hotaks444
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बात एक रात की--76
गतान्क से आगे.................
“भैया मैं ये बात नही मानूँगी.”
“थप्पड़ लगेगा एक गाल पर. जो कहा है वो करो. समान पॅक करो अपना. सुबह निकल रही हो तुम देल्ही. कॉलेज में छुट्टी के लिए मैं बोल दूँगा. मैं कोई बात नही सुनूँगा तुम्हारी.”
पिंकी पाँव पटक कर अपने कमरे में चली गयी और अंदर से कुण्डी लगा ली. रोहित उसके रूम के बाहर आ कर बोला, “सुबह मुझे कोई बहाना नही चाहिए. तुम सुबह 7 बजे निकल रही हो देल्ही. कार बुक करवा रहा हूँ मैं. सो जाओ और जल्दी उठ जाना.”
रोहित आ गया अपने रूम में और छोटी सी भूल पढ़ने बैठ गया. “आज ख़तम कर दूँगा मैं ये कहानी. सबने मेरे से पहले पढ़ ली.. ….. आज ख़तम करके रहूँगा.”
12 बजे बैठा था रोहित और 3 बजे तक पढ़ता रहा. पढ़ते वक्त उसकी आँखे नम थी. शायद कहानी ही कुछ ऐसी थी. पढ़ने के बाद चुपचाप सो गया.
सुबह 6 बजे उठ गया रोहित. 7 बजे जैसे तैसे पिंकी को देल्ही रवाना किया. बिल्कुल नही जाना चाहती थी पिंकी कही भी. मगर रोहित के आगे उसकी एक नही चली.
सुबह 11 बजे रोहित समशान घाट में था. पद्मिनी के पेरेंट्स का अंतिम शंसकार हो रहा था.
रोहित चुपचाप खड़ा हो गया पद्मिनी के पास. कुछ बोल नही पाया. हेमंत (गब्बर) भी पास में ही खड़ा था. राज शर्मा कुछ दूरी पर खड़ा था. पद्मिनी को परेशान नही करना चाहता था वो. इसलिए उस से दूर ही रहा. मोहित को भी बुला लिया था राज शर्मा ने फोन करके. वो भी राज शर्मा के पास ही खड़ा था.
अपने पेरेंट्स की चिता को देखते हुए पद्मिनी की आँखे टपक रही थी. पद्मिनी की नज़र मोहित पर गयी तो वो आई उसके पास और बोली, “देखो तुम्हारे उस दिन के खेल ने क्या कहर ढा दिया मेरी जिंदगी में. सब तुम्हारे कारण हुआ है. चले जाओ तुम यहाँ से. तुम्हे यहाँ किसने बुलाया है.”
मोहित ने कुछ नही कहा. वो चुपचाप नज़रे झुकाए खड़ा रहा.
“मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी.” पद्मिनी फूट फूट कर रोने लगी. पद्मिनी की चाची ने उसे रोते देखा तो उसे गले से लगा लिया. “बस पद्मिनी बस.”
बहुत ही दुख भरा माहॉल था वहाँ. जलती हुई चिता के साथ साथ कयि सारी ख़ुसीया, सपने, उम्मीदे भी जल रही थी. अपने किसी करीबी की मृत्यु इंसान के अस्तितव को हिला देती है. कुछ ऐसा ही हो रहा था पद्मिनी के साथ. वक्त लगेगा उसे फिर से संभलने में. बहुत वक्त लगेगा.
पद्मिनी की हालत ना राज शर्मा देख पा रहा था और ना ही रोहित. दोनो बस उसे तड़प्ते हुए देख ही सकते थे. अजीब स्तिथि थी जिंदगी की ये.
शालिनी भी थी वहाँ. वो भी चुपचाप खड़ी थी. रोहित उसके पास गया और बोला, “मेडम आज मुझे छुट्टी चाहिए. मेरा मन बहुत उदास है. कुछ भी करने का मन नही है.”
“ठीक है जाओ….मगर कल और ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी तुम्हे.” शालिनी ने कहा.
