non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ - Page 6 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ

उसे अपनी क्लिट में बिजली सी दौड़ती महसूस हुई और वो तुरंत ही एक हाथ अपनी टाँगों के बीच में पीछे ले जाकर अपनी क्लिट और चूत रगड़ने लगी। जब भी वो आनंद की लहर से झटकती तो उसे अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की गाँठ खिंचती हुई महसूस होती। और शीघ्र ही वो फिर एक बार कामोन्माद के चरम पर पहुँच कर कराहते हुए झड़ गयी। 

अपने कामानंद की प्रचंडता के कारण खुद को सहारा देने के लिये उसे अपना हाथ वापस नीचे | रखना पड़ा। जैसे ही वो नीचे झुकी, नजीबा को अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की सकुशल फंसी गाँठ का जोरदार खिंचाव महसूस हुआ। कुत्ते के लंड की मोटी गाँठ नजीबा की गाँड को अभी भी हवा में लटकाये हुए थी और जब तक वो सिकुड़ ना जाये, न उससे छूटने की कोई आशा नहीं थी।


झड़ने के पश्चात नजीबा उसी स्थिति में कुत्ते के लंड से लटके हुए और उसकी गाँठ के सिकुड़ने का इंतज़ार करने के लिये बेबस थी। कुत्ते के लंड से चिपक कर उससे अपनी गाँड लटकाये हुए वो करीब बीस मिनट तक रही। जब भी उन दोनों में से कोई थोड़ा सा भी हिलता तो नजीबा को गाँठ के साथ-साथ कुत्ते के लंड के प्रत्येक अंश का मीठा सा एहसास होता। अपने जीवन में शायद ही कभी नजीबा ने इतने कामुक और प्रचंड एहसास का अनुभाव किया था। नजीबा कुत्ते का लंड अपनी गाँड में गहरायी तक धड़कते। हुए महसूस कर रही थी जिसमें से अभी भी वीर्य के कतरे फूटना जारी थे।
|

आखिरकार नजीबा को कुत्ते के लंड की गाँठ ढीली होती महसूस जब तक कि वो सिकुड़ कर उसकी गाँड में से बाहर निकलने जितनी छोटी नहीं हो गयी। जब लंड की गाँठ नजीबा की गाँड के छेद में से कुचलती हुई निकली तो उसके खिंचाव से नजीबा की चींख निकल गयी। अगले ही पल उसे महसूस हुआ कि हवा के एक झोंके के साथ जैसे टन भर वीर्य उसकी गाँड में से फूट कर बाहर निकल आया हो। नजीबा वहीं ढह गयी।

और कुछ देर के लिये हिल भी नहीं पायी। उसे अपनी गाँड ऐसे महसूस हो रही थी जैसे । उसमें अभी भी कुत्ते का लंड चूँसा हो। उसकी गाँड धड़कती महसूस हो रही थी और नजीबा को अपना हाथ पीछे ले जाकर अपनी गाँड छूने में डर सा लग रहा था। आखिर में उसने अपनी अंगुलियों से गाँड को छुआ तो चिहुँक उठी। उसकी गाँड बहुत ही संवेदनशील हो गयी थी और छूने से गुदगुदी भरा दर्द हो रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि उसकी गाँड का छिद्र अभी भी काफी खुला हुआ था। आखिरकार वो छिद्र कुत्ते के लंड की क्रिकेट की गेंद के आकार की गाँठ द्वारा चौड़ा फैल कर खुला था और अब अपने मूल आकार में लौटने का प्रयत्न कर रहा था।
 
उसे अपनी क्लिट में बिजली सी दौड़ती महसूस हुई और वो तुरंत ही एक हाथ अपनी टाँगों के बीच में पीछे ले जाकर अपनी क्लिट और चूत रगड़ने लगी। जब भी वो आनंद की लहर से झटकती तो उसे अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की गाँठ खिंचती हुई महसूस होती। और शीघ्र ही वो फिर एक बार कामोन्माद के चरम पर पहुँच कर कराहते हुए झड़ गयी। 

अपने कामानंद की प्रचंडता के कारण खुद को सहारा देने के लिये उसे अपना हाथ वापस नीचे | रखना पड़ा। जैसे ही वो नीचे झुकी, नजीबा को अपनी गाँड में कुत्ते के लंड की सकुशल फंसी गाँठ का जोरदार खिंचाव महसूस हुआ। कुत्ते के लंड की मोटी गाँठ नजीबा की गाँड को अभी भी हवा में लटकाये हुए थी और जब तक वो सिकुड़ ना जाये, न उससे छूटने की कोई आशा नहीं थी।


झड़ने के पश्चात नजीबा उसी स्थिति में कुत्ते के लंड से लटके हुए और उसकी गाँठ के सिकुड़ने का इंतज़ार करने के लिये बेबस थी। कुत्ते के लंड से चिपक कर उससे अपनी गाँड लटकाये हुए वो करीब बीस मिनट तक रही। जब भी उन दोनों में से कोई थोड़ा सा भी हिलता तो नजीबा को गाँठ के साथ-साथ कुत्ते के लंड के प्रत्येक अंश का मीठा सा एहसास होता। अपने जीवन में शायद ही कभी नजीबा ने इतने कामुक और प्रचंड एहसास का अनुभाव किया था। नजीबा कुत्ते का लंड अपनी गाँड में गहरायी तक धड़कते। हुए महसूस कर रही थी जिसमें से अभी भी वीर्य के कतरे फूटना जारी थे।
|

