Parivaar Mai Chudai घर का दूध - Page 2 - SexBaba
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Parivaar Mai Chudai घर का दूध

घर का दूध पार्ट--7 गतान्क से आगे............

सुबह जब मंजू चाय लेकर आई तो साथ मे गीता भी थी. दोनो सुबह सुबह नहा कर

आई थी, बाल अब भी गीले थे. मंजू तो मादरजात नंगी थी जैसी उसकी आदत थी,

गीता ने भी बस एक गीली साड़ी ओढ़ रखी थी जिसमे से उसका जोबन झलक रहा था.

"ये क्या, सुबह सुबह पूजा उजा करने निकली हो क्या दोनो?" मैने मज़ाक

किया. गीता बोली "हां बाबूजी, आज आपके लंड की पूजा करूँगी, देखो फूल भी

लाई हूँ" सच मे वह एक डलिया मे फूल और पूजा का समान लिए थी. बड़े प्यार

से उसने मेरे लंड पर एक छ्होटा टीका लगाया और उसे एक मोगरे की छ्होटी

माला पहना दी. उपेर से मेरे लंड पर कुच्छ फूल डाले और फिर उसे पकड़कर

अपने हाथों मे लेकर उस पर उन मुलायम फूलों को रगड़ने लगी. दबाते दबाते

झुक कर अचानक उसने मेरे लंड को चूम लिया. मैं कुच्छ कहता इसके पहले मंजू

हँसती हुई मेरे पास आकर बैठ गयी. मेरा ज़ोर का चुंबन लेकर अपनी चून्चि

मेरी छाति पर रगड़ते हुए बोली. "अरे ये तो बावरी है, कल से आपके गोरे

मतवाले लंड को देख कर पागल हो गयी है. बाबूजी, जल्दी से चाय पियो. मुझे

भी आप से पूजा करवानी है अपनी चूत की. आप मेरी बुर की पूजा करो, गीता

बेटी आपके लंड की पूजा करेगी अपने मुँह से." मेरा लंड कस कर खड़ा था. मैं

चाय की चुस्की लेने लगा तो देखा बिना दूध की चाय थी. मंजू को बोला की दूध

नही है तो वह बदमाश औरत दिखावे के लिए झूठ मूठ अपना माथा थोक कर बोली "

हाय, मैं भूल ही गयी, मैने दूध वाले भैया को कल ही बता दिया कि अब दूध की

ज़रूरत नही है हमारे बाबूजी को. अब क्या करे, चाय के बारे मे तो मैने

सोचा ही नही. वैसे फिकर की बात नही है बाबूजी, अब तो "घर का दूध" है, ये

दो पैरों वाली दो थनो की खूबसूरत गैया है ना यहाँ! ए गीता, इधर आ जल्दी"

गीता से मेरा लंड छ्चोड़ा नही जा रहा था. बड़ी मुश्किल से उठी. पर जब

मंजू ने कहा "चल अब तक वैसे ही साड़ी लपेटे बैठी है, चल नंगी हो और अपना

दूध डाल जल्दी, बाबूजी की चाय में" तो तपाक से उठ कर अपनी साड़ी उतार कर

वह मेरे पास आ गयी. उसके देसी जोबन को मैं देखता रह गया. उसका बदन एकदम

मांसल और गोल मटोल था, चूंचियाँ तो बड़ी थी ही, चूतड़ भी अच्छे ख़ासे

बड़े और चौड़े थे. गर्भावस्था मे चढ़ा माँस अब तक उसके शरीर पर था.

जांघें ये मोटी मोटी और पाव रोटी जैसी फूली बुर, पूरी बालों से भरी हुई.

मैं तो झदाने को आ गया. "जल्दी दूध डाल चाय मे" मंजू ने उसे खींच कर कहा.

गीता ने अपनी चून्चि पकड़ कर चाय के कप के उपेर लाई और दबा कर उसमे से

दूध निकालने लगी. दूध की तेज पतली धार चाय मे गिरने लगी. चाय सफेद होने

तक वह अपनी चून्चि दूहति रही. फिर जाकर मेरी कमर के पास बैठ गयी और मेरे

लंड को चाटने लगी. मैने किसी तरहा चाय ख़तम की. स्वाद अलग था पर मेरी उस

अवस्था मे एकदम मस्त लग रहा था. मेरा सिर घूमने लगा. एक जवान लड़की के

दूध की चाय पी रहा हूँ और वही लड़की मेरा लंड चूस रही है और उसकी माँ इस

इंतजार मे बैठी है की कब मेरी चाय ख़तम हो और कब वह अपनी चूत मुझसे

चुस्वाए. मैने चाय ख़तम करके मंजू को बाँहों मे खींचा और उसके मम्मे

मसल्ते हुए उसका मुँह चूसने लगा. मेरी हालत देख कर मंजू ने कुच्छ देर

मुझे चूमने दिया और फिर मुझे लिटा कर मेरे चेहरे पर चढ़ बैठी और अपनी चूत

मेरे मुँह मे दे दी. "बाबूजी, अब नखरा ना करो, ऐसे नही छ्चोड़ूँगी आपको,

बुर का रस ज़रूर पिलाउन्गि, चलो जीभ निकालो, आज उसीको चोदून्गि" उधर मंजू

ने मुझे अपनी चूत का रस पिलाया और उधर उसकी बेटी ने मेरे लंड की मलाई

निकाल ली. गीता के मुँह मे मैं ऐसा झाड़ा कि लगता था बेहोश हो जाउन्गा.

गीता ने मेरा पूरा विर्य निगला और फिर मुस्कराते हुए आकर माँ के पास बैठ

गयी. मंजू अब भी मुझ पर चढ़ि मेरे होंठों पर अपनी बुर रगड़ रही थी.

"क्यों बेटी, मिला प्रसाद, हो गयी तेरे माँ की?"
 
