hotaks444
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उसे अपनी क्लिट में बिजली सी दौड़ती महसूस हुई और वो तुरंत ही एक हाथ अपनी टाँगों के बीच में पीछे ले जाकर अपनी क्लिट और चूत रगड़ने लगी। जब भी वो आनंद की लहर से झटकती तो उसे अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की गाँठ खिंचती हुई महसूस होती। और शीघ्र ही वो फिर एक बार कामोन्माद के चरम पर पहुँच कर कराहते हुए झड़ गयी।
अपने कामानंद की प्रचंडता के कारण खुद को सहारा देने के लिये उसे अपना हाथ वापस नीचे | रखना पड़ा। जैसे ही वो नीचे झुकी, नजीबा को अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की सकुशल फंसी गाँठ का जोरदार खिंचाव महसूस हुआ। कुत्ते के लंड की मोटी गाँठ नजीबा की गाँड को अभी भी हवा में लटकाये हुए थी और जब तक वो सिकुड़ ना जाये, न उससे छूटने की कोई आशा नहीं थी।
झड़ने के पश्चात नजीबा उसी स्थिति में कुत्ते के लंड से लटके हुए और उसकी गाँठ के सिकुड़ने का इंतज़ार करने के लिये बेबस थी। कुत्ते के लंड से चिपक कर उससे अपनी गाँड लटकाये हुए वो करीब बीस मिनट तक रही। जब भी उन दोनों में से कोई थोड़ा सा भी हिलता तो नजीबा को गाँठ के साथ-साथ कुत्ते के लंड के प्रत्येक अंश का मीठा सा एहसास होता। अपने जीवन में शायद ही कभी नजीबा ने इतने कामुक और प्रचंड एहसास का अनुभाव किया था। नजीबा कुत्ते का लंड अपनी गाँड में गहरायी तक धड़कते। हुए महसूस कर रही थी जिसमें से अभी भी वीर्य के कतरे फूटना जारी थे।
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आखिरकार नजीबा को कुत्ते के लंड की गाँठ ढीली होती महसूस जब तक कि वो सिकुड़ कर उसकी गाँड में से बाहर निकलने जितनी छोटी नहीं हो गयी। जब लंड की गाँठ नजीबा की गाँड के छेद में से कुचलती हुई निकली तो उसके खिंचाव से नजीबा की चींख निकल गयी। अगले ही पल उसे महसूस हुआ कि हवा के एक झोंके के साथ जैसे टन भर वीर्य उसकी गाँड में से फूट कर बाहर निकल आया हो। नजीबा वहीं ढह गयी।
और कुछ देर के लिये हिल भी नहीं पायी। उसे अपनी गाँड ऐसे महसूस हो रही थी जैसे । उसमें अभी भी कुत्ते का लंड चूँसा हो। उसकी गाँड धड़कती महसूस हो रही थी और नजीबा को अपना हाथ पीछे ले जाकर अपनी गाँड छूने में डर सा लग रहा था। आखिर में उसने अपनी अंगुलियों से गाँड को छुआ तो चिहुँक उठी। उसकी गाँड बहुत ही संवेदनशील हो गयी थी और छूने से गुदगुदी भरा दर्द हो रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि उसकी गाँड का छिद्र अभी भी काफी खुला हुआ था। आखिरकार वो छिद्र कुत्ते के लंड की क्रिकेट की गेंद के आकार की गाँठ द्वारा चौड़ा फैल कर खुला था और अब अपने मूल आकार में लौटने का प्रयत्न कर रहा था।
अपने कामानंद की प्रचंडता के कारण खुद को सहारा देने के लिये उसे अपना हाथ वापस नीचे | रखना पड़ा। जैसे ही वो नीचे झुकी, नजीबा को अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की सकुशल फंसी गाँठ का जोरदार खिंचाव महसूस हुआ। कुत्ते के लंड की मोटी गाँठ नजीबा की गाँड को अभी भी हवा में लटकाये हुए थी और जब तक वो सिकुड़ ना जाये, न उससे छूटने की कोई आशा नहीं थी।
झड़ने के पश्चात नजीबा उसी स्थिति में कुत्ते के लंड से लटके हुए और उसकी गाँठ के सिकुड़ने का इंतज़ार करने के लिये बेबस थी। कुत्ते के लंड से चिपक कर उससे अपनी गाँड लटकाये हुए वो करीब बीस मिनट तक रही। जब भी उन दोनों में से कोई थोड़ा सा भी हिलता तो नजीबा को गाँठ के साथ-साथ कुत्ते के लंड के प्रत्येक अंश का मीठा सा एहसास होता। अपने जीवन में शायद ही कभी नजीबा ने इतने कामुक और प्रचंड एहसास का अनुभाव किया था। नजीबा कुत्ते का लंड अपनी गाँड में गहरायी तक धड़कते। हुए महसूस कर रही थी जिसमें से अभी भी वीर्य के कतरे फूटना जारी थे।
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आखिरकार नजीबा को कुत्ते के लंड की गाँठ ढीली होती महसूस जब तक कि वो सिकुड़ कर उसकी गाँड में से बाहर निकलने जितनी छोटी नहीं हो गयी। जब लंड की गाँठ नजीबा की गाँड के छेद में से कुचलती हुई निकली तो उसके खिंचाव से नजीबा की चींख निकल गयी। अगले ही पल उसे महसूस हुआ कि हवा के एक झोंके के साथ जैसे टन भर वीर्य उसकी गाँड में से फूट कर बाहर निकल आया हो। नजीबा वहीं ढह गयी।
और कुछ देर के लिये हिल भी नहीं पायी। उसे अपनी गाँड ऐसे महसूस हो रही थी जैसे । उसमें अभी भी कुत्ते का लंड चूँसा हो। उसकी गाँड धड़कती महसूस हो रही थी और नजीबा को अपना हाथ पीछे ले जाकर अपनी गाँड छूने में डर सा लग रहा था। आखिर में उसने अपनी अंगुलियों से गाँड को छुआ तो चिहुँक उठी। उसकी गाँड बहुत ही संवेदनशील हो गयी थी और छूने से गुदगुदी भरा दर्द हो रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि उसकी गाँड का छिद्र अभी भी काफी खुला हुआ था। आखिरकार वो छिद्र कुत्ते के लंड की क्रिकेट की गेंद के आकार की गाँठ द्वारा चौड़ा फैल कर खुला था और अब अपने मूल आकार में लौटने का प्रयत्न कर रहा था।