आखिरकार नजीबा को कुत्ते के लंड की गाँठ ढीली होती महसूस जब तक कि वो सिकुड़ कर उसकी गाँड में से बाहर निकलने जितनी छोटी नहीं हो गयी। जब लंड की गाँठ नजीबा की गाँड के छेद में से कुचलती हुई निकली तो उसके खिंचाव से नजीबा की चींख निकल गयी। अगले ही पल उसे महसूस हुआ कि हवा के एक झोंके के साथ जैसे टन भर वीर्य उसकी गाँड में से फूट कर बाहर निकल आया हो। नजीबा वहीं ढह गयी।

और कुछ देर के लिये हिल भी नहीं पायी। उसे अपनी गाँड ऐसे महसूस हो रही थी जैसे । उसमें अभी भी कुत्ते का लंड चूँसा हो। उसकी गाँड धड़कती महसूस हो रही थी और नजीबा को अपना हाथ पीछे ले जाकर अपनी गाँड छूने में डर सा लग रहा था। आखिर में उसने अपनी अंगुलियों से गाँड को छुआ तो चिहुँक उठी। उसकी गाँड बहुत ही संवेदनशील हो गयी थी और छूने से गुदगुदी भरा दर्द हो रहा था। उसे आश्चर्य हुआ कि उसकी गाँड का छिद्र अभी भी काफी खुला हुआ था। आखिरकार वो छिद्र कुत्ते के लंड की क्रिकेट की गेंद के आकार की गाँठ द्वारा चौड़ा फैल कर खुला था और अब अपने मूल आकार में लौटने का प्रयत्न कर रहा था।
 
उसने औरंगजेब की तरफ नज़र डाली तो देखा कि उसका लंड तुरंत अपने खोल में सिकुड़ कर लुप्त नहीं हुआ था। नजीबा को विश्वास नहीं हो रहा था कि वो लंड और गाँठ उसकी गाँड में कैसे समा पाये थे। कुत्ते लंड की जड़ में गेंद जैसी गाँठ अभी भी काफी मोटी फूली थी। वो बैंगनी से लाल रंग की गाँठ आलूबुखारे जितनी बड़ी लग रही थी और वैसे ही बैंगनी-लाल रंग का कुत्ते का लंड भी इस समय कम से कम आठ इंच का था। यह सोच कर कि उसकी गाँड में चोदते हुए वो लंड इससे भी बड़ा रहा होगा, नजीबा के बदन में एक लहर सी दौड़ गयी।

वीर्य में भीगा और चमचमाता हुआ लंड झुलाते हुए औरंगजेब चलता हुआ एक तरफ जा कर बैठ गया और अपना लंड चाट कर साफ करने लगा। टीपू भी पास ही बैठा अपने लंड पर जीभ फिरा रहा था।
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *

* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *

गधे का वीर्य पीने के बाद शाजिया की कामोत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी कि उसकी चूत ऐसे महसूस दे रही थी कि कभी भी उसमें आग की लपतें धधक उठेगी। गधे ने अपनी जीभ और जबड़े से शाजिया को तृप्त किया था पर शाजिया की संतुष्टि ज्यादा देर कायम नहीं रही। और अब, उसके लंड को चूस कर उसका वीर्य-पान करने के पश्चात उस कामुक चुदक्कड़ औरत को ऐसा लग रहा था कि वो गधे के विराट लंड से चुदवाये बिना नहीं रह पायेगी।

उसने टकटकी लगा कर गधे के लंड को घूरा तो उसका बदन थरथरा गया। उसके लंड का आकार दिल दहला देने वाला था। फिर भी उस लंड का सुपाड़ा उसके मुँह मे समा सका था और वो अच्छी तरह जानती थी कि उसके होंठों से ज्यादा लचीली उसकी चूत थी - और ज्यादा भूखी भी। उसकी चूत बहुत खोखली और खाली महसूस दे रही थी।
और चुदने के लिये तरस रही थी। शाजिया उस कुंआरी लड़की की तरह काँप रही थी आ जिसका कौमार्य भंग होने वाला हो। एक तरह से ये सच भी था - शाजिया ने सोचा। क्योंकि गधे का वो विशाल लंड उसकी चूत में इतनी गहरायी तक घुसने वाला था जहाँ तक पहले कोई लंड नहीं गया था।

