hotaks444
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बात एक रात की--66
गतान्क से आगे.................
फिर वो दर्दनाक दिन आया जिसे मैं कभी नही भूल सकता.
अगले दिन कॉलेज के एक कमरे में मैं अपने दोस्तो, रवि,जावेद,मनीष और विवेक के साथ बैठा था. हँसी मज़ाक चल रहा था. पद्मिनी के बारे में बाते हो रही थी.
“कहा पहुँची तुम्हारी स्टोरी रोहित भाई.” मनीष ने पूछा.’
“बस पूछो मत यार. कल इस कम्बख़त गब्बर ने आकर काम खराब कर दिया वरना कल सब कुछ बोल देता मैं.”
“मतलब अभी तुम शर्त जीते नही हो.” जावेद भाई ने चुस्की ली
“शर्त तो मैं जीत ही जाउन्गा, ज़्यादा देर नही है उसमे. बात अब पद्मिनी का दिल जीतने की है. प्यार हो गया यार मुझे उस से मज़ाक मज़ाक में. बुरा हाल है मेरा.” मैने कहा.
“बुरा हाल तो गब्बर करेगा तुम्हारा, जब उसे पता चलेगा कि कितना अच्छा यूज़ किया तुमने उसका .” विवेक भाई ने कहा.
“हम तो लगता है शर्त हार गये भाई, आओ गले लग जाओ, पद्मिनी मुबारक हो तुम्हे.” रवि भाई ने कहा.
“इतना बड़ा धोका…….” हम सब चोंक गये पद्मिनी की आवाज़ सुन कर.
हमने मूड कर देखा तो पाया कि रूम के दरवाजे पर पद्मिनी खड़ी थी. साथ में गब्बर भी था.
“देख लो इस मक्कार को अपनी आँखो से. इसी ने गुंडे भी भेजे थे. कितना गिरा हुआ इंसान है ये.” गब्बर ने कहा.
मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी पद्मिनी को देख कर. उसकी आँखो में खून उतर आया था. बहुत गुस्से में थी. शायद सारी बाते सुन ली थी उसने हमारी. मैं भाग कर गया पद्मिनी के पास. “पद्मिनी कुछ ग़लत मत समझना, हां शर्त लगाई थी मैने पर मैं सच में…………” नही बोल पाया आगे कुछ भी क्योंकि थप्पड़ जड़ दिया था पद्मिनी ने मेरे गाल पर.
“एक और मारो इस कामीने को.” गब्बर ने आग उगली.
चली गयी पद्मिनी वहाँ से और मैं वही खड़ा रहा. कर भी क्या सकता था. पद्मिनी कुछ सुन-ने को तैयार ही नही थी. प्यार शुरू होने से पहले ही ख़तम हो गया. अपने प्यार का इज़हार भी नही कर पाया मैं. मैं ही जानता हूँ कि मुझ पर क्या बीती. मेरे दोस्तो ने मुझे संभाल लिया वरना मैं बिखर गया था.
“बहुत दुख हुआ ये सब जान कर. तुम्हारी आँखो में आँसू आ गये हैं. पद्मिनी को एक तो मौका देना चाहिए था.” रीमा ने कहा.
“उसने एक बार भी मुझसे बात नही की बाद में. देखती थी मुझे मगर कभी भी बात नही की. इस से बड़ी सज़ा नही मिल सकती थी मुझे. मर जाने को जी चाहता था. अफ प्यार बड़ी अजीब चीज़ है.” रोहित ने अपनी आँखो के आँसू पोंछते हुए कहा.
“अभी कहा है पद्मिनी?”
“यही देहरादून में ही है. शादी हो चुकी है उसकी. मगर अपने मायके में है. कुछ झगड़ा चल रहा है उसका अपने पति से. ज़्यादा डीटेल नही पता मुझे. मिला था अभी कुछ दिन पहले उस से. गुस्सा अभी तक बरकरार था उसका. इतने दिनो बाद भी वही नाराज़गी थी चेहरे पर. चलो छोड़ो….मेरे अधूरे प्यार की दास्तान यही ख़तम होती है.”
“मुझे नही लगता कि अब रेल बना पाओगे तुम मेरी. पद्मिनी की बाते करके दीवाने से लग रहे हो.”
“पद्मिनी के अलावा किसी से प्यार नही किया मैने रीमा. लेकिन उसने मेरे प्यार को समझा ही नही. एक मौका भी नही दिया. चलो छोड़ो अब और बात नही करूँगा.”
