hotaks444
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कुछ देर में डॉक्टर सिक्सी आ गए उन्होंने राज का घाव देखा और फिर उन्हें इस घाव के ऊपर एक और घाव भी नजर आया जहां राज को चाकू लगा था। यह मामूली घाव था मगर एक चाकू का घाव था, राफिया की नजर नहीं पड़ी थी उस पर, डॉक्टर सिक्सी ने आगे ऊपर तक राज की पेंट को काट दिया और वहाँ भी मरहम पट्टी कर दी, उसके बाद राज को कुछ पैन किलर गोलियाँ दी और संक्रमण से बचने के लिए एंटीबायोटिक गोलियां भी दी और आराम करने की सलाह देकर चला गया जबकि राफिया और राज अब बैठ कर बातें कर रहे थे, राज बेड के साथ टेक लगा कर बैठा था और राफिया अपने और अपने पापा कर्नल इरफ़ान के बारे में राज को बता रही थी। राज ने राफिया के पापा पेशे के बारे में पूछना शुरू किया क्योंकि राज का मूल उद्देश्य तो कर्नल इरफ़ान के प्लान के बारे में पता लगा ना था।
राफिया ने बताया कि मेरे पापा ने दुश्मन देश की खुफिया एजेंसियों की नाक में दम कर रखा है। वह आज तक पापा को पकड़ नहीं सके पापा इंडिया भी जाते हैं, वहां की राज धानी में एक राज नीतिक दल पापा का हमेशा वेलकम करता है और पापा से भारी मदद लेकर अपने ही देश में आतंकवाद की वारदादतें करते हैं। इसके अलावा पापा वहाँ के लोगों को आपस में लड़ाते हैं और सुरक्षा बल कुछ नहीं कर सकते
न उन्हें कभी पापा के खिलाफ कोई सबूत मिला है और न ही वह कभी इस बात का पता लगा सके हैं कि पापा आख़िर इंडिया क्या करने जाते हैं, वे समझते हैं कि पापा वहाँ इंडियन परमाणु संपत्ति की जानकारी के लिए जाते हैं, लेकिन वे हमारे देश के लिए खतरा नहीं इसलिए हमें उनकी जानकारी भी नहीं मगर पापा का मूल उद्देश्य तो कुछ और ही है उसके बारे में इंडिया आज तक पता नहीं लगा पाया?
मेजर राज ने हैरानगी दिखाते हुए और राफिया के पापा की क्षमताओं से प्रभावित होते हुए पूछा कि उनका मूल मिशन है क्या ??? तो राफिया ने कहा कि वह तो मुझे भी नहीं पता बस इतना पता है कि इंडिया अपनी परमाणु संपत्ति पापा से बचाने में लगी रहती है मगर पापा वहां जाकर अपना काम कर आराम से वापस आ जाते हैं और उन्हें कानों कान खबर नहीं होती कि आख़िर पापा वहाँ क्या करने वाले थे। फिर राफिया ने मेजर राज को अपने पापा की बहादुरी के कुछ किस्से सुनाए और हर किस्से में मेजर राज प्रभावित होने की एक्टिंग करता रहा और मन में सोचने लगा कि अब ज्यादा देर तक कर्नल इरफ़ान इंडिया की गुप्तचरएजेंसियों की आंखों में धूल नहीं झोंक सकेगा, जल्द भारत की खुफिया एजेंसी इस कर्नल इरफ़ान जैसे चूहे को अपने पांवों तले रौंद देगी जिसे इतना भी नहीं मालूम कि जिस व्यक्ति को वह मुल्तान और जामनगर में देख रहा है वह उसके अपने घर में उसकी इकलौती बेटी के बेड रूम में मौजूद है।
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मेजर राज के कहने पर समीरा ने राफिया के पास जा कर उसे हल्का सा कंधा मारा तो उसके हाथ में मौजूद जाम और व्हिस्की राफिया के कपड़ों पर गिर गया, राफिया ने गुस्से से धक्का देने वाले को देखा मगर उसकी नज़र समीरा पर पड़ी तो उसका गुस्सा ठंडा हो गया क्योंकि वह अभी कुछ ही देर पहले समीरा का धमाकेदार डांस देख कर उसे दाद दे चुकी थी, समीरा ने भी क्षमा माँगने सी शक्ल बना ली, राफिया के साथ मौजूद अराज ने राफिया के प्रति वफादारी का सबूत देने को समीरा को डांटा शुरू किया तो राफिया ने रोक दिया और ओके ठीक है कहती हुई अराज का हाथ पकड़ कर बाहर आ गई।