वो हाँफ रही थी। उसकी गर्म साँस गधे के लंड के सुपाड़े पर पड़ी तो वो धड़कने और कूदने लगा। उसका लंड तड़क कर ऊपर उठ गया। शाजिया के मुँह में झड़ने के बाद वो * थोड़ा ही ढीला पड़ा था और इस समय झटक कर वापस सख्त बन गया था।

| शाजिया की आँखें इस तरह गधे के लंड पर चिपकी हुई थीं जैसे कि वो सम्मोहन से अचेतन हो गयी हो। वो धीरे से अपने सैंडलों की ऐड़ियों के बल बैठते हुए पीछे की तरफ अपने चूतड़ों के बल गिर गयी और फिर वो गधे के नीचे खिसक गयी। उसका सिर और कंधे ज़मीन पर टिके थे, उसके सैंडल युक्त पैर दृढ़ता से ज़मीन पर जमे थे और उसकी गाँड हवा में ऊपर उठ कर झूल रही थी जिससे उसकी झाग उठती चूत गधे के लंड के सुपाड़े के स्तर तक पहुँच गयी थी।
 
गधे ने अपना सिर झुकाया और उसकी जीभ शाजिया की सख्त चूचियों को चाटते हुए उनके बीच की दरार से ऊपर फिसली। गधे का लंड भी शाजिया के पेट पर उछला। गधे ने आगे झटक कर अपना लंड आगे भोंका पर वो अपने लक्ष्य से एक-दो इंच से चूक गया। उसके लंड का चिपचिपा सुपाड़ा शाजिया के चूत के ऊपर से झड़झड़ाता हुआ उसके पेट पर फिसल कर शाजिया की भारी चूचियों के निचले हिस्से से टकराया।
|

शाजिया के पेट पर वीर्य की पगडंडी सी छोड़ते हुए गधे ने अपना लंड पीछे खींचा। शाजिया ने। अपने चूतड़ और ऊपर ठेले। जब उस उत्तेजित गधे ने फिर से धक्का लगाया तो उसक लंड जोर से शाजिया की चूत पर टकराया और शाजिया को पीछे ढकेल दिया। उसका बड़ा सुपाड़ा शाजिया की चूत में धधकने लगा और शाजिया जोश में अपने चूतड़ हिलाती हुई अपनी चूत उस लंड के चिपचिपे सुपाडे पर रगड़ने लगी।

गधे के मूत-छिद्र में से वीर्य छलक पड़ा और शाजिया की चूत में बह कर उसकी चूत के । रस की चिकनाहट बढ़ाने लगा। शाजिया की चूत के गुलाबी बाहरी होंठ धड़कते हुए फैल गये
और लंड के सुपाड़े पर बाहर घूम कर खुल गये। घरघराते हुए गधे ने आगे धक्का लगा कर अपना सुपाड़ा उन खुले होंठों में से शाजिया के मलाई से भरे कटोरे में ठाँसने लगा। लंड का बड़ा खुटा शाजिया की चूत को और चौड़ा फैलाते हुए धधकने लगा। जब गधा अपना लंड और आगे ठेलने लगा तो शाजिया ने भी अपने कुल्हे आगे ठेल दिये। गधे के लंड का रिसता हुआ सुपाड़ा शाजिया की चूत में फँस गया था। 

चुदाई की चाहत में रिरियाती हुई शाजिया अपनी चूत चलाने लगी और गधे ने फिर आगे धक्का लगाया। गधा गर्जने लगा और शाजिया कराहने लगी - और उसके लंड का विशाल मोटा सुपाड़ा शाजिया की दहकती चूत में। कुचलता हुआ अंदर खिसक गया। लंड के सुपाड़े की पूरी गाँठ अब चूत के अंदर थी और चूत के होंठ उस सूजे हुए सुपाड़े के ठीक पीछे चिपक कर लिपटे हुए थे।

शाजिया उस गधे के सख्त लंड के एक छोर पर अटकी हुई झूल रही थी। गधा अपना लंड आगे ठाँस रहा था और शाजिया की गाँड उसके लंड के छोर पर ऊपर-नीचे हो रही थी।


एक क्षण के लिये शाजिया घबरा गयी कि उसकी चूत और लंड अंदर नहीं ले पायेगी और उसके मुँह की तरह उसकी चूत भी सिर्फ लंड का सुपाड़ा ही ले पायेगी। उसकी आंशिक खाली चूत चुदाई की तड़प में धड़क रही थी। अपनी चूत को गधे के लंड से पूरा भरने की तड़प में शाजिया वहशियाने ढंग से अपने कुल्हे उचकाती हुई अपनी चूत उसके लंड पर ऊपर चोदने लगी।

गधे का लंड थोड़ा अंदर खिसका। धीरे से और स्थिरता से गधे का लंबा और मोटा महालंड शाजिया की चूत में और अंदर फिसलने लगा। इतने बड़े लंड को समायोजित करने के लिये चूत की लचीली दीवारें फैल कर लंड के चारों और साँचे में ढल गयी। शाजिया की चूत पहले कभी इतनी चौड़ी नहीं फैली थी। गधे ने आगे धक्का लगाया और उसका लंड । चूत के और अंदर धंस गया। धधकता हुआ सुपाड़ा गड़ते हुए रस्ता बना रहा था और उसके पीछे-पीछे लंड की छड़ अंजान प्रदेश में बढ़ रही थी।
|

