hotaks444
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कुछ क्षणों के लिए तो शाजिया की आँखें उस जानवर के महान लंड पर चिपकी रहीं परंतु फिर अपनी सहेली नजीबा की मौजूदगी का एहसास होते ही उसने स्वयं को सामने देखने के लिए मजबूर किया। शाजिया का मुखड़ा उत्तेजना से लाल हो रहा था और नजीबा के गाल भी अभी तक सुर्ख थे। दोनों औरतें उस गधे के खड़े लंड की वजह से व्याकुल थीं और दोनों स्वयं को ही इसकी उत्तरदायी मान रही थी कि उनकी खुद की गर्म चूत की सुगंध ही उस जानवर के लंड की प्रचंडता का कारण थी।
शाजिया ने पलट कर एक ही पैंट में अपना भरा ग्लास खाली कर दिया। शाजिया की चूत इतनी गर्म हो गयी थी कि उसे लग रह था कि कहीं चूत में से रस के साथ-साथ धुंआ ना निकलने लगे और वो उम्मीद कर रही थी कि नजीबा ने गधे के लंड के प्रति उसकी भावनाओं को कहीं ताड़ ना लिया हो। परंतु नजीबा तो खुद उत्तेजना और कामुक्ता से जली जा रही थी और अपने ख्यालों में थी। वो अपनी चूत की आग बुझाने के लिए बेकरार हो रही थी।
तभी अंदर से फोन घंटी बजी। शाजिया ने पहले तो राज को कॉर्डलेस फोन बाहर लाने के लिए आवाज़ दी पर फिर उसे ध्यान आया कि राज तो घर में है ही नहीं। वो भुनभुनाती । हुई खड़ी हुई पर नशे में इतनी चूर होने के कारण बुरी तरह डगमगा रही थी। इसकी अतिरिक्त ऊँची हील के सैंडल पहने होने की वजह से इतने नशे में दो कदम भी सीधे चल पाना कठिन था पर फिर भी किसी तरह लड़खड़ाती हुई वो फोन सुनने अंदर गयी।
जब वहाँ नजीबा उस उत्तेजित गधे के साथ अकेली रह गयी तो उसने गधे के लंड को | अपने हाथ से छूने की अपनी नापाक विवशता को बड़ी मुश्किल से दबाया। नजीबा को बहुत तीव्र कामना हुई कि अपनी सहेली के वापस आने के पहले शीघ्रता से उसे हाथ में लेकर महसूस करले परंतु उसे भय था कि अगर एक बार उसने उस अद्भुत चुदाई-यंत्र । । को अपने हाथ में ले लिया तो शायद उसे छोड़ नहीं पायेगी।
तभी शाजिया उसी तरह हाई हील पहने नशे में डगमगाती वापस लौटी। नजीबा की तरह शाजिया भी गधे के लंड को सहलाने की दुष्ट इच्छा पर संयम पाने की कोशिश कर रही थी।
सॉरी यार... राँग नंबर था... ऐसे ही रंग में भंग पड़ गया... कितना मजा आ रहा था... चल मैं नये पैग बनाती हूँ... फिर..." शाजिया बोलने पर नजीबा ने बीच में ही उसकी बात काटकर हंसते हुए कहा, “काफी पी ली आज शाजिया... इससे पहले कि मैं यहीं लुढ़क जाऊ मेरा ख्याल है कि मुझे अब बेडरूम में जा कर सो जाना चाहिए... नजीबा की आवाज़ नशे में बहक रही थी।
ओके डियर... पर पहले हमारा गुड ओल्ड ट्रेडिशन... एक-एक वोडका शॉट..." शाजिया बोली। फिर उसने फटाफट दो छोटे-छोटे शॉट ग्लासों में नीट वोडका भरी और दोनों ने एक-दूसरे के बांह में अपनी बांह डाल कर एक ही साँस में वो तगड़ा शॉट पिया। फिर जब नजीबा अंदर जाने के लिये खड़ी हुई तो दूसरी कुर्सी पर गिरते-गिरते बची। शाजिया की तरह ही वो भी नशे में बेहद चूर थी।
