hotaks444
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बिमला ने मेरी आँखों में देखा और धीरे से अपनी चोली की डोरी को ढील दे दी अन्दर ब्रा थी नहीं तो बस हवा में झूल गए वो शोख कबूतर मन ललचा गया अपना फिर धीर धीरे से उसने अपने घागरे को भी नीचे को सरका दिया और बिलकुल नंगी मेरे सामने खड़ी हो गयी , उसकी कामुक नजरो से नजर मिलाते हुए मैं भी अपने जिस्म को कपड़ो की कैद से आजाद करने लगा
बिमला अपना हाथ चूत पर ले गयी और उसको सहलाने लगी धीरे धीरे वो मेरी उत्तेजना के बारूद को सुलगाने लगी थी मैंने उसको पकड़ा और घुमा दिया नीचे बैठा और उसके कुलहो को थोडा सा फैलाते हुए अपना मुह घुसा दिया और उसकी योनी पर चुम्बनों को बरसात करने लगा बिमला सिस्कारिया भरने लगी उसने अपने हाथ घुटनों पर रखे और झुक गयी मैंने योनी को उंगलियों की मदद से फैलाया और अपनी सपनीली जीभ से योनी को कुरेदने लगा
मद्धम गति से हिलते उसके चुतड मेरी ताल में ताल मिलाने लगे थे योनी की बेहद प्यारी पंखुडियो को अपने होठो में दबा कर चूसे जा रहा था मैं बिमला की टांगो में थरथराहट हो रही थी ये चूत का पानी ऐसे मेरे मुह लगा था की बस ना पूछो बिमला की टांगे अपने आप खुलती चली गयी और मैं पूरी तरह से उसके पांवो के बीच आ पंहूँचा बिमला की रसीली चूत से टपकते रस को चाट ते हुए पर उसने ज्यादा देर ये सब ना चलने दिया वो भी बहुत गरम हो गयी थी
वो तुरंत पलंग पर चढ़ गयी और घोड़ी बन गयी मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसको बिमला की चूत की गहराइयों में उतार दिया और थाम लिया उसके मोटो मोटे कुलहो को और हो गयी चुदाई शुरू टपा ताप बिमला की चूत पिस्ता की तरह टाइट तो थी नै पर अपने लिए सही थी आखिर पहली बार बिमला की चूत ही तो मारी थी उसके काले चुतड बल्ब की रौशनी में बड़े मस्त लग रहे थे मैंने प्यार से उन पर हाथ फेर उसकी गांड का छोटा सा छेद बड़ा सुन्दर लग रहा था
ऊपर से चुदाई का जोश मैं अपनी ऊँगली गांड के छेद पर रख कर कुरेदने लगा तो चुदते हुए उसने अपनी गर्दन मेरी तरफ घुमाई और बोली- नाआआआआआआआ उधर छेड़खानी मत करो
मैं- करने दो न तुम्हारा क्या बिगड़ता हैं
वो- मेरी ही बिगड़ेगा जो बिगड़ेगा वहा से हाथ हटाओ और काम पर ध्यान दो
मैंने अपने लंड को किनारे तक बाहर निकला और फिर से घुसेड दिया बार बार मैं ऐसे करने लगा तो बिमला बोली क्यों तद्पाते हो वैसे ही इतने दिन से ठंडी पड़ी थी आज तो मेहरबानी करो मैंने अब अपने लंड को बाहर निकल लिया और फिर से उसके चुतद पर किस करने लगा उसकी चूत को पीने लगा बिमला से वैसे ही अपनी गर्मी नहीं संभल रही थी वो और कामुक होने लगी