“कुछ खाओगे ?”
“नेकी और पूछ-पूछ…ले आओ कुछ.”
“हटो फिर मेरे उपर से…लाती हूँ कुछ.” रीमा ने कहा.
रोहित हट गया रीमा के उपर से. रीमा ने अपने कपड़े उठाए और पहन-ने लगी. रोहित ने कपड़े छीन लिए.
“ये सितम मत करो रीमा जी, ये सुंदरता अगर इन कपड़ो में ढक लोगि तो हमारा क्या होगा. हम तड़प-तड़प कर मर जाएँगे. उफ्फ यू आर डॅम हॉट” रोहित ने कहा.
“अच्छा ऐसा है क्या?”
“बिल्कुल जी.”
“मैं तुम्हारे सामने नंगी नही घूमूंगी. तुम्हारा कोई भरोसा नही कब रेल बना दो मेरी.”
“देखिए रेल तो बन-नी ही है आपकी. चाहे आप कपड़े पहनो या ना पहनो. निर्वस्त्र रहेंगी तो हमारी आँखो को आराम मिलेगा.”
रीमा मुस्कुराइ और कमर मत्काति हुई चल दी वहाँ से.
“उफ्फ क्या चाल है. ये धरती ना हिल जाए, ऐसे ना चलिए मटक-मटक कर.” रोहित ने हंसते हुए कहा.
“चुप रहिए आप. एक तो हमें नंगा घुमाया जा रहा है हमारे ही घर में उपर से ये अश्लील बाते हम ये बर्दास्त नही करेंगे.” राइम चलते-चलते बोली.
रोहित दौड़ कर आया रीमा के पास और उसे दबोच लिया पीछे से. “उफ्फ क्या अदा है आपकी. रुका नही जाएगा अब कसम से.”
“क्या .......कुछ खा तो लो पहले.”
“कुछ खाने की इच्छा नही है बस आप साथ रहो मेरे.” रोहित ने कहा.
“ओह नो अब मेरा क्या होगा तुम तो फिर से उत्तेजित हो गये .” रीमा ने कहा.
रीमा को अपने नितंबो पर रोहित का ताना हुआ लिंग महसूस जो रहा था.
“अब तुम्हारी चूत की रेल बनाई जाएगी. चलो वापिस बिस्तर पर.” उठा लिया रोहित ने रीमा को गोदी में और ले आया उसे वापिस बिस्तर पर.
“कुछ खा लेते तो एनर्जी मिलती. आचे से रेल बना सकते थे फिर.”
“मेरा एंजिन खाली पेट भी बहुत अच्छा चलता है. घबराओ मत कोई कमी नही छोड़ूँगा.”
“पता है मुझे तभी तो डर रही हूँ .”
रोहित ने पटक दिया रीमा को बिस्तर पर
“आअहह….ये क्या किया.”
“गुस्सा देखना था तुम्हारे चेहरे पे. इसी की कमी थी वाह क्या बात है. ट्रेन में बड़ी प्यारी लग रही थी गुस्से में.”
“गुस्सा देखने के लिए हाथ-पैर तौड दो किसी के .”
“सॉरी रीमा जी. ज़्यादा ज़ोर से गिरा दिया शायद.”
“शायद मेरी कमर टूट गयी है. मेरी रेल बनाते-बनाते अब तुम मेरी जान ले लोगे लगता है .” रीमा के चेहरे पर गुस्सा था.
रोहित रीमा के उपर आ गया और उसके होंटो को किस करने लगा पर रीमा ने चेहरा घुमा लिया, “हट जाओ तुम बस अब, मुझे कुछ नही करना तुम्हारे साथ.”
“गुस्सा थूक दीजिए. बहुत प्यारी लग रही हैं आप कसम से. पर ये गुस्सा ज़्यादा देर तक नही होना चाहिए.” रोहित ने कहा और रीमा के बायें उभार के निपल को मूह में लेकर चूसने लगा.
“आअहह ये क्या कर रहे हो हटो. मैं तुमसे नाराज़ हूँ और तुम……हटो….आआअहह.”
“हटाना पड़ेगा धकैल कर आपको खुद ही. इन सुंदर उभारो से खुद नही हटूँगा.”
रीमा हंस पड़ी इस बात पर, “बदमास हो तुम पक्के.”
