hotaks444
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अब कर्नल को विश्वास हो गया था कि अमजद सच बोल रहा है क्योंकि इतना तो वह भी जान गया था कि कैसे स्नेहा के साथ सेक्स करने के बाद मेजर राज ने उसको वहीं मार दिया था और फिर बाकी 2 लोगों को मारकर सुरक्षा कैमरों को नाकारा बना वह बिल्डिंग से अकेला ही निकल भागा था। यह सब वह खुद सुरक्षा कैमरों की वीडियो भी देख चुका था। अब कर्नल ने फिर पूछा कि अच्छा यह बताओ कि वहां से निकलने के बाद तुम उसे कहां ले गए थे। और कैसे हमारे हाथों से बचते रहे ??? इस सवाल के जवाब में अमजद ने थोड़ा झूठ बोला कि जैसे ही वो हमारे साथ कार में गया उसने हमसे एक पिस्टल मांगा और हमने उसे पिस्टल दे दिया तो उसने हमारी ही साथी समीरा की गर्दन पर पिस्तौल रखकर हमें वह अपनी इच्छा से कई क्षेत्रों में घूमता रहा।आगे की सारी योजना वह खुद ही करता रहा हमें केवल यही आदेश दिया था कि अब यहां जाओ और अब वहाँ जाओ . हमारी साथी समीरा अब भी उसके कब्जे में है और हम नहीं जानते कि वह कहाँ है।
अब की बार कर्नल का हाथ घूमा और अमजद के हाथ और कमर से कमीज फाड़ हुआ हंटर शाएँ की आवाज के साथ अमजद के शरीर में एक चाकू की तरह लगा। कर्नल ने अपनी पूरी ताकत से हंटर घुमाया था और अब अमजद के शरीर से खून रिसने लगा था। अमजद कुछ देर कराहता रहा और फिर बोला सही कह रहा हूँ आपको, सरदार का हुलिया अपनाने की सलाह भी उसी की थी, उसके बाद मैं जामनगर से मुल्तान जाने वाले मार्ग पर जो आपको जगह दिखाई थी जहां मैंने उन दोनों को छोड़ा था वह भी सच था। मैंने मेजर राज को ठीक उसी जगह पर छोड़ा था और उसके बाद वह कहाँ गए मैं नहीं जानता। मगर मेरा मानना था कि जिस गांव से आप गए वहां वह मिल जाएंगे। मगर ऐसा भी नहीं हुआ। मुल्तान पहुंचकर जब आपके भेजे हुए व्यक्ति ने मुझे वापस जाने को बोला तो उसके बाद फिर मेजर राज ने मुझसे फोन पर संपर्क किया और मुझे चुपचाप मुल्तान में रुकने को कहा, लेकिन फिर उसी दिन शाम को उसने मुझे वापस जामनगर आने को बोला। और साथ में एक साथी को लेने को कहा जिसका हुलिया उसने अपने ही लोगों के माध्यम से ऐसा बना दिया कि जल्दी में देखने पर मेजर राज जैसा ही दिखे . कर्नल इरफ़ान ने कहा उसके लोग जिन्होंने काशफ का मेकअप किया वो कौन थे ???