गधे के लंड का सुपाड़ा शाजिया की चूत में इतनी गहरायी तक पहुँच चुका था जहाँ पहले कभी और कोई लंड नहीं गया था और अभी भी शाजिया की चूत और गधे के टट्टों के बीच लगभग एक फुट लंड निकला हुआ था। गधे ने हिल कर अपना लंड और आगे ठेला तो लंड का सुपड़ा चूत की गहरायी में कठोरता से टकराया और अब वो और आगे नहीं जा सकता था। शाजिया खुद को लंड से इतना भरा हुआ महसूस कर रही थी कि उसने सोचा कि जब गधे के लंड में से वीर्य छूटेगा तो उसके मुंह से बाहर निकल पड़ेगा। गधे का लंड झटकने लगा तो शाजिया उसपर ऊपर नीचे हिलने लगी। शाजिया की चूत पूरी क्षमता तक गधे के लंड से भरी हुई थी पर फिर भी लगभग एक फुट लंड बाहर रह गया था। शाजिया की चूत में और लंड के लिये कोई जगह नहीं बची थी। उसकी भूखी चूत चमत्कारपूर्ण रूप से उस गर्म महा-लंड से भर गयी थी।
 
गधे ने शाजिया की चूत के अंदर घुसे हुए अपने धड़कते लंड की पैंठ कुछ क्षणों के लिये। बनाये रखी। शाजिया को लगा जैसे उसका लंड पम्प की तरह उसके पेट में हवा भर रहा है। अपने चूतड़ घुमा कर वो अपनी चूत को गधे के लंड के इर्द-गिर्द रगड़ रही थी। शाजिया गधे द्वारा चुदाई शुरू होने के लिये बेकरार हो रही थी।

तभी गधा पीछे हिला। परंतु उसका लंड शाजिया की चूत में इतनी मजबूती से गढ़ा था कि लंड बाहर खींचने की बजाय शाजिया को ही अपने लंड के साथ पीछे घसीट लिया। गधे ने फिर एक बार आगे ठेल कर पीछे झटका लिया किंतु उसके लंड ने अंदर या बाहर फिसलने से इंकार कर दिया। वो लंड शाजिया की चूत में इतना कस कर फँसा था कि टस से मस नहीं हुआ।

शाजिया बेकरारी से कराहने लगी। उसके लंड से अपनी चूत इस कदर भरी होने से वो खुश थी पर वो अपनी चूत में चुदाई की ताल में उस भारी लंड के अंदर बाहर फिसलने के लिये तड़प रही थी। अपनी चूत को ठीक स्थिति में रखते हुए उसने अपने पैरों और कंधों को ज़मीन पर ठेला ताकि गधे का लंड बाहर निकल कर फिर अंदर जोर से घुस सके पर वो असफल रही। गधे ने झटका मारा तो शाजिया का पूरा शरीर उसके लंड के साथ घिसट गया।

शाजिया ने सोचा कि कम से कम वो चूत में लंड भरे होने से झड़ तो सकती ही थी। पर फिर उसे दूसरा ख्याल आया। ‘प्रथागत चुदाई के घर्षण के बगैर, क्या वो गधा झड़ पायेगा?
|

और अगर वो झड़ कर संतुष्ट नहीं हो सका तो - शाजिया ने आकस्मिक भय से थूक निगला - वो दोनों अलग कैसे होंगें? शाजिया को बड़ा भयनक ख्याल आया कि हो सकता है वो कई घंटों तक गधे के लंड पर फैंसी रहे। और हो सकता है उसकी चूत सुबह तक लंड पर चिपकी हुई हँसी रहे और नजीबा उसे ढूँढती हुई वहाँ पहुँच जाय या फिर उसे किसी डॉक्टर की मदद लेनी पड़े।

|
शाजिया इस संभावना से डर कर जोर-जोर से पागलों की तरह झटके मारने लगी। अपनी मुलायम जांचें उस विराट लंड पर कस कर और उसे मजबूती से पकड़ कर वो उस लंड पर अपनी चूत ऊपर नीचे कुचलने की कोशिश करने लगी। पर फिर भी वो टस से मस नहीं हुआ। उसका सुपाड़ा शाजिया की चूत की असीम गहराइयों में था और उसके लंड की अधिकतर डाली उसकी चूत की सुरंग में फंसी थी, पर शाजिया अपनी चूत ज़रा सी भी नहीं। हिला सकी।
नशे में चूर शाजिया को एहसास हो गया कि वो गंभीर समस्या में थी।
परंतु सहायता तो वहीं मौजूद थी.....



