hotaks444
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- Nov 15, 2016
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१६५
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हम सब जब चुदाई के थकन से थोड़ा उभरे तो मुझे याद आया ,"अच्छा तो अब हम तीन शादियों के लिए तैयार हो जातें हैं। "
मैंने फिर शानू की ओर देखा और अपनी गिनती बदली , "तीन नहीं चार। "
"चलो नेहा तुम ही लगाओ किसका नंबर पहला है ," शब्बो बुआ और नूसी आपा मेरी गयीं थीं।
"बुआ जान आप अपने बड़े भाई का लंड थामिये ।चाचू आप अपनी बहन की चूचिया थामिये," अकबर चाचू और शब्बो बुआ ने बिना ना-नुकर किये जो कहा वैसा ही किया।
"बुआ चलिए अब मेरे साथ दोहराइये - मैं अपने भाई का ख्याल छोटी बहन और बीवी की तरह रखूंगी। और उन्हें कभी भी बिना चुदाई के सोने नहीं दूँगी," मैंने बात आगे बढ़ायी , " और अब नूसी के साथ मिल कर इस घर में बच्चों की रौनक फ़ैल दूंगीं। "
बुआ ने इसे दोहराया। उनके हाथ अपने भाई के सख्त महा लंड को सहला रहे थे।
"चाचू आप कहिये , "शब्बो को मैं अपनी छोटी बहन और बीवी की तरह प्यार करूँगा। इनकी चूत को कभी बिना चोदे रात नहीं बिताने दूंगा। मैं शब्बो के पेट में जितने हो सकते हैं उतने बच्चे डालने की पूरो पूरी कोशिश करूंगा। "
अकबर चाचू ना केवल दोहराया उन्होंने अपनी बहन को प्यार से चूमा भी।
नूसी आपा ने एक और बात जोड़ दी ," बुआ अब आप अब्बू के कमरे अपनी जायज़ जगह ले लीजिये। यदि अम्मी जन्नत से बोल यही कहतीं।" हम सबने इस बात का पूरा समर्थन किया।
दूसीर शादी बुआ और आदिल भैया के बीच। उन दोनों ने भी माँ और बेटे के साथ साथ हमबिस्तर शौहर और बीवी की तरह खूब चुदाई करने का और बच्चे पैदा करने का इकरार किया।
तीसरी शादी अकबर चाचू और नूसी की थी. नूसी आपा अब्बू का लंड सहलाते हुए वही वायदा दोहराया।
चौथी शादी के शानू तैयार थी। उसने अपने नन्हे हाथों से अपने अब्बू और भैया के लंड सहलाते हुए कहा ,"मैं अपने अब्बू और भैया की भूख का पूरा ख्याल रखूंगी। अब से मेरी चूत और गांड दोनों भैया और अब्बू के लिए दिन रात खुली रहेंगीं। "
आखिर में मैंने बुआ का नकली लंड बाँध कर अपनी और शानू की शादी भी कर दी। आखिर में मेरी गिनती दुबारा गलत हो गयी।
उस बाकि रात के सुहागरात के लिए आदिल भैया ने अपनी अम्मी को अपनी नै नवेली बीवी की तरह बाँहों में उठा कर उन्हें अपने कमरे की ओर चल दिए। अकबर चाचू बड़ी बेटी को अपनी वधु की तरह प्यार से उठाया और अपने कमरे की तरफ चल पड़े। मैंने अपनी बीवी उर्फ़ शानू को पकड़ा और अपने में कमरे में खींच के ले गयी।
उस रात तीनो कमरों में भीषण प्यार भरी चुदाई हुई। मैंने शानू की चूत और गांड मार मार कर उसे आखिर में आलम में ले जा कर ही सोई ।
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अगले दिनों में खूब चुदाई हुई। शब्बो बुआ ने अपने बेटे और भाई के साथ इकठ्ठे चूत और गांड मरवाई।
नूसी आपा ने भी ना नहीं किया। लेकिन दोनों महालण्डों को एक साथ लेने में उनका पसीना निकल गया।
आखिरकर में मेरी वापस जाने का दिन भी आ गया। उसके पहली रात में तीनो 'लड़कियों' शौहरों की दोनों लंडो को मेरे लिए छोड़ दिया। अकबर चाचू और आदिल भयइया ने उस रात मेरी चूत और गांड की की बुरी रौंदा। सुबह तक न केवल उन्होंने मेरे दोनों छेदों को बेदर्दी से रौंदा पर इकठ्ठे भी। मैं अगली सुबह टांगें चौड़ा कर चल रही थी।
हफ्ते बाद फ़ोन पे बात करते हुए शानू ने मुझे बताया की उस के बाद घर में दिन में तो सा जो हाथ पड़ता उसके साथ जोड़ा चुदाई करते पर रात में मैंने देखा की नूसी आपा और शब्बो बुआ अदला बदली से एक एक रात अपने 'नए 'शौहर ' के साथ बारी बारी से बितातीं। उस समय तो नहीं पता था पर कुछ महीनो बाद नूसी आपा और शब्बो बुआ दोनों पेट से होंगीं।