अमजद ने कहा कि वह उन्हें नहीं जानता, वही गैस स्टेशन से कुछ पहले उन्हें एक कार मिली जिसके बारे में राज ने पहले ही बता दिया था उसी कार में वे लोग मौजूद थे उन्होंने काशफ का मेकअप किया और जल्दी ही वहां से चले गए। उसके बाद हम दोनों उस गैस स्टेशन पर गए और जैसे ही वहां के मालिक ने हमें पहचाना हम भाग निकले और डांस क्लब में जाकर आराम करने लगे जहाँ से आपने हमें पकड़ा है। इससे अधिक और कुछ नहीं जानता। कर्नल को अब अमजद की बताई हुई बातों पर विश्वास आने लगा था क्योंकि इसमें ज्यादातर अमजद ने हर बात सच बताई थी लेकिन वह जानता था कि राज और समीरा इस समय लाहोर में हैं मगर कर्नल से उसने इस बात को छिपा लिया था । । । कर्नल ने अब बाहर निकलने का इरादा किया और जाते जाते अमजद को बोला कि अगर कल तक तुमने न बताया कि मेजर राज और तुम्हारी साथी समीरा कहाँ हैं तो मरने के लिए तैयार रहना। यह कह कर कर्नल वहां से निकल गया और अमजद अब अपनी मौत का इंतजार करने लगा।क्योंकि अगर वह बता देता कि मेजर राज कहाँ है तब भी कर्नल ने उसे मारना ही था, जब दोनों मामलों में मरना ही है तो अमजद ने बेहतर समझा कि मेजर राज और समीरा की जान बचाने की आखिरी कोशिश करना बेहतर है चाहे बदले में खुद मौत का ही सामना क्यों न करना पड़े
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राफिया के सो जाने के बाद भी अंजली और इमरान ने एक दूसरे से ज़्यादा खुलने की कोशिश नहीं की बल्कि दोनों ने सरसरी तौर पर इधर उधर की बातें की जिस तरह 2 अनजान लोग आपस में करते हैं। इमरान को इस बात का पूरा ध्यान था कि कहीं राफिया सोने का नाटक तो नहीं कर रही है और अगर उसे इस बात की भनक पड़ गई कि अंजलि और इमरान यानी समीरा और मेजर राज एक दूसरे को पहले से जानते हैं तो इन दोनों के लिए बहुत मुश्किले खड़ी हो जाएंगी और फिर उनका कर्नल इरफ़ान से बचना भी संभव नहीं होगा। रास्ते में अंजलि ने अपना लंच बॉक्स खोलकर उसमें से खुद भी पुलाव खाया और इमरान को भी अपने हाथों से खिलाया क्योंकि वह कार ड्राइव कर रहा था और कहीं रुकने का चांस वह लेना नहीं चाहता था रात बहुत हो रही थी और कप्तान फ़ैयाज़ भी उनसे केवल एक घंटे की दूरी पर उनके पीछे आ रहा था ऐसे में गाड़ी रोकने का जोखिम लेने का कोई इरादा नहीं था इमरान का।
रात कोई एक बजे के करीब वह मुर्री की सीमा में प्रवेश कर चुके थे। अब राफिया की भी आंख खुल चुकी थी और वह फोन पर किसी से बात कर के अपने और इमरान के लिए मुर्री के तट पर ही एक हट बुक कर चुकी थी इस रिज़र्वेशन के लिए उसने विशेष रूप से अपने पापा कर्नल इरफ़ान के नाम का इस्तेमाल किया था। समुद्र के पास वीआईपी हट बहुत ही रोमांटिक शैली में बनाए गए थे जो आम लोगों को नहीं मिलते थे या फिर बहुत अधिक दरों पर मिलते थे। अपने लिए रिज़र्वेशन करवा कर राफिया ने अंजलि से पूछा कि वह कहां रुकेगी तो अंजलि ने उसे बताया कि वह किसी विशेष होटल के बारे में नहीं जानती, जो भी मुर्री का सबसे अच्छा होटल है वहाँ रूम ले लेगी . यह सुनकर राफिया ने गोवा के एक पांच सितारा होटल में फोन किया और वहाँ भी एक कमरा अंजलि के लिए बुक करा लिया।
