hotaks444
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- Nov 15, 2016
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१५५
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" मैंने अकबर भाईजान को मौका दिया खाने के बाद अपने कमरे में जाने का और थोड़े नशे में होने का। मैंने रज्जो भाभी
का लेहंगा और ब्लाउज़ और सर के ऊपर रेशमी गुलुबन्द से अपना मुँह ढक लिया। मैंने ब्लाउज़ के तीन बटन खोल लये
जिससे मेरी भारी चूचियां बाहर झांक रहीं थीं। मेरी उम्मीद थी कि भाईजान का ख्याल मेरे उरोजों पर ज़्यादा और मेरे चेहरे
पर कम पड़ेगा। मेरा ख्याल ठीक निकला। नशे में भाईजान भूल गए थे कि भाभी अपने अब्बू के घर गयीं हुईं थी। मेरा बदन
काफी गुदाज़ था ठीक भाभी जैसे। भाईजान ने मुझे मेरे हाथ से पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया। बिना एक लम्हा
बर्बाद किये भाईजान ने मेरे ब्लाउज़ के पल्ले खींच कर एक झटके में सारे बटन तोड़ दिए। फिर मेरे फड़कते उयरोजोन को
मसलते हुए हंसे 'जानेमन आज शर्मा क्यों रही हो'। मैं सिसक उठी जैसे ही भाईजान के मज़बूत हाथों ने मेरे दोनों चूचियों
को बेदर्दी से मसला। “
“भाईजान भी मस्त सांड की तरह बेचैन थे। कुछ ही लम्हों के चूमने और मेरे उरोजों को मसलने के बाद ना जाने कब उन्होंने
मेरा लहँगा ऊपर उठा कर मेरी चूत में अपना लन्ड ठूसना शुरू कर दिया। उफ़ क्या बताऊँ लड़कियों तुम्हारे फुफजाँ का
लन्ड काफी मोटा मुस्टंड था पर बजाईजान का मूसल मुझे दुगना लंबा मोटा लग रहा था। मेरे सुबकने की परवाह किये
बिना भाईजान ने हचक हचक कर मुझे चोदने लगे। मैं कुछ देर के बाद ही सिसकने लगी और मेरे झड़ने की कड़ी बढ़
गयी। ना जाने कितनी देर मेरी चूत कूटने के बाद भाईजान ने मेरी चूत अपने गरम उपजाऊ वीर्य से सींच दी। पर भाईजान
इतने मस्त थे कि उनका लन्ड बिलकुल भी ढीला नहीं हुआ। भाईजान ने मुझे पेट के बल पलट दिया और मेरे चूतड़ चौड़ा
कर अपने लन्ड का सूपड़ा मेरी कुंवारी गांड में फ़साने लगे। मेरी तो सांस ही रुक गयी। तुम्हारे फूफा जान ने मेरी गांड
अकेले छोड़ दी थी तब तक। पर भैया को क्या पता कि वो अपनी बीवी रज्जो की खूब चुदी गांड को नहीं अपनी छोटी बहन
की कुंवारी गांड की तौबा बुलवाने वाले थे। मैं खूब चीखी चिल्लाई दर्द से और मेरी आँखें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी
पर भाईजान की सांड जैसे चुदाई से मेरी निगौड़ी गांड में मस्ती फ़ैल गयी। भी खूब सिसक सिसक कर अपनी गांड मरवाई।
कमरे की धीमी बिजली में भाईजान ने मुझे पहचाने बिना घंटे भर मेरी गांड कूटी और जब भाईजान मेरी गांड में वीर्य की
बारिश कर रहे थे तो मैं मस्ती की ज़्यादती से बेहोश से हो गयी। “
