hotaks444
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कुछ देर के बाद इमरान वापस कमरे में आया और राफिया के माथे पर एक प्यार भरी पप्पी की, अंजलि भी वैसे ही अपने मम्मे लहराती बेड पर आकर लेट गई, इमरान ने पास पड़े बैग में से एक शर्ट और ट्राउजर निकालकर पहना और राफिया को बोला बेबी अंजलि के कुछ रिश्तेदार गोवा में हैं और किसी मुश्किल में हैं, आप प्लीज़ अपने मोबाइल से अपने पापा को फोन करो और मेरी बात करवा दो शायद वह अंजलि के परिजनों को इस मुश्किल से निकाल सकें। और मुझे कुछ देर के लिए आपकी कार और फोन लेकर बाहर जाना होगा और उन्हें किसी सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना होगा। राफिया ने कहा कि मगर अंजलि तो कह रही थी कि वह यहाँ अकेली है और उसके पापा बाहर हैं ??? इससे पहले इमरान कुछ बोलता अंजलि ने राफिया को कहा कि वह मेरे दूर के रिश्तेदार हैं और इस समय बहुत मुश्किल में हैं। सामान्य परिस्थितियों में हमारा मिलना जुलना नहीं होता मगर आज वह बहुत मजबूर होकर मुझसे मदद मांग रहे हैं। मगर मामला ऐसा है कि मैं उनकी मदद नहीं कर सकती तुम्हारे पापा ही इस समस्या का हल निकाल सकते हैं। अंजलि की बात पूरी होने पर इमरान ने राफिया को उसका मोबाइल थमा दिया और अपने पापा कर्नल इरफ़ान को फोन लगाने को कहा
राफिया ने अपने पापा को फोन किया, जैसे ही कर्नल इरफ़ान ने फोन पर हैलो कहा, कर्नल इरफ़ान ने कुछ परेशान स्वर में पूछा कि बताओ बेटा खैरियत तो है ना ?? कर्नल इरफ़ान जानता था कि राफिया बेवजह उसे तंग नहीं करती, कोई ज़रूरी बात हो तभी फोन करती है, खासकर जब वह अपने दोस्तों के साथ हो। राफिया ने अपने पापा को कहा पापा ये इमरान आप से कुछ बात करना चाहता है उसे कुछ मदद चाहिए आपकी ... यह कह कर राफिया ने फोन इमरान को पकड़ा दिया और इमरान नमस्ते सर कह कर कमरे से बाहर निकल गया। उसके बाद जो कुछ इमरान ने फोन पर कर्नल इरफ़ान को कहा, वह कर्नल इरफ़ान पांव तले से जमीन निकालने के लिए पर्याप्त था
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अमजद के लिए मौत को गले लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था, वह बहुत बार मौत के मुंह से बच कर वापस आया था मगर अगली बार वो पहले से ज्यादा मुश्किल और घातक मिशन खुशी से करने के लिए तैयार हो जाता था। लेकिन हर बार वह अपनी जान जोखिम में डाल कर निडर होकर लड़ता था, लेकिन आज पहली बार उसे अपनी मौत का बैठकर इंतजार करना पड़ रहा था जहां वह न तो दुश्मन पर हमला करने की स्थिति में था और न ही अपने बचाव का कोई उपाय कर सकता था, अगर वह कुछ कर सकता था तो वह था सिर्फ मौत का इंतजार। और यही इंतजार उसके लिए भयानक था। अगर कर्नल इरफ़ान उसकी कनपटी पर पिस्टल रख कर उसको कह देता कि मेजर राज का पता बता दो नहीं तो मौत को गले लगा लो तो शायद अमजद खुद ही गोली चला लेता मगर मेजर राज का पता नही बताता, मगर इस तरह असहाय बैठ कर मौत का इंतजार करना बहुत यातनादायक था। कभी वह काशफ के बारे में सोचता तो कभी सरमद के बार में, वह नहीं जानता था कि काशफ ज़िंदा है या फिर कर्नल इरफ़ान ने उसे शहीद कर दिया ??? और सरमद के बारे में भी उसे पता नहीं था कि वह गिरफ्तार हो चुका है या फिर उसने अपने बचाव का कोई उपाय किया है ??
