hotaks444
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जाल पार्ट--21
गतान्क से आगे.
समीर उसकी गंद को चूमते हुए उसकी पीठ पे आ गया था & अब उसके पूरे नंगे जिस्म पे हाथ फिराता हुआ चूम रहा था.समीर ने उसके कंधे को पकड़ उसे पलटा & बाहो मे भर उसे चूमने लगा.मदहोश रंभा पति का पूरा साथ दे रही थी.उसकी चूत मे अब बहुत कासक हो रही थी.समीर ने उसे चूमते हुए उसकी चूत मे दाए हाथ की उंगली घुसा दी & रगड़ने लगा.कुच्छ देर बाद वो अपनी उंगली उसके दाने पे गोल-2 घुमाने लगा.रंभा कमर हिलती बेसब्री से आहे भरती उसकी पकड़ मे छट-पटा रही थी.समीर ने चूत से हाथ खींचा & अपना मुँह वाहा ले गया.उसकी मस्त जाँघो को फैला वो चूत से बह आए रस को चाटने लगा.रंभा मस्ती मे बेचैन हो कमर उचकाने लगी.उसने दाई तरफ सर घुमाया तो उसकी नज़रे समीर के पास लटकते तने लंड से टकरा गयी.काली,चमकती झांतो से घिरा लंड 6 इंच लंबा था.उसका दिल तो किया उसे हाथ मे जाकड़ मुँह मे भर ले मगर अभी ऐसा करना उसे ठीक नही लगा.उस मदहोशी के आलम मे भी उसका दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था.उसने तय किया कि कुच्छ दिन बाद जब दोनो पूरी तरह 1 दूसरे से खुल जाएँगे तब वो अपने पति के लंड को जी भर के चुसेगी.अभी के लिए उसने अपने दिल पे पत्थर रख अपनी हसरत को दबा लिया.
समीर तब तक उसकी चूत चाटता रहा जब तक रंभा ने उसके सर को जाँघो के बीच भींच,चूत पे दबा,कमर उचकाती झाड़ ना गयी.समीर उसकी चूत से उठा & उसकी जाँघो को फैला उसके उपर लेट गया.उसका लंड रंभा की चूत पे दबा & उसका दिल किया कि अपने हाथो से खुद वो उसे अपनी तड़पति चूत का रास्ता दिखा दे लेकिन वो मजबूर थी.समीर भी अब चुदाई के लिए उतावला था.उसने जल्दी से 1 हाथ नीचे कर लंड को चूत मे घुसाया & उसकी कसावट से हैरत मे पड़ गया.उसे लगा की रंभा बिल्कुल कुँवारी है & उसका कुँवारापन दूर करने की ख़ुशनसीबी उसी के लंड को मिली है.इस बात से वो और जोश मे आ गया & 1 ज़ोर का धक्का दिया.रंभा धक्के की तेज़ी से कराही & समीर को लगा कि उसकी दुल्हन कुँवारी चूत मे पहली बार मर्दाने अंग के घुसने से दर्द महसूस कर रही है.
उसने रंभा के खूबसूरत चेहरे को हाथो मे भर के चूमते हुए उसे दिलासा दिया कि दर्द अभी ख़त्म हो जाएगा & रंभा उस से लिपटी मन ही मन हँसने लगी..इस से बड़े लंड वो अपनी चूत & गंद मे ले चुकी थी.उसे अब बस इस लंड से झड़ना ही था.उसने समीर की पीठ पे प्यार से हाथ फेरे & अपनी कमर उचकाई.उसका इशारा समझ समीर ने धक्के लगाने शुरू कर दिए.रंभा का सर बिस्तर के किनारे पे था & उसके बाल नीचे लटक रहे थे.उसने मस्ती मे सर को पीछे करते हुए अपनी टाँगे अपने पति की कमर पे कसी & उसकी पीठ मे नाख़ून धंसा दिए & नीचे से कमर उचकाने लगी.समीर भी उसकी कसी चूत मे लंड धंसाए ज़ोर-2 से धक्के लगा रहा था.
रंभा की चूत की कसक अब अपनी चरम पे थी.अपने पति को आगोश मे कसे वो आहे भरते हुए ज़ोर से चीखी & अपना सर बिस्तर से नीचे लटका दिया & झाड़ गयी.उस वक़्त उसकी चूत ने अपनी सिकुड़ने-फैलने की मस्तानी हरकत शुरू कर दी & समीर उस अंजाने,अनोखे एहसास से पागल हो उठा.उसके लंड पे चूत की पकड़ इतनी बढ़ गयी थी कि पूछो मत!वो रंभा के सीने से सर उपर उठाके ज़ोर से चीखा & उसका बदन झटके खाने लगा.उसका लंड अपना गाढ़ा,गर्म वीर्य अपनी दुल्हन की चूत मे छ्चोड़ रहा था.वो हानफते हुए उसकी मोटी चूचियो पे गिरा तो सुकून से भरी रंभा ने उसके सर को बाहो मे भर सीने पे और दबा दिया.ऐसे कोमल,खूबसूरत तकिये पे भला किसे नींद नही आएगी!समीर भी कुच्छ पॅलो मे वैसे ही अपनी बीवी की कसी चूचियो पे सर रखे नींद की गोद मे चला गया & उसके साथ-2 अपने आने वाली ज़िंदगी की खुशली के सपने देखती रंभा भी.
