desiaks
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"राज हम लोग टिकट लेते हैं।"- नमित और शिवांग ने कहा।
"ओके...डॉली, तुम भी जाओ।"
डॉली को नमित और शिवांग के साथ मैंने इसलिए भेजा, ताकि ज्योति से कुछ बात कर पाऊँ।
“क्या है ज्योति...क्यों मुँह फुला रही हो?" ।
"जाने दो राज...अपनी दोस्त डॉली का ध्यान दो।"
"ज्योति...मैं तुम्हारा भी ध्यान रख रहा हूँ। डॉली बस एक मुलाकात की दोस्त है और तुम भी दोस्त ही हो मेरी; इतना गुस्मा क्यू दिखा रही हो?"
"ओह! प्लीज राज ...एक मुलाकात की दोस्त ऐसे साथ रॉफ्टिंग करने नहीं आती
___“ज्योति तुम्हारी कसम हम ऋषिकेश आते हुए ही मिले थे। उससे पहले कभी नहीं मिले ... सच में वो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और तुम भी मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो।”
"हाँ, नहीं हूँ मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड।"
"तो तुम अच्छी दोस्त हो मेरी... खुश रहो और इस रॉफ्टिंग दिरप को यादगार बनाओ; चलो मुस्कराओ अब।"
मेरे इतना कहने पर ज्योति को इतना तो श्योर हो गया था, कि डॉली मेरी गर्लफ्रेंड तो नहीं है। अब ज्योति थोड़ी खुश नजर आ रही थी। नमित, शिवांग और डॉली, टिकट लेकर आ चुके थे।
डॉली अपनी टिकट दिखाकर मुँह बना रही थी। उसके चेहरे से उसका एक्साइटमेंट साफ झलक रहा था।
नदी की उफनती लहरें हम लोगों को अपनी तरफ खींच रही थीं। हम लोग भी रॉफ्टिंग कॉस्टयूम पहनकर बिलकुल तैयार थे। गाइड के साथ हम पाँचों लोग नाब की ओर बढ़ रहे थे। नमित और शिवांग फट् से नाब में सवार हो गए। ज्योति भी मेरी तरफ मुँह बनाकर नाव में चढ़ गई थी। डॉली भी बेहद खुश थी, पर मुझे लगा शायद उसे नाव में बैठने में डर लग रहा है।
इसलिए मैंने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, "डरो मत डॉली..हाथ दो अपना।"
डॉली ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए देखा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। मैंने डॉली का हाथ कसकर पकड़ा और वो नाव में बैठ गई। सभी लोगों के बैठने के बाद गाइड भी बैठ गया। कुछ दिशा-निर्देशों के बाद उसने नाब आगे बढ़ा दी। नमित और ज्योति सबसे आगे बैठे... मैं और डॉली बीच में थे और शिवांग और गाइड सबसे पीछे थे। जैसे-जैसे नाव आगे बढ़ रही थी, ज्योति के चेहरे पर भी मुस्कान आती जा रही थी। तभी मैंने नदी के पानी की कुछ बूंदें ज्योति के ऊपर फेंकी, तो उसने भी मेरे ऊपर पानी की बौछार कर दी। फिर क्या था, हम सभी एक-दूसरे पर पानी फेंकने लगे। डॉली भी डर भूलकर हमारी मस्ती में शामिल थी। __
“सर, अपना भी ध्यान रखिए: बाहर हाथ मत करिए प्लीज।"- सुरक्षा कारणों की वजह से गाइड ने कहा।
"ओके भैया...डोंट वरी।"
हम लोग पूरे भीग चुके थे। नाब की रफ्तार भी बहुत तेज थी। ज्योति और नमित आगे बैठकर जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। खूब मजा आ रहा था। डॉली भी इन रोमांचक पलों का आनंद ले रही थी। तभी उसने अपने हाथ से पानी की बूंदें मेरे ऊपर फेंकी और जोर से हँसने लगी। उसकी इस शरारत पर मैंने भी उस पर पानी की बौछार कर दी। जब मैं उस पर पानी फेंक रहा था, तो अपने चेहरे के आगे हाथ लगाकर बचने की कोशिश कर रही थी। और जैसे ही मैं पानी लेने के लिए मुड़ता, तो बो मेरे ऊपर पानी की बौछार कर देती थी। बो खुलकर हंसती थी, इसलिए उसका खिलखिलाता हुआ चेहरा बेहद खूबसूरत लगता था। ऐसा नहीं था कि मैं आज पहली बार रॉफ्टिंग कर रहा था... इससे पहले कई बार मैं रॉफ्टिंग कर चुका था, लेकिन आज की रॉफ्टिंग में जो रोमांच था, वो पहले कभी नहीं आया।
"ओके...डॉली, तुम भी जाओ।"
डॉली को नमित और शिवांग के साथ मैंने इसलिए भेजा, ताकि ज्योति से कुछ बात कर पाऊँ।
“क्या है ज्योति...क्यों मुँह फुला रही हो?" ।
"जाने दो राज...अपनी दोस्त डॉली का ध्यान दो।"
"ज्योति...मैं तुम्हारा भी ध्यान रख रहा हूँ। डॉली बस एक मुलाकात की दोस्त है और तुम भी दोस्त ही हो मेरी; इतना गुस्मा क्यू दिखा रही हो?"
