Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार - Page 13 - SexBaba
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Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार

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११५ 
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अकबर चाचू और शन्नो मौसी 
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हमारी और शानू की मम्मी का निकाह जब हुआ था तो वो उन्नीस साल की थीं। जैसा उस वक्त का दस्तूर था जब बेटी ससुराल 

रवाना होती तो छोटा भाई या बहन कुछ दिनों के लिए बेटी के साथ रवाना होती थी। शानू की मम्मी, रज्जो, का कोई छोटा भाई 

तो था नहीं सो उसकी सबसे छोटी बहन उनके साथ हमारे घर आयी। शहाना बड़ी चुलबुली लड़की थी। उसे प्यार सब शन्नो कहते 

थे। शन्नो और रज्जो के बीच में मझली बहन ईशा थी जो शन्नो से दो साल बड़ी थी। शन्नो सातवीं में थी और ईशा नवीं में दाखिल 

हो गयी थी। 

उस वक्त शायद शन्नो शानू से दो एक साल छोटी होगी। पर उसका शरीर पकने लगा था। मैंने जब भी उस से छेड़ छाड़ की तो वो 

मटक कर नाराज़गी दीख देती। निकाह के बाद खाने हुआ और जब सोने का इंतिज़ाम शुरू हुआ तो मैंने शन्नो को अकेला पा कर 

उसे अपनी बाँहों में भींच लिया। जैस मैने बताया अभी उसे किशोरावस्था का पहला साल लगने में दो तीन महीने थे पर उसकी 

चूचियाँ बाहर निकल आईं थीं। 

मैंने शन्नो को बाँहों में भींच कर उसके कुर्ती के ऊपर से उसके चूचियाँ मसलने लगा। शन्नो मचल कर दूर फटक गयी। 

"जीजू मैं सब सालियों की तरह नहीं हूँ। जो जब जीजू चाहें उसे मसल दें। आप अपने हाथ रज्जो आपा के लिए हे रखें। " शन्नो 

ने हाथ नचा कर मुझे फटकारने लगी। 

"साली साहिबा, जीजू तुम्हे नहीं मसलेगें तो तुम्हारी इज़्ज़त का क्या होगा। जब तुम्हारी सहेलियां पूछेंगीं कि जीजू से चुदी अर... 

जीजू ने दरवाज़ा खोला या नहीं तो तब क्या बोलोगी। " मैंने मुस्कुरा कर शन्नो को चिढ़ाया, "चलो अब अच्छी साली की तरह आ 

जाओ और फिर देखना जीजू कितना मज़ा देते हैं तुम्हें ?" 

शन्नो ने फिर से मटक कर कहा , "मज़ा आप आपा के लिए रख लें। हमें नहीं चाहिये आपका मज़ा। हमें पता हैं की मज़े के लिया 

आप हमारे साथ क्या करना चाहते हैं। "

तभी शानू के नानी जान, हमारी सासू और ईशा आ गयीं। 

"क्या जीजू आप कहाँ छुपे है। हम सब तरफ आपको ढूंढ रहे हैं। आप बारात के साथ कल चले जायेंगे। फिर पता नहीं कब 

मिलेंगे। 

वैसे भी तो आपा के ऊपर आप कल तक हमला नहीं बोल सकते तो हमने सोचा कि जीजू की हालत खराब न हो जाये चल कर 

उनका ख्याल रखतें है। और आप देखो न जाने कहाँ गायब हो गए। " ईशा के किशोरावस्था के दो सालों ने गज़ब का बदलाव आ 

गया था। 

ईशा के उरोज़ उभर कर फट पड़ने जैसे लगने लगे थे। उसके नितिम्बों में औरताना भराव आ गया था। तीनों बेटियां अपनी मम्मी 

जैसी ख़ूबसूरत गदराये शरीर के मलिकाएँ थीं। 

सासू अम्मी ने सर हिला कर और खुल कर मुस्करा कर अपने मझली बेटी ईशा की बात का साथ दिया। 

" बड़ी साली साहिबा, हम तो अपनी छोटी साली को पटाने के कोशिश कर रहे थे पर ये हाथ ही नहीं रखने देतीं। ," मैंने शन्नो की 

शिकायत उसकी बड़ी बहन से लगाई। पर मैं शानू की नानीजान को असलियत में शिकायत लगा रहा था। 

"अरे नासमझ जीजू को हाथ नहीं लगाने देगी तो क्या करेगी , किस मर्द से पटेगी तू ? जीजू की खुशी में तो साली की खुशी है। 

देख ईशा और जीजू कितने फंसे हुए हैं। " सासू अम्मी ने हाथ हिला कर शन्नो को उलहना दिया। मैंने ईशा को खींच कर बांहों में भर 

लिया था। उसके चूचियाँ मेरे दोनों हाथों में भर गयी। मैंने उन्हें कस कर मसला तो ईशा कराह उठी। 

"दामाद बेटा अभी तो ईशा है यहाँ तुम्हारा ख्याल रखने के लिए। यह तुनक मिजाज़ तो तुम्हारे साथ ही जाएगी। पकड़ कर रगड़ देना 

इसे अपने घर में। कहाँ जाएगी बच कर ?"सासु माँ ने बनावटी गुस्सा दिखाया , "देख तो शन्नो ईशा को कैसा मज़ा दे रहें है दामाद 

बेटा ? यदि दामाद बेटा चाहें तो मैं भी उन्हें सब कुछ दे दूँ। " सासु माँ ने मुस्कुरा कर कहा। 

"अम्मी जान आप जैसी खूबरूरत सासू तो खुदा की नियामत है किसी भी दामाद के लिए। मैं तो आपका शुक्र गुज़र हूँ की आपने 

अपनी हूर जैसी ख़ूबसूरत बेटी मुझे दे दी है। "

"बेटा मैंने तो एक बेटी नहीं खोयी पर एक बेटा पा लिया है ,"सासु माँ थोड़ी जज़्बाती हो गयीं। उन्होंने मेरी बला उतारते हुए मुझे 

चूमा और बोलीं, "बेटा मुझे बड़े काम हैं। मैं तुम्हारी सालियां तुम्हारे लिए तुम्हे छोड़ रहीं हूँ। "
 
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११६ 
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अकबर चाचू और शन्नो मौसी 
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सासु माँ के जाते ही मैंने ईशा को फिर से दबा लिया। उसके दोनों चुचों को मसलते हुए शन्नो को चिढ़ाया, "देखो छोटी साली साहिबा 

अपनी मझली आपा को, कितना मज़ा आ रहा है इन्हे । "

"तो आप दीजिये न उसे और मज़ा। मेरे पीछे क्यों पड़े है फिर। "शन्नो ने मटक कर कहा। 

मैंने ईशा के कुर्ते के अंदर हाथ डाल दिए। उसने हमेशा कि तरह अंगिया या चोली नहीं पहनी थी। 

"जीजू उस खाली कमरे में चलिए, उसमे पलंग भी है । यहाँ भरोसा नहीं कब कोई ना कोई आ जाये ," मैंने ईशा के दोनों उरोज़ों को 

मसलते हुए शन्नो को नज़रअंदाज़ कर दिया। ईशा को धकेलते हुए मैं उसे कमरे में ले गया। देखा तो शन्नो भी धीरे धीरे अंदर आ रही थी। 

"मैं सिर्फ अम्मी की वजह से यहाँ हुँ. उन्होंने हम दोनों को जीजू का साथ देने के लिए बोला था। लेकिन मुझसे कोई और उम्मीद नहीं 

रखियेगा ?" शन्नो ने लचक कर हाथ मटकाए। 

तब तक ईशा के हाथ मेरे सिल्क के पजामे के ऊपर से मेरे लंड को सहला रहे थे। 

मैंने बेसब्री से ईशा का कुरता खींच कर उतार दिया। उसका सलवार के ऊपर का नंगा गोरा बदन बिजली में चमक रहा था।