“जैसा भी हूँ तुम्हारे सामने हूँ. मेरी बदमासी अपने भैया को मत बताना. बहुत चिदते हैं वो मुझसे. आग बाबूला हो जाएँगे वो.”
“पागल हो क्या. ये बातें क्या किसी को बताने की होती हैं.”
रोहित ने अब रीमा के दूसरे उभर को थाम लिया और उसके निपल को चूसने लगा. बारी बारी से वो दोनो उभारो से खेल रहा था. कमरे में शिसकियाँ गूँज-ने लगी रीमा की.
“टांगे खोलो अपनी” रोहित ने कहा.
“ज़्यादा देर मत लगाना इस बार. पहले ही थॅकी हुई हूँ मैं .”
“ओके जी कम वक्त में बड़ा काम कर देंगे. आप टांगे खोल कर अपनी चूत के लिए रास्ता तो दीजिए” रोहित ने कहा.
रीमा ने हंसते हुए टांगे खोल दी. रोहित ने टांगे अपने कंधो पर रख ली और समा गया एक ही झटके में रीमा के अंदर.
“ऊऊऊओह…..म्म्म्ममम…..एक ही बार में डाल दिया क्या पूरा .”
“जी हां बिल्कुल आपको जल्दी निपटाना था काम मैने सोचा क्यों एक-एक इंच सरकाए. वक्त की कमी के कारण पूरा डाल दिया जी.”
“यू आर टू मच…..आआहह…अब जल्दी कीजिएगा हमें बाजार भी जाना है शाम को.”
“बिल्कुल जी ये लीजिए काम शुरू भी हो गया.” रोहित ने पहला धक्का मारा
“ऊऊहह एस.” रीमा कराह उठी.
फिर तो धक्को की बोचार हो गयी रीमा के अंदर. हर धक्के पर रीमा पागलो की तरह कराह रही थी.
अचानक रोहित का फोन बज उठा. उसने हाथ बढ़ा कर फोन उठाया और बोला, “हेलो”
“कहाँ हो तुम रोहित.” शालिनी की आवाज़ आई
“जी रेल बना रहा हूँ….म..मेरा मतलब अभी आ रहा हूँ मेडम. कोई ख़ास बात है क्या?”
“जल्दी आओ, कुछ अर्जेंट है.” शालिनी ने ये बोल कर फोन काट दिया.
रोहित तो बिल्कुल थम गया था.
“तुम तो रुक गये बिल्कुल. फोन करते वक्त भी एक-दो बार तो हिल ही सकते थे.”
“ऐसी कयामत है ये, इसकी आवाज़ सुन कर तो दुनिया थम जाए, मेरी तो औकात ही क्या है. मुझे जाना होगा.”
“क्या अधूरा काम छोड़ कर जाओगे…वेरी बॅड .”
“कोई चारा नही है रीमा. नही पहुँचा तुरंत तो मेरी नौकरी चली जाएगी. बड़ी मुस्किल से तो वापिस मिली है. तुम चिंता मत करो हमारी काम-क्रीड़ा जारी रहेगी.”
“फिर कब मिलोगे?”
“बाद में बताउन्गा, तुम नंबर फ़ीड कर दो मेरे फोन में अपना, मैं कपड़े पहनता हूँ.”
रोहित ने जल्दी से कपड़े पहने और रीमा को किस करके फ़ौरन निकल दिया वहाँ से.20 मिनिट में वो थाने पहुँच गया. थाने पहुँचते ही वो सीधा एएसपी साहिबा के कमरे की तरफ बढ़ा.
"यस मेडम, आपने याद किया."
"हां बैठो, क्या प्रोग्रेस है?"
"मेडम ब्लॅक स्कॉर्पियो के ओनर्स की लिस्ट लाया हूँ. 4 लोगो के पास है ब्लॅक स्कॉर्पियो शहर में." रोहित ने पेपर शालिनी की तरफ बढ़ाया.
"ह्म्म गुड, इस लिस्ट में विजय का नाम भी होगा." शालिनी ने पेपर पकड़ते हुए कहा.
"आपको कैसे पता ....." रोहित हैरान रह गया.
"चौहान ने बताया मुझे कि 6 महीने पहले विजय ने ब्लॅक स्कॉर्पियो खरीदी थी."
"पर चौहान तो यहाँ नही है, वो तो आउट ऑफ स्टेशन है"
क्रमशः........................