समीरा अभी नाइट क्लब में ही मौजूद थी और सुभाष शौचालय में अपने कपड़ों पर गिरी व्हिस्की साफ करने के लिए गया हुआ था, समीरा को अभी फैसला करना मुश्किल हो रहा था कि वह यहीं रहकर सुभाष का इंतजार करे या फिर उसे बाहर निकलकर राफिया के अपहरण की कोशिश और मेजर राज का उसको बचाने के लिए मैदान में कूदने का लाइव दृश्य देखना चाहिए। अंततः समीरा ने सोचा कि आज मेजर राज को एक्शन में देखना चाहिए और वह सुभाष का इंतजार किए बिना ही नाइट क्लब से निकल गई। नाइट क्लब से निकलते ही समीरा को उसकी गाड़ी सामने ही मिल गई और एक वेले ने अपने दांत चमकाते हुए समीरा की गाड़ी की चाबी बढ़ाई, समीरा ने वेले को पर्स से कुछ पैसे निकालकर टिप के रूप में दिए और कार ड्राइव करती हुई भीड़ से थोड़ा दूर ले जाकर पार्क कर दिया, यहां से वह स्पष्ट रूप से देख सकती थी कि राफिया को कुछ गुंडों पकड़ रखा है और वहाँ मौजूद भीड़ में से किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़कर एक लड़की की मदद कर सके। समीरा को मेजर राज भी कहीं नज़र नहीं आ रहा था। वह सोचने लगी कि पता नहीं राज ने उसे सच बोला था या वे वास्तव में राफिया का अपहरण करवाना चाहता है।
लेकिन फिर उसकी ये कन्फ्यूजन दूर हो गई जब भीड़ के बीच से मेजर राज आता दिखाई दिया जो गुंडों को कह रहा था कि लड़की को छोड़ दो इस बेचारी का क्या दोष है। और फिर देखते ही देखते मेजर राज ने कैसे उन चार गुंडों पर हमला किया और बिना किसी हथियार के उन चार गुण्डों से राफिया को छुड़ा कर ले गया, यह सब कुछ समीरा के लिए अद्भुत नज़ारा था। इससे पहले उसने अमजद और दूसरे साथियों को लड़ते देखा था मगर इतनी फुर्ती और कौशल किसी में नहीं थी, सबसे ज़्यादा जिस बात ने समीरा को प्रभावित किया वह मेजर का अपने ऊपर नियंत्रण था, उसने तब तक कोई हमला नहीं किया जब तक उस गुंडे ने राफिया के गले से अपना खंजर नहीं हटा लिया, तो इससे पहले मेजर राज किसी भी प्रकार का एक्शन लेता तो गंभीर खतरा था कि राफिया को नुकसान पहुंचता मेजर राज के ध्यान और धैर्य की वजह से ऐसा नहीं हुआ, उसने सही मौके का इंतजार किया और मौका मिलते ही बिजली की सी तेजी से चारों गुण्डों को बेबस कर दिया। इस दौरान समीरा ने देखा कि मेजर राज के पैर में चाकू भी लगा है, यह दृश्य देखकर समीरा को अपना दिल डूबता हुआ महसूस होने लगा, वह चाहती थी कि किसी तरह भागकर मेजर के पास जाए और उसकी मरहम पट्टी कर उसकी सेवा करे मगर ऐसे मौके पर उसको अपने ऊपर नियंत्रण रखना था वरना मेजर और राफिया के साथ साथ खुद समीरा भी मुश्किल में फंस सकती थी।
जब मेजर राफिया की कार में राफिया को वहां से ले गया तो वहां मौजूद लोगों की शक्ति भी जागने लगी और उन्होंने उन गुंडों पर थपड़ों और लातों की बारिश कर दी, हर किसी ने इस काम में अपना योगदान दिया और गुंडों को बुरा भला कहते हुए और मेजर राज जो उनके लिए अनजान था उसकी बहादुरी और साहस मंदी की सराहना करते हुए वहां से खिसकने लगे। चारों गुंडे अपनी अपनी जगह मौजूद कराह रहे थे उनमें उठने की भी हिम्मत नहीं थी समीरा ने भी कार को गियर में डाल दिया और तेजी के साथ वहां से निकल गई जबकि सुभाष समीरा को नाइट क्लब में ढूंढने के बाद बाहर आ चुका था वह इतनी सेक्सी और चिकनी लड़की हाथ से नहीं जाने देना चाहता था उसका इरादा था कि वह आज रात अंजलि के मस्त शरीर के साथ खेलते हुए बिताए मगर यह चिड़िया उसके हाथ से निकल गई, उसने बस समीरा को कार में बैठे वहां से निकलते हुए देखा एक पल के लिए सोचा था कि वह समीरा के पीछे जाए मगर जितनी देर में उसको वहां से कार निकालने में लगती तब तक समीरा बहुत दूर निकल चुकी होती, इसलिए सुभाष ने इस कार्यक्रम को कैंसिल किया और अपना सा मुंह बनाकर वापस अपने घर की ओर चल दिया।