रंभा & समीर की शादी को 1 महीना बीत गया & इस महीने मे 2 & नये रिश्ते जुड़े & 2 पहले से ही जुड़े रिश्ते & मज़बूत हुए.पहला रिश्ता जुड़ा विजयंत मेहरा & उसकी सेक्रेटरी या फिर यू कहे उसकी कंपनी मे ब्रिज कोठारी की जासूस सोनम रौत का.सोनम आने अपनी सहेली से जो बात मज़ाक मे कही थी,उसपे अमल किया & 1 दिन अपने बॉस को कमीज़ के 2 बटन्स खोल,कुच्छ ज़्यादा झुकते हुए कॉफी पेश कर दी.
ह्सीन सोनम के साँवले अंगो की गोलाई देख विजयंत के अंदर उसे पाने की ललक जाग उठी & अब वो अपनी सेक्रेटरी के करीब आने की कोशिश करने लगा.सोनम तो यही चाहती ही थी & 1 दिन जब उसने देर तक काम करने के बाद थोड़ी थकान मेशसूस करते विजयंत को अपनी गर्दन सहलाते देखा तो वो उसके कंधे दबाने के बहाने उसके पीछे आ गयी & अपने कोमल हाथो से उसका दर्द दूर करने की कोशिश करने लगी.
उसके हाथो की च्छुअन ने विजयंत की वासना को जगा दिया & उसने उसका हाथ पकड़ के आगे खींचा तो वो लड़खड़ाती उसकी गोद मे गिर गयी.उसका बॉस इस तरह अचानक हमला करेगा ये सोनम ने सोचा भी नही था & उसकी निगाहें शर्म से झुक गयी.अपनी गंद के नीचे वो पल-2 कड़े होते विजयंत के लंड की हरकतें महसूस कर रही थी & उसका जिस्म भी गर्म होने लगा था.
वो थोड़ा सकूचाई,थोड़ी झिझकी लेकिन फिर उसने विजयंत के इसरार पे अपनी झिझक छ्चोड़ दी & उसकी बाहो मे समा गयी.उसके मज़बूत हाथ उसकी नंगी टाँगो से होते हुए उसकी स्कर्ट मे घुसने की कोशिश करने लगे तो उसके दिल मे मस्ती & खुशी की लहरें उठने लगी.विजयंत इस खेल का माहिर खिलाड़ी था & जब तक सोनम के कपड़े उतरे तब तक वो 1 बार झाड़ चुकी थी & बहुत मस्ती मे थी.
विजयंत के इशारे पे उसने अपने हाथो से अपने बॉस को नंगा किया & उसके तगड़े लंड को देखते ही उसपे टूट पड़ी.वो ज़मीन पे बैठ गयी & कुर्सी पे बैठे विजयंत के लंड को चूसने लगी.विजयंत उसके बँधे बालो को खोल उनमे उंगलिया फिराने लगा & मज़े मे आँखे बंद कर ली & आँखे बंद करते ही उसके ज़हन मे रंभा का हसीन चेहरा कौंध उठा & उसके दिल मे फिर से उसे पाने की हसरत जोकि अब कभी पूरी नही हो सकती थी,फिर से उठने लगी.
उसने कुच्छ गुस्से,कुच्छ बेबसी & कुच्छ जिस्म मे उठती मज़े की लहरो से आहत हो अपनी सेक्रेटरी का सर अपने लंड पे & झुका दिया.सोनम का पूरा मुँह लंड से भर गया & उसे सांस लेने मे तकलीफ़ होने लगी.उसने च्चटपटाए हुए अपना सर पीछे खींचा.विजयंत अब तक खुद पे काबू पा चुका था.
"सॉरी.तुम्हारे चूसने ने मुझे जोश से पागल कर दिया था.",सफाई से झूठ बोलते हुए उसने उसे अपने डेस्क पे बिठा दिया & अपनी कुर्सी आगे खींची & उसकी चूत पे अपनी ज़ुबान फिराने लगा.सोनम कभी पीछे अपने डेस्क को पकड़ती तो कभी अपने बॉस के बालो & कंधो को.किसी मर्द ने कभी इस तरह से उसकी चूत नही चॅटी थी,ब्रिज ने भी नही.विजयंत की ज़ुबान उसकी चूत से जैसे सारा रस पी लेना चाहती थी.सोनम को होश नही रहा की वो कितनी बार झड़ी,जब होश आया तो उसने खुद को डेस्क पे लेटे पाया.उसे पता नही था मगर झड़ने से निढाल हो वो खुद ही डेस्क पे लेट गयी थी.