"अम्मा, एकदम मलाई

निकलती है बाबूजी के लंड से, क्या गाढ़ी है, तार तार टूटते है. तू तो तीन

महीने से खा रही है तभी तेरी ऐसी मस्त तबीयत हो गयी है अम्मा. अब इसके

बाद आधी मैं लूँगी हां!" गीता मंजू से लिपटकर बोली. एक बार और मेरे मुँह

मे झाड़ कर सामने से सी सी करती मंजू उठी. "चल गीता, अब बाबूजी को दूध

पीला दे. फिर आगे का काम करेंगे" गीता मेरे उपेर झुकी और मुझे लिटाए

लिटाए ही अपना दूध पिलाने लगी. रात के आराम के बाद फिर उसके मम्मे भर गये

थे और उन्हें खाली करने मे मुझे दस मिनिट लग गये. तब तक मंजू बाई की

जादुई जीभ ने अपना कमाल दिखाया और मेरे लंड को फिर से तन्ना दिया. गीता

के दूध मे ऐसा जादू था की मेरा ऐसा खड़ा हुआ जैसे झाड़ा ही ना हो. उधर

गीता मुझसे लिपट कर सहसा बोली "बाबूजी, आप को बाबूजी कहना अच्च्छा नही

लगता, आपको भैया कहूँ? आप बस मेरे से तीन चार साल तो बड़े हो" मंजू मेरी

ओर देख रही थी. मैने गीता का गहरा चुंबन लेकर कहा "बिल्कुल कहो गीता

रानी, और मैं तुझे गीता बेहन या बहना कहूँगा. पर ये तो बता तेरी अम्मा को

क्या कहूँ? इस हिसाब से तो उसे अम्मा कहना चाहिए" मंजू मेरा लंड मुँह से

निकाल कर मेरे पास आ कर बैठ गयी. उसकी आँखों मे गहरी वासना थी. "हां,

मुझे अम्मा कहो बाबूजी, मुझे बहुत अच्च्छा लगेगा. आप हो भी तो मेरे बेटे

जैसी उमर के हो, और मैं आपको बेटा कहूँगी. समझूंगी मेरा बेटा मुझे चोद

रहा है. आप कुच्छ भी कहो बाबूजी, बेटे या भाई से चुदवाने मे जो मज़ा है

वो ओर कहीं नही" मुझे भी मज़ा आ रहा था. कल्पना कर रहा था कि सच मे मंजू

मेरी माँ है और गीता बहन. उन नंगी चुदैलो के बारे मे यह सोच कर लंड

उच्छलने लगा. "अम्मा, तो आओ, अब कौन चुदेगा पहले, मेरी बहना या अम्मा?"

"अम्मा, अब मैं चोदु भैया को?" उस लड़की ने अधीर होकर पुचछा. मंजू अब तैश

मे थी "बड़ी आई चोदने वाली, अपनी अम्मा को तो चुदने दे पहले अपने इस

खूबसूरत बेटे से. तब तक तू ऐसा कर, उनको अपनी बुर चटा दे, वो भी तो देखें

की मेरी बेटी की बुर का क्या स्वाद है. तब तक मैं तेरे लिए उनका सोंटा

गरम करती हूँ" मुझे आँख मार कर मंजू बाई हँसने लगी. अब वह पूरी मस्ती मे

आ गयी थी. गीता फटाफट मेरे मुँह पर चढ़ गयी. "ओ नलायक, बैठना मत अभी भैया

के मुँह पर. ज़रा पहले उन्हे ठीक से दर्शन तो करा अपनी जवान गुलाबी चूत

के" गीता घुटनो पर टिक गयी, उसकी चूत मेरे चेहरे के तीन चार इंच उपेर थी.

उसकी बुर मंजू बाई से ज़्यादा गुदाज और मांसल थी. झांतें भी घनी थी. चूत

के गुलाबी पपोते संतरे की फाँक जैसे मोटे थे और लाल छेद खुला हुआ था

जिसमे से घी जैसा चिपचिपा पानी बह रहा था. मैने गीता की कमर पकड़कर नीचे

खींचा और उस मिठाई को चाटने लगा. उधर मंजू ने मेरा लंड अपनी बुर मे लिया

और मुझपर चढ़ कर मुझे हौले हौले मज़े लेकर चोदने लगी. अपनी बेटी का

स्तनपान देखकर वह बहुत उत्तेजित हो गयी थी, उसकी चूत इतनी गीली थी की

आराम से मेरा लंड उसमे फिसल रहा था. गीता के छ्छूतड़ पकड़कर मैने उसकी

तपती बुर मे मुँह च्छूपा दिया और जो भाग मुँह मे आया वह आम जैसा चूसने

लगा. उसका अनार का कड़ा दाना मैने हल्के से दाँतों मे लिया और उस पर जीभ

रगड़ने लगा. दो मिनिट मे वह छोकरि सुख से सिसकती हुई झाड़ गयी. मेरे मुँह

मे रस टपकने लगा. "अरी अम्मा, भैया कितना अच्च्छा करते है. मैं तो घंटे

भर अपनी चूत चुस्ववँगी आज." मैं एक अजीब मस्ती मे डूबा हुआ उस जवान

छ्छोकरी की चूत चूस रहा था, वह उपेर नीचे होती हुई मेरे सिर को पकड़कर

मेरा मुँह चोद रही थी और उसकी वह अधेड़ अम्मा मुझपर चढ़ कर मेरे लंड को

चोद रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे मैं साइकल हूँ और ये दोनो आगे पिछे बैठकर

मुझपर सवारी कर रही है. मैं सोचने लगा कि अगर यह स्वर्ग नही है तो और

क्या है. गीता हल्के हल्के सीतकारियां भरते मंजू से बोली "अम्मा, चुचियाँ

कैसी हल्की हो गयी है, भैया ने पूरी खाली कर दिन चूस चूस कर. तू देख ना,

अब ज़रा तन भी गयी है नही तो कैसे लटक रही थीं." मेरी नाक और मुँह गीता

की बुर मे क़ैद थे पर आँखें बाहर होने से उसका शरीर दिख रहा था. मैने

देखा की मंजू ने पिछे से अपनी बेटी के स्तन पकड़ लिए थे और प्यार से

उन्हें सहला रही थी. "साची बेटी, एकदम मुलायम हो गये है. चल मैं इनकी

मालिश कर देती हूँ, तुझे सुकून मिल जाएगा." मंजू बोली. मुझे दिखाते हुए

उसके हाथ अब गीता के स्तनो को दबाने और मसल्ने लगे. फिर मुझे चूमने की

आवाज़ आई. शायद माँ ने लाड से अपनी बेटी को चूम लिया था. मुझे लगने लगा

की ये माँ बेटी का सादा प्रेम है या कुच्छ गड़बड़ है? दस मिनिट बाद उन

दोनो ने जगह बदल ली. मैं अब भी तन्नाया हुआ था और झाड़ा नही था. मंजू बाई

एक बार झाड़ चुकी थी और अपनी चूत का रस मुझे पिलाना चाहती थी. गीता दो

तीन बार झड़ी ज़रूर थी पर चुदने के लिए मरी जा रही थी. क्रमशः........
 