और वो 69 में घूम गयी और मेरे लंड को मुह में भर कर जीभ से चाटने लगी मैं जैसे जैसे उसकी चूत से शरारत करता वैसे ही वो करती , जैसे बदला उतार रही हो काफ़ी देर तक चुसी करते रही अब मैंने उसको अपने ऊपर से उतारा और फिर से हम दोनों एक दूजे में समाते चले गए उसके लिपस्टिक लगे होटो को बुरी तरह से चूसते हुए मैं बिमला को चोदने लगा वो अपने हाथो से मेरे कुलहो को बार बार दबा रही थी
अपनी टांगो को कभी पटकती कभी मेरी कमर पर लपेटती उसके बाल बिखर गए थे पर जोश भरपूर था धीरे धीरे मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ गयी थी बार बार वो अपनी कमर उचकाती मैं उसके गालो को खाए जा रहा था मेरे दांतों के निशान पड़ गए थे उनपर उसकी चूचियो को दबाता कभी अपने मुह से काटता वहा पर बिमला इतनी गरम हो गयी थी की पूछो ही मत उसकी चूत से बहता पानी उसकी जांघो तक पहूँच गया था नीचे बस चिप चिप ही हो राखी थी हम दोनों की साँसे उफान पर थी
बिमला ने अब अपनी टांगो को बिलकुल सीधा सपाट कर लिया और मेरे लंड को बुरी तरह से भींच लिया और अपनी चूत मरवाने लगी उसकी चूत में अब लंड कैद हो गया था जितना वो पैरो को आपस में कसती उतना ही टाइट होता जाता बिमला मेरे नीचे पिस रही थी उसकी हरकतों से मुझे अंदाजा हो गया था की बस अब ये जाने ही वाली हैं मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था मैं और जोर लगाने लगा १ मिनट २ मिनट और फिर उसकी चूत ढीली पड़ गयी चिकनी हो गयी जो पकड़ बिमला ने बनायीं थी वो खुलती चली गयी बिमला अभी झड ही रही थी की मैंने उसके मजे को दुगना कर दिया
मेरे लंड से निकलता हुआ गरमा गरम लावा उसकी चूत के रस से मिलने लगा हम दोनों के बदन किसी गरम भट्टी की तरह से ताप रहे थे झड़ने के बाद मैं उसक ऊपर ही पड़ गया फिर कुछ पता नहीं कब आँख लगी कब नींद आई ,सीधा सुबह ही होश आया तो देखा की मैं अकेला बिस्तर पर नंगा ही पड़ा हूँ उठा कपडे पहने बिमला पहले ही जाग चुकी थी तो एक चाय पीकर घर आ गया आज पढने जाना था तो सुबह का टाइम थोडा व्यस्त था नाश्ता करते ही मैं निकल गया साइकिल उठा कर
लगातार चार पीरियड अटेंड करने के बाद में थोडा आलस सा छा गया था मैंने नीनू को इशारा किया और हम बाहर आ गए रोड पार किया और एक छोटे से रेस्टोरेंट में आकर बैठ गए
नीनू- क्या हुआ यहाँ क्यों आ गए देखो वैसे ही तुम कोर्स में काफी पीछे रह गए हो ऊपर से क्लास बंक कर दी
मैं- शांत हो जा झाँसी की रानी, शांत हो जा कोर्स तो कवर कर लूँगा नोट्स तुम दे देना कब काम आओगी तुम
नीनू- अच्छा जी, फिर यहाँ आने की क्या जरुरत है तुमको, घर ही रह जाते नोट्स तो तब भी मैं दे ही देती
मैं- यार क्या फरक पड़ता है अगर एक क्लास ना ली तो दिल तुमसे बाते करने का कर रहा था तो आ गए
नीनू- मुझसे क्या बात करनी है जो इतने उतावले हो रहे हो
मैं- एक तुम ही तो हो जिस से अपने मन की बात बोल पता हूँ अब तुम भी ऐसे
करने लगी हो
वो- मस्का मत मारो
मैं- हद है यार अब सच बोलने का जमाना ही नहीं रहा झूटी तारीफ करो तो सब