चूत मे दर्द सा महसूस हुआ तो उसने आँखे खोली,विजयंत अपना मोटा,लंबा,तगड़ा लंड उसकी चूत मे घुसा रहा था.ऐसे लंड से चुदवाना तो दूर सोनम ने ऐसा लंड देखा भी नही था.उसने डेस्क के किनारे पकड़ लिए & च्चटपटाने लगी.लंड उसकी चूत को फैला रहा था,उसे दर्द हो रहा था लेकिन उसे ये लंड अपने अंदर चाहिए ही था!
विजयंत ने बहुत आराम से धीरे-2 लंड उसकी चूत मे घुसाया लेकिन पूरा नही.लंड का कुच्छ हिस्सा जान-बुझ के उसने बाहर छ्चोड़ रखा था क्यूकी उसे पता था कि पूरा लंड अंदर गया तो फिर चुदाई मे वक़्त ज़्यादा लगेगा.जब चुदाई शुरू हुई तो सोनम तो हवा मे उड़ने लगी.उसके जिस्म मे मस्ती & दिल मे खुशी इतनी भर गयी थी कि पूछो मत!
विजयंत खड़ा हो उसकी छातियो मसलता उसकी चुदाई कर रहा था लेकिन उसकी आँखो के सामने रंभा का ही चेहरा घूम रहा था.उसके धक्के तेज़ होते गये & सोनम की आहे भी & कुच्छ ही पॅलो बाद वो 1 आख़िरी बार झड़ी & अपनी चूत मे उसने अपने बॉस का गर्म वीर्य च्छूटता महसूस किया.सोनम को तो सुकून मिल गया था लेकिन विजयंत को सुकून नही था,उसके दिल मे आग भड़क रही थी जोकि केवल उसकी बहू के हुस्न की बारिश से ही शांत हो सकती थी.
ये थी शुरुआत इस रिश्ते की.इसके बाद जब भी मौका मिलता विजयंत उसे दफ़्तर मे या अपने होटेल सूयीट मे चोद देता था.
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दूसरा रिश्ता जो जुड़ा वो था ब्रिज & कामया का.जब ब्रिज ने ये सुना कि विजयंत मानपुर मे फिल्म सिटी बनाने वाला है उसके ज़हन मे भी इस धंधे मे उतरने की बात घूमने लगी थी.मन ही मन वो ये जानता था की विजयंत 1 बहुत समझदार & शातिर कारोबारी था & घाटे के सौदे मे हाथ नही डालता था.इतने दिनो से फिल्म प्रोड्यूस करने से उसे तजुर्बा हो गया था & फिल्म सिटी बनाने के बाद वो तो इस धंधे का बेताज बादशाह बन जाता!
तभी उसने सोचा कि वो भी फ़िल्मे बनाना शुरू कर दे ताकि जब मानपुर वाली ज़मीन उसके हाथो मे आए तो वाहा अपनी फिल्म सिटी बनाके वो विजयंत को 1 करारी हार दे.
फिल्म प्रोडक्षन शुरू करने से पहले उसने मंत्री से 1 बहुत ज़रूरी मुलाकात की,"नमस्कार,मंत्री जी!"
"नमस्कार कोठारी साहब.आइए बैठिए.",मंत्री के दफ़्तर मे दोनो सोफे पे बैठ गये तो ब्रिज ने पहले उनका हाल-चल पुचछा & फिर अपने साथ आए अपने 1 आदमी को सिहरा किया तो उसने 1 लिफ़ाफ़ा उसे थमाया.
"मंत्री जी,आपके इंजिनियरिंग कॉलेज के लिए 1 छ्होटी सी भेंट है.",मंत्री जी के होंठो पे चेक पे लिखी रकम लालच पूरा होने की खुशी से पैदा हुई मुस्कान चमक उठी.मंत्री जानता था का ये सब मानपुर का टेंडर पाने के लिए दिया जा रहा था पर उसे क्या तकलीफ़ होनी थी इस बात से!उसका तो फ़ायदा ही फ़ायदा था.ब्रिज ने बड़ी सफाई से मंत्री जी के इलाक़े,उनके कॉलेज से बात मानपुर की ओर घुमा दी,"..अब मंत्री जी,हमसे बेहतर काम कौन कर सकता है वाहा!..& फिर आप तो जानते ही हैं की आपके साथ मिलके काम करने को मैं कितना उतावला रहता हू."
"हां,कोठारी साहब..लेकिन अब सरकारी काम मे दखल तो मैं दूँगा नही..& पहले सरकार को टेंडर निकालने तो दीजिए..फिर रकमे भरी जाएँगी..उसके बाद..-"
"-..मंत्री जी,हम तो बस आपको जानते हैं..चलिए..अब चलता हू..अपनी बात तो मैने कह दी..आगे आप मालिक हैं.",ब्रिज ने उठके हाथ जोड़ दिए तो मंत्री भी उठ खड़ा हुआ & उसे कॅबिन के दरवाज़े तक छ्चोड़ने आया,उसके साथ आया आदमी बाहर निकला & मंत्री का पीए भी तो ब्रिज रुका & घूम के फिर से मंत्री से मुखातिब हुआ,"..मैने सुना है कि आप अपने कॉलेज के साथ 1 एमबीए का कॉलेज भी खोलना चाहते हैं..मंत्री जी..आगे बढ़ें & खोल दें..हम तो हैं ही आपकी सेवा मे खड़े हुए..अच्छा.नमस्कार!"