“थॅंक यू मेडम.” रोहित ने कहा
हेमंत और उसके पेरेंट्स बड़ी मुस्किल से ले गये पद्मिनी को शमशान से. वो वहाँ से जाने को तैयार ही नही थी. घर आकर उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया. राज शर्मा हमेशा की तरह अपनी जीप में बैठ गया.
………………………………………………………………………………
रोहित जब घर पहुँचा तो उसे रीमा का फोन आया, “कैसे हो रोहित.”
“ठीक हूँ मैं तुम कैसी हो.”
“मैं भी ठीक हूँ. मिस कर रही हूँ तुम्हे.”
“मेरे घर आ सकती हो.”
“क्यों नही आ सकती…तुम बुलाओ तो सही.”
“आ जाओ फिर.”
“मैं कॉलेज में हूँ. बस अभी 20 मिनिट में आती हूँ तुम्हारे पास.”
“हां आ जाओ. आइ आम वेटिंग फॉर यू.”
रीमा पहुँच गयी घर 20 मिनिट में.
“ये सर पे क्या हुआ… …” रीमा हैरान रह गयी.
रोहित ने सरिता के घर की घटना सुनाई रीमा को.
“ऑम्ग क्या वो साइको था सरिता के घर में.”
“कुछ कह नही सकते अभी….मैने अपनी छ्होटी बहन को देल्ही भेज दिया है. पेरेंट्स तो पहले से ही वही हैं. मैं नही चाहता की उन्हे कुछ नुकसान पहुँचे. तुम भी कुछ दिन दूर रहना मुझसे. मैं नही चाहता की तुम्हे कुछ नुकसान पहुँचे.”
“मैं तुमसे दूर नही रह सकती. अपने बॉय फ्रेंड से भी ब्रेकप कर लिया मैने तुम्हारे लिए. तुम्हारी अडिक्षन हो गयी है मुझे.”
“ऐसा क्या हो गया रीमा”
“तुम खुद से पूछो.”
“पता है मैने छोटी सी भूल पूरी पढ़ ली रात”
“वाउ..थ्ट्स रियली ग्रेट….अब अपने व्यूस बताओ.”
“बेडरूम में चलते हैं आराम से लेट कर बात करेंगे.”
“हां बिल्कुल…वैसे आज घर पर कैसे हो?”
“यार शंसान से आया हूँ अभी. पद्मिनी को देख कर दिल व्यथित हो गया. कुछ करने का मन नही था. छुट्टी ले ली मैने एक दिन की.”
“अच्छा किया रोहित. कभी-कभी छुट्टी भी लेनी चाहिए.”
रीमा और रोहित बेडरूम में आ गये और एक दूसरे के सामने लेट गये.
“हां तो जानेमन अब बताओ कैसी लगी छोटी सी भूल. मैं जान-ना चाहती हूँ की मेरी फेवोवरिट स्टोरी के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं.”
“वाहियात स्टोरी थी पूछो मत.”
“क्या ऐसा कैसे कह सकते हो तुम.”
“और नही तो क्या… ऐसी कोई बात नही थी उसमे जो कि वो हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पर हिट हुई.”
“मुझे तो बहुत अच्छी लगी थी खैर जाने दो …” रीमा का चेहरा उतर गया.
“रीमा मज़ाक कर रहा हूँ.. …छोटी सी भूल मेरी भी फेवोवरिट बन गयी है.”
“हद करते हो तुम भी ….”
“अच्छा सुनो मैं अपना रिव्यू देता हूँ.”
“हां बोलो मैं सुन रही हूँ.”
“छोटी सी भूल एक ऐसी कहानी है जो हमें जिंदगी का मतलब सिखाती है. ये कहानी हमारी अन्तेर आत्मा को झकज़ोर देती है. जीवन के काई पहलुओं को उजागर करती है ये कहानी. अगर आप एक नारी को समझना चाहते हैं तो ये कहानी पढ़ें. अगर आप ये जान-ना चाहते हैं कि ब्लात्कार का नारी के अस्तिताव पर कितना गहरा घाव होता है तो छोटी सी भूल ज़रूर पढ़ें. बहुत ही अच्छे से समझाया है एक औरत की भावनाओ को छोटी सी भूल ने.