अमजद और काशफ गैस पंप से निकलने के बाद सीधे जामनगर शहर में प्रवेश कर गए। इस दौरान अमजद ने फिर से अपना हुलिया बदल लिया था, पगड़ी उतार कर उसने रास्ते में आने वाले एक गंदे नाले में फेंक दी थी और अपने बालों में फिर से कंघी कर लिया था जबकि काशफ का भी हुलिया ठीक कर दिया गया था ताकि कोई उसे मेजर राज समझ कर पकड़ ही न ले। शहर में प्रवेश करने के बाद अमजद का रुख एक थाने की ओर था, यह एक छोटा सा थाना था जहां आम तौर पर ज़्यादा पुलिस मौजूद नहीं होती थी। अमजद का इरादा अब यहां हमला करने का था, थाने से कोई 2 किलोमीटर पहले अमजद एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक कर खड़ा हो गया और किसी को फोन पर अपनी लोकेशन के बारे में बताने लगा। काफी देर के इंतजार के बाद वहाँ अमजद एक वैन आती दिखाई दी। जब वैन करीब आ गई तब अमजद गाड़ी से उतर कर वैन की तरफ चलने लगा, वैन से भी 2 आदमी उतरे, उन्होंने अमजद को सलाम किया और अमजद से कार की चाबी लेकर अमजद की कार में बैठ गए जबकि काशफ और अमजद अब वैन में बैठे थे जिसमें पीछे 2 लोग और भी थे, अमजद और काशफ को इन दोनों ने सलाम किया और अमजद कार ड्राइव करते हुए थाने की ओर बढ़ने लगा।
थाने से 500 मीटर पहले पुलिस चेक पोस्ट पर अमजद को रुकने का इशारा किया गया जहां पाकिस्तानी पुलिस के 2 जवान मौजूद थे। गाड़ी रुकवा कर उनमें से एक जवान गाड़ी की ओर आने लगा तो अमजद अपनी ड्राइविंग सीट से नीचे उतर आया और आने वाले जवान से हाथ मिलाकर खिसियानी हंसी हंसते हुए पंजाबी में बोलने लगा कि साहब मेरे पास लाइसेंस नहीं है कुछ ले दे कर मामला रफा-दफा करो। वैसे तो पुलिस मैन गाड़ी की जाँच करने आया था मगर अमजद ने उस पर ऐसा ज़बरदस्त वार किया कि वह गाड़ी की जाँच करना भूल गया और अमजद को लाइसेंस के महत्व पर व्याख्यान देने लग गया। अमजद भी शर्मिंदा सा मुंह बनाकर हां हां करता रहा, वह भी जानता था कि यह व्याख्यान तो बहाना है वास्तव में संतरी साहब को पता लग गया कि उनके पास लाइसेंस नहीं है तो अब वह पैसे कमाने के चक्कर में है।
अमजद ने भी व्याख्यान के दौरान ही उसकी बात काटी और जेब में हाथ डाल कर 100 का नोट निकाला और पुलिस वाले के हाथ मे थमाते हुए बोला साब आगे से ध्यान रखूँगा जी बस अब जरा जल्दी में हैं ध्यान करें। पुलिस वाले ने 100 का नोट देखा और अमजद को गाली देते हुए बोला एक तो तेरे पास लाइसेंस नहीं है ऊपर से हमें 100 मे टरका रहा है, हमारे भी बाल बच्चे हैं हमे भी उनको पालना है चल जल्दी से जेब ढीली कर, वैसे तो 1000 का चालान होता 500 दे और चलता बन इधर से। अमजद ने जेब से 100 के दो नोट और निकाले और उसे देते हुए बोला कि पूरा दिन कोई सवारी नहीं मिली बस यही कुछ है गुज़रा कर लो। पुलिस वाले ने 100, 100 के तीन नोट जेब में डाले और अमजद को खिसकने का इशारा किया, अमजद ने तुरंत गाड़ी चलाई और थाने की ओर चल दिया जबकि दूसरा पुलिसकर्मी दौड़कर अपने साथी के पास गया और रिश्वत के पैसे में से अपना हिस्सा लेकर अगले शिकार का इंतजार करने लगा।
थाने के पास पहुंचकर उसके गेट पर अमजद ने फिर रुकने का इशारा किया, लेकिन इस बार वैन का शीशा खुला और उसमें से एक एके -47 निकली और सामने मौजूद पुलिसवालों पर तड़ तड़ की आवाज के साथ गोलियों की बौछार हो गई । अमजद सामने मौजूद बाधाओं की परवाह किए बिना गाड़ी को थाने के अंदर ले गया जहां मौजूद एक थानेदार और 2 सिपाही इस हमले से अनजान खुश गप्पियो में व्यस्त थे। अमजद और उसके साथियों ने उन पर भी गोलियों की वर्षा कर दी, कुछ ही पल बाद पुलिसकर्मियों के शव थाने की सीमा में खून से लथपथ पड़े थे अमजद ने तुरंत नियंत्रण कक्ष से चाबी ली और वहां मौजूद एक लॉकर से अपने कुछ साथियों को छुड़ाकर वेन में बिठाया और तुरंत गाड़ी रिवर्स करते हुए थाने से निकले और दूसरी ओर चल दिए जहां चेक पोस्ट पर मौजूद पुलिसकर्मी गोलियों की आवाज सुनकर अपनी बंदूक उठाए थाने से दूर भाग रहा था वह जान गया था कि थाने पर हमला हुआ है ऐसे में बहादुरी का सबूत देने की बजाय वह होशियार किया और चेक पोस्ट छोड़कर वहाँ से दूर भागने लगा। अमजद भागते पुलिसकर्मी को देखकर मुस्कुराया और कार को स्पीड से चलाता हुआ शहर से बाहर जाने लगा।