समीरा अमजद को अपनी जान से ज्यादा प्यारी थी, उसने समीरा को अपनी छोटी बहन की तरह पाला था, और वो ऐसे किसी भी मिशन में समीरा को जोड़ते हुए घबराता था, मगर समीरा के अलावा वह किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता था इसीलिए मजबूरन वह समीरा को अपने साथ रखता। लेकिन इस समय वह समीरा से बेफिक्र था क्योंकि वह जानता था कि मेजर राज के साथ समीरा को कोई खतरा नहीं, मेजर राज समीरा की रक्षा कर सकता था, लेकिन सरमद की ओर से वह खासा चिंतित था। कर्नल इरफ़ान कमरे से गए खासी देर हो चुकी थी, शायद पूरा दिन बीत चुका था मगर अमजद को इस बात का राज नहीं था, वह तो बस एक अंधेरे कमरे में कैद था जहां बाहर होने वाले मामलों की उसको पता नहीं था। कुर्सी पर बैठे बैठे अमजद को अब तकलीफ होने लगी थी, ना जाने कब से वह इसी कुर्सी पर बंधा हुआ था और तो और पिछले काफी घंटों से न तो अमजद को पानी पीना नसीब हुआ था और न ही खाने को कुछ मिला था। परेशानी के कारण उसका गला सूख रहा था मगर उसको यहाँ पानी देने वाला कोई नहीं था।
अमजद ने 2, 3 बार चिल्लाकर पानी भी मांगा मगर उत्तर में उसको ना तो कोई आहट सुनाई दी और न ही कोई उसे पानी पिलाने आया। आज अमजद को महसूस हो रहा था कि मौत का इंतजार करना मौत को गले लगाने से कितना मुश्किल काम था। अब काशफ और सरमद के बारे में ही सोच रहा था कि उसको कमरे से बाहर कुछ कदमों की आवाज सुनाई दी। अब अमजद के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई वह समझ गया था कि शहादत का समय अब आ रहा है। इतनी देर से जो वह यातनादायक प्रतीक्षा कर रहा था वह इंतजार खत्म होने को है, कर्नल इरफ़ान की पिस्टल से अब एक गोली चलेगी और अमजद के सीने से पार हो जाएगी, और वह एक सैनिक को बचाने की खातिर अपनी जान की बलि देकर शहादत के रुतबे पर आसीन हो जाएगा। इस सोच ने अमजद के अंदर एक अजीब सी हिम्मत पैदा कर दी थी। अब कर्नल इरफ़ान उसके शरीर के टुकड़े कर डालता तब भी वो उससे कुछ उगलवा नहीं सकता था।
क़दमों की आवाज़ अब खासी करीब आ चुकी थी। कमरे के भीतर ज़ीरो का एक बल्ब जल गया था जिससे कमरे में कुछ प्रकाश पैदा हुआ था, तो कमरे का दरवाजा खुला और रस्सियों में जकड़ा व्यक्ति औंधे मुंह अंदर आ गिरा ... उससे पीछे एक और व्यक्ति था वह भी रस्सियों से बंधा हुआ था और एक आदमी उसे बालों से पकड़कर खींचता हुआ अमजद के पास ले आया था। रस्सियों में जकड़ा यह व्यक्ति अमजद के पास आया तो अमजद ने उसको पहचान लिया था। ये सरमद था जिसके चेहरे पर इस समय अनगिनत घाव थे और उसकी आंखें सूजी हुई थीं मगर आश्चर्यजनक रूप से उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी। अमजद को देखकर उसने बहुत मुश्किल से बोलना शुरू किया और महज इतना ही कहा: कुछ नहीं उगलवा सका यह कुत्ता मेरे मुंह से।
सरमद के मुंह से यह बात सुनकर अमजद के चेहरे पर भी एक विजयी मुस्कान आ गई थी। वह आगे बढ़कर सरमद को गले लगाना चाहता था मगर अफसोस कि अपनी कुर्सी से उठने के लायक नहीं था वह अब अमजद ने नीचे गिरे हुए व्यक्ति को देखा जो अब तक औंधे मुंह पड़ा था अमजद ने ध्यान से उसको देखा तो उसे भी पहचान लिया, यह काशफ था, मगर उसकी हालत बहुत बुरी थी। कर्नल इरफ़ान ने उस उत्पीड़न के पहाड़ तोड़ दिए थे, अमजद की नजर जब काशफ के पैर पर पड़ी तो उसके होश फाख्ता हो गए, उसकी टांग पर बहुत ज्यादा खून जमा हुआ था और अब भी थोड़ा सा खून उसकी टांग से रिस रहा था । उसके साथ कर्नल इरफ़ान खड़ा था जिसके चेहरे पर दुख और गुस्से के स्पष्ट संकेत देखे जा सकते थे। उसको शायद अपनी विफलता का गुस्सा था कि इन तीनों में से किसी से भी वह ये नहीं उगलवा सका था कि आखिर मेजर राज और समीरा इस समय कहाँ है?
