीर्य बंद हुआ तो उसने अपने टपकते हुए लिंग को बाहर निकाला। वीर्य की कुछ बूंदें मेरे बालों और चेहरे पर गिरी। होंठों से लिंग तक वीर्य का एक महीन तार सा जुड़ा हुआ था।
 
तभी राज ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और जोर-जोर से धक्के देने लगा। हर धक्के के साथ “हँग हुंग” की आवाज निकल रही थी। मेरे शरीर में वापस एंथन होने लगी और मेरे योनि से पानी चूत गया। तब तक तीसरा आदमी मेरे निपल्स को चूस-चूसकर गीला कर दिया था वोह स्तनों को दाँतों से काटने लगा तो मैं दर्द से बिलबिला उठी। दोनों स्तनों पर उसके दाँतों के निशान बनने लगे थे जो कई दिन तक मेरे साथ घटी इस घटना की गवाही देने वाले थे। वो दोनों हाथों से उन खाली स्तनों से दूध निकालने की कोशिश कर रहा था।

वो उठकर मेरे पेट के ऊपर बैठ गया और अपने लिंग को मेरे दोनों स्तनों के बीच रखकर मेरे दोनों स्तनों को सख्ती से उसके ऊपर दबा दिया और मेरे स्तनों के बीच वो अपने लिंग को आगे-पीछे करने लगा। मेरे मुँह से अजीब अजीब तरह की आवाजें निकल रही थी।

उधर राज तब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा था। कोई आधे घंटे तक लगातार धक्के मारने के बाद वो धीमा हुआ। उसका लिंग मेरी योनि के अंदर झटके लेने लगा। मैं समझ गई अब उसका वीर्यपात होने वाला है। मैं शादी से पहले किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती थी।

प्लीज अंदर मत डालो मैं प्रेग्नेंट नहीं होना चाहती। राज प्लीईएस” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा। मगर मेरी मिन्नतें सुनने वाला कौन था वहाँ। उसने अपने लिंग को और सख्ती से मेरी योनि के अंदर दबा दिया और ढेर सारा वीर्य मेरी योनि में डालने लगा। अपने लिंग को पूरा खाली करने बाद ही उसने अपने लिंग को बाहर निकाला। राज का लिंग वीर्य से चुपड़ा हुआ चमक रहा था उसपर मेरे खून के कुछ कतरे भी लगे हुए थे।

“देखो दोस्तों ये खून गवाह है आज के इस सेक्स का मजा आ गया बहुत टाइट चूत है ऐसा लग रहा था मानो की मेरा लिंग गन्ने का रस निकालने की मशीन में फंस गया है। हाहाहा..” और इसके साथ ही बिस्तर पर मेरे बगल में ढेर हो गया। वो अब पशीने से भीगा हुआ लंबी-लंबी सांसें ले रहा था। लेकिन मेरी कसरत अभी खत्म नहीं हुई थी।

उसके लिंग के बाहर निकलते ही जो आदमी मेरे स्तनों को चोदकर उठा और मेरे जांघों के बीच आ गया। वो एक झटके में अपना लिंग मेरी योनि के अंदर कर दिया। उसका उतावलापन देखकर ऐसा लग रहा था मानो । कितने ही दिन से भूखा हो। वो मेरे बदन के ऊपर पसर गया और अपने लिंग से धक्के मरने लगा। उसके हर धक्के के साथ मेरे मुँह से “हूँ... हॅ... उफफफ्फ़... उफफफफ्फ़... एम्म्म...” निकलता और मैं अपने दोनों बाजुओं से। बिस्तर को सख्ती से पकड़े हुए थी। वो साथ ही साथ मेरे स्तनों को बुरी तरह से मसल रहा था। मेरे दोनों स्तन इतनी देर से मसले जाने के कारण बुरी तरह दर्द कर रहे थे। दोनों के रंग हल्के गुलाबी से लाल हो गये थे। मुझे भी अब चुदाई में मजा आने लगा।
 
मैंने अपनी टाँगें ऊपर हवा में उठा दिए और फिर उन टाँगों को सख्ती से उस आदमी की कमर के इर्द-गिर्द लप्पेट दिया। अब वो मेरी योनि पर जोर-जोर से धक्के नहीं मार पा रहा था। मेरे मुँह से उत्तेजना भारी चीखें निकलने लगी।