खुश पर सच बोलो तो दोष देते है लोग
नीनू-अच्छा बाबा नाराज ना होवो और बताओ क्या बात करनी है
मैं- पहले प्रोमिस करो हसोगी नहीं
वो- हा पक्का
मैं- कल रात मुझे यार एक सपना आया जी तुम और एक साथ है
वो- तो उसमे मैं क्या करू, तुम्हारा सपना है जिसकी मर्जी साथ रहो अब तुम्हारे
सपनो में कौन आये कोन जाये उसपे मेरा क्या जोर है
मैं- सुन तो सही यार, सपने में समंदर किनारे एक छोटा सा घर था झोंपड़ी टाइप का
बस तुम थी मैं था और लहरों का शोर था
वो- अपनी कोहनी से सर को टिकाते हुए, अच्छा और फिर
मैं- मेरे हाथ में तेरा हाथ था
वो- और आगे
मैं- मैं तुमसे कुछ कहने ही वाला था की तभी आँख खुल गयी
वो- कमीने, कुत्ते तभी आंख खोलनी जरुरी थी क्या
मैं- यार अब सपनो पर कहा मेरा बस चलता है
वो- वैसे कुछ तो आईडिया होगा तुम्हे क्या कहना चाहते थे
मैं- अब मुझे क्या पता यार
वो- सपना तो तुम्हारा था न तो तुम्हे पता होना चाहिए
मैं- इस से पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ बस कल ही तुम सपने में आई
वो- सच बोल रहे हो या मुझ पर लाइन मारने का कोई नया तरीका ढूँढा हैं
मैं- मैं तुझ पर लाइन क्या मारनी तू तो अपनी ही है न
वो- दिखा कहा बोर्ड लगा हैं तेरी प्रॉपर्टी का
मैं- दोस्त नहीं है क्या मेरी ले देकर इस दुनिया में बस तू ही तो हैं जिसे अपना माना है अब तुझ पे क्या कोई हक नहीं मेरा
वो- तुम बस चुप रहा करो कितनी बकवास करते हो तुम, तुम्हारी सांगत में रह रह कर मुझ पर भी तुम्हारा असर होने लगा हैं पता है वेल्ली होने लगी हूँ मुझे कल तो मेरी एक सहेली ने मुझे झल्ली बोल दिया
मैं- झल्ली क्या होता हैं
वो- कुछ तो होता ही होगा
बिमला अपना हाथ चूत पर ले गयी और उसको सहलाने लगी धीरे धीरे वो मेरी उत्तेजना के बारूद को सुलगाने लगी थी मैंने उसको पकड़ा और घुमा दिया नीचे बैठा और उसके कुलहो को थोडा सा फैलाते हुए अपना मुह घुसा दिया और उसकी योनी पर चुम्बनों को बरसात करने लगा बिमला सिस्कारिया भरने लगी उसने अपने हाथ घुटनों पर रखे और झुक गयी मैंने योनी को उंगलियों की मदद से फैलाया और अपनी सपनीली जीभ से योनी को कुरेदने लगा
मद्धम गति से हिलते उसके चुतड मेरी ताल में ताल मिलाने लगे थे योनी की बेहद प्यारी पंखुडियो को अपने होठो में दबा कर चूसे जा रहा था मैं बिमला की टांगो में थरथराहट हो रही थी ये चूत का पानी ऐसे मेरे मुह लगा था की बस ना पूछो बिमला की टांगे अपने आप खुलती चली गयी और मैं पूरी तरह से उसके पांवो के बीच आ पंहूँचा बिमला की रसीली चूत से टपकते रस को चाट ते हुए पर उसने ज्यादा देर ये सब ना चलने दिया वो भी बहुत गरम हो गयी थी