कर्नल इरफ़ान के साथ 2 लोग और थे मगर इस बार वह हंटर वाली हसीना कर्नल के साथ नहीं थी कमरे की रोशनी अब कर्नल इरफ़ान के कहने पर ऑन कर दी गई थीं। रोशनी ऑन होने के बाद अमजद ने अब फिर काशफ देखा तो पता चला कि आखिर काशफ के साथ हुआ क्या है। उसकी टांग में ड्रिल मशीन के माध्यम से छेद किया गया था। उसने अपना दाहिना पैर फ़ोल्ड कर रखा था जबकि बाएं पैर को वह धीरे धीरे जमीन पर मार रहा था। मगर उसका बाकी पूरा शरीर स्तब्ध था, उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके कपड़े फटे हुए थे। काशफ की यह हालत देखकर अमजद की आँखों में खून उतर आया था। उसका बस नहीं चल रहा था कि वह अब अपनी जगह से उठे और कर्नल इरफ़ान के टकड़ टुकड़े कर डाले ...... मगर अफसोस कि वह इस समय कुछ नहीं कर सकता था। कर्नल इरफ़ान के साथ आए बाकी दो लोगों ने अब काशफ को जमीन से उठाया और अमजद के साथ एक और कुर्सी पर बिठा दिया जबकि सरमद अब तक खड़ा था मगर वह रस्सियों में जकड़ा हुआ था वह अपनी मर्जी से ज़्यादा हरकत नहीं कर सकता था सिवाय छोटे छोटे कदमों के साथ धीरे धीरे चलना। इसलिए कर्नल इरफ़ान को उससे कोई खास खतरा महसूस नहीं हो रहा था।
कर्नल इरफ़ान ने अभी अमजद से कहा और बोला ये अपने दोस्त की हालत देख रहे हो ??? मुझे सब कुछ सच सच बता दो कि मेजर राज इस समय कहाँ है अन्यथा। । । । । । । । इससे पहले कि कर्नल इरफ़ान का वाक्य पूरा होता अमजद ने एक जोरदार व्यंग्य का ठहाका लगाया तो कर्नल इरफ़ान कुछ गुस्से और कुछ आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रिया के साथ उसे देखने लगा। अमजद बोला कर्नल किस को डरा रहे हो? मेरे दोस्त की हालत तुम्हारे सामने है, जब वह तुम्हारा बर्बर अत्याचार सहन कर गया और तुम उससे कुछ न उगलवा सके तो तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हारे अत्याचार को सहन नहीं कर पाउन्गा और तुम्हें कुछ बताऊँगा ....