मैं- “आआअहह... माआआ...” जैसी आवाजें निकालने लगी।

मैंने शादी के लिए संवारे अपने लंबे लंबे नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए और अपने दांतो से उस आदमी के कंधे को बुरी तरह से काट खाया। मैं उत्तेजना के एकदम शिखर पर थी और फिर एक जोर का रस का रेला बह निकाला। मैं अब जोर-जोर से हाँफने लगी। मुझे अपने ऊपर शर्म आ रही थी की शादी से पहले किसी गैर मर्द की चुदाई में मुझे मजा आ रहा था। जिस योनि को मैंने ताउम्र सम्हाल कर रखा था की इसे अपने होने वाले पति को सुहागरात के दिन गिफ्ट देंगी, उसे कुछ भूखे भेड़िए नोच रहे थे और सबसे बड़ी बात तो ये की इसमें मुझे मजा भी आया और जिंदगी में पहली बार मेरा वीर्यपात भी हुआ। मेरी आँखें नम हो गई और दो मोती आँखों की कोरों से लुढ़क कर बालों में खो गये।

उस आदमी ने अब मुझे उठाकर किसी गुड़िया की तरह उल्टा कर दिया। अब मैं पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसने मेरी कमर के नीचे हाथ डालकर बिस्तर से ऊपर उठाया। मैं अब बिस्तर पर हाथों और पैरों के बल किसी जानवर की तरह झुकी हुई थी। उसने पीछे से मेरी योनि की फांकों को अलग किया और अपनी जीभ से मेरी टपकती योनि को साफ करने में जुट गया। अंदर का सारा माल अपनी जीभ से समेट लेने के बाद उसने मेरी योनि को अंदर तक किसी कपड़े से पोंछ दिया।

उसकी नाक और होंठों से मेरी योनि के अंदर से समेटा या वीर्य टपक रहा था। उसने अपना लिंग भी कपड़े से पोंछ कर वापस मेरी योनि के द्वार पर रखकर एक धक्के में पूरा अंदर कर दिया।

आआअहह माआआ... मैं मर गई...” मेरी योनि और उसका लिंग सूखे होने के कारण ऐसा लगा मानो उसका लिंग मेरी योनि की दीवारों को छीलता हुआ अंदर जा रहा है। दर्द से वापस मेरी आँखें छलक आई और मैं जोर-जोर से चीखने लगी। मुझे दर्द से बिलबिलता देख सारे दरिंदे जोर-जोर से हँसने लगे।

अब आया मजा... क्या तुम लोग टपकती चूत में धक्के मार रहे थे। जब तक नीचे वाली के मुँह से चीखें ना निकले तब तक चुदाई बेकार है। देख-देख कैसे तड़प रही है। आआआ मजा आ गया... राज तूने आज हमारा दिल खुश कर दिया। क्या टाइट माल है। लगता है अपना लण्ड गन्ने की मशीन में डाल दिया हूँ। आज तो ये मेरे लिंग का सारा रस निचोड़ कर ही रहेगी...”

राज अब उठा और घुटनों के बल सरकते हुए मेरे चेहरे के सामने आया। उसका ढीला लिंग मेरे चेहरे से कुछ ही दूर पर लटक रहा था। उसमें अभी कोई हरकत नहीं थी। उसपर लगा रस अब सूख कर पपड़ी का रूप ले लिया था।

“ले इसे चूसकर खड़ा कर...” कहकर राज ने अपने ढीले पड़े लिंग को मेरे मुँह में ढूंस दिया। उसमें से अब हम दोनों के वीर्य के अलावा मेरे खून का भी टेस्ट आ रहा था। उसे मैं चूसने लगी। धीरे-धीरे उसका लिंग वापस तन गया। और तेज-तेज मेरा मुख-मैथुन करने लगा।

देख राज... देख तेरी होने वाली सलहज के चूचे कैसे झूल रहे हैं हवा में। मानो आँधी के बीच सेव के पेड़ पर सेव झूल रहे हों.." तीसरे आदमी ने हँसते हुए मेरे लटकते हुए स्तनों को मसला।

अबे इन सेवों से जूस निकालने की इच्छा है क्या...” राज भी उसकी हरकतों पर हँस पड़ा। राज मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़कर अपने लिंग से तेज-तेज धक्के देने लगा।
 
मेरी हालत बड़ी बुरी हो रही थी। एक पीछे से ठोंक रहा था। राज सामने से मेरे मुँह में अपने लिंग को ठोंक रहा था और तीसरा नीचे झूलते मेरे स्तनों को अपने हाथों से बुरी तरह मसल रहा था। मैं तो बस इनके खल्लास होने का इंतेजार कर रही थी।