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हम सब जब चुदाई के थकन से थोड़ा उभरे तो मुझे याद आया ,"अच्छा तो अब हम तीन शादियों के लिए तैयार हो जातें हैं। "
मैंने फिर शानू की ओर देखा और अपनी गिनती बदली , "तीन नहीं चार। "
"चलो नेहा तुम ही लगाओ किसका नंबर पहला है ," शब्बो बुआ और नूसी आपा मेरी गयीं थीं।
"बुआ जान आप अपने बड़े भाई का लंड थामिये ।चाचू आप अपनी बहन की चूचिया थामिये," अकबर चाचू और शब्बो बुआ ने बिना ना-नुकर किये जो कहा वैसा ही किया।
"बुआ चलिए अब मेरे साथ दोहराइये - मैं अपने भाई का ख्याल छोटी बहन और बीवी की तरह रखूंगी। और उन्हें कभी भी बिना चुदाई के सोने नहीं दूँगी," मैंने बात आगे बढ़ायी , " और अब नूसी के साथ मिल कर इस घर में बच्चों की रौनक फ़ैल दूंगीं। "
बुआ ने इसे दोहराया। उनके हाथ अपने भाई के सख्त महा लंड को सहला रहे थे।
"चाचू आप कहिये , "शब्बो को मैं अपनी छोटी बहन और बीवी की तरह प्यार करूँगा। इनकी चूत को कभी बिना चोदे रात नहीं बिताने दूंगा। मैं शब्बो के पेट में जितने हो सकते हैं उतने बच्चे डालने की पूरो पूरी कोशिश करूंगा। "
अकबर चाचू ना केवल दोहराया उन्होंने अपनी बहन को प्यार से चूमा भी।
नूसी आपा ने एक और बात जोड़ दी ," बुआ अब आप अब्बू के कमरे अपनी जायज़ जगह ले लीजिये। यदि अम्मी जन्नत से बोल यही कहतीं।" हम सबने इस बात का पूरा समर्थन किया।
दूसीर शादी बुआ और आदिल भैया के बीच। उन दोनों ने भी माँ और बेटे के साथ साथ हमबिस्तर शौहर और बीवी की तरह खूब चुदाई करने का और बच्चे पैदा करने का इकरार किया।
तीसरी शादी अकबर चाचू और नूसी की थी. नूसी आपा अब्बू का लंड सहलाते हुए वही वायदा दोहराया।
चौथी शादी के शानू तैयार थी। उसने अपने नन्हे हाथों से अपने अब्बू और भैया के लंड सहलाते हुए कहा ,"मैं अपने अब्बू और भैया की भूख का पूरा ख्याल रखूंगी। अब से मेरी चूत और गांड दोनों भैया और अब्बू के लिए दिन रात खुली रहेंगीं। "
आखिर में मैंने बुआ का नकली लंड बाँध कर अपनी और शानू की शादी भी कर दी। आखिर में मेरी गिनती दुबारा गलत हो गयी।
उस बाकि रात के सुहागरात के लिए आदिल भैया ने अपनी अम्मी को अपनी नै नवेली बीवी की तरह बाँहों में उठा कर उन्हें अपने कमरे की ओर चल दिए। अकबर चाचू बड़ी बेटी को अपनी वधु की तरह प्यार से उठाया और अपने कमरे की तरफ चल पड़े। मैंने अपनी बीवी उर्फ़ शानू को पकड़ा और अपने में कमरे में खींच के ले गयी।
उस रात तीनो कमरों में भीषण प्यार भरी चुदाई हुई। मैंने शानू की चूत और गांड मार मार कर उसे आखिर में आलम में ले जा कर ही सोई ।
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अगले दिनों में खूब चुदाई हुई। शब्बो बुआ ने अपने बेटे और भाई के साथ इकठ्ठे चूत और गांड मरवाई।
नूसी आपा ने भी ना नहीं किया। लेकिन दोनों महालण्डों को एक साथ लेने में उनका पसीना निकल गया।
आखिरकर में मेरी वापस जाने का दिन भी आ गया। उसके पहली रात में तीनो 'लड़कियों' शौहरों की दोनों लंडो को मेरे लिए छोड़ दिया। अकबर चाचू और आदिल भयइया ने उस रात मेरी चूत और गांड की की बुरी रौंदा। सुबह तक न केवल उन्होंने मेरे दोनों छेदों को बेदर्दी से रौंदा पर इकठ्ठे भी। मैं अगली सुबह टांगें चौड़ा कर चल रही थी।
हफ्ते बाद फ़ोन पे बात करते हुए शानू ने मुझे बताया की उस के बाद घर में दिन में तो सा जो हाथ पड़ता उसके साथ जोड़ा चुदाई करते पर रात में मैंने देखा की नूसी आपा और शब्बो बुआ अदला बदली से एक एक रात अपने 'नए 'शौहर ' के साथ बारी बारी से बितातीं। उस समय तो नहीं पता था पर कुछ महीनो बाद नूसी आपा और शब्बो बुआ दोनों पेट से होंगीं।