"सर,मेहरा & कोठारी..",मंत्री का पा ब्रिज को उसकी गाड़ी तक छ्चोड़ने के बाद वापस अपने बॉस के पास आ गया था,"..दोनो लगे हैं इस टेंडर के पीछे.वैसे 1 बात पुछु?",उसने अपनी जेब से पान निकाल उन्हे पान पेश किया.
"हूँ.",मंत्री जी ने उसके हाथो से गिलोरी ले मुँह मे डाली.
"आप किसपे मेहेरबान होंगे?",पीए च्छिच्चोरे ढंग से वैसी ह्नसी हंसा जैसे सिर्फ़ चम्चे हंस सकते हैं.
"अरे भाई..",मंत्री जी ने पान के रस का स्वाद लिया,"..जो ज़्यादा चढ़ावा चढ़ाएगा,प्रसाद तो उसी को देंगे ना!अब देखो कौन ज़्यादा दिलदार है!",& कॅबिन मे ठहाके गूँज उठे.
ब्रिज ने इसके बाद कुच्छ तजुर्बेकार लोगो को अपने साथ मिला के अपनी फिल्म कंपनी खोल ली & 1 बहुत माशूर डाइरेक्टर को साइन कर लिया.इस डाइरेक्टर की पिच्छली फिल्म को ना केवल जानकरो की वाह-वाही मिली थी बल्कि बॉक्स-ऑफीस पे भी इसने खूब धमाल मचाया था.इस वक़्त उसके पास 1 बहुत ज़ोरदार कहानी थी & 1 बहुत बड़ा सूपरस्टार उसके साथ अपनी आधी फीस पे काम करने को तैय्यार था.डाइरेक्टर हेरोयिन के लिए कामया को चाहता था & इसी सिलसिले मे ब्रिज & कामया की पहली मुलाकात हुई.कामया का दिल तो किया की फ़ौरन फिल्म साइन कर ले लेकिन उसे पता था कि उसके गॉडफादर & उसके आशिक़ विजयंत को उसका ब्रिज के साथ काम करना बिल्कुल पसन्द नही आएगा मगर यू इस तरह वो ऐसी बड़ी & शर्तिया हिट फिल्म को ठुकरा भी नही सकती थी.
"कोठारी साहब.."
"ब्रिज सिर्फ़ ब्रिज."
"ओके..ब्रिज..",वो शरमाते हुए हँसी.कामया तो मर्दो की फ़ितरत पे कितना लिख सकती थी & उसे उनकी ऐसी हर्कतो से कोई फ़र्क भी नही पड़ता था,उसे बस अपने फ़ायडे से मतलब था,"..मुझे बस 2 दिन का वक़्त दीजिए.अभी जो फिल्म मैं कर रही हू,उसमने थोड़ा वक़्त भी लग सकता है..बस मैं ये देख लू क़ी कितना वक़्त & लगेगा फिर मैं आपकी फिल्म साइन कर लूँगी."
"लगता है आप झिझक रही हैं,कामया जी?",ब्रिज मुस्कुराया.
"नही ब्रिज बिल्कुल नही & ये क्या मुझे मना किया & खुद मुझे कामया जी कह रहे हैं!",कामया ने इतराते हुए कहा.
"ओके..कामया तो फिर फ़ौरन साइन करने मे क्या परेशानी है तुम्हे?",ब्रिज के होटेल मे ये मीटिंग हो रही थी.दोनो बार के सामने स्टूल्स पे बैठे थे .बार खुलने का वक़्त अभी हुआ नही था & इसलिए उन दोनो के अलावा वाहा बस उनकी ड्रिंक्स बनाता 1 बारटेंडर ही था.ब्रिज ने बारटेंडर से लेके 1 मोकक्थाइल का ग्लास कामया को थमाया & खुद स्कॉच का 1 पेग उठाया,"तो योउ.",उसने उसके नाम का जाम उठाया.
"मैने जो कहा बस वही परेशानी है,ब्रिज मेरा भरोसा करो."
"ओके..मैं 2 दिन नही 4 दिन इंतेज़ार करूँगा मगर मुझे तुम्हारी हां सुननी है."
"ओके..बाबा!",कामया हँसी & बार पे रखे उसके हाथ पे अपना हाथ रख 1 घूँट भरा & पीते हुए ग्लास के उपर से 1 शोख निगाह ब्रिज पे डाली.ब्रिज ने भी उस से नज़र मिलाई & अपनी कोट की जेब मे हाथ डाला.
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क्रमशः.......