"जीजू अभी तो मुझ से ही काम चला लीजिये। जब आप रज्जो अप्पा को देंखेंगे तो बेहोश हो जायेंगें।" ईशा ने सिसकारते हुए कहा, "अरे 

नासमझ निगोड़ी कम से कम थोड़ा दिमाग से काम ले और दरवाज़ा तो अच्छे बंद कर दे। " ईशा ने छोटी बहन को लताड़ा। 

शन्नो ने जल्दी से दरवाज़ा बंद दिया। 

मैंने ईशा को पलंग पर खींच अपनी गोद में बिठा कर उसके मीठे होंठों को चूसते हुए उसके कुंवारे उरोज़ों को मसल मसल कर लाल 

करने लगा। मैंने ईशा कई बार कपड़ों के ऊपर से मसला और रगड़ा था **** पर उसे पूरा नंगा करने का कभी मौका नहीं मिला था। 

उसके गोल गोल गदराये नितिम्ब मेरे लंड को रगड़ रहे थे। 

शन्नो एक टक इस सम्भोग को देख रही थी। 

अब मुझसे इन्तिज़ार नहीं हो पा रहा था। मैंने ईशा की सलवार खोल कर अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में घुसा दिया। उसकी नन्ही 

से जाँघिया पूरी भीगी हुई थी , "हाय अल्लाह ! जीजू देखो न मेरी चूत कितनी गीली है। यह सारा दिन आपके बारे में सोच सोच कर 

कितना पानी छोड़ चुकी है। "

ईशा ने होंठ मेरे होंठो से चिपका कर मेरी जीभ से अपनी जीभ भिड़ा दी। उसने अपने आप अपनी जांघे चौड़ा कर मेरे हाथ को पूरी 

इजाज़त दे दी अपनी चूत को सहलाने की। 

ईशा के चूत पर उस वक्त सिर्फ कुछ रेशमी रोयें ही उग पाये थे। मैंने उसके गुलाब के कलियों जैसे फांकों को खोल कर उसकी कुंवारी 

चूत के दरवाज़े को सहलाते हुए उसकी चूत की घुंडी को रगड़ते हुए मैंने ईशा के होंठो को दांतों से काटने लगा। 

"जीजू , अब नहीं रहा जाता। जीजू अब चोद दीजिये हमें। " ईशा कुनमुना कर सिसकारते हुए बोली। 

मैंने जल्दी से अपने कपड़े उतार कर दूर किये। 

"अल्लाह, जीजू आपका घोड़े जैसा है। यह तो हमारी चूत फाड़ देगा ," ईशा बुदबुदाई। 

"दर्द तो होना ही है ईशा रानी। बताइये चुदवाना है की नहीं? "

मैंने बोलते ईशा की सलवार को एक झटके से उतार कर दूर फैंक दी। उसकी नहीं सी जाँघिया उसके चूत के रस से लबालब गीली थी। 

मैंने ईशा की जांघो को फैला कर उनके बीच में घुटनों पर बैठ गया।

मैंने अपने लंड के मोटे सुपाड़े को उसकी कुंवारी चूत ले रगड़ते हुए ईशा से पूछते हुए कहा, "सासु माँ ने कुछ समझाया या नहीं?"

"जीजू हाँ मम्मी ने जब रज्जो आपा को समझाया की पहली चुदाई कैसे दर्दीली होती है तो मैं भी वहां थी। मुझे पता है की पहली चुदाई में 

दर्द तो होना ही है। पर उन्होंने औसतन लंड का नाप बताया था उस नाप से से तो आपका लंड मोटा है। लगभग दढाई गुना या तिगना 

लम्बा और मोटा है। ऐसा लंड तो मैंने सिर्फ घोड़े के नीचे देखा है। " ईशा कसमसा रही थी। उसके चूतड़ खुदबखुद ऊपर मेरे लंड की 

तरफ हिल रहे थे। 

"तो साली साहिबा मैं आपको चोदूँ या नहीं, " मैंने बेददृ से नन्ही कमसिन ईशा को चिढ़ाया। मुझे मालूम था की उस तक ईशा का बदन 

वासना से गरम हो गया था। उसका मेरे लंड के लम्बे मोटे होने के डर की झिझक उसके गर्मी से हार मान लेगी। 

"जीजू आप चोदिये। अल्लाह रहमत करेगा। चूत फटनी है तो फटेगी ही ," ईशा की चूत से एक रस की धार बह रही थी। 

मैंने सुपाड़े को ईशा की कुंवारी कमसिन चूत की तंग सुरंग के मुहाने में फंसा कर अपने पूरे वज़न से उसके ऊपर लेट गया। मैंने होंठों को 

अपने होंठों से दबा कर एक ज़बरदस्त धक्का लगाया। मेरा लंड सरसरा कर उसकी चूत में घुस गया। ईशा का बदन कांप उठा। 
 
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११७ 
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अकबर चाचू और शन्नो मौसी 
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ईशा की चीख़ यदि मैंने अपने मुंह से नहीं दबाई होती तो सारे दालान में गूँज जाती। मैंने ईशा के बिलबिलाने की परवाह नहीं करते हुए 

एक के बाद एक तूफानी धक्के लगाते हुए अपना सारा लंड उसकी कुंवारी चूत में जड़ तक ठूंस दिया। 

मैंने ईशा के चूचियाँ मसली और उसके सुबकते मुंह को अपने मुंह से दबाये रखा। थोड़ी देर उसे आराम देने के बाद मैंने अपना लंड आधा 

बाहर निकला और फिर से ईशा की चूत में ठूंस दिया।। ईशा की चूत से उसकी कुंवारी चूत के पहली बार लंड से खुलने की वजह से 

फट गयी । ईशा के कुंवारेपन के खात्मे की फतह लगा उसकी चूत से बहती लाल धार बिस्तर पर फ़ैल कर सफ़ेद चादर को लाल कर 

उसके औरत बनने का रंग फैला रही थी । 

ईशा के कंवारी चूत से निकले खून ने मेरे लंड को चिकना कर दिया । मैंने सुपाड़े तक लंड को बाहर निकाल दो तूफानी धक्कों से जड़ 

तक उसकी चूत में फिर से डाल दिया। 

ईशा का पूरा बदन कांप रहा था। उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे। उसकी सुब्काइयां मेरे मुंह के अंदर ताल बजा रहीं थीं। मैंने अब 

उसकी चूत मारनी शुरू कर दी। 

एक धक्के के बाद एक मैं आधा या पूरा लंड निकला कर ईशा की चूत में पूरी ताकत से ठूंस रहा था। करीब दस बारह मिनटों के बाद 

ईशा की सुब्काइयां और घुटी घुटी चीखें सिस्कारियों में बदल गयीं। अब उसकी आँखों में आंसुओं के अलावा एक औरताना चमक थी। 

उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन पे डाल कर मुझसे कस कर लिपट गयी। 

"जीजू ……………….. आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …………… उउउन्न्न्न्न्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह आअरर्र्र्र्र …………. ज्ज्जीईई जूऊऊऊऊओ ………,” ईशा की 

सिस्कारियां मेरे लंड को और भी सख्त और बेताब बना रहीं थी। 

मेरा लंड अब सटासट ईशा की चूत मार रहा था। ईशा ने अचानक हल्की सी चीख मार कर मुझसे और भी ताकत से लिपट गयी, 

"जीजूऊऊ मैं झड़ गयी। अल्लाह कितना लम्बा मोटा है आपका लंड। चोदिये मुझे जीजूऊऊओ ……………….. उउन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह 

………………. आअन्न्न्न्ग्घ्ह्ह्ह ………… ,"ईशा की सिस्कारियां शुरू हुईं तो बंद ही नहीं हुई। 

मैंने उसकी चूत के चूडी के रफ़्तार और भी तेज़ कर दी। मेरा लंड अब उसकी कुंवारी चूत में रेलगाड़ी के इंजिन तरह पूरे बाहर आ जा 

रहा था। मैंने लगभग घंटे भर ईशा की कुंवारी चूत बेदर्दी और हचक कर मारी । ईशा न जाने कितनी बार झड़ चुकी थी। उसकी उम्र ही 

क्या थी। जब ईशा आखिरी बार भरभरा के झड़ी तो कामुकता की त्तेजना से बेहोश हो गयी । मेरा लंड उस की चूत में उबल उठा। मैंने 

ईशा की कमसिन चूत को अपने गर्म वीर्य से भर दिया। 

जब मैंने ईशा की चूत से अपना लंड बाहर निकला तो मेरे वीर्य, ईशा की चूत के रस उसकी कुंवारी चूत के फटने का खून भी बहने 

लगा। शन्नो की आँखे फटी हुई थी। उसने हिचकिचाते हुए पूछा , "जीजू ईशा, आप ठीक तो हैं ना ?"