कुछ देर तक जोर-जोर से धक्के मरने के बाद जो मुझे पीछे से मेरी योनि में ठोंक रहा था भी मेरे ऊपर ढेर हो । गया। उसके बदन के वजन से मेरे शरीर को आगे की ओर झटका लगा। राज का लिंग जो मेरे मुँह में आगे-पीछे हो रहा था इस झटके से गले में फंस गया। मैं साँस लेने को छटपटा उठी। उसका लिंग शायद इस हमले के लिए तैयार नहीं था और उसके लिंग से तेज फुहार सीधे मेरे गले से होते हुए पेट में जाने लगी। मैं उसके लिंग को अपने मुँह से निकालने के लिए सिर को झटके देने लगी लेकिन उसने मेरे रेशमी बलों को सख्ती से थाम रखा था इसलिए मैं अपने सिर को हिला भी नहीं पा रही थी।

उसके लिंग से पूरा वीर्य निकल जाने के बाद ही उसने मुझे छोड़ा। मैं भी बिस्तर पर निढाल होकर गिर पड़ी। हम चारों वहीं बिस्तर पर एक दूसरे के ऊपर लेटे लेटे हाँफ रहे थे। चारों पशीने से नहाए हुए थे। मेरा बदन बुरी तरह दुख रहा था। एक तो पहली चुदाई थी ऊपर से गैंगरेप... उन तीनों ने मेरे बदन को तोड़ कर रख दिया था। मेरा। मुँह सूख रहा था और गले से आवाज नहीं निकल रही थी। प्यास के मारे मैं बार-बार अपने मुँह को खोलती और अपनी जीभ सूखे होंठों पर फेरती।

मेरी ये हालत देखकर तीसरा आदमी उठा और एक ग्लास में कोल्ड ड्रिंक लेकर आया। मैंने एक झटके में आधा ग्लास पी लिया। मुँह से गुजरते ही पता चला की उसमें कुछ मिला हुआ है। मैंने खाँसते खाँसते काफी सारा बिस्तर के पास उलट दिया मगर काफी कुछ पेट में चला गया था। तीनों मेरी इस हालत पर हँस रहे थे। मैं उठी और दौड़ते हुए बाथरूम में पहुँची। मैंने अपने चेहरे पर पानी मारा और बाथरूम से निकलकर अपने कपड़े ढूँढ़ने लगी।

लेकिन तभी मुझे पीछे से अपनी बाहों में पकड़कर वो आदमी वापस बिस्तर पर ले आया- “अरे इतनी जल्दी भी क्या है अभी तो पूरी रात पड़ी है। आज तो सारी रात खेलेंगे तेरे साथ...” उसने मुझे खींचकर वापस बिस्तर पर ले आया।

चोदो मुझे... राज जी अब तो मुझे छोड़ दो। वापस नहीं गई तो घर वाले ढूँढ़ने पहुँच जाएंगे। प्लीस आपने जो चाहा किया। अब तो छोड़ दो.” मैं राज से मिन्नतें करने लगी।

फोन कर दे घर में की तू सुबह आएगी। तेरी ननद ने तुझे रोक लिया। अभी तो सारी रात मजे लेंगे...” राज ने। मुझे फोन का रिसीवर देते हुए कहा- “मेरे साले को अब तुमसे सुहगरात को कोई शिकायत नहीं रहेगी। तुझे ऐसी ट्रेनिंग देंगे हम लोग की सुहगरात में मेरे साले के पशीने चुदवाकर ही मानेगी। हाहाहा...”

वैसे तो मैंने पहले ही रात भर का प्रोग्राम बना रखा था और दीदी ने मम्मी से पर्मिशन भी ले रखी थी। मैंने तो उनकी चंगुल से बचने के लिए ही घर वापस जाने का बहाना बनाया था। लेकिन अब उसी बहाने की खातिर ही मैंने घर का नंबर डायल किया। राज ने मुझे किसी फूल की तरह उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। मैं मम्मी को कहने लगी की दीदी ने मुझे रात को यहीं रुकने के लिए कहा है इसलिए मैं सुबह तक ही आ पाऊँगी। इस दौरान राज मेरे बदन को चूम रहा था और मेरे स्तनों को सहला रहा था। कुछ देर सुस्ता लेने के कारण अब । उसका लिंग वापस खड़ा होने लगा।
 
मैंने जल्दी से फोन को वापस रख दिया। ज्यादा देर बात करने पर हो सकता है मेरी मम्मी को मेरी हालत का आभास होने लगता। या अगर मम्मी दीदी से बात करने के लिए कहती तो मेरी झूठ पकड़ी जाती।