वो तुरंत पलंग पर चढ़ गयी और घोड़ी बन गयी मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसको बिमला की चूत की गहराइयों में उतार दिया और थाम लिया उसके मोटो मोटे कुलहो को और हो गयी चुदाई शुरू टपा ताप बिमला की चूत पिस्ता की तरह टाइट तो थी नै पर अपने लिए सही थी आखिर पहली बार बिमला की चूत ही तो मारी थी उसके काले चुतड बल्ब की रौशनी में बड़े मस्त लग रहे थे मैंने प्यार से उन पर हाथ फेर उसकी गांड का छोटा सा छेद बड़ा सुन्दर लग रहा था
ऊपर से चुदाई का जोश मैं अपनी ऊँगली गांड के छेद पर रख कर कुरेदने लगा तो चुदते हुए उसने अपनी गर्दन मेरी तरफ घुमाई और बोली- नाआआआआआआआ उधर छेड़खानी मत करो
मैं- करने दो न तुम्हारा क्या बिगड़ता हैं
वो- मेरी ही बिगड़ेगा जो बिगड़ेगा वहा से हाथ हटाओ और काम पर ध्यान दो
मैंने अपने लंड को किनारे तक बाहर निकला और फिर से घुसेड दिया बार बार मैं ऐसे करने लगा तो बिमला बोली क्यों तद्पाते हो वैसे ही इतने दिन से ठंडी पड़ी थी आज तो मेहरबानी करो मैंने अब अपने लंड को बाहर निकल लिया और फिर से उसके चुतद पर किस करने लगा उसकी चूत को पीने लगा बिमला से वैसे ही अपनी गर्मी नहीं संभल रही थी वो और कामुक होने लगी
और वो 69 में घूम गयी और मेरे लंड को मुह में भर कर जीभ से चाटने लगी मैं जैसे जैसे उसकी चूत से शरारत करता वैसे ही वो करती , जैसे बदला उतार रही हो काफ़ी देर तक चुसी करते रही अब मैंने उसको अपने ऊपर से उतारा और फिर से हम दोनों एक दूजे में समाते चले गए उसके लिपस्टिक लगे होटो को बुरी तरह से चूसते हुए मैं बिमला को चोदने लगा वो अपने हाथो से मेरे कुलहो को बार बार दबा रही थी
अपनी टांगो को कभी पटकती कभी मेरी कमर पर लपेटती उसके बाल बिखर गए थे पर जोश भरपूर था धीरे धीरे मेरे धक्को की रफ़्तार बढ़ गयी थी बार बार वो अपनी कमर उचकाती मैं उसके गालो को खाए जा रहा था मेरे दांतों के निशान पड़ गए थे उनपर उसकी चूचियो को दबाता कभी अपने मुह से काटता वहा पर बिमला इतनी गरम हो गयी थी की पूछो ही मत उसकी चूत से बहता पानी उसकी जांघो तक पहूँच गया था नीचे बस चिप चिप ही हो राखी थी हम दोनों की साँसे उफान पर थी
बिमला ने अब अपनी टांगो को बिलकुल सीधा सपाट कर लिया और मेरे लंड को बुरी तरह से भींच लिया और अपनी चूत मरवाने लगी उसकी चूत में अब लंड कैद हो गया था जितना वो पैरो को आपस में कसती उतना ही टाइट होता जाता बिमला मेरे नीचे पिस रही थी उसकी हरकतों से मुझे अंदाजा हो गया था की बस अब ये जाने ही वाली हैं मेरा हाल भी कुछ ऐसा ही था मैं और जोर लगाने लगा १ मिनट २ मिनट और फिर उसकी चूत ढीली पड़ गयी चिकनी हो गयी जो पकड़ बिमला ने बनायीं थी वो खुलती चली गयी बिमला अभी झड ही रही थी की मैंने उसके मजे को दुगना कर दिया
मेरे लंड से निकलता हुआ गरमा गरम लावा उसकी चूत के रस से मिलने लगा हम दोनों के बदन किसी गरम भट्टी की तरह से ताप रहे थे झड़ने के बाद मैं उसक ऊपर ही पड़ गया फिर कुछ पता नहीं कब आँख लगी कब नींद आई ,सीधा सुबह ही होश आया तो देखा की मैं अकेला बिस्तर पर नंगा ही पड़ा हूँ उठा कपडे पहने बिमला पहले ही जाग चुकी थी तो एक चाय पीकर घर आ गया आज पढने जाना था तो सुबह का टाइम थोडा व्यस्त था नाश्ता करते ही मैं निकल गया साइकिल उठा कर
