hotaks444
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मैं बाथरूम चली गयी और दरवाज़ा बंद कर दिया. वैसे दरवाज़ा बंद करने की कोई ज़रूरत नहीं थी क्यूंकी मैं बेशर्मी से काजल को अपना नंगा बदन दिखा चुकी थी. पैंटी उतारकर मैंने अपने को पानी से साफ किया. और फिर टॉवेल से बदन पोंछ लिया. उसके बाद कमर में टॉवेल लपेटकर ऐसे ही बाथरूम से बाहर आ गयी.
“ऊइईइईइईइई …………”
मैं तो इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकती थी की कमरे में काजल के सिवा कोई और भी हो सकता है. इसलिए मैंने अपनी चूचियाँ भी नहीं ढकी थीं और कमर में लापरवाही से टॉवेल लपेट के बाथरूम से बाहर आ गयी. टॉवेल भी मैंने ठीक से नहीं लपेटा था क्यूंकी अभी तो काजल के सामने मैं सिर्फ़ पैंटी में ही थी तो उससे क्या शरमाना. मेरा पूरा ऊपरी बदन और जांघों से नीचे का हिस्सा पूरा नंगा था. ऐसी हालत में एक हाथ में पैंटी पकड़े मैं लापरवाही से बाथरूम से बाहर आ गयी तो कमरे में क्या देखती हूँ ?
कमरे का दरवाज़ा खुला था और वहां काजल नहीं थी बल्कि मेरे सामने एक 35 – 40 बरस का आदमी बाल्टी लिए खड़ा था , जो नौकर लग रहा था. उसे अपने सामने खड़ा देखकर मैं अवाक रह गयी. मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी बड़ी चूचियाँ ढकने की कोशिश की. हथेलियों से सिर्फ़ निप्पल और उसके आस पास का हिस्सा ही ढक पा रहा था पर इस हड़बड़ाहट की वजह से हल्के से लिपटा हुआ मेरा टॉवेल खुलकर फर्श में गिर गया. अब मेरे बदन में एक भी कपड़ा नहीं था और मेरी बालों से ढकी हुई चूत उस नौकर के सामने नंगी हो गयी . वो नौकर हक्का बक्का होकर मुझे उस पूरी नंगी हालत में देख रहा था.
नौकर – अरे अरे ……. मैडम.
मैं तुरंत नीचे झुकी और टॉवेल उठाने लगी. मैं फिर से अपनी चूत ढकने के लिए टॉवेल लपेटने लगी तो मेरे दाएं हाथ में पकड़ी हुई पैंटी नीचे गिर गयी. मैंने उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए था क्यूंकी सामने खड़े नौकर ने मेरा पूरा नंगा बदन अच्छे से देख लिया था. लेकिन हुआ ये की जैसे ही मैंने फर्श से टॉवेल उठाकर जल्दी से अपनी चूत के आगे लगाया तो पैंटी मेरे हाथ से फिसल गयी. मैंने टॉवेल लपेटना छोड़कर पैंटी को हवा में ही पकड़ने की कोशिश की.
असल में उस अंजान आदमी के सामने पूरी नंगी होने से मैं इतना घबरा गयी थी की सब गड़बड़ कर दिया. पैंटी पकड़ने की कोशिश में मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं घुटनों के बल फर्श में गिर गयी. मेरे हाथ से टॉवेल छिटक गया और एक बार फिर से मैं उस नौकर के सामने पूरी नंगी हो गयी.
अब तक वो नौकर आँखें फाड़े मुझे देख रहा था पर इससे पहले की मैं उठ पाती , वो मेरी मदद को आगे आया. पहली बार मैंने ध्यान से उसे देखा. वो काला कलूटा , बदसूरत सा लेकिन मजबूत बदन वाला था. उसने नीले रंग की कमीज़ और सफेद धोती पहनी हुई थी और वो शायद बाथरूम साफ करने वहाँ आया था.