ऋतु के जैसा कॅरक्टर किसी कहानी में नही देखा मैने. वो भटकती है जिंदगी में. बिल्लू की हवस का शिकार हो जाती है. बहुत गिर जाती है अपनी जिंदगी में. मगर उसके चरित्र की एक बात हमएसा उसके प्रति प्रेम जगाए रखती है. वो बात है उसका ये अहसास की वो ग़लत कर रही है, पाप कर रही है. कितने लोग हैं दुनिया में जिन्हे ये अहसास भी होता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. हम कभी अपनी ग़लती स्वीकार नही करते. मगर ऋतु हमेशा स्वीकार करती है. ये उसके चरित्र की सुंदरता को दर्शाता है.
ये कहानी दिखती है की किस तरह बदले की आग किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है. बिल्लू की बहन का रेप हुआ. ऋतु के हज़्बेंड ने किया रेप कुछ लोगो के साथ मिल कर. बिल्लू ने बदले की आग में ऋतु को सिड्यूस किया और उसके चरित्र को छलनी छलनी कर दिया. ये सब बातें बहुत ही एरॉटिक रूप में दिखाई गयी हैं कहानी में. ज़रूरी भी था. कहानी ही कुछ ऐसी थी. सेक्स इस कहानी का अटूट हिस्सा लगता है. क्योंकि बिल्लू सेक्स का ही सहारा लेता है संजय से बदला लेने के लिए. ऋतु को बहुत ही बुरी तरह सिड्यूस किया जाता है और उसे बर्बाद कर दिया जाता है.
ऋतु और बिल्लू दोनो को बहुत गिरते हुए दिखाया गया कहानी में. मगर कहानी कुछ और ही रूप लेती है बाद में. जतिन ने दिखाया है की जो इंसान गिरता है उसकी ही उपर उठने की भी संभावना होती है. बहुत गिरे ऋतु और बिल्लू दोनो और बाद में इतना उठे की शायद हम लोग उतना उठने की सोच भी ना पाए.
प्यार हुआ उन दोनो के बीच और ऐसा प्यार हुआ की आप रो पड़ेंगे देख कर. खूब रोया मैं रात को. इतनी सुंदर प्रेम कहानी मैने अपनी जिंदगी में नही पढ़ी.
पेज नो 79 से 89 तक प्यार का तूफान चलता है कहानी में जिसमें की आप उलझ जाते हैं और आप ना चाहते हुए भी आँसू बहाने लगते हैं. ऐसा तूफान सिर्फ़ जतिन भाई ही क्रियेट कर सकते हैं. अभी तक निकल नही पाया मैं उस तूफान से और सच पूछो तो निकलना चाहता भी नही. पता नही कितनी बार पढ़ुंगा मैं पेज 79 से 89 तक. पर ये जानता हूँ की हर बार एक बार और पढ़ने की इतचा होगी. क्या किसी रीडर के साथ कोई और कर सकता है ऐसा जतिन भाई के अलावा. कोई भी नही.
प्यार की जो उँचाई दिखाई गयी है बिल्लू और ऋतु के बीच उसे बहुत कम लोग समझेंगे. क्योंकि बहुत से लोग प्यार को समझते ही कहा हैं. ऐसी उँचाई हर कोई नही पा सकता अपनी जिंदगी में.
छोटी सी भूल एरॉटिक ब्लास्ट से शुरू हो कर प्यार के तूफान पर ख़तम होती है. इस एक लाइन में ही मेरा पूरा रिव्यू छुपा है. जो इस लाइन की गहराई को समझ लेगा वो पूरी कहानी को समझ लेगा.