जब मैं पूरे होश में आयी तो भाईजान मुझे अपनी बाँहों में भरकर बिस्तर पे लेते थे। 'शब्बो मुझे बता तो दिया होता कि
मैं तुम्हारी रज्जो भाभी को नहीं अपनी नन्ही बहन को चोद रहा था ?'मैं भाईजान से लिपट गयी ,'भाईजान भाभी ने मुझसे
वायदा लिया आपकी पूरी देखभाल करने के लिए तैयार थी। ऐसी चुदाई के लिए तो मैं बिना वायदे के भी तैयार हो
जाती। भाईजान अब आप जब तक भाभी नहीं वापस आ जातीं भूल जाइये कि मैं आपकी छोटी बहन हूँ। मुझे आप रज्जो
भाभी समझ लीजिये तब तक। '
मैं बेचैन थी भाईजान के साथ मस्त चुदाई जारी रखने के लिए।
भाईजान बोले ,' शब्बो मैं भूल तो नहीं सकता कि तुम मेरी नन्ही बहन हो पर हाँ जब तक रज्जो या मुज्जफर वापस नहीं
आते तब तक मैं तुम्हे रज्जो की तरह चोदने के लिए तैयार हूँ पर उसके बाद हम रुक जायेंगें। वायदा शब्बो?' मैंने भाईजान
के साथ वायदा कर लिया। फिर जो मेरी चुदाई की सारी रात भाईजान ने मेरी तो मस्ती से हालात ख़राब हो गयी। भाईजान
ने मेरी चूत और गांड मार मार कर मुझे इतनी बार झाड़ दिया कि मैं होशोहवास खो गयी। फिर उसके बाद भाईजान दिन में
भी काम से घर आ जाते और मुझे किसी बहाने अपने कमरे में बुलवा कर चोदते। मैं अगले डेढ़ महीने खूब चुदी भाईजान
से। अल्लाह ने भी मुझे अपने भाई और भाभी का ख्याल रखने का इनाम दिया। मैं जब रज्जो भाभी वापस आयीं डेढ़ महीने
बाद में आदिल से पेट से थी। पर उसके बाद भाईजान और मेरा हमबिस्तर होना बिलकुल रुक गया। "
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" मैंने अकबर भाईजान को मौका दिया खाने के बाद अपने कमरे में जाने का और थोड़े नशे में होने का। मैंने रज्जो भाभी
का लेहंगा और ब्लाउज़ और सर के ऊपर रेशमी गुलुबन्द से अपना मुँह ढक लिया। मैंने ब्लाउज़ के तीन बटन खोल लये
जिससे मेरी भारी चूचियां बाहर झांक रहीं थीं। मेरी उम्मीद थी कि भाईजान का ख्याल मेरे उरोजों पर ज़्यादा और मेरे चेहरे
पर कम पड़ेगा। मेरा ख्याल ठीक निकला। नशे में भाईजान भूल गए थे कि भाभी अपने अब्बू के घर गयीं हुईं थी। मेरा बदन
काफी गुदाज़ था ठीक भाभी जैसे। भाईजान ने मुझे मेरे हाथ से पकड़ कर अपनी गोद में खींच लिया। बिना एक लम्हा
बर्बाद किये भाईजान ने मेरे ब्लाउज़ के पल्ले खींच कर एक झटके में सारे बटन तोड़ दिए। फिर मेरे फड़कते उयरोजोन को
मसलते हुए हंसे 'जानेमन आज शर्मा क्यों रही हो'। मैं सिसक उठी जैसे ही भाईजान के मज़बूत हाथों ने मेरे दोनों चूचियों
को बेदर्दी से मसला। “
“भाईजान भी मस्त सांड की तरह बेचैन थे। कुछ ही लम्हों के चूमने और मेरे उरोजों को मसलने के बाद ना जाने कब उन्होंने
मेरा लहँगा ऊपर उठा कर मेरी चूत में अपना लन्ड ठूसना शुरू कर दिया। उफ़ क्या बताऊँ लड़कियों तुम्हारे फुफजाँ का