नौकर – मैडम …ध्यान से….
वो आगे झुका और मेरा कंधा पकड़ लिया. मेरी हालत उस समय बहुत बुरी थी. मैं अपने घुटनों के बल फर्श में बैठी हुई थी , कपड़े का एक टुकड़ा भी मेरे बदन में नहीं था, मेरी बड़ी चूचियाँ पूरी नंगी लटक रही थीं और एक अंजान नौकर मेरे नंगे कंधे को पकड़े हुए था.
उसके मेरे नंगे बदन को छूते ही मुझे करेंट सा लगा. मैंने तुरंत उसका हाथ झटक दिया और अपनी नंगी चूचियों को टॉवेल से ढककर उठ खड़ी हुई और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से नौकर के सामने अब मेरी बड़ी गांड नंगी थी पर मेरे पास सोचने का समय नहीं था और मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया.
ये सब कुछ अचानक और बहुत जल्दी से हो गया था पर मैं इतनी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी की हाँफने लगी थी की जैसे कितना जो दौड़कर आई हूँ. मुझे नॉर्मल होने में कुछ वक़्त लगा . फिर मुझे होश आया की अब क्या करूँ ? पहनने के लिए तो मेरे पास कुछ है ही नहीं. मेरे पास सिर्फ़ एक छोटा सा टॉवेल और एक गीली पैंटी थी. मैंने दरवाज़े पे कान लगाए की शायद काजल कमरे में वापस आ गयी हो पर उसकी कोई आवाज़ मुझे नहीं सुनाई दी. कुछ पल ऐसे ही बीत गये फिर नौकर ने आवाज़ लगाई.
नौकर – मैडम, मुझे बाथरूम , टॉयलेट साफ करना है. जल्दी से कपड़े पहन लो. मुझे और भी काम है.
“रूको , रूको.”
अब मेरा बदन काँपने लगा था क्यूंकी मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूँ ? मैंने बाथरूम में इधर उधर देखा शायद काजल के कोई कपड़े रखे हों. हुक्स में कोई भी कपड़े नहीं टंगे थे पर एक बाल्टी में पड़े हुए कुछ कपड़े मुझे दिख गये. मैंने बाल्टी में हाथ डालकर वो कपड़े बाहर निकाले . उसमें सिर्फ़ एक ब्रा , एक पैंटी , एक चुन्नटदार स्कर्ट और एक मुड़ा तुड़ा टॉप था. मैं बाथरूम में बिल्कुल नंगी खड़ी थी तो मेरे पास कोई और चारा नहीं था. मैंने उन्हीं कपड़ों को पहनने का फ़ैसला किया.
नौकर – मैडम , मैं कितनी देर तक खड़ा रहूँगा ?
अब ये नौकर मुझे इरिटेट कर रहा था. मैंने गुस्से से उसे जवाब दिया.
“या तो एक बार काजल को बुला दो या फिर इंतज़ार करो.”
नौकर – मैडम, काजल तो सेठजी के किसी काम से नीचे गयी है.
अब तो मैं बुरी फँस गयी थी. अगर मैं गुप्ताजी को बुलाती हूँ तो वो इस हालत में देखकर मुझसे मज़ा लिए बिना छोड़ेगा नहीं. नंदिनी ज़रूर मेरी मदद कर सकती थी लेकिन अभी वो यज्ञ में बिज़ी थी. अगर मैं इस नौकर से अपने कपड़े मांगू तो इससे मुसीबत भी हो सकती है क्यूंकी तब इसे पता चल जाएगा की मेरे पास पहनने को बाथरूम में कोई कपड़े नहीं हैं. इन सब विकल्पों पर सोचने के बाद मैंने जो है उसी को पहनने का मन बनाया.