गतान्क से आगे.
समीर उसकी गंद को चूमते हुए उसकी पीठ पे आ गया था & अब उसके पूरे नंगे जिस्म पे हाथ फिराता हुआ चूम रहा था.समीर ने उसके कंधे को पकड़ उसे पलटा & बाहो मे भर उसे चूमने लगा.मदहोश रंभा पति का पूरा साथ दे रही थी.उसकी चूत मे अब बहुत कासक हो रही थी.समीर ने उसे चूमते हुए उसकी चूत मे दाए हाथ की उंगली घुसा दी & रगड़ने लगा.कुच्छ देर बाद वो अपनी उंगली उसके दाने पे गोल-2 घुमाने लगा.रंभा कमर हिलती बेसब्री से आहे भरती उसकी पकड़ मे छट-पटा रही थी.समीर ने चूत से हाथ खींचा & अपना मुँह वाहा ले गया.उसकी मस्त जाँघो को फैला वो चूत से बह आए रस को चाटने लगा.रंभा मस्ती मे बेचैन हो कमर उचकाने लगी.उसने दाई तरफ सर घुमाया तो उसकी नज़रे समीर के पास लटकते तने लंड से टकरा गयी.काली,चमकती झांतो से घिरा लंड 6 इंच लंबा था.उसका दिल तो किया उसे हाथ मे जाकड़ मुँह मे भर ले मगर अभी ऐसा करना उसे ठीक नही लगा.उस मदहोशी के आलम मे भी उसका दिमाग़ तेज़ी से काम कर रहा था.उसने तय किया कि कुच्छ दिन बाद जब दोनो पूरी तरह 1 दूसरे से खुल जाएँगे तब वो अपने पति के लंड को जी भर के चुसेगी.अभी के लिए उसने अपने दिल पे पत्थर रख अपनी हसरत को दबा लिया.
समीर तब तक उसकी चूत चाटता रहा जब तक रंभा ने उसके सर को जाँघो के बीच भींच,चूत पे दबा,कमर उचकाती झाड़ ना गयी.समीर उसकी चूत से उठा & उसकी जाँघो को फैला उसके उपर लेट गया.उसका लंड रंभा की चूत पे दबा & उसका दिल किया कि अपने हाथो से खुद वो उसे अपनी तड़पति चूत का रास्ता दिखा दे लेकिन वो मजबूर थी.समीर भी अब चुदाई के लिए उतावला था.उसने जल्दी से 1 हाथ नीचे कर लंड को चूत मे घुसाया & उसकी कसावट से हैरत मे पड़ गया.उसे लगा की रंभा बिल्कुल कुँवारी है & उसका कुँवारापन दूर करने की ख़ुशनसीबी उसी के लंड को मिली है.इस बात से वो और जोश मे आ गया & 1 ज़ोर का धक्का दिया.रंभा धक्के की तेज़ी से कराही & समीर को लगा कि उसकी दुल्हन कुँवारी चूत मे पहली बार मर्दाने अंग के घुसने से दर्द महसूस कर रही है.
उसने रंभा के खूबसूरत चेहरे को हाथो मे भर के चूमते हुए उसे दिलासा दिया कि दर्द अभी ख़त्म हो जाएगा & रंभा उस से लिपटी मन ही मन हँसने लगी..इस से बड़े लंड वो अपनी चूत & गंद मे ले चुकी थी.उसे अब बस इस लंड से झड़ना ही था.उसने समीर की पीठ पे प्यार से हाथ फेरे & अपनी कमर उचकाई.उसका इशारा समझ समीर ने धक्के लगाने शुरू कर दिए.रंभा का सर बिस्तर के किनारे पे था & उसके बाल नीचे लटक रहे थे.उसने मस्ती मे सर को पीछे करते हुए अपनी टाँगे अपने पति की कमर पे कसी & उसकी पीठ मे नाख़ून धंसा दिए & नीचे से कमर उचकाने लगी.समीर भी उसकी कसी चूत मे लंड धंसाए ज़ोर-2 से धक्के लगा रहा था.
रंभा की चूत की कसक अब अपनी चरम पे थी.अपने पति को आगोश मे कसे वो आहे भरते हुए ज़ोर से चीखी & अपना सर बिस्तर से नीचे लटका दिया & झाड़ गयी.उस वक़्त उसकी चूत ने अपनी सिकुड़ने-फैलने की मस्तानी हरकत शुरू कर दी & समीर उस अंजाने,अनोखे एहसास से पागल हो उठा.उसके लंड पे चूत की पकड़ इतनी बढ़ गयी थी कि पूछो मत!वो रंभा के सीने से सर उपर उठाके ज़ोर से चीखा & उसका बदन झटके खाने लगा.उसका लंड अपना गाढ़ा,गर्म वीर्य अपनी दुल्हन की चूत मे छ्चोड़ रहा था.वो हानफते हुए उसकी मोटी चूचियो पे गिरा तो सुकून से भरी रंभा ने उसके सर को बाहो मे भर सीने पे और दबा दिया.ऐसे कोमल,खूबसूरत तकिये पे भला किसे नींद नही आएगी!समीर भी कुच्छ पॅलो मे वैसे ही अपनी बीवी की कसी चूचियो पे सर रखे नींद की गोद मे चला गया & उसके साथ-2 अपने आने वाली ज़िंदगी की खुशली के सपने देखती रंभा भी.