आख़िर में यही कहूँगा की प्यार का संदेश है छोटी सी भूल. ये संदेश हमें कुछ इस तरह से सुनाया है जतिन भाई ने की आँखे बहने लगती है सुनते हुए. इंटरनेट पर इस कहानी से ज़्यादा सुन्दर कहानी नही मिलेगी. जतिन भाई की खुद की स्टोरीस भी शायद इस कहानी का मुक़ाबला नही कर सकती. उन सभी लोगो को छोटी सी भूल पढ़नी चाहिए जो प्यार को समझना चाहते है, जिंदगी को समझना चाहते हैं और डूब जाना चाहते हैं एक प्यारी सी दुनिया में. और क्या कहूँ…दिस ईज़ आ मस्ट रेड”
रोहित जब अपनी बात करके हटा तो उसने देखा की रीमा की आँखे नम हैं.
“अरे क्या हुआ तुम्हे?” रोहित ने पूछा.
“तुम्हारे रिव्यू ने फिर से रुला दिया. पूरी कहानी आँखो में घूम गयी.”
“मेरे दिल में जो था इस कहानी के लिए कह दिया.”
“बहुत अच्छा रिव्यू दिया है. एक बार फिर से पढ़ूंगी घर जा कर. कहानी को नये रूप में सामने रखा है तुमने.”
“ह्म्म.. आज पहली बार घर आई हो कुछ लोगि.”
“तुम पास रहो बस मेरे…और कुछ नही चाहिए.” रीमा ये बोल कर चिपक गयी रोहित से.
“क्या तुमने सच में छ्चोड़ दिया अपने बॉय फ्रेंड को मेरे लिए.”
“झूठ नही बोलती हूँ मैं.”
“ऐसा क्यों किया तुमने पर”
“मुझे नही पता … तुम्हारा साथ अच्छा लगता है बस”
“रेल बनवाने की आदत पड़ गयी क्या.”
“आज मेरी डेट्स आई हुई हैं. सेक्स के लिए नही आई हूँ यहाँ. तुम्हारे साथ के लिए आई हूँ”
“सॉरी रीमा मज़ाक कर रहा था.. ….”
“आइ लव यू रोहित.”
“क्या … क्या कहा तुमने.”
“आइ लव यू”
“रीमा हटो यार मज़ाक मत करो. मैं कुछ लाता हूँ तुम्हारे लिए.”
क्रमशः........................
गतान्क से आगे.................
“भैया मैं ये बात नही मानूँगी.”
“थप्पड़ लगेगा एक गाल पर. जो कहा है वो करो. समान पॅक करो अपना. सुबह निकल रही हो तुम देल्ही. कॉलेज में छुट्टी के लिए मैं बोल दूँगा. मैं कोई बात नही सुनूँगा तुम्हारी.”
पिंकी पाँव पटक कर अपने कमरे में चली गयी और अंदर से कुण्डी लगा ली. रोहित उसके रूम के बाहर आ कर बोला, “सुबह मुझे कोई बहाना नही चाहिए. तुम सुबह 7 बजे निकल रही हो देल्ही. कार बुक करवा रहा हूँ मैं. सो जाओ और जल्दी उठ जाना.”
रोहित आ गया अपने रूम में और छोटी सी भूल पढ़ने बैठ गया. “आज ख़तम कर दूँगा मैं ये कहानी. सबने मेरे से पहले पढ़ ली.. ….. आज ख़तम करके रहूँगा.”
12 बजे बैठा था रोहित और 3 बजे तक पढ़ता रहा. पढ़ते वक्त उसकी आँखे नम थी. शायद कहानी ही कुछ ऐसी थी. पढ़ने के बाद चुपचाप सो गया.
सुबह 6 बजे उठ गया रोहित. 7 बजे जैसे तैसे पिंकी को देल्ही रवाना किया. बिल्कुल नही जाना चाहती थी पिंकी कही भी. मगर रोहित के आगे उसकी एक नही चली.
सुबह 11 बजे रोहित समशान घाट में था. पद्मिनी के पेरेंट्स का अंतिम शंसकार हो रहा था.
रोहित चुपचाप खड़ा हो गया पद्मिनी के पास. कुछ बोल नही पाया. हेमंत (गब्बर) भी पास में ही खड़ा था. राज शर्मा कुछ दूरी पर खड़ा था. पद्मिनी को परेशान नही करना चाहता था वो. इसलिए उस से दूर ही रहा. मोहित को भी बुला लिया था राज शर्मा ने फोन करके. वो भी राज शर्मा के पास ही खड़ा था.