इस समय तो बस वो किसी तरह कमरे में जाकर अपनी अंगुलियों से अपनी चूत को चोदकर विस्फोटक रूप से झड़ने का भरपूर आनंद लेना चाह रही थी। वो उसी तरह डगमगाती हुई शाजिया की तरफ बढ़ी और लगभग उस पर गिरते हुए उससे गले मिली।
चल यार! गुड-नाइट... तुझे भी बहुत चढ़ी हुई है.. तू भी आराम कर... सुबह बात करेंगे..” कहते हुए नजीबा ने धीरे से शाजिया के गाल पर चुम्मा दिया और जैसे ही वो चलने के लिए पलटी तो मेज से टकरा गयी। दोनों फिर खिलखिला कर हँस पड़ी।
नजीबा ने गधे के लंड पर एक बार फिर हसरत भरी निगाह डाली और घर की तरफ झूमती हुई चल पड़ी। नशे के कारण वो साढ़े चार-पाँच इंच ऊँची हील के सैंडलों में संतुलन नहीं रख पा रही थी। शाजिया ने उसे जाते हुए देखा और वो वहीं कुर्सी पर लुढ़कती हुई बैठ गयी। उसने नशे में थरथराते हाथों से अपने लिए एक और पैग बनाया। उसका एक हाथ अचेतन ही उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा।
नजीबा किसी तरह अपने बेडरूम में पहुँची। नशे और अपनी वासना में उसे दरवाजा बंद करने की सुध नहीं थी। खड़े-खड़े ही उसने फटाफट बेतरतीबी से अपनी साड़ी उतार । फेंकी और आननफ़ानन पेटीकोट भी उतार दिया। पैंटी के ऊपर से उसने अपनी चूत पर अपन हाथ रखा तो चूत इतनी गर्म महसूस हुई कि नजीबा को लगा कि उसकी हथेली पर छाले पड़ जायेंगे। साथ ही पैंटी इतनी तरबतर थी कि नजीबा की हथेली भी भीग गयी। उसने अपनी अंगुलियाँ पैंटी के इलास्टिक में डाल कर पैंटी भी नीचे खिसकायी और निकाल कर एक तरफ उछाल दी। दीवार पर बारहसींगे का सिर लगा था और नजीबा की चूत-रस से तरबतर पैंटी उछल कर बारहसींगे के सींगों में अटक गयी। कुछ क्षणों में उसका ब्लाउज़ कमरे के एक कोने में पड़ा था और ब्रा ऊपर पंखे पर लटकी थी।
शाजिया ने पलट कर एक ही पैंट में अपना भरा ग्लास खाली कर दिया। शाजिया की चूत इतनी गर्म हो गयी थी कि उसे लग रह था कि कहीं चूत में से रस के साथ-साथ धुंआ ना निकलने लगे और वो उम्मीद कर रही थी कि नजीबा ने गधे के लंड के प्रति उसकी भावनाओं को कहीं ताड़ ना लिया हो। परंतु नजीबा तो खुद उत्तेजना और कामुक्ता से जली जा रही थी और अपने ख्यालों में थी। वो अपनी चूत की आग बुझाने के लिए बेकरार हो रही थी।
तभी अंदर से फोन घंटी बजी। शाजिया ने पहले तो राज को कॉर्डलेस फोन बाहर लाने के लिए आवाज़ दी पर फिर उसे ध्यान आया कि राज तो घर में है ही नहीं। वो भुनभुनाती । हुई खड़ी हुई पर नशे में इतनी चूर होने के कारण बुरी तरह डगमगा रही थी। इसकी अतिरिक्त ऊँची हील के सैंडल पहने होने की वजह से इतने नशे में दो कदम भी सीधे चल पाना कठिन था पर फिर भी किसी तरह लड़खड़ाती हुई वो फोन सुनने अंदर गयी।
जब वहाँ नजीबा उस उत्तेजित गधे के साथ अकेली रह गयी तो उसने गधे के लंड को | अपने हाथ से छूने की अपनी नापाक विवशता को बड़ी मुश्किल से दबाया। नजीबा को बहुत तीव्र कामना हुई कि अपनी सहेली के वापस आने के पहले शीघ्रता से उसे हाथ में लेकर महसूस करले परंतु उसे भय था कि अगर एक बार उसने उस अद्भुत चुदाई-यंत्र । । को अपने हाथ में ले लिया तो शायद उसे छोड़ नहीं पायेगी।