सबसे पहले तो मैंने अपनी पैंटी पहन ली जो थोड़ी गीली थी लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं था. मैंने पैंटी के सिरों को पकड़कर अपने बड़े नितंबों के ऊपर फैलाने की कोशिश की ताकि ज़्यादा से ज़्यादा ढक जाए. फिर मैंने काजल की ब्रा पहनने की कोशिश की लेकिन वो छोटे साइज़ की थी और ब्रा के कप भी छोटे थे. मेरी बड़ी चूचियाँ ब्रा कप में ठीक से नहीं आयीं पर जितना ढक गया अभी उतना भी बहुत था. मैंने ब्रा के स्ट्रैप्स कंधों पर डाल लिए और पीठ पर हुक नहीं लगा तो ऐसे ही रहने दिया.
उसके बाद मैंने काजल की स्कर्ट उठाई. ये एक चुन्नटदार स्कर्ट थी और खुशकिस्मती से छोटी नहीं थी. मैंने इसे पहना तो मेरे घुटने तक लंबी थी लेकिन समस्या ये थी की इसकी कमर मेरे लिए छोटी हो रही थी. इसलिए बटन लग नहीं रहा था और मेरे बड़े नितंबों पर टाइट भी हो रही थी लेकिन मैंने सोचा की बाहर निकलकर तो अपने कपड़े पहन ही लूँगी.
अब मुझे अपनी नंगी छाती को ढकना था. मैंने काजल का टॉप बाल्टी से निकाला, वो मुड़ा तुड़ा हुआ था तो मैंने उसे सीधा करने की कोशिश की. वो शायद लंबे समय से बाल्टी में पड़ा था इसलिए सीधा नहीं हो रहा था. मैंने उसमें अपनी बाँहें डालने की कोशिश की तो मुझे पता लगा की ये तो मेरे लिए बहुत टाइट है और बहुत छोटा भी. मेरे जैसी भरे पूरे बदन वाली औरत के लिए वो टॉप पूरी तरह से अनफिट था. मैंने उसे फिर से बाल्टी में डाल दिया और टॉवेल को फैलाकर अपनी चूचियों को ढक लिया.
नौकर – मैडम, क्या दिक्कत है ? सेठजी को बुलाऊँ क्या ?
“नहीं नहीं. किसी को बुलाने की ज़रूरत नहीं. मैं आ रही हूँ.”
मैंने सोचा इससे कहूं या नहीं, फिर सोचा कह ही देती हूँ.
“एक काम करो. कमरे का दरवाज़ा लॉक कर दो.”
नौकर - क्यूँ मैडम ?
“असल में…वो क्या है की ….मेरा मतलब मेरे पास बाथरूम में साड़ी नहीं है.”
नौकर – हाँ मैडम. आपकी साड़ी तो यहाँ बेड पर है.
“हाँ. दरवाज़ा बंद कर दो और मुझे बताओ.”
नौकर – मैडम ये बाकी कपड़े भी आपके ही होंगे क्यूंकी मुझे पता है की ये काजल दीदी के तो नहीं हैं.
मैं सोच रही थी की इस आदमी की बात का क्या जवाब दूँ. उसने ज़रूर मेरी साड़ी के साथ रखे हुए मेरे ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा को देख लिया होगा.
नौकर – आपके सारे कपड़े तो यहीं दिख रहे हैं तो फिर बाथरूम में क्या ले गयी हो ?
“असल में मैं उनको ले जाना भूल गयी थी लेकिन…”
मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की उसने टोक दिया. वो बहुत बातूनी आदमी लग रहा था लेकिन मुझे उसकी बातों से इरिटेशन हो रही थी और एंबरेसमेंट भी.
नौकर – ओहो… अब मुझे समझ आया की जब मैंने आपको देखा था तब आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने थे. लेकिन मैडम, आपको ध्यान रखना चाहिए. हमेशा दरवाज़ा लॉक करना चाहिए. किसी को पता नहीं चलेगा की आप …..बिल्कुल नंगी हो.
वो थोड़ा रुका फिर बोलने लगा.