अपने पेरेंट्स की चिता को देखते हुए पद्मिनी की आँखे टपक रही थी. पद्मिनी की नज़र मोहित पर गयी तो वो आई उसके पास और बोली, “देखो तुम्हारे उस दिन के खेल ने क्या कहर ढा दिया मेरी जिंदगी में. सब तुम्हारे कारण हुआ है. चले जाओ तुम यहाँ से. तुम्हे यहाँ किसने बुलाया है.”
मोहित ने कुछ नही कहा. वो चुपचाप नज़रे झुकाए खड़ा रहा.
“मैं तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी.” पद्मिनी फूट फूट कर रोने लगी. पद्मिनी की चाची ने उसे रोते देखा तो उसे गले से लगा लिया. “बस पद्मिनी बस.”
बहुत ही दुख भरा माहॉल था वहाँ. जलती हुई चिता के साथ साथ कयि सारी ख़ुसीया, सपने, उम्मीदे भी जल रही थी. अपने किसी करीबी की मृत्यु इंसान के अस्तितव को हिला देती है. कुछ ऐसा ही हो रहा था पद्मिनी के साथ. वक्त लगेगा उसे फिर से संभलने में. बहुत वक्त लगेगा.
पद्मिनी की हालत ना राज शर्मा देख पा रहा था और ना ही रोहित. दोनो बस उसे तड़प्ते हुए देख ही सकते थे. अजीब स्तिथि थी जिंदगी की ये.
शालिनी भी थी वहाँ. वो भी चुपचाप खड़ी थी. रोहित उसके पास गया और बोला, “मेडम आज मुझे छुट्टी चाहिए. मेरा मन बहुत उदास है. कुछ भी करने का मन नही है.”
“ठीक है जाओ….मगर कल और ज़्यादा मेहनत करनी पड़ेगी तुम्हे.” शालिनी ने कहा.
“थॅंक यू मेडम.” रोहित ने कहा
हेमंत और उसके पेरेंट्स बड़ी मुस्किल से ले गये पद्मिनी को शमशान से. वो वहाँ से जाने को तैयार ही नही थी. घर आकर उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया. राज शर्मा हमेशा की तरह अपनी जीप में बैठ गया.
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रोहित जब घर पहुँचा तो उसे रीमा का फोन आया, “कैसे हो रोहित.”
“ठीक हूँ मैं तुम कैसी हो.”
“मैं भी ठीक हूँ. मिस कर रही हूँ तुम्हे.”
“मेरे घर आ सकती हो.”
“क्यों नही आ सकती…तुम बुलाओ तो सही.”
“आ जाओ फिर.”
“मैं कॉलेज में हूँ. बस अभी 20 मिनिट में आती हूँ तुम्हारे पास.”
“हां आ जाओ. आइ आम वेटिंग फॉर यू.”
रीमा पहुँच गयी घर 20 मिनिट में.
“ये सर पे क्या हुआ… …” रीमा हैरान रह गयी.
रोहित ने सरिता के घर की घटना सुनाई रीमा को.
“ऑम्ग क्या वो साइको था सरिता के घर में.”
“कुछ कह नही सकते अभी….मैने अपनी छ्होटी बहन को देल्ही भेज दिया है. पेरेंट्स तो पहले से ही वही हैं. मैं नही चाहता की उन्हे कुछ नुकसान पहुँचे. तुम भी कुछ दिन दूर रहना मुझसे. मैं नही चाहता की तुम्हे कुछ नुकसान पहुँचे.”
“मैं तुमसे दूर नही रह सकती. अपने बॉय फ्रेंड से भी ब्रेकप कर लिया मैने तुम्हारे लिए. तुम्हारी अडिक्षन हो गयी है मुझे.”
“ऐसा क्या हो गया रीमा”
“तुम खुद से पूछो.”
“पता है मैने छोटी सी भूल पूरी पढ़ ली रात”
“वाउ..थ्ट्स रियली ग्रेट….अब अपने व्यूस बताओ.”
“बेडरूम में चलते हैं आराम से लेट कर बात करेंगे.”