तीनों वापस अपने-अपने ग्लास में शराब भरकर पीने लगे। तीनों वहीं बिस्तर पर बैठे हुए थे और मुझे एक खींचकर अपनी गोद में बिठाता और कुछ देर तक मेरे बदन को मसलता, मेरे स्तनों को, मेरे निपल्स को अपनी मुट्ठी में भरकर दबाता और अपने होंठों से मेरे होंठों को और मेरे चेहरे को चूमता। इस दौरान उसका लिंग मेरे नितंबों के नीचे या मेरी योनि के द्वार पर ठोंकर मारता रहता। कुछ देर बाद दूसरा मुझे उसकी गोद से खींच लेता। मुझे किसी खिलोने की तरह एक गोद से दूसरे की गोद में धकेलते रहे।

तीनों को नशा काफी चढ़ गया था। तीनों गंदी गंदी गलियां दे रहे थे। तीनों ने वापस मुझे उठाया और इस बार राज नीचे लेट गया। बाकी दोनों मुझे उठाकर राज के लिंग पर बैठाने लगे।

ठहरो... ठहरो। मुझे कुछ देर तो सुस्ता लेने दो। मेरा एक-एक अंग दुख रहा है। प्लीस अभी नहीं..." मगर मेरी मिन्नतों का अब तक कोई असर जब किसी पर नहीं हुआ था तो अब कैसे होता। मैं उनसे छूटने के लिए हाथों
और पैरों के बल आगे बढ़ी तो वो भी मेरे नितंबों से चिपके हुआ आगे बढ़ गये। उन दोनों ने मेरी कमर को सख्ती से अपने बाजुओं में थाम लिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके मुझे राज के लिंग पर बैठा दिया। राज का लिंग सरसरा...ता हुआ मेरी योनि में फँस गया।

मैं इतनी जल्दी वापस उनको झेलने के लिए तैयार नहीं थी। पूरा बदन दर्द से सिहर उठा। पहले से ही दुखती। योनि में वापस जलन शुरू हो गई। मेरे मुँह स ना चाहते हुए भी एक “अयाया” निकल ही गई। मैंने अपने हाथ राज के सीने पर रख दिए जिससे की अपने बदन को एकदम से राज के लिंग पर बैठने से रोक सकें। जब पूरा लिंग अंदर चला गया तो मैं कुछ देर तक यूँ ही बैठी रही। फिर धीरे-धीरे मैं अपनी कमर को उसके मोटे लिंग पर ऊपर-नीचे करने लगी।

अब बाकी दोनों अपने-अपने सिकुड़े हुए लिंग लाकर मेरे चेहरे पर फेरने लगे। मुझे उनकी हरकतों से घिन आ रही थी। मगर मैं अपने चेहरे को उनके बीच से हटा नहीं पा रही थी। राज मेरे कूदते हुए । मुम्मों को सहला रहा था। बाकी दोनों मेरे दोनों गाल अपने टपकते हुए लिंग से सहला सहलाकर गीला कर दिए थे।


दोनों में से एक वापस अपना ग्लास भर लाया। एक तो मुझे ही पिलाने पर उतर आया मगर मैंने काफी ना। नुकुर किया तो राजजी ने मेरी ओर से उन्हें मना कर दिए। तीनों नशे में एकदम झूम रहे थे। उनका अपने ऊपर से कंट्रोल हटता जा रहा था। एक ने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी में पकड़कर जबरदस्ती अपने लिंग को मेरे मुँह में डालने लगा। मैं इसके लिए तैयार नहीं हो रही थी मगर वो मानने वाला नहीं था। मगर नशे की अधिकता के कारण अब वो अपने लिंग को मेरे मुँह में डाल नहीं पा रहा था। उसकी जोर जबरदस्ती से मैं जैसे ही मुँह खोलती वो झोंक में पीछे की ओर गिर जाता। दो तीन बार इस तरहकरने के बाद वो जो गिरा तो फिर नहीं उठा और उसके खर्राटों की आवाज से कमरा गूंजने लगा।
 
साला छक्का कहता था की पूरी रात इसको चोदेंगे साले में अब दम नहीं रहा...” दूसरे आदमी ने कहा।

राज की भी उत्तेजना अब धीमी पड़ती जा रही थी। वो भी अपनी आँखों से नींद को भगाने की कोशिश में बारबार अपने सिर को झटक रहा था। मैंने मौका देखकर अपने कमर की गति को धीमा कर दिया। कुछ देर में राज का लिंग ढीला होकर मेरी योनि से फिसल कर बाहर आ गया। वो भी नशे में होश खो चुका था। बचे तीसरे आदमी ने मुझे राज की कमर से उठाया और मुझे चौपाया बनाकर मेरे पीछे से अपने मोटे लिंग को मेरी योनि में जड़ तक धंसा दिया।