नौकर – लेकिन मैडम, एक बात बताऊँ …..एक सेकेंड रूको, दरवाज़े के पास आता हूँ.
एक पल के लिए शांति रही फिर उसकी आवाज़ मेरे बिल्कुल नज़दीक़ से आई. मुझे पता चल गया की वो बाथरूम के दरवाज़े से चिपक के खड़ा है और वो धीमी आवाज़ में बोल रहा था.
नौकर – मैडम, मैं आपको एक राज की बात बता रहा हूँ. जैसे मैंने आपको देखा अगर वैसे सेठजी ने देख लिया होता तो वो आपको आसानी से नहीं जाने देता. उसका चरित्र अच्छा नहीं है. वो विकलांग ज़रूर है पर बहुत चालाक है. मैडम, ध्यान रखना.
कुछ पल रुककर फिर बोलने लगा.
नौकर – काजल दीदी भी अपने कमरे में बहुत कम कपड़े पहनती है पर फिर भी आपकी जैसी नहीं मैडम. आप तो बिल्कुल नंगी निकली बाथरूम से.
मेरे पास जवाब देने को कुछ नहीं था और मैं बाथरूम में शर्मिंदगी से खड़ी रही.
नौकर – मैडम फिर भी आपने मुझे देखकर अपने बदन को ढकने की कोशिश तो की. लेकिन काजल दीदी तो मेरे सामने अपने को ढकने की कोशिश भी नहीं करती है. ये लड़की अभी से बिगड़ चुकी है. मैं इस घर का नौकर हूँ अब इससे ज़्यादा क्या कह सकता हूँ.
मैं सोचने लगी कब तक ऐसे ही बाथरूम में खड़ी रहूंगी.
“अच्छा …”
नौकर – मैं आपको बता रहा हूँ मैडम, पर किसी को मत बताना. ना जाने कितनी बार मैंने काजल दीदी को बिना कपड़े पहने बेड में लेटे हुए देखा है.
“क्या..???”
नौकर – मेरा मतलब वो कुर्ता या नाइटी नहीं पहनी थी, सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट पहने हुई थी मैडम. मैं झाड़ू पोछा लगा रहा था और वो ऐसे ही बेड में लेटी थी. कभी कभी मैं जब बाथरूम साफ कर रहा होता हूँ तो वो मुझे कोई हिदायत देने आती है. आपको पता है मैडम की क्या पहन के आती है ?
वो रुका और शायद मेरे पूछने का इंतज़ार कर रहा था. काजल के किस्से मैं सिर्फ उत्सुकता की वजह से सुन रही थी वरना जिस हालत में मैं थी उसमें तो अपनी इज़्ज़त बचाने के अलावा किसी और चीज़ में ध्यान लगाना मुश्किल था.
“क्या पहन के ?”
नौकर – मैडम , काजल दीदी एक छोटा सा टॉप और एक चड्डी जैसी चीज़ पहन के आयी थी , जो लड़कियाँ शहर में अपनी स्कर्ट के अंदर पहनती हैं. मैं बार बार उसका नाम भूल जाता हूँ. मैडम आपने भी तो अपने हाथ में पकड़ी थी. क्या कहते हैं उसको ?
“हाँ मैं समझ गयी बस. तुम्हें इसका नाम लेने की ज़रूरत नहीं है.”
नौकर – नहीं नहीं मैडम. एक बार बता दो. मैं भूल गया हूँ. असल में एक दिन मेरी घरवाली बोली की वो भी अपने घाघरे के अंदर इसको पहनना चाहती है, लेकिन मैंने मना कर दिया. ये सब शहर वालों के फैशन हैं. मैडम ? इसका नाम कुछ प से कहते हैं, है ना ? पा …पा…..?
“पैंटी..”
नौकर – हाँ मैडम , पैंटी….. पैंटी…... मैं इसका नाम भूल जाता हूँ. पता नहीं क्यूँ.