“हां बिल्कुल…वैसे आज घर पर कैसे हो?”
“यार शंसान से आया हूँ अभी. पद्मिनी को देख कर दिल व्यथित हो गया. कुछ करने का मन नही था. छुट्टी ले ली मैने एक दिन की.”
“अच्छा किया रोहित. कभी-कभी छुट्टी भी लेनी चाहिए.”
रीमा और रोहित बेडरूम में आ गये और एक दूसरे के सामने लेट गये.
“हां तो जानेमन अब बताओ कैसी लगी छोटी सी भूल. मैं जान-ना चाहती हूँ की मेरी फेवोवरिट स्टोरी के बारे में तुम्हारे क्या विचार हैं.”
“वाहियात स्टोरी थी पूछो मत.”
“क्या ऐसा कैसे कह सकते हो तुम.”
“और नही तो क्या… ऐसी कोई बात नही थी उसमे जो कि वो हिन्दी सेक्सी कहानियाँ पर हिट हुई.”
“मुझे तो बहुत अच्छी लगी थी खैर जाने दो …” रीमा का चेहरा उतर गया.
“रीमा मज़ाक कर रहा हूँ.. …छोटी सी भूल मेरी भी फेवोवरिट बन गयी है.”
“हद करते हो तुम भी ….”
“अच्छा सुनो मैं अपना रिव्यू देता हूँ.”
“हां बोलो मैं सुन रही हूँ.”
“छोटी सी भूल एक ऐसी कहानी है जो हमें जिंदगी का मतलब सिखाती है. ये कहानी हमारी अन्तेर आत्मा को झकज़ोर देती है. जीवन के काई पहलुओं को उजागर करती है ये कहानी. अगर आप एक नारी को समझना चाहते हैं तो ये कहानी पढ़ें. अगर आप ये जान-ना चाहते हैं कि ब्लात्कार का नारी के अस्तिताव पर कितना गहरा घाव होता है तो छोटी सी भूल ज़रूर पढ़ें. बहुत ही अच्छे से समझाया है एक औरत की भावनाओ को छोटी सी भूल ने.
ऋतु के जैसा कॅरक्टर किसी कहानी में नही देखा मैने. वो भटकती है जिंदगी में. बिल्लू की हवस का शिकार हो जाती है. बहुत गिर जाती है अपनी जिंदगी में. मगर उसके चरित्र की एक बात हमएसा उसके प्रति प्रेम जगाए रखती है. वो बात है उसका ये अहसास की वो ग़लत कर रही है, पाप कर रही है. कितने लोग हैं दुनिया में जिन्हे ये अहसास भी होता है की वो कुछ ग़लत कर रहे हैं. हम कभी अपनी ग़लती स्वीकार नही करते. मगर ऋतु हमेशा स्वीकार करती है. ये उसके चरित्र की सुंदरता को दर्शाता है.
ये कहानी दिखती है की किस तरह बदले की आग किसी की जिंदगी बर्बाद कर सकती है. बिल्लू की बहन का रेप हुआ. ऋतु के हज़्बेंड ने किया रेप कुछ लोगो के साथ मिल कर. बिल्लू ने बदले की आग में ऋतु को सिड्यूस किया और उसके चरित्र को छलनी छलनी कर दिया. ये सब बातें बहुत ही एरॉटिक रूप में दिखाई गयी हैं कहानी में. ज़रूरी भी था. कहानी ही कुछ ऐसी थी. सेक्स इस कहानी का अटूट हिस्सा लगता है. क्योंकि बिल्लू सेक्स का ही सहारा लेता है संजय से बदला लेने के लिए. ऋतु को बहुत ही बुरी तरह सिड्यूस किया जाता है और उसे बर्बाद कर दिया जाता है.
ऋतु और बिल्लू दोनो को बहुत गिरते हुए दिखाया गया कहानी में. मगर कहानी कुछ और ही रूप लेती है बाद में. जतिन ने दिखाया है की जो इंसान गिरता है उसकी ही उपर उठने की भी संभावना होती है. बहुत गिरे ऋतु और बिल्लू दोनो और बाद में इतना उठे की शायद हम लोग उतना उठने की सोच भी ना पाए.