दोनों मैदान छोड़कर भाग गये पर क्या हुआ जानेमन मैं तो हूँ ना। मैं आज तुझे रात भर सोने नहीं दूंगा। तू सारी जिंदगी नहीं भूलेगी मेरे लण्ड को और बार-बार आएगी इसका स्वाद लेने। हाहाहा...” उसपर शराब का कोई ज्यादा असर नहीं दिखाई पड़ रहा था।

मैं ऊपर वाले से दुआकर रही थी की इस दरिंदे के हाथों से मुझे चूतकारा दिला दे। उसने मेरे एक-एक जोड़ को हिलाकर रख दिया। उसने मुझे इतनी बुरी तरह से चोदा की मुझे पूरा कमरा घूमता हुआ नजर आ रहा था। मेरी बाँहे अब मेरे बदन के बोझ को उठा पाने में असमर्थ होकर मुड़ गई और मेरा चेहरा तकिये में फँस गया। काफी देर तक मुझे चोदने के बाद ढेर सारा वीर्य मेरी योनि में डालकर वो भी मेरे ऊपर गिर कर गहरी नींद में डूब गया।

तीनों मेरे इर्द-गिर्द नंगे पसरे हुए सो रहे थे। मैंने उठने की कोशिश की मगर दर्द की अधिकता के कारण मैं उठ नहीं सकी। हारकर मैं वहीं उनके बीच पसर गई। मैंने कुछ देर तक रेस्ट करने का मन बनाया। मैं बुरी तरह थक चुकी थी। कुछ देर तक लंबी-लंबी सांसें लेती रही। कुछ देर तक सुस्ताने के बाद मैं धीरे-धीरे उठकर बाथरूम तक गई। बाथरूम में जाकर अपनी योनि को पानी से अच्छी तरह साफ किया। काफी देर तक मैं शावर के नीचे बैठी रही। इससे मेरे दुख़्ते बदन को काफी राहत मिली।

ठंडे पानी की बूंदे दर्द को कम कर रही थी। काफी देर बाद मैं बाथरूम से निकली। मैं अब भी बिल्कुल नग्न थी। बदन पर एक रेशा तक नहीं था। तीनों तो थक कर खर्राटे ले रहे थे तो शर्म किससे करती। वापस आकर मैंने । देखा की चादर में ढेर सारा खून लगा हुआ था। उसे देखकर मैं फफक कर रो पड़ी। मैं हिचकियां लेते लेते वापस बिस्तर पर ढेर हो गई। कुछ देर तक मैं सुबक्ती रही और कब मुझे भी नींद ने अपनी आगोश में ले लिया पता
भी नहीं चला। 
 
पता नहीं कब तक मैं दुनियां से बेखबर उन तीनों दरिंदों के बीच बिल्कुल नंगी सोती रही। अचानक बदन पर किसी रेंगते हुए हाथ ने मुझे नींद से उठा दिया। मैंने देखा की कोई मेरे एक स्तन को अपने मुँह में लेकर चूस रहा है।

कौन है... छोड़ो... छोड़ो... प्लीस्स... रात भर बहुत सताया है तुम लोगों ने। बुरी तरह मसलकर रख दिया मुझे अब और नहीं। चोदो मुझे...” कहकर मैंने अपने स्तनों को चूसते सिर को धक्का दिया तो वो उठा और अपना चेहरा उठाया। मेरे सामने अपने पीले पीले दांतो को निकलकर हँसता हुया चौकीदार खड़ा था।

तू.. तुम.. भाग जा यहाँ से नहीं तो मैं शोर मचा कर इनको उठा दूंगी."

अच्छा साली ये सारे तेरे मर्द हैं ना जिनसे तू अब तक उछल-उछलकर चुदवा रही थी। साली मुझसे नखरे करती है। जब इन लोगों ने तुझे इतनी बार रगड़ा तो एक बार मेरे चोदने से तेरा कुछ घिस नहीं जाएगा..” उसने मुझे बाहों से पकड़कर एक जोर से झटका दिया। मुझे लगा मानो मेरी बाँह टूट कर शरीर से अलग ही हो जाएगी। इससे पहले की वो इसी हरकत को दोहराए मैं कराहती हुई उठ खड़ी हुई।