शहर से बाहर निकलते हुए अमजद को आर्मी के वाहनों का एक छोटा काफिला शहर में प्रवेश होता हुआ नजर आया, अमजद समझ गया था कि मेजर राज के जामनगर में मौजूद होने की जानकारी कर्नल इरफ़ान तक पहुँच चुकी है और अब वह अपने लाओ लश्कर के साथ जामनगर पहुंच गया है, जहां वो वास्तव में उसी गैस स्टेशन पर भी गया होगा जहां जामनगर में प्रवेश करने से पहले अमजद और काशफ रुके थे और दुकानदार को अपना दर्शन करवाया था ताकि मेजर राज के जामनगर में मौजूद होने की झूठी खबर सच्ची खबर बनकर कर्नल इरफ़ान तक पहुंचे। अमजद का यह प्लान सफल हो गया था और अब किसी के भ्रम व गुमान में भी नहीं था कि मेजर राज वास्तव में लाहौर में कर्नल के घर मौजूद है। अमजद ने थाने पर हमला करने का प्लान बहुत सोच समझकर बनाया था, यहां की पुलिस के बारे में अमजद के पास प्रमाणित सूचना थी कि यह अपने क्षेत्र में रहने वाले हिंदुओं पर अत्याचार करते हैं और कई निर्दोष हिंदुओं को थाने में बंद कर रखा है जबकि महिलाओं के साथ भी बलात्कार की घटनाओं का सिलसिला आम था, इसके अलावा यहां का थानेदार किसी जमाने में पाकअधिकृत कश्मीर में भी तैनात रहा था जहां उसने कई कश्मीरी नागरिकों को हिन्दुस्तान के साथ अच्छे संबंध रखने के आरोप में सख्त दंड दिए थे और उनके पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था।
यही वजह थी कि उचित मौका देखकर अमजद ने एक तीर से दो शिकार किए थे, उसने अपने पाकअधिकृत कश्मीरी भाइयों पर अत्याचार करने वाले दरिंदे का भी सफाया कर दिया था और कर्नल इरफ़ान का ध्यान भी बंटा दिया था जो अब जामनगर में मेजर राज को ढूंढने के लिए फिर से मुल्तान से जामनगर पहुंच चुका था। शहर से कुछ दूर निकल कर अमजद को फिर से अपनी वही होंडा सिटी दिखी जो उसने थाने पर हमला करने से पहले छोड़ी थी। अमजद ने उसके पास जाकर अपनी गाड़ी रोकी और फिर से सवारियां परिवर्तित हुई और अब अमजद और काशफ अपनी कार में बैठ कर फिर से जामनगर जा रहे थे।
रात के 2 बजे अमजद और काशफ उसी डांस क्लब में मौजूद थे जहां कल रात समीरा ने अपने हुस्न का जलवा दिखाया था और कप्तान फ़ैयाज़ इस जलवे के हाथों लुट गया था। अमजद के पास कोई और ठिकाना नहीं था उसका पुराना ठिकाना नष्ट हो चुका था और वहाँ जाना खतरे से खाली नहीं था, जबकि अपने दूसरे साथियों के पास जाना भी उन्हें खतरे में डालने के बराबर था क्योंकि अगर ये दोनों एक और साथी के साथ पकड़े जाते तो वह भी बिना कारण फंस सकते थे, इसीलिए अमजद ने इसी डांस क्लब का रुख किया यहाँ का प्रबंधक उससे परिचित था मगर वह अमजद को सिर्फ एक तमाशबीन की हैसियत से ही जानता था जो कि समीरा के साथ कभी कभी डांस क्लब का रुख करता था।
अमजद काशफ को साथ लिए इसी डांस क्लब में चला गया और प्रबंधक से मिलने के बाद डांस हॉल में जूली का गरम डांस देखने के बाद दोनों ही प्रबंधक के दिए गए एक कमरे में जाकर सो गए। 2, 3 दिन की थकान और दिमागी तनाव की वजह से दोनों को जल्द ही नींद आ गई और उनकी अगले दिन ही आंख खुली।
जब कि कैप्टन फ़ैयाज़ की उड़ान अगली रात थी मगर सुबह होते ही उसे कर्नल इरफ़ान का फोन आया, कर्नल ने पहले तो कैप्टन से पूछा कि उसका नंबर क्यों बंद किया जा रहा है जो कप्तान फ़ैयाज़ ने बड़ी बेशर्मी से फोन खराब होने का बहाना बना दिया, उसके तुरंत बाद कर्नल इरफ़ान ने कैप्टन फ़ैयाज़ को कल रात होने वाली घटना के बारे में इत्तला दी और केप्टन फ़ैयाज़ को कहा कि वह जल्दी से कर्नल के घर जाकर उसकी बेटी की खैरियत जाने और कर्नल इरफ़ान को रिपोर्ट करे। कर्नल ने कैप्टन को राफिया के अपहरण की कोशिश और फिर किसी अनजान व्यक्ति का उसको बचाकर घर पहुंचाने का पूरा हाल सुना दिया था। कर्नल इरफ़ान के अनुसार कैप्टन इस समय लाहौर में ही मौजूद था क्योंकि एक दिन पहले सुबह के समय उसकी लाहोर वापसी थी मगर उस फ्लाइट में कैप्टन की बजाय मेजर राज और समीरा गए थे और कप्तान फ़ैयाज़ डांस क्लब में बेहोश पड़ा था।कर्नल इरफ़ान को फोन पर कैप्टन ने बजाय उसे यह बताने के कि वो अभी जामनगर में ही है उसने तुरंत कह दिया कि उसके यहाँ मेहमान आये हैं वह कुछ ही देर में उन्हें खाना खिलाकर राफिया की खैरियत पता कर लेगा