अमजद की बात सुनकर उसके साथ खड़े सरमद ने भी एक ठहाका लगाया और कुर्सी पर बैठे काशफ ने भी अपनी धीमी और पीड़ा से भरपूर आवाज में एक व्यंग्य का ठहाका लगाया। तीनों को ठहाके लगाते देखकर कर्नल इरफ़ान को अपना अपमान महसूस हो रहा था . वह सोच भी नहीं सकता था कि काशफ को इस हालत में देखने के बाद अमजद में हिम्मत बाकी रहेगी, उसका विचार था कि अमजद सब कुछ उगल देगा काशफ की यह हालत देखकर। मगर यहां तो मामला ही उलट था, वह तीनों तो एक दूसरे को देखकर खुश हो गए थे और उनमें पहले सा साहस आ चुका था, और तो और काशफ जिसके पैर में कर्नल इरफ़ान छेद कर चुका था और उसमें बोलने तक की हिम्मत नहीं थी उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके शरीर से खून निचोड़ लिया गया था वह भी व्यंग्य के ठहाके लगा रहा था।
राफिया ने अपने पापा को फोन किया, जैसे ही कर्नल इरफ़ान ने फोन पर हैलो कहा, कर्नल इरफ़ान ने कुछ परेशान स्वर में पूछा कि बताओ बेटा खैरियत तो है ना ?? कर्नल इरफ़ान जानता था कि राफिया बेवजह उसे तंग नहीं करती, कोई ज़रूरी बात हो तभी फोन करती है, खासकर जब वह अपने दोस्तों के साथ हो। राफिया ने अपने पापा को कहा पापा ये इमरान आप से कुछ बात करना चाहता है उसे कुछ मदद चाहिए आपकी ... यह कह कर राफिया ने फोन इमरान को पकड़ा दिया और इमरान नमस्ते सर कह कर कमरे से बाहर निकल गया। उसके बाद जो कुछ इमरान ने फोन पर कर्नल इरफ़ान को कहा, वह कर्नल इरफ़ान पांव तले से जमीन निकालने के लिए पर्याप्त था
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अमजद के लिए मौत को गले लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था, वह बहुत बार मौत के मुंह से बच कर वापस आया था मगर अगली बार वो पहले से ज्यादा मुश्किल और घातक मिशन खुशी से करने के लिए तैयार हो जाता था। लेकिन हर बार वह अपनी जान जोखिम में डाल कर निडर होकर लड़ता था, लेकिन आज पहली बार उसे अपनी मौत का बैठकर इंतजार करना पड़ रहा था जहां वह न तो दुश्मन पर हमला करने की स्थिति में था और न ही अपने बचाव का कोई उपाय कर सकता था, अगर वह कुछ कर सकता था तो वह था सिर्फ मौत का इंतजार। और यही इंतजार उसके लिए भयानक था। अगर कर्नल इरफ़ान उसकी कनपटी पर पिस्टल रख कर उसको कह देता कि मेजर राज का पता बता दो नहीं तो मौत को गले लगा लो तो शायद अमजद खुद ही गोली चला लेता मगर मेजर राज का पता नही बताता, मगर इस तरह असहाय बैठ कर मौत का इंतजार करना बहुत यातनादायक था। कभी वह काशफ के बारे में सोचता तो कभी सरमद के बार में, वह नहीं जानता था कि काशफ ज़िंदा है या फिर कर्नल इरफ़ान ने उसे शहीद कर दिया ??? और सरमद के बारे में भी उसे पता नहीं था कि वह गिरफ्तार हो चुका है या फिर उसने अपने बचाव का कोई उपाय किया है ??