"शन्नो घबराओ नहीं। जब कुंवारी लड़की की हचक के लम्बी चुदाई हो और वो कई बार झड़ जाये तो कभी कभी उस बेहोशी तारी हो 

जाती है । 

जैसे मुझे सही साबित करने के लिए जैसे ईशा ने सही वक्त चुना। उसने अपनी आँखे फड़फड़ाईं और मुझसे लिपट गयी। 

"मेरे जीजू। मेरे अच्छे जीजू। कितना मज़ा दिया आपने। अम्मी ने बताया था की दर्द के बाद कितना मज़ा आता है पर मुझे नहीं पता 

था की इतना मज़ा आएगा। जीजू जब मैं रज्जो आपा को आपके लंड के बारे में बताऊँगी तो वो बेसब्री से आपसे चुदने का इन्तिज़ार 

करेंगी।" ईशा की ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था। 

" जीजू आप मुझे और चोदेंगे ?" ईशा ने बचपन के भोलेपन से पूछा। 

'साली जी इस लंड को देखिये और फिर पूछिए यह सवाल ,"मैंने उसका हाथ अपने फिर से तन्नाये लंड के ऊपर रख दिया। 

मैंने ईशा को बिस्तर पर धकेल कर एक बार फिर से उसकी चूत में अपना लंड जड़ तक ठूंस कर उसकी चूत लगा। 

इस बार चीखें सिर्फ कुछ धक्कों के बाद ही सिस्कारियों में बदल गयीं। 

मैंने उसे एक और लम्बी चुदाई से कई बार झाड़ा। जब मैं दूसरी बार उसके चूत में झड़ा तो उसने मुझे चूम चूम कर मेरा सारा से गीला 

कर दिया। 

उस रात मैंने ईशा की चूत दो बार और मारी। जब उसने लड़खड़ाते हुए कपड़े पहने तो मैंने उसे चूम कर कहा, "ईशा रानी अगली बार 

आपकी गांड का ताला खोलेंगे। " 

"अल्लाह आपके फौलादी घोड़े के लंड ने मेरी चूत का यह हाल कर दिया है तो मेरी गांड की तो तौबा ही बोल जाएगी।" ईशा ने ऊपर 

से तो ना नुकर की पर उसकी आँखे कुछ और ही कह रहीं थीं। 
 
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११८ 
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अकबर चाचू और शन्नो मौसी 
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अगले दिन जब ईशा टाँगे फैला कर अजीब से चल रही थी तो सासु और रज्जो दोनों मेरी ओर देख कर मुस्कुरायीं। 

"दामाद बेटा कैसी रही ईशा के साथ बातचीत ? " सासु माँ बड़ी ही हसमुख थीं। 

"अम्मी ईशा के साथ बातचीत बहुत हे रसीली थी। आखिर बेटियां किसकी हैं ?"मैंने सासु को चूम लिया। उन्होंने मेरी बालाएं 

उतारीं। 

"मैंने रज्जो को समझा दिया है। वो शन्नो को या तो मना लेगी नहीं तो पकड़ के दबा देना अपने नीचे। एक बार खाने के बाद 

कभी भी मना नहीं करेगी। " मैंने सासु अम्मी का हाथ दबा कर उनके अहसान के लिए शुक्रिया अदा किया। 

वापसी में लिमोज़ीन में रज्जो, शन्नो और मैं थे। बीच में काला शीशा था। मैंने रज्जो के चूचियों को मसलना शुरू कर दिया।

"हाय अल्लाह, कुछ तो सबर कीजिये। घर पहुँच कर आप मुझे छोड़ थोड़े ही देंगे। वैसे भी कल रात ईशा के साथ सारी रात 

चुदाई की थी आपने। " रज्जो ने मुझे चूमते हुए कहा। उसका एक हाथ मेरे लंड को निकाह के चूड़ीदार पजामी के ऊपर से 

सहला रहा था। 

"रज्जो रानी तुम्हरी मझली बहन का तो जवाब ही नहीं है। उसकी रसीली कुंवारी चूत मारके के लगा की जन्नत में पहुँच गया । 

अब तो मेरा दिमाग तुम्हारी चूत की चाहत से बेचैन है। " मैंने बेगम के बड़े बड़े बड़े भारी उरोज़ों को उसके सिल्क के निकाह 

के कुर्ते के ऊपर से मसला। 

"आखिर बेटी तो अम्मी की है।"रज्जो ने शन्नो की तरफ देख कर कहा , "सुना शन्नो तूने जीजू को बिलकुल मना कर दिया 

मस्ती करने से ?"रज्जो ने सिसकारते हुए कहा। मेरी उँगलियाँ उसकी चूत को कपड़ों की कई परतों के ऊपर से रगड़ रहीं थीं। 

"आपा मुझे नहीं मस्ती करवानी अभी। मैं तो इन्तिज़ार करूंगी और। आप और ईशा करिये मस्ती जीजू के साथ," नन्ही शन्नो 

बिलकुल भी मान के नहीं दे रही थी। 

"आप फ़िक्र ना करें यदि शन्नो खुद नहीं मानी तो उसे पकड़ के ज़बरदस्ती रगड़ दीजियेगा। आपको अम्मी के खुली छूट है 

,"रज्जो ने सिसकते हुए अपनी सबसे छोटी बहन को घूर कर देखा। शन्नो ने जीभ निकल कर चिढ़ाया। 

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घर पर हमारा सुहागरात का कमरा फूलों से सजा हुआ था। रज्जो के साथ पहली चुदाई मुझे कभी भी नहीं भूलेगी। उस रात हम 

दोनों ने सारी रात दनादन चुदाई की। 

दुसरे दिन हम हनीमून के लिए गोवा गये। जैसा तय था शन्नो हमारे साथ चली। हमारे ' हनीमून सुइट' के साथ शन्नो का कमरा 

था। पर रज्जो ने ईशा को अपने सुइट में हे रखा। आखिर उस सुईट में तीन कमरे थे। 

पहली रात रज्जो ने मेरा लंड चूसते हुए शन्नो दिखाया कि लंड कैसे चूसा जाता है। 

शन्नो ने आखिर में झिझकते हुए मेरा लंड अपने नन्हे हाथों में थाम लिया। रज्जो ने उसे बहला फुसला कर मना लिया और 

शन्नो ने मेरा लंड अपने हाथो से अपनी आपा की चूत में डालने को तैयार हो गयी। 

रज्जो ने धीरे धीरे उसके कपड़े उतरवा दिए। फिर जब मैं घोड़ी बना कर शानू की अम्मी को चोद रहा को खींच कर रज्जो ने 