राफिया ने बताया कि मेरे पापा ने दुश्मन देश की खुफिया एजेंसियों की नाक में दम कर रखा है। वह आज तक पापा को पकड़ नहीं सके पापा इंडिया भी जाते हैं, वहां की राज धानी में एक राज नीतिक दल पापा का हमेशा वेलकम करता है और पापा से भारी मदद लेकर अपने ही देश में आतंकवाद की वारदादतें करते हैं। इसके अलावा पापा वहाँ के लोगों को आपस में लड़ाते हैं और सुरक्षा बल कुछ नहीं कर सकते
न उन्हें कभी पापा के खिलाफ कोई सबूत मिला है और न ही वह कभी इस बात का पता लगा सके हैं कि पापा आख़िर इंडिया क्या करने जाते हैं, वे समझते हैं कि पापा वहाँ इंडियन परमाणु संपत्ति की जानकारी के लिए जाते हैं, लेकिन वे हमारे देश के लिए खतरा नहीं इसलिए हमें उनकी जानकारी भी नहीं मगर पापा का मूल उद्देश्य तो कुछ और ही है उसके बारे में इंडिया आज तक पता नहीं लगा पाया?
मेजर राज ने हैरानगी दिखाते हुए और राफिया के पापा की क्षमताओं से प्रभावित होते हुए पूछा कि उनका मूल मिशन है क्या ??? तो राफिया ने कहा कि वह तो मुझे भी नहीं पता बस इतना पता है कि इंडिया अपनी परमाणु संपत्ति पापा से बचाने में लगी रहती है मगर पापा वहां जाकर अपना काम कर आराम से वापस आ जाते हैं और उन्हें कानों कान खबर नहीं होती कि आख़िर पापा वहाँ क्या करने वाले थे। फिर राफिया ने मेजर राज को अपने पापा की बहादुरी के कुछ किस्से सुनाए और हर किस्से में मेजर राज प्रभावित होने की एक्टिंग करता रहा और मन में सोचने लगा कि अब ज्यादा देर तक कर्नल इरफ़ान इंडिया की गुप्तचरएजेंसियों की आंखों में धूल नहीं झोंक सकेगा, जल्द भारत की खुफिया एजेंसी इस कर्नल इरफ़ान जैसे चूहे को अपने पांवों तले रौंद देगी जिसे इतना भी नहीं मालूम कि जिस व्यक्ति को वह मुल्तान और जामनगर में देख रहा है वह उसके अपने घर में उसकी इकलौती बेटी के बेड रूम में मौजूद है।
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मेजर राज के कहने पर समीरा ने राफिया के पास जा कर उसे हल्का सा कंधा मारा तो उसके हाथ में मौजूद जाम और व्हिस्की राफिया के कपड़ों पर गिर गया, राफिया ने गुस्से से धक्का देने वाले को देखा मगर उसकी नज़र समीरा पर पड़ी तो उसका गुस्सा ठंडा हो गया क्योंकि वह अभी कुछ ही देर पहले समीरा का धमाकेदार डांस देख कर उसे दाद दे चुकी थी, समीरा ने भी क्षमा माँगने सी शक्ल बना ली, राफिया के साथ मौजूद अराज ने राफिया के प्रति वफादारी का सबूत देने को समीरा को डांटा शुरू किया तो राफिया ने रोक दिया और ओके ठीक है कहती हुई अराज का हाथ पकड़ कर बाहर आ गई।
समीरा अभी नाइट क्लब में ही मौजूद थी और सुभाष शौचालय में अपने कपड़ों पर गिरी व्हिस्की साफ करने के लिए गया हुआ था, समीरा को अभी फैसला करना मुश्किल हो रहा था कि वह यहीं रहकर सुभाष का इंतजार करे या फिर उसे बाहर निकलकर राफिया के अपहरण की कोशिश और मेजर राज का उसको बचाने के लिए मैदान में कूदने का लाइव दृश्य देखना चाहिए। अंततः समीरा ने सोचा कि आज मेजर राज को एक्शन में देखना चाहिए और वह सुभाष का इंतजार किए बिना ही नाइट क्लब से निकल गई। नाइट क्लब से निकलते ही समीरा को उसकी गाड़ी सामने ही मिल गई और एक वेले ने अपने दांत चमकाते हुए समीरा की गाड़ी की चाबी बढ़ाई, समीरा ने वेले को पर्स से कुछ पैसे निकालकर टिप के रूप में दिए और कार ड्राइव करती हुई भीड़ से थोड़ा दूर ले जाकर पार्क कर दिया, यहां से वह स्पष्ट रूप से देख सकती थी कि राफिया को कुछ गुंडों पकड़ रखा है और वहाँ मौजूद भीड़ में से किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह आगे बढ़कर एक लड़की की मदद कर सके। समीरा को मेजर राज भी कहीं नज़र नहीं आ रहा था। वह सोचने लगी कि पता नहीं राज ने उसे सच बोला था या वे वास्तव में राफिया का अपहरण करवाना चाहता है।