गतान्क से आगे.................
फिर वो दर्दनाक दिन आया जिसे मैं कभी नही भूल सकता.
अगले दिन कॉलेज के एक कमरे में मैं अपने दोस्तो, रवि,जावेद,मनीष और विवेक के साथ बैठा था. हँसी मज़ाक चल रहा था. पद्मिनी के बारे में बाते हो रही थी.
“कहा पहुँची तुम्हारी स्टोरी रोहित भाई.” मनीष ने पूछा.’
“बस पूछो मत यार. कल इस कम्बख़त गब्बर ने आकर काम खराब कर दिया वरना कल सब कुछ बोल देता मैं.”
“मतलब अभी तुम शर्त जीते नही हो.” जावेद भाई ने चुस्की ली
“शर्त तो मैं जीत ही जाउन्गा, ज़्यादा देर नही है उसमे. बात अब पद्मिनी का दिल जीतने की है. प्यार हो गया यार मुझे उस से मज़ाक मज़ाक में. बुरा हाल है मेरा.” मैने कहा.
“बुरा हाल तो गब्बर करेगा तुम्हारा, जब उसे पता चलेगा कि कितना अच्छा यूज़ किया तुमने उसका .” विवेक भाई ने कहा.
“हम तो लगता है शर्त हार गये भाई, आओ गले लग जाओ, पद्मिनी मुबारक हो तुम्हे.” रवि भाई ने कहा.
“इतना बड़ा धोका…….” हम सब चोंक गये पद्मिनी की आवाज़ सुन कर.
हमने मूड कर देखा तो पाया कि रूम के दरवाजे पर पद्मिनी खड़ी थी. साथ में गब्बर भी था.
“देख लो इस मक्कार को अपनी आँखो से. इसी ने गुंडे भी भेजे थे. कितना गिरा हुआ इंसान है ये.” गब्बर ने कहा.
मेरे तो पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी पद्मिनी को देख कर. उसकी आँखो में खून उतर आया था. बहुत गुस्से में थी. शायद सारी बाते सुन ली थी उसने हमारी. मैं भाग कर गया पद्मिनी के पास. “पद्मिनी कुछ ग़लत मत समझना, हां शर्त लगाई थी मैने पर मैं सच में…………” नही बोल पाया आगे कुछ भी क्योंकि थप्पड़ जड़ दिया था पद्मिनी ने मेरे गाल पर.
“एक और मारो इस कामीने को.” गब्बर ने आग उगली.
चली गयी पद्मिनी वहाँ से और मैं वही खड़ा रहा. कर भी क्या सकता था. पद्मिनी कुछ सुन-ने को तैयार ही नही थी. प्यार शुरू होने से पहले ही ख़तम हो गया. अपने प्यार का इज़हार भी नही कर पाया मैं. मैं ही जानता हूँ कि मुझ पर क्या बीती. मेरे दोस्तो ने मुझे संभाल लिया वरना मैं बिखर गया था.
“बहुत दुख हुआ ये सब जान कर. तुम्हारी आँखो में आँसू आ गये हैं. पद्मिनी को एक तो मौका देना चाहिए था.” रीमा ने कहा.
“उसने एक बार भी मुझसे बात नही की बाद में. देखती थी मुझे मगर कभी भी बात नही की. इस से बड़ी सज़ा नही मिल सकती थी मुझे. मर जाने को जी चाहता था. अफ प्यार बड़ी अजीब चीज़ है.” रोहित ने अपनी आँखो के आँसू पोंछते हुए कहा.
“अभी कहा है पद्मिनी?”
“यही देहरादून में ही है. शादी हो चुकी है उसकी. मगर अपने मायके में है. कुछ झगड़ा चल रहा है उसका अपने पति से. ज़्यादा डीटेल नही पता मुझे. मिला था अभी कुछ दिन पहले उस से. गुस्सा अभी तक बरकरार था उसका. इतने दिनो बाद भी वही नाराज़गी थी चेहरे पर. चलो छोड़ो….मेरे अधूरे प्यार की दास्तान यही ख़तम होती है.”
“मुझे नही लगता कि अब रेल बना पाओगे तुम मेरी. पद्मिनी की बाते करके दीवाने से लग रहे हो.”
“पद्मिनी के अलावा किसी से प्यार नही किया मैने रीमा. लेकिन उसने मेरे प्यार को समझा ही नही. एक मौका भी नही दिया. चलो छोड़ो अब और बात नही करूँगा.”