अपनी नाबालिग अल्पव्यस्क कमसिन नन्ही बहन शन्नो अपने सामने लिटा लिया और उसकी अविकसित नन्ही चूत को चूसने 

चाटने लगी। अब कमरे में दो लड़कियों की सिस्कारियां गूंजने लगीं। 

शन्नो को पहली बार झड़ने के मज़े का अहसास हुआ। 

शन्नो एक ही रात में बिना शर्म के मेरे लंड से खेलने लगी। मैंने जब रज्जो की गांड का उद्घाटन किया तो शन्नो ने मेरे साथ 

अपनी बड़ी बहन की गांड मन लगा कर चूसी। 

जब रज्जो कुंवारी गांड मरवाते हुए चीखी चिल्लाई और बिलबिला कर लंड निकलने की गुहार मचा रही थी तो शन्नो इस बार 

ईशा की चुदाई के जैसे घबराई नहीं। बल्कि वो रज्जो को चूमने लगी और उसके चूचियों को मसलने लगी। 

आखिर रज्जो भी गांड के दर्द कम होने के बाद हचक कर अपनी गांड चुदवाने लगी। 
 
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११९ 
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अकबर चाचू और शन्नो मौसी 
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मैंने रज्जो की गांड मारने के बाद अपने लंड को शन्नो के मुंह में ठूंस दिया। मुझे एतबार ही नहीं हुआ शन्नो में कितना बदलाव आ गया 

बिना ज़ोर ज़बरदस्ती किये। उस दिन रज्जो ने उसे मेरे लंड को चूसने के लिए मना लिया। अब हम दोनों को पता था कि किला फतह 

होने में देर नहीं है। 

हमने उस दिन शन्नो को खूब खरीदारी कराई। हमने खाने के जगह भी उसकी पसंद पर छोड़ दी थी। 

उस रात शन्नो खुद ही अपने कपडे उतार कर हमारे बिस्तर में चली आयी। 

मैंने और रज्जो ने उसकी चूचियों और चूत को चूस कर उसे बहुत गरम किया पर झड़ने नहीं दिया। बेचारी तड़प तड़प कर झड़ने के 

लिए बेताब हो गयी। 

"शन्नो यदि झड़ना है तो जीजू के लंड चुदवा ले ,"रज्जो ने उसकी उगती चूचियों की घुंडियों को मसलते हुए कहा। 

मैं उसकी चूत की घुंडी को मसल रहा था। 

आखिर में शन्नो ने वासना की आग में जलते हुए हामी भर ली। मैंने इशारा किया और रज्जो ने अपने भारी जांघे शन्नो के सर के दोनों 

ओर रख केर उसके मुंह को अपनी चूत से दबा लिया , "मेरी छुटकी बहन यदि मेरे खाविंद के लंड से चुदवाओगी तो कम से कम मेरी 

चूत तो चाट लो। "

मैंने सही मौका देख कर शन्नो की चूत के ऊपर धावा बोल दिया। बेचारी के किशोरावस्था लगने में अभी कुछ महीनों के देरी थी। पर 

उसके कमसिन गरम चूत के गर्माहट मेरे लंड को जला रही थी। 

मेरा लंड का मोटा सुपाड़ा जैसे ही उसकी कुंवारी चूत में दाखिल हुआ तो बिलबिला उठी शन्नो दर्द से। पर रज्जो ने उसे दबा कर 

मुझसे कहा ," रुक क्यों गए आप। बिना रुके ठोक दीजिये पूरा लंड इसकी चूत में। दर्द तो होना ही है। जितनी जल्दी सारे दर्द का 

अहसास इसे हो जाये उतना अच्छा। "

मैंने बेदर्दी से बिल्बलाती शन्नो की चूत में चार पांच धक्कों से अपना हाथ भर लम्बा बोतल जैसा मोटा लंड जड़ तक ठूंस दिया। शन्नो 

बेचारी की चीखें उसकी बड़ी बहन की चूत में डूब गयीं। उसका तड़पता बदन मैंने बिस्तर पे दबा दिया और दनादन उसकी चूत में 

अपना लंड पेलने लगा। मेरा लंड अब शन्नो की कुंवारी चूत के खून से लस कर चिकना हो गया। मैंने उसकी जांघों को अपनी बाजुओं 

पर टिका कर उसकी चूत को तूफानी अंदाज़ में चोदने लगा। 

आधे घंटे के बाद शन्नो ने सुबकना बंद कर दिया और उसके कूल्हे मेरे लंड को लेने के लिए ऊपर होने लगे। रज्जो ने आँख मार कर 

मुझे और बढ़ावा दिया। मैंने शन्नो को अब बेहिचक सटासट धक्कों से चोदने लगा। शन्नो भी अब सिसकने लगी और रज्जो की चूत 

चाटने लगी। 

मेरे लंड के अंदर बाहर आने जाने से शन्नो की चूत में से फचक फचक की आवाज़ें उसकी और रज्जो की सिसकारियों के साथ मिल 

कर एक नया गाना गुनगुनाने लगीं। 

घंटे भर की चुदाई से शन्नो कई बार झड़ी और मैंने भी उसकी चूत को अपने वीर्य से भर दिया। उस रात रज्जो ने मुझे शन्नो की चूत 

पांच बार मरवाई। 

"एक बार इसकी चूत आपने पूरी तरह से खोल दी तो यह आपके लंड के बिना नहीं रह सकेगी ," मैं अपनी नई बेगम के तर्क से 

लाजवाब था। 

अगले दिन शन्नो दर्द के मारे बड़ी मुश्किल से चल पा रही थी। पर रज्जो के कहने पर मैंने उसे उस हचक हचक कर कई बार चोदा। 

अगली रात शन्नो की गांड की बारी थी। 

उस रात मैंने तीन बार शन्नो की चूत मारी। रज्जो ने जब मौका देखा तो मुझे इशारा दिया , " अब यह थक कर चूर-क्जूर हो गयी है। यही मौका इसकी कुंवारी गांड फाड़ने का। चूं भी नहीं 

कर पाएगी। चलिए इसे अपने नीचे दबा कर इसकी गांड भी खोल दीजिये ," रज्जो ने मुझे उकसाया। 

मैंने पट्ट लेती नन्ही शन्नो को अपने नीचे दबा कर उसके चुत्तडों को फैला दिया। अपने मोटे लंड के सुपाड़े को एक ही धक्के से उसकी गांड के कुंवारे छेद में घुसेड़ दिया। 

शन्नो बिलबिला उठी पर उसकी बड़ी बेहेन ने उसके चेहरे को अपने हाथों में भर कर चूमने लगी। उसकी चीखें कुछ हद तक रज्जो के मुंह से दब गयीं। 

मैंने एक धक्के के बाद दूसरा धक्का लगाते हुए अपना पूरा लंड शन्नो की गांड में ठूंस दिया। बेचारी की आँखों से आंसू बह रहे थे। उसकी सुब्काइयां रज्जो के मुंह से दबे हुए भी कमरे में 

गूँज रहीं थीं। 

मैंने दनादन शन्नो की कुंवारी गांड को वहशियों की तरह चोदने लगा। बड़ी देर बाद न जाने की सुबकने की अव्वाज़ें सिस्कारियों में बदल गयीं। 

एक घण्टे तक शन्नो की गांड का मलीदा बनाया मैंने उस रात। शन्नो आखिर में सिसकते हुए झड़ने लगी। जब लंड शन्नो की गांड से निकला तो रज्जो ने उसे अपने मुंह में ले कर प्यार से 

चूस कर साफ़ कर दिया। 

"देख शन्नो अगले बार जब जीजू तेरी गांड मारेंगें तो तुझे उनका लंड साफ़ करना पड़ेगा। आज तो चलो मैं कर देतीं हूँ। "