घर का दूध पार्ट--8

गतान्क से आगे............ मंजू तो सीधे मेरे मुँह पर चढ़ कर मुझे बुर
चुसवाने लगी. गीता ने पहले मेरे लंड का चुम्मा लिया, जीभ से चाता और
कुच्छ देर चूसा. फिर लंड को अपनी बुर मे घुसेड कर मेरे पेट पर बैठ गयी और
चोदने लगी. मेरे मन मे आया की मेरे लंड को चूस्ते समय अपनी माँ की बुर के
पानी का स्वाद भी उसे आया होगा. गीता की चूत मंजू से ज़्यादा ढीली थी.
शायद माँ बनने के बाद अभी पूरी तरह टाइट नही हुई थी. पर थी वैसी ही मखमली
और मुलायम. मंजू ने उसे हिदायत दी "ज़रा मन लगा कर मज़े लेकर चोद बेटी
नही तो भैया झाड़ जाएँगे. अब मज़ा कर ले पूरा" गीता ने अपनी माँ की बात
मानी पर सिर्फ़ कुच्छ मिनिट. फिर वह ऐसी गरम हुई की उच्छल उच्छल कर मुझे
पूरे ज़ोर से चोदने लगी. उसने मुझे ऐसे चोदा की पाँच मिनिट मे खुद तो
झड़ी ही, मुझे भी झाड़ा दिया. मंजू अभी और मस्ती करना चाहती थी इसीलिए
चिढ़ गयी. मेरे मुँह पर से उतरते हुए बोली "अरी ओ मूरख लड़की, हो गया काम
तमाम? मैं कह रही थी सबर कर और मज़ा कर. मैं तो घंटो चोदती हूँ बाबूजी
को. अब उतर नीचे नलायक" मंजू ने पहले मेरा लंड चाट कर साफ किया. फिर
उंगली से गीता की बुर से बह रहे वीर्या को सॉफ करके उंगली चाटने लगी "ये
तो पर्शाद है बेटी, एक बूँद भी नही खोना इसका. तू ज़रा टांगे खोल, ठीक से
साफ कर देती हूँ" उसने उंगली से बार बार गीता की बुर पुंच्ची और चॅटी.
फिर झुक कर गीता की जाँघ पर बहे मेरे वीर्या को चाट कर सॉफ कर दिया. मेरे
मन मे फिर आया कि ये क्या चल रहा है माँ बेटी मे. दोपहर का खाना होने के
बाद गीता ने फिर मुझे दूध पिलाया और चुदाई का एक और दौर हुआ. शाम को उठकर
मैं क्लब चला गया. रात को वापस आया तो खाने के बाद फिर एक बार गीता का
दूध पिया और फिर माँ बेटी को पलंग पर आजू बाजू सुलाकर बारी बारी चोदा.
गीता के दूध की अब मुझे आदत होने लगे थी. दूसरे दिन रविवार था. मैने
थोड़ा अलग प्रोग्राम बनाया. सुबह गीता का दूध पिया और फिर दोनो माँ बेटी
की चूत चूस कर उन्हे खुश किया. बस मेरे लंड को हाथ नही लगाने दिया. मैं
दोपहर तक उसे और तना कर खड़ा करना चाहता था. मंजू बाई मेरे दिल की बात
समझ गयी, क्योंकि ये हर रविवार को होता था. अपने छूतदों को सहलाती हुई
अपनी बेटी से बोली "गीता बिटिया, आज दोपहर को मेरी हालत खराब होने वाली
है" गीता ने पुचछा तो कोई जवाब नही दिया. मैं भी हंसता रहा पर चुप रहा.
मंजू की आँखों मे दोपहर को होने वाले दर्द की चिंता सॉफ दिख रही थी.
दोपहर को हम नंगे होकर मेरे बेडरूम मे जमा हुए. मेरा लंड कस कर खड़ा था.
गीता ललचा कर मेरे सामने बैठ कर उसे चूसने की कोशिश करने लगी तो मैने रोक
दिया. "रुक बहना, तुझे बाद मे खुश करूँगा, पहले तेरी इस चुदैल माँ की
गांद मारूँगा. हफ़्ता हो गया, अब नही रहा जाता. चल अम्मा, तैयार हो जा"
मंजू चुपचाप बिस्तर पर ओंधी लेट गयी "अब दुखेगा रे मुझे, देख कैसे खड़ा
है बाबूजी का लंड मूसल जैसा" गीता समझ गयी कि उसकी माँ सुबह से क्यों
घबरा रही थी. बड़े उत्साह से मेरी ओर मूड कर बोली "भैया, मेरी मार लो,
मुझे मज़ा आएगा. बहुत दीनो से सोच रही थी की गांद मरवाने का मज़ा मिले.
उंगली डाल कर और मोमबत्ती घुसेड कर कई बार देखा पर सुकून नही मिला. आप से
अच्च्छा लंड कहाँ मिलेगा गांद मरवाने को?" मैं तैयार था, अंधे को क्या
चाहिए दो आँखें! नई कोरी गांद मे घुसने की कल्पना से ही मेरा लंड और
उच्छलने लगा था. मंजू जान छ्छूटने से खुश थी "अरे मेरी बिटिया, तूने मेरी
जान बचा ली आज. चल मक्खन से मस्त चिकनी कर देती हूँ तेरी गांद, दुखेगा
नही" गीता को ओँदा लिटा कर उसने उसकी गुदा मे और मेरे लंड को मक्खन से
खूब चुपद दिया. मैं गीता पर चढ़ा तो मंजू ने अपनी बेटी के छ्छूतड़ अपने
हाथ से फैलाए. उसके भूरे गुलाबी छेद पर मैने सुपाड़ा रखा और पेलने लगा.
सुपाड़ा सूज कर बड़ा हो गया था फिर भी मक्खन के कारण फ़चाक से एक बार मे
ही गांद के अंदर घुस गया. गीता को जम कर दुखा होगा क्योंकि उसका शरीर ऐंठ
गया था और वह काँपने लगी थी. पर छ्छोकरी हिम्मत वाली थी, मुँह से अफ तक
नही निकाली. उसे संभालने का मौका देने के लिए मैं एक मिनिट रुका और फिर
लंड अंदर घुसेड़ने लगा. इस बार मैने कस के एक धक्के मे लंड सत्त से उसके
छ्छूतदों के बीच पूरा गाढ दिया था. अब वह बेचारी दर्द से चीख पड़ी.
सिसकते हुए बोली "माँ मेरी, मर गयी मैं, भैया ने गांद फाड़ दी. देख ना
अम्मा, खून तो नही निकला ना!" मंजू उसे चिढ़ाते हुए बोली "आ गयी रास्ते
पर एक झटके मे? बातें तो पाटर पाटर करती थी की गांद मरवौन्गि. पर रो मत,
कुच्छ नही हुआ है, तेरी गांद सही सलामत है, बस पूरी खुल गयी है चूत जैसी.
बेटा, तूने भी कितनी बेरहमी से लंड डाल दिया अंदर, धीरे धीरे पेलना था
मेरी बच्ची के चूतदों के बीच जैसे मेरी गांद मे पेला था." "अरे अम्मा, ये
मरी जा रही थी ना गांद मराने को! तो सोचा की दिखा ही दूं असली मज़ा. वैसे
गीता बहना की गांद बहुत मोटी और गुदाज है, डन्लोपिलो की गद्दी जैसी है,
इसे तकलीफ़ नही होगी ज़्यादा" मैने गीता के चूतड़ दबाते हुए कहा.
 