औरंगजेब के लंड से आज़ाद होने के बाद अर्ध-चेतन हालत में नजीबा कालीन पर पसरी हुई पड़ी थी। दोनों कुत्ते भी हाँफते हुए नजीबा के नज़दीक ही सिकुड़े हुए पड़े थे। दोनों कुत्तों के आँड रिक्त हो चुके थे और उनके लंड धीरे-धीरे अपने खोल में लुप्त हो रहे थे।


चार-पाँच मिनट पश्चात नजीबा कुछ संभली तो उसने कुत्तों पर एक नज़र डाली। उसे कुत्तों में नवीन जोश का कोई आसार नहीं दिखा। वो हिम्मत करके उठी। पहले तो वो अपने कपड़े ढूँढने लगी पर फिर उसने कपड़े पहनने का ख्याल छोड़ दिया क्योंकि उसका इरादा तो बाहर छप्पर में जाने का था। उसने सोचा कि जब वो गधे का मूसल लंड अपने हाथों में ले कर सहलायेगी तो गधे का वीर्य हर तरफ छलकेगा और कपड़ों को वीर्य से भिगोने का कोई तात्पर्य नहीं था। वो वैसे ही बिल्कुल नंगी अपने हाई-हील के सैंडल पहने कमरे के दरवाजे तक गयी। उसके कदम पहले की तरह ही लड़खड़ा रहे थे। उसने रुक कर बाहर झाँका तो उसे घर का मुख्य दरवाजा खुला दिखायी दिया। उसने सोचा कि हो सकता हई नशे के कारण शाजिया दरवाजा बंद करना भूल गयी होगी। फिर शाजिया के बेडरूम की तरफ से कोई आहट ना सुन कर वो आश्वस्त हो गयी कि शाजिया नशे में चूर । हो कर गहरी नींद सो रही होगी।
 
नजीबा को एहसास था कि वो स्वयं भी नशे में धुत्त थी पर गधे के दिव्य लंड की छवी उसे आगे बढ़ने के लिये प्रेरित कर रही थी। दिन में शायद उसे ऐसा मौका ना मिले, इसलिए वो आज रात को ही अपनी विकृत मनोकामना पूरी कर लेना चहा रही थी। बाहर आकर अंधेरे में वो डगमगाती छप्पर की तरफ बढ़ी।
उसे गधे के रेंकने और घरघराने की आवाज़ सुनायी दी तो वो मुस्कुरा दी। “बेचारा उपेक्षित जानवर'' उसने सोचा, “जरूर मेरी दहकती चूत की कामुक गंध हवा में फैल कर गधे को उत्तेजित कर रही है।”

आ नशे में चूर नजीबा अपनी चूचियाँ झुलाती और अपने नंगे चूतड़ मटकाती हुई और तेजी से आगे बढ़ी तो हाई-हील के सैंडलों में संतुलन नहीं रख सकी और धड़ाम से लुढ़क गयी। पर नशे और वासना में उसे किसी बात की परवाह नहीं थी। वो फिर उठ कर झूमती
और गिरती- पड़ती आगे बढ़ी।

उसने छप्पर के बाहर कदम रखा - और बुत की तरह जम गयी। “मादरचोद?” नजीबा ने गहरी साँस ली। वो टकटकी लगा कर एक अदभुत दृश्य देख रही थी। वहाँ उसकी कामुक सहेली, बिल्कुल नंगी, सिर्फ हाई हील के सैंडल पहने, गधे के नीचे उस जानवर का विशाल लंड अपनी चूत में फँसाये हुए थी। शाजिया उस गधे के लंड पर झटकती और जोर-जोर से हिलती हुई चुदाई शुरू करने की बेकरारी से कोशिश कर रही थी। नजीबा फौरन अपनी सहेली शाजिया की समस्या समझ गयी। नजीबा के सुंदर मुखड़े से विस्मय के भाव दूर हो गये और उसके होंठों पर कामुक और कुटिल मुस्कुराहट आ गयी।

गर्दभ राज से चुदवा रही है... हँह, राँड’’ नजीबा लम्पटता से बोली।
शाजिया का सिर पीछे की तरफ चटक गया और उसने गर्दन घुमा कर अपनी सहेली को देखा। उसका चेहरा शरम से लाल हो गया। उसके होंठ फड़फड़ाये पर कोई शब्द नहीं निकले। ऐसी परिस्थिति में वो क्या कह सकती थी।

नजीबा अपनी सहेली की लंड भरी चूत पर नज़रें टिकाये उसके नज़दीक बढ़ी। उस औरत की चूत के गुलाबी होंठ गधे के धड़कते लंड के चारों तरफ चौड़े फैले हुए थे और उसका चूत-रस बह कर उसके चूतड़ों की दरार को भिगो रहा था और बूंद-बूंद करके जमीन पर टपक रहा था। नजीबा को अपनी सहेली से ईष्र्या होने लगी। वो अपनी स्वयं की चूत उस गधे के लंड से चुदवाना चाहती थी। परंतु उसे साफ दिख रहा था कि गधे को शाजिया की चूत से लंड बाहर निकालने के पहले शाजिया की चूत में झड़ना पड़ेगा और उसके बाद ही उसे वो लंड चखने का मौका मिलेगा।

तू.. तू.. क-क्या..." शाजिया हकलायी। उसे लगा कि इस हालत में उसे देख कर नजीबा बड़ा मुद्दा बना लेगी पर फिर उसने देखा कि नजीबा स्वीकृति से मुसकुरा रही थी। साथ ही उसने ध्यान दिया कि नजीबा सिर्फ अपने सैंडल पहने, बिल्कुल नंगी ही वहाँ आयी थी।
लगता है कि तुझे कुछ मदद की जरूरत है, शाजिया!”
शाजिया अविश्वास से कराह उठी।