मैं सोच रही थी की अब फिर से इसे बोलूं की कमरे का दरवाज़ा बंद कर दे ताकि मैं बाथरूम से बाहर निकलूं लेकिन इसका मुँह ही बंद नहीं हो रहा था.
“ऊइईइईइईइई …………”
मैं तो इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकती थी की कमरे में काजल के सिवा कोई और भी हो सकता है. इसलिए मैंने अपनी चूचियाँ भी नहीं ढकी थीं और कमर में लापरवाही से टॉवेल लपेट के बाथरूम से बाहर आ गयी. टॉवेल भी मैंने ठीक से नहीं लपेटा था क्यूंकी अभी तो काजल के सामने मैं सिर्फ़ पैंटी में ही थी तो उससे क्या शरमाना. मेरा पूरा ऊपरी बदन और जांघों से नीचे का हिस्सा पूरा नंगा था. ऐसी हालत में एक हाथ में पैंटी पकड़े मैं लापरवाही से बाथरूम से बाहर आ गयी तो कमरे में क्या देखती हूँ ?
कमरे का दरवाज़ा खुला था और वहां काजल नहीं थी बल्कि मेरे सामने एक 35 – 40 बरस का आदमी बाल्टी लिए खड़ा था , जो नौकर लग रहा था. उसे अपने सामने खड़ा देखकर मैं अवाक रह गयी. मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी बड़ी चूचियाँ ढकने की कोशिश की. हथेलियों से सिर्फ़ निप्पल और उसके आस पास का हिस्सा ही ढक पा रहा था पर इस हड़बड़ाहट की वजह से हल्के से लिपटा हुआ मेरा टॉवेल खुलकर फर्श में गिर गया. अब मेरे बदन में एक भी कपड़ा नहीं था और मेरी बालों से ढकी हुई चूत उस नौकर के सामने नंगी हो गयी . वो नौकर हक्का बक्का होकर मुझे उस पूरी नंगी हालत में देख रहा था.
नौकर – अरे अरे ……. मैडम.
मैं तुरंत नीचे झुकी और टॉवेल उठाने लगी. मैं फिर से अपनी चूत ढकने के लिए टॉवेल लपेटने लगी तो मेरे दाएं हाथ में पकड़ी हुई पैंटी नीचे गिर गयी. मैंने उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए था क्यूंकी सामने खड़े नौकर ने मेरा पूरा नंगा बदन अच्छे से देख लिया था. लेकिन हुआ ये की जैसे ही मैंने फर्श से टॉवेल उठाकर जल्दी से अपनी चूत के आगे लगाया तो पैंटी मेरे हाथ से फिसल गयी. मैंने टॉवेल लपेटना छोड़कर पैंटी को हवा में ही पकड़ने की कोशिश की.
असल में उस अंजान आदमी के सामने पूरी नंगी होने से मैं इतना घबरा गयी थी की सब गड़बड़ कर दिया. पैंटी पकड़ने की कोशिश में मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं घुटनों के बल फर्श में गिर गयी. मेरे हाथ से टॉवेल छिटक गया और एक बार फिर से मैं उस नौकर के सामने पूरी नंगी हो गयी.
अब तक वो नौकर आँखें फाड़े मुझे देख रहा था पर इससे पहले की मैं उठ पाती , वो मेरी मदद को आगे आया. पहली बार मैंने ध्यान से उसे देखा. वो काला कलूटा , बदसूरत सा लेकिन मजबूत बदन वाला था. उसने नीले रंग की कमीज़ और सफेद धोती पहनी हुई थी और वो शायद बाथरूम साफ करने वहाँ आया था.
नौकर – मैडम …ध्यान से….