"ओह! प्लीज राज ...एक मुलाकात की दोस्त ऐसे साथ रॉफ्टिंग करने नहीं आती
___“ज्योति तुम्हारी कसम हम ऋषिकेश आते हुए ही मिले थे। उससे पहले कभी नहीं मिले ... सच में वो मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है और तुम भी मेरी गर्लफ्रेंड नहीं हो।”
"हाँ, नहीं हूँ मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड।"
"तो तुम अच्छी दोस्त हो मेरी... खुश रहो और इस रॉफ्टिंग दिरप को यादगार बनाओ; चलो मुस्कराओ अब।"
मेरे इतना कहने पर ज्योति को इतना तो श्योर हो गया था, कि डॉली मेरी गर्लफ्रेंड तो नहीं है। अब ज्योति थोड़ी खुश नजर आ रही थी। नमित, शिवांग और डॉली, टिकट लेकर आ चुके थे।
डॉली अपनी टिकट दिखाकर मुँह बना रही थी। उसके चेहरे से उसका एक्साइटमेंट साफ झलक रहा था।
नदी की उफनती लहरें हम लोगों को अपनी तरफ खींच रही थीं। हम लोग भी रॉफ्टिंग कॉस्टयूम पहनकर बिलकुल तैयार थे। गाइड के साथ हम पाँचों लोग नाब की ओर बढ़ रहे थे। नमित और शिवांग फट् से नाब में सवार हो गए। ज्योति भी मेरी तरफ मुँह बनाकर नाव में चढ़ गई थी। डॉली भी बेहद खुश थी, पर मुझे लगा शायद उसे नाव में बैठने में डर लग रहा है।
इसलिए मैंने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, "डरो मत डॉली..हाथ दो अपना।"
डॉली ने मेरी तरफ मुस्कराते हुए देखा और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया। मैंने डॉली का हाथ कसकर पकड़ा और वो नाव में बैठ गई। सभी लोगों के बैठने के बाद गाइड भी बैठ गया। कुछ दिशा-निर्देशों के बाद उसने नाब आगे बढ़ा दी। नमित और ज्योति सबसे आगे बैठे... मैं और डॉली बीच में थे और शिवांग और गाइड सबसे पीछे थे। जैसे-जैसे नाव आगे बढ़ रही थी, ज्योति के चेहरे पर भी मुस्कान आती जा रही थी। तभी मैंने नदी के पानी की कुछ बूंदें ज्योति के ऊपर फेंकी, तो उसने भी मेरे ऊपर पानी की बौछार कर दी। फिर क्या था, हम सभी एक-दूसरे पर पानी फेंकने लगे। डॉली भी डर भूलकर हमारी मस्ती में शामिल थी। __
“सर, अपना भी ध्यान रखिए: बाहर हाथ मत करिए प्लीज।"- सुरक्षा कारणों की वजह से गाइड ने कहा।
"ओके भैया...डोंट वरी।"
हम लोग पूरे भीग चुके थे। नाब की रफ्तार भी बहुत तेज थी। ज्योति और नमित आगे बैठकर जोर-जोर से चिल्ला रहे थे। खूब मजा आ रहा था। डॉली भी इन रोमांचक पलों का आनंद ले रही थी। तभी उसने अपने हाथ से पानी की बूंदें मेरे ऊपर फेंकी और जोर से हँसने लगी। उसकी इस शरारत पर मैंने भी उस पर पानी की बौछार कर दी। जब मैं उस पर पानी फेंक रहा था, तो अपने चेहरे के आगे हाथ लगाकर बचने की कोशिश कर रही थी। और जैसे ही मैं पानी लेने के लिए मुड़ता, तो बो मेरे ऊपर पानी की बौछार कर देती थी। बो खुलकर हंसती थी, इसलिए उसका खिलखिलाता हुआ चेहरा बेहद खूबसूरत लगता था। ऐसा नहीं था कि मैं आज पहली बार रॉफ्टिंग कर रहा था... इससे पहले कई बार मैं रॉफ्टिंग कर चुका था, लेकिन आज की रॉफ्टिंग में जो रोमांच था, वो पहले कभी नहीं आया।