hotaks444
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रजनी ने अपने कमरे को अन्दर से बंद किया और अपने कपड़े निकालने लगी।
‘दीदी शाम को अच्छे से कर दूँगी.. अभी मेरे तबियत ठीक नहीं है।’
बेला ने मुँह बनाते हुए कहा।
‘क्यों क्या हुआ तेरे को? चल इधर आ तेरी तबियत आज मैं हरी कर देती हूँ।’
यह कह कर रजनी ने बेला को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके लहँगे को एक झटके में उसकी कमर तक चढ़ा दिया।
‘हाय दीदी.. क्या कर रही हैं आप?’ बेला ने खीजते हुए रजनी से पूछा, पर रजनी ने बिना कुछ बोले.. अपनी ऊँगली को बेला की चूत में पेल दिया।
रजनी की ऊँगली बेला की गीली चूत में फिसलती हुई अन्दर चली गई।
‘आह दीदी ये ईए.. ओह…’
रजनी ने दो-चार बार अपनी ऊँगली बेला की चूत के अन्दर-बाहर की और फिर अपनी ऊँगली निकाल कर देखने लगी।
उसकी ऊँगली बेला की चूत और सोनू के कामरस से भीगी हुई थी, रजनी का शक और बढ़ गया।
रजनी- ये क्या है.. रांड.. बोल क्या किया तूने उस छोरे के साथ? उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अब तेरा भोसड़ा ठंड हो गया हो गया ना?
बेला- ये.. ये.. क्या कह रही हैं दीदी आप.. वो तो मेरे बेटे की उम्र का है।
रजनी- हाँ जानती हूँ मैं तुझे साली.. ज़रूर बेटा.. बेटा.. कह कर उसके लण्ड पर उछल रही होगी.. बोल.. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
बेला- दीदी वो वो..
इससे पहले कि बेला कुछ बोलती, रजनी अपनी दो उँगलियों को बेला की चूत में पेल कर अपने अंगूठे से उसकी चूत के दाने को ज़ोर से मसल दिया। बेला एकदम से सिसया उठी और अपनी कमर को उछालने लगी।
रजनी- देख साली कैसे अपनी गाण्ड उछाल रही है। ऐसे ही अपने गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदवाई होगी ना तुम उस लौंडे से?
बेला- दीदी ग़लती हो गई.. माफ़ कर दो, उसने मुझे संभलने का मौका ही नहीं दिया।
रजनी- क्या उसने.. या तूने उसे मौका नहीं दिया.. जा री.. तेरी फुद्दी उसके लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी होगी.. बोल साली.. मज़ा लेकर आई है ना.. जवान लण्ड का?
बेला- अब बस भी करो दीदी.. कहा ना ग़लती हो गई.. आइन्दा ऐसा नहीं होगा।
रजनी- चल साली जा अब.. आगे से उस छोरे से दूर रहना.. समझी।
बेला बिस्तर से खड़ी हुई और कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
बेला तो चली गई, पर रजनी की चूत में बेला की चुदाई की बात सुन कर आग लग चुकी थी।
बेला के जाने के बाद रजनी ने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत को मसलने लगी।रजनी ने अपने कमरे को अन्दर से बंद किया और अपने कपड़े निकालने लगी।
‘दीदी शाम को अच्छे से कर दूँगी.. अभी मेरे तबियत ठीक नहीं है।’
बेला ने मुँह बनाते हुए कहा।
‘क्यों क्या हुआ तेरे को? चल इधर आ तेरी तबियत आज मैं हरी कर देती हूँ।’
यह कह कर रजनी ने बेला को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके लहँगे को एक झटके में उसकी कमर तक चढ़ा दिया।
‘हाय दीदी.. क्या कर रही हैं आप?’ बेला ने खीजते हुए रजनी से पूछा, पर रजनी ने बिना कुछ बोले.. अपनी ऊँगली को बेला की चूत में पेल दिया।
रजनी की ऊँगली बेला की गीली चूत में फिसलती हुई अन्दर चली गई।
‘आह दीदी ये ईए.. ओह…’
रजनी ने दो-चार बार अपनी ऊँगली बेला की चूत के अन्दर-बाहर की और फिर अपनी ऊँगली निकाल कर देखने लगी।
उसकी ऊँगली बेला की चूत और सोनू के कामरस से भीगी हुई थी, रजनी का शक और बढ़ गया।
रजनी- ये क्या है.. रांड.. बोल क्या किया तूने उस छोरे के साथ? उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अब तेरा भोसड़ा ठंड हो गया हो गया ना?