कुछ ही देर के बाद इमरान ने अपनी कार एक पांच सितारा होटल की पार्किंग में रोकी और अंजलि के कार से उतरने पर गाड़ी वापस ले जाने लगा तो राफिया बोली अरे इंतजार तो करो इतनी जल्दी भी क्या है अंजलि को उसके कमरे तक तो छोड़ आए। यह कह कर राफिया गाड़ी से नीचे उतर आई और इमरान भी कार से उतर कर अंजलि और राफिया के पीछे पीछे चलने लगा। रिसेप्शन पर पहुंचकर राफिया ने अपना परिचय करवाया और बुक करवाए गए रूम के बारे में पता किया और अंजलि ने अपने हैंडबैग से पैसे निकालकर रिसेप्शन पर चुकाए। अंजलि के पास कोई सामान तो नहीं था मगर फिर भी एक वेटर ने तुरंत आगे बढ़कर अंजलि के हाथ में मौजूद हैंडबैग और कुछ अन्य छोटे उपकरण और एक छोटे बैग को पकड़ लिया और अंजलि के कमरे की ओर चलने लगा, बाकी तीनों भी वेटर के पीछे जाने लगे। पांचवीं मंजिल पर जाकर वेटर लिफ्ट से निकला और अंजलि के रूम नंबर 507 की ओर जाने लगा। राफिया भी उसके पीछे पीछे जा रही थी कि सामने से एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आता दिखाई दिया जिसे देखते ही राफिया ने हैलो अंकल की आवाज लगाई, इमरान ने उस व्यक्ति को ध्यान से देखा तो एक बार उसके चेहरे पर नागवारी के स्पष्ट संकेत दिखाई दिए मगर तुरंत ही उसने अपनी नागावारी को खुशी में बदल लिया और चेहरे पर एक मुस्कान सजा ली
अब की बार कर्नल का हाथ घूमा और अमजद के हाथ और कमर से कमीज फाड़ हुआ हंटर शाएँ की आवाज के साथ अमजद के शरीर में एक चाकू की तरह लगा। कर्नल ने अपनी पूरी ताकत से हंटर घुमाया था और अब अमजद के शरीर से खून रिसने लगा था। अमजद कुछ देर कराहता रहा और फिर बोला सही कह रहा हूँ आपको, सरदार का हुलिया अपनाने की सलाह भी उसी की थी, उसके बाद मैं जामनगर से मुल्तान जाने वाले मार्ग पर जो आपको जगह दिखाई थी जहां मैंने उन दोनों को छोड़ा था वह भी सच था। मैंने मेजर राज को ठीक उसी जगह पर छोड़ा था और उसके बाद वह कहाँ गए मैं नहीं जानता। मगर मेरा मानना था कि जिस गांव से आप गए वहां वह मिल जाएंगे। मगर ऐसा भी नहीं हुआ। मुल्तान पहुंचकर जब आपके भेजे हुए व्यक्ति ने मुझे वापस जाने को बोला तो उसके बाद फिर मेजर राज ने मुझसे फोन पर संपर्क किया और मुझे चुपचाप मुल्तान में रुकने को कहा, लेकिन फिर उसी दिन शाम को उसने मुझे वापस जामनगर आने को बोला। और साथ में एक साथी को लेने को कहा जिसका हुलिया उसने अपने ही लोगों के माध्यम से ऐसा बना दिया कि जल्दी में देखने पर मेजर राज जैसा ही दिखे . कर्नल इरफ़ान ने कहा उसके लोग जिन्होंने काशफ का मेकअप किया वो कौन थे ???
अमजद ने कहा कि वह उन्हें नहीं जानता, वही गैस स्टेशन से कुछ पहले उन्हें एक कार मिली जिसके बारे में राज ने पहले ही बता दिया था उसी कार में वे लोग मौजूद थे उन्होंने काशफ का मेकअप किया और जल्दी ही वहां से चले गए। उसके बाद हम दोनों उस गैस स्टेशन पर गए और जैसे ही वहां के मालिक ने हमें पहचाना हम भाग निकले और डांस क्लब में जाकर आराम करने लगे जहाँ से आपने हमें पकड़ा है। इससे अधिक और कुछ नहीं जानता। कर्नल को अब अमजद की बताई हुई बातों पर विश्वास आने लगा था क्योंकि इसमें ज्यादातर अमजद ने हर बात सच बताई थी लेकिन वह जानता था कि राज और समीरा इस समय लाहोर में हैं मगर कर्नल से उसने इस बात को छिपा लिया था । । । कर्नल ने अब बाहर निकलने का इरादा किया और जाते जाते अमजद को बोला कि अगर कल तक तुमने न बताया कि मेजर राज और तुम्हारी साथी समीरा कहाँ हैं तो मरने के लिए तैयार रहना। यह कह कर कर्नल वहां से निकल गया और अमजद अब अपनी मौत का इंतजार करने लगा।क्योंकि अगर वह बता देता कि मेजर राज कहाँ है तब भी कर्नल ने उसे मारना ही था, जब दोनों मामलों में मरना ही है तो अमजद ने बेहतर समझा कि मेजर राज और समीरा की जान बचाने की आखिरी कोशिश करना बेहतर है चाहे बदले में खुद मौत का ही सामना क्यों न करना पड़े