मेरा
लंड अब लोहे की मुसली जैसा उसके चूतदों की गहराई मे उतर गया था. गीता की
गांद बहुत गुदाज और मुलायम थी. मंजू जितनी टाइट तो नही थी पर बहुत गरम
थी, भट्टि जैसी. मैं उस पर लेट गया और उसके मम्मे पकड़ लिए. उसके मोटे
चूतड़ स्पंज की गद्दी जैसे लग रहे थे. उसकी चूंचियाँ दबाते हुए मैं धीरे
धीरे उसकी गांद मारने लगा. शुरू मे हर धक्के पर उसके मुँह से सिसकी निकल
जाती, बेचारी को बहुत दर्द हो रहा होगा. पर साली पक्की चुदैल थी. पाँच
मिनिट मे उसे मज़ा आने लगा. फिर तो वह खुद ही अपनी कमर हिला कर गांद
मरवाने की कोशिश करने लगी. "भैईयाज़ी, मारो ना! और जम कर मारो, बहुत मज़ा
आ रहा है! हाय अम्मा, बहुत अच्च्छा लग रहा है, तेरे को क्यों मज़ा नही
आता? भैया, मारो मेरी गांद हचक हचक कर, पटक पटक कर चोद मेरी गांद को, माँ
कसम मैं मर जाउन्गि" मैने कस कर गीता की गांद मारी, पूरा मज़ा लिया. मैं
बहुत देर उसके चूतड़ चोदना चाहता था इसीलिए मंजू को सामने बैठकर उसकी बुर
चूसने लगा, नही तो बेचारी अपनी बेटी की गांद चुदति देख कर खुद अपनी चूत
मे उंगली कर रही थी. मन भर कर मैने गीता की गांद चोदि और फिर झाड़ा. बचा
दिन बहुत मज़े मे गया. छुट्टी होने के कारण दिन भर चुदाई चली. गीता के
दूध का मैं ऐसा दीवाना हो गया था की चार घंटे भी नही रुकता था. हर घंटे
उसकी चूंचियाँ चूस लेता, जितना भी दूध मिलता पी जाता. रात को मैने मंजू
से कहा की गीता को गाय जैसा दूह कर गिलास मे दूध निकाले. मेरी बहुत
इच्च्छा थी ऐसे दूध दुहते हुए देखने की. मंजू ने गीता को बाजू मे बैठा कर
उसके हाथ मे गिलास थमाया. गीता ने उसे अपनी चूंची की नोक पर पकड़ कर रखा
और मंजू ने अपनी बेटी के मम्मे दबा दबा कर दूध निकाला. गीता के निपल से
ऐसी धार छूट रही थी की जैसे सच मे गाय हो. पूरा दूध निकालने मे आधा घंटा
लग गया. बीच मे मैं गीता का चुम्मा ले लेता और कभी उसके सामने बैठ कर
उसकी चूत चूस लेता. दुहने का यह कार्यकरम देख कर मुझे इतना मज़ा आया की
मेरा लंड कस कर खड़ा हो गया. गिलास से दूध पीकर मैने फिर एक बार गीता की
गांद मारी. मंजू बहुत खुश थी कि गीता के आने से उसकी गांद की जान तो
च्छुटी. दूसरे दिन मुझे टूर पर जाना पड़ा. दूसरे दिन मुझे टूर पर जाना
पड़ा. दोनो माँ बेटी बहुत निराश हो गयी. उन्हे भी मेरे लंड का ऐसा चस्का
लगा था कि मुझे छ्चोड़ने को तैयार नही थी. मैने समझाया की आकर चुदाई
करेंगे, मेरे लंड को भी आराम की ज़रूरत थी. गीता को मैने सख़्त हिदायत दी
कि मेरी ग़ैरहाज़िरी मे अपना दूध निकाल कर फ्रिज मे रख दे, मैं आ कर
पियुंगा. मैं तीन दिन बाद शाम को वापस आने वाला था. पर काम जल्दी ख़तम हो
जाने से दोपहर को ही आ गया. सोचा अब ऑफीस ना जाकर सीधा घर चल कर आराम
किया जाए. लच के समय दरवाजा खोला. मुझे लगा था की अभी वो दोनो घर मे नही
होंगी, मेरी ग़ैरहाज़िरी मे गाँव चली गयी होंगी. पर जब घर के अंदर आया तो
बेडरूम से हँसने की आवाज़ आई. मैं दबे पाँव बेडरूम के दरवाजे तक गया और
उसे ज़रा सा खोल कर अंदर देखने लगा. जो देखा उससे मेरा लंड तुरंत तन्ना
गया. उस दिन चोद्ते समय माँ बेटी के चुम्मे और मंजू ने जिस तरह गीता के
मम्मे सहला दिए थे, उसे देखकर मेरे मन मे जो संदेह उठा था वह सच था. माँ
बेटी के बीच बड़ी मतवाली प्रेमलीला चल रही थी. मंजू बाई बिस्तर पर
सिरहाने से टिक कर बैठी थी. गीता उसकी गोद मे थी. मंजू उसके बार बार
चुंबन ले रही थी. मंजू का एक हाथ गीता की चूंचियों को दबा रहा था. गीता
अपनी माँ के गले मे बाँहे डाले उसके चुम्मों का जवाब दे रही थी. बीच बीच
मे माँ बेटी जीभ लड़ाती और एक दूसरे की जीभ चूसने लगती थी. मैं अंदर जाना
चाहता था पर अपने लंड को मुठियाता हुआ वहीं खड़ा रहा. सोचा ज़रा देखें तो
आगे ये चुदैल माँ बेटी क्या करती है. गीता बोली "अम्मा, बहुत अच्च्छा लग
रहा है. तू कितना मस्त करती है मेरी बुर को. पर चूंचियाँ फिर टपक रही है,
बर्तन ले आ ना रसोई से और निकाल दे मेरा दूध. बहुत भारी भारी लग रहीं
है." मंजू गीता को चूम कर बोली "कोई ज़रूरत नही बिटिया, दो दिन मे ही सेर
भर दूध जमा हो गया है बाबूजी के लिए, उनके लिए बहुत है, इससे ज़्यादा दूध
वो कहाँ पिएँगे?" गीता मचल कर बोली "पर मैं क्या करूँ अम्मा? बहुत दुख
रही है चुचियाँ" मंजू ने झुक कर उसके मम्मे को प्रेम से चूमते हुए कहा
"तो मैं काहे को हूँ मेरी रानी? मैं खाली कर देती हूँ दो मिनिट मे!" गीता
मंजू बाई से लिपट कर खुशी से चाहक पड़ी "सच अम्मा? बड़ी छुपि रुस्तम
निकली तू? मुझे नही पता था कि तुझे मेरे दूध की आस होगी!" मंजू बाई गीता
को नीचे लिटाते हुए बोली "मुझे तो बहुत दिन की आस है बेटी, सिर्फ़ तेरे
दूध की ही नही, तेरे बदन की भी आस है. जब से बाबूजी से चुदाई शुरू हुई
है, मेरे दिल मे आग सी लग गयी है. मैं तो उनके सामने ही पी लेती पर क्या
पता वो नाराज़ ना हो जाएँ इसीलिए चुप रही. उनके हिस्से का दूध पीने मे
हिचक होती थी. अब आ, तेरी छाति हल्की कर दूं, फिर तेरी बुर हल्की करूँगी"
क्रमशः............
 