रंभा & समीर की शादी को 1 महीना बीत गया & इस महीने मे 2 & नये रिश्ते जुड़े & 2 पहले से ही जुड़े रिश्ते & मज़बूत हुए.पहला रिश्ता जुड़ा विजयंत मेहरा & उसकी सेक्रेटरी या फिर यू कहे उसकी कंपनी मे ब्रिज कोठारी की जासूस सोनम रौत का.सोनम आने अपनी सहेली से जो बात मज़ाक मे कही थी,उसपे अमल किया & 1 दिन अपने बॉस को कमीज़ के 2 बटन्स खोल,कुच्छ ज़्यादा झुकते हुए कॉफी पेश कर दी.
ह्सीन सोनम के साँवले अंगो की गोलाई देख विजयंत के अंदर उसे पाने की ललक जाग उठी & अब वो अपनी सेक्रेटरी के करीब आने की कोशिश करने लगा.सोनम तो यही चाहती ही थी & 1 दिन जब उसने देर तक काम करने के बाद थोड़ी थकान मेशसूस करते विजयंत को अपनी गर्दन सहलाते देखा तो वो उसके कंधे दबाने के बहाने उसके पीछे आ गयी & अपने कोमल हाथो से उसका दर्द दूर करने की कोशिश करने लगी.
उसके हाथो की च्छुअन ने विजयंत की वासना को जगा दिया & उसने उसका हाथ पकड़ के आगे खींचा तो वो लड़खड़ाती उसकी गोद मे गिर गयी.उसका बॉस इस तरह अचानक हमला करेगा ये सोनम ने सोचा भी नही था & उसकी निगाहें शर्म से झुक गयी.अपनी गंद के नीचे वो पल-2 कड़े होते विजयंत के लंड की हरकतें महसूस कर रही थी & उसका जिस्म भी गर्म होने लगा था.
वो थोड़ा सकूचाई,थोड़ी झिझकी लेकिन फिर उसने विजयंत के इसरार पे अपनी झिझक छ्चोड़ दी & उसकी बाहो मे समा गयी.उसके मज़बूत हाथ उसकी नंगी टाँगो से होते हुए उसकी स्कर्ट मे घुसने की कोशिश करने लगे तो उसके दिल मे मस्ती & खुशी की लहरें उठने लगी.विजयंत इस खेल का माहिर खिलाड़ी था & जब तक सोनम के कपड़े उतरे तब तक वो 1 बार झाड़ चुकी थी & बहुत मस्ती मे थी.
विजयंत के इशारे पे उसने अपने हाथो से अपने बॉस को नंगा किया & उसके तगड़े लंड को देखते ही उसपे टूट पड़ी.वो ज़मीन पे बैठ गयी & कुर्सी पे बैठे विजयंत के लंड को चूसने लगी.विजयंत उसके बँधे बालो को खोल उनमे उंगलिया फिराने लगा & मज़े मे आँखे बंद कर ली & आँखे बंद करते ही उसके ज़हन मे रंभा का हसीन चेहरा कौंध उठा & उसके दिल मे फिर से उसे पाने की हसरत जोकि अब कभी पूरी नही हो सकती थी,फिर से उठने लगी.
उसने कुच्छ गुस्से,कुच्छ बेबसी & कुच्छ जिस्म मे उठती मज़े की लहरो से आहत हो अपनी सेक्रेटरी का सर अपने लंड पे & झुका दिया.सोनम का पूरा मुँह लंड से भर गया & उसे सांस लेने मे तकलीफ़ होने लगी.उसने च्चटपटाए हुए अपना सर पीछे खींचा.विजयंत अब तक खुद पे काबू पा चुका था.
"सॉरी.तुम्हारे चूसने ने मुझे जोश से पागल कर दिया था.",सफाई से झूठ बोलते हुए उसने उसे अपने डेस्क पे बिठा दिया & अपनी कुर्सी आगे खींची & उसकी चूत पे अपनी ज़ुबान फिराने लगा.सोनम कभी पीछे अपने डेस्क को पकड़ती तो कभी अपने बॉस के बालो & कंधो को.किसी मर्द ने कभी इस तरह से उसकी चूत नही चॅटी थी,ब्रिज ने भी नही.विजयंत की ज़ुबान उसकी चूत से जैसे सारा रस पी लेना चाहती थी.सोनम को होश नही रहा की वो कितनी बार झड़ी,जब होश आया तो उसने खुद को डेस्क पे लेटे पाया.उसे पता नही था मगर झड़ने से निढाल हो वो खुद ही डेस्क पे लेट गयी थी.