बेचारी शन्नो हांफने के अलावा कुछ नहीं बोल पाई। 

अगले दिन शन्नो की चाल और भी ख़राब हो गयी। 

शन्नो को इस बात का फख्र था कि मैंने उसकी गांड ईशा की गांड से पहले मार ली थी। 

"जीजू , शुक्रिया। मैं ईशा को कभी भी भूलने दूंगी कि मेरी गांड ने आपका लंड उससे पहले ले लिया है। "

बाकि का वक्त रज्जो और शन्नो को हर अंदाज़ में चोद चोद कर बड़े मज़े से गुजरा। 

उसके बाद शन्नो और ईशा दोनों जब भी मौका मिलता चुदवाने के लिए हमारे घर आ जातीं। उनकी शादी के बाद भी सिलसिला रहा। 

मज़े की बात तो यह है कि शादी के बाद भी शन्नो ज़्यादा बार चुदवाने आयी। जब रज्जो शानू और नसीम से पेट थी तो शन्नो तीन 

तीन महीने रूकती और जितनी बार मौका मिलता उतनी बार वो चुदवाने के लिए मचलती। 

जब से रज्जो का इंतिक़ाल हुआ है तब से ईशा और शन्नो से मुलाकात नहीं हुई है पर उन दोनों से प्यार में कोई कमी नहीं हुई है। 
 
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१२० 
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अकबर चाचू की उनकी नन्ही साली की चुदाई की कहानी से हम सब गरम हो गए। 

"अब्बू आप कितने बेरहम हैं। बेचारी शन्नो मौसी को आपने कैसे बेदर्दी से रगड़ा। मुझे तो उन पर बहुत तरस आ रहा है ,"शानू ने अकबर चाचू को उलहना 

दिया पर उसकी आँखों में एक अजीब से चमक थी। शानू की आँखों में अपने अब्बू के लिए फख्र साफ साफ ज़ाहिर हो रहा था। 

" अरे शानू रानी यह तो तुम्हारा अपनी तरह नाटक करने वाली साली के तरफ बेवज़ह का तरस है। मुझे तो शन्नो मौसी के जीजू के ऊपर बहुत फख्र है। उन्होंने 

कितनी समझदारी से इन्तिज़ार किया। चाचू यदि चाहते तो रज्जो चाची की मदद से शन्नो मौसी को ज़बरदस्ती पकड़ कर रगड़ देते पहले ही दिन ," मैंने 

मुस्करा कर चाचू की तरफ देखा। मेजपोश के नीचे मेरा हाथ उनके फड़कते लंड को सहला रहा था। 

" भाई साली साहिबा मैं भी नेहा की बात से राज़ी हूँ। मामूजान ने बहुत ही सबर से काम लिया था। " आदिल भैया ने कहते हुए कुछ न कुछ ज़रूर किया थे 

मेज़पोश के नीचे। शानू का लाल मुंह कुछ कहने के लिए खुला पर कोई शब्द नहीं निकला उसके खुले गुलाबी होंठों से।

तब तक खाने का वक्त हो चला। खाने के साथ लाल और सफ़ेद मदिरा थीं। शानू को किसी ने भी नहीं रोका पीने से। 

हम सबने खाने के साथ शब्बो बुआ के हांथों की बनी रसमलाई भी चट कर गए। 

अकबर चाचू का अपनी अनिच्छुक या नाटक वाली छोटी साली को पटाने और चोदने के गरम गरम किस्से से हम दोनों लड़कियां चुदवाने के लिए तड़पने 

लगीं। मैंने लगातार चाचू उनके पजामे के ऊपर से सहला कर आधा खड़ा कर दिया था। उन्होंने, मुझे पूरा भरोसा था कि, कच्छा नहीं पहना था अपने पजामे 

के नीचे । मैं बिना देखे जानती थी कि शानू भी आदिल भैया का लंड अपने हाथ के काबू में रखे होगी। 

"मामू वल्लाह मज़ा आ गया. साली की ज़िद तोड़ कर ही माने आप।" जीजू ने शानू की और टेड़े टेड़े देख कर चाचू को बधाई दी। 

"आदिल बेटा साली कितनी भी नखरे करे या हाथ भी मुश्किल से रखने दे लेकिन उसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कभी कभी सुन्दर और कमसिन सालियां 

बहुत मेहनत करवातीं हैं। आखिर जब बीबी मर्द का पूरा ख्याल नहीं रख सकती साली ही तो ख्याल रखती है। " चाचू भी शानू की ओर देख कर मुस्कराये। 

"आप दोनों पीछे गलत सलत पड़े है। मैंने कब जीजू को इतना सताया जितना शन्नो मौसी ने अब्बू को। और अब मैंने मना किया है जीजू को। और मैं आज 

रात भी जीजू ख्याल आपा जैसे ही रखूंगीं। " शानू ने जोश में जो भी मुंह में आया बोल तो दिया पर जब उसके दिमाग ने ख्याल किया तो वो शर्म लाल हो 

गयी। उसने जीजू के बाज़ू में मुंह छुपा लिया। 

हम सब बेचारी के ऊपर ज़ोरों से हंस पड़े। 

"चाचू मैं थोड़ा थक गयीं हूँ. पानी पी कर मैं सोने चलती हूँ ," मुझे अकबर चाचू के ऊपर बहुत प्यार आ रहा। था. मैं उनके लम्बे सम्भोग-उपवास को जल्दी 

से तोड़ना चाह रही थी। 

" नेहा बेटा मैं भी पानी पियूँगा ," मैं अपने लिए ताज़ा ठंडा पानी लेने फ्रिज की ओर चल दी। 

"मामू मैं भी सोने चलता हूँ," जीजू ने भी विदा ली। 

"अब्बू मैं भी सोने चलती हूँ," शानू जल्दी से मुझे चुम्म कर आदिल, भैया के पीछे दौड़ गयी। मेरी छोटी सहेली नासमझ थी की सोचे समझे जीजू की तरफ 

दौड़ रही थी। शानू अभी भी लंगड़ा थी। 

चाचू और मैं यह देख कर फिर से हंस दिए। 

"जीजू आज रात शानू चूत की तौबा बुलवा देंगे," मैंने चाचू के लंड को सहलाते हुए कहा। 

"भाई आदिल की साली है हमारी बेटी शानू। जीजू की मर्ज़ी जितना वो चाहे उतना हक़ है जीजू को साली की चूत कूटने का। हमारे दिमाग पर तो तो सिर्फ 

एक चूत का ख्याल तारी है। हम तो नेहा की चूत को ख़राब करने के लिए आमादा हैं ," चाचू ने मेरी चूची कपड़े के ऊपर से मसलते हुए कहा। 

" नेकी और बूझ बूझ" मैंने चूतड़ हिलाते हुए चाचू को अपनी चूत का बजा बजवाने का न्यौता दिया।

चाचू ने मुझे बिना सांस लिए बाज़ुओं में उठा लिया मानों मैं फूलों के गुच्छे से भी हलकी थी। 

कमरे पहुँचते चाचू ने मुझे उछाल के बिस्तर पर पटक दिया। अकबर चाचू ने अपना कुरता-पजामा बिजली फुर्ती उतार फेंका। अब इनका हाथ भर का 

घोड़े जैसा मुस्टंड लंड कर चूत को धमकी देने जैसी सलामी दे रहा था। 

मैं पहले तो आश्चर्य और डर से चीख उठी पर जब गुदगुदी बिस्तर पर खिलखिला कर हंस पड़ी। चाचू एक छोटी सी छलांग से बिस्तर पर चढ़ गए। उनका 

लम्बा खेला खाया भारी बालों से ढका शरीर मुझे नीचे लेते हुए दानवीय आकार का लग रहा था। 