घर का दूध पार्ट--9


गतान्क से आगे............ गीता के बगल मे लेट कर मंजू ने अपनी बेटी की
चून्चि उसकी चोली के किनारे से अपने मुँह मे ले लिया और आँखें बंद करके
पीने लगी. उसके चेहरे पर एक अजीब तृप्ति झलक रही थी. गीता ने अपनी माँ का
सिर छाति से लगा लिया और उसे दूध पिलाने लगी. मंजू के बालों मे प्यार से
उंगलियाँ चलाती हुई बोली "पता है अम्मा, सब माँ अपने बच्चों को दूध
पिलाती है, मैं पहली बेटी हूँ जो माँ को दूध पीला रही है" मंजू ने दस
मिनिट मे दोनो चूंचियाँ खाली कर दी. अब तक वो दोनो ऐसी गरम हो गयी थी कि
लिपट कर एक दूसरे पर चढ़ कर चूमते हुए कुश्ती खेलने लगी. यअहह आज तो तुझे
कच्चा चबा जाउन्गि. गीता कुच्छ कहने के लिए मुँह खोलती है मगर मंजू उस के
मुँह में अपना मुँह डाल देती है ओर गहरे गहरे चुंबन लेने लगती है. गीता
बहुत गरम हो जाती है ओर वो भी मंजू को पूरी तन्यमता से चूमने लगती है...
मंजू पागलू की तरह गीता को चूस्ति है फिर आहिस्ता आहिस्ता किस करती है
गीता मंजू की नंगी टांगो पर हाथ फेरती है... मंजू गीता के चूंचियों को
चोली के उपेर से दबाती है और चोली को बीच मे से फाड़ देती है और उसे नंगा
कर देती है.... मंजू गीता को बिस्तर पर धक्का दे कर गिरा देती है और उसकी
चूंचियों पर अपनी चूंचियाँ रगड़ने लगती है... गीता फॉरन मंजू को बाँहो
में भर कर पलट जाती है मगर मंजू फिर से उस के उपर आ जाती है. गीता उसकी
चोली भी खोल देती है. फिर वो दोनो एक दूसरे के सारे कपड़े निकाल देती
हैं. अब दोनो नंगी औरतें बिस्तर पर लोट रही होती हैं. मंजू गीता की
चूंचियों को मुँह में लेकर चूस्ति है...उम्म्म्म. गीता मंजू का सर अपनी
चूंचियों पर दबाते हुए मंजू को कहती है, "कुतिया निचोड़ ले सारा दूध पी
ले मेरा आंड मंजू यह सुन कर पागल हो जाती है ओर गीता की चुन्चियो को
काटने लगती है. सस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स आआआआआआआः गीता के मुँह से
सिसकारियाँ निकालने लगती है. मंजू उसकी दोनो चूंचियों को काफ़ी देर तक
चूस्ति है. गीता मंजू के नीचे से अपनी चूंचियाँ मसल्ने लगती है.... मंजू
नीचे चूस्ते हुए गीता की टाँगो को खोलती है और उसकी साफ चमकती हुई चूत
देखती है... गीता: क्या देख रही हो मेरी छिनाल माँ, खा लो सारी मेरी
मिलाई फिर भी ख़तम नही होगी.... मंजू गीता की चूत को चाटने लगती है और
बिली की तरह उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटने लगी. सस्स्स्स्सस्स
उम्म्म्ममममममममम उम्म्म्ममममम म्‍म्म्मममममममममममम
म्‍म्म्मममममममममममममममममम म्‍म्म्ममममम म्‍म्म्मम म्‍म्म्मम करती हुई
गीता ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगती है. गीता: आहा आहा छिनाल
हरामजादि चूस रंडी और चूस, दिखा आज क्या कर सकती है, चूस चूस ओर ज़ोर से
चूस ओर उसकी आँखें बंद हो जाती हैओर वो बिस्तर पेर लेट कर हाँफने लगती
है. मंजू गीता की चूत को खाने लगती है. गीता का पानी निकलने वाला होता है
तो वो मंजू को कहती है, मेरा पानी निकलने वाला है चातोगि क्या? मंजू कहती
है, हां मेरी बेटी मैं तेरा पानी ज़रूर पियूंगी. ये कहते हुए उसने गीता
की चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी ओर चोदने लगी. गीता:
उम्म्म्मममममममममममममममममममममममममममममम उसका पानी छ्छूट जाता है, मंजू
उसकी चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगती है. माँ बेटी की यह रति क्रिया देख
कर मेरा सबर टूट गया. नंगा होकर मैं कमरे मे घुसा और पलंग पर चढ़ बैठा.
मुझे देख कर दोनो सकपका गयी और अलग होने लगीं मुझे देख कर दोनो सकपका गयी
और अलग होने लगीं. मैने उन्हें रोका और अपना काम करते रहने को कहा. मेरे
पेंट में खड़े लंड को देखकर उनकी जान मे जान आई कि मैं नाराज़ नही हूँ
बल्कि उनकी इस रति मे शामिल होना चाहता हूँ. एक दूसरे की चूत वो दोनो
छ्चोड़ना नही चाहती थी. मैने उन दोनो से कहा की रूको. पहले मुझे भूख लगी
है कुच्छ खाना बना लो. खाना खाने के बाद आज हम तीनो एक साथ मज़ा करेंगे.
ये सुनते ही गीता की आँखो मे चमक आ गयी. वो मंजू से बोली, चल अम्मा खाना
बना लेते है फिर बाबूजी के साथ मज़ा करेंगे. वो दोनो नंगी ही किचन मे
खाना बनाने चली गयी. थोड़ी देर मे वो खाना बना कर ले आई. इतने मे मैं भी
नंगा हो चुक्का था. हम तीनो ने नंगे ही खाना खाया. खाना खाने के बाद
कुच्छ देर हमने बातें की ओर फिर मैने गीता को अपना बॅग लाने को कहा.बॅग
खोल कर अपनी ब्लू फिल्म की सीडी निकाली ओर मंजू से कहा कि लगाओ इसे. मंजू
ने ब्लू फिल्म की सीडी लगा दी ओर गीता मेरे पास आकर बैठ गयी आज वो बहुत
खूबसूरत लग रही थी. फिर मैने 1 स्प्रे निकाला जिस के उपेर लिखा था "मॅन
पोवेर". मैं यह स्प्रे चुदाई का टाइम बड़ाने के लिए लेकर आया था. मैने
गीता को कहा की ये स्प्रे मेरे लॅंड पर कर दो. उसने मेरे लंड पर बहुत
सारा स्प्रे कर दिया ओर तकरीबन 10 मिनिट के बाद मैने लंड वॉश कर लिया.
उसके बाद मैने 1 टॅबलेट खाई जो की टाइमिंग बढ़ने के लिए थी. मंजू ने
पुचछा की क्या हुआ है ये गोली क्यों खाई है तो मैने कहा कि कुच्छ थकान सी
लग रही है उसीलिए ये दवा ली है. गीता जाकर फ्रिड्ज से 1 ग्लास दूध का ले
आई, लो बाबूजी मेरा दूध पी लो इससे ताक़त आ जाएगी. उस के बाद मंजू ओर
गीता दोनो आपस मे 1 दूसरे की बुर को चूसने लगी. मैं गीता का दूध पी कर 10
मिनिट वेट करने लगा ताकि दवा ओर स्प्रे अपना असर दिखा सके.
 