“कुछ खाओगे ?”
“नेकी और पूछ-पूछ…ले आओ कुछ.”
“हटो फिर मेरे उपर से…लाती हूँ कुछ.” रीमा ने कहा.
रोहित हट गया रीमा के उपर से. रीमा ने अपने कपड़े उठाए और पहन-ने लगी. रोहित ने कपड़े छीन लिए.
“ये सितम मत करो रीमा जी, ये सुंदरता अगर इन कपड़ो में ढक लोगि तो हमारा क्या होगा. हम तड़प-तड़प कर मर जाएँगे. उफ्फ यू आर डॅम हॉट” रोहित ने कहा.
“अच्छा ऐसा है क्या?”
“बिल्कुल जी.”
“मैं तुम्हारे सामने नंगी नही घूमूंगी. तुम्हारा कोई भरोसा नही कब रेल बना दो मेरी.”
“देखिए रेल तो बन-नी ही है आपकी. चाहे आप कपड़े पहनो या ना पहनो. निर्वस्त्र रहेंगी तो हमारी आँखो को आराम मिलेगा.”
रीमा मुस्कुराइ और कमर मत्काति हुई चल दी वहाँ से.
“उफ्फ क्या चाल है. ये धरती ना हिल जाए, ऐसे ना चलिए मटक-मटक कर.” रोहित ने हंसते हुए कहा.
“चुप रहिए आप. एक तो हमें नंगा घुमाया जा रहा है हमारे ही घर में उपर से ये अश्लील बाते हम ये बर्दास्त नही करेंगे.” राइम चलते-चलते बोली.
रोहित दौड़ कर आया रीमा के पास और उसे दबोच लिया पीछे से. “उफ्फ क्या अदा है आपकी. रुका नही जाएगा अब कसम से.”
“क्या .......कुछ खा तो लो पहले.”
“कुछ खाने की इच्छा नही है बस आप साथ रहो मेरे.” रोहित ने कहा.
“ओह नो अब मेरा क्या होगा तुम तो फिर से उत्तेजित हो गये .” रीमा ने कहा.
रीमा को अपने नितंबो पर रोहित का ताना हुआ लिंग महसूस जो रहा था.
“अब तुम्हारी चूत की रेल बनाई जाएगी. चलो वापिस बिस्तर पर.” उठा लिया रोहित ने रीमा को गोदी में और ले आया उसे वापिस बिस्तर पर.
“कुछ खा लेते तो एनर्जी मिलती. आचे से रेल बना सकते थे फिर.”
“मेरा एंजिन खाली पेट भी बहुत अच्छा चलता है. घबराओ मत कोई कमी नही छोड़ूँगा.”
“पता है मुझे तभी तो डर रही हूँ .”
रोहित ने पटक दिया रीमा को बिस्तर पर
“आअहह….ये क्या किया.”
“गुस्सा देखना था तुम्हारे चेहरे पे. इसी की कमी थी वाह क्या बात है. ट्रेन में बड़ी प्यारी लग रही थी गुस्से में.”
“गुस्सा देखने के लिए हाथ-पैर तौड दो किसी के .”
“सॉरी रीमा जी. ज़्यादा ज़ोर से गिरा दिया शायद.”
“शायद मेरी कमर टूट गयी है. मेरी रेल बनाते-बनाते अब तुम मेरी जान ले लोगे लगता है .” रीमा के चेहरे पर गुस्सा था.
रोहित रीमा के उपर आ गया और उसके होंटो को किस करने लगा पर रीमा ने चेहरा घुमा लिया, “हट जाओ तुम बस अब, मुझे कुछ नही करना तुम्हारे साथ.”
“गुस्सा थूक दीजिए. बहुत प्यारी लग रही हैं आप कसम से. पर ये गुस्सा ज़्यादा देर तक नही होना चाहिए.” रोहित ने कहा और रीमा के बायें उभार के निपल को मूह में लेकर चूसने लगा.
“आअहह ये क्या कर रहे हो हटो. मैं तुमसे नाराज़ हूँ और तुम……हटो….आआअहह.”
“हटाना पड़ेगा धकैल कर आपको खुद ही. इन सुंदर उभारो से खुद नही हटूँगा.”
रीमा हंस पड़ी इस बात पर, “बदमास हो तुम पक्के.”