चाचू ने अपना पूरा वज़न मेरे कंचन गदराये शरीर पर डाल के मेरे हँसते मुंह के ऊपर अपना मुंह चिपका दिया। उनकी ज़ुबान मेरे खुले मुंह के हर कोने किनारे 

की तलाशी लेने लगी। मैंने भी अपनी बाँहों का हार चाचू को पहना दिया। हम दोनों का खुले मुंह का चुम्बन बड़ा गीला और थूक की अदला बदली वाला था। 

। चाचू ने बड़ी से बेसब्री मेरे कपड़े लगभग चीड़ फाड़ कर अलग फेंक दिए । 
 
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१२१ 
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अकबर चाचू ने गुर्राहट की आवाज़ में कहा , "नेहा बेटी मुझे आपकी चूत तुरंत चाहिए। "

मैं चाचू की हवस की नादीदी और बेसब्री से बहुत उत्तेजित हो गयी। 

"चाचू मेरी चूत आपकी है। चोदिये इस निगोड़ी को। फाड़ डालिये अपने घोड़े जैसे लंड से। चाचू मेरी चूत मारिये। बहुत तरसा लिया आपने। " 

मैं वासना के ज्वर में बिलख कर गुहार मारने लगी। 

चाचू ने अपना भीमकाय लंड का सेब जैसा मोटा सुपाड़ा मेरी चूत के द्वार में फंसा कर एक दमदार धक्के से लगभग एक तिहाई लंड मेरी 

चूत में ठूंस दिया। मैंने अपने निचले होंठ को दांतों तले दबा लिया था। पर फिर भी मेरी चीख निकल गयी। 

अकबर चाचू की की चार पांच इंचे भी मेरी चूत फाड़ने के लिए काफी थीं। 

चाचू ने मेरे होंठों को अपने मुंह में फंसा कर एक और तूफानी धक्का लगाया और अपने महाकाय लंड को मेरी चूत में ठूंस दिया। मैं सुबक 

उठी। मेरा प्यार चाचू की हवस की बेसब्री से और भी प्रबल हो उठा। 

"चाआआआ चूऊऊऊऊ मार डाला आपने मुझे धीरे चाचूऊऊऊ ," मैं चीखे बिना ना रह पायी। 

चाचू ने अपना आखिरी एक तिहाई लंड मेरी चूत में वहशी अंदाज़ में ठूंस कर मेरी चूत को बेसबरी से चोदने लगे। 

शुक्र है की चाचू की कहानी और उनके लंड की मालिश के प्रभाव से मेरी चूर बहुत गीली थी। अन्यथा चाचू के विशाल दानवीय लंड से 

मेरी कमसिन चूत के चीथड़े उड़ जाते। अकबर चाचू अपने, हाथ भर से भी लम्बे और मेरी हाथ कोहनी [अग्रबाहु/फोरआर्म ] से भी मोटे लंड 

से मेरी कमसिन चूत को लम्बे सशक्त धक्कों से चोदने लगे। 

मेरी सिस्कारियां चाचू के मुंह में दफ़न हो गयीं। मेरे नितिम्ब दर्द के बावजूद चाचू के लंड के स्वागत के लिए ऊपर नीचे होने लगे। चाचू का 

लंड मेरी गीली चूत में सटासट अंदर बाहर हो रहा था। 

"नेहा बेटी बहुत दिनों की भूख है। शायद मैं जल्दी झड़ जाऊं। पर फ़िक्र मत करना दूसरी बार तुम्हे झाड़ झाड़ के बेहोश कर दूंगा ," मुझे 

अकबर चाकू के ऊपर स्त्री और मातृत्व का मिला जुला प्यार आ रहा था। 

"चाचू मैं तो आयी ही हूँ आपके लिए। जब मर्ज़ी हों झड़ जाइये। मेरी चूत अब आपकी है। " मैं चाचू के मुंह में फुसफुसाई। चाचू ने अब 

घुरघुरा के मेरी चूत पर अपने महाकाय लंड का आक्रमण और भी तीव्र कर दिया। मैं भरभरा कर झड़ गयी। चाचू ने बिना धीमे हुए आधे घंटे 

से भी ज़्यादा मेरी चूत मारी और मैं हर कुछ मिनटों के बाद झड़ रही थी। 

अचानक चाचू ने अपना लंड मेरी गीली लबालब रति रस से भरी चूत में निकाल लिया। जब तक मैं कुनमुना कर शिकायत करती अकबर 

चाचू ने मुझे गुड़िया की तरह उठा कर मेरी गांड को आसमान की तरफ उठा कर घुटनों और मुंह के बल पट लिटा दिया। चाचू अब मुझे 

घोड़ी या कुतिया के अंदाज़ में चोदने के इच्छुक थे। 

मैंने अपने गाल मुड़ी बाँहों पे टिका कर गांड को चाचू के लिए हिलाने लगी। 

चाचू ने बिना देर लगाये मेरी रति रस से लबालब गीली चूत में अपना लंड फंसा कर तीन ज़बरदस्त धक्कों से जड़ तक अपना विशाल लंड 

ठूंस दिया। मैं हलके से करही पर चाचू ने बिना हिचक मेरी चूत का मर्दन भीषण धक्कों से जो शुरू किया तो मैं आनंद के सागर में गोते खाने 

लगी।

"चाआआआ……..चूऊऊऊऊऊ …………. आआन्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह …………..ह्हूऊऊन्न्न्न्न्न्न्न ……………आअन्न्न्न्न्न्न्न्न ," मैं आनंद के अतिरेक 

से बिलबिला उठी। मेरे चरम-आनंद की तो मानों एक लम्बी कड़ी बन चली। 
 
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१२२ 
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चाचू के बलशाली धक्कों से मैं सर से चूतड़ों तक हिल जाती। चाचू के हर धक्के का अंत चाचू की जांघों के मेरे कोमल गुदाज़ नितिम्बों के 

ऊपर थप्पड़ के शोर के साथ होता। उनका लंड फचक फचक फचक की अश्लील अव्वाज़ें पैदा करता हुआ मेरी चूत की रेशमी गहराइयों को 

ना केवल नाप रहा था पर उनके लंड की विकराल लम्बाई उन गहराइयों को और भी अंदर तक धकेल रहीं थी। 

मैं सुबक सुबक कर झड़ रही थी। चाचू के हांथो ने मेरे उरोज़ों को मसल मसल कर लाल कर दिया। मेरे चूचियों के ऊपर सम्भोग की गर्मी से 

उपजे पसीने की एक हलकी सी परत की फिसलन उनके हाथों को बहुत रास आ रही थी। 

चाचू ने मेरे उरोज़ों को नृममता से मसलने कुचलने के बाद अपने हांथों को मेरे हिलते कांपते चूतड़ों के ऊपर जकड दिया। चाचू ने बेदर्दी से 

अपना एक अंगूठा मेरी गांड में ठूंस दिया। मैं चहक उठी। चाचू ने मेरी चूत मारते मारते मेरे गांड में उसी लय से अपना अगूंठा भी धकेलने 

लगे। कुछ देर बाद उन्होंने अपना दूसरा अंगूठा भी मेरी गांड में घुसा दिया। उन्होंने उस पकड़ को इस्तेमाल कर मेरी चूत का मर्दन जारी रखा। 

उनके अंगूठे मेरी गांड के तंग छेड़ को चौड़ा कर रहे थे। मुझे लगा कि चूत की कुटाई के बाद मेरी गांड की तौबा बुलवाने के लिए तटपर थे 

चाचू। मैं मीठे दर्द से सुबक उठी। मेरी सिस्कारियां हल्की घुटी घुटी चीखों के सिंगार से चाचू के कानों में संगीत का रस भर रहीं थीं। 

"चाआआ चूऊऊऊऊऊ ……चोदिये मुझे ……आआह्ह्ह्ह चो …..ओओओओओओओओ दीईईईईई ये एएएएएएए और ज़ोओओओओ रर से 