उसने एक झटके में मुझे अपनी गोद में उठाया और वहाँ से बाहर ड्राईंग रूम में ले आया। मैं अपने हाथ पैर पटक रही थी। उसके बदन से पशीने की बू आ रही थी, उसने मुझे कार्पेट के ऊपर लिटा दिया। मैं उसकी पकड़ से भागना चाहती थी मगर वो काफी ताकतवर था। मुझे लगातार विरोध करता देखकर उसने खींच खींचकर दो झापड़ मेरे गालों पर दिए। उसके हाथों में इतना जोर था की मुझे अपना सिर घूमता हुआ लगा। मैं कुछ देर के लिए संज्ञा-शून्य हो गई। मेरे दोनों गाल सूज गये होंगे। मैंने अपने बदन को ढीला छोड़ देने में ही अपनी भलाई समझी।

मैं चुपचाप बिना किसी हरकत के कार्पेट पर पड़ी रही। वो किसी भूखे जानवर की तरह कूद कर मेरी जांघों के ऊपर बैठ गया और मेरे दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़कर सिर के ऊपर की तरफ लेजाकर सख्ती से दबा दिया। अब मैं किसी तरह का विरोध भी नहीं कर सकती थी बस अपने सिर को ही एक ओर से दूसरी ओर हिला सकती थी। मैं उसके सामने निर्वस्त्र लेटी हुई थी वो मेरे बदन पर बैठा हुआ मेरे नाजुक बदन को निहारने लगा।

साली बड़ी कटीली चीज है। खूब मजा लिया होगा साहिब लोग ने... अब मेरी बारी है...” उसने वापस अपने तंबाकू से पीले पड़े दाँत निकालकर हँसते हुए कहा। वो झुक कर मेरे एक स्तन को अपने एक मुट्ठी में भरकर मसला। मेरे स्तनों का तो पहले से ही बुरा हाल हो रहा था। दोनों स्तनों पर नीले नीले निशान उनके साथ हुई ज्यादतियों की कहानी कह रहे थे। दोनों स्तनों पर ना जाने कितने दाँतों के निशान भी चमक रहे थे।
 
आआआहह... इन्हें मत दबाओ... बहुत दर्द हो रहा है..” मैंने उसके सामने गिड़गिड़ा कर रहम की गुजारिश की।

वो अपनी जीभ निकलकर मेरे दोनों स्तनों को चाटने लगा। उसके मुँह से एक अजीब सी बदबू निकल रही थी। वो मेरे दोनों स्तनों को चाट-चाटकर गीला कर दिया। उसके लगातार चाटने से मेरे निपल भी खड़े होने लगे। मैं कोशिश कर रही थी की मेरे बदन में किसी तरह की उत्तेजना का संचार ना हो मगर मेरा बदन मेरे दिमाग का । आदेश नहीं मन रहा था, दोनों निपल्स फूलकर एकदम कड़े हो गये थे। उसकी थूक से दोनों निपल्स गीले होकर चमक रहे थे।

मैं उसकी हरकतों से गर्म होने लगी थी। धीरे-धीरे मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी। जब भी वो अपने जीभ की नोक से मेरे निपल्स को छेड़ता तो मुझे लगता मेरे बदन में एक बिजली सी दौड़ने लगी। कुछ देर में जब । उसने देखा की मेरी ओर से किसी तरह का विरोध अब नहीं है तो उसने मेरे हाथों से अपनी पकड़ ढीली कर दी


और उन्हें छोड़कर अब अपना सारा ध्यान मेरे स्तनों पर लगा दिया। जब वो अपनी जीभ एक स्तन पर फेरता तब दूसरे स्तन के निपल को अपनी उंगलियों से छेड़ता रहता। काफी देर तक स्तनों से खेलने के बाद उसने नीचे झुक कर मेरी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी और उसको अपनी जीभ से कुरेदने लगा। मैं अब काफी उत्तेजित ही गई थी और अपनी दोनों जांघों को एक दूसरे से रगड़ रही थी।

फिर वो मेरे बदन पर से उठा और मेरे दोनों टांगों के बीच बैठ गया, उसने मेरी दोनों टाँगें फैला दी। मेरी योनि खुलकर उसके सामने आ गई। वो मेरी कमर के नीचे अपने दोनों हाथ लगाकर मेरी कमर को ऊपर अपने चेहरे तक उठा लिया और आगे बढ़कर मेरी योनि के द्वार पर अपनी नाक लगाकर जोर-जोर से सांसें लेने लगा।

वाअह्ह... क्या खुश्बू है. इन हरामजादों के इतना मसलने के बाद भी मेरे फूल की खुश्बू में कोई कमी नहीं आई। है...” उसकी इन हरकतों से मेरे बदन से पानी की धार बह निकली।
 