लेकिन फिर उसकी ये कन्फ्यूजन दूर हो गई जब भीड़ के बीच से मेजर राज आता दिखाई दिया जो गुंडों को कह रहा था कि लड़की को छोड़ दो इस बेचारी का क्या दोष है। और फिर देखते ही देखते मेजर राज ने कैसे उन चार गुंडों पर हमला किया और बिना किसी हथियार के उन चार गुण्डों से राफिया को छुड़ा कर ले गया, यह सब कुछ समीरा के लिए अद्भुत नज़ारा था। इससे पहले उसने अमजद और दूसरे साथियों को लड़ते देखा था मगर इतनी फुर्ती और कौशल किसी में नहीं थी, सबसे ज़्यादा जिस बात ने समीरा को प्रभावित किया वह मेजर का अपने ऊपर नियंत्रण था, उसने तब तक कोई हमला नहीं किया जब तक उस गुंडे ने राफिया के गले से अपना खंजर नहीं हटा लिया, तो इससे पहले मेजर राज किसी भी प्रकार का एक्शन लेता तो गंभीर खतरा था कि राफिया को नुकसान पहुंचता मेजर राज के ध्यान और धैर्य की वजह से ऐसा नहीं हुआ, उसने सही मौके का इंतजार किया और मौका मिलते ही बिजली की सी तेजी से चारों गुण्डों को बेबस कर दिया। इस दौरान समीरा ने देखा कि मेजर राज के पैर में चाकू भी लगा है, यह दृश्य देखकर समीरा को अपना दिल डूबता हुआ महसूस होने लगा, वह चाहती थी कि किसी तरह भागकर मेजर के पास जाए और उसकी मरहम पट्टी कर उसकी सेवा करे मगर ऐसे मौके पर उसको अपने ऊपर नियंत्रण रखना था वरना मेजर और राफिया के साथ साथ खुद समीरा भी मुश्किल में फंस सकती थी।
जब मेजर राफिया की कार में राफिया को वहां से ले गया तो वहां मौजूद लोगों की शक्ति भी जागने लगी और उन्होंने उन गुंडों पर थपड़ों और लातों की बारिश कर दी, हर किसी ने इस काम में अपना योगदान दिया और गुंडों को बुरा भला कहते हुए और मेजर राज जो उनके लिए अनजान था उसकी बहादुरी और साहस मंदी की सराहना करते हुए वहां से खिसकने लगे। चारों गुंडे अपनी अपनी जगह मौजूद कराह रहे थे उनमें उठने की भी हिम्मत नहीं थी समीरा ने भी कार को गियर में डाल दिया और तेजी के साथ वहां से निकल गई जबकि सुभाष समीरा को नाइट क्लब में ढूंढने के बाद बाहर आ चुका था वह इतनी सेक्सी और चिकनी लड़की हाथ से नहीं जाने देना चाहता था उसका इरादा था कि वह आज रात अंजलि के मस्त शरीर के साथ खेलते हुए बिताए मगर यह चिड़िया उसके हाथ से निकल गई, उसने बस समीरा को कार में बैठे वहां से निकलते हुए देखा एक पल के लिए सोचा था कि वह समीरा के पीछे जाए मगर जितनी देर में उसको वहां से कार निकालने में लगती तब तक समीरा बहुत दूर निकल चुकी होती, इसलिए सुभाष ने इस कार्यक्रम को कैंसिल किया और अपना सा मुंह बनाकर वापस अपने घर की ओर चल दिया।
अमजद और काशफ गैस पंप से निकलने के बाद सीधे जामनगर शहर में प्रवेश कर गए। इस दौरान अमजद ने फिर से अपना हुलिया बदल लिया था, पगड़ी उतार कर उसने रास्ते में आने वाले एक गंदे नाले में फेंक दी थी और अपने बालों में फिर से कंघी कर लिया था जबकि काशफ का भी हुलिया ठीक कर दिया गया था ताकि कोई उसे मेजर राज समझ कर पकड़ ही न ले। शहर में प्रवेश करने के बाद अमजद का रुख एक थाने की ओर था, यह एक छोटा सा थाना था जहां आम तौर पर ज़्यादा पुलिस मौजूद नहीं होती थी। अमजद का इरादा अब यहां हमला करने का था, थाने से कोई 2 किलोमीटर पहले अमजद एक सुनसान जगह पर गाड़ी रोक कर खड़ा हो गया और किसी को फोन पर अपनी लोकेशन के बारे में बताने लगा। काफी देर के इंतजार के बाद वहाँ अमजद एक वैन आती दिखाई दी। जब वैन करीब आ गई तब अमजद गाड़ी से उतर कर वैन की तरफ चलने लगा, वैन से भी 2 आदमी उतरे, उन्होंने अमजद को सलाम किया और अमजद से कार की चाबी लेकर अमजद की कार में बैठ गए जबकि काशफ और अमजद अब वैन में बैठे थे जिसमें पीछे 2 लोग और भी थे, अमजद और काशफ को इन दोनों ने सलाम किया और अमजद कार ड्राइव करते हुए थाने की ओर बढ़ने लगा।