तभी शाजिया उसी तरह हाई हील पहने नशे में डगमगाती वापस लौटी। नजीबा की तरह शाजिया भी गधे के लंड को सहलाने की दुष्ट इच्छा पर संयम पाने की कोशिश कर रही थी।
सॉरी यार... राँग नंबर था... ऐसे ही रंग में भंग पड़ गया... कितना मजा आ रहा था... चल मैं नये पैग बनाती हूँ... फिर..." शाजिया बोलने पर नजीबा ने बीच में ही उसकी बात काटकर हंसते हुए कहा, “काफी पी ली आज शाजिया... इससे पहले कि मैं यहीं लुढ़क जाऊ मेरा ख्याल है कि मुझे अब बेडरूम में जा कर सो जाना चाहिए... नजीबा की आवाज़ नशे में बहक रही थी।
ओके डियर... पर पहले हमारा गुड ओल्ड ट्रेडिशन... एक-एक वोडका शॉट..." शाजिया बोली। फिर उसने फटाफट दो छोटे-छोटे शॉट ग्लासों में नीट वोडका भरी और दोनों ने एक-दूसरे के बांह में अपनी बांह डाल कर एक ही साँस में वो तगड़ा शॉट पिया। फिर जब नजीबा अंदर जाने के लिये खड़ी हुई तो दूसरी कुर्सी पर गिरते-गिरते बची। शाजिया की तरह ही वो भी नशे में बेहद चूर थी।
इस समय तो बस वो किसी तरह कमरे में जाकर अपनी अंगुलियों से अपनी चूत को चोदकर विस्फोटक रूप से झड़ने का भरपूर आनंद लेना चाह रही थी। वो उसी तरह डगमगाती हुई शाजिया की तरफ बढ़ी और लगभग उस पर गिरते हुए उससे गले मिली।
चल यार! गुड-नाइट... तुझे भी बहुत चढ़ी हुई है.. तू भी आराम कर... सुबह बात करेंगे..” कहते हुए नजीबा ने धीरे से शाजिया के गाल पर चुम्मा दिया और जैसे ही वो चलने के लिए पलटी तो मेज से टकरा गयी। दोनों फिर खिलखिला कर हँस पड़ी।
नजीबा ने गधे के लंड पर एक बार फिर हसरत भरी निगाह डाली और घर की तरफ झूमती हुई चल पड़ी। नशे के कारण वो साढ़े चार-पाँच इंच ऊँची हील के सैंडलों में संतुलन नहीं रख पा रही थी। शाजिया ने उसे जाते हुए देखा और वो वहीं कुर्सी पर लुढ़कती हुई बैठ गयी। उसने नशे में थरथराते हाथों से अपने लिए एक और पैग बनाया। उसका एक हाथ अचेतन ही उसकी सलवार के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा।
नजीबा किसी तरह अपने बेडरूम में पहुँची। नशे और अपनी वासना में उसे दरवाजा बंद करने की सुध नहीं थी। खड़े-खड़े ही उसने फटाफट बेतरतीबी से अपनी साड़ी उतार । फेंकी और आननफ़ानन पेटीकोट भी उतार दिया। पैंटी के ऊपर से उसने अपनी चूत पर अपन हाथ रखा तो चूत इतनी गर्म महसूस हुई कि नजीबा को लगा कि उसकी हथेली पर छाले पड़ जायेंगे। साथ ही पैंटी इतनी तरबतर थी कि नजीबा की हथेली भी भीग गयी। उसने अपनी अंगुलियाँ पैंटी के इलास्टिक में डाल कर पैंटी भी नीचे खिसकायी और निकाल कर एक तरफ उछाल दी। दीवार पर बारहसींगे का सिर लगा था और नजीबा की चूत-रस से तरबतर पैंटी उछल कर बारहसींगे के सींगों में अटक गयी। कुछ क्षणों में उसका ब्लाउज़ कमरे के एक कोने में पड़ा था और ब्रा ऊपर पंखे पर लटकी थी।