वो आगे झुका और मेरा कंधा पकड़ लिया. मेरी हालत उस समय बहुत बुरी थी. मैं अपने घुटनों के बल फर्श में बैठी हुई थी , कपड़े का एक टुकड़ा भी मेरे बदन में नहीं था, मेरी बड़ी चूचियाँ पूरी नंगी लटक रही थीं और एक अंजान नौकर मेरे नंगे कंधे को पकड़े हुए था.
उसके मेरे नंगे बदन को छूते ही मुझे करेंट सा लगा. मैंने तुरंत उसका हाथ झटक दिया और अपनी नंगी चूचियों को टॉवेल से ढककर उठ खड़ी हुई और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से नौकर के सामने अब मेरी बड़ी गांड नंगी थी पर मेरे पास सोचने का समय नहीं था और मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया.
ये सब कुछ अचानक और बहुत जल्दी से हो गया था पर मैं इतनी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी की हाँफने लगी थी की जैसे कितना जो दौड़कर आई हूँ. मुझे नॉर्मल होने में कुछ वक़्त लगा . फिर मुझे होश आया की अब क्या करूँ ? पहनने के लिए तो मेरे पास कुछ है ही नहीं. मेरे पास सिर्फ़ एक छोटा सा टॉवेल और एक गीली पैंटी थी. मैंने दरवाज़े पे कान लगाए की शायद काजल कमरे में वापस आ गयी हो पर उसकी कोई आवाज़ मुझे नहीं सुनाई दी. कुछ पल ऐसे ही बीत गये फिर नौकर ने आवाज़ लगाई.
नौकर – मैडम, मुझे बाथरूम , टॉयलेट साफ करना है. जल्दी से कपड़े पहन लो. मुझे और भी काम है.
“रूको , रूको.”
अब मेरा बदन काँपने लगा था क्यूंकी मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूँ ? मैंने बाथरूम में इधर उधर देखा शायद काजल के कोई कपड़े रखे हों. हुक्स में कोई भी कपड़े नहीं टंगे थे पर एक बाल्टी में पड़े हुए कुछ कपड़े मुझे दिख गये. मैंने बाल्टी में हाथ डालकर वो कपड़े बाहर निकाले . उसमें सिर्फ़ एक ब्रा , एक पैंटी , एक चुन्नटदार स्कर्ट और एक मुड़ा तुड़ा टॉप था. मैं बाथरूम में बिल्कुल नंगी खड़ी थी तो मेरे पास कोई और चारा नहीं था. मैंने उन्हीं कपड़ों को पहनने का फ़ैसला किया.
नौकर – मैडम , मैं कितनी देर तक खड़ा रहूँगा ?
अब ये नौकर मुझे इरिटेट कर रहा था. मैंने गुस्से से उसे जवाब दिया.
“या तो एक बार काजल को बुला दो या फिर इंतज़ार करो.”
नौकर – मैडम, काजल तो सेठजी के किसी काम से नीचे गयी है.
अब तो मैं बुरी फँस गयी थी. अगर मैं गुप्ताजी को बुलाती हूँ तो वो इस हालत में देखकर मुझसे मज़ा लिए बिना छोड़ेगा नहीं. नंदिनी ज़रूर मेरी मदद कर सकती थी लेकिन अभी वो यज्ञ में बिज़ी थी. अगर मैं इस नौकर से अपने कपड़े मांगू तो इससे मुसीबत भी हो सकती है क्यूंकी तब इसे पता चल जाएगा की मेरे पास पहनने को बाथरूम में कोई कपड़े नहीं हैं. इन सब विकल्पों पर सोचने के बाद मैंने जो है उसी को पहनने का मन बनाया.
सबसे पहले तो मैंने अपनी पैंटी पहन ली जो थोड़ी गीली थी लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं था. मैंने पैंटी के सिरों को पकड़कर अपने बड़े नितंबों के ऊपर फैलाने की कोशिश की ताकि ज़्यादा से ज़्यादा ढक जाए. फिर मैंने काजल की ब्रा पहनने की कोशिश की लेकिन वो छोटे साइज़ की थी और ब्रा के कप भी छोटे थे. मेरी बड़ी चूचियाँ ब्रा कप में ठीक से नहीं आयीं पर जितना ढक गया अभी उतना भी बहुत था. मैंने ब्रा के स्ट्रैप्स कंधों पर डाल लिए और पीठ पर हुक नहीं लगा तो ऐसे ही रहने दिया.