“कसकर फंस गया है ना?” नजीबा खिलखिलायी, “मैं तेरी मदद करती हैं।
- नजीबा अपनी सहेली की बगल में घुटनों के बल बैठ गयी। शाजिया लाचारी से गधे के लंड
से चिपकी हुई ऊपर-नीचे झटक रही थी। गधा तो मुर्ख जानवर था - उसे क्या पता की इन औरतों के साथ चुदाई करना विकृति थी - इसलिए उसने अपने कुल्हे आगे पिछे हिलाना जारी रखा। नजीबा ने शाजिया की चूत के ठीक बाहर गधे के उस मोटे लंड को । अपने दोनों हाथों में वहाँ से पकड़ लिया और चुदाई की क्रिया शुरू करने की कोशिश में उसे खींचने और ढकेलने लगी। वो अपनी सहेली के पेट पर झुकी तो उसकी सम्मोहित नज़रें शाजिया की लंड-भरी चूत पे टिक गयीं। नजीबा के काले लंबे बाल भी शाजिया की चूचियों पर लुढ़क गये। नजीबा अभी भी मुस्कुरा रही थी पर उसके कामुक होंठ अब काँपने लगे थे।
 
नजीबा को कुछ झिझक नहीं थी। कॉलेज के दिनों में दोनों सहेलियों ने अनेक बार एक दूसरे की चूत चाटी थी और एक ही बिस्तर पर दूसरे मर्दो के साथ चुदाई की थी। और फिर अपनी सहेली, जो कि गधों से चुदवाती हो, उसके सामने उसे क्यों शरम या झिझक होती।

तेरी चूत पूरी तरह गीली नहीं हुई है, नजीबा ने झूठ कहा। शाजिया की बाढ़ की तरह बहती हुई चूत से ज्यादा गीली कोई चूत कैसे हो सकती थी। नजीबा का मुखड़ा और नीचे झुका और वो होंठ खोल कर अपनी सहेली की चूत को चूमते हुए राल निकालने लगी। उसका थूक शाजिया की सख्त क्लिट पर से होता हुआ गधे के लंड के घेरे पर बहने लगा। उसकी जीभ इधर-उधर फिसलती हुई कभी शाजिया की चूत के फैले हुए होंठों को चाटने लगी, कभी गधे के लंड पर सुडकती और फिर शाजिया की फनफनाती हुई क्लिट पर चाबुक की तरह फिरती। अपनी जीभ और होंठ गधे के लंड और शाजिया की चूत पर रगड़ते हुए वो लगातार अपने हाथों से गधे के लंड को खींच रही थी।


नजीबा ने अपना सिर उठाया। उसके सुंदर मुखड़े का निचला हिस्सा अपने थुक, शाजिया के चूत-रस और गधे के वीर्य के मिश्रण से लिसड़ा हुआ चमक रहा था।

“ये साला चोद लंड मुझसे नहीं हिल रहा, वो फुसफुसायी, “यहाँ साइड से मेरी सही | पकड़ नहीं बन पा रही हड़ी' जब नजीबा ने अपनी सहेली के घबराये हुए चेहरे पर नज़र डाली तो नजीबा की आँखों में वासना और शरारत झलक रही थी। मेरे ख्याल से मुझे तेरे ऊपर आ कर झुकना पड़ेगा, राँडा'

नजीबा ने अपनी एक टाँग उठा कर शाजिया के दूसरी तरफ खिसका दी और उसके कमान की तरह मुड़े हुए धड़ पर बैठ गयी। उसकी स्वयं की धधकती चूत शाजिया के चेहरे के ठीक ऊपर थी। उसका चूत-रस उसकी सुडौल हँगों से नीचे बह रहा था और उसकी चूत के आस-पास का हिस्सा उसके चूत-रस और कुत्तों के वीर्य के मिश्रण से भिगा हुआ था। शाजिया के मुँह में पानी आ गया और गर्दन ऐंठ गयी और स्वतः ही उसका सिर उस मलाईदार चूत की तरफ उठ गया।
-
योगित गधे के लंड को दोनों हाथों से खींचती हुई कसमसायी। लंड को खींचते वक्त उसकी चूत नीचे खिसक कर शाजिया के चेहरे के ठीक ऊपर आ गयी। नजीबा की चूत के होंठ चौड़े खुले हुए थे और उसमें से मलाईदार द्रव्य बह रहा था। शाजिया की जीभ बाहर निकल कर नजीबा की क्लिट पर फड़फड़ाने लगी और फिर उसकी चूत में घुस गयी।
ऊऊऊऊऊह - बहुत मज़ा आ रहा है... शाजिया, नजीबा बिल्ली की तरह घुरघुरायी।
 