प्यार हुआ उन दोनो के बीच और ऐसा प्यार हुआ की आप रो पड़ेंगे देख कर. खूब रोया मैं रात को. इतनी सुंदर प्रेम कहानी मैने अपनी जिंदगी में नही पढ़ी.
पेज नो 79 से 89 तक प्यार का तूफान चलता है कहानी में जिसमें की आप उलझ जाते हैं और आप ना चाहते हुए भी आँसू बहाने लगते हैं. ऐसा तूफान सिर्फ़ जतिन भाई ही क्रियेट कर सकते हैं. अभी तक निकल नही पाया मैं उस तूफान से और सच पूछो तो निकलना चाहता भी नही. पता नही कितनी बार पढ़ुंगा मैं पेज 79 से 89 तक. पर ये जानता हूँ की हर बार एक बार और पढ़ने की इतचा होगी. क्या किसी रीडर के साथ कोई और कर सकता है ऐसा जतिन भाई के अलावा. कोई भी नही.
प्यार की जो उँचाई दिखाई गयी है बिल्लू और ऋतु के बीच उसे बहुत कम लोग समझेंगे. क्योंकि बहुत से लोग प्यार को समझते ही कहा हैं. ऐसी उँचाई हर कोई नही पा सकता अपनी जिंदगी में.
छोटी सी भूल एरॉटिक ब्लास्ट से शुरू हो कर प्यार के तूफान पर ख़तम होती है. इस एक लाइन में ही मेरा पूरा रिव्यू छुपा है. जो इस लाइन की गहराई को समझ लेगा वो पूरी कहानी को समझ लेगा.
आख़िर में यही कहूँगा की प्यार का संदेश है छोटी सी भूल. ये संदेश हमें कुछ इस तरह से सुनाया है जतिन भाई ने की आँखे बहने लगती है सुनते हुए. इंटरनेट पर इस कहानी से ज़्यादा सुन्दर कहानी नही मिलेगी. जतिन भाई की खुद की स्टोरीस भी शायद इस कहानी का मुक़ाबला नही कर सकती. उन सभी लोगो को छोटी सी भूल पढ़नी चाहिए जो प्यार को समझना चाहते है, जिंदगी को समझना चाहते हैं और डूब जाना चाहते हैं एक प्यारी सी दुनिया में. और क्या कहूँ…दिस ईज़ आ मस्ट रेड”
रोहित जब अपनी बात करके हटा तो उसने देखा की रीमा की आँखे नम हैं.
“अरे क्या हुआ तुम्हे?” रोहित ने पूछा.
“तुम्हारे रिव्यू ने फिर से रुला दिया. पूरी कहानी आँखो में घूम गयी.”
“मेरे दिल में जो था इस कहानी के लिए कह दिया.”
“बहुत अच्छा रिव्यू दिया है. एक बार फिर से पढ़ूंगी घर जा कर. कहानी को नये रूप में सामने रखा है तुमने.”
“ह्म्म.. आज पहली बार घर आई हो कुछ लोगि.”
“तुम पास रहो बस मेरे…और कुछ नही चाहिए.” रीमा ये बोल कर चिपक गयी रोहित से.
“क्या तुमने सच में छ्चोड़ दिया अपने बॉय फ्रेंड को मेरे लिए.”
“झूठ नही बोलती हूँ मैं.”
“ऐसा क्यों किया तुमने पर”
“मुझे नही पता … तुम्हारा साथ अच्छा लगता है बस”
“रेल बनवाने की आदत पड़ गयी क्या.”
“आज मेरी डेट्स आई हुई हैं. सेक्स के लिए नही आई हूँ यहाँ. तुम्हारे साथ के लिए आई हूँ”
“सॉरी रीमा मज़ाक कर रहा था.. ….”
“आइ लव यू रोहित.”
“क्या … क्या कहा तुमने.”
“आइ लव यू”
“रीमा हटो यार मज़ाक मत करो. मैं कुछ लाता हूँ तुम्हारे लिए.”
क्रमशः........................