उसके बाद मैंने काजल की स्कर्ट उठाई. ये एक चुन्नटदार स्कर्ट थी और खुशकिस्मती से छोटी नहीं थी. मैंने इसे पहना तो मेरे घुटने तक लंबी थी लेकिन समस्या ये थी की इसकी कमर मेरे लिए छोटी हो रही थी. इसलिए बटन लग नहीं रहा था और मेरे बड़े नितंबों पर टाइट भी हो रही थी लेकिन मैंने सोचा की बाहर निकलकर तो अपने कपड़े पहन ही लूँगी.
अब मुझे अपनी नंगी छाती को ढकना था. मैंने काजल का टॉप बाल्टी से निकाला, वो मुड़ा तुड़ा हुआ था तो मैंने उसे सीधा करने की कोशिश की. वो शायद लंबे समय से बाल्टी में पड़ा था इसलिए सीधा नहीं हो रहा था. मैंने उसमें अपनी बाँहें डालने की कोशिश की तो मुझे पता लगा की ये तो मेरे लिए बहुत टाइट है और बहुत छोटा भी. मेरे जैसी भरे पूरे बदन वाली औरत के लिए वो टॉप पूरी तरह से अनफिट था. मैंने उसे फिर से बाल्टी में डाल दिया और टॉवेल को फैलाकर अपनी चूचियों को ढक लिया.
नौकर – मैडम, क्या दिक्कत है ? सेठजी को बुलाऊँ क्या ?
“नहीं नहीं. किसी को बुलाने की ज़रूरत नहीं. मैं आ रही हूँ.”
मैंने सोचा इससे कहूं या नहीं, फिर सोचा कह ही देती हूँ.
“एक काम करो. कमरे का दरवाज़ा लॉक कर दो.”
नौकर - क्यूँ मैडम ?
“असल में…वो क्या है की ….मेरा मतलब मेरे पास बाथरूम में साड़ी नहीं है.”
नौकर – हाँ मैडम. आपकी साड़ी तो यहाँ बेड पर है.
“हाँ. दरवाज़ा बंद कर दो और मुझे बताओ.”
नौकर – मैडम ये बाकी कपड़े भी आपके ही होंगे क्यूंकी मुझे पता है की ये काजल दीदी के तो नहीं हैं.
मैं सोच रही थी की इस आदमी की बात का क्या जवाब दूँ. उसने ज़रूर मेरी साड़ी के साथ रखे हुए मेरे ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा को देख लिया होगा.
नौकर – आपके सारे कपड़े तो यहीं दिख रहे हैं तो फिर बाथरूम में क्या ले गयी हो ?
“असल में मैं उनको ले जाना भूल गयी थी लेकिन…”
मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की उसने टोक दिया. वो बहुत बातूनी आदमी लग रहा था लेकिन मुझे उसकी बातों से इरिटेशन हो रही थी और एंबरेसमेंट भी.
नौकर – ओहो… अब मुझे समझ आया की जब मैंने आपको देखा था तब आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने थे. लेकिन मैडम, आपको ध्यान रखना चाहिए. हमेशा दरवाज़ा लॉक करना चाहिए. किसी को पता नहीं चलेगा की आप …..बिल्कुल नंगी हो.
वो थोड़ा रुका फिर बोलने लगा.
नौकर – लेकिन मैडम, एक बात बताऊँ …..एक सेकेंड रूको, दरवाज़े के पास आता हूँ.