उन दोनो ने
आपस में तकरीबन 15 मिनिट से भी ज़्यादा चुसाइ की ओर दोनो ही 2 बार झाड़
चुकी थी. कुच्छ देर बाद गीता उठी ओर मुझे कहा बाबूजी बेड पर लेट जाओ ओर
मैं बेड पर लेट गया ओर उसने मंजू को इशारा किया ओर उसने जल्दी से मेरे
हाथ पकड़ कर बेड के साथ बाँध दिए. मैं उस टाइम थोडा घबरा गया, मेरी कुच्छ
समझ में नही आ रहा थी कि आख़िर वो दोनो क्या चाहती है. लेकिन गीता ने कहा
प्ल्ज़ डरना नही क्योंकि आज हम दोनो ब्लू फिल्म के जैसा करना चाहती हैं
तुम्हे बाँध कर. खैर मैं चुप चाप लेटा रहा उर उधर मंजू मेरे हाथ बाँध कर
मेरे लंड के पास आ कर बैठ गयी ओर मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
मेरा लंड पहले ही उन्हे देख कर रोड की तरह खड़ा हो चुका था लेकिन इस टाइम
मेरा लंड बिल्कुल सुन्न था. मुझे कुच्छ भी महसूस नही हो रहा था शायद
स्प्रे की वजह से लेकिन लंड टाइत बहुत ज़्यादा था. मंजू ओर गीता ने 20
मिनिट तक मेरा लंड चूसा लेकिन मेरे लंड से ज़रा भी पानी नही निकला. मैं
जानता था कि आज मेरा पानी आराम से नही निकलेगा क्योंकि जिससे मैं ये दोनो
चीज़ लेकर आया था उसने बताया था कि इससे कम से कम 1 घंटा असर रहता है ओर
जो चाहो कर्लो आदमी जल्दी डिसचार्ज नही होता. वो दोनो मेरे लंड को पागलों
की तरह चूस रही थी लेकिन मुझे फील नही हो रहा था. खैर उसके बाद गीता खड़ी
हो गयी ओर मेरे मुँह के उपेर आ कर अपनी चूत रख कर बैठ गयी ओर मैं उसकी
चूत चूसने लगा. उधर मंजू ने अपनी चूत मेरे लंड पर रखी ओर झटके से लंड चूत
के अंदर डाल लिया ओर थोड़ी देर लंड पर वजन डाल कर बैठी रही. उसके बाद वो
तेज तेज उच्छलने लगी लेकिन मिझे बस इतना फील हो रहा था कि मेरा लंड गरम
चीज़ के अंदर गया हुआ है. उसके अलावा कुछ नही. मंजू मेरे लंड पर मुसलाधार
जंप कर रही थी. मेरे हाथ बेड के साथ बँधी थे ओर गीता मेरे मुँह पेर बैठ
कर मुझसे चूत चुस्वा रही थी ओर अब तक 1 बार वो मेरे मुँह में अपना पानी
छ्चोड़ चुकी थी. उसकी क्लिट को मैं पकड़ना चाहता था लेकिन वो दोनो मुझे
तडपा रही थी ओर अपनी मर्ज़ी से मुझे आज वो चोद रही थी. मंजू को साँस चढ़
चुका था क्योंकि वो तेज तेज जंप कर रही थी ओर तकरीबन 10 मिनिट बाद वो 1
दम मेरे लंड पर वज़न डाल कर बैठ गई ओर अपनी चूत को दबाने लगी थी. शायद वो
भी डिसचार्ज हो गयी थी. खेर 5 मिनिट के बाद मैने गीता से कहा, "कि आ जाओ,
मेरा लंड अभी तक खड़ा है". लेकिन मेरा लंड काफ़ी गीला हो चुका था. गीता
ने मेरे पास आकर अच्छि तरह मेरे लंड को चूसा ओर मंजू का सारा रस चूस लिया
ओर फिर मेरे लंड पर दूसरी तरफ मुँह कर के बैठ गयी ओर मेरा लंड मुझे नज़र
आ रहा था कि उसकी चूत में कैसे घुसता जा रहा है. कुच्छ देर बाद गीता भी
अपनी मखमली चूत उच्छल उच्छल कर मुझ से चुदवा रही थी. मंजू मेरे पास आ कर
बैठ गयी ओर मुझे किस करने लगी ओर मेरे जिसम के साथ अपनी मर्ज़ी से खेलने
लगी. मैं उसे पकड़ने के लिए बेताब था लेकिन बेबस भी था. मैं भी यह सब
एंजाय कर रहा था. गीता जब उच्छलती थी तो बेड की ज़ोरदार आवाज़ आती थी
हिलने की ओर मंजू उसे बार बार कह रही थी की गीता बेटी आहिस्ता करो लेकिन
गीता अपने काम मे बिज़ी थी. गीता कुच्छ देर बाद दोबारा खड़ी हो गयी ओर
अपनी गीली चूत को कपड़े से पुच्छ कर अपनी चूत में मेरा लंड डालने लगी.
मेरा लंड फुल टाइट था 1 दम से उसने अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाया ओर
मेरा लंड पूरा उसकी चूत में घुसता चला गया. अब उसे दर्द महसूस हो रहा था
लेकिन वो बैठी रही. कुच्छ देर बाद उसने अपनी चूत उच्छालनी शुरू की ओर
मेरे छाती पर हाथ रख कर जंप करने लगी. मुझे पसीना आ चुका था ओर मंजू अपने
हाथ से साफ करती ओर मुझे किस कर रही थी. मैने गीता से कहा कि मेरे हाथ
खोल दो, बस अब काफ़ी हो गया है. उसने मंजू से कहा खोल दो अब बाबूजी को.
मंजू ने मेरे हाथ खोल दिए ओर मैने 1 दम से उठ कर गीता के चुचियाँ हाथ मे
पकड़ ली ओर चुचियों को दबाने ओर चूसने लगा. उधेर मंजू अपनी चूत मेरे कमर
के साथ रगड़ रही थी. मैं भी अब पागलों की तरह जोश में आ चुका था. मंजू से
कहा, "घोड़ी बनो अब मैं तुमहरि गांद मारूँगा". मंजू ने वैसा ही किया ओर
वो घोड़ी बन गयी. अब मैं ओर गीता फुल जोश मे आ चुके थे. वो भी चाहती थी
कि मैं मंजू को आज इतना चोदु की वो खुद कहे की बस कर दो. क्रमशः.........
 