लन्ड काफी मोटा मुस्टंड था पर बजाईजान का मूसल मुझे दुगना लंबा मोटा लग रहा था। मेरे सुबकने की परवाह किये
बिना भाईजान ने हचक हचक कर मुझे चोदने लगे। मैं कुछ देर के बाद ही सिसकने लगी और मेरे झड़ने की कड़ी बढ़
गयी। ना जाने कितनी देर मेरी चूत कूटने के बाद भाईजान ने मेरी चूत अपने गरम उपजाऊ वीर्य से सींच दी। पर भाईजान
इतने मस्त थे कि उनका लन्ड बिलकुल भी ढीला नहीं हुआ। भाईजान ने मुझे पेट के बल पलट दिया और मेरे चूतड़ चौड़ा
कर अपने लन्ड का सूपड़ा मेरी कुंवारी गांड में फ़साने लगे। मेरी तो सांस ही रुक गयी। तुम्हारे फूफा जान ने मेरी गांड
अकेले छोड़ दी थी तब तक। पर भैया को क्या पता कि वो अपनी बीवी रज्जो की खूब चुदी गांड को नहीं अपनी छोटी बहन
की कुंवारी गांड की तौबा बुलवाने वाले थे। मैं खूब चीखी चिल्लाई दर्द से और मेरी आँखें रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी
पर भाईजान की सांड जैसे चुदाई से मेरी निगौड़ी गांड में मस्ती फ़ैल गयी। भी खूब सिसक सिसक कर अपनी गांड मरवाई।
कमरे की धीमी बिजली में भाईजान ने मुझे पहचाने बिना घंटे भर मेरी गांड कूटी और जब भाईजान मेरी गांड में वीर्य की
बारिश कर रहे थे तो मैं मस्ती की ज़्यादती से बेहोश से हो गयी। “
जब मैं पूरे होश में आयी तो भाईजान मुझे अपनी बाँहों में भरकर बिस्तर पे लेते थे। 'शब्बो मुझे बता तो दिया होता कि
मैं तुम्हारी रज्जो भाभी को नहीं अपनी नन्ही बहन को चोद रहा था ?'मैं भाईजान से लिपट गयी ,'भाईजान भाभी ने मुझसे
वायदा लिया आपकी पूरी देखभाल करने के लिए तैयार थी। ऐसी चुदाई के लिए तो मैं बिना वायदे के भी तैयार हो
जाती। भाईजान अब आप जब तक भाभी नहीं वापस आ जातीं भूल जाइये कि मैं आपकी छोटी बहन हूँ। मुझे आप रज्जो
भाभी समझ लीजिये तब तक। '
मैं बेचैन थी भाईजान के साथ मस्त चुदाई जारी रखने के लिए।
भाईजान बोले ,' शब्बो मैं भूल तो नहीं सकता कि तुम मेरी नन्ही बहन हो पर हाँ जब तक रज्जो या मुज्जफर वापस नहीं
आते तब तक मैं तुम्हे रज्जो की तरह चोदने के लिए तैयार हूँ पर उसके बाद हम रुक जायेंगें। वायदा शब्बो?' मैंने भाईजान
के साथ वायदा कर लिया। फिर जो मेरी चुदाई की सारी रात भाईजान ने मेरी तो मस्ती से हालात ख़राब हो गयी। भाईजान
ने मेरी चूत और गांड मार मार कर मुझे इतनी बार झाड़ दिया कि मैं होशोहवास खो गयी। फिर उसके बाद भाईजान दिन में
भी काम से घर आ जाते और मुझे किसी बहाने अपने कमरे में बुलवा कर चोदते। मैं अगले डेढ़ महीने खूब चुदी भाईजान
से। अल्लाह ने भी मुझे अपने भाई और भाभी का ख्याल रखने का इनाम दिया। मैं जब रज्जो भाभी वापस आयीं डेढ़ महीने
बाद में आदिल से पेट से थी। पर उसके बाद भाईजान और मेरा हमबिस्तर होना बिलकुल रुक गया। "