मैंने उत्तेजना में उसके सिर के बाल अपनी मुट्ठी में भरकर अपनी योनि में लगाने की कोशिश करने लगी। मगर वो अभी इसके लिए तैयार नहीं था इसलिए इस जोर आजमाइश में उसके सिर के कुछ बाल टूट कर मेरी मुट्ठी में आ गये।

उसने मेरी टाँगों को छोड़ दिया और मेरे सिर के दोनों ओर अपने घुटने कार्पेट पर रखकर अपने सिर को मेरे टांगों के जोड़ पर रख दिया। मेरी टाँगें तो पहले से ही खुली हुई थी उसके जीभ के स्वागत करने के लिए। उसने
अपनी दोनों हाथों की उंगलियों की मदद से मेरी योनि को चौड़ा किया। 

उसकी आँखों के सामने मेरी योनि की लाल गुफा थी जिसकी दीवारों से वीर्य चिपका हुआ था। उसने अपनी जीभ एकदम भीतर तक घुसा दी। अब वो मेरी योनि की दीवारों को चाटने लगा। मेरी कमर उसका साथ देने के लिए बिस्तर से ऊपर उठने लगी।

कर रहेई होओ। छोड़ो... छोड़ो... बहुत गुदगुदी हो रहीई हैईई...” मैं अनाप सनाप बड़बड़ाने लगी थी।

आआहह आआहह... म्म्म्म म... क्या 

मेरी योनि को चाटते हुए उसका पूरा बदन मेरे बदन पर लेटा हुआ था। उसके शरीर पर अभी भी पूरे कपड़े थे। पैंट के अंदर से उसका उभर मेरे गालों को रगड़ रहा था। मैंने अपने हाथों से उसके पैंट की जिप खोलकर उसका लिंग निकालना चाहा। मगर मेरे लिए उसकी मदद के बिना ऐसा कुछ होना संभव नहीं था। उसे जैसे ही मेरी हरकतों का आभास हुआ उसने अपनी कमर को कुछ उठाकर अपने पैंट का हुक और उसके बाद जिप खोलकर कुछ नीचे सरकया। मैंने उसकी जंघिया की भीतर हाथ डालकर उसके लिंग को सहलाया। उसके दोनों पैर फैले होने की वजह से मैं उसके लिंग को पूरा बाहर निकल नहीं पा रही थी।

जब उसे मेरी परेशानी का पता चला तो वो कुछ पलों के लिए मुझे छोड़कर उठा और अपने पैंट और अंडरवेर को अपने बदन से अलग कर दिया। इस काम में मुश्किल से 15 सेकेंड लगे होंगे मगर दोनों जिस अवस्था में थे। उसकी वजह से ये समय काफी लंबा महसूस हो रहा था।
वो वापस उसी अवस्था में लेट गया। मेरी योनि को चाटते हुए अब वो अपना लिंग मेरे गालों पर रगड़ने लगा। मैंने उसके लिंग को अपनी मुट्ठी में भरकर उसके ऊपर के चमड़े को नीचे खिसका दिया। उसके लिंग के ऊपर का टोपा किसी काले नाग की तरह फुफ्कार कर बाहर निकल आया। मैंने उसे अपने होंठों के पास खींचकर । उसको एक बार चूमा। उसके लिंग से बदबू आ रही थी। मैंने पहले तो उसे अपने मुँह में ना लेने का मन बनाया
 
मगर बाद में मेरी कामग्नी ने मुझे समझाया की अभी तो कुछ देर पहले तीनों के गंदे लण्ड अपने मुँह में लिया था फिर इसमें क्या बुराई है।

मैंने अपनी जीभ निकलकर उसके लिंग को अपनी जीभ से चाटने लगी। हम उस वक़्त 69 पोजीशन में लेटे एक दूसरे के साथ मुख-मैथुन कर रहे थे। वो भी अपने लिंग को मेरे मुँह में डालने की कोशिश कर रहा था। इसकोशिश में वो बार-बार अपनी कमर को ऊपर-नीचे करता। कुछ देर उसे तड़पाकर मैंने खुद उसके लिंग को अपने मुँह में जाने दिया और उसके लिंग को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। उसने मेरी योनि को चूस, चाटकर बुरा हाल कर दिया था। अब उसके मुँह से भी उत्तेजना की आवाजें निकल रही थी।