उउन्न्न्ह्ह्ह्ह्ह," मैं कामोन्माद की आग में जलते हुए चिल्लायी। चाचू ने मेरी चूत के कूटने की रफ़्तार को और भी उन्नत चढ़ा दिया। 

मेरे चूत में रति रस के मानों फव्वारा फुट उठा। मैं अब गनगना उठी। चाचू मुझे बिना थके उसी रफ़्तार से चोदते रहे और मैं निरंतर झड़ रही 

थी। वासना के आनंद के उन्माद ने मुझे थका सा दिया। चाचू ने गुर्रा कर मेरे चूत में अपना लंड और भी ताकत से धकेला, "नेहा मैं तुम्हारी 

चूत में पानी छोड़ने वाला हूँ। "

"हाँ चाचू भर दीजिये मेरी चूत अपने गरम से। नहा दीजिये मेरे गर्भ को अपने उर्वर मलाई से ," मैं भी वासना के अतिरेक से अनर्गल बोलने 

लगी। 

चाचू ने एक घंटे से भी ऊपर लम्बी चुदाई के बाद मेरी फड़कती चूत में अपने वीय का फव्वारा खोल दिया। चाचू का लंड थिरक थिरक कर 

मेरे गर्भाशय के ऊपर उपजाऊ वीर्य की पिचकारी बार बार मार रहा था। 

चाचू ने हचक कर तीन चार धक्के और मारे और मैं चरमानंद की कमज़ोरी में पेट के बल ढुलक गयी और चाचू भी अपने पूरे वज़न से मेरे 

ऊपर ढुलक गए। 

चाचू ने मेरी चूत से लंड निकल के मुझे बाँहों में भर लिया ," खुदा की रहमत हो आप तो नेहा बेटी। उसकी नियामत ही ले कर आयी है 

आपको मेरे पास जीते जी जन्नत में पहुँचाने के लिए। "

मैंने भी प्यार से चाचू को खुले गीले मुंह से चूमा ," पर चाचू यदि आप एक घंटे से भी ज़्यादा चुदाई को जल्दी झड़ना कहतें है तो लम्बी 

चुदाई में तो मेरी हालत ही ख़राब कर देंगे। "

"नेहा बेटी चुदाई में बिगड़ी हालत में जितना मज़ा है उस से बेहतर मज़ा और कहाँ से मिल पायेगा। "

चाचू ने मेरे मुंह को कस कर अपने हांथो में पकड़ कर मेरे होंठो को जम कर चूसा। फिर उन्होंने मेरे फड़कती नासिका को अपने मुंह में भर 

लिया। उनकी जीभ की नोक ने मेरी नासिका के आकार को मापा। चाचू ने जीभ को पैना कर एक एक करके मेरी दोनों नथुनों को चोदने 

लगे। मैं पहले तो खिखिला कर हंस दी। फिर न जाने कैसे चाचू की इस विचित्र क्रिया से भी मेरी चूत में हलचल मचने लगी। मुझे याद 

आया कि बड़े मामा ने भी मुझे ऐसे के आनंद दिया था। वासना के खेल में ना जाने कितने नए आनंदायी मोड़ मिलेंगे।
 
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१२३ 

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अकबर चाचू ने मेरे नथुनों को जी भर कर अपनी जीभ से चोदा। मेरी चूत में चाचू की इस प्रत्यक्षता में विचित्र इच्छा का प्रभाव 

शीघ्र मेरी चूत में दर्शित होने लगा। मेरी चूत में आनंद की हलचल फिर से लहर उठने लगी। चाचू का जब मेरे नथुनो के 

जिव्हा-चोदन से मन भर गया तो उन्होंने मुझे चूम कर कहा ," क्या हमारी बिटिया की गांड अपने चाचू का लंड खाने के लिए 

तैयार है ?"

चाचू ने मेरी चूचियाँ कस कर मसल दीं। " चाचू, मेरी गांड तो शामत आने वाली है चाहे वो तैयार हो या ना हो, " मेरे नहें हाथों 

में चाचू का बलशाली दानवीय लंड जुम्बिश मर रहा था। 

"चाचू मुझे घोड़ी बना कर मेरी गांड मारेंगे या चिट लिटा कर ?” मैंने चाचू को और भी उकसाने का प्रयास किया। चाचू ने मेरी 

नाक को दांतों से चुभलाये और मेरे दोनों चुचूकों को मसल कर मड़ोड़ा ," नेहा बिटिया तुम्हारी गांड तो एक खास तरिके से 

मारूंगा आज। "

चाचू लपक कर बिस्तर से अलमारी से एक अजीब सी चटाई निकाल लाये। 

उन्होंने चटाई बिस्तर के ऊपर बिछा दी। उस चटाई की अजीब से बनावट थी। कोई तीन-चार फुट लम्बी और बहुत बिस्तर जैसी 

चौड़ी थी। चाचू ने जब उसे बिस्तर पर तकियों के नीचे से फैला दिया तो मैं उसे चकित हो कर देखने लगी। उस पर मिले जुले 

आकार की घुन्डियाँ भरी हुईं थी। वो किसी खास रबड़ की बनी होती मालूम पड़ती थी। ऊपर के हिस्से में थोड़े छोटे और घने 

घुन्डियाँ थीं। नीचे के हिस्से में बड़ी घुन्डियाँ थीं। इस विचित्रता का मतलब मुझे शीघ्र प्राप्त हो गया। 

चाचू ने मुझे उसके ऊपर पेट के बल पट्ट लिटा दिया। चटाई मेरी गर्दन के नीचे से मेरी आधी जांघों तक फ़ैली थी। चाचू ने मेरी 

टांगें पूरी फैला दीं। फिर उन्होंने मेरी सारी कमर को चुम्बनों से गीला कर दिया। मेरे शरीर के हर जुम्बिश पर मेरी चुचिया, पेट 

और मेरी चूत की रगड़ उन घुंडियों के ऊपर और भी स्थापित हो जाती। पहले पहल तो उससे जलन और हलके दर्द का आभास 

हुआ फिर मेरे चुचूक सख्त हो गए और मेरे भग-शिश्न का दाना उन घुंडियों पर रगड़ खा कर कर मचलने लगा। चाचू ने में 

मुलायम गोश्त को चुम, काट कर लाल करने के बाद मेरे नितिम्बों को चौड़ा फैला कर मेरी फड़कती गांड के छेड़ के ऊपर अपना 

मुंह दबा दिया। 

चाचू ने मेरे दोनों चूतड़ कस के अपने हाथों से मसल दबा कर चौड़ा दिए और उनका भूखा मूंग मेरी गुदा-छिद्र के ऊपर चिपक 

गया। उहोनेमेरी गांड के छेड़ को जीभ से कुरेदने के साथ साथ मुझे ऊपरनीचे भी हिलाने लगे। अब मुझे उस चटाई के जादू समझ 

आ गया। मेरे चुचूक चूचियाँ औए मेरी चूत और उसकी घुंडी चटाई की गोल गोल गांठों के उपर रगड़ खा रहीं थी। पट लेटने से 

एक थोड़ी सी असहाय महसूस करने के साथ साथ शरीर के सारे कामोद्दीपक क्षेत्रों को रगड़ रगड़ कर, चटाई चार हांथों का काम 

कर रही थी। 

मैं सिसक उठी ,"चाचू मेरी गांड को ज़ोर से चाटिये। उउउम्म्म्म्म्म्म्म। "

मेरी चूत रगड़ने से गनगना उठी। मेरा भाग-शिश्न तनतना तो पहले ही गया था अब लगातार रगड़ के हस्तमैथुन के प्रभाव से 