चूत मे दर्द सा महसूस हुआ तो उसने आँखे खोली,विजयंत अपना मोटा,लंबा,तगड़ा लंड उसकी चूत मे घुसा रहा था.ऐसे लंड से चुदवाना तो दूर सोनम ने ऐसा लंड देखा भी नही था.उसने डेस्क के किनारे पकड़ लिए & च्चटपटाने लगी.लंड उसकी चूत को फैला रहा था,उसे दर्द हो रहा था लेकिन उसे ये लंड अपने अंदर चाहिए ही था!
विजयंत ने बहुत आराम से धीरे-2 लंड उसकी चूत मे घुसाया लेकिन पूरा नही.लंड का कुच्छ हिस्सा जान-बुझ के उसने बाहर छ्चोड़ रखा था क्यूकी उसे पता था कि पूरा लंड अंदर गया तो फिर चुदाई मे वक़्त ज़्यादा लगेगा.जब चुदाई शुरू हुई तो सोनम तो हवा मे उड़ने लगी.उसके जिस्म मे मस्ती & दिल मे खुशी इतनी भर गयी थी कि पूछो मत!
विजयंत खड़ा हो उसकी छातियो मसलता उसकी चुदाई कर रहा था लेकिन उसकी आँखो के सामने रंभा का ही चेहरा घूम रहा था.उसके धक्के तेज़ होते गये & सोनम की आहे भी & कुच्छ ही पॅलो बाद वो 1 आख़िरी बार झड़ी & अपनी चूत मे उसने अपने बॉस का गर्म वीर्य च्छूटता महसूस किया.सोनम को तो सुकून मिल गया था लेकिन विजयंत को सुकून नही था,उसके दिल मे आग भड़क रही थी जोकि केवल उसकी बहू के हुस्न की बारिश से ही शांत हो सकती थी.
ये थी शुरुआत इस रिश्ते की.इसके बाद जब भी मौका मिलता विजयंत उसे दफ़्तर मे या अपने होटेल सूयीट मे चोद देता था.
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दूसरा रिश्ता जो जुड़ा वो था ब्रिज & कामया का.जब ब्रिज ने ये सुना कि विजयंत मानपुर मे फिल्म सिटी बनाने वाला है उसके ज़हन मे भी इस धंधे मे उतरने की बात घूमने लगी थी.मन ही मन वो ये जानता था की विजयंत 1 बहुत समझदार & शातिर कारोबारी था & घाटे के सौदे मे हाथ नही डालता था.इतने दिनो से फिल्म प्रोड्यूस करने से उसे तजुर्बा हो गया था & फिल्म सिटी बनाने के बाद वो तो इस धंधे का बेताज बादशाह बन जाता!
तभी उसने सोचा कि वो भी फ़िल्मे बनाना शुरू कर दे ताकि जब मानपुर वाली ज़मीन उसके हाथो मे आए तो वाहा अपनी फिल्म सिटी बनाके वो विजयंत को 1 करारी हार दे.
फिल्म प्रोडक्षन शुरू करने से पहले उसने मंत्री से 1 बहुत ज़रूरी मुलाकात की,"नमस्कार,मंत्री जी!"
"नमस्कार कोठारी साहब.आइए बैठिए.",मंत्री के दफ़्तर मे दोनो सोफे पे बैठ गये तो ब्रिज ने पहले उनका हाल-चल पुचछा & फिर अपने साथ आए अपने 1 आदमी को सिहरा किया तो उसने 1 लिफ़ाफ़ा उसे थमाया.
"मंत्री जी,आपके इंजिनियरिंग कॉलेज के लिए 1 छ्होटी सी भेंट है.",मंत्री जी के होंठो पे चेक पे लिखी रकम लालच पूरा होने की खुशी से पैदा हुई मुस्कान चमक उठी.मंत्री जानता था का ये सब मानपुर का टेंडर पाने के लिए दिया जा रहा था पर उसे क्या तकलीफ़ होनी थी इस बात से!उसका तो फ़ायदा ही फ़ायदा था.ब्रिज ने बड़ी सफाई से मंत्री जी के इलाक़े,उनके कॉलेज से बात मानपुर की ओर घुमा दी,"..अब मंत्री जी,हमसे बेहतर काम कौन कर सकता है वाहा!..& फिर आप तो जानते ही हैं की आपके साथ मिलके काम करने को मैं कितना उतावला रहता हू."
"हां,कोठारी साहब..लेकिन अब सरकारी काम मे दखल तो मैं दूँगा नही..& पहले सरकार को टेंडर निकालने तो दीजिए..फिर रकमे भरी जाएँगी..उसके बाद..-"
"-..मंत्री जी,हम तो बस आपको जानते हैं..चलिए..अब चलता हू..अपनी बात तो मैने कह दी..आगे आप मालिक हैं.",ब्रिज ने उठके हाथ जोड़ दिए तो मंत्री भी उठ खड़ा हुआ & उसे कॅबिन के दरवाज़े तक छ्चोड़ने आया,उसके साथ आया आदमी बाहर निकला & मंत्री का पीए भी तो ब्रिज रुका & घूम के फिर से मंत्री से मुखातिब हुआ,"..मैने सुना है कि आप अपने कॉलेज के साथ 1 एमबीए का कॉलेज भी खोलना चाहते हैं..मंत्री जी..आगे बढ़ें & खोल दें..हम तो हैं ही आपकी सेवा मे खड़े हुए..अच्छा.नमस्कार!"