थाने से 500 मीटर पहले पुलिस चेक पोस्ट पर अमजद को रुकने का इशारा किया गया जहां पाकिस्तानी पुलिस के 2 जवान मौजूद थे। गाड़ी रुकवा कर उनमें से एक जवान गाड़ी की ओर आने लगा तो अमजद अपनी ड्राइविंग सीट से नीचे उतर आया और आने वाले जवान से हाथ मिलाकर खिसियानी हंसी हंसते हुए पंजाबी में बोलने लगा कि साहब मेरे पास लाइसेंस नहीं है कुछ ले दे कर मामला रफा-दफा करो। वैसे तो पुलिस मैन गाड़ी की जाँच करने आया था मगर अमजद ने उस पर ऐसा ज़बरदस्त वार किया कि वह गाड़ी की जाँच करना भूल गया और अमजद को लाइसेंस के महत्व पर व्याख्यान देने लग गया। अमजद भी शर्मिंदा सा मुंह बनाकर हां हां करता रहा, वह भी जानता था कि यह व्याख्यान तो बहाना है वास्तव में संतरी साहब को पता लग गया कि उनके पास लाइसेंस नहीं है तो अब वह पैसे कमाने के चक्कर में है।
अमजद ने भी व्याख्यान के दौरान ही उसकी बात काटी और जेब में हाथ डाल कर 100 का नोट निकाला और पुलिस वाले के हाथ मे थमाते हुए बोला साब आगे से ध्यान रखूँगा जी बस अब जरा जल्दी में हैं ध्यान करें। पुलिस वाले ने 100 का नोट देखा और अमजद को गाली देते हुए बोला एक तो तेरे पास लाइसेंस नहीं है ऊपर से हमें 100 मे टरका रहा है, हमारे भी बाल बच्चे हैं हमे भी उनको पालना है चल जल्दी से जेब ढीली कर, वैसे तो 1000 का चालान होता 500 दे और चलता बन इधर से। अमजद ने जेब से 100 के दो नोट और निकाले और उसे देते हुए बोला कि पूरा दिन कोई सवारी नहीं मिली बस यही कुछ है गुज़रा कर लो। पुलिस वाले ने 100, 100 के तीन नोट जेब में डाले और अमजद को खिसकने का इशारा किया, अमजद ने तुरंत गाड़ी चलाई और थाने की ओर चल दिया जबकि दूसरा पुलिसकर्मी दौड़कर अपने साथी के पास गया और रिश्वत के पैसे में से अपना हिस्सा लेकर अगले शिकार का इंतजार करने लगा।
थाने के पास पहुंचकर उसके गेट पर अमजद ने फिर रुकने का इशारा किया, लेकिन इस बार वैन का शीशा खुला और उसमें से एक एके -47 निकली और सामने मौजूद पुलिसवालों पर तड़ तड़ की आवाज के साथ गोलियों की बौछार हो गई । अमजद सामने मौजूद बाधाओं की परवाह किए बिना गाड़ी को थाने के अंदर ले गया जहां मौजूद एक थानेदार और 2 सिपाही इस हमले से अनजान खुश गप्पियो में व्यस्त थे। अमजद और उसके साथियों ने उन पर भी गोलियों की वर्षा कर दी, कुछ ही पल बाद पुलिसकर्मियों के शव थाने की सीमा में खून से लथपथ पड़े थे अमजद ने तुरंत नियंत्रण कक्ष से चाबी ली और वहां मौजूद एक लॉकर से अपने कुछ साथियों को छुड़ाकर वेन में बिठाया और तुरंत गाड़ी रिवर्स करते हुए थाने से निकले और दूसरी ओर चल दिए जहां चेक पोस्ट पर मौजूद पुलिसकर्मी गोलियों की आवाज सुनकर अपनी बंदूक उठाए थाने से दूर भाग रहा था वह जान गया था कि थाने पर हमला हुआ है ऐसे में बहादुरी का सबूत देने की बजाय वह होशियार किया और चेक पोस्ट छोड़कर वहाँ से दूर भागने लगा। अमजद भागते पुलिसकर्मी को देखकर मुस्कुराया और कार को स्पीड से चलाता हुआ शहर से बाहर जाने लगा।