कामोन्माद के कगार पर मेरी चूत को ले आया। मैं अचानक हलकी से चीख के साथ झड़ गयी। 
 
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१२४ 
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चाचू का लंड तन्नाया हुआ था। उनके लंड के खम्बे पर मोटी सर्पों जैसे घिमावदार नसें फूल गयीं थीं। उनका सुपाड़ा लाल से जामुनी रंग का हो चला था। 

उन्होंने आने विशाल भरी शरीर को मेरे नितिम्बों के दोनों ओर घुटनों के ऊपर रख कर मेरे दुदाज़ चूतड़ों के बीच छुपे गुदा-द्वार को अपने तड़कते लंड से ढूंढ कर अपने महाकाय सेब जैसे सुपाड़े को मेरी नन्ही गांड के छेद पर रख दिया। 

फिर चाचू अपने भारी भरकम शरीर के पूरे वज़न के साथ मेरे ऊपर लेट गये। उन्होंने मेरी उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंसा लीं। अब ममेरी दोनों 

टांगें और बाज़ू पूरे शरीर से दूर फ़ैल गए थे। उनके विशाल बालों से ढके भारी शक्तिशाली नितिम्बों ने एक जुम्बिश सी ली और उनके सुपाड़ा मेरे 

गांड के छेद पर दस्तक देने के बाद उसे खोलने के लिए बेताब हो गया। 

मेरा छोटी हिरणी जैसा शरीर चाचू के विशाल शरीर के नीचे दबा हुआ था , उस दबाव से मेरी चूचियाँ और चूत खुल कर चटाई के बड़े बड़े गांठों 

के ऊपर और भी रगड़ खा रहे थे। 

चाचू ने मुझे बिलकुल निसहाय कर के एक ज़ोरदार धक्का लगे। मैं चीख उठी दर्द के मारे , " चाचू नहीईईइ……… धीईईईई …..रेए…ए….ए……

ए……ए…….ए……..। " बिलबिला कर चाचू से तरस खाने के लिए गुहार की। 

चाचू ने मुझे अब नन्ही हिरणी की तरह अपने विशाल शरीर के नीचे दबा रखा था। मैं कितना भी बिलबिला कर तड़पती पर कुछ भी नहीं कर 

सकती थी। 

चाचू ने दूसरा भयंकर धक्का मारा। उनका लंड मेरी गांड के तंग द्वार को फैला कर अंदर धसने लगा। मेरी सुबकाई के साथ साथ मेरी आँखों में आंसू 

भर गये दर्द के प्रभाव से।

चाचू ने निर्मम खूंखार धक्कों से मेरी गांड के भीतर अपना महाकाय लंड ठूंसते रहे। आखिर में उनके घुंगराले झांटे मेरे चूतड़ों की कोमल त्वचा को 

रगड़ रही थी। मैं दर्द से बोझिल बिलबिलाने के बावजूद भी समझ गयी कि चाचू का विकराल गांड-फाड़ू जड़ तक मेरी गांड में विजय-पताका 

फहराते हुए स्थापित हो चूका था। 

" नेहा बेटा तुम्हें नमृता चाची ने समझाया होगा की यदि लड़की की चीख ना उठे दर्द से बिलबिला कर और उसकी आँखें आंसुओं से न भरे तो मर्द 

के लंड पे बड़ी तोहमत लग जाती है।” 

मैं दर्द से बिलख उठी थी और कुछ नहीं बोल पाई। चाचू की बात बिलकुल सही थी। 

चाचू में मुझे अपने नीचे कस कर दबा कर मेरी गाड़-हरण शुरू कर दिया। उनके भरी चूतड़ ऊपर उठते और उनका लंड मेरी तड़पती गांड से बाहर 

निकलता और फिर चाचू अपना पूरे भरी वज़न का फायदा उठा कर मेरे ऊपर अपने को पटक देते और उनका वृहत मोटा लम्बा लंड एक धक्के ऐसे 

मेरी गांड में जड़ तक समां जाता। 

अब मेरी गांड की चुदाई की एक लय सी बन गयी। चाचू के वज़न से मेरी चूचियों चटाई की गांठों से मसल रहीं थी। चाचू के लंड का हर धक्का 

मेरा शरीर को कई इंचों तक ऊपर धकेल देता। उस से मेरी चूत चूचियाँ और भग-शिश्न रगड़ खा रहे थे रहे थे। 

चाचू की जादुई चटाई उनके साथ मिल कर मेरी चुदाई में उनका पूरा साथ दे रही थी। 


चाचू ने मेरी गांड ज़ोरदार धक्कों से मारनी शुरू की। मेरी दर्द भरी सुब्काइयां शीघ्र वासना की सिस्कारियों में बदल गयीं। मैं चाचू की पांच मिनटों 

की भीषण गांड चुदाई से भरभरा कर झड़ उठी। 

"आअन्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चाआआ………… चूऊऊऊऊऊऊऊऊऊ…… ," मैं चरमानंद के अतिरेक से सिसक कर चाचू के लंड के गुण गाने लगी |

चाचू ने मेरी गाड़ मारने का अब लम्बा इंतिज़ाम बना सा लिया था। उन्होंने मुझे चटाई पर बरकार दबाते हुए अपने लंड के धक्कों की रफ़्तार और 

लम्बाई बदलने लगे। चाचू कभी लम्बे सुपाड़े से जड़ तक लम्बे धक्कों से मेरी गांड मारते । कभी छोटे लेकिन भयंकर तेज़ धक्कों से गाड़ की चुदाई 

करते। इन धक्कों से मेरा पूरा शरीर हिल उठता। लेकिन उनके लंड का हर धक्का मेरे संवेदनशील चूचियों, चुचूकों और चूत को चटाई पर 

लगातार मसल रहा था। 

अब मैं गनगना के लगातार झड़ रही थी ," चाचू …….. हाय मम्मी…. ई…ई… मर गयी। … चोदिये… मेरी…गांड चाचू …….ज़ोर से चोदिये मेरी 

गांड ……. फाड़ डालिये मेरी गांड अपने मोटे लंड से …..पर मुझे फिर से झाड़ दीजिये। " 

मेरी सिस्कारियों से मिलीजुली जोर से चुदने के गुहार चाचू को और भी उत्तेजित करने लगी। मुझे लगा की उनके धक्कों में और भी ताकत शुमार हो गयी थी। 

चाचू ने बिना थके मेरी गांड की चुदाई बरक़रार रखी। कमरे मेरी सिस्कारियां गूँज रहीं थीं। चाचू अब जब ज़्यादा ताकत से अपना लंड ठूंसते तो 

उनके हलक से गुरगुराहट उबल जाती। मैंने निरंतर रति-निष्पति से भड़क उठी। मेरा शरीर कामवासना के अतिरेक से काम्पने लगा। 

चाचू के मोटे लम्बे लंड से मेरी गांड की चुदाई की आवांजें कमरे में संगीत सा बजाने लगीं। चाचू लंड अब मेरे गांड रस से सन लस और भी 

चिकना गीला हो गया होगा और उनका लंड अब और भी आसानी से मेरी गांड का मर्दन कर रहा था। मेरी गांड में से अब फचफच फच फच की 

आवाज़ें निकलने लगीं। 

न जाने कितनी देर तक मैं सिसक सिसक अनर्गल बोल बोल कर चाचू से चुदी। मेरी गांड में जब चाचू ने अपने गरम गरम वीर्य की पिचकारियाँ 

मारनी शुरू की तो एक घंटे से भी बहुत ऊपर तक वो मुझे चोद रहे थे। मेरी गांड उनके गरम गरम वीर्य की फुंहारों से चिहक गयी। मेरी चूत ने भी 

एक बार फिर से भरभरा के पानी छोड़ दिया। 

चाचू ने मुझे अपने नीचे दबा के रखा और मेरे शिथिल निस्तेज शरीर के ऊपर पड़े रहे। 
 
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