बेला- ये.. ये.. क्या कह रही हैं दीदी आप.. वो तो मेरे बेटे की उम्र का है।
रजनी- हाँ जानती हूँ मैं तुझे साली.. ज़रूर बेटा.. बेटा.. कह कर उसके लण्ड पर उछल रही होगी.. बोल.. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
बेला- दीदी वो वो..
इससे पहले कि बेला कुछ बोलती, रजनी अपनी दो उँगलियों को बेला की चूत में पेल कर अपने अंगूठे से उसकी चूत के दाने को ज़ोर से मसल दिया। बेला एकदम से सिसया उठी और अपनी कमर को उछालने लगी।
रजनी- देख साली कैसे अपनी गाण्ड उछाल रही है। ऐसे ही अपने गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदवाई होगी ना तुम उस लौंडे से?
बेला- दीदी ग़लती हो गई.. माफ़ कर दो, उसने मुझे संभलने का मौका ही नहीं दिया।
रजनी- क्या उसने.. या तूने उसे मौका नहीं दिया.. जा री.. तेरी फुद्दी उसके लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी होगी.. बोल साली.. मज़ा लेकर आई है ना.. जवान लण्ड का?
बेला- अब बस भी करो दीदी.. कहा ना ग़लती हो गई.. आइन्दा ऐसा नहीं होगा।
रजनी- चल साली जा अब.. आगे से उस छोरे से दूर रहना.. समझी।
बेला बिस्तर से खड़ी हुई और कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
बेला तो चली गई, पर रजनी की चूत में बेला की चुदाई की बात सुन कर आग लग चुकी थी।
बेला के जाने के बाद रजनी ने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत को मसलने लगी।
‘दीदी शाम को अच्छे से कर दूँगी.. अभी मेरे तबियत ठीक नहीं है।’
बेला ने मुँह बनाते हुए कहा।
‘क्यों क्या हुआ तेरे को? चल इधर आ तेरी तबियत आज मैं हरी कर देती हूँ।’
यह कह कर रजनी ने बेला को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके लहँगे को एक झटके में उसकी कमर तक चढ़ा दिया।
‘हाय दीदी.. क्या कर रही हैं आप?’ बेला ने खीजते हुए रजनी से पूछा, पर रजनी ने बिना कुछ बोले.. अपनी ऊँगली को बेला की चूत में पेल दिया।
रजनी की ऊँगली बेला की गीली चूत में फिसलती हुई अन्दर चली गई।
‘आह दीदी ये ईए.. ओह…’
रजनी ने दो-चार बार अपनी ऊँगली बेला की चूत के अन्दर-बाहर की और फिर अपनी ऊँगली निकाल कर देखने लगी।
उसकी ऊँगली बेला की चूत और सोनू के कामरस से भीगी हुई थी, रजनी का शक और बढ़ गया।
रजनी- ये क्या है.. रांड.. बोल क्या किया तूने उस छोरे के साथ? उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अब तेरा भोसड़ा ठंड हो गया हो गया ना?
बेला- ये.. ये.. क्या कह रही हैं दीदी आप.. वो तो मेरे बेटे की उम्र का है।
रजनी- हाँ जानती हूँ मैं तुझे साली.. ज़रूर बेटा.. बेटा.. कह कर उसके लण्ड पर उछल रही होगी.. बोल.. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
बेला- दीदी वो वो..
इससे पहले कि बेला कुछ बोलती, रजनी अपनी दो उँगलियों को बेला की चूत में पेल कर अपने अंगूठे से उसकी चूत के दाने को ज़ोर से मसल दिया। बेला एकदम से सिसया उठी और अपनी कमर को उछालने लगी।
रजनी- देख साली कैसे अपनी गाण्ड उछाल रही है। ऐसे ही अपने गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदवाई होगी ना तुम उस लौंडे से?