"सर,मेहरा & कोठारी..",मंत्री का पा ब्रिज को उसकी गाड़ी तक छ्चोड़ने के बाद वापस अपने बॉस के पास आ गया था,"..दोनो लगे हैं इस टेंडर के पीछे.वैसे 1 बात पुछु?",उसने अपनी जेब से पान निकाल उन्हे पान पेश किया.
"हूँ.",मंत्री जी ने उसके हाथो से गिलोरी ले मुँह मे डाली.
"आप किसपे मेहेरबान होंगे?",पीए च्छिच्चोरे ढंग से वैसी ह्नसी हंसा जैसे सिर्फ़ चम्चे हंस सकते हैं.
"अरे भाई..",मंत्री जी ने पान के रस का स्वाद लिया,"..जो ज़्यादा चढ़ावा चढ़ाएगा,प्रसाद तो उसी को देंगे ना!अब देखो कौन ज़्यादा दिलदार है!",& कॅबिन मे ठहाके गूँज उठे.
ब्रिज ने इसके बाद कुच्छ तजुर्बेकार लोगो को अपने साथ मिला के अपनी फिल्म कंपनी खोल ली & 1 बहुत माशूर डाइरेक्टर को साइन कर लिया.इस डाइरेक्टर की पिच्छली फिल्म को ना केवल जानकरो की वाह-वाही मिली थी बल्कि बॉक्स-ऑफीस पे भी इसने खूब धमाल मचाया था.इस वक़्त उसके पास 1 बहुत ज़ोरदार कहानी थी & 1 बहुत बड़ा सूपरस्टार उसके साथ अपनी आधी फीस पे काम करने को तैय्यार था.डाइरेक्टर हेरोयिन के लिए कामया को चाहता था & इसी सिलसिले मे ब्रिज & कामया की पहली मुलाकात हुई.कामया का दिल तो किया की फ़ौरन फिल्म साइन कर ले लेकिन उसे पता था कि उसके गॉडफादर & उसके आशिक़ विजयंत को उसका ब्रिज के साथ काम करना बिल्कुल पसन्द नही आएगा मगर यू इस तरह वो ऐसी बड़ी & शर्तिया हिट फिल्म को ठुकरा भी नही सकती थी.
"कोठारी साहब.."
"ब्रिज सिर्फ़ ब्रिज."
"ओके..ब्रिज..",वो शरमाते हुए हँसी.कामया तो मर्दो की फ़ितरत पे कितना लिख सकती थी & उसे उनकी ऐसी हर्कतो से कोई फ़र्क भी नही पड़ता था,उसे बस अपने फ़ायडे से मतलब था,"..मुझे बस 2 दिन का वक़्त दीजिए.अभी जो फिल्म मैं कर रही हू,उसमने थोड़ा वक़्त भी लग सकता है..बस मैं ये देख लू क़ी कितना वक़्त & लगेगा फिर मैं आपकी फिल्म साइन कर लूँगी."
"लगता है आप झिझक रही हैं,कामया जी?",ब्रिज मुस्कुराया.
"नही ब्रिज बिल्कुल नही & ये क्या मुझे मना किया & खुद मुझे कामया जी कह रहे हैं!",कामया ने इतराते हुए कहा.
"ओके..कामया तो फिर फ़ौरन साइन करने मे क्या परेशानी है तुम्हे?",ब्रिज के होटेल मे ये मीटिंग हो रही थी.दोनो बार के सामने स्टूल्स पे बैठे थे .बार खुलने का वक़्त अभी हुआ नही था & इसलिए उन दोनो के अलावा वाहा बस उनकी ड्रिंक्स बनाता 1 बारटेंडर ही था.ब्रिज ने बारटेंडर से लेके 1 मोकक्थाइल का ग्लास कामया को थमाया & खुद स्कॉच का 1 पेग उठाया,"तो योउ.",उसने उसके नाम का जाम उठाया.
"मैने जो कहा बस वही परेशानी है,ब्रिज मेरा भरोसा करो."
"ओके..मैं 2 दिन नही 4 दिन इंतेज़ार करूँगा मगर मुझे तुम्हारी हां सुननी है."
"ओके..बाबा!",कामया हँसी & बार पे रखे उसके हाथ पे अपना हाथ रख 1 घूँट भरा & पीते हुए ग्लास के उपर से 1 शोख निगाह ब्रिज पे डाली.ब्रिज ने भी उस से नज़र मिलाई & अपनी कोट की जेब मे हाथ डाला.
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क्रमशः.......