वो भी “अयाया... हाँ... हाँ... हाँ... एम्म्म...” जैसी आवाजें निकालने लगा।


अब उसका लिंग झटके खाने लगा था तो मैं समझ गई की उसके लिंग से अब रस निकलने वाला है ये देखकर मैंने उसके लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया। वो भी शायद अपने वीर्य को बेकार बर्बाद नहीं होने देना चाहता था इसलिए उसने भी मेरी योनि से अपना सिर ऊपर उठाया और घूमकर मेरी जांघों के जोड़ की तरफ आ गया। मेरा अब तक दो बार वीर्यपात हो चुका था। 

उसने मेरी टाँगें उठाकर अपने कंधों पर रख लिया और अपने लिंग को मेरे योनि के द्वार पर रखकर एक धक्के में पूरा लिंग मेरी योनि में ढूंस दिया। मेरी योनि इतनी बार चुद चुकी थी की उसके लिंग को अंदर जाने में कोई दिक्कत नहीं आई।

उसने मुझ पर लेटते हुए वापस मेरे निपल्स को दाँतों से काटना शुरू किया। मैं दर्द से तड़पने लगी। “आआआहह एयाया... नहींई... उफफ्फ़.. म्माआ... प्लीस...” मैं दर्द से छटपटाने लगी तो उसने मेरे उरजों को काटना छोड़कर अपने लिंग से धक्के मारना शुरू कर दिया। 

वो काफी जोर-जोर से धक्के मार रहा था। मैं उसके हर धक्के से कार्पेट पर रगड़ खा रही थी। मेरी पीठ हर धक्के पर रगड़ खाने के कारण दुखने लगी। शायद छिल भी गई होगी। मैं उसके झड़ने का इंतेजार कर रही थी।

लेकिन वो तो पूरे जोश में मुझे चोदे जा रहा था। पंद्रह मिनट तक उसी रफ़्तार से चोदने के कारण मेरे बदन के हर अंग में दर्द हिलोरें मरने लगा था। पंद्रह मिनट बाद मुझे उठाकर उसने सोफे के सहारे मुझे चौपाया बनाया। और मुझे पीछे की ओर से चोदने लगा। कमर तक मेरा जिम सोफे पर था और बाकी जिम जमीन पर। इसी अवस्था में मुझे अगले पंद्रह मिनट तक लगातार चोदता रहा, मेरी योनि में जलन होने लगी थी। मानो अंदर से योनि की त्वचा छिल गई हो।


बस... बस... जल्दी करो... मैं थक गई हूँ.” मैं उससे बस करने के लिए निवेदन कर रही थी।

अब उसके धक्कों की गति काफी तेज हो गई थी। पता नहीं उसमें इतनी ताकत कहाँ से आ गई थी। मैं हर धक्के के साथ “अयाया” “आआआ" कर रही थी। काफी देर तक तेज-तेज धक्के मारने के बाद एकदम से मेरी योनि से अपने मोटे लिंग को खींचकर बाहर निकाला। मुझे ऐसा लगा मानो मेरी योनि की चमड़ी उसके लिंग पर चिपक कर ही बाहर निकल गई। योनि में एकदम खाली खाली लग रहा था।

उसने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी से पकड़कर मेरे चेहरे को पीछे की ओर घुमाया। उसके लिंग की टोपी मेरे चेहरे से 6 इंच की दूरी पर था। वो अपने लिंग को मुट्ठी में भरकर अपने हाथ को तेजी से आगे-पीछे कर रहा था।

“ले... ले... रांड़ अपना मुँह खोल... ले... मेरे रस को पी...” उसके लिंग से रस की फुहार निकलकर मेरे चेहरे पर यहाँ वहाँ गिरने लगी। वो अपना वीर्य मुझे पिलाना चाहता था लेकिन मैं अपना मुँह नहीं खोल रही थी। ये देखकर उसने मेरे बालों को अपनी मुट्ठी में भरकर जोर से झटका दिया। मैं दर्द से बिलबिला उठी। उसके हाथों से बचने के लिए मैंने ना चाहते हुए भी अपना मुँह खोल दिया। तब तक उसके लिंग से ढेर सारा वीर्य निकलकर मेरे चेहरे को और बालों को भिगो चुका था। इसलिए जब तक मैंने अपना मुँह खोला उसके वीर्य का स्टोरेज खतम होने वाला था। कुछ वीर्य मेरे मुँह में डालने के बाद उसके लिंग से वीर्य निकलना बंद हो गया। उसने अपनी मुट्ठी को सख़्त करके लिंग के अंदर बचा हुया वीर्य मसलकर बाहर निकाला और मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने अपने मुँह में भरे वीर्य को वहाँ कारपेट पर उलीच दिया।
 
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