शाजिया के अधीर मुँह पर अपनी चूत रगड़ती हुई नजीबा अपने चूतड़ हिलाने लगी। शाजिया रिरियाने लगी जब उसकी जीभ स्वादिष्ट चूत-रस से तर हो गयी। काफी अरसे के बाद वो चूत का स्वाद ले रही थी। लेकिन उसे यह एहसास नहीं हुआ कि नजीबा के चूत-रस में उसके स्वयं के कुत्तों का वीर्य भी मिश्रित है। उसने अपने हाथ उठा कर अपनी सहेली के चूतड़ों को पकड़ लिया और कस कर उसकी रसीली चूत को अपने चेहरे पर खींच लिया। शुरू में शाजिया सिर्फ अपनी जीभ का प्रयोग कर रही थी, पर अब उसने अपने खुले होंठ नजीबा की चूत पर कस लिये और लोलुपता से चूसने लगी। उसका मुँह चूत के मलाईदार रस से भर गया। वो मज़े से गलल–गलल कर के नजीबा का चूत-रस निगलने लगी। वो चूत चूसते हुए दिवानी सी हो गयी थी और साथ में अपनी चूत में गधे का लंड भरे होने से वो वासना में पागल हो रही थी।


अपनी सहेली की चूत को होंठों से चूसते हुए शाजिया अपनी जीभ उसकी चूत में चोदने
लगी। नजीबा मस्ती और आनंद से किलकारियाँ मारती हुई कलबलाने लगी। नजीबा का | स्वयं का सिर शाजिया की टाँगों के बीच ऊपर-नीचे कूदने लगा और वो शाजिया की क्लिट चूसने लगी। गधे का लंड नजीबा के होंठों के स्पर्श से धड़कने लगा -- और अब जबकि शाजिया की चूत और गर्म और रसीली हो गयी थी, गधे का वो विशाल लंड आखिर में अंदर-बाहर फिसलना शुरू हो गया।
|
गधे का लगबग एक इंच लंड शाजिया की चूत के होंठों को अपने साथ घसीटता हुआ उसकी चूत से बाहर निकला। धीरे-धीरे और लंड बाहर निकलने लगा। उत्तेजित गधे ने जोर से झटका मारा और सुपाड़े की घुडी छोड़ कर उसका पूरा लंड बाहर आ गया। उसका लंड शाजिया कि चूत-मलाई से लिसड़ा हुआ था। लंड की फूली हुई घंडी शाजिया की चूत में दहक रही थी। नजीबा ने गहरी साँस ली और गधे के रसीले लंड पर अपनी जीभ फिराती हुई अपने सहेली के चूत का रस गधे के काले लंड से चाटने लगी। गधे ने ठेल कर लगभग पूरा लंड वापस चूत में चोद दिया। नजीबा की जीभ भी गधे के गरजते लंड के साथ शाजिया की चूत में फिसल गयी। गधा आवेशित हो कर अपना लंड शाजिया की चूत में ठेलने लग तो उसके आँड जोर से झूलने लगे। उसका लंड नजीबा के होंठों और जीभ पे रगड़ता हुआ उसकी सहेली की चूत में अलोप हो गया।
|
ऊऊऊऊहहहह -- गधा चोद रह है तुझे... छिनाल शाजिया' नजीबा चिल्लायी तो उसकी आवाज़ शाजिया की टाँगों के बीच में घुट गयी।

परंतु शाजिया ये अच्छी तरह जानती थी। वो अपनी गाँड और चूतड़ हिला कर आगे ठेलती हुई गधे के वहशी धक्कों का जवाब दे रही थी और साथ ही अपनी सहेली की चूत लोलुप्ता से चूस रही थी। उसे पता नहीं था कि उसे किसमें अधिक मज़ा आ रहा था।

उसकी जीभ भी उतनी ही आगबबूला थी जितनी कि इस समय उसकी क्लिट - और आनजीबा की जीभ उसकी वासना की आग में तेल डाल रही थी। शाजिया ने नजीबा की गाँड
पकड़ी और अपनी कमर उठा कर उसकी चूत में से बहता हुआ रस पीने लगी। नजीबा ने कुछ पल गधे के लंड पर ऊपर-नीचे अपनी जीभ फिरायी और फिर अपनी सहेली की जाँघों में अपना सिर छिपा लिया। उसके खुले होंठ गधे के लंड से भरी हुई शाजिया की चूत के बाहर जोंक की तरह चिपक गये।।

“ओहह नजीबा! हुम्म... तू... तू नहीं... नहीं जानती कि कितना... ऊऊऊघघघ! कितना... अच्छा लग... रहा है इसका... लंड...', शाजिया फुसफुसायी ।
 
गधे ने धीरे से अपना लंड बाहर निकाला और फिर झटके से वापस अंदर ठेल दिया। उसके लंड की रॉड शाजिया की चूत में घुसते हुए नजीबा के खुले मुँह में से गुजरी। शाजिया की चूत द्वारा अपने लंड के चूसे जाने से और नजीबा की जीभ और होंठों के लंड पर फिरने और राल टपकाने से गधा उन्मत हुआ जा रहा था। वो अपने लंड से चोदते हुए शाजिया को इस कदर हिला रहा था कि शाजिया का पूरा बदन थरथराता हुआ आधी में पत्ते की तरह हिल रहा था।
शाजिया की चूत पानी छोड़ने लगी।