समीरा अमजद को अपनी जान से ज्यादा प्यारी थी, उसने समीरा को अपनी छोटी बहन की तरह पाला था, और वो ऐसे किसी भी मिशन में समीरा को जोड़ते हुए घबराता था, मगर समीरा के अलावा वह किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता था इसीलिए मजबूरन वह समीरा को अपने साथ रखता। लेकिन इस समय वह समीरा से बेफिक्र था क्योंकि वह जानता था कि मेजर राज के साथ समीरा को कोई खतरा नहीं, मेजर राज समीरा की रक्षा कर सकता था, लेकिन सरमद की ओर से वह खासा चिंतित था। कर्नल इरफ़ान कमरे से गए खासी देर हो चुकी थी, शायद पूरा दिन बीत चुका था मगर अमजद को इस बात का राज नहीं था, वह तो बस एक अंधेरे कमरे में कैद था जहां बाहर होने वाले मामलों की उसको पता नहीं था। कुर्सी पर बैठे बैठे अमजद को अब तकलीफ होने लगी थी, ना जाने कब से वह इसी कुर्सी पर बंधा हुआ था और तो और पिछले काफी घंटों से न तो अमजद को पानी पीना नसीब हुआ था और न ही खाने को कुछ मिला था। परेशानी के कारण उसका गला सूख रहा था मगर उसको यहाँ पानी देने वाला कोई नहीं था।
अमजद ने 2, 3 बार चिल्लाकर पानी भी मांगा मगर उत्तर में उसको ना तो कोई आहट सुनाई दी और न ही कोई उसे पानी पिलाने आया। आज अमजद को महसूस हो रहा था कि मौत का इंतजार करना मौत को गले लगाने से कितना मुश्किल काम था। अब काशफ और सरमद के बारे में ही सोच रहा था कि उसको कमरे से बाहर कुछ कदमों की आवाज सुनाई दी। अब अमजद के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई वह समझ गया था कि शहादत का समय अब आ रहा है। इतनी देर से जो वह यातनादायक प्रतीक्षा कर रहा था वह इंतजार खत्म होने को है, कर्नल इरफ़ान की पिस्टल से अब एक गोली चलेगी और अमजद के सीने से पार हो जाएगी, और वह एक सैनिक को बचाने की खातिर अपनी जान की बलि देकर शहादत के रुतबे पर आसीन हो जाएगा। इस सोच ने अमजद के अंदर एक अजीब सी हिम्मत पैदा कर दी थी। अब कर्नल इरफ़ान उसके शरीर के टुकड़े कर डालता तब भी वो उससे कुछ उगलवा नहीं सकता था।
क़दमों की आवाज़ अब खासी करीब आ चुकी थी। कमरे के भीतर ज़ीरो का एक बल्ब जल गया था जिससे कमरे में कुछ प्रकाश पैदा हुआ था, तो कमरे का दरवाजा खुला और रस्सियों में जकड़ा व्यक्ति औंधे मुंह अंदर आ गिरा ... उससे पीछे एक और व्यक्ति था वह भी रस्सियों से बंधा हुआ था और एक आदमी उसे बालों से पकड़कर खींचता हुआ अमजद के पास ले आया था। रस्सियों में जकड़ा यह व्यक्ति अमजद के पास आया तो अमजद ने उसको पहचान लिया था। ये सरमद था जिसके चेहरे पर इस समय अनगिनत घाव थे और उसकी आंखें सूजी हुई थीं मगर आश्चर्यजनक रूप से उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी। अमजद को देखकर उसने बहुत मुश्किल से बोलना शुरू किया और महज इतना ही कहा: कुछ नहीं उगलवा सका यह कुत्ता मेरे मुंह से।
सरमद के मुंह से यह बात सुनकर अमजद के चेहरे पर भी एक विजयी मुस्कान आ गई थी। वह आगे बढ़कर सरमद को गले लगाना चाहता था मगर अफसोस कि अपनी कुर्सी से उठने के लायक नहीं था वह अब अमजद ने नीचे गिरे हुए व्यक्ति को देखा जो अब तक औंधे मुंह पड़ा था अमजद ने ध्यान से उसको देखा तो उसे भी पहचान लिया, यह काशफ था, मगर उसकी हालत बहुत बुरी थी। कर्नल इरफ़ान ने उस उत्पीड़न के पहाड़ तोड़ दिए थे, अमजद की नजर जब काशफ के पैर पर पड़ी तो उसके होश फाख्ता हो गए, उसकी टांग पर बहुत ज्यादा खून जमा हुआ था और अब भी थोड़ा सा खून उसकी टांग से रिस रहा था । उसके साथ कर्नल इरफ़ान खड़ा था जिसके चेहरे पर दुख और गुस्से के स्पष्ट संकेत देखे जा सकते थे। उसको शायद अपनी विफलता का गुस्सा था कि इन तीनों में से किसी से भी वह ये नहीं उगलवा सका था कि आखिर मेजर राज और समीरा इस समय कहाँ है?