शहर से बाहर निकलते हुए अमजद को आर्मी के वाहनों का एक छोटा काफिला शहर में प्रवेश होता हुआ नजर आया, अमजद समझ गया था कि मेजर राज के जामनगर में मौजूद होने की जानकारी कर्नल इरफ़ान तक पहुँच चुकी है और अब वह अपने लाओ लश्कर के साथ जामनगर पहुंच गया है, जहां वो वास्तव में उसी गैस स्टेशन पर भी गया होगा जहां जामनगर में प्रवेश करने से पहले अमजद और काशफ रुके थे और दुकानदार को अपना दर्शन करवाया था ताकि मेजर राज के जामनगर में मौजूद होने की झूठी खबर सच्ची खबर बनकर कर्नल इरफ़ान तक पहुंचे। अमजद का यह प्लान सफल हो गया था और अब किसी के भ्रम व गुमान में भी नहीं था कि मेजर राज वास्तव में लाहौर में कर्नल के घर मौजूद है। अमजद ने थाने पर हमला करने का प्लान बहुत सोच समझकर बनाया था, यहां की पुलिस के बारे में अमजद के पास प्रमाणित सूचना थी कि यह अपने क्षेत्र में रहने वाले हिंदुओं पर अत्याचार करते हैं और कई निर्दोष हिंदुओं को थाने में बंद कर रखा है जबकि महिलाओं के साथ भी बलात्कार की घटनाओं का सिलसिला आम था, इसके अलावा यहां का थानेदार किसी जमाने में पाकअधिकृत कश्मीर में भी तैनात रहा था जहां उसने कई कश्मीरी नागरिकों को हिन्दुस्तान के साथ अच्छे संबंध रखने के आरोप में सख्त दंड दिए थे और उनके पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था।
यही वजह थी कि उचित मौका देखकर अमजद ने एक तीर से दो शिकार किए थे, उसने अपने पाकअधिकृत कश्मीरी भाइयों पर अत्याचार करने वाले दरिंदे का भी सफाया कर दिया था और कर्नल इरफ़ान का ध्यान भी बंटा दिया था जो अब जामनगर में मेजर राज को ढूंढने के लिए फिर से मुल्तान से जामनगर पहुंच चुका था। शहर से कुछ दूर निकल कर अमजद को फिर से अपनी वही होंडा सिटी दिखी जो उसने थाने पर हमला करने से पहले छोड़ी थी। अमजद ने उसके पास जाकर अपनी गाड़ी रोकी और फिर से सवारियां परिवर्तित हुई और अब अमजद और काशफ अपनी कार में बैठ कर फिर से जामनगर जा रहे थे।
रात के 2 बजे अमजद और काशफ उसी डांस क्लब में मौजूद थे जहां कल रात समीरा ने अपने हुस्न का जलवा दिखाया था और कप्तान फ़ैयाज़ इस जलवे के हाथों लुट गया था। अमजद के पास कोई और ठिकाना नहीं था उसका पुराना ठिकाना नष्ट हो चुका था और वहाँ जाना खतरे से खाली नहीं था, जबकि अपने दूसरे साथियों के पास जाना भी उन्हें खतरे में डालने के बराबर था क्योंकि अगर ये दोनों एक और साथी के साथ पकड़े जाते तो वह भी बिना कारण फंस सकते थे, इसीलिए अमजद ने इसी डांस क्लब का रुख किया यहाँ का प्रबंधक उससे परिचित था मगर वह अमजद को सिर्फ एक तमाशबीन की हैसियत से ही जानता था जो कि समीरा के साथ कभी कभी डांस क्लब का रुख करता था।
अमजद काशफ को साथ लिए इसी डांस क्लब में चला गया और प्रबंधक से मिलने के बाद डांस हॉल में जूली का गरम डांस देखने के बाद दोनों ही प्रबंधक के दिए गए एक कमरे में जाकर सो गए। 2, 3 दिन की थकान और दिमागी तनाव की वजह से दोनों को जल्द ही नींद आ गई और उनकी अगले दिन ही आंख खुली।
जब कि कैप्टन फ़ैयाज़ की उड़ान अगली रात थी मगर सुबह होते ही उसे कर्नल इरफ़ान का फोन आया, कर्नल ने पहले तो कैप्टन से पूछा कि उसका नंबर क्यों बंद किया जा रहा है जो कप्तान फ़ैयाज़ ने बड़ी बेशर्मी से फोन खराब होने का बहाना बना दिया, उसके तुरंत बाद कर्नल इरफ़ान ने कैप्टन फ़ैयाज़ को कल रात होने वाली घटना के बारे में इत्तला दी और केप्टन फ़ैयाज़ को कहा कि वह जल्दी से कर्नल के घर जाकर उसकी बेटी की खैरियत जाने और कर्नल इरफ़ान को रिपोर्ट करे। कर्नल ने कैप्टन को राफिया के अपहरण की कोशिश और फिर किसी अनजान व्यक्ति का उसको बचाकर घर पहुंचाने का पूरा हाल सुना दिया था। कर्नल इरफ़ान के अनुसार कैप्टन इस समय लाहौर में ही मौजूद था क्योंकि एक दिन पहले सुबह के समय उसकी लाहोर वापसी थी मगर उस फ्लाइट में कैप्टन की बजाय मेजर राज और समीरा गए थे और कप्तान फ़ैयाज़ डांस क्लब में बेहोश पड़ा था।कर्नल इरफ़ान को फोन पर कैप्टन ने बजाय उसे यह बताने के कि वो अभी जामनगर में ही है उसने तुरंत कह दिया कि उसके यहाँ मेहमान आये हैं वह कुछ ही देर में उन्हें खाना खिलाकर राफिया की खैरियत पता कर लेगा