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राफिया के सो जाने के बाद भी अंजली और इमरान ने एक दूसरे से ज़्यादा खुलने की कोशिश नहीं की बल्कि दोनों ने सरसरी तौर पर इधर उधर की बातें की जिस तरह 2 अनजान लोग आपस में करते हैं। इमरान को इस बात का पूरा ध्यान था कि कहीं राफिया सोने का नाटक तो नहीं कर रही है और अगर उसे इस बात की भनक पड़ गई कि अंजलि और इमरान यानी समीरा और मेजर राज एक दूसरे को पहले से जानते हैं तो इन दोनों के लिए बहुत मुश्किले खड़ी हो जाएंगी और फिर उनका कर्नल इरफ़ान से बचना भी संभव नहीं होगा। रास्ते में अंजलि ने अपना लंच बॉक्स खोलकर उसमें से खुद भी पुलाव खाया और इमरान को भी अपने हाथों से खिलाया क्योंकि वह कार ड्राइव कर रहा था और कहीं रुकने का चांस वह लेना नहीं चाहता था रात बहुत हो रही थी और कप्तान फ़ैयाज़ भी उनसे केवल एक घंटे की दूरी पर उनके पीछे आ रहा था ऐसे में गाड़ी रोकने का जोखिम लेने का कोई इरादा नहीं था इमरान का।
रात कोई एक बजे के करीब वह मुर्री की सीमा में प्रवेश कर चुके थे। अब राफिया की भी आंख खुल चुकी थी और वह फोन पर किसी से बात कर के अपने और इमरान के लिए मुर्री के तट पर ही एक हट बुक कर चुकी थी इस रिज़र्वेशन के लिए उसने विशेष रूप से अपने पापा कर्नल इरफ़ान के नाम का इस्तेमाल किया था। समुद्र के पास वीआईपी हट बहुत ही रोमांटिक शैली में बनाए गए थे जो आम लोगों को नहीं मिलते थे या फिर बहुत अधिक दरों पर मिलते थे। अपने लिए रिज़र्वेशन करवा कर राफिया ने अंजलि से पूछा कि वह कहां रुकेगी तो अंजलि ने उसे बताया कि वह किसी विशेष होटल के बारे में नहीं जानती, जो भी मुर्री का सबसे अच्छा होटल है वहाँ रूम ले लेगी . यह सुनकर राफिया ने गोवा के एक पांच सितारा होटल में फोन किया और वहाँ भी एक कमरा अंजलि के लिए बुक करा लिया।
कुछ ही देर के बाद इमरान ने अपनी कार एक पांच सितारा होटल की पार्किंग में रोकी और अंजलि के कार से उतरने पर गाड़ी वापस ले जाने लगा तो राफिया बोली अरे इंतजार तो करो इतनी जल्दी भी क्या है अंजलि को उसके कमरे तक तो छोड़ आए। यह कह कर राफिया गाड़ी से नीचे उतर आई और इमरान भी कार से उतर कर अंजलि और राफिया के पीछे पीछे चलने लगा। रिसेप्शन पर पहुंचकर राफिया ने अपना परिचय करवाया और बुक करवाए गए रूम के बारे में पता किया और अंजलि ने अपने हैंडबैग से पैसे निकालकर रिसेप्शन पर चुकाए। अंजलि के पास कोई सामान तो नहीं था मगर फिर भी एक वेटर ने तुरंत आगे बढ़कर अंजलि के हाथ में मौजूद हैंडबैग और कुछ अन्य छोटे उपकरण और एक छोटे बैग को पकड़ लिया और अंजलि के कमरे की ओर चलने लगा, बाकी तीनों भी वेटर के पीछे जाने लगे। पांचवीं मंजिल पर जाकर वेटर लिफ्ट से निकला और अंजलि के रूम नंबर 507 की ओर जाने लगा। राफिया भी उसके पीछे पीछे जा रही थी कि सामने से एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति आता दिखाई दिया जिसे देखते ही राफिया ने हैलो अंकल की आवाज लगाई, इमरान ने उस व्यक्ति को ध्यान से देखा तो एक बार उसके चेहरे पर नागवारी के स्पष्ट संकेत दिखाई दिए मगर तुरंत ही उसने अपनी नागावारी को खुशी में बदल लिया और चेहरे पर एक मुस्कान सजा ली