जैसे ही शाजिया की चूत का रस गधे के चोदते हुए लंड के चारों तरफ बह कर उसकी सहेली के अधीर मुँह में बाढ़ की तरह प्रवाहित होने लगा, तो शाजिया वासना से दिवानी हो कर कराहने चिल्लाने लगी। उसे अपना तन-मन अपनी चूत के साथ वासना की गर्मी में पिघलता महसूस होने लगा। हकीकत की कुछ चिंगारियाँ अभी भी बाकी थी। शाजिया को स्थिति का आभास था।
“गधा मुझे चोद रहा है और मैं अपनी कॉलेज की सहेली के साथ उनहत्तर (69) की मुद्रा में हूँ" शाजिया ने सोचा। यह अविश्वसनिय पर कामुक स्थिति थी।
और राज, जो छप्पर के दरवाजे पर मुँह खोले और आँखें फाड़े खड़ा था, उसे भी अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
* * * * * * * * * * * * * * * * * * * *
 
राज अपने दोस्त की शादी में से कुछ जल्दी लौट आया था। वहाँ उसने दोस्तों के साथ दारू भी पी थी और वो इस उम्मीद में जल्दी वापस आया था कि शायद आज की रात शाजिया मैडम को चोदने का मौका मिल जाये। जब वो घर से निकला था तो उसकी मालकिन अपनी सहेली के साथ शराब पीने बैठी थी और ये अच्छा संकेत था क्योंकि वो जानता था कि शराब के नशे में मैडम की चुदाई की भूख कई गुणा बढ़ जाती थी।

वापस लौट कर उसने पहले अपने सर्वेट क्वार्टर में जा कर अपने कपड़े बदले थे और फिर पानी पी कर मुख्य घर में गया था। वहाँ शाजिया मैडम या उनकी सहेली उसे कहीं नहीं दिखे। गेस्ट बेडरूम का नज़ारा देख कर उसे अंदाज़ा हो गया था कि वहाँ चुदाई हुई है। क्योंकि कुत्ते थके हारे कार्पेट पर पसरे हुए थे। व्हिस्की और एक सोडे की बोतल भी ज़मीन पर लुढ़की पड़ी थी। एक तरफ साड़ी, पेटीकोट इत्यादी बेतरतीबी से बिखरे हुए थे और बारहसिंघे के सींगों में एक पैंटी भी लटकी हुई थी।
-
उसे याद आया कि वो साड़ी तो मैडम की सहेली ने पहनी हुई थी। पर शाजिया मैडम के कपड़े वहाँ कहीं नज़र नहीं आये और ना ही दोनों औरतों का कुछ अता-पता था। वो जानता था कि उसकी मालकिन कुत्तों के साथ अपनी चुदाई की बट बहुत ही गुप्त रखती है पर उसका दिल कह रहा था कि हालत से उसे गुमान हो रहा था कि आज कुत्तों के साथ चुदाई में शाजिया मैडम के साथ उनकी सहेली भी शरीक थी। साथ ही वो परेशान था कि वो दोनों हैं कहाँ? उसे लगा कि शायद दोनों औरतें बाहर लॉन में हो सकती हैं। इसलिये वो घर के पिछवाड़े में गया। वहाँ लॉन में भी छतरी के नीचे कुर्सियाँ गिरी पड़ी थीं पर उन दोनों का कहीं पता नहीं था। अंधेरा भी हो गया था और वो असमंजस में था कि तभी उसे छप्पर की तरफ से गधे के रेंकने और घरघराने की आवाज़ सुनायी दी। उसे छप्पर के पास एक व्हिस्की की बोतल भी पड़ी दिखायी दी तो वो उस तरफ बढ़ गया।
-
और इस तरह राज उस हैरतअंगेज़ नज़ा मंज़र तक पहुँचा था।

कुछ समय के लिये वो हक्काबक्का नौकर छप्पर के दरवाजे पर खड़ा रहा। उसकी आँखें उस नज़ारे पर इस तरह चिपकी थीं जैसे उसकी आँखें बाहर गिर पड़ेंगी - और उसका लंड मिसाइल की तरह उसकी टाँगों के बीच में से उखड़ कर उड़ने को तैयार था।


वो सदमे में था या अपने सामने के मंज़र की विकृति से घृणित था... वो नहीं जानता था । - क्योंकि वो उस समय इतना उत्तेजित था कि उसे और कोई एहसास ही नहीं था। उसका सिर चकरा रहा था। उसके खड़े लंड में इतना खून प्रवाहित हो गया था कि उसके दिमाग में आक्सीजन की कमी हो रही थी। सामने के मंज़र का रसभरा ब्यौरा उसके दिमाग में गहरायी तक छप गया था।

- वहाँ उसकी चुदक्कड़ मालकिन थी जिसका सुडौल कामुक जिस्म गधे के नीचे टिका था। | - और उस गधे का भारी भीमकाय लंड उस औरत की चौड़ी खुली चूत में अंदर-बाहर कुटाई कर रहा था। यह मंजर खुद में बेहद अश्लील और विकृत था।
 
Back
Top