बेला- दीदी ग़लती हो गई.. माफ़ कर दो, उसने मुझे संभलने का मौका ही नहीं दिया।
रजनी- क्या उसने.. या तूने उसे मौका नहीं दिया.. जा री.. तेरी फुद्दी उसके लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी होगी.. बोल साली.. मज़ा लेकर आई है ना.. जवान लण्ड का?
बेला- अब बस भी करो दीदी.. कहा ना ग़लती हो गई.. आइन्दा ऐसा नहीं होगा।
रजनी- चल साली जा अब.. आगे से उस छोरे से दूर रहना.. समझी।
बेला बिस्तर से खड़ी हुई और कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
बेला तो चली गई, पर रजनी की चूत में बेला की चुदाई की बात सुन कर आग लग चुकी थी।
बेला के जाने के बाद रजनी ने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत को मसलने लगी।रजनी ने अपने कमरे को अन्दर से बंद किया और अपने कपड़े निकालने लगी।
‘दीदी शाम को अच्छे से कर दूँगी.. अभी मेरे तबियत ठीक नहीं है।’
बेला ने मुँह बनाते हुए कहा।
‘क्यों क्या हुआ तेरे को? चल इधर आ तेरी तबियत आज मैं हरी कर देती हूँ।’
यह कह कर रजनी ने बेला को धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके लहँगे को एक झटके में उसकी कमर तक चढ़ा दिया।
‘हाय दीदी.. क्या कर रही हैं आप?’ बेला ने खीजते हुए रजनी से पूछा, पर रजनी ने बिना कुछ बोले.. अपनी ऊँगली को बेला की चूत में पेल दिया।
रजनी की ऊँगली बेला की गीली चूत में फिसलती हुई अन्दर चली गई।
‘आह दीदी ये ईए.. ओह…’
रजनी ने दो-चार बार अपनी ऊँगली बेला की चूत के अन्दर-बाहर की और फिर अपनी ऊँगली निकाल कर देखने लगी।
उसकी ऊँगली बेला की चूत और सोनू के कामरस से भीगी हुई थी, रजनी का शक और बढ़ गया।
रजनी- ये क्या है.. रांड.. बोल क्या किया तूने उस छोरे के साथ? उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अब तेरा भोसड़ा ठंड हो गया हो गया ना?
बेला- ये.. ये.. क्या कह रही हैं दीदी आप.. वो तो मेरे बेटे की उम्र का है।
रजनी- हाँ जानती हूँ मैं तुझे साली.. ज़रूर बेटा.. बेटा.. कह कर उसके लण्ड पर उछल रही होगी.. बोल.. नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
बेला- दीदी वो वो..
इससे पहले कि बेला कुछ बोलती, रजनी अपनी दो उँगलियों को बेला की चूत में पेल कर अपने अंगूठे से उसकी चूत के दाने को ज़ोर से मसल दिया। बेला एकदम से सिसया उठी और अपनी कमर को उछालने लगी।
रजनी- देख साली कैसे अपनी गाण्ड उछाल रही है। ऐसे ही अपने गाण्ड उछाल-उछाल कर चुदवाई होगी ना तुम उस लौंडे से?
बेला- दीदी ग़लती हो गई.. माफ़ कर दो, उसने मुझे संभलने का मौका ही नहीं दिया।
रजनी- क्या उसने.. या तूने उसे मौका नहीं दिया.. जा री.. तेरी फुद्दी उसके लण्ड को देख कर लार टपकाने लगी होगी.. बोल साली.. मज़ा लेकर आई है ना.. जवान लण्ड का?
बेला- अब बस भी करो दीदी.. कहा ना ग़लती हो गई.. आइन्दा ऐसा नहीं होगा।
रजनी- चल साली जा अब.. आगे से उस छोरे से दूर रहना.. समझी।
बेला बिस्तर से खड़ी हुई और कमरे का दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
बेला तो चली गई, पर रजनी की चूत में बेला की चुदाई की बात सुन कर आग लग चुकी थी।
बेला के जाने के बाद रजनी ने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और अपने सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर लेट गई और अपनी चूत को मसलने लगी।