घर का दूध पार्ट--10

गतान्क से आगे............ मैने मंजू को उल्टा खड़ा किया ओर 1 ही झटका
मार के लंड गांद में डाल दिया. उसे बहुत दर्द हुआ लेकिन मैं बाज़ नही आया
ओर गांद मे तेज धक्के मारने लगा. उसकी गांद सुखी थी ओर मेरा लंड भी. सूखा
लंड जब जब गांद मे जाता उसे दर्द होता लेकिन मेरे लंड को कुच्छ भी फील
नही हो रहा था. अब तक मुझे 40 मिनिट शायद हो चुके थे लेकिन मेरा पानी नही
निकल रहा था. कुच्छ देर तक गांद में धक्के मारते मारते जब मैं थक गया तो
मैने गीता से कहा मैं अब चूत लूँगा तुम्हारी. आज तुम्हारी चूत का देखना
क्या हाल करता हूँ ओर वो ये बात सुन कर बेचैन हो गयी. मैने मंजू की
पेटिकोट उठा कर उससे अच्छि तरह गीता की चूत साफ की ओर अपना लंड भी साफ
किया. अब उस की चूत ओर मेरा लंड सूखे थे. मैने गीता की टाँगें उठा कर
अपने कंधों पर रखी ओर 1 झटके में लंड चूत में डाल दिया. गीता 1 दम उच्छल
पड़ी ओर चीखी कि क्या कर रहे हो बाबूजी. मैने उसकी 1 ना सुनी ओर सुखी चूत
मारने लगा. 5 मिनिट के बाद जब मैने देखा की चूत के पानी से लंड फिर गीला
हो चुका है, मैने दुबारा लंड बहार निकाल कर फिर कपड़े से पुच्छ कर सूखाया
ओर उसकी चूत भी साफ की ओर 1 बार फिर उस की चूत में सूखा लंड डाल दिया.
साथ साथ में मंजू की चुचियाँ भी चूस रहा था. मंजू यह सब देख कर जोश मे आ
चुकी थी ओर मेरी छाती पर दाँत से काट रही थी. गीता का बुरा हाल हो रहा
था. गीता अब तक 5 बार पानी छ्चोड़ चुकी थी. वो बहुत थक चुकी थी लेकिन मैं
उसे चोद रहा था. गीता की 1 दम से चीख निकली उसने कहा, "प्ल्ज़ बाबूजी बस
करो बहुत जलन हो रही है, मुझे प्ल्ज़ थोडा आराम करने दो. मैने लंड चूत से
निकाला ओर गीता फ़ौरन बाथरूम मे भाग गई ओर मैने उसी टाइम मंजू को लेटा कर
उसकी चूत में लंड डाल दिया. मेरा लंड गीता की चूत के रस से गीला था. मैने
लंड दोबारा ड्राइ किया ओर मंजू की चूत भी साफ की ओर सूखा लंड अब मंजू की
चूत में था. अब मैं ओर मंजू दोनो ही थे रूम मे. मंजू भी थोड़ा दर्द की
वजह से हिली लेकिन मैं अब फुल जोश में था ओर सोच लिया था की अब इसे इतना
चोदुन्गा की मेरा वीर्या निकल जाए. अब मैने वोही किया मंजू की टाँगे उठा
कर कंधों पर रख ली ओर उसे नीचे से इतनी तेज़ी से लंड मार मार कर चोद रहा
था कि वो हर झटके पर आवाज़ निकलती ऊऊ आआआ उम्म प्ल्ज़ धीरे करो ना बाबूजी
ओर मैं उसे ओर तेज चोद्ता जा रहा था. कुच्छ देर बाद मैं जब तक गया तो
उसको घोड़ी बना कर पिछे से उसकी चूत में लंड डाल कर उसे चोदने लगा. अब
मंजू को भी बहुत मज़ा आ रहा था ओर मेरे साथ साथ खुद भी गांद को पिछे कर
कर के चुदवा रही थी. गीता अभी तक शायद बाथरूम मे ही थी क्योंकि बाथरूम से
पानी की आवाज़ आ रही थी. इधर मैं ओर मंजू फुल मज़े में थे. मंजू के गोल
मम्मे मैं हाथ से दबा रहा था ओर पिछे से अपना लंड उसकी चूत में अंदर बाहर
कर रहा था. मंजू मुझे कह रही थी प्ल्ज़ बाबूजी तेज तेज चोदो ना, बहुत
भूकी हूँ मैं काई दीनो से तुम्हारे लंड के लिए. मैने अपनी 1 उंगली मंजू
की गांद मे घुसा दी ओर साथ साथ फुल तेज़ी से चोदने लगा. मुझे अब कुच्छ
फील हो रहा था की मेरा लंड चूत में गया हुआ है. तकरीबन 10 मिनिट तक ऐसे
ही चोदने के बाद मुझे लगा की अब मेरा पानी निकले वाला है क्योंकि स्प्रे
का असर ख़तम हो रहा था. मुझे अब लंड पर जलन भी महसूस हो रही थी. मंजू ने
मेरे कहने पर अच्छि तरह मेरे लंड को दबाया ओर फिर लंड को मुँह मे डाल कर
थूक लगा कर अच्छि तरह चूसा. अब तक गीता भी वापिस रूम मे आ गयी थी. मैने
मंजू को कहा की अब तुम नीचे ज़मीन पर लेट जाओ ओर गीता को भी मंजू के उपर
69 की पोज़ीशन में लेटने को कहा. मंजू नीचे ज़मीन पर लेट गयी ओर गीता
उसके उपर लेट कर उसकी चूत चूसने लगी.
 
