hotaks444
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गधे का वीर्य-रस इतनी जोर से शाजिया के मुँह में छुटा कि शाजिया का सिर उसके लंड से पीछे झटक गया। शाजिया को लगा जैसे उस के मुँह में गर्म झरना फूट पड़ा हो। उसने साँस लेते हुए और वीर्य को निगलते हुए अपने होंठ लंड के सुपाड़े पर कस दिये। गधे का वीर्य शाजिया के हलक से नीचे बहते हुए उसके मुँह में भी भरने लगा। शाजिया किसी भूखे भेड़िये। की तरह उसके वीर्य को निगल रही थी।
शाजिया उत्तेजना से कराही तो वीर्य से भीगे उसके गले से आवाज बुदबुदाती हुई निकली। गधा मज़े से अपने आँड खाली करता हुआ अपना लंड झटक रहा था और शाजिया भी उसे । चूसती हुई दोनों हाथों से लंड को रगड़ कर उसमें से वीर्य निचोड़ रही थी। उसने गधे के टट्टों को मुझते हुए देखा। वो सिसकती हुई और जोर से चूसने लगी।
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गधा रेंका और उसने अपना लंड शाजिया के मुँह में झटकना बंद कर दिया। उसका सुपाड़ा थोड़ सा सिकुड़ा और अब शाजिया का मुँह पहले जितना नहीं भरा हुआ था। गधे के वीर्य की लालची औरत अब अपना सिर गधे के लंड पर ऊपर-नीचे हुचकाती हुई अपने होंठ आगे खिसका कर लंड की छड़ के दो-तीन इंच अपने मुँह में लेने लगी। उसके हाथ अभी भी गधे के लंड पर आगे पीछे मालिश कर रहे थे।
गधा घुरघुराता हुआ पीछे हटा और झटक कर अपना लिसलिसा लंड शाजिया के मुँह से । बाहर खींच लिया। शाजिया के थूक के झाग से सना हुआ लंड ऊपर-नीचे झूलने लगा। शाजिया ने अपनी जीभ निकाल कर गधे के लंड के मूत-छिद्र से वीर्य का आखिरी कतरा चाटा और फिर अपना सिर पीछे झुका कर अपने मुँह में भरे वीर्य रस को अपने हलक में धीरे धीरे बहने देने लगी।
| “मादरचोद - कितना वीर्य था?” वो फुसफुसायी। वो गधे के वीर्य की इतनी अधिक मात्रा
से अचंभित थी। शाजिया ने देखा कि गधे का काफी वीर्य उसके होंठों से बह कर उसकी चूचियों और टाँगों पर भी गिरा हुआ था। यहाँ तक कि उसके हाई-हील के सैंडलों में। उसके पैरों की अंगुलियाँ भी वीर्य से चिपचिपा रही थीं। शाजिया के ख्याल से गधे के टट्टों
में जितना समा सके, उससे कहीं ज्यादा वीर्य, गधे ने उसके मुँह में उड़ेला था। वो आँड | अब कुछ मुझ से गये थे पर गधे का लंड अभी भी आशाजनक स्थिति में खड़ा था।
वडा था।
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गधे का लंबा लंड थोड़ा झुक गया था परंतु ये स्पष्ट था कि ज़रा सी कोशिश करने पर वो प्रबल लंड फिर से पूरा तन कर खड़ा हो सकता था। शाजिया ने उसके लंड को निहारा।
हालांकि इतने बड़े लंड को वो अपने मुंह में सुपाड़े से अधिक नहीं ले पायी थी पर न उसकी चूत तो उसके मुँह से कहीं ज्यादा गहरी थी।
अब जबकि, लंड को मुँह में ले कर चूसने की उसकी वासना शाँत हो गयी थी, उसकी । चूत अब गधे के लंड और उसके वीर्य के लिये तरसने लगी थी।
शाजिया उत्तेजना से कराही तो वीर्य से भीगे उसके गले से आवाज बुदबुदाती हुई निकली। गधा मज़े से अपने आँड खाली करता हुआ अपना लंड झटक रहा था और शाजिया भी उसे । चूसती हुई दोनों हाथों से लंड को रगड़ कर उसमें से वीर्य निचोड़ रही थी। उसने गधे के टट्टों को मुझते हुए देखा। वो सिसकती हुई और जोर से चूसने लगी।
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गधा रेंका और उसने अपना लंड शाजिया के मुँह में झटकना बंद कर दिया। उसका सुपाड़ा थोड़ सा सिकुड़ा और अब शाजिया का मुँह पहले जितना नहीं भरा हुआ था। गधे के वीर्य की लालची औरत अब अपना सिर गधे के लंड पर ऊपर-नीचे हुचकाती हुई अपने होंठ आगे खिसका कर लंड की छड़ के दो-तीन इंच अपने मुँह में लेने लगी। उसके हाथ अभी भी गधे के लंड पर आगे पीछे मालिश कर रहे थे।
गधा घुरघुराता हुआ पीछे हटा और झटक कर अपना लिसलिसा लंड शाजिया के मुँह से । बाहर खींच लिया। शाजिया के थूक के झाग से सना हुआ लंड ऊपर-नीचे झूलने लगा। शाजिया ने अपनी जीभ निकाल कर गधे के लंड के मूत-छिद्र से वीर्य का आखिरी कतरा चाटा और फिर अपना सिर पीछे झुका कर अपने मुँह में भरे वीर्य रस को अपने हलक में धीरे धीरे बहने देने लगी।
| “मादरचोद - कितना वीर्य था?” वो फुसफुसायी। वो गधे के वीर्य की इतनी अधिक मात्रा
से अचंभित थी। शाजिया ने देखा कि गधे का काफी वीर्य उसके होंठों से बह कर उसकी चूचियों और टाँगों पर भी गिरा हुआ था। यहाँ तक कि उसके हाई-हील के सैंडलों में। उसके पैरों की अंगुलियाँ भी वीर्य से चिपचिपा रही थीं। शाजिया के ख्याल से गधे के टट्टों
में जितना समा सके, उससे कहीं ज्यादा वीर्य, गधे ने उसके मुँह में उड़ेला था। वो आँड | अब कुछ मुझ से गये थे पर गधे का लंड अभी भी आशाजनक स्थिति में खड़ा था।
वडा था।
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गधे का लंबा लंड थोड़ा झुक गया था परंतु ये स्पष्ट था कि ज़रा सी कोशिश करने पर वो प्रबल लंड फिर से पूरा तन कर खड़ा हो सकता था। शाजिया ने उसके लंड को निहारा।
हालांकि इतने बड़े लंड को वो अपने मुंह में सुपाड़े से अधिक नहीं ले पायी थी पर न उसकी चूत तो उसके मुँह से कहीं ज्यादा गहरी थी।
अब जबकि, लंड को मुँह में ले कर चूसने की उसकी वासना शाँत हो गयी थी, उसकी । चूत अब गधे के लंड और उसके वीर्य के लिये तरसने लगी थी।