“जैसा भी हूँ तुम्हारे सामने हूँ. मेरी बदमासी अपने भैया को मत बताना. बहुत चिदते हैं वो मुझसे. आग बाबूला हो जाएँगे वो.”
“पागल हो क्या. ये बातें क्या किसी को बताने की होती हैं.”
रोहित ने अब रीमा के दूसरे उभर को थाम लिया और उसके निपल को चूसने लगा. बारी बारी से वो दोनो उभारो से खेल रहा था. कमरे में शिसकियाँ गूँज-ने लगी रीमा की.
“टांगे खोलो अपनी” रोहित ने कहा.
“ज़्यादा देर मत लगाना इस बार. पहले ही थॅकी हुई हूँ मैं .”
“ओके जी कम वक्त में बड़ा काम कर देंगे. आप टांगे खोल कर अपनी चूत के लिए रास्ता तो दीजिए” रोहित ने कहा.
रीमा ने हंसते हुए टांगे खोल दी. रोहित ने टांगे अपने कंधो पर रख ली और समा गया एक ही झटके में रीमा के अंदर.
“ऊऊऊओह…..म्म्म्ममम…..एक ही बार में डाल दिया क्या पूरा .”
“जी हां बिल्कुल आपको जल्दी निपटाना था काम मैने सोचा क्यों एक-एक इंच सरकाए. वक्त की कमी के कारण पूरा डाल दिया जी.”
“यू आर टू मच…..आआहह…अब जल्दी कीजिएगा हमें बाजार भी जाना है शाम को.”
“बिल्कुल जी ये लीजिए काम शुरू भी हो गया.” रोहित ने पहला धक्का मारा
“ऊऊहह एस.” रीमा कराह उठी.
फिर तो धक्को की बोचार हो गयी रीमा के अंदर. हर धक्के पर रीमा पागलो की तरह कराह रही थी.
अचानक रोहित का फोन बज उठा. उसने हाथ बढ़ा कर फोन उठाया और बोला, “हेलो”
“कहाँ हो तुम रोहित.” शालिनी की आवाज़ आई
“जी रेल बना रहा हूँ….म..मेरा मतलब अभी आ रहा हूँ मेडम. कोई ख़ास बात है क्या?”
“जल्दी आओ, कुछ अर्जेंट है.” शालिनी ने ये बोल कर फोन काट दिया.
रोहित तो बिल्कुल थम गया था.
“तुम तो रुक गये बिल्कुल. फोन करते वक्त भी एक-दो बार तो हिल ही सकते थे.”
“ऐसी कयामत है ये, इसकी आवाज़ सुन कर तो दुनिया थम जाए, मेरी तो औकात ही क्या है. मुझे जाना होगा.”
“क्या अधूरा काम छोड़ कर जाओगे…वेरी बॅड .”
“कोई चारा नही है रीमा. नही पहुँचा तुरंत तो मेरी नौकरी चली जाएगी. बड़ी मुस्किल से तो वापिस मिली है. तुम चिंता मत करो हमारी काम-क्रीड़ा जारी रहेगी.”
“फिर कब मिलोगे?”
“बाद में बताउन्गा, तुम नंबर फ़ीड कर दो मेरे फोन में अपना, मैं कपड़े पहनता हूँ.”
रोहित ने जल्दी से कपड़े पहने और रीमा को किस करके फ़ौरन निकल दिया वहाँ से.20 मिनिट में वो थाने पहुँच गया. थाने पहुँचते ही वो सीधा एएसपी साहिबा के कमरे की तरफ बढ़ा.
"यस मेडम, आपने याद किया."
"हां बैठो, क्या प्रोग्रेस है?"
"मेडम ब्लॅक स्कॉर्पियो के ओनर्स की लिस्ट लाया हूँ. 4 लोगो के पास है ब्लॅक स्कॉर्पियो शहर में." रोहित ने पेपर शालिनी की तरफ बढ़ाया.
"ह्म्म गुड, इस लिस्ट में विजय का नाम भी होगा." शालिनी ने पेपर पकड़ते हुए कहा.
"आपको कैसे पता ....." रोहित हैरान रह गया.
"चौहान ने बताया मुझे कि 6 महीने पहले विजय ने ब्लॅक स्कॉर्पियो खरीदी थी."
"पर चौहान तो यहाँ नही है, वो तो आउट ऑफ स्टेशन है"
क्रमशः........................