लगातार चार पीरियड अटेंड करने के बाद में थोडा आलस सा छा गया था मैंने नीनू को इशारा किया और हम बाहर आ गए रोड पार किया और एक छोटे से रेस्टोरेंट में आकर बैठ गए
नीनू- क्या हुआ यहाँ क्यों आ गए देखो वैसे ही तुम कोर्स में काफी पीछे रह गए हो ऊपर से क्लास बंक कर दी
मैं- शांत हो जा झाँसी की रानी, शांत हो जा कोर्स तो कवर कर लूँगा नोट्स तुम दे देना कब काम आओगी तुम
नीनू- अच्छा जी, फिर यहाँ आने की क्या जरुरत है तुमको, घर ही रह जाते नोट्स तो तब भी मैं दे ही देती
मैं- यार क्या फरक पड़ता है अगर एक क्लास ना ली तो दिल तुमसे बाते करने का कर रहा था तो आ गए
नीनू- मुझसे क्या बात करनी है जो इतने उतावले हो रहे हो
मैं- एक तुम ही तो हो जिस से अपने मन की बात बोल पता हूँ अब तुम भी ऐसे
करने लगी हो
वो- मस्का मत मारो
मैं- हद है यार अब सच बोलने का जमाना ही नहीं रहा झूटी तारीफ करो तो सब
खुश पर सच बोलो तो दोष देते है लोग
नीनू-अच्छा बाबा नाराज ना होवो और बताओ क्या बात करनी है
मैं- पहले प्रोमिस करो हसोगी नहीं
वो- हा पक्का
मैं- कल रात मुझे यार एक सपना आया जी तुम और एक साथ है
वो- तो उसमे मैं क्या करू, तुम्हारा सपना है जिसकी मर्जी साथ रहो अब तुम्हारे
सपनो में कौन आये कोन जाये उसपे मेरा क्या जोर है
मैं- सुन तो सही यार, सपने में समंदर किनारे एक छोटा सा घर था झोंपड़ी टाइप का
बस तुम थी मैं था और लहरों का शोर था
वो- अपनी कोहनी से सर को टिकाते हुए, अच्छा और फिर
मैं- मेरे हाथ में तेरा हाथ था
वो- और आगे
मैं- मैं तुमसे कुछ कहने ही वाला था की तभी आँख खुल गयी
वो- कमीने, कुत्ते तभी आंख खोलनी जरुरी थी क्या
मैं- यार अब सपनो पर कहा मेरा बस चलता है
वो- वैसे कुछ तो आईडिया होगा तुम्हे क्या कहना चाहते थे
मैं- अब मुझे क्या पता यार
वो- सपना तो तुम्हारा था न तो तुम्हे पता होना चाहिए
मैं- इस से पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ बस कल ही तुम सपने में आई
वो- सच बोल रहे हो या मुझ पर लाइन मारने का कोई नया तरीका ढूँढा हैं
मैं- मैं तुझ पर लाइन क्या मारनी तू तो अपनी ही है न
वो- दिखा कहा बोर्ड लगा हैं तेरी प्रॉपर्टी का
मैं- दोस्त नहीं है क्या मेरी ले देकर इस दुनिया में बस तू ही तो हैं जिसे अपना माना है अब तुझ पे क्या कोई हक नहीं मेरा
वो- तुम बस चुप रहा करो कितनी बकवास करते हो तुम, तुम्हारी सांगत में रह रह कर मुझ पर भी तुम्हारा असर होने लगा हैं पता है वेल्ली होने लगी हूँ मुझे कल तो मेरी एक सहेली ने मुझे झल्ली बोल दिया
मैं- झल्ली क्या होता हैं
वो- कुछ तो होता ही होगा