कर्नल इरफ़ान के साथ 2 लोग और थे मगर इस बार वह हंटर वाली हसीना कर्नल के साथ नहीं थी कमरे की रोशनी अब कर्नल इरफ़ान के कहने पर ऑन कर दी गई थीं। रोशनी ऑन होने के बाद अमजद ने अब फिर काशफ देखा तो पता चला कि आखिर काशफ के साथ हुआ क्या है। उसकी टांग में ड्रिल मशीन के माध्यम से छेद किया गया था। उसने अपना दाहिना पैर फ़ोल्ड कर रखा था जबकि बाएं पैर को वह धीरे धीरे जमीन पर मार रहा था। मगर उसका बाकी पूरा शरीर स्तब्ध था, उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके कपड़े फटे हुए थे। काशफ की यह हालत देखकर अमजद की आँखों में खून उतर आया था। उसका बस नहीं चल रहा था कि वह अब अपनी जगह से उठे और कर्नल इरफ़ान के टकड़ टुकड़े कर डाले ...... मगर अफसोस कि वह इस समय कुछ नहीं कर सकता था। कर्नल इरफ़ान के साथ आए बाकी दो लोगों ने अब काशफ को जमीन से उठाया और अमजद के साथ एक और कुर्सी पर बिठा दिया जबकि सरमद अब तक खड़ा था मगर वह रस्सियों में जकड़ा हुआ था वह अपनी मर्जी से ज़्यादा हरकत नहीं कर सकता था सिवाय छोटे छोटे कदमों के साथ धीरे धीरे चलना। इसलिए कर्नल इरफ़ान को उससे कोई खास खतरा महसूस नहीं हो रहा था।
कर्नल इरफ़ान ने अभी अमजद से कहा और बोला ये अपने दोस्त की हालत देख रहे हो ??? मुझे सब कुछ सच सच बता दो कि मेजर राज इस समय कहाँ है अन्यथा। । । । । । । । इससे पहले कि कर्नल इरफ़ान का वाक्य पूरा होता अमजद ने एक जोरदार व्यंग्य का ठहाका लगाया तो कर्नल इरफ़ान कुछ गुस्से और कुछ आश्चर्य मिश्रित प्रतिक्रिया के साथ उसे देखने लगा। अमजद बोला कर्नल किस को डरा रहे हो? मेरे दोस्त की हालत तुम्हारे सामने है, जब वह तुम्हारा बर्बर अत्याचार सहन कर गया और तुम उससे कुछ न उगलवा सके तो तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हारे अत्याचार को सहन नहीं कर पाउन्गा और तुम्हें कुछ बताऊँगा ....
अमजद की बात सुनकर उसके साथ खड़े सरमद ने भी एक ठहाका लगाया और कुर्सी पर बैठे काशफ ने भी अपनी धीमी और पीड़ा से भरपूर आवाज में एक व्यंग्य का ठहाका लगाया। तीनों को ठहाके लगाते देखकर कर्नल इरफ़ान को अपना अपमान महसूस हो रहा था . वह सोच भी नहीं सकता था कि काशफ को इस हालत में देखने के बाद अमजद में हिम्मत बाकी रहेगी, उसका विचार था कि अमजद सब कुछ उगल देगा काशफ की यह हालत देखकर। मगर यहां तो मामला ही उलट था, वह तीनों तो एक दूसरे को देखकर खुश हो गए थे और उनमें पहले सा साहस आ चुका था, और तो और काशफ जिसके पैर में कर्नल इरफ़ान छेद कर चुका था और उसमें बोलने तक की हिम्मत नहीं थी उसका चेहरा नीला हो रहा था और उसके शरीर से खून निचोड़ लिया गया था वह भी व्यंग्य के ठहाके लगा रहा था।