एक पल के लिए शांति रही फिर उसकी आवाज़ मेरे बिल्कुल नज़दीक़ से आई. मुझे पता चल गया की वो बाथरूम के दरवाज़े से चिपक के खड़ा है और वो धीमी आवाज़ में बोल रहा था.
नौकर – मैडम, मैं आपको एक राज की बात बता रहा हूँ. जैसे मैंने आपको देखा अगर वैसे सेठजी ने देख लिया होता तो वो आपको आसानी से नहीं जाने देता. उसका चरित्र अच्छा नहीं है. वो विकलांग ज़रूर है पर बहुत चालाक है. मैडम, ध्यान रखना.
कुछ पल रुककर फिर बोलने लगा.
नौकर – काजल दीदी भी अपने कमरे में बहुत कम कपड़े पहनती है पर फिर भी आपकी जैसी नहीं मैडम. आप तो बिल्कुल नंगी निकली बाथरूम से.
मेरे पास जवाब देने को कुछ नहीं था और मैं बाथरूम में शर्मिंदगी से खड़ी रही.
नौकर – मैडम फिर भी आपने मुझे देखकर अपने बदन को ढकने की कोशिश तो की. लेकिन काजल दीदी तो मेरे सामने अपने को ढकने की कोशिश भी नहीं करती है. ये लड़की अभी से बिगड़ चुकी है. मैं इस घर का नौकर हूँ अब इससे ज़्यादा क्या कह सकता हूँ.
मैं सोचने लगी कब तक ऐसे ही बाथरूम में खड़ी रहूंगी.
“अच्छा …”
नौकर – मैं आपको बता रहा हूँ मैडम, पर किसी को मत बताना. ना जाने कितनी बार मैंने काजल दीदी को बिना कपड़े पहने बेड में लेटे हुए देखा है.
“क्या..???”
नौकर – मेरा मतलब वो कुर्ता या नाइटी नहीं पहनी थी, सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट पहने हुई थी मैडम. मैं झाड़ू पोछा लगा रहा था और वो ऐसे ही बेड में लेटी थी. कभी कभी मैं जब बाथरूम साफ कर रहा होता हूँ तो वो मुझे कोई हिदायत देने आती है. आपको पता है मैडम की क्या पहन के आती है ?
वो रुका और शायद मेरे पूछने का इंतज़ार कर रहा था. काजल के किस्से मैं सिर्फ उत्सुकता की वजह से सुन रही थी वरना जिस हालत में मैं थी उसमें तो अपनी इज़्ज़त बचाने के अलावा किसी और चीज़ में ध्यान लगाना मुश्किल था.
“क्या पहन के ?”
नौकर – मैडम , काजल दीदी एक छोटा सा टॉप और एक चड्डी जैसी चीज़ पहन के आयी थी , जो लड़कियाँ शहर में अपनी स्कर्ट के अंदर पहनती हैं. मैं बार बार उसका नाम भूल जाता हूँ. मैडम आपने भी तो अपने हाथ में पकड़ी थी. क्या कहते हैं उसको ?
“हाँ मैं समझ गयी बस. तुम्हें इसका नाम लेने की ज़रूरत नहीं है.”
नौकर – नहीं नहीं मैडम. एक बार बता दो. मैं भूल गया हूँ. असल में एक दिन मेरी घरवाली बोली की वो भी अपने घाघरे के अंदर इसको पहनना चाहती है, लेकिन मैंने मना कर दिया. ये सब शहर वालों के फैशन हैं. मैडम ? इसका नाम कुछ प से कहते हैं, है ना ? पा …पा…..?
“पैंटी..”
नौकर – हाँ मैडम , पैंटी….. पैंटी…... मैं इसका नाम भूल जाता हूँ. पता नहीं क्यूँ.
मैं सोच रही थी की अब फिर से इसे बोलूं की कमरे का दरवाज़ा बंद कर दे ताकि मैं बाथरूम से बाहर निकलूं लेकिन इसका मुँह ही बंद नहीं हो रहा था.