मैं गीता के पिछे आ गया. मंजू ने
उसके छ्छूतड़ पकड़ कर मुझे इशारा किया. आज मक्खन ना होने से गीता को
ज़्यादा दुखा पर वह माँ की बुर चूसने मे इतनी मस्त थी की बस एक दो बार
कराह कर रह गयी. मैने मंजू का थूक सूखने के पहले लंड पूरा गीता की गांद
मे उतार दिया और फिर उसपर चढ़ कर गीता की गांद मारने लगा. सुखी गांद
मारने मे बहुत मज़ा आया क्योंकि लंड को उसकी गांद कस कर पकड़ी थी. गीता
मेरे हर धक्के पर सी सी कर उठती पर उसने मंजू की बुर चूसना नही बंद किया.
मंजू भी नीचे से अपनी बेटी की चूत चूस रही थी और मेरे छूतदो को हाथ से
दबा कर मुझे उकसा रही थी की और ज़ोर से मारो. गीता की सुगंधित वेणी मे
बँधी चोटियों मे मुँह छुपा कर मैं कस के उसकी गांद मार रहा था. नीचे ही
मंजू की बुर दिख रही थी जिसमे गीता मुँह चला रही थी. मैं भी मौका देख कर
बीच बीच मे स्वाद ले लेता. 5 मिनिट गांद मारने के बाद ही मुझे लगा कि
मेरा विर्य निकलने वाला है. मैने अपना लंड गीता की गांद से बाहर निकाल
लिया ओर गीता के मुँह में डाल दिया. गीता मेरे लंड को चूसने लगी ओर मैने
सारा विर्य गीता के मुँह में निकाल दिया. गीता मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से
चूसने लगी. यकीन करो दोस्तो उस दिन मेरी 1 चुदाई थी लेकिन वो चुदाई 10
चुदाई से भी ज़यादा थी ओर मेरा वीर्या इस तरह निकला था जैसे 1 साल से
मैने चुदाई ही ना करी हो. वीर्या गीता के मुँह से बहार निकलते देख कर
मंजू भी मेरा वीर्या चूसने लगी. ओर दोनो माँ बेटी ने चाट चाट कर मेरा लंड
सॉफ कर दिया. उसके बाद हम तीनो नंगे ही जापफी डाल के लेटे रहे. झदाने के
बाद मैने उन दोनो की खूब छूटकी ली "अरे अम्मा, ये तो गजब हो गया. माँ
बेटी की आपस मे ऐसी चुदाई किसको देखना नसीब होता है? अब तो तुम लोगों को
मेरी ज़रूरत नही है, जब चाहो जुट सकती हो" दोनो थोड़ी शरमाई पर मंजू बोली
"बेटा, तुम्हारे लंड के बिना तो हम जी नही सकते. तुमने चोद चोद कर हमे
ऐसा गरम कर दिया है कि अब तुम ना हो तो हम माँ बेटी को अपनी चूत की खुजली
बुझाने का और कोई रास्ता नही है. पर मज़ा बहुत आता है मेरी बेटी के साथ
ऐसा करके" मुझे प्यास लगने लगी थी तो मैने उसे फ़्रिज़ मे से गीता का दूध
लाने को कहा. वह एक बड़ा बर्तन ले आई. डेढ़ लीटर के करीब दूध होगा. मैने
आधा पी लिया, फिर पेट भर गया.
 
मेरे कहने पर मंजू बाई ने बाकी का दूध पी
डाला. मैने पुचछा की दो दिन मे इतना कैसे दूध जमा हो गया तो बोली
"बाबूजी, तुमसे चुदवा चुदवा कर गीता ऐसी खिल गयी है कि अब डबल दूध बनता
है उसकी छाति मे. फिर आप और मैं बार बार इसकी चूंचियाँ दबाते है उससे भी
दूध और ज़्यादा बनता है. मैं सोच रही थी की इतने दूध का क्या करें? अगर
आप को ऐतराज ना हो, तो मैं भी पी लिया करूँगी. मुझे बहुत मिठा लगा अपनी
बिटिया का दूध. अब ये दूधारू गाय अपन दोनो के लायक दूध देगी" और इसके बाद
सच मे हमे "घर का दूध" मिलने लगा. इतना दूध गीता देती है कि मैं और मंजू
पेट भर के पीते है और चाय मे भी डालते है. हमारी चुदाई मे भी माँ बेटी के
आपसी प्यार से एक मिठास आ गयी है. अब मैं कितना भी थका हू, मेरा लंड खड़ा
करने को इतना ही काफ़ी है की माँ बेटी की आपस की चुदाई देख लूँ. वो अब
मेरी फरमाइश पर आपस मे तरह तरह के कामकराम करके दिखाती है. --- समाप्त
 
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